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329 एह मिसाल मशहूर जहान अंदर करम रब्ब दे जेड ना मेहर है नी हुनर झूठ कमान लाहोर जेही ते कावरू1 दे जेड ना सेहर है नी चुगली नहीं दिपालपुर कोट जेही नमरूद2 दे थां बे मेहर है नी नकश चीन ते मुशक दा खुतन3 जेहा यूसुफ जेड ना किसे दा चेहर है नी मैं तां तोड़ शाहदरे दे कोट सटां तैनूं दम खां काम दी वेहर है नी बात बात तेरी विच हैन कामन वारस शाह दा सेअर की सेहर4 है नी
panjabi-pan
29 भाइयां बाझ न मजलसां सोंहदियां ने अते भाइयां बाझ बहार नाहीं भाई मरन ते पैंदियां भज बाहां बिना भाइयां परे प्रवार नाहीं लख ओट है भाइयां वसंदयां दी भाइयां गयां जेही कोई हार नाहीं भाई ढाहुंदे भाई उसारदे ने वारस भाइयां बाझों बेली यार नाहीं
panjabi-pan
273 जोगी नाथ तों खुशी लै विदा होया छुटा ब्राजज्यों तेज तरारयां नूं इक पलक विच कम हो गया उसदा लगी अग फेर चेलयां सारयां नूं मुड़के रांझणे इक जवाब दिता उन्हां चेलयां हैंस्यारयां1 नूं भले कर्म होवण ताहींए जोग पाईढ मिले जोग न करमां दयां मारयां नूं असीं जट अनजान थीं फस गए करम कीतो सू असां नकारयां नूं वारस शाह अल्ला जदों करम2 करदा हुकम हुंदा ए नेक सतारयां नूं
panjabi-pan
तेरे पकडूं घोड़े की लगाम जाण न दूं पिया नौकरी तेरे पकडूं घोड़े की लगाम जाण न दूं पिया नौकरी छोड़ ए गोरी घोड़े की लगाम साथां के साथी म्हारे धुर गए छूट गई घोड़े की लगाम आंसू तो गिरे हरियल मोर ज्यूं
haryanvi-bgc
फलाणे की बहु का घागरा यहां किसी का भी नाम लिया जा सकता है जिसे सींठने दिये जाते हैं की बहू का घागरा धोबी धोए रे छिनाल रे धइआं धौंदे धौंदे बह गया खड़ी रोवै रे छिनाल रे धइआं म्हारा . . . अपने पक्ष के किसी पुरुष का नाम न्यू कहै क्यूं रोवै रे छिनाल रे धइआं
haryanvi-bgc
56 पकड़ लए झबेल ते बन्ह मुशकां मार छमकां लहू लुहान कीते मेरे पलंघ ते आन सवालिया जे मेरे बैर दे तुसां सामान कीते कुड़ीए मार ना असां बेदोशियां नूं कोई असां ना एह महमान कीते चंचल हारीए रब्ब तों डरीं मोइए अगे किसे ना ऐड तुफान कीते
panjabi-pan
मेरे टुरने दी होई त्यारी तुसीं आओ मिलो मेरी प्यारी । मेरे टुरने दी होई त्यारी । सभे रल के टोरन आइआँ , आइआँ फुफ्फिआँ चाचिआँ ताइआँ , सुभ्भे रोंदिआँ जारो जारी1 मेरे टुरने दी होई त्यारी । सभे आखण एह गल जाणी , रव्हीं तूँ हर दम हो निमाणी , ताहीं लग्गेंगी ओत्थे प्यारी । मेरे टुरने दी होई त्यारी । सभे टोर2 घराँ नूँ मुड़िआँ , मैं हो इक इक्कलड़ी टुरिआँ , होइआँ डारों मैं कूंज न्यारी । मेरे टुरने दी होई त्यारी । बुल्ला सहु मेरे घर आवे , मैं कुच्चजी नूँ लै गल लावे , इक्को सहु दी ए बात न्यारी । मेरे टुरने दी होई त्यारी ।
panjabi-pan
नमो नरंजन मात भवानी नमो नरंजन मात भवानी , सदा रंगीला तेरा भवन तेरे दरस को रिसी मुनि आए , दूरदूर तै करके गवन कोए समरधा लावै समाधी , कोए समरधा साधै पवन तेरे दरस को . . . ग्यान बूझ की तैं मेरी जवाला , तेरै बरोबर और न कोए सुख संपत की तैं मेरी देवै , तेरै बरोबर और ना कोए सेवत राम तरा जस गावै , हाथ जोड़ कै कर गवन तेरे दरस को . . .
haryanvi-bgc
लोक गीत सोरी तारे घड़ुले छे , घुँघर माल रेऽऽऽ । सोरी तारे घड़ुले छे , घुँघर माल रेऽऽऽ । सोरा तारे पुश्यानु काँई काम रेऽऽऽ । सोरा मारे पुश्यानु बड़ी मोआरेऽऽऽ । सोरी तारे घड़ुले छे , घुँघर माल रेऽऽऽ । सोरी तारे घड़ुले छे , घुँघर माल रेऽऽऽ । सोरी तमे परण्या के कुँवारा रेऽऽऽ । सोरी तमे परण्या के कुँवारा रेऽऽऽ । धेर मा मारा बापा ने जाई केथु रेऽऽऽ । बापा हमुँ परण्या के कुँवारा रेऽऽऽ । बापा हमुँ परण्या के कुँवारा रेऽऽऽ । सोरी तारे घड़ुले छे , घुँघर माल रेऽऽऽ । सोरी तारे घड़ुले छे , घुँघर माल रेऽऽऽ । बेटी तमे नानां थां परण्याया रेेऽऽऽ । बेटी तमे नानां थां परण्याया रेेऽऽऽ । सोरी तारे घड़ुले छे , घुँघर माल रेऽऽऽ । सोरी तारे घड़ुले छे , घुँघर माल रेऽऽऽ । छोरी तूने अपने घड़े को घुँघरू बाँधकर सजा रखा है । छोरा तेरे इस प्रकार पूछने का क्या मतलब है ? छोरी मुझे इस प्रकार तुझे पूछने से बहुत मजा आता है । छोरी तू शादीशुदा है कि कुँवारी है ? छोरा घर जाकर मैं अपने बाप से पूछँगी कि मैं शादीशुदा हूँ कि कुँवारी ? छोरी तूने अपने घड़े को घुँघरू बाँधकर सजा रखा है । बेटी तू छोटी थी , तभी मैंने तेरी शादी कर दी थी । छोरी तूने अपने घड़े को घुँघरू बाँधकर सजा रखा है ।
bhili-bhb
लागी लगी रे दुई दुई हाथ मेहँदी रंग लागी लागी लगी रे दुई दुई हाथ मेहँदी रंग लागी , मेहँदी तोडं न ख हाउ गई न म्हारो , छोटो देव्रियो साथ मेहँदी रंग लागी । तोडी ताडी न मन खोलो भर्यो न हउ लगी गई घर की वाट मेहँदी रंग लागी । अगड दगड को लोय्डो न ब्र्हन्पुर की सील मेहँदी रंग लागी लसर लसर हउ मेहँदी वाटू न म्हारा बाजूबंद झोला खाय मेहँदी रंग लागी देवर रंग तीची अन्गालाई न हउ रंगु ते दुई हाथ , मेहँदी रंग लागी द ओ जेठानी थारो झुमकों न द ओ देरानी थारो हार मेहँदी रंग लागी द ओ पडोसन थारो दिव्लो न , द ओ अडोसन तेल मेहँदी रंग लागी खट खट खट हउ पैडी चढ़ी न गई ते तीजजे मॉल मेहँदी रंग लागी जगेल होता तेका सोई गया न मुख पर डाल्यो रुमाल मेहँदी रंग लागी अग्न्ठो पकडी न मन स्यामी ज्गाद्योअसो नही जाग्यो मुर्ख गंवार मेहँदी रंग लागी खट खट खट हउ पैडी उतरी न आई ते नीच मॉल मेहँदी रंग लागी ल ओ जेठानी थारो झुमकों न , ल ओ देरानी थारो हार मेहँदी रंग लागी ल ओ पडोसन थारो दिव्लो न ल ओ अडोसन थारो तेल मेहँदी रंग लागी असो देवर बताव ओकी माय ख न हउ केख बताऊ बेऊदुई हाथ मेहँदी रंग लागी असी सासु की कुख ख हीरा जडया न , जाया ते हीरालाल मेहँदी रंग लागी लागी लागी रे दुई दुई हाथ मेहँदी रंग लागी
nimadi-noe
सुनहु जदुनन्नन हे चीकन1 मटिया2 कोड़ि मँगाएल , ऊँची कय3 मँड़वा छवाएल । जनकपुर जय जय हे ॥ 1 ॥ सोने कलस लय4 पुरहर5 धरब , मानिक लेसु6 फहराय7 जनकपुर जय जय हे ॥ 2 ॥ लाल लाल सतरंजी8 अँगन9 को बिछाएल । जनकपुर जय जय हे ॥ 3 ॥ जय जय बोले नउअवा से बाम्हन , जय जय बोले सब लोग । जनकपुर जय जय हे ॥ 4 ॥ धन राजा दसरथ , धन हे कोसिलेया । धन10 हे सीता देई के भाग , रामे बर11 पायल12 हे ॥ 5 ॥
magahi-mag
गंढाँ दूजी खोलूँ क्या कहूँ , दिन थोड़े रहिन्दे । सूल सभ रल आवंदे , सीने विच्च बहिन्दे । झल्लवलल्ली मैं होई , तन्द कत्त ना जाणा । जंझ ऐवें रल आवसी , ज्यों चढ़दा ठाणा । तेरा गंढीं खुल्लिआँ नैण लहू रोन्दे । होया साथ उतावला , धोबी कपड़े धोन्दे । सज्जण चादर ताण के सोया विच्च हुजरे1 । अजे भी ना ओह जागेआ दिन कितने गुज़रे । बाई खोहलो पहुँच के हभ मीराँ2 मल्काँ । ओहना डेरा कूच है मैं खोहलाँ पल्काँ । आपणा रैहणा की कराँ केहड़े बाग दी मूली । खाली जग्ग विच्च आए के सुफने पर भूली । इक्क इक्क गंढ नूँ खोल्हिआँ इकत्ती होइआँ । मैं किस पाणीहार3 हाँ एत्थे केतिआँ रोइआँ । मैं विच्च चतर खडारसाँ दाअ प्या ना कारी । बाज़ी खेडाँ जित्त दी मैं एत्थे हारी । कर बिसमिल्ला खोहलीआँ मैं गंढाँ चाली । जिस आपणा आप वंझाया सो सुरजन आवे । जंझ सोहणी मैं भाँवदी लटकन्दा वाली । जिस नूँ इश्क है लाल दा सो लाल हो जावे । अकल फिकर सभ छोड़ के सहुनाल सिधाए । बिन कहणों गल्ल गैर दी असाँ याद ना काए । हुण इन्न अल्लाह आख के तुम करो दुआई । पीआ ही सभ हो गया अबदुल्ला4 नाहीं ।
panjabi-pan
बरसन लागी सावन बुन्दिया बरसन लागी सावन बुन्दिया , प्यारे बिन लागे न मोरी अंखिया चार महीना बरखा के आये , याद आवे तोहरी बतियां प्यारे बिन लागे न मोरी अंखिया चार महीना जाडा के बीते , तरपत बीती सगरी रतियां प्यारे बिन लागे न मोरी अंखिया चार महीना गरमी के लागे , अजहुं ना आये हमारे बलमा प्यारे बिन लागे न मोरी अंखिया
awadhi-awa
जागो वशी वारे ललना-जागो मोरे प्यारे जागो वंशी वारे ललनाजागो मोरे प्यारे रजनी बीती भोर भयो है , घरघर खुले किवाड़े । जागो . . . गोपी दही मथत सुनियत है , कंगना के झनकारे । जागो . . . उठो लाल जी भोर भयो है , सुर नर ठांड़े द्वारे । जागो . . . ग्वाल बाल सब करत कोलाहल जयजय शब्द उचारे । माखन रोटी हाथ में लीन्हीं , गउवन के रखवारे । जागो . . . मीरा कहे प्रभु गिरधर नागर शरण मैं आई तिहारे । जागो . . .
bundeli-bns
साहवरेआँ घर जाणा सदा मैं साहवरेआँ घर जाणाँ , नी मिल लओ सहेलड़ीओ । तुसाँ वी होसी अल्ला भाणा , नी मिल लओ सहेलड़ीओ । रंग बरंगी सूल उपट्ठे , चंझड़ जावण मैनूँ । दुक्ख अगले मैंनाल लै जावाँ , पिछले सौपाँ किहनूँ । इक विछोड़ा सइआँ दा , ज्यों डारों कूंज विछुन्नी । मापेआँ ने मैनूँ एह कुझ दित्ता , इक्क चोली इक्क चुन्नी । दाज एहना दा वेखके हुण मैं , हन्झू भर भर रून्नी । सस्स ननाणाँ देवण ताने , मुश्कल भारी पुन्नी । बुल्ला सहु सत्तार1 सुणीन्दा , इक वेला टल जावे । अदल2 करे ताँ जाह ना काई , फज़लो3 बखरा पावे । सदा मैं साहवरेआँ घर जाणाँ , नी मिल लओ सहेलड़ीओ । तुसाँ वी होसी अल्ला भाणा , नी मिल लओ सहेलड़ीओ ।
panjabi-pan
34 कलमदान दवात दफतैन1 पटी नावें आमली वेखदे लड़कयां दे लिखन नाल मसौदे सयाक खिसरे सियाह अवारजे2 लिखदे वरकयां दे इक भुल के ऐन दा गैन वाचन मुल्लां जिंद कढे नाल घुरकयां दे इक आंवदे नाल जुजदान3 लैके विच मकतबां दे नाल तड़कयां दे
panjabi-pan
तिलक -गीत भितरा से बोलीं हैं भितरा से बोलीं हैं रानी कौशिल्या सुनो राजा दशरथ बचनी हमारी सगरी अजोध्या में राम दुलरुआ तिलक आई बडि थोरी सोभ्वा से बोले है राजा दशरथ सुनो जनक बचनी हमारी सगरी अजोध्या में राम दुलरुआ तिलक आई बड़ी थोरी हाथ जोरी राजा जनक जी बिनवैं सुनो दशरथ बचनि हमारी तू तो हयो तीनो लोक ठाकुर हम होई जनक भिखारी
awadhi-awa
विदाई गीत एक बन गईं दुसरे बन एक बन गईं दुसरे बन गईं तीसरे बबिया बन बेटी झलरी उलटी जब चित्वें तो मैया के केयू नाही लाल घोड़ चितकबर वहिसे वै पिया बोलें धना हमरे पतुक आंसू पोछो मैया सुधि भूली जाव केना मोरी भुखिया अगेंहैं तो केना पियसिया केना जगहियें आल्ह्ड निन्दियन अपने मैयरिया बिन मईया मोरी भुखिया अगेंहैं बहिनी पियसिया हमही जगेईबै आल्ह्ड निन्दिया तो मईया सुधि भूली जाओ मईया तोहरी गरियहै बहिनी टुकरीहै आपे प्रभु गरजी तड़प बोलिहै छतिया बिहरी जेईहैं मईया मोरी बहुअरि गोहरैहैं बहिन भउजी कहिहैं हमही लागैबें हिरदैया मईया सुधि भूली जाओ
awadhi-awa
बरस्या बरस्या रे झंडू मूसलधार बरस्या बरस्या रे झंडू मूसलधार लाल पड़ौसिन का घर ढह पड़ा । चाल्या चाल्या रे झंडू सिर धर खाट लाल पड़ौसिन के सिर गूदड़ा । खोलो खोलो रै गौरी म्हारी बजर किवाड़ सांकल खोलो लोहसार की म्हारी भीजे री गौरी पंचरंग पाग लाल पड़ौसिन के सिर चूंदड़ी दे दो रे छोरे बुलदां का पाल लास लसौली झंडू पड़ रहे जी
haryanvi-bgc
मृत्यु गीत टेक अरे थारो बहुत दिन म आयो दाव , म्हारा हंसा समली न चौपट खेल रे । चौक1 अरे चोपट मांडि सान मेरे हंसा खेलर्यो घड़ि चार रे , अरे हंसा खेलर्यो घड़ी चार रे , समली न चोपट खेलो मेरे हंसा , जो युग मांडिया को दाव म्हारा हंसा समली न चोपट खेल । चौक2 चार खाणी की चोपट , बणी रे हंसा चौरासी घर को यो दाव रे , अरे हंसा चौरासी घर को यो दाव रे , अरे जीत तो सुर पुर मरे जासे नहिं तो फिर चौरासी म जाय , म्हारा हंसा समली न खेल चौक3 चौरासी घर की चौरासी सार हंसा ब्रह्मा न फासो यो डालियो रे , अरे हंसा ब्रह्मा ने यो फासो डालियो रे , सम्हली ने सार चलो रे मेरे हंसा यो ताकीर्यो यमराज मेरे हंसा , समली न चोपट खेल रे , अरे यारो बहुत दिन म दाव आयो रे , समली न चोपट खेल । छाप कहे कबीरा सुणो धरमदास ये पंथ हे निरवाणी रे यहि रे पंथ की करो रे परीक्षा , थारो हांसो गये सतलोक मेरे हंसा समली न चोपट खेल । अरे मानव चौरासी लाख योनियों के बाद तुझे यह मानव जन्म प्राप्त हुआ है , यह अवसर तुझे बहुत वर्षों बाद प्राप्त हुआ है । इस पवित्र योनी में बहुत सम्हलकर चौपड़ खेल , मतलब यह है कि इस काया पर दाग मत लगने दे । अरे मानव छान में बरामदे में चौपड़ बिछी है , चार घड़ी खेल रहा है । यह संसार अल्प समय के लिए मिला है , इसमें सम्हलकर खेलो , अगर चूक गए तो अवसर चूक जाओगे । अर्थात् भक्ति कर अच्छे कार्य करो , इस काया पर कलंक न लगने दो । चार खानों की चौपड़ खेलने की चौकड़ी बनी है , उसमें चौरासी घर हैं । अरे जीत गया तो स्वर्ग में जायेगा और हार गया तो फिर चौरासी लाख योनियों में भटकना पड़ेगा , इससे तू सम्हलकर चल । चौपड़ में चौरासी घर हैं , चौरासी सार हैं । ब्रह्माजी ने यह पासा डाला है । सम्हलकर सार चलो यमराज ताक रहा है । मानव बहुत दिन में अवसर तेरे हाथ आया है । चूक गया तो यमराज ले जायेगा और नरक में डालेगा । कबीरदासजी कहते हैं धरमदास सुनो यह पंच निरवाणी है , इस पंथ की परीक्षा करो , तेरा हंसा सतलोक में गया , हंसा सम्हलकर खेलो ।
bhili-bhb
करमा गीत-5 ओ हो रे हाय रात झिम झिम करे उठ देवता कंदरा बजावो हो । रात झिम झिम करे । कय दो मोहर कर केंदरा रे केन्दरा कय दो मोहर ओकर तार हो । रात झिम झिम करे . . . दसे मोहर कर केन्दरा रे केन्दरा बीस मोहर ओकर तार हो । रात झिम झिम करे . . . हल जोती आवे कुक्षारी भाजे आवे , लगे देवरा केन्दरी बजावा हो । रात झिम झिम करे . . . फूट गये केन्दरा टूट गये तार हो , कइसे बजावौ गाई केन्दरा हो । रात झिम झिम करे . . . तुंहर बने केन्दरा तुंहर बने तार हो कइसे पतियांवन तुंहर बात हो रात झिम झिम करे . . .
chhattisgarhi-hne
ऊँचा री कोट सुरंग देवी जालमा ऊंचा री कोट सुरंग देवी जालमा हरियल पीपल तेरे बार मेरी माय हरियल पीपल पड़ी ए पंजाली तैं तो झूलै आज भवानी मेरी माय कौन जै झूले मइया कौण झुलावै कौण जै झोटे देवै मेरी माय देरी री झूलै मइया लोकड़िया झुलावै धणराज झोटे देवै मेरी माय सीस राणी तेरे स्यालू री सोहै ऊपर जरद किनारी मेरी माय हाथ राणी तेरे महंदा सोहै पोरी पोरी छलले बिराजैं मेरी माय पैर राणी तेरे पायल सौहे बिछवे रुण झुण बाजे मेरी माय सोवै के जागै मेरी सात भवानी तेरी सात सवाई मेरी माय इब के तो गुनाए बकस मेरी जालमा तेरै जैजै करदा आऊं मेरी माय बेटे री पोते मइया साथ री ल्याऊं नंगे पैरें आऊ मेरी माय
haryanvi-bgc
223 भाबी खिजां दी रूत जद आन पहुंची भौर आसरे ते जफर जालदे नी सेउन बुलबुलां बूटयां सुकयां नूं फेर फुल लगन नाल डाल दे नी असां जदों कदों उहनां पास जाना जेड़े महरम असाडड़े हाल दे नी जिन्हां सूलियां ते लए चा झूटे मनसूर होरीं साडे नाल दे ने वारस शाह जो गए नहीं मुड़दे लोक असां तों औना भालदे ने मोजू चैधरी दा पुत चाक लया एह पेखने1 जुल जुलाल2 दे ने एस इशक पिछे लड़न मरन सूरे सफां डोलदे खूनियां गालदे नी भाबी इशक तो नसके ओह जांदे पुत्र होन जो किसे कंगाल दे नी मारे बोलियां दे घरीं नहीं वड़दे वारस शाह होरी फिरन भालदे नी
panjabi-pan
कानो बड़ाई करो बीर हनुमान की कानों बड़ाई करों बीर हनुमान की । सिंधु पार कूंद पड़े बाग तो उजार आये लंका जलाये आये , छन में रावण की । कानों . . . रावण के देश गये , सिया खों संदेश दये मुद्रिका को तो दे आये , सिया खों राजा राम की । कानों . . . कहते हैं रामचंद्र सुनो भैया लक्ष्मण , होते न हनुमान तो पाउते न जानकी । कानों . . . तुलसीदास आस रघुबर की , निसदिन मैं गाऊँ , श्री रामचंद्र जानकी । कानों . . .
bundeli-bns
निरमोहिया लाल बड़ी दरदे उठी निरमोहिया लाल बड़ी दरदे उठी । सँवरिया लाल बड़ी दरदे उठी ॥ 1 ॥ मेरे पेटारे में कपड़ा बहुत सइयाँ । माय बहन को बोला सइयाँ । निरमोहिया लाल बड़ी दरदे उठी ॥ 2 ॥ मेरे पेटारे में गहने बहुत सइयाँ । माय बहन को बोला सइयाँ । माय बहन को पेन्हा1 सइयाँ । निरमोहिया लाल बड़ी दरदे उठी ॥ 3 ॥ मेरे पेटारे में मेवा बहुत खइयाँ । माय बहन को खिला सइयाँ । माय बहन को बोला सइयाँ । निरमोहिया लाल बड़े दरदे उठी ॥ 4 ॥
magahi-mag
नैना परदेसी सें लरकें नैना परदेसी सें लरकें । भऐ बरवाद बिगर कैं । नैनाँ मोरे सूरसिपाही । कवऊं न हारे लरकें । जे नैना बारे सें पाले , काजर रेखैं भरकें । ईसुर भींज गई नइ सारी , खोवन अँसुआ ढरकें ।
bundeli-bns
अंगिका फेकड़ा ओरे रे नूनू ओर बटना माय बाप गेलोॅ छौ चिचोर कटना बाप जिमिदरबा घोड़वा पर माय जिमिदरनी डोलवा पर पैला में चूड़ा मचक मारै छै सीका पर दही हिलोड़ मारै छै । नूनू के जुठकुट के खाय ? बाबू खाय । बाबू के जुटकूट के खाय ? भैया खाय । भैया के जुठकूट के खाय ? भौजी खाय । भौजी के जुठकूठ के खाय ? कुतवा खाय । कुतवा के जुठकुठ के खाय ? कौआ खाय । कौआ के जुठकुठ के खाय ? धरती खाय । ओरे रे नूनू ओर बटना माय गेल छौं कूटेॅ पीसेॅ बाप गाड़ीमान दादा गेलोॅ छौं बाँस काटेॅ दादी हलुमान फूफू तेॅ छेकौ लुबड़ी पानी पियै के तुमड़ी साँझै घूरी केॅ एथौं नूनू भर अैंगना । चॉन मामू आरे याबोॅ वारे याबोॅ नदिया किनारे आवोॅ चंपा केला , सुरका चूड़ा भैंसी के दही लेलेॅ आवोॅ , लेलेॅ आवोॅ नूनू रोॅ मुँहोॅ में घुटुस । सूतेंसूतें रे नूनू ओर बटना माय गेलै कूटेॅ पीसेॅ , बाप खलिहान चाचा गेलै छप्पर छारेॅ चाची के दुखैली कान । सूतेॅसूतेॅ रे नूनू सुतौनी देबौ दालभात तोहरा खबौनी देबौ ।
angika-anp
254 बचा सैं तूं जिस कलबूत अंदर सचा रब्ब है थाओं बनाए रहया माला मनकयां दे विच इक धागा तिवें सरब दे विच समा रहया जिवें पतरी मेंहदी दे रंग रचाया तिवें जान जहान में आ रहया जिवें रकत सरीर विच सास अंदर तिवें जात में जोत समा रहया रांझा बन्नके खरच ही मगर लगा जोगी अपरा जोर सब ला रहया तेरे दुअर जोगा हो रिहा हां मैं जोगी जट नूं कथा समझा रहया वारस शाह मियां जिहनूं इशक लगादीन दुनी दे कम थीं जा रहया
panjabi-pan
कनयारी फूले डो माय कनयारी फूले डो माय कनयारी फूले डो माय कनयारी फूले डो माय बेआ का जोवेना रे कनयारी फूले डो माय बेआ का जोवेना रे बेटी का डीयो डो माय बेटी का डीयो डो माय बेटी का डीयो डो माय टापी न पेला रे रे बेटी का डीयो डो माय टापी न पेला रे रे जंगेला चलो डो माय जंगेला चलो डो माय जंगेला चले डो माय दुनिया न देखी से हो जंगेला चले डो माय दुनिया न देखी से हो बेटी का डूकी डो माय बेटी का डूकी डो माय बेटी का डूकी डो माय भगवाना जाने से हो बेटी का डूकी डो माय भगवाना जाने से हो स्रोत व्यक्ति संगीता , ग्राम मकड़ाई
korku-kfq
बावरियों छे फलाणी जेळू रो यार बावरियों छे फलाणी जेळू रो यार हेली म्हारो बावरियां ।
malvi-mup
कउन बाबू के बगिया लगावल, जलथल हरियर हे कउन बाबू के बगिया लगावल , जलथल हरियर1 हे । ललना , कवन बाबू हथि2 रखवार , कउन चोर चोरी कयलन हे ॥ 1 ॥ बाबा मोरा बगिया लगावल , जलथल हरियर हे । ललना , मोरा भइया हथि रखवार , साहेब चोर चोरी कयलन हे ॥ 2 ॥ एक फर3 तोड़ले दोसर फर , अउरो तेसर फर हे । ललना , जागि पड़ल रखवार , दउना4 डारे बाँधल हे ॥ 3 ॥ सोबरन5 के साँटी6 चोरवा के मारल , रेसमे डोरो बाँधल ॥ 4 ॥ घरवा से इकसल7 जचा रानी , इयरी पियरी पेन्हले हे । गोदिया में सोभइ एगो8 बालक , नयन बीच काजर हे ॥ 5 ॥ भइया हमर बीरन भइया , सुनहु बचन मोरा हे । भइया , चोरवा हइ सुकुमार फुलुक9 डोरी बाँधिहऽ , सोबरन साँटि छुइह हे ॥ 6 ॥
magahi-mag
456 राज छड गए गोपी चंद जेहे शदाद फिरऔन कहा गया नौशेरखां छड बगदाद टुरया ऊह वी अपनी वार लंघा गया आदम छड बहिशत दे बाग नठा भुले बिसरे कणक नूं खा गया फिरऔन खुदा कहायके ते मूसा नाल ऊशटंड बना गया नमरूद शदाद जहान उते दोजख अते बहिश्त बना गया कारूं जेहा इकठियां मल के बन्ह सिर ते पंड उठा गया माल दौलतां हुकम ते शान शौकत महखासरी हिंद लुटा गया सलेमान सकदरों ला सफरे सतां भूइयां ते हुकम चला गया ओह भी एस जहान ते रिहा नाही जेहड़ा आप खुदा कहा गया वारस शाह उह आप है करनहारा सिर बंदया दे गिला आ गया
panjabi-pan
91 हीर आणके आखदी हस के ते अना झाल नी अंबड़ीये मेरीये नी तैंनूं डूंघड़े खूह विच चा बोड़ां गल्ला नूं पिटयो बचड़ीये मेरीये नी धी जवान जे किसे दी बुरी होवे चुप कीतियां चा नबेड़ीए नी तैनूं वडा उदमाद1 आ जागिया ई तेरे वासते मणुश सहेड़ीए नी धी जवान जे निसे दी बाहर जाण लगे वस तां खूह नघेरीये नी वारस शाह जीउंदे होण जे भैन भाई चाक चोबरां नांह सहेड़ीए नी
panjabi-pan
चन्दा तेरो चान्दणे कोयली बोले चन्दा तेरो चान्दणे कोयली बोले खेलण जोगी है रात राजा कोयली बोले ननद भौजाई खेलण निकली खेल खाल के घर बावड़ी घर तो बैठा लणिहार राजा कोयली बोले ‘कहां गई तेरी मां कहां गया तेरा बाप राजा कोयली बोले’ ‘कोई पीहर गई मेरी मां दिल्ली गया मेरा बाप राजा कोयली बोले’ ‘के तो ल्यावे तेरी मां के तो ल्यावे तेरो बाप राजा कोयली बोले’ ‘चून्दड़ी तै ल्यावे मेरी मां कपड़ा तै ल्यावै मेरो बाप राजा कोयली बोले’
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151 वढी होई हुशेर1 जा छिपया ए पोह माघ कुता विच कुन्नूयां2 दे होया छाह वेला जदों विच बेले फेरे आन पये ससी पुन्नयां दे बूटा भन्न रांझे दे हथ मलिया ढेर आन लगे रते चुन्नूयां दे बेला लालो ही लाल पुकारदा सी कैदो हो रिहा वांग घुन्नूयां दे
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मलेथा की कूल धौली1 का छाला2 पले किनारो , ऊँचा माँगै मलेथो3 को सेरो एक दिन छयो रुखो मलेथो एक दिन छयो भूखो मलेथो कोदो गत्थू को गौं छयो सटी नी नऊं को होंद छयो दूर बटि4 ब्वारी मुंउ मुं गैठी लादी छै पाणी पीणू कू तैंई तबी की बात तख रैंद छयो माधू भण्डारी मासूर छयो दूर तैं मानता जैकी छयी राज दरबार मा धाक छयी एक दिन माघू कोसू चल्यूं राज दरबार बटी ए थक्यंू भूख की ज्वाला छै पेट लागी खाणू को रोटी , भावी मा मांगी रोटी त छैंचा पर साग नीच बोली भावी ला चटणी बी नीच लूण अर मिर्च पीसिका ल्हौ उनि खै ल्यूं लो द्वि रोठला घौं बोले माधू ना भावी कू तैंयी भावी स्या लूण सिपणू कू गैयी जरा अबेर5 भावी कू ह्वेगे माधू कू कोध की ज्वाला लैगे मिलता समझे भावी जी कखे त्वे पर जलड़ा जकड़ी का लगिगे तान मा ताना भावी ला धाया एक की द्वी तैंला सुणाया गै छौ वं क्यारी मी मिर्च ल्हांणा गोबी छन जख आलू लगाणाँ कूल ल्हैं त्यारो कूल्याँदो क्यूँ पाणी ल्है त्यारो पणचाये क्यूँ क्यारी की क्यारो उख प्याज की छै पुँगड़ी6 पालिंगा अर मेथी की छै पाणी का घट्ट जख धुरकदा छन जौंल मगरा बी धदकदा छन माधो भण्डारी का नाम लागे छत्रि छौ वेको अभिमान जागे माधू ठाकुर उतड़ीण बैठे भावी कू रोष मा बोली बैठे तूयी ल्ही औंदी घौं कूल गाड़ी तुयी ल्ही औंदी घौं गाड बाँधी मित्र वटि भावी को क्रोध बाढ़े भैर मुसकैक बोलण बैठे त्यारा रौंदा जी मिल कूल ल्हाणा तवै छौंदा जी मिल हौल बाणा ता बुवा माधू धिकार त्वेकू ता चुचा माधू , छुछकार त्वेकू जोंगा मूँडीका विन्दी लगौ तू स्युंद गाडी का भिंटुली बणौं तू वीर क्या जैमा बबराट नीच ‘स्यू’ क्या जैमा घुघराट नीच भावी का ताना तानौ की बात बज्र सी पोड़ी माघो का माथ साबली कूटली गैंती फौड़ो धैरी काँदमा दाथी कुल्हाड़ो कूल खणणू कू अब जाण बैठे जोश का बोल बोलणा बैठे गणपती भूमिया देवी की जै जन्म भूमि गढ़माता की जै ब्यूंत कूली को अब दिखणा बैठैो रौल्यूं रौल्यू माधो जाणा बैठो साबली बजणी च खणाखण . . . ॥ धमकदा फौड़ो तैको दनादन . . . ॥ गैंती चलदी च जश तीर होवा कूटी वा जनो शमशीर होवा चल्दा पैनी कुलाड़ी चटाचट डालौं तैं काटी धोल्दा खटाखट छीना चट्टान का चूराचूरा खणी चट्टाणू का बूराबूरा ऐगे भंडारी स्वरंग क्वरदा दाँती अंखेड़ सी फोड़दफोड़दा माधू का एक नौन्याल छयो शेर को पूत हूँणयाल छयो जैं जगा डांडा7 सोरंग कोरी तख बटी खन्द एक भारी पोड़ी माधो का नौना का मूंड लैगे फोड़ि बरमंड का खंड कैगे असगुनी कूल स्या अपजसी रै सिरगतो बाल की जैला बलि ल्हे चित्त माधो को बैंरागी ह्वेगे ज्ञान की जोत चमकणा लैगे बीरु तैं शोक नी करणो चेंदो तैथैं मिरतू मा नी रोण चैंदो रौऊ को बांध माधू ला खोले माई गंगा की जै बोले , बोले पाणी खकलाट गगलाट कैकी छल्की छल्की का फकप्याट कैकी माधो की कृती यश गाँदागाँदा आज तैं कूल तख बग्द जांदा
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अपनी महलिया से मलिया मउरी गुथहइ अपनी महलिया से मलिया मउरी1 गुथहइ2 । जहाँ कवन बाबू खाड़3 जी ॥ 1 ॥ मैं तोरा पूछूँ मलियवा हो भइया । केते दूर बसे ससुरार जी ॥ 2 ॥ तोर ससुररिया , बाबू , मउरिया से खैंचल4 । चुनमें5 चुनेटल6 तोर दुआर जी ॥ 3 ॥ मोतिया चमकइ बाबू , तोहर ससुररिया । चारो गिरदा7 गड़ल हो निसान8 जी ॥ 4 ॥ अपनी महलिया में दरजी जोड़ा9 सियइ । जहाँ कवन बाबू खाड़ जी ॥ 5 ॥ मैं तोरा पूछूँ दरजियवा हो भइया । केते दूर बसे ससुरार जी ॥ 6 ॥ तोर ससुररिया बाबू , जोड़वा से खैंचल । चुनमें चुनेटल तोर दुआर जी ॥ 7 ॥ मोतिया चमकइ बाबू , तोहर ससुररिया । चारो गिरदा गाड़ल हइ निसान जी ॥ 8 ॥
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49 बेड़ी नहीं एह जंझ दी बनी बैठक जो कोई आवे सो सद बहांवदा ए गडावडा1 अमीर वजीर बैठे कौन पुछदा ए केहड़ी थाउं दा ए जिवें शमां ते डिगन पतंग धड़ धड़ लंझ नैं मुहानया2 आंवदा ए खवाजा खिजर दा बालका आन लथा जनाखना शरीनियां3 लयांवदा ए लुडन नाह लंघाया पार उसनूं ओस वेलड़े नूं पछोतांवदा ए यारो झूठ न करे खुदा सचा रन्नों मेरियां एह खिसकांवदा ए इक सद दे नाल एह जिंद लैंदा पंछी डेगदा मिरग फहाउंदा ए ठग सुने थनेसरों आंवदे ने एह तां जाहरा ठग झनाउं दा ए वारस शाह मियां वली जाहरा ए वेख हुने झबेल कुटाउंदा ए
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मृत्यु गीत चुइण्यो चुइण्यो महलो गंधये राम । चुइण्यो चुइण्यो महलो गंधये राम । बणिया रे श्री राम पोपट एक दिन रइणें नि पायो , राम को बुलावो आयो । एक दिन रइणें नि पायो , राम को बुलावो आयो । लागि गयो द्वारिका री वाट राम , बणियो पोपट श्री राम को । चुइण्योचुइण्यो हिचको बंधायो राम । चुइण्योचुइण्यो हिचको बंधायो राम । एक दिन हिचणें नि पायो राम । एक दिन हिचणें नि पायो राम । आइ गयो राम को बुलावो । लागि गयो द्वारिका री वाट राम , बणियो रे श्री राम पोपट । चुइणों चुइणों भोजन रंधाड्यो राम । चुइणों चुइणों भोजन रंधाड्यो राम । एक कवळ नि खाणें पायो राम , आइ गयो राम को बुलावो । लागि गयो द्वारिका री वाट राम , बणियो रे पोपट श्री राम को । चुनचुनकर महल बनाया । महल अच्छा बना । एक दिन भी रहने न पाया , मेरे राम । मेरे राम तो भगवान राम के पोपट बनकर उड़ गए । मेरे राम ने द्वारिका का रास्ता पकड़ लिया । अच्छा झूला बँधाया । मेरे राम ने , पर एक दिन भी झूलने नहीं पाये और राम का बुलावा आ गया । मेरे भगवान राम के पोपट बनकर उड़ गए । मेरे राम ने द्वारिका का रास्ता पकड़ लिया । मेरे राम ने अच्छा भोजन बनवाया , किन्तु एक कौर भी नहीं खा पाये , भगवान राम का बुलावा आ गया । वे पोपट बनकर उड़ गए और द्वारिका का रास्ता पकड़ लिया । पत्नी इस प्रकार पति की मृत्यु पर रोरो कर दुःख प्रगट करती है ।
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216 तैनूं हाल दी गल मैं लिख घलां तुरत हो फकीर तै आवना ईं किसे जोगी दा जा के बनी चेला सवाह लाके कन पड़वावना1 ईं सभो जात सफात बरबाद करके अते ठीक तैं सीस मुणावना ईं तू ही जीउंदियां दईं दीदार सानूं असां वत न जीउंदियां आवना ईं यारी तोड़ निभावनी दस सानूं वारस एह जहान छड जावना ईं
panjabi-pan
199 हीरे रूप दा कुझ वसाह नाहीं मान मतीए मुशक पलटिए नी नबी हुकम निकाह फरमा दिता रद फअनकहू मन लै जटिए नी कदी दीन असलाम दे राह टुरिए जड़ कुफर दी तिले तों पटिए नी जेहड़े छड हलाल हराम तकन विच हाविए दोजखी सटिए नी खेड़ा हक हलाल कबूल कर तूं वारस शाह बन बैठिए वहुटिए नी
panjabi-pan
बेन्या बाई आरती जी राइवर उबा राइवर उबा हे मांडप आय तम करो वो बेन्या बाई आरती जी । बईरी सासु बईरी सासु नणद पूछे बात ववड़ कोई ओ लादो आरती जी । घोड़ला लादा घोड़ला लादा मांडपड़ा रे हेट म्हारे मोरा ओ लादी डेड़सो जी घोड़ाला लादा घोड़ला मांडपड़ा रे हेट म्हारे मोरा हो लादी डेड़ सो जी । वकड झूटा ववड़ झूटा ओ झूटा रा बोल्या थारी एक टकारी आरती जी । राइवर उबा राइवर उबा मांडपड़ा रे हेट तम करो वो बेन्या बाई करो वो सुमन बाई करो वो मनीसा बाई करो वो टुइया बाई आरती जी ।
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255 जोगी हो लाचार जां मेहर कीती तदों चेलयां बोलियां मारियां ने जीभा साण चढ़ाय1 के गिरद होए जिवें तिखियां तेज कटारियां ने बेख सोहना रंग जटेटड़े दा जोग देन दियां करन त्यारियां ने जोग देन ना मूल नमाणयां नूं जिनां कीतियां मेहनतां भारीयां ने ठरक मुंडयां दे लगे जोगियां नूं मतीं2 जिन्हां दियां रब्ब ने मारियां ने वारस शाह खुशामदां3 सोहनयां दियां गलां हकदियां नांह नितारियां ने
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हार दो म्हारा लाड़ला भैरव हार दो म्हारा लाड़ला भैरव हार के कारण म्हारा सासूजी रिसाया ससरा देस्या गाळ हार दो म्हारा लाड़ला भैरव जो तू बऊपड़ हार की वो भूकी खरी रे दुपेर म्हारा मड़ मांय आ नानो सी देवर म्हारा लादा लाग्यो आयो छोटी सी नणदल म्हारी लारां लागी आई
malvi-mup
बिच्छू उतारने का मंत्र धवलिया विछु कातर वालियो , कालो विछु कातर वालियो , निलो विछु कातर वालियो , कापलियो विछु कातर वालियो , छेन्डीयो विछु कातर वालियो , लहरियो विछु कातर वालियो , जहरीयो विछु कातर वालियो , काली गाय कपन चड़ी , एक विछी खुट चड़ीयो , लाव मारी पिछे , माराती नि उतरे तो बारह हनुमान नि दुहाई , सोगन्ध माराती नि उतरे तो मारा गुरू की दुहाई , सोगन्ध माराती नि उतरे तो बारह भिलट की दुहाई , सोगन्ध ।
bhili-bhb
सात जणी का हे मां मेरी झूलणा जी सात जणी का हे मां मेरी झूलणा जी पड्या पिंजोला हरियल बाग में जी अस्सी गज का हे मां मेरी घाघरा जी उसमें कली सैं तीन सौ साठ जी पड्या पिंजोला हरियल बाग में जी
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सामण आया हे मां मेरी मैं सुण्या जी सामण आया हे मां मेरी मैं सुण्या जी हां जी कोए आई है नवेली तीज पड़ी ए पंजाली हरियाल बाग में जी ले लो बांदी पटड़ी ए झूल कोए चलो तो म्हारे साथ जी भले ए घरां की कंवर निहाल बांगां ना जाइयो बैरण झूलणै थम नै तो लाडो झूलण रा चाव झूला घला द्यां अपणै बाग में जी तेरी तो रोकी अम्मां मेरी ना रहूं जी हां जी कोए सब कोए झूलण नै जांय पड़ी ए पंजाली हरियल बाग में जी एक डस झूले बाह्मण बाणिये जी हां जी एक डस रांघड़ और राजपूत बिच बिच झूले कंवर निहालदे जी
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आज बिरज में होरी रे रसिया आज बिरज में होरी रे रसिया ॥ टेक होरी रे रसिया , बरजोरी रे रसिया ॥ आज . कौन के हाथ कनक पिचकारी , कौन के हाथ कमोरी रे रसिया ॥ आज . कृष्ण के हाथ कनक पिचकारी , राधा के हाथ कमोरी रे रसिया ॥ आज . अपनेअपने घर से निकसीं , कोई श्यामल , कोई गोरी रे रसिया ॥ आज . उड़त गुलाल लाल भये बादर , केशर रंग में घोरी रे रसिया ॥ आज . बाजत ताल मृदंग झांझ ढप , और नगारे की जोड़ी रे रसिया ॥ आज . कै मन लाल गुलाल मँगाई , कै मन केशर घोरी रे रसिया ॥ आज . सौ मन लाल गुलाल मगाई , दस मन केशर घोरी रे रसिया ॥ आज . ‘चन्द्रसखी’ भज बाल कृष्ण छबि , जुगजुग जीयौ यह जोरी रे रसिया ॥ आज .
braj-bra
हो रास्ते में पड़ गयो झील, छेल तेरे आने जाने में हो रास्ते में पड़ गयो झील , छेल तेरे आने जाने में हो तेरा बाप घर पर नहीं , छेल तेरी मय्या बुला रही सै हो मेरी अम्मां गंगा नीर , नीर के दोष लगावो मत ना हो तेरा भय्या घर पर नहीं , छेल तेरी भाभी बुला रही सै हो मेरी भाभी जमना नीर , नीर के दोष लगावो मत ना हो तेरा जीजा घर पर नहीं , छेल तेरी बहिन बुला रही सै हो मेरी बहिन कच्चा दूध , दूध के दोष लगावो ना
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16 करे आकड़ां खाके दुध चावल एह रज के खान दीयां मसतियां ने आखन देवर नाल निहाल होइयां सानूं सभ शरीकनां हसदियां ने एह रांझे दे नाल हन घयो शकर पर जीउ दा भेत न दसदियां ने रन्नां डिगदियां देख के छैल मुंडा जिवें शहद विच मखियां फसदियां ने इक तूं कलंक हैं असां लगा होर सब सुखालियां वसदियां ने घरों निकलें जदों तूं मरें भुखा भुल जाण तैनूं सभे मसतियां ने
panjabi-pan
अटकी पीरे पटवारे सैं अटकी पीरे पटवारे सैं । प्रीत पिया प्यारे सैं । निसदिन रात दरस की आसा , लगी पौर व्दारे सैं । कैसे , प्रीत बड़े भय छूटैं , संग खेली बारे सैं । विसरत नई भोत बिसराई , बसीं दृगन तारे सैं । ईसुर कात मिलैं मन मोहन , पूरव तन गारे सैं ।
bundeli-bns
ऐज डो बावोन अलम लंडा मडीवा ऐज डो बावोन अलम लंडा मडीवा ऐज डो बावोन अलम लंडा मडीवा ऐज डो बावोन अलम लंडा मडीवा हुई ऐज डो बावोन अलम लंडा मडीवा हुई स्रोत व्यक्ति परसराम पठारे , ग्राम लखनपुर
korku-kfq
जरा बेनिया डोलइहो लाल, मुझे लागि गरमी जरा बेनिया1 डोलइहो2 लाल , मुझे लागि गरमी । अलग होके सोइहो3 लाल , मुझे लागि गरमी । करवट4 होके सोइहो लाल , मुझे लागि गरमी ॥ 1 ॥ टीके की झलमल , मोतिये की गरमी । जरा बेनिया डोलइहो लाल , मुझे लागि गरमी । पयताने5 होके सोइहो लाल , मुझे लागि गरमी ॥ 2 ॥ बेसर की झलमल , चुनिये की गरमी । जरा बेनिया डोलइहो लाल , मुझे लागि गरमी । जरा पंखा डोलइहो लाल , मुझे लागि गरमी ॥ 3 ॥ बाली की झलमल , झुमके की गरमी । जरा बेनिया डोलइहो लाल , मुझे लागि गरमी । सिरहाने6 होके सोइहो लाल , मुझे लागि गरमी ॥ 4 ॥ कँगन की झलमल , पहुँची की गरमी । करबट होके सोइहो लाल , मुझे लागि गरमी । जरा बेनिया डोलइहो लाल , मुझे लागि गरमी ॥ 5 ॥ सूहे की झलमल , छापे की गरमी । जरा बेनिया डोलइहो लाल , मुझे लागि गरमी । लाड़ो के लागि गरमी ॥ 6 ॥
magahi-mag
रे गगन गरजै झिमालै बिजली रे गगन गरजै झिमालै बिजली पड़ै बुन्दिया भरैं क्यारी समै बिरखा लगै प्यारी कहां गए सेज के रसिया लगा गये एक के तकिया कहां गए बाग के माली लगा गए एक सी डाली रे गगन गरजै झिमालै बिजली पड़ै बुंदियां भरै क्यारी समै बिरखा लगै प्यारी
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सड़के सड़के जान्दिये मुटिआरे नी पु सड़के सड़के जान्दिये मुटिआरे नी कंडा चुबा तेरे पैर बांकिये नारे नी । कौन कड्डे तेरा कांडड़ा मुटिआरे नी , कौन सहे तेरी पीड़ बांकिये नारे नी । स भाबो कड्डे मेरा कांडड़ा सिपाईया वे , वीर सहे मेरी पीड़ मैं तेरी मेहरम नायों । पु खुअे ते पाणी भरेंदिये मुटिआरे नी , पाणी दा घुट पिआ , बांकिये नारे नी । स अपना भरया न दवां सिपाईया वे , लज्ज पई भर पी , मैं तेरी मेहरम नायों । पु घड़ा तेरा जे भन्न देयां मुटियारे नी , लज्ज1 करां टोटे चार , बांकिये नारे नी । स घड़ा भजे कुम्ह्यारां दा सिपाईया वे , लज्ज पट्टे दी डोर मैं तेरी मेहरम नायों । सस्स वड्डे वेले दी टोरियें सुण नूअड़िये आयियों शामां पा नी भोलीए नूअड़िये । स उच्चा लम्मा गाबरू सुण सस्सोड़िये , बैठा झगड़ा पा नी भोलिए सस्सोड़िये । सस्स ओ तां मेरा पुत्त लग्गे सुण नूअड़िये तेरा लागदा ए खौंद2 नी भोलीए नूअड़िये3 । भर कटोरा दुधे दा नी सुण नूअड़िये , जाके खौंद मना नी भोलीए नूअड़िये । पु तेरा आंदा मैं न पियाँ मुटिआरे नी , खुई वाली गल सुणा नी बांकिये नारे नी ओ । स निक्की हुन्दी नू छड्ड गया सिपाईया वे , हुण होइयां मुटिआर मैं ता तेरी मेहरम होई । सौ गुनाह मैनूं रब बख्शे सिपाईया वे , इक बख्शेंगा तू , मैं तेरी मेहरम4 होई ।
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291 कुड़ीयां वेखके जोगी दी तबाअ1 सारी घरी हसदियां हसदियां आइयां ने माए इक जोगी साडे नगर आया कन्नी उस ने मुंदरां पाइयां ने नहीं बोलदा बुरा जबान विचों भावें भिछया नहीयों पाइयां ने हथ खपरी फाहुड़ी मोढयां ते मेहर गानियां गले पहनाइयां ने अरड़ाउंदा वांग जलालियां2 दे जटां वांग मदारियां छाइयां ने ना ओह मुंडीया गोदड़ी नाथ जंगम ना उदासियां विच ठहराइयां ने परेम मतियां अखियां रग भरियां सदा गूहड़ियां लाल सुहाइयां ने खूनी बांकियां नशे दे नाल भरियां नैनां खीवियां3 सान चढ़ाइयां ने कदे संगली सुट के शगन वाचे कदे सवाह ते औंसियां पाइयां ने कदे किंग बजा के खड़ा रोवे कदे हसदे नाद घुकाइयां ने अठे पहर अलाह नूं याद करदा खैर ओसनूं पांदियां माइयां ने नशे बाझ भवां उहदियां मतियां4 ते मिरगाणीयां5 गले बणाइयां ने जटां सोंहदियां छैल उस नढड़े नूं जिवें चंद गिरदे घटां आइयां ने ना कोई मरदा ना किसे नाल लड़या नैनां उसदयां छहबरां6 लाइयां ने कोई गुरु पूरा उसनूं आन मिलया कन्न पाड़ क मुंदरां पाइयां ने वारस शाह चेला बाल नाथ दा ए झोकां7 प्रेम दियां किसे ने लाइयां ने
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472 हीर आखया जायके खोल बुकल उहदे वेस नूं फूक वखावनी हां नैनां चाड़के सान ते करां पुरजे कतल आशकां दे उते धावनी हां अगे चाक सी खाक कर साड़ सुटां उहदे इशक नूं सिकल1 चड़ावनी हां ऊहदे पैरां दी खाक हैं जान मेरी जीउ जानथी घोल घुमावनी हां मोया पया है नाल फिराक2 रांझा ईसा वांग मुड़ फेर जवावनी हां वारस शाह पतंग नूं शमा उते अग लायके वेख जलावनी हां
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भरथरी लोकगाथा का प्रसंग “रानी से चम्पा दासी के लिए विनती” अब ये दासी राहय ते रागी हौव सबझन ल किथे हा मोर बात तो तुमन सुन लौ सुन लौ बहिनी हो हा तुमन तो मोर बात सुनलव हौव भईया हो हा तुमन तो मोर बात सुनलव हौव चम्पा दासी के कोई बात नई सुनय रागी हा बस ओला फांसी में लेगेबर हौव तैयार रिथे हा एकादशी के उपास रिथे हौव छै दिन के वो खाना नई खाय राहय हा तब सब सखी सहेली , रानी सामदेवी ल किथे हा – गीत – बोले बचन मोर सखीमन , मोर सखीमन या सुन ले रानी मोर बाते ल बोले बचन मोर सखीमन , मोर सखीमन वो सुन ले रानी मोर बाते ल एकादशी के वो , ये उपासे हावय एकादशी के ना , वो उपासे हावय येदे छै दिन कुछ खाए वो , भाई येदे जी येदे छै दिन के कुछ नई खाए वो , भाई येदे जी लोटा ल देवत हे रानी हा , मोर रानी ह वो आमायेझरीबर भेजथे लोटा ल देवत हे रानी हा , मोर रानी ह वो सोनायेझरीबर भेजथे चम्पा दासी दीदी , उहाँ पहुँचत थे या चम्पा दासी दीदी , उहाँ पहुँचत थे वो येदे रोवन लागत थे वोदे वो , भाई येदे जी येदे रोवन लागत थे वोदे वो , भाई येदे जी – गाथा – चम्पा दासी के सब सखी सहेली राहय ते रागी हौव जाकर के रानी सामदेवी ल किथे हा दोनों हाथ में विनती करके किथे हौव रानी हा एकबार हमर बात रखलेव रखलेव वो ह एकादशी के उपास हे हौव छै सात दिन होगे कुछ खाए नईये हा अउ खाली पेट में ओला फांसी मत चढ़ा हौव अउ ओला गुस्सा आ जथे रागी हा धरा देथे लोटा ला हौव अउ सोनाझरी के हा तरियाबर भेज देथे हौव अब ये चम्पा दासी राहय तेन हा धिरे धिरे जा थे हौव रोवत रिथे हा – गीत – पहुंचन लागत थे दासी हा , मोर दासी हा वो सोनायेझरीबर के तीरे में , येदे तोरे में या गंगा ये मइया ल देखत थे , येदे देखय दीदी बोलन लागथे दासी हा , भाई येदे जी राजा बोलथे वो , करले अमर राजा भरथरी येदे काहथे वो , करले अमर राजा भरथरी बाजे तबला निशान , करले अमर राजा भरथरी , भाई येदे जी गंगाच मइया में उतरत थे , मोर उतरत थे वो चम्पा ये दासी ह आजे ना , येदे आजे दीदी विनती करय जल देवती के , जल देवती के वो सुमिरन करय भोलानाथ के , भाई येदे जी राजा बोलथे वो , करले अमर राजा भरथरी येदे काहथे वो , करले अमर राजा भरथरी बाजे तबला निशान , करले अमर राजा भरथरी , भाई येदे जी घुटुवा ले पानी ह आवत थे , येदे आवय दीदी माड़ी ले पानी ह आ गेहे , येदे आगे हे वो मनेमने दासी सोचत थे , येदे सोचय दीदी देखन लागथे भोला ला , भाई येदे जी राजा बोलथे वो , करले अमर राजा भरथरी येदे काहथे वो , करले अमर राजा भरथरी बाजे तबला निशान , करले अमर राजा भरथरी , भाई येदे जी – गाथा – अब ये चम्पा दासी राहय ते रागी हौव लोटा ल धर लेथे हा सोनाझरी के तीरे में पहुंच गे हौव गंगा मइया में उतरथे हा घुटुवा ले पानी आ जथे हौव ओकर बाद माड़ी तकले हा जब माड़ी तकले आथे त किथे हे भोलेनाथ हौव में तोर सामने में हौव हा तें मोरबर दया कर हौव में तोला अंचरा मे पुजहूँ हा भोलेनाथ हौव अइसे किके ओकर प्रार्थना करथे हा
chhattisgarhi-hne
538 सहती आखदी बाबला जाह आपे सैदा आप नूं वडा सदांवदा ए नाल किबर1 हंकार दे मसत फिरदा नजर तले ना किसे नूं लयांवदा ए सांहे वांगरां सिरी फिहांवदा ए अगों आकड़ां पया वखांवदा ए जा के नाल फकीर दे करे आकड़ गुसे गजब नूं पया वधांवदा ए मार नूंह दे दुख हैरान कीता अजू घोड़ी ते चढ़के धांवदा ए यारो उमर सारी जटी ना लधी रहया सोहनी ढूंढ़ ढूंढ़ावदा ए वारस शाह जवानी विच मसत रहया वकत गए ताईं पछोतांवदा ए
panjabi-pan
सुआ गीत-1 और गीत के बीचबीच में ये दुहराई जाती हैं । गीत की गति तालियों के साथ आगे बढ़ती है । तरी नरी नहा नरी नहा नरी ना ना रे सुअना कइसे के बन गे वो ह निरमोही रे सुअना कोन बैरी राखे बिलमाय चोंगी अस झोइला में जर झर गेंव रे सुअना मन के लहर लहराय देवारी के दिया म बरिबरि जाहंव रे सुअना बाती संग जाहंव लपटाय
chhattisgarhi-hne
आल्हा ऊदल पानी पीयो मद पीयों भौजी अन गौ के माँस तब ललकार सोनवा बोलल मुँगिया लौंड़ी के बलि जाओं फगुआ खेलावह मोर देवर के इन्ह के फगुआ देह खेलाय घौरै अबिरवा सिब मंदिर में केऊ तो मारे हुतका से केऊ रुदल के मैसे गाल भरल घैलवा है काँदो के देहन पर देल गिराय धोती भीं जल लरमी के पटुका भींजल बदामी वाल मोंती चूर के डुपटा है कीचर में गैल लोटाय बोले राजा बघ रुदल बाबू डेबा सुनी बात हमार रण्डी के चाकर हम ना लागीं तिरिया में रहों लुभाय भैं तो चाकर लोहा के सीता राम करे सो होय बीड़ा मँगावल पनवाँ के भर भर सीसा देल पिलाय पढि पढि मारे लौंड़ी के टिकुली टूक टूक उड़ जाय भागल लौंड़ी है सोनवा के लौंड़ी जीव ले गैल पराय लागल कचहरी इंदरमन के बँगला बड़े बड़े बबुआन ओहि समन्तर लौंड़ी पहुँचल इंदरमन अरजी मान हमार आइल रजा है बघ रुदल के डोला घिरावल बाय माँग बिअहवा सोनवा के बरियारी से माँगै बियाह है किछू बूता जाँघन में सोनवा के लावव छोड़ाव मन मन झड़खे रजा इंदरमन बाबू मन मन करे गुनान बेर बेर बरजों सोनवा के बहिनी कहल नव मानल मोर
bhojpuri-bho
बना थारो देश देख्यो नी मुलुक देख्यो बना थारो देश देख्यो नी मुलुक देख्यो , काई थारा देश की रहेवास बनड़ाजी धीरा चलो , धीरा धीरा चलो जी सुकुमार , बनड़ाजी धीरा चलो । । बनी म्हारो देश माळवो , मुलुक निमाड़ , गाँवड़ा को छे रहेवास । बनी तुम घर चलो घर चलो जी सुकुमार , बनी तुम घर चलो । । बना थारो देश देख्यो , नी मुलुक देख्यो , काई थारा देश को पणिहार । बनड़ाजी धीरा चलो , धीरा धीरा चलो जी सुकुमार , बनड़ाजी धीरा चलो । । बनी म्हारा घर घर कुवा , न चौक वावड़ी गाँव मऽ रतन तळाव । बनी तुम घर चलो जी सुकुमार , बनी तुम घर चलो । । बना थारो देश देख्यो , नी मुलुक देख्यो , काई थारा देश को जीमणार । बनड़ाजी धीरा चलो , धीरा धीरा चलो जी सुकुमार , बनड़ाजी धीरा चलो । । बनी म्हारा ज्वार तुवर का खेत घणा , घींव दूध की छे भरमार । बनी तुम घर चलो , घर चलो जी सुकुमार , बनी तुम घर चलो । । बनी थारो देश देख्यो नी मुलुक देख्यो , काई थारा देश को पेरवास । बनड़ाजी धीरा चलो , धीरा धीरा चलो जी सुकुमार , बनड़ाजी धीरा चलो । । बनी म्हारो घर भर रहेट्यो चलावण्यो , काचळई लुगड़ा को छे पेरवास , बनी तुम घर चलो , घर चलो जी सुकुमार , बनी तुम घर चलो । । बना थारो देश देख्यो नी मुलुक देख्यो , काई थारा घर को रिवाज । बनड़ाजी धीरा चलो , धीरा धीरा चलो जी सुकुमार , बनड़ाजी धीरा चलो । । बनी म्हारी काकी भाभी छे अति घणी , माताजी का नरम सुभाव । बनी तुम घर चलो , घर चलो चलो जी सुकुमार , बनी तुम घर चलो । ।
nimadi-noe
लचिका रानी बंदना रम्मा पहिलें सुमराैं सरसती मैयो हो ना रम्मा हमरा पर हुवेॅ सहैयो हो ना रम्मा सुमरौं गणपति , गणेश , चरणमो हो ना रामा नीचें सुमरौं शेषनाग देवता हो ना रम्मा सुमराैं आपनोॅ धरती धरममो हो ना रम्मा सुमराैं हम्मे सातो बहिन दुर्गा महरनियो हो ना रम्मा पकड़ी सुमराैं गुरू जी के चरनमो हो ना रम्मा जौनें देलकै हमरा गियनमो हो ना रम्मा सब्भै देवता के करौं परनममो हो ना रम्मा सुनोॅ आबेॅ लचिका के कहनियो हो ना पहिला खण्ड रम्मा सुनोॅ कथा लचिका के धरि केॅ धियानमो रे ना रम्मा बरप्पा छेलै एक नगररियो रे ना रम्मा वहाँ के राजा बड़ा शक्तिशालियो रे ना रम्मा इनकर लड़का छेलै प्रीतम सिंहो घब रे ना रम्मा सब्भै राजा में प्रसिद्धवो रे ना रम्मा अन्नधन छेलै पुरजोरिवो रे ना रम्मा लचिका छेलै प्रीतम के जानमो रे ना रम्मा देखै में छेलै खुबसुरतियो रे ना रम्मा लागै गुलाब फुलवो रे ना रम्मा रूप छेलै अनुपे रे ना रम्मा आवेॅ सुनोॅ आगू के बतियो रे ना रम्मा नौरंग सिंह के छेलै नौरंग पोखरबो रे ना रम्मा राजा के सुनी हुकुममो रे ना रम्मा आबी केॅ बोलै कुटनी बुढ़ियो रे ना रम्मा हम्में लानी देभौं लचिका रनियाँ रे ना रम्मा पान बीड़ा खैलके कुटनी बुढ़िया रे ना रम्मा बुढ़िया धरलकै रसतवो रे ना रम्मा जाय पहुँचलै वरप्पा नगरियो रे ना रम्मा करलकै राजा बड़ी इन्तजामवो रे ना रम्मा संगोॅ में सब पलटनमो रे ना रम्मा पहुँची गेलै वरप्पा पोखरियो रे ना रम्मा बुढ़िया गेलै लचिका के भवनमो रे ना रम्मा लचिका सें करै छै बतियो रे ना रम्मा हम्में छेकियौ तोरोॅ मौसियो रे ना रम्मा बुढ़िया बोलै मीठी बोलियो रे ना रम्मा लचिका सुनी देलकै जबबो रे ना रम्मा मैया छेलै हमरोॅ अकेलवो रे ना रम्मा दोसरोॅ कोनो नहीं बहिनियो रे ना रम्मा कैसें लागभैं तों हमरोॅ मौसीयो रे ना रम्मा तबेॅ बोलै कुटनी बुढ़ियो रे ना रम्मा सुनें बेटी हमरोॅ बतियो रे ना रम्मा जहिया होलौ तोरोॅ जनममो रे ना रम्मा वही दिनां होलै हमरोॅ गौउनमो रे ना रम्मा जहिया सें गेलियै ससुररियो रे ना रम्मा नाहीं एैलियै नैहरवो रे ना रम्मा होलौ जबेॅ तोरोॅ विहववो रे ना रम्मा नै देलकौ तोरो माय नेवतो लियवनमो रे ना रम्मा तोड़ी देलकौ हमरा सें नतवो रे ना रम्मा जानभैं कैसें तों हमरोॅ हलवो रे ना रम्मा कैसें करभैं पहचनमो रे ना रम्मा पूछले ऐलां तोहरोॅ नगरियो रे ना रम्मा तोरा सें करैलेॅ मुलकतवो रे ना रम्मा हम्में तोरोॅ मौसियो रे ना रम्मा मानी लेहै हमरोॅ तों सत बचनमो रे ना रम्मा तोरोॅ ससुर के नौ रंग पोखरियो रे ना रम्मा मनोॅ में लागलोॅ ललसवो रे ना रम्मा देखै लेॅ ऐलां सुनी केॅ नममो रे ना रम्मा सुनी लचिका भेलै मगनमो रे ना रम्मा करेॅ लागलै मौसी के आदर सतकरबो रे ना रम्मा कुटनी बुढ़ियाँ के मनोॅ मे भेलै खुशियो रे ना रम्मा एक दिन कहै कुटनी बुढ़ियो रे ना रम्मा सुनें बेटो लचिका हमरोॅ बतियो रे ना रम्मा तोहरोॅ छौ नौ रंग पोखरियो रे ना रम्मा हमरा देखाय दे भरी नजरियो रे ना रम्मा चली केॅ हमरा संगवो रे ना रम्मा तबेॅ पूरा होतै हमरोॅ अरमनमो रे ना रम्मा लचिका कहै मौसी सें बतियो रे ना रम्मा सुनें हमरोॅ बतियो रे ना रम्मा हम्मे पूछि आवै छियौ आपनोॅ सासू सें रे ना रम्मा तबेॅ लैके जैवौ पोखरियो रे ना रम्मा इ बात बतिया कही के लचिका गेलै सासू के पासबो रे ना रम्मा हाथ जोड़ी करै बतियो रे ना रम्मा सुनोॅ माय जी हमरोॅ बतियो रे ना रम्मा आजु दिना छेकै एतबरबो रे ना रम्मा सुरूजोॅ केॅ देवै अरगबो रे ना रम्मा हमरा तों देॅ हुकुममो रे ना रम्मा हम्में जैबै नाहैलेॅ पोखरियो रे ना रम्मा लचिका के सुनी बचनमो रे ना रम्मा सासु कहै पूतौहो सें बचनमो रे ना रम्मा पोखरिया के पानी बड़ा खरबवो रे ना रम्मा कादोॅ कीचड़ सें भरलोॅ पोखरबो रे ना रम्मा कैसंे जैभो पोखिरिया असनानमो रे ना रम्मा ठंडा लागी पोखरिया के पनियो रे ना रम्मा ऐगंना में खोदाई देभौं वारह कुपबो रे ना रम्मा रेशम के लानी देबाैं डोरियो रे ना रम्मा नहीं देलकै साँसू हुकुममो रे ना रम्मा तबेॅ भै गेलै रानी लचिका उदसवो रे ना रम्मा चल्लो गेलै ससुर जी के पसबो रे ना रम्मा जाय केॅ बोललै हलवो रे ना रम्मा ससुरें दै देलकै हुकुमो रे ना रम्मा तबेॅ गेलै स्वामी जी के पासवो रे ना रम्मा नहीं देलकै स्वामी हुकुममो रे ना रम्मा माथा पर चढ़लै शैतनमो रे ना रम्मा नहीं मानलकै केकरो कहनमो रे ना रम्मा चल्लोेॅ गेलै पोखरिया असननमो रे ना रम्मा कुटनी के फेरोॅ में पड़लै रानी लचिको रे ना रम्मा फिरी गेलै लचिका के मतिया रे ना रम्मा कुटनी बुढ़ियाँ के दागाबजियो रे ना रम्मा भेद कुछु नहीं जानलकै रानी लचिको रे ना रम्मा लड़का छोड़ी देलकै घरवो रे ना रम्मा सुतलोॅ पलंग के उपरबो रे ना रम्मा लै लेलकै आपनोॅ कपड़वो रे ना रम्मा चल्लोॅ गेलै कुटनी के संगबो रे ना रम्मा पोखरिया में करै लेॅ असननमो रे ना रम्मा आवे सुनो पोखरियाँ के बचनमो रे ना रम्मा वहाँ बैठलोॅ रहै पापी जयसिंह राजवा रे ना रम्मा मनोॅ में सौचै बतियो रे ना रम्मा आजु दिना मिली जैतै रानी लचिको रे ना रम्मा लचिका एैले पोखर किनरवो रे ना रम्मा दतवन करेॅ लागलै पोखर किनरवो रे ना रम्मा कपड़ा गहनमा खोली धरै घटवा भीतरबो रे ना रम्मा लचिका नहावेॅ लागलै घटवो रे ना रम्मा कुटनी बुढ़िया देलकै राजा के ईशरवो रे ना रम्मा राजा जबेॅ देखलकै ईशरवो रे ना रम्मा साथे लैके सिपहिया लशकरवो रे ना रम्मा आवी पहुँचलै पोखरियाँ ऊपरवो रे ना जतना छेलै सेना लश्करवो रे ना रम्मा घेरी लेलकै आवी केॅ पोखरियो रे ना रम्मा लचिका जबेॅ देखलकै हलवो रे ना रम्मा भागि केॅ छिपलै मंदिरवो रे ना रम्मा जबेॅ सुनलकै नौरंग सिंह खबरवो रे ना रम्मा लचिका घेरैली पोखरबो रे ना रम्मा घेरलकै आवी केॅ दुश्मनमो रे ना रम्मा मथवा धुनै कहै बचनमो रे ना रम्मा बहुएं नहीं मानलकै कहनमो रे ना रम्मा पोखरिया पर गेलै करिकेॅ हठबो रे ना रम्मा पड़ी गेले दुश्मन के हथवो रे ना रम्मा होय गेलै बड़ी मुश्किलवो रे ना रम्मा एतना कही केॅ बचनमो रे ना रम्मा देलकै पलटन के हुकुममो रे ना रम्मा एैलै दुश्मन पोखरियो रे ना रम्मा होय जायकेॅ जल्दी तैयरवो रे ना रम्मा सुनी केॅ जयसिंह के बतियो रे ना रम्मा पलटन सजलकै आरू हथियो रे ना रम्मा चल्लै पोखरिया पर पटलनमो रे ना रम्मा साथो में चललै प्रीतम सिंहबो रे ना रम्मा पोखरिया पर पहुँचे फौजियो रे ना रम्मा दोनों दलोॅ के भेलै भिड़नमो रे ना रम्मा चलेॅ लागलै तीर तलबरवो रे ना रम्मा हुवै लागलै घमासान लड़ैयो रे ना रम्मा बहै लागलै लहुवो के धरबो रे ना रम्मा घोर लड़ैया होलै चार पहरवो रे ना रम्मा जयसिंह पोखरियो रे ना रम्मा पलटन के देखी हलवो रे ना रम्मा प्रीतम सिंह लड़े आबी केॅ अगुओ रे ना रम्मा करलकै धमासान लड़ैयो रे ना रम्मा लड़तेंलड़तें तेजलकै परनममो रे ना रम्मा रहि गेलै नौरंग सिंहवा अकेल्ले रे ना रम्मा सुनिकेॅ हाल होले बेहलबो रे ना रम्मा फेनू धीरज धरलकै मनमो रे ना रम्मा घोड़ा वृजवाहन पर सबरबो रे ना रम्मा लड़ैलेॅ चललै होयकेॅ तैयरवो रे ना रम्मा पहुँची गेलै पोखरिया उपरवो रे ना रम्मा आबी केॅ लड़ेॅ लागलै नौरंग सिंहबो रे ना रम्मा करिकेॅ लड़ाय धमसनमो रे ना रम्मा दस बीस के काटै गरदनमो रे ना रम्मा एतनै में एैललै एक वीरवो रे ना रम्मा पीछू सें मारि देलकै तेगवो रे ना रम्मा नौरंग सिंह के कटी गेलै गरदनमो रे ना रम्मा धरती पर गिरी तेजलकै परनमो रे ना रम्मा होलै नाश नौरंग सिंह के दलवो रे ना रम्मा दुश्मन केॅ होलै खुशी हलवो रे ना रम्मा चारो ओर मचलै जै जै करबो रे ना रम्मा दुश्मन दल के भीतरवो रे ना
angika-anp
मैं नाहीं दधि खायौ मैया मैं नाहीं दधि खायौ , मोय झूठो दोष लगायौ ॥ टेक ॥ ये ग्वालन जुरिमिलि के मैया , मोकू नाच नचाती हैं । दे दे तारी हँसे और मोय बकनी बात सिखाती हैं ॥ लीनौ पकरि मोय वन वन में जो कहुँ अकेलौ पायौ ॥ मैया . जो मैं आयो भाजि तो मैया ये मन में खिसियाती हैं । तंग कराइबे मोकू ये झूठौ उरहानौ लाती हैं ॥ इनके संग तनकहू मैंने ऊधम नहीं मचायौ ॥ मैया . जो तू मानें झूठ पूछ लैं मनसुख मेरौ गवाही है । कब लूटौ मैंने दधि इनको झूठी बात बनाई है ॥ हैं मदमाती ज्वानी में ये अपनों ऐब छिपायौ ॥ मैया . कैऊ दिना या चिमिचिमयाने मैया मोकूँ मारौ है । पूछ ले याते मैया तू अरी मैंने कहा बिगारौ है । ‘घासीराम’ ने दंगल में रसिया ये कथिके गायौ ॥ मैया .
braj-bra
15 रांझा आखदा भाबियो वैरनो नी तुसां भाइयां नालों विछोड़या जे खुशी रूह नूं बहुत दिलगीर करके तुसां फुल गुलाब दा तोड़या जे सके भाइयां नालों विछोड़ मैंनूं कंडा विच कलेजे दे पोड़या जे भाई जिगर ते जान सां असीं अठे वखो वख न चाए विछोड़या जे नाल वैर दे रिकतां छेड़ भाबी , सानूँ पिटणा होर चमोड़िया जे जदों साफ हो टुरनगियां वल जन्नत वारस शाह दी सांग न मोड़या जे
panjabi-pan
ऐ माय डो ऐ माय डो माय ऐ माय डो ऐ माय डो माय इंज सेनेवा चारी कोना तीरथो बारेन डो सेने बोले ऐ कोन जा ऐ कोन आमानी उरगा टालान गंगा जमुना डो सुबान केरे ऐ कोन जा ऐ कोन चारी कोना चोजा सांटी चारी कोना तीरथो बारेन डो सेने बोले ऐ कोन जा ऐ कोन अमानी उरागेन गंगा जमुना डो सुबान केरे स्रोत व्यक्ति गंगू बाई , ग्राम टेमलावाड़ी
korku-kfq
43 रांझे आखया पार लंघा मियां मैनूं चाढ़ लै रब्ब दे वासते ते असीं रब्ब की जाणदे भैण भाड़ा बेड़ा ठेहलदे लब्ब दे वासते ते असां रिज़क कमावना नाल हीले बेड़ा खिंचदे ढब्ब दे वासते ते हथ जोड़के मिन्नतां करे रांझा तरला करां मैं झब्ब दे वासते ते वारस रूस आया नाल भाइयां दे मिन्नतां करां सबब दे वासते ते
panjabi-pan
ननदिया माँगे फुलझड़ी हे, हम न देवइ ननदिया माँगे फुलझड़ी हे , हम न देवइ1 । झलाही2 माँगे मोती लड़ी हे , हम न देवइ ॥ 1 ॥ राजाजी , सोवे कि जागे हे , हम न देवइ । अप्पन3 बहिनी के बरजू4 हे , हम न देवइ ॥ 2 ॥
magahi-mag
हठ पर गई गौरा नार हठ पर गई गौरा नार , महादेव मढ़िया हमें बनवाय दियो । काहे की मढ़िया बनवाई , काहे के कलश धराये । हमें . . . चूना ईंटा की मढ़िया बनाई , सोने के कलश धराये । हमें . . . कै जोजन मढ़िया बनी औ कै जोजन विस्तार महादेव । हमें . . . नौ जोजन मढ़िया बनी औ दस जोजन विस्तार महादेव । हमें . . . को मढ़िया में बैठयों औ कौना करे विस्तार महादेव । हमें . . . गौर मढ़िया में बैठिहे औ भोला करे विस्तार महादेव । हमें . . .
bundeli-bns
नौमण सौंठ, सवामण अजमो नौमण सौंठ , सवामण अजमो येंई धमाधम खांडो पियाजी कोई लोग सुणेगा सासू सुणेगा , तो दौड़ियादौड़िया आवेगा दौड़ियादौड़िया आवेगा , तो ललना खिलावेगा ललना खिलावेगा , तो दिन दस रेगा दिन दस रेगा , तो घणोघणो खावेगा जापो बिगाड़ी घर जावेगा पियाजी कोई लोग सुणेगा माता सुणेगा , तो दौथ्ड़यादौड़िया आवेगा दौड़ियादौड़िया आवेगा , तो ललना खिलावेगा ललना खिलावेगा , तो दिन दस रेगा दिन दस रेगा , तो थोड़ाथोड़ा खावेगा जापो सुधारी घर जावेगा जेठानी सुणेगी , तो दौड़ियादौड़िया आवेगा दौड़ियादौड़िया आवेगा , तो फूंको धरेगा फूंको धरेगा , तो नेग मांगेगा जापो बिगाड़ी ने घर जावेगा काकी सुणेगा , तो दौड़ियादौड़िया आवेगा जापो सुदारी ने घर जावेगा देराणी सुणेगा , तो दौड़ियादौड़िया आवेगा दौड़ियादौड़िया आवेगा , तो रसोई निपावेगा दिन दस रेगा , खाट बिछावेगा नेग लई ने जापो बिगाड़ेगा जापो बिगाड़ी ने घर जावेगा भाभी सुणेगा , तो दौड़ियादौड़िया आवेगा जापो सुदारी ने घर जावेगा नणंद सुणेगा , तो दौड़ियादौड़िया आवेगा जापो सुदारी ने धर जावेगा । नणंद सुणेगा , तो दौड़ियादौड़िया आवेगा दौड़ियादौड़िया आवेगा , तो सांतीपूड़ा लावेगा नेग लई ने जापो बिगाड़ेगा बेन आवेगा , तो जापो सुदारेगा पड़ोसण सुणेगा , तो दौड़ियादौड़िया आवेगा आवेगा तो मंगल गावेगा पेड़ा मांगी ने घर जावेगा सखियां सुणेगा , तो दौड़ी आवेगा जापो सुदारेगा ।
malvi-mup
262 बाल नाथ दे साहमणे सद धीदो जोग देन नूं पास बहालया सू रोड मोड होया सवाह मली मुंह ते सब कोड़मे दा नाम गालया सू कन्न पाड़ के झाड़ के हिरस हसरत इक पलक विच मुन्न वखालया सू जहे पुतरां ते बाप मेहर करदे जापे दुध पिलाइके पालया सू सवाह अंग रमा सिर मुन्न दाढ़ी पा मुंदरां चा नहवालया सू खबरां कुल जहान विच खिंड गइयां रांझा जोगड़ा साज वखालया सू वारस शाह मियां सुनयार वांगू जट फेर मुड़ भन के गालया सू
panjabi-pan
झिमरी-झिमरी डा नी बारेन झिमरीझिमरी डा नी बारेन घामावा जा सारावेन बेटा झिमरीझिमरी डा नी बारेन घामावा जा सारावेन बेटा उनरी ऊसरी बाकी चूचूम गांगा ऐली आयोम उनरी ऊसरी बाकी चूचूम गांगा ऐली आयोम ताला आरागे चूचूम कू गांगा ऐली आयोम ताला आरागे चूचूम कू गांगा ऐली आयोम कुलड़ा झूरी लिवीच लोकेच आसुड़े कुलड़ा झूरी लिवीच लोकेच आसुड़े आमा जापाय ऊरागा तालाटेन आमा जापाय ऊरागा तालाटेन केने केरसा डोडो वाजा सारावेन बेटा केने केरसा डोडो वाजा सारावेन बेटा सोना लकड़ी खांडा ऐजा सारावेन बेटा गाडा किनारे सोना लकड़ी खांडा ऐजा सारावेन बेटा गाडा किनारे इडी के कुजा सारावेन बेटा सोना कोरी खांडा मारे इडी के कुजा सारावेन बेटा सोना कोरी खांडा मारे स्रोत व्यक्ति नन्हेलाल , ग्राम झल्लार
korku-kfq
नगरकोट में बासा राणी नगरकोट में बासा राणी तेरे कला कुल जग नै जाणी कथा बखाणै बिरमा ज्ञानी दुआरे तेरे पीपल री खड़ी मुगला उतर्या सतलज नदी सूती हो उठ री नदी लौकड़ लहीं खड्या है झंडी जिब जाला नै चकर चलायी फौज मुगल की काट बगाई मुगल कहै मन्नै बकसो माई जिब जाला की करी चढ़ाई खीर खांड के थाल भराए धजा नारियल लेकर आये मुगला भेंट ले कै री आया जिब लौकड़ नै कथा सुनाई सूती उठ जाग री माई मुगल भेंट भवन तेरे में लहें री खड़ा धजा नारियल भेंट चढ़ाई लौकड़िया तेरे अगवाणी खड़ा
haryanvi-bgc
अंगिका फेकड़ा ओरे रे नूनू ओर बटना माय बाप गेलोॅ छौ चिचोर कटना बाप जिमिदरबा घोड़वा पर माय जिमिदरनी डोलवा पर पैला में चूड़ा मचक मारै छै सीका पर दही हिलोड़ मारै छै । नूनू के जुठकुट के खाय ? बाबू खाय । बाबू के जुटकूट के खाय ? भैया खाय । भैया के जुठकूट के खाय ? भौजी खाय । भौजी के जुठकूठ के खाय ? कुतवा खाय । कुतवा के जुठकुठ के खाय ? कौआ खाय । कौआ के जुठकुठ के खाय ? धरती खाय । ओरे रे नूनू ओर बटना माय गेल छौं कूटेॅ पीसेॅ बाप गाड़ीमान दादा गेलोॅ छौं बाँस काटेॅ दादी हलुमान फूफू तेॅ छेकौ लुबड़ी पानी पियै के तुमड़ी साँझै घूरी केॅ एथौं नूनू भर अैंगना । चॉन मामू आरे याबोॅ वारे याबोॅ नदिया किनारे आवोॅ चंपा केला , सुरका चूड़ा भैंसी के दही लेलेॅ आवोॅ , लेलेॅ आवोॅ नूनू रोॅ मुँहोॅ में घुटुस । सूतेंसूतें रे नूनू ओर बटना माय गेलै कूटेॅ पीसेॅ , बाप खलिहान चाचा गेलै छप्पर छारेॅ चाची के दुखैली कान । सूतेॅसूतेॅ रे नूनू सुतौनी देबौ दालभात तोहरा खबौनी देबौ ।
angika-anp
पलंग सुतल तोहे पियवा, और सिर साहेब हे पलंग सुतल तोहे पियवा , और सिर साहेब हे । पियवा बगिया तू एगो लगइत , टिकोरवा हम चिखती1 हे ॥ 1 ॥ पलंग सुतल तोंहे धानी , त सुनहऽ बचन मोरा हे । धानी , तुहुँ एगो बेटवा बियतऽ सोहर हम सुनती हे ॥ 2 ॥ एतना बचन जब सुनलन , सुनहु न पवलन हे । धनि , सुतलन गोड़ेमुड़े2 तान सुतल गज ओबर हे ॥ 3 ॥ मोर पिछुअरबा सोनार भइया , तोही मोरा हित बसे हे । भइया , धनियाँ ला3 गढ़ि देहु कँगना , धनि के पहिरायब हे ॥ 4 ॥ काँख जाँति लिहले कँगनमा , त धनि के मनावल हे । धनिया के जाँघ बइठावल , हिरदय लगावल हे ॥ 5 ॥ धनि हे , छाँड़ि देहु मन के बिरोध , पहिर4 धनि काँगन हे ॥ 6 ॥ एही कँगना रउरे माई पेन्हथ5 अउरी बहिन पेन्हथ हे । पिया ओहे दिन सेजरिया के बात , करेजा मोरा सालए हे ॥ 7 ॥ मारलहऽ ए पियवा , मारलहऽ तीखे कटरिया से हे । पियवा रउरे बात साल हे करेजवा , कँगनमा कइसे पहिरी हे ॥ 8 ॥
magahi-mag
इतनो करि काम हमारो हमारो हो , इतनो करि काम हमारो २ कानसराई और गिंजाई की बारी बनवा देना मगरमच्छ का हँसला झूमै , चंद्रमा जड़वा देना काँतर की मोइ नथ गढ़वाय दै , जामे लटकै बिच्छू कारो हो इतनो करि काम हमारो अंबर की मोइ फरिया लाय दै , बिजुरी कोर धरा देना जितने तारे हैं अंबर में , उतने नग जड़वा देना धरती को पट करों घाघरो , शेषनाग को नारो हो इतनो करि काम हमारो छत के ऊपर अट्टे के नीचे , चौमहला बनवा देना बिन पाटी और बिन सेरये के , पचरंग पलँग नवा देना दिन में जापै बूढ़ो सोवै , राति कों है जाइ बारो हो इतनो करि काम हमारो
braj-bra
नणन्द भावज का था प्यार दोनों रल कातती नणन्द भावज का था प्यार दोनों रल कातती काढो नणन्द लाम्बे लाम्बे तार दोनों रल बतलावती जै नणन्दल हो जायगी धी दयांगे गल का झालरा जै नणदल हो ज्यागा पूत दयांगे री जगमोतियां दर्द ऊठे आधी रात सुरत सुरत गई नणन्द मैं नाई बेटा बेग बला ल्यादे रे मेरी नणन्द नै कै रै नेाई के बात क्या मिस आ गया थारे जीजी होया सै भतीजा तनै लेण आ गया उठी नणन्द आधी रात ने दिन लिकाड्या आपणे देस मैं देख नणन्द जी का रूप भावज मेरी हंस पड़ी आरी नणन्द मेरी बैठ मूढ़ा री घालूं बैठण नै मुड़ तुड़ लागूं तेरे पाएं भतीजा तेरी गोद मैं ले ल्यो नणन्द गल का झालरा लिखो कोले साथियां झालरे ने पहरै मेरी भावज ल्यांगे री जगमोतियां लै ल्या नणन्द हार सिंगार लिखो री कोले साथियां सिंगार करैगी मेरी भावज ल्यांगें री जगमोतियां ले ल्यो नणन्द रूंढी भैंस लिखो कोले साथियां रूंढी ने दुवै मेरा भाई ल्यांगे री जगमोतियां ले ल्यो नणन्दल ठाडी घोड़ी लिखो कोले साथियां घोड़ी पै चढ़ैगा मेरा बाबल ल्यांगे री जगमोतियां ले ल्यो नणन्दल धौले नारे लिखो कोले साथियां नार्यां ने जोड़े मेरा बीर ल्यांगे री जगमोतियां जलाओ हठीली का बीर , हठीली हठ कर रही तड़क धड़क बोल्या सै बीर दे दे नै जगमोतियां जीओ मेरी मां का जाया बीर मेरा री मन राखियां बीरा मेरा री घर का सेर , भावज घर की कूतरी बीरा मेरा सिर का मोड़ , भावज मेरी पांयां खौंसड़ी
haryanvi-bgc
36 दाहड़ी शेख़ दी अमल शैतान वाले केहा राणयो जांदयां राहियां नूं अगे कढ कुरान ते बहे मिंबर केहा अडयों मकर दीयां फाहियां नूं इह पलीत ते पाक दा करो वाकफ असीं जाणीए शरह गवाहियां नूं जिहड़ी थाउं नापाक लै विच वड़यों शुकर रब्ब दीयां बेपरवाहियां नूं वारस शाह विच हुजरियां फैल1 करदे मुलां लावंदे जोतरे वाहियां नूं
panjabi-pan
तोरे नैनाँ हैं मतवारे तोरे नैनाँ हैं मतवारे , तन घायल कर डारे । खन्जन खरल सैल से पैने , बरछन से अनयारे । तरबारन सें कमती नइँयाँ , इनसे सबरे हारे । ईसुर चले जात गैलारे । टेर बुलाकें मारे ।
bundeli-bns
कउने नगर ले खातू मंगाए हो कउने नगर ले खातू मंगाए हो कउन नगर गर बीजे हो माय ओ मय्या कउन नगर गर बीजे हो माय कउने नगर ले खातू मंगाए हो कउन नगर गर बीजे हो माय ओ मय्या कउन नगर गर बीजे हो माय अहा गढ़ हिंग्लाजे ले खातू मंगाए हो गढ़ नरहूर गर बीजे हो माय ओ मय्या गढ़ नरहूर गर बीजे हो माय कउने ह लाए मय्या खातू अउ माटी हो कउन ह लाए बा के बीजे हो माय ओ मय्या कउने लाए बा के बीजे हो माय अहो पंड़वा ह लाए मय्या खातू अउ माटी हो उहीमन लाए बा के बीजे हो माय ओ मय्या उहीमन लाए बा के बीजे हो माय कउने बनाये मय्या तोरे फुलवरिया कउन ह बोये बा के बीजे हो माय ओ मय्या कउन ह बोये बा के बीजे हो माय अहो लंगुरा बनाये मय्या तोरे फुलवरिया पंड़वामन बोये बा के बीजे हो माय ओ मय्या पंड़वामन बोये बा के बीजे हो माय काहिन के मय्या कलसा बनाये हो काहे के दियना जलाए हो माय ओ मय्या काहे के दियना जलाए हो माय अहो दामी के मय्या कलसा बनाये हो सुरहिन घीव के दियना जलाए हो माय ओ मय्या सुरहिन घीव के दियना जलाए हो माय कउन चघे हे नवरात हो मय्या कउने करे हे रखवारे हो माय ओ मय्या कउने करे हे रखवारे हो माय अहो पंड़वा चघे हे नवरात हो मय्या मोर लंगुर करे हे रखवारे हो माय ओ मय्या लंगुर करे हे रखवारे हो माय अहो तोरे सरन मा हम आयेहन मय्या मोर बेड़ा लगा देबे पारे हो माय ओ मय्या बेड़ा लगा देबे पारे हो माय ओ मय्या बेड़ा लगा देबे पारे हो माय ओ मय्या बेड़ा लगा देबे पारे हो माय
chhattisgarhi-hne
दँतवा लगवलूँ हम मिसिया, नयन भरि काजर हे दँतवा लगवलूँ हम मिसिया , नयन भरि काजर हे । डंटी1 भर कयलूँ सेनुरबा , बिंदुलिया से साटि लेलूँ हे ॥ 1 ॥ सेजिया बिछयलूँ हम अँगनमा से फूल छितराइ देलूँ हे । रसेरसे बेनिया डोलयलूँ , बलम गरे2 लागलूँ हे ॥ 2 ॥ हम नहीं जानलूँ मरमिया से सुखे नीने3 सोइलूँ4 हे । रसेरसे मुँह पियरायल , जीउ फरियायल5 हे ॥ 3 ॥ आयल मास असाढ़ से दरद बेयाकुल हे । अँगनो न देखियइ बलमु जे , कइसे बचत बाला6 जीउ हे ॥ 4 ॥ ओने से अयलन ननदिया , बिहँसि बोल बोलथि हे । भउजो तोरो होतो आजु नंदलाल लहसि सोहर गायब7 हे ॥ 5 ॥ हाथ में लेबो कँगनमा8 गले मोहरमाला लेबो हे । पेन्हें के लेबो हम पीताम्बर , लहसि सोहर गायब हे ॥ 6 ॥ हम जे जनतों एतो पीरा9 होयतो , अउरो दरद होयतो हे । भुलहुँ न सामी सेज जइतूँ , न बेनियाँ डोलयतूँ हे ॥ 7 ॥ आधी रात बीतलइ , पहर राती अउरो पहर राती हे । जलमल10 सीरी भगमान , महल उठे सोहर हे ॥ 8 ॥
magahi-mag
जो दिल तेरा सो मेरा रे नइहर वाली जो दिल तेरा सो मेरा रे नइहर वाली , मेरा रे अब्बा वाली ॥ 1 ॥ तेरे कारन लाड़ो दिल्ली भी जायँगे । अरे , टीके का करु1 बनिजार2 रे नइहर वाली । मोतिये का करु बनिजार रे नइहर वाली । जो दिल तेरा सो , मेरा रे नइहर वाली , मेरा रे भइया वाली ॥ 2 ॥ तेरे कारन लाड़ो दिल्ली भी जायेंगे । अरे , बेसर3 का करु बनिजार रे नइहर वाली । चुनिये4 का करु बनिजार रे नइहर वाली । जो दिल तेरा सो मेरा रे नइहर वाली , मेरा रे भइया वाली ॥ 3 ॥
magahi-mag
कैसे के दर्शन पाऊ मैया तोरी सकरी दुअरिया कैसे के दर्शन पाऊं मैया तोरी सकरी दुअरिया । सकरी दुअरिया , मैया चंदन किबरियां । कैसे . . . मैया के दुआरे एक कन्या पुकारे दे दो वर घर जाऊं री , मैया तोरी सकरी दुअरिया । मैया के दुआरे एक बालक पुकारे दे दो विद्या घर जाये रे , मैया तोरी सकरी दुअरिया । मैया के दुआरे एक निर्धन पुकारे दे दो धन घर जाये रे , मैया तोरी सकरी दुअरिया । मैया के दुआरे एक बांझन पुकारे देव बालक घर जाये री , मैया तोरी सकरी दुअरिया । मैया के दुआरे एक भक्त पुकारे दे दो दर्श घर जाये रे , मैया तोरी सकरी दुअरिया ।
bundeli-bns
122 फलहे कोल जिथे मंगू बैठदा सी ओथे चाल हैसी घर नाइयां दा मिठी नाएण घरां संदी खसमनी सी नाई कम करदे फिरन साइयां दा घर नाइयां दे हुकम रांझने दा जिवें साहुरे हुकम जवाइयां दा चा भा मिठी फिरन वालयां दी बाग खुलदा1 लेफ तुलाइयां दा मिठी सेज वछाई के फुल पूरे उते आंवदा कदम खुदाइयां दा दोवं हीर रांझा रातीं करन मौजां मझीं खान खढ़ियां सिर साइयां दा घड़ी रात रहिंदी हीर घर जांदी रांझा भाउ पुछांवदा धाइयां दा आपो अपनी कार विच रुझ जांदे बूहा फेर ना देखदे नाइयां दा
panjabi-pan
गुजरती माय डो गुजरती माय मारे गुजरती माय डो गुजरती माय मारे गुजरती माय डो गुजरती माय मारे मा डो खोकनार ऊरान टूटा ऊरान जोड़ा टियेन मा डो खोकनार ऊरान टूटा ऊरान जोड़ा टियेन गुजरती बेटा जो गुजरासा बेटा मारे गुजरती बेटा जो गुजरासा बेटा मारे बेटा आमका सान्टी टूटा ऊरान जा जूड़ा टिये बेटा आमका सान्टी टूटा ऊरान जा जूड़ा टिये गुजरती माय डो गुजरती माय मारे गुजरती माय डो गुजरती माय मारे माय डो खोकनार ऊरान टूटा ऊरान जोड़ा टियेन माय डो खोकनार ऊरान टूटा ऊरान जोड़ा टियेन स्रोत व्यक्ति अनिता , ग्राम भोजूढाना
korku-kfq
बाजा है नघारा रणजीत का है बाजा है नघारा रणजीत का है जणू हाक्यम आया । अपणी सीमा ना छोड़ कै हे म्हारी सीमी आया अपणी बेबे न छोड़ के हे म्हारे ब्याहवण आया ।
haryanvi-bgc
पठिया बोझिलेॅ नैया बीच धार आवै हे पठिया बोझिलेॅ नैया बीच धार आवै हे वही देखी कोसिका खलखल हाँसै हे हँसै बड़ेला भाई मुँहखड़ा हे पनमा हम नै जानलियै कोसी माय तोरोॅ नैया हे आवै लड्डुवा बोझैली नैया बीच धार आवै हे वही देखी कोसी मैया खलखल हाँसै हे हँसै बड़ेला भैया मुँह खड़ा हे पनमा हम नै जानलियौ कोसी माय तोरोॅ नैया हे आवै ।
angika-anp
यारी होत मजा के लानैं यारी होत मजा के लानैं । जो कोउ करकैं जानैं । बड़े भाग से यार मिलत है । सौंरी सी पैचाने । नाव लेत रैंदास चले गये । कुज्जा भई दिमानें । ईसुर कात बिना यारी के , जिउ ना लगत ठिकानें ।
bundeli-bns
तेरे घर में घुस गए चोर तेरे घर में घुस गए चोर , गांधी दीवा दिखाइए रे । तेरे तो भाई गांधी टोपी आले , ये टोप आले कौण , गांधी दीवा दिखाइए रे । तेरे तो भाई गांधी धोती आले , ये पतलून आले कौण , गांधी दीवा दिखाइए रे । तेरे तो भाई गांधी लाठी आले , ते बंदूख आले कौण , गांधी दीवा दिखाइए रे ।
haryanvi-bgc
आल्हा ऊदल लागल कचहरी जब आल्हा के बँगला बड़ेबड़े बबुआन लागल कचहरी उजैनन के बिसैनन के दरबार नौ सौ नागा नागपूर के नगफेनी बाँध तरवार बैठल काकन डिल्ली के लोहतमियाँ तीन हजार मढ़वर तिरौता करमवार है जिन्ह के बैठल कुम्ह चण्डाल झड़ो उझनिया गुजहनिया है बाबू बैठल गदहियावाल नाच करावे बँगला में मुरलिधर बेन बजाव मुरमुर मुरमुर बाजे सरंगी जिन्ह के रुन रुन बाजे सितार तबला चटके रस बेनन के मुखचंद सितारा लाग नाचे पतुरिया सिंहल दीप के लौंड़ा नाचे गोआलियरवाल तोफा नाचे बँगला के बँगला होय परी के नाच सात मन का कुण्डी दस मन का घुटना लाग घैला अठारह सबजी बन गैल नौ नौ गोली अफीम चौदह बत्ती जहरन के आल्हा बत्ती चबावत बाय पुतली फिर गैल आँखन के अँखिया भैल रकत के धार चेहरा चमके रजवाड़ा के लड़वैया शेर जवान अम्बर बेटा है जासर के अपना कटले बीर कटाय जिन्ह के चलले धरती हीले डपटै गाछ झुराय ओहि समन्तर रुदल पहुँचल बँगला में पहुँचल जाय देखल सूरत रुदल के आल्हा मन में करे गुनान देहिया देखें तोर धूमिल मुहवाँ देखों उदास
bhojpuri-bho
हमखों बिसरत नई बिसारी हमखों बिसरत नई बिसारी , हेरन हँसन तुमारी । जुबन बिसाल चाल मतवारी , पतरी कमर इकारी । भांेय कमान बान से तानैं , नजर तरीछी मारी । ‘ईसुर’ कात हमारे कोदै तनक हेरलो प्यारी ।
bundeli-bns
काजर काय पे दइये कारे काजर काय पे दइये कारे । बारे बलम हमारे । साँज भये ब्यारी की बैराँ करें बिछोना न्यारे । जब छुव जात अनी जोवन की थर थर कँपत विचारे । का काऊ खाँ खोर ‘ईसुरी’ फूटे करम हमारे ।
bundeli-bns
उत्रहि राज से एलै एक मोगलवा उत्रहि राज से एलै एक मोगलवा , बान्हि जे देलकै कमला जी के धार । एहेन बान्ह जे बान्हल बोरी रे मोगलवा सिकियो ने झझावे मोगला के बान्ह । हिन्दुओं नै बूझै मोगला , तुर्को नै बुझै सब से चकरी ढुआवै । राजा शिवसिंह बैठल छलै मचोलवा , तकरो से चेकरी ढुआवे । ऐसन बान्ह बान्हलक मोगलवा , सीकयो ने झझावै मोगलाक बान्ह । कानि कानि चिठ्ठी लिखत माता कमला दहुन गे गंगा बहिनो हाथ । गंगा बहिनो चिठ्ठी पढ़ै माटी भीजि गेलै , हमरो सक नै टूटतै मोगलाक बान्ह कानि कानि चिठ्ठी लिखै माता कमला दहुन गे कोसिका बहिनो हाथ । कोसिका बहिनो चिठ्ठी पढ़ैत सोचे जे लागलै हमरो सक नै टूटतै मोगलाक बान्ह । एहेन बामी माछ बनबैये बहिनो कमला फोड़ करै जे मोगलाक बान्ह । फोड़ करैत कोसी हुलि देल कै , केल कै सम्मुख घार । गावल सेवक माता दुहु कलजोड़ी जुग जुग जपब तोहर नाम । राजा शिव सिंह चरन नमावे , मैया हे धनि धनि तोहर प्रभाव । तोरा देबौ कमला जोड़ जोड़ पाठी , कोहला के पाहुल चढ़ाय । गावल सेवक माता दुहु कल जोड़ी युग युग जपब तोहर नाम ।
angika-anp
204 कालूबला1 दे दिन नकाह बधा रूह नबी दी आप पढ़ाया ए कुतब हो वकील विच आन बैठा हुकम नब्ब ने आप कराया ए जबराईल मेकाईल गवाह चारे अजराइल2 असराफील आया ए अगला तोड़ के होर नकाह पढ़ना आख रब्ब ने कदों फुरमाया ए
panjabi-pan
अवध नगरिया से अइलय बरियतिया हे अवध नगरिया से अइलय1 बरियतिया हे , परिछन चलु सखिया । हथिया झुमइते2 आवे , घोड़वा नचइते3 सोभइते4 आवे ना । सखि रघुबर बरियतिया हे , सोभइते आवे ना ॥ 1 ॥ बजन बजइते आवइ , कसबी5 नचइते हे । उड़इत6 आवे न चवदिस7 से निसान8 हे , उड़इते आवे ना ॥ 2 ॥ लेहू लेहू डाला9 डुली बारी लेहू बतिया हे । परिछन चलु रघुबर बरियतिया हे , देखन चलु ना ॥ 3 ॥ ढोल वो नगाड़ा बाजइ , बजइ सहनइया हे । देखन चलु न सखि रघुबर बरियतिया हे ॥ 4 ॥
magahi-mag
आई रितु़ड़ी रे सुणमुणया रे आई रितु़ड़ी1 रे सुणमुणया2 रे आई गयो बालो3 वसन्त रे । फूलण लैगी गाडू4 की फ्योंलड़ी5 सेरा6 की मींडोली7 नैं डाली पैंया8 जामी । कूली9 का ढीसोली10 , नैं डाली पैंया जामी । चला दीदि भुलेऊँ , नैं डाली पैंया जामी । क्वी मीटी काट्यौला , नैं डाली पैंया जामी । क्वी दुंगा11 चाड़ यौला , नैं डाली पैयां जामी । दूपत्ति12 ह्वे गये , नैं डाली पैंया जामी । द्यू करा धूपाणों , नैं डाली पैंया जामी । क्वी दूद चार्यौंला , नैं डाली पैंया जामी । चौपत्ति ह्वे गये , नैं डाली पैंया जामी । द्यवतों का सत्तन , नैं डाली पैंया जामी । दूफौंकी ह्वे गये , नैं डाली पैंया जामी । झपन्याली13 ह्वे गये , नैं डाली पैंया जामी । चला छैलू14 बैठ्यौला , नैं डाली पैंया जामी । धौली15 का किनारा , यो फूल के को16 ? अनमन17 भांति को , यो फूल के को ? सैरो18 बोण19 मोयेणे20 यो फूल के को ? सैरो धौली धुमैली21 , यो फूल के को ? देवतों सरोख्या22 , यो फूल के को ? टोपी मा धर23 लेणू , यो फूल के को ? धौली का किनारा , यो फूल के को ?
garhwali-gbm
ऐसी भक्ति साधू मत किजीये ऐसी भक्ति साधू मत किजीये , जग मे होय नी हाँसी १ अन्त काल जम मारसे गल दई देग फाँसी . . . . . . . . . . . . . . ऐसी भक्ति . . . . . . २ जो मंजारी ने तप कियो , खोटा व्रत लिना घर से दीपक डाल के आरे मूसाग्रह लिना . . . . . . . . . . . . ऐसी भक्ति . . . . . . ३ जो हो लास पिघल चली , पावक के आगे ब्रज होय वहा को अंग . . . . . . . . . . . . . ऐसी भक्ति . . . . . ४ देखत का बग उजला , मन मयला भाई आख मिची ऋषी जप करे मछली घट खाई . . . . . . . . . . . . . ऐसी भक्ति . . . . . . ५ ग्रह ने गज को घेरिया , आरे कुंजरं दुंख पाया हरी नाम उचारीया आरे तुरंत ताल छुड़ाया . . . . . . . . . . . ऐसी भक्ति . . . .
nimadi-noe
फाग गीत नेणा में काजलियो छोरी , लालाड़ी में टीकी रे ॥ भएलो परदेस बैठो , लिख दो चिठी रे , वेगो आवे रे ॥ हाँ रे वेगो आवे रे , फागण रो मीनो एलो जाए रे , मीनो फागण रो । प्रेयसी के नयनों में काजल लगा है और ललाट पर टीकी लगी है । वह कहती है प्रेमी पदरेश में बैठा है , पत्र लिख दो , जल्दी आये , क्योंकि फाल्गुन मास व्यर्थ ही बीत रहा है ।
bhili-bhb
सुरहिन गइया के गोबर मँगा ले ओ सुरहिन गइया के गोबर मंगाले ओ हाय , हाय मोर दाई खूंट धर अंगना लिपा ले ओ खूंट धर अंगना लिपा ले ओ हाय , हाय मोर दाई मोतियन चौंक पुरा ले ओ मोतियन चौंक पुरा ले ओ हाय , हाय मोर दाई सोने के कलसा मंढ़ाले ओ सोने के कलसा मंढ़ाले ओ हाय , हाय मोर दाई सोने के बतिया लगा ले ओ सोने के बतिया लगा ले ओ हाय , हाय मोर दाई सुरहिन घीव जला ले ओ सुरहिन घीव जला ले ओ
chhattisgarhi-hne
साधो किस नूँ कूक सुणावाँ। साधो किस नूँ कूक सुणावाँ , मेरी बुक्कल दे विच्च चोर । किते रामदास किते फतह मुहम्मद , एहो कदीमी शोर । मुसलमान सड़न तो चिढ़दे , हिन्दू चिढ़दे गोर1 । साधो किस नूँ कूक सुणावाँ । दोवें आपो विच्च लड़दे भिड़दे , नित्त नित्त करदे खोर2 । चुक गए सभ झगड़े झेड़े , निकल प्या कोई होर । साधो किस नूँ कूक सुणावाँ । जिस ढूँढ़ पाया तिस पाया , नाहीं झुर झुर होया मोर । पीर पीराँ बगदाद असाडा , मुरशद तखत लाहौर । साधो किस नूँ कूक सुणावाँ । ओस सी सभ इक्को कोई , आप गुड्डी आप डोर । जेहड़ा लेख मत्थे दा लिखेआ , कौण करे भन्न तोड़ । साधो किस नूँ कूक सुणावाँ । ओहा आप साईं जिसनूँ भाल लए , मैनूँ ओसे दी गत ज़ोर । तुसीं पकड़ लवो ताँ मैं दस्सणाँ हाँ , बुल्ला शाह दा चुगलीखोर । साधो किस नूँ कूक सुणावाँ ।
panjabi-pan