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आल्हा ऊदल
एत्तो बारता बा रुदल के आल्हा के सुनीं हवाल
केत्ता मनौलीं बघ रुदल के लरिका कहल नव मानल मोर
बावन कोस के गिरदा में बघ रुदल डिगरी देल पिटवाय
लिखल पाँती बघ रुदल तिलरी में देल पठाय
तेली बनियाँ चलल तिलरी के लोहन में आफत काल
पाँती भेजवो नरबर गढ़ राजा मेदनी सिंह के दरबार
चलल जे राजा बा मेदनी सिंह मोहबा में पहुँचल जाय
आइल राजा मकरन्ना गढ़ मोरंग के राज पहुँचल वाय
चलल जे राजा बा सिलहट के भूँमन सिंह नाम धराय
आइ राजा डिल्ली के सुरजन सिंह
बुढ़वा सैयद बन्नारस के नौं नौ पूत अठारह नात
ओनेहल बादल के थमवैया लोहन में बड़ चण्डाल
मियाँ मेहदी है काबुल के हाथ पर खाना खाय
उड़ उड़ लड़िहें सरगे में जिन्ह के लोथ परी जै खाय
चलल जे राजा बा लाखन सिंह लाखन लाख घोड़े असवार
नौ मन लोहा नौमनिया के सवा सौ मन के सान
उन्ह के मुरचा अब का बरनौ सौ बीरान में सरदार
आइल राजा बा सिलहट के भूँमन सिंह नाम धराय
जेत्ता जे राजा बा लड़वैया रुदल तुरत लेल बोलाय
जेत्ता जे बा लड़वैया जिन्ह के सवा लाख असवार
एत्तो बारता बा राजा के रुदल के सुनीं हवाल | bhojpuri-bho |
फाग गीत
नणदल ने भोजाई दोइ , भेलो पाणी लावे रे ॥
नणदल चाली सासरे , भोजाई रोवे रे , जोड़ी बिखरगी ॥
हाँ रे जोड़ी बिखरगी , नणदोई थारी वेल वधजो रे ,
जोड़ी बिखरगी ॥
ननद और भाभी दोनों साथ में पानी लाती हैं । ननद ससुराल चली तो दोनों की जोड़ी टूट गई । जोड़ी टूटी , किन्तु भाभी ननदोई को आशीर्वाद देती है कि आपकी वंश वृद्धि हो । | bhili-bhb |
होरी खेलन आयौ श्याम
होरी खेल आयौ श्याम , आज याहि रंग में बोरौ री ॥
कोरेकोरे कलश मँगाओ , रंग केसर घोरौ री ।
रंगबिरंगौ करौ आज कारे तो गौरौ री ॥ होरी .
पार परौसिन बोलि याहि आँगन में घेरौ री ।
पीताम्बर लेओ छीनयाहि पहराय देउ चोरौ री ॥ होरी .
हरे बाँस की बाँसुरिया जाहि तोर मरोरौ री ।
तारी देदै याहि नचावौ अपनी ओड़ौ री ॥ होरी .
‘चन्द्रसखी’ की यही बीनती करै निहोरौ री ।
हाहा खाय परै जब पइयां तब याहि छोरौ री ॥ होरी . | braj-bra |
जोगी आयो शहर में व्योपारी
जोगी आयो शहर में व्योपारी २
अहा , इस व्योपारी को भूख बहुत है ,
पुरिया पकै दे नथवाली ,
जोगी आयो शहर में व्योपारी ।
अहा , इस व्योपारी को प्यास बहुत है ,
पनियापिला दे नथ वाली ,
जोगी आयो शहर में व्योपारी ।
अहा , इस व्योपारी को नींद बहुत है ,
पलंग बिछाये नथ वाली
जोगी आयो शहर में व्योपारी २ | kumaoni-kfy |
बीरा थे दाम्मण भल ल्याईओ
बीरा थे दाम्मण भल ल्याईओ
चुन्दड़ी पर रतन जड़ाईओ
म्हारा रिमक झिमक भाती आईओ
बेस्सर थे भल ल्याइओ
झूमर पर रतन जड़ाईयो
म्हारा रिमक झिमक भाती आईओ
बोरलै पै रतन जड़ाईयो
म्हारा रिमक झिमक भाती आईयो | haryanvi-bgc |
सामन भदोइया क निसि अधिरतिया
सामन1 भदोइया2 क निसि अधिरतिया , मलका मलके3 सारी रात हे ।
बिजली चमके चहुँ ओर हे ।
खाट छोड़िए भुइयाँ4 सुतली दुलरइतिन बेटी , रोइ रोइ कयल5 बिहान6 हे ।
दुअरे से अयलन दादा दुलरइता दादा , बेटी से पूछे साधु बात7 हे ।
कउन संकटिया8 तोरा आयल गे बेटी , रोइ रोइ कयल बिहान हे ॥ 2 ॥
हमरा सुरतिया जी दादा तोरे न सोहाये , खोजी देलऽ लड़िका दमाद हे ।
हमर करम बराबर गे बेटी , जानो धरम तोहार हे ॥ 3 ॥
उतम कुल बेटी तोहरा बिआहलूँ9 देखलूँ छोट न बड़ हे ।
पूरब खेत बेटी ककड़ी जे बुनलूँ10 ककड़ी के भतिया11 सोहामन हे ॥ 4 ॥
न जानू बेटी गे तीता कि मीठा , कइसन ककड़ी सवाद12 हे ।
सोनमा रहइत बेटी तोहरा डहइती13 रूपवा डहलों न जाय हे ॥ 5 ॥
कुइयाँ14 रहइत बेटी फिनु से15 उढ़ाहती16 समुदर उढ़ाहलेा न जाय हे ।
बेटा रहइत बेटी फिनु से बिवाहती , बेटी कियाहलो न जाय हे ॥ 6 ॥ | magahi-mag |
ब्याही थी रे बिलसी नाहीं
ब्याही थी रे बिलसी नाहीं , या क्या हुई प्यारी ए
तोड़ी थी रे सूंघी नाहीं , ली थी गले में डार प्यारी ए
घर घर की दीवा घर घर बाती , रंडुवे के घर घोर अंधेरा ए
घर घर भोजन घर घर रोटी , मेरे घर ढकनी में चून प्यारी ए
दामन चुंदरी खूंटी धरे हैं , एक बार पहर दिखाय प्यारी ए
पानी की गगरी रीती धरी है , इक बार सागर जाय प्यारी ए
गहने का डिब्बा भरा धरा है , एक बार पहन दिखाय प्यारी ए
भैया तेरा लेने आया , एक बार नैहर जाय प्यारी ए
सेजें मेरी सूनी पड़ी हैं , एक बार सूरत दिखाय प्यारी ए
डाल खटोला बगड़ बिच सोया , एक बार सुपने में आय प्यारी ए | haryanvi-bgc |
तेरो हरयो ए पीपल संपुल
तेरो हरयो ए पीपल संपुल फलियो बैलड़ी फलछाइयो
एक दूर देसां ते मेरी भुआ ए आई कर बड़ गोतण आरतो
एक दूर देसां ते मेरी भाणलए आई कर मेरी मां की जाई आरतो
एक आरता को मैं भेद ना जाणू कै विध कीजो भैण्यो आरतो
एक हाथ लोटो गोद बेटो कर मेरी मां की जाई आरतो
एक हाथ कसीदो गोद भतीजो कर बड़ गोतण आरतो
एक आरता की गाय लैस्यां और ज अलल बछेरियां
उस गाय को हम दूधो री पीवां अलल बछेरी म्हारो पिव चढ़ै
वा तो इतणो सो लैकै बाई घरवी चालो दे मेरी मां की जाई असीसड़ो
तम तो लदियो रे बधियो मेरी मां का रे जाया फलियो कड़वा नीम जूँ
तेरी सास नणद रत्न बूझण लागी कैरे ज लाग्यो बहुअड़ आरतो
पान तो रै कै पचास लाग्या सुपारी तो लागी पूरी ड्योढ़ सै | haryanvi-bgc |
ए परदेसी चाल्या जाइये
ए परदेसी चाल्या जाइये , घर बूझे सै मारे नै
ए मेरी मां बाम्हण कै जारी बाबल नम्बरदारी मैं
ए मेरी भाभी माण्डे पोवै , दाल रघैं म्हारे हारे मैं
ए मेरा बीरा ढोल जिमावै , जले की नजर चुबारे मैं
ए मेरी माता लत्ते दिखावै , बैली करदी बाड़ै मैं | haryanvi-bgc |
बांका रहिए जगत में
बांका रहिए जगत में बांके का ही आदर होय ।
बांकी बन की लाकड़ी काट सके ना कोय । । | haryanvi-bgc |
कै भड़ को आइ होलो, यो दल-बल
कै भड़1 को आइ होलो , यो दलबल ,
कै भड़ की आई होली , या पिंगली पालंकी ,
केक सेन्दो बाबा जी , निंद सुनिंद ,
ऐ गैन बाबा जी , जनती2 का लोक ,
नी सेन्दू बेटी मैं , निन्द सुनिंद ।
तेरी जनीत कांद ओगी लौलू
बरमा जी करला , गणेश की पूजा ,
वर तैं लगौलू मंगल पिठाई । | garhwali-gbm |
डाची वालेया मोड़ मुहाल वे
डाची वालेआ मोड़ मुहार वे
सोहणी वालेआ लै चल नाल वे
डाची वालेआ मोड़ मुहार वे . . .
तेरी डाची दे गल विच्च टल्लीआं
वे मैं पीर मनावन चलीआं
तेरी डाची दी सोहनी चाल वे
ओये डाची वालेया मोड़ मुहार वे . . .
तेरी डाची थलां नू चीरनी
वे मैं पीरां नू सुख्खनी आ खीरनी
आके तक्क जा साडा हाल वे
ओये डाची वालेआ मोड़ मुहार वे . . .
तेरी डाची दे चुम्नीआं पैर वे
तेरे सिर दी मंगनीआं खैर वे
साडी जिंदड़ी नू एन्ज न गाल वे
ओये डाची वालेआ मोड़ मुहार वे . . .
तेरी डाची तों सदके मैं जानीआं
पंजा पीरां नू पई मैं मनानिआँ .
सुख्खां सुखनिआँ तेरियां लाल वे
ओये डाची वालेआ मोड़ मुहार वे . . .
डाची वालेआ मोड़ मुहार वे
सोहणी वालेआ लै चल नाल वे . . . | panjabi-pan |
ऐसी के जल्दी मचाई हरियाली
ऐसी के जल्दी मचाई हरियाली
रासन में सादी कराई हरियाली
बीबी मात्थे तुम्हारे अीका
बिन्दी पै रतन जड़ाई हरियाली
रासन में सादी कराई . . .
बीबी गल तुम्हारे नकलिस
लोकिट पै रतन जड़ाई हरियाली
रासन में सादी कराई . . .
बीबी हाथ तुम्हारे कंगणा
मंहदे पै रतन जड़ाई हरियाली
रासन में सादी कराई . . .
बीबी पैर तुम्हारे जूता
चलगत पै रतन जड़ाई हरियाली
रासन में सादी कराई . . . | haryanvi-bgc |
कंहवा कै यह माती हथिनिया
कंहवा कै यह माती हथिनिया , कंहवा कै यह जाए
केहिके दुआरे लवंगिया कै बिरवा , तेहि तरे हथिनी जुड़ाए
उन्ह्वा वर का निवास कै यह माती हथिनिया ,
उन्ह्वा वधु का निवास कै यह जाए
फलाने बाबू वधु के पिता का नाम द्वारे लवंगिया कै बिरवा ,
तेहि तरे हथिनी जुड़ाए
महला से उतरे हैं भैया कवन बाबु वधु के भाई का नाम ,
हाथ रुमालिया मुख पान
आपनि हथिनी पछारो बहनोइया ,
टूटै मोरी लौंगा क डारि
भितरा से निकरी हैं बहिनी कवनि देई वधु का नाम ,
सुनो भैया बिनती हमारि
जेहिके दुआरे भैया इत्ता दल उतरा सुघर बर उतरा ,
त का भैया लौंगा क डारि ? ? | awadhi-awa |
घुमेरदार लंजो
बादिला लेता आइजो जी घुमेरदार लंजो
आलीजा लेता आइजो जी घुमेरदार लंजो
घुमेरदार लंजो . . .
अन्दाता लेता आइजो जी घुमेरदार लंजो
म्हारे माथा ने मैमद लाइजो और रखडी रतन जड़ाई जो . . .
बादिला लेता आइजो जी घुमेरदार लंजो
आलीजा लेता आइजो जी घुमेरदार लंजो
घुमेरदार लंजो . . .
अन्दाता लेता आइजो जी घुमेरदार लंजो
म्हारी बैयाँ ने चुडलो लाइजो , म्हारी नथनी रतन जड़ाई जो . . .
बादिला लेता आइजो जी घुमेरदार लंजो
आलीजा लेता आइजो जी घुमेरदार लंजो
घुमेरदार लंजो . . .
अन्दाता लेता आइजो जी घुमेरदार लंजो
पगल्या ने पायल लाइजो म्हारा बिछया रतन जड़ाई जो . . .
बादिला लेता आइजो जी घुमेरदार लंजो
आलीजा लेता आइजो जी घुमेरदार लंजो
घुमेरदार लंजो . . .
अन्दाता लेता आइजो जी घुमेरदार लंजो | rajasthani-raj |
नदी बहै, नाला बहै
नदी बहै , नाला बहै ,
बहै सरयू नदिया
वही देखी मलाहा
थरथर काँपै हे ,
वही देेखी
दूध लेनें खड़ा छै
गुअरा केरोॅ पुतवा हे
केना होवै सरोवरनदी पार
टुटलियो जे नैया छै कोसी माय
टुटलियो जे पतवार ,
कैसें होवै सरोवरनदी पार
चंदन छेवीछेवी मलाहा नैया बनैहौ
महुआ छेवीये पतवार
वही चढ़ी होवै सरोवरनदी पार ।
खेवैतें हे खेवैतें मलाहा
लै गेलै अकोलो नदी पार
यहो हम्में जानतौं रे मलाहा
मांगवै तहूँ घाट
गंगा केरोॅ कौरिया लेतिहौ गठरी लगाय
ये मत हो जानिहैं मलाहा
कोसी छै असवार
कोसी के संग मलाहा बड़ेला छुट भाय
बँहियाँ रे घूमै मलाहा बही चली जाय
अँचरा छूहीयै मलाहा
जरी केॅ होइहैं भसम
मोर अँचरा छुवैतें . . . . . . । | angika-anp |
बाबा मांडा बल ग्या मैं खा ल्यूंगा
बाबा मांडा बल ग्या मैं खा ल्यूंगा
बाबा यू बी बलग्या यू बी खा ल्यूंगा
बाबा सारे बलगे सारे मैं खा ल्यूंगा
बाबा कुणबा के तन्नै खागा | haryanvi-bgc |
तोरे पाव परत महामाई हो मोरी अरज सुनो
तोरे पांव परत महामाई हो , मोरी अरज सुनो
माया के तेरे भरे हैं खजाने ,
धन दौलत मैया कछु न चाने
बिनती सुनो हमारी हो मोरी अरज सुनो . . .
दुष्ट दलन जगदम्बा भवानी ,
तो सम नहिं मैया कोऊ दानी
करो कृपा हर्षायी हो । मोरी . . .
नाहिं चाहो मैया महल अटारी
इतनी है बस बिनय हमारी
रहो चरन चितलाई , हो
मोरी अरज सुनो . . .
सेवक की रक्षा करो माता
बिनय सुनो तुम मेरी माता
जीवन ज्योति जलाई हो । मोरी अरज . . . | bundeli-bns |
347
छेड़ खुंदरां भेड़ मचावना एं सेकां लिंग तेरे नाल सोटयां दे
असीं जटियां मुशक पलटियां हां नक पाड़ सुटे जिन्नां झोटयां दे
जदों मूहलियां पकड़ के गिरद होइयां पिसते कढिये टीनयां कोटयां दे
जट जुटके कुटिये नाल सोटे एह अलाज नी चितड़ां मोटयां दे
लपर शाह दा बालका शाह भखड़ तैथे वल है ऐड लपोटयां दे
वारस शाह रोडा सिर कन्न पाटे एह हालचोरां यारां खोटयां दे | panjabi-pan |
495
कही छिंज1 घती अज तुसां भैणां खुआर कीता जे मैं निघर जांदड़ी नूं
भइआं पिटड़ी कदों मैं गई किते किओं उडाया जे मैं मुनसखांदड़ी2 नूं
छज छाननी घत उडाया जे मापे पिटड़ी ते लुड जांदड़ी नूं
सैदे खेड़ी दे ढिड विच सूल होया सदन गई सां मैं किसे मांदरी3 नूं | panjabi-pan |
174
हीरमाउं देनाल आ लड़न लगी तुसां साक कीता नाल जोरियां दे
कदों मंगया मुनस मैं तुध कोलों बैर कढया ने लाल घोरियां दे
हुण करें वलाए क्यों असां कोलों एह कम्म ना हुंदे ने चोरियां दे
जेहड़े होन विआकुल चा लावंदे ने इटां बारियां दीयां विच मोरियां दे
चाए चुगद1 नूं कंूज दा साक दितो परी बधीया ई गल ढोरियां दे
वारस शाह मियां गनां जग सारा मजे चख लै पोरियां पोरियां दे | panjabi-pan |
बड़ए बगड़तै सती राणी नीसरी भर गोबर की हेल
बड़ए बगड़तै सती राणी नीसरी भर गोबर की हेल
गोबर छिड़का भोली रााी भोंपड़ी धरती में हुवाए लिपाव
बड़ए बगड़तै सती रानी नीसरी भर गीव्हां की हेल
गीहव छिड़का भोली राणी भोंपड़ी धरती में राख्यो ए बीज
बड़ाए बगड़तै सती राणी नीसरी भर लोटा जल नीर
गड़वा तो छिटका भोंपड़ी धरती हुयाए सिलाव | haryanvi-bgc |
दै दै मुरलिया मोरी राधिका
कृष्ण : दै दे मुरलिया मोरी राधिका , दै दे मुरलिया मोरी
राधिका दै दे मुरलिया
कृष्ण : यह मुरली मोरे प्राण बसत है
वहो भाई रे चोरी राधिका , वहो भाई रे चोरी
राधिका दै दे मुरलिया . . .
कृष्ण : काहे से गौबे काह बजौबे
काहे से गौवें टेरी राधिका , काहे से गौवें टेरी ? गायों को कैसे बुलाऊँ
राधिका दै दे मुरलिया . . .
राधा : मुख से गावो ताल बजावो
बोलि के गौवें टेरो श्याम , तुम बोलि के गौवें टेरो
श्याम न देबे मुरलिया तोरी . . .
राधा : एहि मुरली धुन खूब सतायो
खूब करयो है बरजोरी श्याम , तुम खूब करयो है बरजोरी
श्याम न देबे मुरलिया तोरी . . .
कृष्ण : हाथ जोड़ तोसे विनय करत हूँ
प्रण करत कलिन्दी यमुना ओरी राधिका , करत कलिन्दी ओरी
राधिका दै मुरलिया मोरी . . . | awadhi-awa |
विवाह गीत
भोलो ईश्वर अकनो कुवारो ।
भोली गवरां नी मांगणी करे ।
भोलो ईश्वर बाने बठो ।
भोली गवरां बाने बठी ।
सीदा वादा करें ।
भोला ईश्वर नी बरात चाली ।
भोली गवरां ना फेरा लाग्या ।
बरात पछि घेर आवी ।
लाव वो रांड मारा जूटा देख दे ।
सातला नो ईसो कर्यो गवरां ।
पागड़ी नो ईसोवो ईश्वर ना माथा हेट ।
चाल ने घरी उतरी न पड़ी वो भूंड ना भंवरे ।
भंवरा मा गइ वा वासिंग ना बायणें ।
आवा वा बयण , आव वा बयण ।
असो काइ बोले तू मोटा ना मोटा ।
खादो ने पीछे व रात काटी ।
नाथ ने मुरखा मारा मुंहडे ।
रास ने धरी वो गवरा आई ।
निंदरान् उड्या वो भोला ईश्वर ना ।
काइ वो रांड काहाँ गयली ।
रोला ना भर्या डील गंधये ।
नंदे उँघले मि गयली ।
नव महाना ना दाहड़ा गिणे गवरां ।
महना गिणें वो भोली गवरां ।
पूरा हया वो नव महना ।
पेट मा हुल्क्यो वो गवरो गणेस ।
सुयण लावे वो भोलो ईश्वर ।
गवरो गणेस पेट मा हुलके ।
हात मेल्यों वो सदा सुयण ।
खलाके लेता जाइ पड्यो गणेस ।
नालों कांटे सदा वा सुयण ।
नाहवा ने धोवा करे सुयण दायण ।
झोली ने पलाणं वा गवरां घाले ।
पणीला भरे वा भोली गवरां ।
देखजी रे ईश्वर इना बाला के ।
मीं ते जाऊं रे पाणीला भरने ।
ईश्वर ऊठ्यो ऊँचो माथो करिन् ।
नव धार्यो खांडो वो हेड्यो ईश्वर ।
गणेस नो माथो वो काट्यो ईश्वर ।
फगाट देधो वो दरियाव माहीं ।
गवरां न रोवे वो माथु ठोके ।
बालवा नो माथो काहा वो काट्यो ।
मारो ते मुंड्को काटी नारवनो ।
छाती न माथो ठोके भोली गवरां ।
तारा वा बालवा के करूं सरजीवण ।
तूते झुणी रेड़े वा गवरां ।
ईश्वर धरी ने चाल धरी , हातिड़ा ना बन मा ।
नवसौ हातिड़ा घेर्या ईश्वर , लायो रे दरियाव पर ।
हातिड़ा ने चूसी रे दरियाव चूसी भसम उडाड़यो ।
कछ ने मछ फफड़ी रह्या , गणेस नो माथो हेरे ईश्वर ।
मछ ने कछ ना पेटे चीरे , मछ ने कछ बोलि पड़्या ।
हामरा पेट ते मा चिरे ईश्वर मा चीरे भोला ईश्वर ।
माथा काजे तु हामु खाइन् घेरी नाख्यो ।
कछ ने मछ बोलि रह्या ।
हातिड़ा नो माथो वारूस रहसे ।
ईश्वर लेधो रे नव धार्यो खांडो ।
हातिड़ा नो माथो काटी नाख्यो ।
माथो हाकल्यो भोलो ईश्वर ।
माथोली न चाल देधो घेर ।
गवरा गणेस नो जाड्यो माथो ।
गजरा गणेस काजे कर्यो सरजीवण ।
मंगाला माथा ना बण्यो रे गणेस रे ।
वाटका डोलानो रे बण्यों रे गणेस रे ।
कुसलाज दाँत नो रे , कुटकाज होट नो रे बण्यो रे गणेस ।
तारा मुंहड़े रे भरी रे सूंड रे ।
सूंड ने मुंडे खाय रे गणेस ।
चवड़ी छाती नो रे बण्यो रे गणेस रे ।
पराल्या सातला नो रे , बण्यो रे गणेस रे ।
थामलाज् पल्यिा नो रे बण्यो रे गणेस रे ।
छाबड़्याज् पाय नो रे बण्यो रे गणेस रे ।
उठता ने बसता रे नाव तारो रे सार से रे ।
भोले स्वभाव के शंकर भगवान अखण्ड कुँवारे हैं । भोली गौरी से मंगनी करते हैं ।
भोले शंकर वाने बैठें । भोली गौरी वाने बैठी । अनाज , दाल आदि तैयार कर रहे हैं ।
भोले भगवान की बारात चली । भोली गौरी से फेरे हुए भँवर पड़े । बारात वापस घर
आई । शंकरजी ने गौरा से कहा मेरी जटा में जुएँ देख दे । गौरी ने महादेवजी का सिर
अपनी जंघा पर रखा । गौरी ने महादेवजी को निद्रामग्न देखा तो अपनी जंघा हटाकर
पगड़ी का तकिया लगा दिया । गौरी चल पड़ीं और पाताल लोक मंे पहुँची । पाताल में
शेषनाग ने कहा बहन आ । ऐसा क्या बोल रहा है ? तू बड़े लोगों में सबसे बड़ा है ।
शंकरजी की निद्रा टूटी तो कहने लगे तू कहाँ थी ? तेरी देह से रोले की खुशबू आ रही है ।
गौरी बोली मैं नदी पर स्नान करने गई थी । नौ महीने के दिन गौरी गिन रही है । नौ
महीने पूरे हुए । पेट में गणेशजी दुःख रहे हैं प्रसव पीड़ा होने लगी । भोले भगवान दाई को
लाते हैं । गणेशजी पेट में दुःख रहे हैं । दायण ने प्रसव हेतु हाथ रखा । गणेशजी पेट से एकदम
निकले । दायण ने नाला काटा । दायण स्नान कराकर कपड़े धोती है । गौरी गणेशजी को पालने
में झुलाती हैं । गौरी पानी भरने जाती हैं । भगवान इस बालक को देखना , मैं पानी लेने को
जाती हूँ ।
शंकरजी को शंका हो गई थी कि प्रथम रात्रि में मैं निद्रामग्न था और गौरी मुझे छोड़कर पगड़ी का
तकिया सिर के नीचे लगाकर कहाँ चली गयी थी ?
शंकर ऊँचा सिर करके उठे । नौ धार का खांडा शंकरजी ने निकाला । शंकरजी ने गणेशजी का सिर काट लिया । सिर समुद्र में फेंक दिया । गौरी रोती हैं और सिर पीट रही हैं । बालक का सिर क्यों काट दिया ? मेरा सिर काट देते । गौरी सिर और छाती पीट रही हैं । तेरे बालक को मैं पुनः जीवित कर दूँगा , गौरी तू मत रो भगवान हाथियों के जंगल में चल पड़े । नौ सौ हाथियों को हाँककर समुद्र पर लाये । हाथियों ने समुद्र चूसचूसकर सुखा दिया । कछुए और मछलियाँ फड़फड़ाने लगे । भगवान गणेश का सिर खोज रहे हैं ।
मछलियों और कछुओं के पेट चीर रहे हैं । मछलियाँ और कछुए बोल उठे , हमारे पेट मत चीरो भगवान , मत चीरो भोले भगवान सिर को तो हमने खाकर हजम कर मल द्वार से निकाल दिया । कछमछ बोल रहे हैं । हाथी का सिर अच्छा रहेगा । शंकरजी ने नौ धारवाला खाँडा उठाया । हाथी का सिर काट लिया । भोले भगवान ने हाथी का सिर उठाया । सिर लेकर घर चल पड़े । गौरी ने गणेश का सिर जोड़ दिया । गणेशजी को पुनर्जीवित किया । चूल्हे के ठीयों के समान सिरवाले गणेशजी बने । कटोरी के समान आँखों वाले गणेशजी बने । कुसले के समान दाँत वाले , कटे हुए ओंठ के गणेशजी बने । मुँह पर सूँड लगा दी है । सूँड के द्वारा गणेशजी खा रहे हैं । गणेशजी का सीना चौड़ा बना है । लम्बीमोटी जंघा वाले गणेशजी बने । खम्भे के समान पिंडलीवाले गणेशजी बने । चौड़े पंजो वाले गणेशजी बने । दुनिया उठतेबैठते आपका नाम स्मरण करेगी । | bhili-bhb |
11
तकदीर सेती मौजू फौत होया1 भाई रांझे दे नाल खहेड़दे ने
खाये रज के घूरदा फिरे रन्ना कढ रिकता2 धीदो नूं छेड़दे ने
नित सजरा3 घाव कलेजड़े दागलां त्रिखियां नाल उचेड़दे ने
भाई भाबीयां वैर दीयां करन गलां एहो झिंजटां नित नबेड़दे ने | panjabi-pan |
123
दिन होवे दुपहर ते आए रांझा अते ओधरों हीर भी आवंदी ए
रांझा महीं लया बहांवदा ई ओह नाल सहेलियां आंवदी ए
ओह वंझली नाल सरोद करदा हीर नाल सहेलियां गांवदी ए
काई जुलफ नचोड़दी रांझणे ते काई नाल कलेजे दे लांवदी ए
काई चमड़ी लक नूं मशक बोरी काई मुख नूं मुख नूं मुख छुहांवदी ए
काई मीरियां आख के भज जांदी मगर पवे ते टुबियां लांवदी ए
काई आखदी माहिया माहिया वे तेरी मझ बूरी कटा जांवदी ए
काई मापिआं दिआं खरबूजयां नूं कौडे़ बकबके चा बणांवदी ए
काई आखदी ऐंठया1 रांझया वे मार बाहुली पार नूं धांवदी ए
मुरदे तारियां तरन चफाल2 करके काई इक छाल घड़क दी लांवदी ए
कुते तारियां तरन चवाओ3 करके इक निओल निसर रूड़ी आंवदी ए
इक शरत बधी टुभी मार जाये ते पताल दी मिटी लयांवदी ए
इक बणदा चतरांग मुरगाबियां हो सुरखाब ते कूंज बण आंवदी ए
इक वांग ककूहीयां संघ टडन इक कूंज वांगो बुलांवदी ए
इक ढींग बने इक बने बगला इक बने जलांवनी आवंदी ए
इक औकड़ बोलदी टटिहरी हो इक हो संसार सरलांवदी ए
इक दा पलसेटियां हो बोलहण मशक वांगरां ढिड फुकांवदी ए
हीर तरे चुतरफ ही रांझने दे मोई मछली बन बन आवंदी ए
आप बने मछली नाल चावड़ा दे मिएं रांझे नूं कुरल बनांवदी ए
उस तखत हजारे दे पढड़े नूं रंग रंग दियां जालियां पांवदी ए
वारस शाह जटी नाज नयाज कर के नित याद दा जी परचांवदी ए | panjabi-pan |
गढ़ हो गुंडी उप्पर नौबत वाज
निमाड़ में विवाह के अवसर पर गया जाने वाला " गणपति "
गढ़ हो गुंडी उप्पर नौबत वाज
नौबत वाज इंदर गढ़ गाज
टो झीनी झीनी झांझर वाज हो गजानन
१
जंव हो गजानन जोसी घर जाजो
तों अच्छा अच्छा लगीं निकालो हो गजानन
गढ़ हो . . .
२
जंव हो गजानन बजाजी घर जाजो
तों अच्छा अच्छा कपडा ईसावो हो गजानन
३
जंव हो गजानन सोनी घर जाजो
तों अच्छा अच्छा गयना ईसावो हो गजानन
गढ़ हो . . .
४
जंव हो गजानन पटवा घर जाजो
तों अच्छा अच्छा मौड़ ईसावो हो गजानन
गढ़ हो . . .
जंव हो गजानन साजन घर जाजो
तों अच्छी अच्छी बंधीब्याहों हो गजानन
गढ़ ही गुंडी उप्पर नौबत वाज
नौबत वाज इन्द्र गढ़ गाज
तों झीनी झीनी झांझर वाज हो गजानन | nimadi-noe |
राजा राजा राजा जा हीरा कुंवरा
राजा राजा राजा जा हीरा कुंवरा
राजा राजा राजा जा हीरा कुंवरा
राजा मारे हीरा कुंवरा राजा मारे
राजा मारे हीरा कुंवरा राजा मारे
इयां लाज कुसुवाजा हीरा कुंवरा
इयां लाज कुसुवाजा हीरा कुंवरा
राजा मारे हीरा कुंवरा राजा मारे
राजा मारे हीरा कुंवरा राजा मारे
आमा लाज कुसुवाकेन सुईनी
आमा लाज कुसुवाकेन सुईनी
सानी केन हाकोयेज डो हीरा कुंवरी
सानी केन हाकोयेज डो हीरा कुंवरी
रानी मारे हीरा कुंवरी रानी मारे
रानी मारे हीरा कुंवरी रानी मारे
कुठी टाला मुठी ढाना मिया सारा
कुठी टाला मुठी ढाना मिया सारा
बारी सारा ढोगे माडो
बारी सारा ढोगे माडो
हीरा कुंवरी रानी मारे हीरा कुंवरी रानी मारे
हीरा कुंवरी रानी मारे हीरा कुंवरी रानी मारे
हीरा जोसी केन हाकोयेज डो हीरा कुंवरी
हीरा जोसी केन हाकोयेज डो हीरा कुंवरी
रानी मारे हीरा कुंवरी रानी मारे
रानी मारे हीरा कुंवरी रानी मारे
आमा लाज कुसुवा माका कैनीया कुंवर
आमा लाज कुसुवा माका कैनीया कुंवर
डाउवा हो हीरा कुंवरी रानी मारे
डाउवा हो हीरा कुंवरी रानी मारे
स्रोत व्यक्ति पार्वती बाई , ग्राम मातापुर | korku-kfq |
भरथरी लोक-गाथा - भाग 4
कलपीकलप भरथरी ये
रानी संग में आय
देख तो भरथरी पूछत हे
सामदेई ये ओ
बानी बोलत हे राम
भेद नई जानँव
सुन जोड़ी मोर बात
सोनपलंग कइसे टूटे गा , कइसे टूटे गा , भाई ये दे जी ।
तब तो बोलय भरथरी ह
कोन जानत हे ओ
भेद ल देतिस बताय
जानी लेतेंव कइना
ए दे बोलत हे न
भरथरी ह ओ
सामदेई ये न , सुन्दर बानी बताय
सुन राजा मोर बात
ये दे अइसे विधि कर बानी ओ , दाई बोलय ओ , भाई ये दे जी ।
जऊने समय कर बेरा में
सुनिले भगवान
कइसे विधि कर का बोलय
सुनिले राजा मोर बात
करले भोगविलास
आज पहिली ये रात
मोर बारम्बार मानुष चोला ओ , नई आवे ओ , भाई ये दे जी ।
सोने पलंग कइसे टूटिस हे
रानी हॉसे ह ओ
तेकर भेद बता देबे
मैं हर नई जानँव राम
छोड़ दे ओ बात
ओला तुमन सुरता झन करव ओ , झन करव ओ , भाई ये दे जी ।
मोर हरके अऊ बरजे ल नई मानय
सुनिले भगवान
कइसे विधि कर का बोलय
सुनिले राजा मोर बात
रामदेई जानत हे राज
वोही देहि बताय
सोन पलंग कइसे टूटे गा , कइसे टूटे गा , भाई ये दे जी ।
मन मा गऊर करके
भरथरी ये ओ
देख तो दीदी अब सोचत हे
सुनिले भगवान
का तो जोनी ये न
मैं कमायेंव ह राम
रानी संगे में हो
सुख नइये गिंया
मोर कइसे विधि राजा सोचय , भाई सोचय ओ , भाई ये दे जी ।
जाई के बइरी ह बइठत हे
मोर कछेरी ये ओ
भरे कछेरी , दरबार मा
एक ओरी मोर बइठे हे
मोर चियां ये ओ
दुए ओरी पठान ए न
तीन ओर ये राम गोंड़गिराईओ
सुन्दर लगे दरबार , दरबार ओ
भरथरी ये न ,
चल बइठे दीदी
मोर कइसे विधि कर मन म भाई गुनय ओ , भाई ये दे जी ।
जऊने समय कर बेरा मा
सुनिले भगवान
एक महीना , दू महीना गुजरत हे
चारे महीना ओ
लगे पाचे के छांय
दस महीना मा ना
दिल्ली सहर मा
मोर रानी के ओ
सुन्दर गोदी मा न
बालक होवय ओ , बाई होवय ओ , भाई ये दे जी ।
जब बोलय मोर मानसिंग
सुन कइना मोर बात
दिल्ली सहर मां
मैं बइठे हँव
भरथरी ल ओ
छठी निमंतरन
देई देवॅव कइना
सुनिले नारी मोर बात
जब सोचत हे ना
मोर कइना ये ओ
मेंहर नई जानँव राम
तैंहर ये दे जोड़ी
मोर छठी के निमंतरन भेजय ओ , धवनिया ओ
कइसे धवनिया ल भेजत हे
मोर मानसिंग ओ
धवनिया ह रेंगना ल
कइसे रेंगत हे
सांप सलगनी राम
मीथी दुरंगिनी ओ
हरिना के दीदी
मोर निच्चट ये ना
कुकुर लुरंगी ये राम
मोर बाघे के मार बघचोपी ओ
तले आवय ओ , भाई ये दे जी ।
छुटे हे कारी पसीना ओ
चले आवत हे ओ
देख तो दीदी धवनिया ह
भरे कछेरी न
मोरा राजा के ओ
भरथरी ये न
गद्दी मा बइठे हे राम
मोर धवनिया ये ओ
ओतके बेरा न , चल आई के न
मोर करे जोहार , पत्र देवत हे राम
बाची लेवॅव गिंया , मोर रानी ह ओ
चल भेजे ह न
मोर आशीष अऊ पैलगी ओ , ये दे भेजे ओ , रानी ये दे जी ।
चारो मुड़ा खबर भेजत हे
मोर भरथरी ओ
कइसे छठी निमंतरन म
सबे सइना ल न
मोर लिए सजाय
एक डंका मा ओ
मोर होगे तइयार
दुसरैया ए ना
मोर होय हुसियार
मोर तीने डंका में निकलगे ओ , ये निकलगे ओ , भाई ये दे जी ।
घोड़ा वाला घोड़ा मा चघे
हाथी वाला ये ओ
हाथी मा होय सवारे न
पैदल वाला ये ओ
रथ हाके गिंया
सायकिल वाला ए न
चल रेंगना हे
मोर गद्दी वाला , गद्दी चाले ओ , भाई चाले ओ , भाई ये दे जी ।
बग्घी वाला बग्घी मा जावे
टांगा वाला ये ओ
देख तो दीदी टांगा खेदत हे
सबे सइना ए ना
मोर रेगे भइया
जऊने समय में ना
लुसकैंया ए ओ
मोर ढुरकी अ रेंगना ल रेगे ओ
भाई रेगे ओ , भाई ये दे जी ।
आघू हाथी पानी पीयत हे
पाछू के हाथी ये ओ
ये दे दीदी चिघला चॉटय
जेकर पीछू ओ
फुतकी चॉटय हे न
चले जावय भैया
मोर सेना ए ओ
लावे लसगर ये न
फौजफटाका ओ
मोर घटकतबाजत जावे ओ , चल जावे ओ , भाई ये दे जी ।
मेड़ों म पहुँचगे भरथरी
मोर जाई के ओ
देखतो दीदी तम्बू तानत हे
हाथी वाला हर ओ
गेरा देवे गिंया
मोर घोड़ा वाला
मोर दाना ए ओ
मोर चना के दार फिलोवय ओ ,
ये फिलोवय ओ , भाई ये दे जी ।
येती बर देखत हे मानसिंग
सैना हर आगे ओ भरथरी के
मोर मेड़ों म ओ
तम्बू ताने हे ना
कइसे करँव भगवान
मॅयहार कइसे के पूर्ति ल करॅव ओ
कइना गुनय ओ , भाई ये दे जी ।
नई पुरा पाह्व में सेना बर
खाईखजेना
नई तो पुरा पाहव मैं
ओढ़ना अऊ दसना
बोली बोलत हे ओ , मोर मानसिंग
सुनिले नारी मोर बात
तोरे सहारा मा भेजेंव , भाई भेजे ओ , भाई ये दे जी ।
थारी मं फूल ल धरिके
रानी चलत हे ओ
देख तो दीदी मोर मंदिरे म
मोर मंदिर म ओ
रानी जाइके न
चल भजत हे राम
होगे परगट न
मानले बेटी मोर बात
पूरा करके गिंया
तोर का मनसे हे तेला मांगा ओ , मॅयहर दिहा ओ , भाई ये दे जी ।
भाखा चुकोवत हे ये दे ओ
सरसती ये ओ
जऊने समय भाखा चुकोवत हे
भाखा चुकी गे ओ
मांग ले बेटी तॅय
तोला देवॅव वरदान
तोर जोगे हर पूरा होगे ओ , भाई बोले ओ , भाई ये दे जी ।
भरथरी आये हे सैना
मोर लेके दाई
मोर घर में कुछू तो नइ ए ना
सबै सेना के ओ
पूरती करदे दाई
पईंया लागत हॅव न
मोर लाजे ल ये दे बता दे , ये बचाबे ओ , भाई ये दे जी ।
हाथी वाला बर हाथी ओ
मोरा गेर ल ओ
कइसे के बाद मँ भेजत हे
पूरती करिहँव बेटी
तैंहर जाना कइना
मोर घर म आके पलंग म ओ मोर बइठे ओ , भाई ये दे जी ।
रइयत मन बर ये दे ओ
बगरी ल गिंया
बिन आगी पानी के मढ़ा देबे
मोर कलेवा ओ
सुख्खा म नी खवाय
घोड़ा वाला बर ना
मोर दाना ये राम
जब भरथरी न
मन म गुनत हे ओ
रामदेई ए ना
चल नई साजे ओ
ये दे साजे गिंया
मोर सारी के अव्बड़ होवे ओ , मोर नेम ओ , भाई ये दे जी ।
बड़ अक्कल वाली ये रानी ये
देख तो भगवान
साते मँ कैसे आ बइठे हे
मनेमन मँ भरथरी हर , मोर गुनत हे ओ
बिन आगी पानी के बनावत हे
सबे सइना के न
मोर सोहाग ओ
चल बनाई के न
मोर सुन्दर कलेवा खवावय ओ , भाई ये दे जी । | chhattisgarhi-hne |
दो डूंगर विच पाट
दो डूंगर विच पाट
किण घर जास्या माता पामणा
जास्यां , जास्यां ईश्वरजी दरबार
रणू बाई देगा माता वेसणो
बेसन देस्यां भम्मरिया रा पाट
घूघरिया रा घाट ओढ़ा वस्यां
जीमण देस्यां दूध ने भात
खीर खांड गपरनी जिमाइस्यां | malvi-mup |
आल्हा ऊदल
कौड़ी लागे फुलवारी के मोर कोड़ी दे चुकाय
तब ललकारे डेबा बोलल मुँगिया लौंड़ी के बलि जाओं
हम तो राजा लोहगाँ के दुनियाँ सिंघ नाम हमार
नेंवता ऐली समदेवा के उन्ह के नेंतवा पुरावन आय
एतनी बोली जब सुन गैले लौंड़ी के भैल अँगार
करे हिनाइ बघ रुदल के
सेरहा चाकर पर मालिक के रुदल रोटी बिरानी खाय
कत बड़ सोखी बघ रुदल के जे सोनवा से करे खाय बियाह
जरल करेजा है बघ रुदल के तरवा से बरे अँगार
लौंड़ी हो के अतर दे अब का सोखी रहा हमार
छड़पल राजा है बघ रुदल लौंड़ी कन पहुँचल जाय
पकड़ल पहुँचा लौंड़ी के धरती में देल गिराय
अँचरा फाड़े जब लौंड़ी के जिन्ह के बंद तोड़े अनमोल
हुरमत लूटे ओहि लौंड़ी के लौंड़ी रामराम चिचियाय
भागल लौंड़ी हैं सोनवा के फुलवारी से गैल पराय
बठली सोनवा सिब मंदिर में जहवाँ लौंड़ी गैल बनाय
बोले सोनवा लौंड़ी से लौंड़ी के बलि जाओं
केह से मिलल अब तूँ रहलू एतना देरी कैलू बनाय
तब ललकारे लौंड़ी बोलल रानी सोनवा के बलि जाओ
देवर आइल तोर बघ रुदल फुलवारी में जुमल बनाय
जिव ना बाँचल लौंड़ी के सोनवा , जान बचावव हमार | bhojpuri-bho |
336
तेरियां सेलियां तों असीं नहीं डरदे कोई डरे ना भीलदे साग कोलों
ऐवें मरीदा जानसे एस पिंडों जिवें खिसकदा कुफर है बाग कोलों
सिर कज के तुरेंगा झब जटा जिवें सप उठ चलदा डांग कोलो
ऐवें खपरी सुट के जाएंगा तूं जिवें धाड़वी खिसकदा काग कोलों
मेरे डिठया गई है जान तेरी जिवें चोर दी जान झलांग1 कोलों
तेरी टोटड़ी2 फरकदी सप वांगू आ रन्नां दे डरी उपांग3 कोलों
ऐवें खौफ पैसी तैनूं मारने दा जिवें सूकदा पैर उलांग कोलों
वारस शाह इस जोगी दी चोग मुकी पानी मंगदे नेजे दी सांग कोलों | panjabi-pan |
होजी म्हार आंगणे कुपलो खणायो
होजी म्हार आंगणे कुपलो खणायो
हिपड़ा इतरो पाणी
होजी जूड़ो छोड़ी ने न्हावण बैठिया
ईश्वरजी घर की राणी
होजी झाला झलके , झुमणा रक के
वोले अमरित वाणी
होजी अमरित का दोई प्याला भरिया
कूंक दी पिंगाणी | malvi-mup |
विवाह -गीत - मोरे पिछवरवाँ लौंगा कै पेड़वा
मोरे पिछवरवाँ लौंगा कै पेड़वा लौंगा चुवै आधी रात
लौंगा मै चुन बिन ढेरिया लगायों लादी चले हैं बनिजार
लड़ चले हैं बनिजरवा बेटौवा लादि चले पिय मोर
हमरो डरिया फनावो बंजरवा हमहूँ चालब तोहरे साथ
भुखियन मरिबू पियासियन मरबू पान बिन होठ कुम्हिलाय
कुश कै गडरिया धना डासन पैइबू अंग छोलय छिल जाये
भुखिया अंगैबै पियसिया अंगैबै पनवा जो देबै बिसराय
तोहरे संघरिया प्रभु जोगिन होबै न संग माई न बाप | awadhi-awa |
कामना पूरी करो माई कामना पूरी करो माई
कामना पूरी करो माई , कामना पूरी करो माई ।
पूरना पूरी करो माई ।
के माई मोरी काहे को तेरो मंदिर
काहे के लगे खम्भे री माई । पूरना . . .
के माई मोरी , सोने को तेरो मंदिर
रूपे के चारो , खम्भा री माई । पूरना . . .
के माई तेरों , काहे को लागे भोग
काहे को भरी , झाड़ी री माई । पूरना . . .
के माई मोरी , दाख चिरौंजी को भोग
गंगा जल झाड़ी भरी माई । पूरना . . .
औ माई मोरी , निर्धन खों धन दीजो
कोढ़िन खों काया री माई । पूरना . . .
कै माई मोरी , सबकी खबर है लीजो
अरज मोरी सुनियो री माई । पूरना . . . | bundeli-bns |
आजु देखली हम एक रे सपनमा
आजु देखली हम एक रे सपनमा ।
सूतल हली1 हम अपन कोहबरिया ॥ 1 ॥
ओने से2 अयलइ बाँके रे सिपहिया ।
पकड़ि बाँधल मोरा पिया सुकमरिया ॥ 2 ॥
छोडूँ छोडूँ दुलहा हे हमरो सिपहिया ।
बिहरे3 मोरा देखि बजर के छतिया ॥ 3 ॥
जो तोहिं देहीं धानि बाला4 रे जोबनमा ।
छोड़िए देऊँ5 तोहर पिया सुकमरिया ॥ 4 ॥
पिया देखि देखि मोरा बिहरे करेजवा ।
नयना ढरे जइसे बरसे समनमा ॥ 5 ॥
टूटि गेलइ एतना में हमरा के नीनियाँ6 ।
झरे7 रे लागल जइसे झहरे समनमा8 । | magahi-mag |
सांझी सांझा हे कनागत परली पार
सांझी सांझा हे कनागत परली पार
देखण चालो हे संज्ञा के लणिहार
वह तो देखिया भाला हे चन्दा लाम जड़ाम
देखण चाली हे सांति के लणिहार
वह तो देखिया भाला हे चन्दा लाम जड़ाम | haryanvi-bgc |
आई हरि जु की पौढी
आई हरि जु की पौढी , बधाए लाई मालनिया ।
आई हरि जु की पौढी , बधाए लाई मालनिया ॥
हरे –हरे गोबर अँगना लिपाए , मालनिया ,
मोतियन चौक पुराए , सुघडपति मालनिया ।
कुम्भ कलश अमरत भर लाई , मालनिया ,
अमुवा की डार झकोरी , सुघडपति मालनिया ।
इन चौकन रानी के ईसरदासजी घर के पुरुष सदस्यों के नाम बैठे मालनिया ,
संग सजन की जाई , सुघडपति मालनिया ।
बहन भानजी करें आरतो , मालनिया ,
झगडत अपनो नेग , सुघड्पति मालनिया ।
देत असीस चलीं घरघर को , मालनिया ,
जिएं तेरे कुवँर कन्हाई , सुघडपति मालनिया ।
रहे तेरो अमर सुहाग , सुघडपति मालनिया ।
आई हरि जु की पौढी , बधाए लाई मालनिया ॥ | braj-bra |
बुल्ला की जाणाँ मैं कौण!
बुल्ला की जाणाँ मैं कौण
ना मैं मोमन1 विच्च मसीताँ ,
ना मैं विच्च कुफर2 दीआँ रीता ,
ना मैं पाकाँ3 विच्च पलीताँ4
ना मैं मूसा ना फरऔन ।
बुल्ला की जाणाँ मैं कौण
ना मैं अंदर वेद किताबाँ ,
ना मैं विच्च भंगाँ ना शराबाँ
ना विच्च रिन्दाँ मस्त खराबाँ ,
ना विच्च जागण ना विच्च सौण ।
बुल्ला की जाणाँ मैं कौण
ना विच्च शादी5 ना गमनाकी6 ,
ना मैं विच्च पलीती7 पाकी8 ,
ना मैं आबी ना मैं खाकी ,
ना मैं आतिश ना मैं पौण ।
बुल्ला की जाणाँ मैं कौण
ना मैं अरबी ना लाहौरी ,
ना मैं हिन्दी शहर नगौरी ,
ना हिन्दू ना तुरक पशौरी ,
ना मैं रहिन्दा विच्च नदौण ।
बुल्ला की जाणाँ मैं कौण
ना मैं भेद मज़हब दा पाया ,
ना मैं आदम हव्वा जाया ,
ना मैं आपणा नाम धराया ,
ना विच्च बैठण ना विच्च भौण ।
बुल्ला की जाणाँ मैं कौण
अव्वल आखर आप नूँ जाणाँ ,
ना कोई दूजा होर पछाणा ,
मैत्थों होर ना कोई सिआणा ,
बुल्ला शाह खड़ा है कौण ?
बुल्ला की जाणाँ मैं कौण | panjabi-pan |
नृत्य गीत
आंबि सांबि खेलो वो लिलरियो ।
गेंद्यो फूल खेलो वो लिलरियो ।
आइणि रांड के धरो वो लिलरियो ।
गेंद्यो फूल खेलो वो लिलरियो ।
आइणि रांड के धरो पुण डरो निहिं ।
एक दूसरी के गले और कमर में हाथ डालकर , हाथ पकड़कर नाचते हुए महिलाएँ यह गीत गाती हैं । आमनेसामने दो भागों में बँटकर यह गीत गाया जाता है आमनेसामने लिलरिया खेल रही हूँ । गेंदा का फूल खेल रही हूँ लिलरियो । समधन को पकडूँ , परन्तु डरूँ नहीं । | bhili-bhb |
267
खाह रिज़क हलाल ते सच बोलीं छड देह तूं यारियां चोरियां ओए
तोबा कर तकसीर मुआफ तेरी जेहड़ियां पिछलियां सफान घोरियां ओए
ओह छड चाले गवार पुने वाले चुन्नी पाड़ के कीतियां मोरियां ओए
पिछा छड जटा कौतां सांभ लइयां जो सी पाड़ियां खड दियां बोरियां ओए
जो अराहकां1 जोत रत्ना लईए जेहड़ियां अरलियां2 भंनियां तोड़ियां ओए
धोये धोये के मालकां वर लइयां जेहड़ियां चाटियां कीतियां खोरियां ओए
रौले विच तैं रेढ़या कम चोरी कोई खरचियां नाहीं बोरियां ओए
छड सब बुरायाइयां पाक हो जा ना कर नाल जगत दे जोरियां ओए
तेरी आजज़ी इजज़3 मंजूर कीता ताहियें मुंदरां कन्न विच सोरियां ओए
वारस शाह ना आदतां जांदियां ने भावे कटिए पोरियां पोरियां ओए | panjabi-pan |
476
चैधराइयां छड के चाक बनयां मही चार के अंत नूं चोर होए
कौल कवारियां दे लोहड़े मारियां दे उधल हारियां दे वेखो होर होए
मां बाप करार कर कोल हारे कम्म खेढ़यां दे जोरों जोर होए
राह सच दे ते कदम धरन नाहीं जिन्हां खोटयां दे दिल खोर होए
तेरे वासते मिले हां कढ देसों असीं अपने देस दे चोर होए
वारस शाह ना अकल ते होश रहियां मारे हीर दे सेहर दे मोर होए | panjabi-pan |
बीबी तेरे बाबा जी खड़े
बीबी तेरे बाबा जी खड़े
रामरथ हांक दिया
बीबी मांगणा हो सोए मांग
अभी तो तनैं मिल सकदा
मैं तो बर मांगूं भगवान
देवर छोटे लछमन से
मैं तो मांगू कुसल्या बरगी सास
ससुर राजा जसरथ से
मैं तो मांग अजुध्या जी का राज
तख्त बैठी हुकम करूं | haryanvi-bgc |
जाय जगावहु कवन पितर लोग, भेलन पोता
जाय जगावहु1 कवन2 पितर लोग , भेलन पोता ।
पोता भेल बंसबाढ़न , 3 बहु4 जुड़वावस5 ॥ 1 ॥
देइ घालऽ6 सोने के हँसुअवा , होरिला नार काटस7 ॥ 2 ॥
भोंरहिं राम जनम ले लें साँझहि लछुमन हो ।
आधे राते भरथ भुआल , मोरे रे राम जनम ले ले हो ॥ 3 ॥
दियवा8 खोजन गेलूँ , 9 दियवो न मिलल , दियरवो10 न मिलल ।
ललना , हिरवा11 के करबो12 अँजोर , 13 मोरे राम जनमु ले लें ॥ 4 ॥
हँसुआ खोजन गेलूँ , हँसुओ न मिलल ।
सोने छुरिये राम नार काटब , मोरे राम जनम ले लें ॥ 5 ॥ | magahi-mag |
384
भाबी जोगी दे वडे कारने नी गलां नहीं सुनियां कन्न पाटयां दीयां
रोक बन्ह पल दुध दही पीवन वडिया चाटिया जोड़दे आटयां दीयां
गिठ गिठ नाखुन वाले रिछां वांगू पलमन लछियां लागड़ा पाटयां दीयां
वारस शाह एह मसत के पाट लथा रगां किरलयां वाग हनगाटयां दीयां | panjabi-pan |
हीर
हीर अक्खाँ जोगिया झूठ बोले
कौण विछड़े यार मिलावदाँ ई
ऐसा कोई ना मिलया वें मैं ढूँढ थकी
जेड़ा गया नूँ मोड़ लेयावँदा ई
मेल रूहाँ दे अज़ल दे रोज़ होए
ते सच्चे इश्क दी न्यूँ तामीर होई
फुल्ल खिल गये पाक मोहब्बताँ दे
कोई राँझा होया , कोई हीर होई
साडे चम दियाँ जुतियाँ करे सोई
जेड़ा ज्यू दा रोग गवावदाँई
भला दस खाँ चिड़ि व छुन्याँ नूँ
कदों रब सच्चा घरीं ले आवदाँई
इक बाज़ तों कंग नू कूंज खोई
वेखाँ चुप है के कुरलावदाँई
दुखाँ वालेयाँ नू गल्लाँ सुखदियाँ ते
किस्से जोड़ जहान सुनावदाँई
इक जट दे खेत नूँ अग्ग लगी
वेखाँ आण के कदों बुझावदाँई
देवाँ चूरियाँ घ्यों दे बाल दिवे
वारस शाह जे सुणा मैं गाँवदाँई
मेरा जूजा मा जेड़ा आण मिले
सिर सदका ओस दे नाणदाँई
भला मोए ते विछड़े कौन मिले
ऐंवे जीवड़ा लोग बुलावदाँई | panjabi-pan |
हम तोरा पूछिला कवन अलबेलवा
हम तोरा पूछिला1 कवन अलबेलवा ।
के रे2 सम्हारे बाबू के एहो रँगल मउरिया ॥ 1 ॥
मलिया के जलमल3 बँगाली बहनोइया ।
ओही रे सम्हारे बाबू के एहो रँगल मउरिया ॥ 2 ॥
हम तोरा पूछिला कवन अलबेलवा ।
के रे सम्हारे बाबू के एहो रँगल जोड़वा4 ॥ 3 ॥
दरजिया के जलमल बँगाली बहनोइया ।
ओही रे सम्हारे बाबू के एहो रँगल जोड़वा ॥ 4 ॥
हम तोरा पूछिला कवन अलबेलवा ।
के रे सम्हारे बाबू के एहो रँगल जुतवा ॥ 5 ॥
चमरा के जलमल बँगाली बहनोइया ।
ओही रे सम्हारे बाबू के एहो रँगल जुतवा ॥ 6 ॥ | magahi-mag |
12
हजरत काज़ी ने पैंच सदा सारे भाइयां जिमीं नूं कछ पवाइयां ई
वढी दे के जिमीं लै गये चंगी बंजर जिमीं रंझेटे नूं आइया ई
कछां मार शरीक मजाक करदे भाइयां रांझे दे बाब बनाइया ई
गल भाइयां भाबिआं एह बना छडी मगर जट दे फकड़ी लाइया ई | panjabi-pan |
बाबा देस जांदा परदेस जाइयो
बाबा देस जांदा परदेस जाइयो म्हारी जोड़ी का बर ढूंडियो
लाडो देस जांदा परदेस जांगा , ढूंडिया सै फूल गुलाब का
ताऊ देस जांदा परदेस जाइयो म्हारी जोड़ी का वर ढूंडियो
लाडो देस जांदा परदेस जांगा , ढूंडिया सै फूल गुलाब का
मामा देस जांदा परदेस जाइयो म्हारी जोड़ी का वर ढूंडियो
लाडो देस जांदा परदेस जांगा , ढूंडिया सै फूल गुलाब का
भाई देस जांदा परदेस जाइयो म्हारी जोड़ी का वर ढूंडियो
लाडो देस जांदा परदेस जांगा , ढूंडिया सै फूल गुलाब का | haryanvi-bgc |
गज गज नींव न्हकाव क्यों नी हो
गज गज नींव न्हकाव क्यों नी हो
फलाणा राज का फलाणा राय
राय सुन्नारी अंगूठी हो राज
रंग रो बधावो वऊवड़ झेलो क्योंनी वो
फलाणी बऊ री फलाणी बऊ
राय सुन्नारी अंगूठी हो राज । | malvi-mup |
इतल पीतल
इतळ पीतळ रो भर लाई बेवड़ो
रे झांझरिया मारा छैल
कोई कांख मेला टाबरिया री आन
मैं जाऊं रे जाऊं रे पीहरिये
सासू बोले छे म्हाने बोलणा
रे झांझरिया मारा छैल
कोई बाईसा देवे रे म्हाने गाल
मैं जाऊं रे जाऊं रे पीहरिये
आया बीरो सा म्हाने लेवा ने
रे झांझरिया मारा छैल
ज्यारी कांई कांई करूं मनवार
मैं जाऊं रे जाऊं रे पीहरिये
थारे मनाया देवन ना मानूं
रे झांझरिया मारा छैल
थारा बड़ोडा़ बीरोसा ने भेज
मैं जाऊं रे जाऊं रे पीहरिये
काळी पड़गी रे मन की कामळी
रे झांझरिया मारा छैल
म्हारा आलीजा पे म्हारो सांचो जीव
मैं जाऊं रे जाऊं रे सासरिये | rajasthani-raj |
ढोलर बाज्यो रे, बाज्यो रे
ढोलर बाज्यो रे , बाज्यो रे
सईयों आई सावण तीज सुहावणी ,
नान्हीनान्ही बूँद पड़े छे
म्हारो लहरयो भीज्यो रे
सईयों आई सावण तीज सुहावणी ,
ढोलर बाज्यो रे , बाज्यो रे
सईयों आई सावण तीज सुहावणी
कदम्बा की डाल पे
ढोलर घाल्यो , हीदड चाल्यो
हरिया बन की कोयल बोले
लागे चोखो भलो रे
सईयों आई सावण तीज सुहावणी ,
ढोलर बाज्यो रे , बाज्यो रे
सईयों आई सावण तीज सुहावणी
आपस में हिलमिल झूला
झोंटा दे द्यो रे
सईयों आई सावण तीज सुहावणी ,
ढोलर बाज्यो रे , बाज्यो रे
सईयों आई सावण तीज सुहावणी | rajasthani-raj |
सुरसती गनपत मनाइब, चरन पखारब हे
सुरसती1 गनपत मनाइब , 2 चरन पखारब3 हे ।
अहे रूकमिनी भइल राजा जोग , 4 केसब5 बर पावल हे ॥ 1 ॥
नेहाइ धोवाइ6 के माँग फारल , 7 अगर चनन सिर धरे ।
फूल सेज बिछाय आपन कंत सँग बिहरन लगे ॥ 2 ॥
चार पहर रात कामिन8 हरि सँग बिलास करे ।
चउठे पहर जब बीतल सपन एक देखल हे ॥ 3 ॥
देखि सपना रानी रूकमिनी , अपन हरि जगावहिं ।
लाज लोक विचार कछु नहीं , एक बात उचारहि ॥ 4 ॥
दूसर मास जब बीतल , कार्त्तिक9 फूलल कुंद कली ।
अहे हँसि हँसि पूछथि सखियन उनकर मोदभरी ॥ 5 ॥
रुकमिन जनमहिं करोध10 सखिन मारन धाबहिं ।
जाहु नारी , देम11 मोंहि खेल न भावहिं ॥ 6 ॥
तीसर मास जब आयल , अगहन मोद भरी ।
सैनहि सैन12 सखिन सब घुमरि घुमरि13 उठे ॥ 7 ॥
देह लागत सून14 भोजन देखि देखि हुल15 बरे16 ।
छप्पन परकार के भोजन छाड़ि देइ , छुवा17 न करे ॥ 8 ॥
सभ छाड़ि चुल्हवा18 के माटि के रुकमिन चुपके चाटे ॥ 9 ॥
कउन कारन19 भेल तोंहि के , कहि के मोंहि सुनावहू ।
कउन चीज मनभावत , वोंहि के बनावहू ॥ 10 ॥
नहीं चाहुँ अन धन लछमी , न छप्पन भोजन हे ।
नहीं मोरा रोग न सोग , कउन चीज माँग हम हे ॥ 11 ॥
जलम जलम तोर दासी होऊँ , अउरो न कछु चाहूँ हे ॥ 12 ॥
चउठी महीने जब बीतल , पूस नियरायल हे ।
लागत ठंडा बयार त काँपत हियो हमरो ॥ 13 ॥
पचमे माह माघ आयल आयल सीरी पंचमी हे ।
सजी गेल बाघ20 बगइचा , त रुकमिन हुलसे हियो ॥ 14 ॥
छठहि मास जब आयल , फागुन छठवाँ जनायल21 हे ।
अहे कनक कटोरा में दूध भरि चेरिया त लावल हे ॥ 15 ॥
सभ छाड़ि अमरस22 चाटल , मधुर रस तेजल23 हे ।
अलफी सलफी24 सभ फेकल25 मन फरियायल26 हे ॥ 16 ॥
सतमें मास आयल चइत , सत बाजन27 बाजये हे ।
अहे , मधुबन फुलल असोक , भओंरा28 रस भरमइ29 हे ॥ 17 ॥
कोइल सबद सोहावँन , अति मनभाँवन हे ।
रुकमिन चिहुँकी के उठथि बदन पियरायल हे ॥ 18 ॥
अठमे महीने जब , आयल बइसाख30 नियरायल हे ।
अहे फेरि फेरि देख मुँह अयनमा , 31 कइसन32 मुँह पीयर हे ॥ 19 ॥
नौमा33 महीना जब जेठ क दुपहर हे ।
लुहवा34 चलहइ , धूरी35 उठहइ से रुकमिन व्याकुल हे ॥ 20 ॥
दसमहि मास जब आयल , असाढ़ नियरायल हे ।
कउन विधि उतरब पार , चितय36 रानी रुकमिन हे ॥ 21 ॥
जलम लीहल परदुमन , महल उठे सोहर हे ।
मोती , मुँगा , चानी , सोना , लुटवल , जे किछु माँगल हे ।
सखी सभ मंगल गावहिं , सुध बुध बिसरहिं हे ॥ 22 ॥
जे इह मंगल गावहिं , गाइ , सुनावहिं हे ।
दूध पूत बढ़े अहियात , पुतर फल पावहिं हे ॥ 23 ॥ | magahi-mag |
कही पेठाएम ससुर जी से,
कही पेठाएम1 ससुर जी से ,
झट दिना2 गवना करावऽ अगहन में ।
डेरा पड़ल हइ3 राजा बघिअन में ॥ 1 ॥
कही पेठाएम बारी दुलहिन जी से ,
थोड़ा दिन गम खालऽ नइहर में ।
डेड़ा पड़ल राजा के बघिअन में ,
झूलन पड़ल राजा के बघिअन में ॥ 2 ॥
कही पठाएम भइँसुर4 जी से ,
झट दिना गवना करावऽ अगहन में ।
डेरा पड़ल राजा के बघिअन में ,
झूलन पड़ल राजा के बघिअन में ॥ 3 ॥
कही पेठाएम बारी भावह5 जी से ,
थोड़ा दिन गम खालऽ नइहर में ।
डेरा पड़ल राजा के बघिअन में ,
झूलन पड़ल राजा के बघिअन में ॥ 4 ॥
कही पेठाएम देवर जी से ,
झट दिना गवना करावऽ अगहन में ।
डेरा पड़ल राजा के बघिअन में ,
झूलन पड़ल राजा के बघिअन में ॥ 5 ॥
कही पेठाएम बारी भउजी जी से ,
थोड़ा दिन गम खालऽ नइहर में ।
डेरा पड़ल राजा के बघिअन में ,
झूलन पड़ल राजा के बघिअन में ॥ 6 ॥
कही पेठाएम सइँया जी से ,
झट दिना गवना करावऽ अगहन में ।
डेरा पड़ल राजा के बघिअन में ,
झूलन पड़ल राजा के बघिअन में ॥ 7 ॥
कही पेठाएम बारी धनि जी से ,
दोसर खसम करलऽ नइहर में ।
डेरा पड़ल राजा के बघिअन में ,
झूलन पड़ल राजा के बघिअन में ॥ 8 ॥
कही पेठाएम सामी जी से ,
तोरा अइसन गुलाम रखम6 नइहर में ।
डेरा पड़ल राजा के बघिअन में ,
झूलन पड़ल राजा के बघिअन में ॥ 9 ॥ | magahi-mag |
फुगडी 2
फुगडी खेळतां खेळतां जमीन झाली काळी
माझ्याशी फुगडी खेळते लेकुरवाळी
२ .
लाही बाई लाही साळीची लाही
मुक्यानं फुगडी खेळणं शोभत नाही
३ .
गणपतीच्या मागे उंदराची पिल्लं
सगुणा म्हणते तींच माझी मुलं
४ .
पैंजण बाई पैंजण छुमछुम पैंजण
माझ्याशी फुगडी खेळते बुटबैंगण
५ .
खार बाई खार लोणच्याचा खार
माझ्याशी फुगडी खेळते नाजुक नार
६ .
आपण दोघी मैत्रिणी गळां घालूं वेढा
गोड गोड बोलुं आपण साखरपेढा
७ .
बारा वाजले एक वाजला समोर पडली आहेत उष्टी
नवरा आणि बायको बसून करताहेत गोष्टी .
८ .
तुझी माझी फुगडी किलवर ग
संभाळ अपुले बिलवर ग
९ .
आपण दोघी मैत्रिणी गळां घालूं मिठी
गोड गोड बोलूं आपण साखरपिठी
१० .
नमस्कार करतें आशीर्वाद द्या
लहान आहे सासूबाई संभाळून घ्या
११ .
फुगडी फुलेदार भाऊ शिलेदार
नणंदा मोकाणी जावा कोल्हाटिणी .
१२ .
हरबर्याचं घाटं माज्या फुगडीला दाटं
फुगडी पापा तेलणी चांफा ,
सईची साडी राहिली घरीं ,
बाप सोनारा नथ घडू दे ,
नथीचा जोड सवती बोल ,
सवत कां बोल ना ,
यील मेल्या सांगीन त्येला , तुला ग मार दियाला ,
बकर कापीन गांवाला , हरीख माज्या जीवाला
१३ .
घोडा घोडा एकीचा एकीचा
पेठकरणी लेकीचा , लेकीचा
१४ .
अशी लेक गोरी , गोरी
हळ्द लावा थोडी , थोडी
हळदीचा उंडा , उंडा
रेशमाचा गोंडा , गोंडा
गोंड्यात होती काडी , काडी
काडीत होता रुपाया , रुपाया
भाऊ माझा शिपाया , शिपाया .
१५ .
शिळ्या चुलीत चाफा चाफा
नाव ठेवा गोपा , गोपा
गोपा गेला ताकाला ताकाला
विंचू लावला नाकाला
विंचवाची झाली गुळवणी गुळवणी
त्यांत माझी मिळवणी मिळवणी
मिळवणीचा रहाट ग रहाट ग
कोल्हापूरची पेठ ग पेठ ग
पेठेला लागल्या शेंगा शेंगा
अशी शेंग गोड ग गोड ग
जिभेला उठला फोड ग फोड ग
फोड कांही फुटेना फुटेना
घरचा मामा उठेना उठेना
घरचा मामा खैस ग खैस ग
त्यान घेतली म्हैस ग म्हैस ग
१६ .
अरंडयावर करंडा करंडयावर मोर
माझ्यासंग फुगडी खेळती चंद्राची कोर
१७ .
ओवा बाई ओवा रानोमळ ओवा
माझ्यासंग फुगडि खेळतो गणपतिबुवा
१८ .
आम्ही दोघी मैत्रिणी अट्टीच्या अट्टीच्या
साडया नेसू पट्टीच्या पट्टीच्या
१९ .
खोल खोल विहिरीला उंच उंच चिरे
तुझी माझी फुगडी गरगर फिरे
२० .
आपण दोघी मैत्रिणी जोडीच्या जोडीच्या
हातात पाटल्या तोडीच्या तोडीच्या
२१ .
चहा बाई चहा गवती चहा
माय लेकीच्या फुगडया पहा
२२
पहा तर पहा उठून जा
आमच्या फुगडीला जागा द्या
२३ .
अक्कण माती चिक्कण माती पाय घसरला
प्रेमाचा नवरा् शेला आणायला विसरला
२४ .
इकडून आली तार तिकडून तार
भामाचा नवरा मामलेदार .
२५ .
तुझ्या घरी माझ्या घरी आहे बिंदली सरी
फुगडी खेळताना बाई नको तालीवारी | marathi-mar |
घड़िआली देहो निकाल
घड़िआली1 देहो निकाल नी ,
अज पी घर आया लाल ।
मैंनूँ आपणी खबर ना काई ,
क्या जाणा मैं कित्थे गंवाई ,
एह गल्ल कीकूँ छुपे छुपाई ।
हुण होया फज़ल कमाल ।
घड़िआली देहो निकाल ।
घड़ी घड़ी घड़ेआल वजावे ,
रैण वसल दी क्यों घटावे ,
मेरे मन दी बात जो पावे ।
हत्थों चा सुट्टे घड़ेआल ।
घड़िआली देहो निकाल ।
अनहद बाजा बजे शहाना ,
मुतरब सुघाडाँ तान तराना ,
नमाज़ रोज़ा भुल्ल ग्या दुगाना ।
टूणे कामण करो सवेरे ,
जादूगर आवण वड्डे वडेरे ,
किवें किवें वस आया तेरे ।
लक्ख बरस रह होरी नाल ।
घड़िआली देहो निकाल ।
साईं मुक्ख वेक्खण दे अजब नज़ारे ,
दुःख दलिदर गए जो पास प्यरे ,
चंगी रात वधे किवें करे पसारे
दिन अग्गे धरे देवाल ।
घड़िआली देहो निकाल ।
बुल्ला सहु दी सेज प्यारी ,
मैं तरी सो तारनहारे तारी ,
किवें किंवे हुण आईआ वरी ।
मैंनूँ विछड़न थीआ मुहाल ।
घड़िआली देहो निकाल । | panjabi-pan |
बोल सुण्या जब साधू का
बोल सुण्या जब साधू का , खाटका लग्या गात के म्हाँ ।
पाटमदे झट चाल पङी , उनै भोजन लिया हाथ के म्हाँ ॥
उठ्ण लागी ल्हौर बदन मैं , जब नैनो से नैन लङी ।
मेरे पिया बिन सोचे समझे , या गलती करदी बोहोत बङी ॥
हिया उझळ कै आवण लाग्या , आंख्यां तै गई लाग झङी ।
हाथ जोङ कै पाटमदे झट , शीश झुका कै हुई खङी ॥
कह " लख्मीचन्द " न्यूँ बोली , तू क्युं ना रह्या साथ के म्हाँ ॥ पाटमदे झट चाल पङी . . . . . . . . . . . | haryanvi-bgc |
कन्यादान गीत
पोसे पोसे रूप्या देधा , हार कड़ा पातला देसे वो लाड़ि ।
पोसे पोसे रूप्या देधा , गंुडि वटली फवरी देसे वो लाड़ि ।
पोसे पोसे रूप्या देधा , पलंग सिरको फवरा देसे वो लाड़ि ।
पोसे पोसे रूप्या देधा , कड़ा पातला देसे वो लाड़ि ।
वर पक्ष की महिलाएँ शंका कर रही हैं कि हमने पोष भरभरकर तेरे मातापिता को रुपये दिये हैं , हारकड़े पतले देंगे । घुण्डीबटली हल्के देंगे , पलंग सिरका हल्का देंगे और कड़ा और कड़ी पतली देंगे । | bhili-bhb |
488
भाबी अज जोबन तेरे लहर दितो जिवें नदी दा नीर उछलया ए
कुफल1 जंदरा तोड़ के चोर वड़या अज बीड़ा कसतूरी दा हलया ए
सुहा घगरा लहरां दे नाल उडे वेग बद दोचंद हो चलया ए
सुरखी होंठां दी किसे ने चूप लई अंब सगना मोड़ के घलया ए
कस्तूरी दे मिरग जिस ढाह लए कोई नवां हीरा आन मलया ए
वारस शाह तैनूं पिछों आन मिलीया इक नवां ही कोई सहड़या ए | panjabi-pan |
पनघट पे न छेड़ो श्याम छैला
पनघट पे न छेड़ो श्याम छैला
नैना भरों के भरों घैला । पनघट पे . . .
भर के गगरिया हमें घर जानें
मोहन न रोको हमारी गैला । पनघट पे . . .
काम तुम्हारो है माखन चुरावो ,
तुम हो जनम के चुटकैला । पनघट पे . . .
एही पनघट पे हो गई दिवानी ,
लागी नजर कौन जाऊँ गैला । पनघट पे . . .
पिया सखी भई रूप दिवानी
नाजा रे छलिया छलबैला । पनघट पे . . . | bundeli-bns |
बनवारी हो लाल कोन्या थारै सारै
बनवारी हो लाल कोन्या थारै सारै , गिरधारी हो लाल कोन्या थारै सारै
ऐ महल मालिया थारै । थारी बरोबरी म्हें करांस , कोई टूटी टपरी म्हारै
गिरधारी हो लाल कोन्या थारै सारै
ऐ कामधेनवा थारै । थारी बरोबरी म्हें करांस , कोई भैंस पाडड़ी म्हारै
गिरधारी हो लाल कोन्या थारै सारै
ऐ हाथी घोड़ा थारै । थारी बरोबरी म्हें करोस , कोई ऊंट टोरड़ा म्हारै
गिरधारी हो लाल कोन्या थारै सारै
ऐ भाला बरछी थारै । थारी बरोबरी म्हें करांस , कोई जेली गंडासी म्हारै
गिरधारी हो लाल कोन्या थारै सारै
ऐ रतनागर सागर थारै । थारी बरोबरी म्हें करांस , कोई ढाब भर्या है म्हारै
गिरधारी हो लाल कोन्या थारै सारै
ऐ तोसक तकिया थारै । थारी बरोबरी म्हें करांस , कोई पाटी गूदड़ी म्हारै
गिरधारी हो लाल कोन्या थारै सारै
आ राधा रानी थारै । थारी बरोबरी म्हें करांस , कोई एक जाटणी म्हारै
बनवारी हो लाल कोन्या थारै सारै , गिरधारी हो लाल कोन्या थारै सारै | haryanvi-bgc |
आसौ दे गऔ साल करौंटा
आसौ दे गऔ साल करौंटा ,
करौ खाव सब खौंटा ।
गोंऊ पिसी खाँ गिरूआ लग गव
महुअन लग गओ लौंका ।
ककना दौरीं सबधर खाये
रै गव फकत अनोंटा ।
कात ईसुरी बाँधें रइयो
जबर गाँठ कौ घोंटा । | bundeli-bns |
म्हें तो सगलाई देवता भेट्यां रे भंवरा
म्हें तो सगलाई देवता भेट्यां रे भंवरा
म्हारे मायाजी रे तोले कोई नहीं भंवरा
म्हे तो सगलाई कुलदेव भेंट्या रे भंवरा
म्हारे भोपाजी रै तैल सिंदूर चढ़े रे भंवरा
म्हें तो सगलाई देवां ने भेंट्या रे भंवरा
म्हारे मायाजी रे तोले कोई नहीं रे भंवरा | rajasthani-raj |
कहवाँ के कोहबर लाल से गुलाब हे
कहवाँ के कोहबर लाल से गुलाब हे ।
कहवाँ के कोहबर पान से छवावल हे ॥ 1 ॥
अँगना के कोहबर लाल हे गुलाब हे ।
भीतर के कोहबर पान से छवावल हे ॥ 2 ॥
सेहु पइसी1 सुतलन दुलरइते बाबू राजा हे ।
जबरे भइ सुतलन पंडितवा केरा धिया हे ॥ 3 ॥
ओते2 सुतूँ , ओते सुतूँ , ससुर जी के बेटवा हे ।
नइहर के चुनरी मइल3 जनु होवइ हे ॥ 4 ॥
एतना बचन जब सुनलन दुलरइते बाबू राजा हे ।
भीतर के सेजिया बाहर कर देलन हे ॥ 5 ॥
गरजे लगल बादल बरसे लगल बुंद हे ।
देहरी लगल दुलहा रोदना पसारे4 हे ॥ 6 ॥
खोलु धनि , खोलु धनि , सोबरन केवाड़ हे ।
आजु के रतिया सुहावन करि देहु हे ॥ 7 ॥
कइसे हम खोलूँ परभु , सोबरन केवड़िया हे ।
हमरा बाबू से दहेज मत लिहऽ5 हे ।
हमरी अम्माँ से जयतुक6 मत लिहऽ हे ॥ 8 ॥
तोहरो बाबू से दहेज नहीं लेबो7 हे ।
तोहरी अम्माँ से जयतुक नहीं लेबो हे ॥ 9 ॥
हमरी अम्माँ से जबाव मति करिहऽ8 हे ।
तोहरी अम्माँ से जबाब मति करबो हे ॥ 10 ॥
लाख अरजिया जी परभु , लेखो9 मत लिहऽ हे ।
अरथ भंडार10 परभु , सौंपि हमरा दिहऽ हे ॥ 11 ॥ | magahi-mag |
263
देवां सिखिया1 रब्ब दी याद दसी गुरु जोग दे भेत नूं पाईए जी
नहा धो के चा भबूत मलीए अते किस वत अंग वटाईए जी
सिंगी फौड़ही खपरी हथ लै के पहले रब्ब दा नाम धयाईए जी
नगर अलख वजाइके जा वड़ीए पाप जान जे नाद बजाईए जी
सुखी दवार वसे जोगी भीख मांगे देई दुआ असीस सुनाईए जी
इस भांत दे नगर दी भीख लै के मसत लटकदे दुआर को आईए जी
वडी माउं ही जान के करो निसख छोटी भैन मिसाल बनाईए जी
वारस शाह यकीन दी गल चगी सभो हक दी हक ठहराईए जी | panjabi-pan |
रथ ठाड़े करो रघुबीर
रथ ठांड़े करो रघुबीर ,
तुम्हारे संग मैं चलूं वनवास खों ।
अरे हां जी तुम्हारे ,
काहे के रथला बने , है
अरे काहे के डरे हैं बुनाव
तुम्हारे संग . . .
अरे हां हो हमारे ,
चन्दन के रथला बने ,
और रेशम डरे हैं बुनाव ,
तुम्हारे संग . . .
अरे हां जी तुम्हारे ,
रथ में को जो बैठियो ,
और हां जी रानी सीता ,
रथ में बैठियो ,
राजा राम जी हैं हांकनहार ,
तुम्हारे संग . . .
रथ ठांड़े करो . . . | bundeli-bns |
मड़वा डगमग खरही बिनु
मड़वा डगमग1 खरही2 बिनु , कलसा पुरहर बिनु हे ।
मन मोरे डगमग नइहर बिनु , अप्पन सहोदर बिनु हे ॥ 1 ॥
मड़वहिं बइठल गोतिया लोग , भनसा3 गोतिनिया लोग हे ।
तइयो नहीं मन मोरा हुलसल4 अप्पन नइहर बिनु हे ॥ 2 ॥
इयरी पियरी कइसे पेन्हब , अप्पन नइहर बिनु हे ।
चउका चनन कइसे बइठब , अप्पन जयल5 बिनु हे ।
अरप दरप6 कइसे बोलब , अप्पन पुरुख बिनु हे ॥ 3 ॥ | magahi-mag |
जिद्दिन लाडो तेरा जन्म हुआ है
जिद्दिन लाडो तेरा जन्म हुआ है जन्म हुआ है
हुई है बजर की रात
पहरे वाले लाडो सो गए लग गए चन्दन किवाड़
गुड़ की पात तेरी अम्मां वह पीवै
टका भी खरचा न जाय
सौ सठ दिवले बिटिया बाल धरे हैं तो भी गहन अंधेर
जिस दिन लल्ला तेरा जन्म हुआ है हुई है स्वर्ग की रात
सूतों के पलंग लल्ला अम्मां बी पौढे सुरभि का घृत मंगाय
बूरे की पात तेरी अम्मां तो पीवै
बाबल लुटावै दाम
एक दिवला रे लल्ला बाल धरा है चारों ही खूंट उजाला
जिद्दिन लल्ला तेरा जन्म हुआ है हुई है स्वर्ग की रात
घर बी सून्ना आंगन बी सूना लाडो चली पिता घर तियाग
घर में तो उस के बाबल रोवैं अम्मां बहिन उदास
कोठे के नीचे से निकली पलकिया निकली पलकिया
आम नीचे से निकला है डोला भय्या ने खाई है पछाड़
कोयल शब्द सुनाम
खेल क्यूं ना ले लाडो कौले की गुड़िया मिल क्यों ना ले संग की सहेली
कैसे खेलूं रे बाबा कौले की गुड़िया अब कैसे मिल लूं संग की सहेली
सासू के जाये ने झगड़ा है डाला अब नहीं मिलने हार जी
माय कहै मेरी नित उठ आइयो बाबल कै छठे मास
भैया कहै जीजी काज परोजन या भतीजे के भये
क्या आऊं रे बाबा काज परोजन या भाभी के जाये
क्या आऊं रे बाबा सावन की तीजो क्या रे भतीजों के ब्याह
डोले के पीछे बाबा भी चलिया रथ का पकड़ा है डांड
मेरी तो बेटी रे समधी महलों की बांदी हम तेरे बंदे गुलाम
ऐसा बोल ना बोल मेरे लायक समधी
तुम्हारी तो बेटी मेरे महलों की रानी तुम हमारे सिर के ताज | haryanvi-bgc |
380
मैं अकलड़ा गल ना जाणदा हां तुसीं दोवें ननाण भरजाइयां नी
मालजादियां वांग बना तेरी पा बैठीए सुरम सलाइयां नी
पैर पकड़ फकीर दे देह भिछया अड़ियां कुआरीए केहीयां लाइयां नी
धयान रब्ब ते रख ना हो तती गुसे होण ना भलयां दीयां जाइयां नी
तैनूं शौक है तिन्हां दा भाग भरीए जिन्हां डाचियां मार चराइयां नी
जिस रब्ब दे असीं फकीर होए वेख कुदरतां उस वखाइयां नी
मेरे पीर नूं जाणदे मोयां गयां ताईं गालियां देनियां लाइयां नी
वारस शाह ओह सदा ई जिऊंदे ने जिन्हां कीतियां नेक कमाइयां नी | panjabi-pan |
395
जिनां नाल फकीर दे अड़ी बधी हथ धो जहान थी चलियां ने
आ टलीं कुआरिये डारिये नी केहियां चाइयां धजां अवलियां ने
होवे शर्म हया उनां कुआरियां नूं जेड़ियां नेक सोहबत विच रलियां ने
कारे हथियां कुआरियां वेहु भरियां भला क्यों कर रहन नचलियां ने
मुनस मंगदियां जोगिया नाल लड़के राती औखियां होण अकलियां ने
पिछे चरखड़ा रूल है सड़न जोगी कदे चार ना लाहियो छलियां ने
जिथे गभरू होण जा खहे उथे परे मारके बहे पथलियां ने
टल जाह फकीर तों गुंडीए नी आ कुआरिये राहां कयों मलियां ने | panjabi-pan |
मचिया बैसल हे कोसिका
मचिया बैसल हे कोसिका ,
भितिया अंगुठल
दीनानाथ के वटिया हेरै छै ।
कहँमा से भागवै हे कोसी
चानन के लकड़िया
कहाँ से मंगेवै सूतिहार ।
मोरंग से मंगेवै हे कोसिका
चानन लकड़िया
तिरहुत से मंगेवै सूतिहार ।
कथी से छेवैवे हे कोसिका
चानन के लकड़िया
कथी से छेवैवे हे कोसिका
पैर के खड़म ।
आरी से छेवैवे हे कोसिका
चानन के लकड़िया
बसुला से छेवैवे हे कोसिका
पैर के खड़म ।
कहाँ गेल किअ भेल
दीनानाथ दुलरूआ
पीन्हि लिअ पैर के खड़म । । | angika-anp |
अँगना में रिमझिम कोहबर दीप बरे हे
अँगना में रिमझिम कोहबर दीप बरे1 हे ।
अरे ताहि कोहबर सुतलन कवन दुलहा ,
बेनिया डोलाइ माँगे हे ॥ 1 ॥
बेनिया डोलइते हे आवल2 सुखनीनियाँ ।
रसे रसे3 बीत गेलइ सउँसे4 रँगे रतिया ॥ 2 ॥ | magahi-mag |
पाँच पतासे पान्या का बिड़ला
पांच पतासे पान्या का बिड़ला
लै सैयद पै जाइओ जी
जिस डाली म्हारा सैयद बैठ्या
वा डाली झुक जाइयो जी
पांच पतासे पान्या का बिड़ला
लै माता पै जाइयो जी
जिस डाली म्हारी माता बैठी
वा डाली झुक जाइयो जी
पांच पतासे पान्या का बिड़ला
लै देवी पै जाइओ जी
जिस डाली म्हारी देवी बैठी
वा डाली झुक जाइयो जी | haryanvi-bgc |
हरता तो फरता मारूजी हो पूछे
हरता तो फरता मारूजी हो पूछे
मटकी ना मोती क्याँ मेलिया
एकज मोती राजा दई ने दीदो
हरता तो फरता मारूजी हो पूछे
मटकी ना मोती क्यां मेल्या
एकज मोती राजा सासू ने दीदो
कुंवर पटोला झेलिया
हरता . . .
एकज मोती राजा जेठाणी ने दीदो
दस दन खूणे खाट ढलाविया
हरता तो . . .
एकज मोती राजा जेठाणी ने दीदो
दस दन दिवलो संजोवियो
हरता तो . . .
एकज मोती राजा नणदल ने दीदो
कंवले सांतीपूड़ा मंडाविया
हरता तो फरता सुगणी रा सायबा पूछे
एकज मोती राजा ढोली ने दीदो
दस दन ढोल गरासिया
हरता तो . . .
एकज मोती राजा पड़ोसन ने दीदो
दस दन मंगल गवाड़िया | malvi-mup |
काला बहल जुड़ाइयां मैं
काला बहल जुड़ाइयां मैं थलस तलै नै आइयां
क्यों कर जीऊं काले कै ब्याह दइयां
काला घर मैं बड़ियां ये कड़ी करंजै पड़ियां
क्यों कर जीऊं काले कै ब्याह दइयां
भूरा बहल जुड़ाइयां मैं झट दै बेहल मैं आइयां
क्यों कर जीऊं काले कै ब्याह दइयां
भूरा घर मैं बड़ियां सत्तर दीवे बलियां
काले के दो जाये जणों भूंड गिरड़ ते आये
क्यों कर जीऊं काले कै ब्याह दइयां
भूरे कै दो जाये जणो चांद सूरज दो आये
क्यों कर जीऊं काले कै ब्याह दइयां | haryanvi-bgc |
राजा ऊँचा है चंवरो चब खंडियो
राजा ऊँचा है चंवरो चब खंडियो
जे पर ढ़ाली नवरंगी खाट
हर बोलो दीवानजी रा कूंकड़ा
जे पर पोढ़िया फलाणाजी हो राम
बऊँ लाड़ी थारो नाम जगावजे हो
जागोजागो केसरिया नाम
हरि बोलो दीवानजी रा कूंकड़ा
राजा जागी ने पाग सँवारिया
उनकी पागां पर मोतिया रा लूम
हीरा केरा लूम
राजा ऊँचा हो चंवरो चवखंडियो
जे पर ढाली है टूटी टाटी खाट
जे पर पोढ़िया फलाणा राम भाँड
बाई थारो नाम जगावजे
जागोजागो नावीड़ा नाम
नावी जागी ने चींदो संवारिया
चींदा पे ऊँदरा रा लूम , बिच्छूरा लूम | malvi-mup |
अचक आय अँगुरी पकरी
जाने कैसी करी अचक आय अँगुरी पकरी ॥ टेक
अँगुरी पकर मेरी पहुँचौ पकर्यौ ,
अब कित जाऊँ गिरारौ सकरौ ।
मिलवे की लागी धक री ॥ जानै .
जो सुनि पावेगी सास हमारी ,
नित उठि रार मचावेगी भारी ।
मोतिन सौं भरी माँग बिगरी ॥ जानै .
श्री मुख चन्द्र कमरिया बारौ ,
सालिगराम प्रानन कौ प्यारौ ।
अन्तर कौ कारौ कपटी ॥ जानै . | braj-bra |
अंगना में कुइयाँ खोनाइले, पीयर माटी नू ए
अंगना में कुइयाँ खोनाइले , पीयर माटी नू ए ,
ए ललना जाहिरे जगवहु कवन देवा , नाती जनम लिहले हो ।
नाती जनमले त भल भइले , अब वंस बाढ़हू ए ।
ए ललना देह घालऽ सोने के हँसुअवा ,
बाबू के नार काटहु ए ।
ए ललना देइ घालऽ सोने के खपड़वा ,
बाबू के नहवाईवि ए ।
ए ललना जाहि रे जगवहु कवन देवा ,
नाती जनम लिहले ए ।
नाती जनमले त भल भइले , अब वंस बाढ़हु ए ।
ए ललना देई घालऽ रेशमऽ के कपड़वा ,
जे बाबू के पेनहाइवि ए । | bhojpuri-bho |
40
तुसीं विच खुदा दे खानयां दे गोज1 वायगी दस क्यों मारदे हो
झूठ गैबता2 अते हराम करना मुशतजनी दे गैब क्यों सारदे हो
बास हलवियां दी खबर मुरदियां दी नाल दुआए दे जीऊंदे मारदे हो
अन्ने कोड़यां लूलयां वांग बैठे कुररा मरन जहान दा मारदे हो
शरह चाए सरपोश बनाया जे रवादार वडे गुनहगार दे हो
वारस शाह मुसाफरां आयां नूं चलो चल ही पये पुकारदे हो | panjabi-pan |
दृगन मन बस गये री मोरे गुइया
दृगन मन बस गये , री मोरे गुइयां
कै मोरी गुइयां , दशरथ राज दुलारे
गैल इत कड़ गये , री मोरी गुइयां । दृगन मन . . .
कै मोरी गुइयां , हांथ सुमन के दौना ,
लतन बिच छिप रहे , री मोरी गुइयां । । दृगन मन . . .
कै मोरी गुइयां तक तिरछी सैनन
विहंस कछु कह गये , री मोरी गुइयां । ।
कै मोरी गुइयां कंचन प्राण पियारे ,
चोर चित लै गये , री मोरी गुइयां । दृगन मन . . . | bundeli-bns |
सरवन पँवारा
कात–बास दोइ अँधा बसइँ
अमर लोक नाराँइन बसे
अँधी कहति अँधते बात
हम तुम चलें राम के पास
कहा राम हरि तेरो लियो
एकुँ न बालक हमकू दियो
बालकु देउ भलो सो जाँनि
मात–पितन की राखै काँनि ।
एक माँस के अच्छर तीनि
दुसरे माँस लइउड़े सरीर
तिसरे माँस के सरबन पूत्र
डेहरी लाँघइ फरकइ दुआरु
देखउ बालकु जूकिन कार
जू बालकु अन्धी को होई
जू बालकु सूरा का होइ
लइलेउ अन्धी अपनो लालु
लइलेउ सूरा अपनो लालु्
जू जो जिअइ तउ हउ बड़ भागि
दिन–दिन अन्धी सेवन लागि
दिन–दिन सूरा के भओ उजियार | kanauji-bjj |
कड़तन लागौ मूड़ दिरौंदा
कड़तन लागौ मूड़ दिरौंदा ,
कड़ीं न सिर खों ओंदा ।
कारीगर ने बुरऔ बनाऔं ।
धरौ न ऊँचों गोंदा ।
लच गई , लफ गई , दूनर हो गई ,
नेंनूँ कैंसो लोंदा
ईसुर उनें उठा नई पाए ,
हतो उतै सकरोंदा । | bundeli-bns |
अमवा के डाढ़ चौका
अमवा के डाढ़1 चढ़ि बोलेले कोइलिया ।
लगन2 लगन डिँड़ियाय3 हे ॥ 1 ॥
एहो नगरिया माइ हे , कोई नहीं जागथिने4 ।
लगन न माँगथिन5 लिखाइ जी ॥ 2 ॥
एहो नगरिया माइ हे , जागथिन कवन बाबू ,
हमें लेबइ लगन लिखाइ हे ॥ 3 ॥
घर से बाहर भेलन6 दुलरइता दुलहा ,
आजु बाबू लगन लिखाहु जी ॥ 4 ॥
अइसन लगन लिखिह जी बाबू ,
ओहे लगन होइतो बियाह जी ॥ 5 ॥ | magahi-mag |
विदाई गीत
सासु बोलाड़े बनी जरा बोलजे ।
बनी बोल बिराणो लागे ।
माई बोलाड़े वेगि बोल नानी बनड़ी ।
बोल पियारो लागे ।
सेसरो बोलाड़े धीरेबोल नानी बनड़ी ।
बोल बिराणो लागे ।
मायके से लड़की को शिक्षा दी गई है कि मायके वाले आवाज दें तो जल्दी और जोर से बोलना । ससुराल वाले आवाज दें तो धीरे से और शांतस्वभाव से बोलना । मायके वालों की आवाज प्यारी लगती है , ससुराल वालों की आवाज पराई लगती है । | bhili-bhb |
नीला पंखो जोरान्यकू डो
नीला पंखो जोरान्यकू डो
नीला पंखो जोरान्यकू डो
चोजा जूरेना आजेवा बेटी डो चूजा जूरेना
चोजा जूरेना आजेवा बेटी डो चूजा जूरेना
ऊरागा भरटी काका कू डो
ऊरागा भरटी काका कू डो
चोजा जूरेना आजेवा बेटी डो चूजा जूरेना
चोजा जूरेना आजेवा बेटी डो चूजा जूरेना
चिचारिस भरटी काकी के डो
चिचारिस भरटी काकी के डो
चोजा जूरेना आजेवा बेटी डो चूजा जूरेना
चोजा जूरेना आजेवा बेटी डो चूजा जूरेना
स्रोत व्यक्ति शांतिलाल कासडे , ग्राम छुरीखाल | korku-kfq |
दीपक दया धरम को जारौ
दीपक दया धरम को जारौ ,
सदा रात उजयारौ ।
धरम करे बिन करम खुलैना ,
ज्यौं कुन्जी बिन तारौं ,
समझा चुके करै न रइयो ।
दिया तरै अंदयारौ ।
कात ईसुरी सुनलो भईया
लगजै यार न वारौ । | bundeli-bns |
तमतै चाले नौकरी म्हारा कौन हवाल
तमतै चाले नौकरी म्हारा कौन हवाल
यो बिडला मेरे मन बसिया
बिडला बिडला के करै री गोरी बिडले ल्यावां दो चार
यो बिडला मेरे मन बसिया
कोठी चावल रै गोरी घी घणा गोरी म्हारी बैठी मौज उडाय
यो बिडला मेरे मन बसिया
चरखा ल्यांदा रै गोरी रांगला पीड़ा लाल गुलाल
यो बिडला मेरे मन बसिया
तकवा ल्यांदा रै गोरी म्हारी सार का कातनी झरोखे दार | haryanvi-bgc |
नागर नंदजी ना लाल
नागर नंदजी ना लाल नागर नंदजी ना लाल
रास रमंता म्हारी नथनी खोवाई
कान्हा जड़ी होए तो आल , कान्हा जड़ी होए तो आल
रस रमंता म्हारी नथनी खोवाई . . .
वृन्दावन नी कुञ्ज गलीं मां बोले झिना मोर
राधाजी नी नथनी नो शामलियो छे चोर . . . .
नागर नंदजी ना लाल नागर नंदजी ना लाल
रास रमंता म्हारी नथनी खोवाई . . . . . | gujarati-guj |
मेरी मटुकी फोरी री
जसोदा तेरे लाला ने मेरी मटुकी फोरी री ॥ टेक
हम दधि बेचन जात वृन्दावन मिलि ब्रज गोरी री ।
गैल रोकि के ठाड़ौ पायौ , कीनी झकझोरी री ॥
दही सब खाय मटुकिया फोरी बाँह मरोरी री ।
लै नन्दरानी हमने तिहारी नगरी छोड़ी री ॥
चोरी तो सब जगह होय तेरे ब्रज में जोरी री ।
नाम बिगारौ तिहारौ याने बेशरमाई ओढ़ी री ।
सारी झटक मसक दई चोली , माला तोरी री ।
कहै ‘शिवराम’ चिपकारी भरिकें खेलौ होरी री ॥ | braj-bra |
निमंत्रण
भावनाओं के रिश्ते में रचा आमंत्रण , जो देवता , प्रकृति के समस्त उपादान , स्वजनों के साथ साथ सभी वर्ग एवं वर्ण के उन सभी लोगों को आमंत्रित करता है जो किसी न किसी नाते सहयोगी बनकर जीवन में आते हैं .
प्रात जो न्युतुं में सुरीज , सांझ जो न्युतुं में चन्द्रमा
तारण को अधिकार ज्युनिन को अधिकार किरनन को अधिकार ,
समायो बधये न्युतिये , आज बधये न्युतिये , आज बधये न्युतिये
ब्रम्हा विष्णु न्युतुं मैं काज सुं , गणपति न्युतुं मैं काज सुं
ब्राह्मण न्युतुं मैं काज सुं , जोशिया न्युतुं मैं काज सुं , ब्रह्मा न्युतुं मैं काज सुं ,
विष्णु श्रृष्टि रचाय , गणपति सिद्धि ले आय ,
ब्राह्मण वेड पढाए , जोशिया लगन ले आय ,
कामिनी दियो जलाय , सुहागिनी मंगल गाय ,
मालिनी फूल ले आय , जुरिया दूबो ले आय ,
शिम्पिया चोया ले आय
दिन दिन होवेंगे काज सब दिन दिन होवेंगे काज ,
समायो बधये न्युतिये , आज बधये न्युतिये
बढ़या न्युतुं मैं काज सूं , शंख घंट न्युतुं मैं काज सूं
सब दिन दिन होवेंगे काज ,
समायो बधये न्युतिये , आज बधये न्युतिये
बाजनिया न्युतुं मैं काज सूं , बहनिया न्युतुं मैं काज सूं ,
भाई बंधू मैं न्युतुं मैं काज सूं , सब दिन दिन होवेंगे काज ,
समायो बधये न्युतिये , आज बधये न्युतिये
बढया चोका ले आय , शंख घंट शब्द सुनाय ,
बाजनिया बाजो बजाय , आन्गानिया ढहत लगाय ,
बहनियाँ रोचन ले , भाई बंधू शोभा बढ़ाय
अहिरिणी दहिया ले आय , गुजरिया दूधो ले आय ,
हलवाई सीनी ले आय , तमोलिया बीढो ले आय ,
सब दिन दिन होवेंगे काज ,
समायो बधये न्युतिये , आज बधये न्युतिये | kumaoni-kfy |
साथिण का जंचा दिया ठीक मावस कै अड़कै
साथिण का जंचा दिया ठीक मावस कै अड़कै
मैं मंरू अक जीऊं मेरी माय साथिण मेरी जायगी तड़कै
साथिण का कर्या कसार कढ़ाई भर भर कै
मैं मरूं अक जीऊं मेरी माय साथिण मेरी जायगी तड़कै
साथिण की दिखादी तील पिलंग पै धर के
मैं मरूं अक जीऊं मेरी माय साथिण मेरी जायगी तड़कै
साथिन ने आई घाल पहर कै तड़कै
मैं मरूं अक जीऊं मेरी माय साथिण मेरी जायगी तड़कै
मैं पड़ी खटोली के बीच सबर सा करकै
मैं मरूं अक जीऊं मेरी माय साथिण मेरी जायगी तड़कै | haryanvi-bgc |
तोरे सोहे पाव पैजनिया माई के बलमा
तोरे सोहे पांव पैजनिया , माई के बलमा ।
माथे मुकुट माल रतनन की
ओढ़ें लाल उढ़निया , माई के बलमा । तोरे . . .
हाथन में हंथचूरा सोहे ,
अंगुरिन बीच मुदरिया , माई के बलमा । तोरे . . .
बाजूबन्द भुजन पे सोहे ,
कमर में करधनिया , माई के बलमा । तोरे . . .
एक हाथ में खड़ग लिये हैं ।
दूजे तीर कमनिया , माई के बलमा । तोरे . . .
तीजे हाथ त्रिशूल बिराजे
चौथे खप्पर अंगनिया , माई के बलमा । तोरे . . .
सिंह सवार भई जगतारन
छबि न जात बखनियां , माई के बलमा । तोरे . . .
पांच भगत माई तोरे जस गावें ।
छवि न जात बखनियां , माई के बलमा । तोरे . . . | bundeli-bns |
तू पाणी पाणी कर रह्या बटेऊ
तू पाणी पाणी कर रह्या बटेऊ राजा का सै डोल
राजा से डोल मांग ले बटेऊ पीले जल नीर
बटेऊ बटेऊ मत करै मैं तो लागूं तेरा बीर
तेरे राजी भाई भतीजे मरगी तेरी मांय
कहो तो बाणा बदलूं हो बीरा हो लूं तेेरी गैल
क्यांह नैं बाणा बदले हे बेबे होले मेरी गैल
नदियां तै पार उतर गई बीरा दीख्या नां गांव
बीरा बीरा मत कर हो गोरी लागूं तेरा भरतार
धोखे मैं दे कै मारी हो जुल्मी जाइयो तेरा नास
मेरे छोरां छोरी रोवैं हो बैरी रोवै मेरा भरतार
तेरे हो जैं छोरा छोरी हो गोरी मैं तेरा भरतार
महलां सै तले नै उतरो री अम्मां चन्दा सी नार
तूं किस की जाई ल्याया रे बेटा किस की सै नार
राजा की जाई ल्याया री अम्मां मेरी सै नार
कूएं पै नीर भरे थी अम्मां हो ली मेरे साथ
धोखे में दे कर मारी बुड्ढिया जाइयो री इसका नास
मेरे सासू सुसरा ढूंढै री बुड्ढिया ढूंढै भरतार | haryanvi-bgc |
जब साजन ही परदेस गये मस्ताना फागण क्यूँ आया
जब साजन ही परदेस गये मस्ताना फागण क्यूँ आया
जब सारा फागण बीत गया तैं घर में साजन क्यूँ आया
छम छम नाचैं सब नर नारी मैं बैठी दुखां की मारी
मेरे मन में जब अंधेरा मचा तैं चान्द का चांदण क्यूँ आया
इब पीया आया जी खित्याना जब जी आया पी मित्याना
साजन बिन जोबन क्यूँ आया जोबन बिन साजन क्यूँ आया
मन की तै अर्थी बंधी पड़ी आंख्यां मैं लागी हाय झड़ी
जब फूल मेरे मन का सूक्या लजमारा फागण क्यूँ आया | haryanvi-bgc |
रुपया खरच कू रख लीजो
बारे लाँगुरिया रुपया खरच कू रख लीजो ,
मैंने बोली है करौली की जात ॥ लँगुरिया .
बारे लाँगुरिया चम्पा की मैयाहू जावैगी ,
और सुन्दर की कर गई बात ॥ लँगुरिया .
बारे लाँगुरिया साड़ी तौ लादै नायलौन की
जामें चमकैं जोबन गात ॥ लँगुरिया .
बारे लाँगुरिया गोटा किनारी वापै लगवाऊँ ,
चाहे उठ जाँय पाँच के सात ॥ लँगुरिया .
वारे लाँगुरिया गोद मेरी तो सूनी है ,
अब जाय मांगूगी देवी मात ॥ लँगुरिया .
वारे लाँगुरिया मन में तू शंका कछु न रखियो
वहाँ पै जो माँगे ‘प्रभु’ पात ॥ लँगुरिया . | braj-bra |
ईसुरी की फाग-5
दिल की राम हमारी जानें
मित्र झूठ न मानें
हम तुम लाल बतात जात ते , आज रात बर्रानें
सा परतीत आज भई बातें , सपनेन काए दिखानें ?
ना हो , हो , देख लेत हैं , फूले नईं समानें
भौत दिनन से मोरो ईसुर तुमें लगौ दिल चानें
भावार्थ
हमारे मन की बात तो राम ही जानते हैं । मित्र , हमारी बात को झूठ न समझें । आज रात को ही हमने यह सपना
देखा है कि हम उनसे बात कर रहे हैं । तब हमें यह अन्दाज़ हुआ कि सपना हमने क्यों देखा ? हम उन्हें यहाँवहाँ
किसी न किसी तरह देख कर ख़ुश होते रहते हैं न , इसलिए अब वे हमें सपने में भी दिखाई देने लगी हैं । अरे ईसुरी ,
मेरा दिल उन्हें बहुत दिनों से चाहता है । | bundeli-bns |
जेठ बइसखवा के पुरइन लहर-लहर करे
जेठ बइसखवा के पुरइन लहरलहर करे ,
ताहि कोखी धिअवा जनमली त पुरुख बेपछ परले ए । बेपछविपक्ष
मइले ओढ़न , मइले डासन , कोदो चउरा पंथ भइले ,
रेंडवा के जरेला पसंगिया , निनरियो नाहि आवेले ए ।
लाले ओढ़न , लाल डासन , बसमती चउरा पंथ भइले ,
चनन के जरेला पसंगिया , निनरिया बलु आवेले ए ।
सासु के देबऽ रेडिय तेल , ननद के तिसिए तेल ,
गोतिन के देबऽ फुलेल तेल , हम गोतिन पाइंच ए ।
सासु जे आवेली गावत , ननद बजावत हे ,
गोतिन आवेली बिसमाधम मुदइया मोरे जनमऽलन ,
सासु के डासबऽ खटिअवा , ननद के मचिअवा नू ए ।
गोतिन के लाली पलंगिया हम गोतिन पाइंचए | bhojpuri-bho |
तोपेड़ तेन आठी थालो
तोपेड़ तेन आठी थालो
तोपेड़ तेन आठी थालो
कोम तेन आठी डो बेईनी पारोमे
कोम तेन आठी डो बेईनी पारोमे
चुरु तेन डा डो
चुरु तेन डा डो
बानी तेन जोम दो बेईनी ईदी ये
बानी तेन जोम दो बेईनी ईदी ये
स्रोत व्यक्ति ज्योति , ग्राम माथनी | korku-kfq |
ईसुरी की फाग-1
तुम खों छोड़न नहि विचारें
भरवौ लों अख्तयारें
जब ना हती , कछू कर घर की , रए गरे में डारें
अब को छोड़ें देत , प्रान में प्यारी भई हमारें
लगियो न भरमाए काऊ के , रैयो सुरत सम्भारें
ईसुर चाएँ तुमारे पीछें , घलें सीस तलवारें | bundeli-bns |
सलौ
सलौ1 डारि2 ऐ गैना , डालि बोटो खै गैना ।
फसल पात खै गना , बाजरो खाणो कै गैना ।
सलौ डारि डाँड्यूं मा बैठी गैन खाड्यूं मा ।
हात झींकड़ा लीन , सलौ हांकि दीन ।
काकी पकाली पलेऊ , काला हकाल मलेऊ ।
भैजी हकालू टोपीन , बौ हटाली धोतीन ।
उड़द गथ खै गैना , छड़ी सारी कै गैना ।
भैर देखा बिजोपट , फसल देखा सफाचट ।
पड़ीं च बाल बच्चों की कनी रोवा रो ,
हे नौंनों का बुबा जी , सलौ ऐन सलौ । | garhwali-gbm |
Subsets and Splits
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