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भरथरी लोक-गाथा - भाग 7
सुनले भांटो मोर बाते ल
हाल देहॅव बताय
झन तो कहिबे तेंहर बात ल
भेद रखबे लुकाय
तबतो दिहँव बताय
ये दे अइसे बानी रानी बोलय ओ , भाई ये दे जी ।
तीन वचन चुकोवत हे
रुपदेई ये ओ
नई तो कहय मानसिंह ल
सुनले महराज
रुपदेई ये ओ
भरथरी ल , कइसे बानी बताय
सुन राजा मोर बात
ओही जनम के
येह का लाग मोर
ये दे अइसे बानी
कहिके पूछय ओ , भाई पूछय ओ , रानी ये दे जी ।
राजा मानसिंह ल देखत हे
भरथरी ह ओ
जेकर बेटा ल का देखय
मन मँ करे विचार
सुनले कहना मोर बात
ओही जनम के ओ
तोर बेटा ये बाज
ए ही जनम मँ न
तोर रचे बिहाव
ये दे अइसे बानी
भरथरी ओ हीरा बोलय ओ , भाई ये दे जी ।
जइसे आज
होवत हे मोर संग बिहाव
तइसे सुनले राजा तँय
ओही जनम के
सामदेई ये न
तोर दाई ये ओ
सुन भांटो मोर बात
ये ही जनम मँ
तोर संग बिहावे ग
ये दे होगे ग , ये दे होये ग , भाई ये दे जी ।
तब तो बोलय भरथरी हर
का करॅव भगवान
विधि के लिखा ह नई कटय
अइसे बानी ये राम
मनमें सोचत हे न
पाती होतिस हीरा
बांची ले ते कइना
का तो करॅव उपाय
नई तो जानेव गिंया
मोर भेदे ल आज बताये ओ
ये बताये ओ , भाई ये दे जी ।
सुनले रानी मोर बात ल
पाछूआगू ओ
भेद ल देते बताय तॅय
सुनले रानी बात
रंगमहल म
लहुटी के सारी
घर नई जावॅव ओ
बाती बोलत हे न
भरथरी ये राम
ये दे कइसे बानी ल बोलय
तोरे ये सातो के हत्या
भारी पाप मोला परे हे
पाप लेहँव मिटाय
जेखर पाछू रानी
लौटी जाहॅव ओ
ये दे अइसे बानी ल बोलय ओ , हीरा बोलय ओ , भाई ये दे जी ।
सुन्दर बानी ल बोलत हे
भरथरी ये ओ
रानी ल बोलिके
चले जाय महराज
घोड़ा छोड़त हे नाम
जोग साधे के ना
मन म करे विचार
रंगमहल में राम
चले आवत हे ओ , चले आवय ओ , भाई ये दे जी ।
रानी ल बोलत हे
दाई सुन मोर बात
मय तो चलेंव जोग साधे बर
राज पाठ ल ओ
छोड़ देवॅव दाई
नई तो करॅव राज
जो साधिहॅव ओ
रानी कहत हे न
मोर आंख के रे
बेटा तारा ये
मोर एके अकेला जनम बेटा धरे ग , भाई ये दे जी ।
बुढ़त काल के लाठी अस
संग छोड़व न आज
कलपीकलप दाई का रोवय
गाज के पराई ये ओ
बेटा के छुटाई ये न
रंग महल ये
दरबार ये न
मोर रोवय हीरा
भरथरी ल ओ
समझावत हे न
मोर हरके अउ , बरजे ल नई मानय भरथरी , भाई ये दे जी ।
घोड़ा ल छोड़त हे रंगमहल
साजसज्जा उतार
देख तो दीदी चले आवत हे
सामदेई ये ओ
गोड़ तरी गिरय
सुन जोड़ी मोर बात
झन जावा हीरा
नई तो मानत हे न
मोर राजमहल ले
जावय ओ , चले जावय ओ , भाई ये दे जी ।
गोरखपुर के रद्दा ल
राजा धरत हे राम
जिहां बइठे गोरखनाथे
भरथरी ये राम
ये के कोस रेंगय
दूसर कोस ओ
तीन कोस ए ना
बारा कोसे के ओ
मोर अल्दा रेंगय
मोर छय महीना छय दिन बितय ओ , बितय ओ , रानी ये दे जी ।
छय महीना छय दिन बीतत थे
भरथरी ओ
जाइ हबरगे गोरखपुर म
कइसे बोलत हे राम
गोरखनाथ ल न
गुरु सुन मोर बात
चले आयेंव राजा
जोग साधे ल ओ
गुरु मानी ले बात
मोला जोग के रद्दा बतादे ओ , भाई बता दे ओ , भाई ये दे जी ।
गोरखनाथ के चेलिन ये
मोर बइठे हे राम
मोहनी सूरत बनाये हे
भरथरी ह न
कइना जावय मोहाय
बानी का बोलय राम
अइसन हे जोड़ी
मय हर पा जातेव न
जोग काबर साधतेंव
ये दे जोग छोड़ी चल देतेव ओ चल देतेव ओ , भाई ये दे जी ।
लाख समझावत हे राजा ल
नई तो मानय दाई
जोग के लागे हे आसे न
सुनले राजा मोर बात
जोग झन साधा हो
आनन्द मंगल ये न
मोर हरके बात मान जाबे जोगी , जाबे भाई , भाई ये दे जी ।
बारा बछर के ऊपर हे
सुनिले लाला बात
झन करबे जोग के साध न
गोरखपुर के दीदी
गोरखनाथ गुरु ओ
समझावत हे न
भरथरीये राम
नई तो मानय गिंया
मोर कइसे विधि जिद्दी करय ओ , भाई करय ओ , रानी ये दे जी ।
माता पिता जनम दिये
गुरु दिये गियान
सुन ले बेटा मोर बाते ल
तोला गियान न
मॅयहर देथॅव तोला लाला
तॅयहर जोग के साथ झन करव ओ , झनी करव ओ , भाई ये दे जी ।
कहना वचन जोगी नई मानय
भरथरी ये ओ
देख तो दीदी हरके नई मानय
बरजे ल गिंया
नई तो मानत हे ओ
भोर धुनि ये ओ
चल जलथे न
मोर कइसे विधि जोगी कूदे ओ , भाई कूदे ओ , भाई ये दे जी ।
गोरखपुर के मोर गुरु ये
जल बइठे हे ओ
मॅयहर का करॅव राम
ये ह कूदिगे दाई
हरके ल गिंया नइ तो मानिचे न
मोल बालक रूपी जनम ओ , येहर धरे ओ , भाई ये दे जी ।
कोठी में आगी समाइगे
बन आग लगाय
जबधन कइसे मय करॅव न
कोठी में आगी लगाय गय
बदन गय कुम्हलाय
जबधन राजा मॅय बोलव न
अमृत पानी ल ओ
गोरखनाथ ये
गुरु चल सींचत हे न
अग्नि हर गिंया
मोर सांति ये ओ
चल होगे दीदी
मोर भभूत ये दे निकाले ओ , ये निकाले ओ , भाई ये दे जी ।
कइसे बइरी मय तो घर जाहॅव
कइसे रहिहॅव गुरु
जेकर भेद बता दे न
नई तो जावॅव गुरु
जोग साधिहँव न
रंग महल मँ नई तो रहॅव गुरू
मोर अइसे बानी ल बोलय गा , राजा बोलय ग , भाई ये दे जी ।
ओतका बानी ल सुन के
गोरखनाथ ह ओ
देख तो दीदी भरथरी ल
मुंह खोली के राम
तीनों लोक के ओ
दरस ल देखाय
बानी बोलत हे राम
भुला जाथे बेटा
कोनकोन जनम कोन का अवतार
न लेथे लाला
ये दे तीनो लोक के दरस ए करावय ओ , भाई ये दे जी ।
तीनो लोक ल देखके
भरथरी ये ओ
गुरु गोरखनाथ के
ये दे मुंह म न
तीनों लोक ल देखय
नई तो समझय राजा
जोग नई छोंड़व न
मोर मिरगिन के
लागे सरापे ग , ये सरापे ग , भाई ये दे जी ।
हरके अऊ बरजे ल नइ मानय
तब बोलय गुरु गोरखनाथ
सुनले राजा मोर बात
भरथरी ये गा
जोग साधे बेटा
कहना मानव न
मोह भया लाला
छोड़ी देबे बेटा
ये दे जकर पाछू जोगे ग , तय साधबे ग , भाई ये दे जी । | chhattisgarhi-hne |
नया घर नया कोहबर नया नींद हे
नया घर नया कोहबर नया नींद हे ।
नया नया जुड़ल सनेह , सोहाग के रात , दूसर नया नींद हे ॥ 1 ॥
सासु जे पइसि जगाबए , नया नींद हे ।
उठऽ बाबू , भे गेल बिहान , सोहाग के रात , दूसर नया नींद हे ॥ 2 ॥
सासु जे अइसन बइरिनियाँ , नया नींद हे ।
आधि रात बोलथिन1 बिहान , सोहाग के रात , दूसर नया नींद हे ॥ 3 ॥
लाड़ो2 जे जाइ जगाबए , नया नींद हे ।
उठऽ3 परभु , भे गेल बिहान , सोहाग के रात , दूसर नया नींद हे ॥ 4 ॥
चेरिया जे अँगना बहारइ , नया नींद हे ।
दीया4 के बाती धुमिल भेल , अइसे5 हम जानली बिहान ।
सोहाग के रात , दूसर नया नींद हे ॥ 5 ॥ | magahi-mag |
रोटी पूई धरी तड़के की देखूं बाट तेरे लड़के की
रोटी पूई धरी तड़के की देखूं बाट तेरे लड़के की
जब देखूं जब चांद सिखर मैं मर गई हो पिया तेरे फिकर मैं
एक हाथ दिवला एक हाथ झारी चढ़ गई हो मैं तो पिया की अटारी
कठै मेलूं दिवला कठै झारी , कठै हो पिया सेज तुम्हारी
धरण पै दिवला पटक दे ना झारी , पड़ जाओ हे गोरी पांयतै हमारी
पांयत सै रै सिरहाणै नै आई , जद बी ना बोला हो मरद कसाई
रो रो के मनैं आंख सुजा लई
पांच रपइए सेर मिटाई या ले गोरी रूसे की मनाई
धर दे रपइए पटक दे मिठाई , रूसें पाछै हो पिया मनैं नां लुगाई | haryanvi-bgc |
प्रभात को परब जाग, गो सरूप पृथ्वी जाग
प्रभात को परब1 जाग , गो सरूप पृथ्वी जाग
धर्म सरुपी अगास2 जाग , उदयंकारी काँठा3 जाग ।
भानुपँखी गरड़ जाग , सत लोक जाग ।
मेघलोक जाग , इन्द्रलोक जाग ।
सूर्यलोक जाग , चन्द्रलोक जाग ,
तारालोक जाग , पवनलोक जाग ।
ब्रह्मा का वेद जाग , गौरी का गणेश जाग ।
हरो भरो संसार जाग , जन्तु जीवन जाग ,
कीड़ीमकोड़ी जाग , पशुपक्षी जाग ।
नरनारैण जाग , मरदऔरत जाग ,
दिन अर रात जाग , जमीनआसमान जाग ।
शेष समुद्र जाग , खारी समुन्द्र जाग ,
दूदी समुद्र जाग , खैराणी समुद्र जाग ।
घोर समुद्र जाग , अघोर समुद्र जाग ,
प्रचंड समुद्र जाग , श्वेतबंध रामेसुर जाग ।
ह्यूँ हिंवालू4 जाग पयालू5 पाणी जाग ,
गोवर्धन पर्वत जाग , राधाकुंड जाग ।
बाला बैजनाथ जाग , धौली दिप्रियाग जाग ,
हरि हरद्वार , काशी विश्वनाथ जाग ।
बूढ़ा केदार जाग , भोला शम्भूनाथ जाग ,
कालसी कुमौंऊ जाग , चोपड़ा चौथान जाग ।
फटिंग का लिंग जाग , सोवन की गादी जाग । | garhwali-gbm |
झूमरली गीत
जमना किनारे कानो धेन चरावे ,
राधाराणी राधाराणी पाणी जावे हो राज ।
माता जसोदा रो कानूड़ो ।
श्रीकृष्णजी की कान की झूमर राजधाजी ने ले ली थी , उसी पर गीत रचा गया । श्रीकृष्ण यमुना नदी के किनारे गौर चारण हेतु जाते हैं , राधा रानी भी यमुना पर जल भरने जाती हैं । माता यशोदा के श्रीकृष्ण ।
जमना किनारे कानो बन्सी वजावे ,
झिणि झिणि राग सुणावे हो राज ।
माता यशोदा रो कानूड़ो ।
यमुना के किनारे गौओं को चराते हुए श्रीकृष्ण मधुरमधुर राम सुनाते हैं ।
हाथ पग धोवता गळनो निचवता , कानूड़ा रे छाटो लाग्यो हो राज ।
आंगळी पकड़ी ने पुणचो पकड्यो , हार गळा रो लीदो हो राज ।
मारी ककरिया फोड़ी गगरिया , दूर जइ ऊबो कानूड़ो हो राज ।
माता जसोदा रो कानूड़ो ।
राधा ने पानी की गागर भरी और पानी छानने का गलना धोया , हाथपैर धोये , श्रीकृष्ण पास ही खड़े थे , उन पर पानी के छींटे लगे । छींटे लगने से श्रीकृष्ण को राधा से मजाक करने का बहाना मिल गया । राधा ने भी जानकर उन पर छींटे उड़ाए थे । पानी के छींटे लगते ही श्रीकृष्ण ने राधाजी की अँगुली पकड़कर पोंची
पकड़ी और उनके गले का हार निकालकर कंकड़ मारकर गगरिया फोड़ दी और दूर एक तरफ जाकर खड़े हो गये । इतने में बहुत सी गोपियाँ आ गईं । राधा ने उन्हें बताया कि कान्हा ने मेरा हार निकाल लिया । माँ लड़ेगी तो क्या उत्तर दूँगी ? गोपियांे ने मशविरा किया और पानी लेकर घर की ओर चल पड़ी । सभी ने मिलकर
उपाय सोचा कि कान्हा की झूमर कीमती है , इसकी झूमर निकाल लो । गोपियों ने मटकिया उतारी और कुंज गली के गन्ने लेकर रास्ते में खाने लग गई । गोपियांे ने विचार किया कि कान्हा गन्ने का शौकीन है , गन्ना खाने के लिये बुलाना है और सभी को मिलकर पकड़ना है । राधा झूमर निकालेगी और इसके पास रहेगी । कान्हा
गौयें लेकर आये , गोपियों ने कहा
कुंज गळी रो हांटो मीठो मीठो , गांठ गांठ रो रस न्यारो न्यारो न्यारो रे ।
आवो कान्हा हांटो खइलो , देखो हांटा रो रस मीठो रे ,
मीठो मीठो मीठो रे ।
कान्हा गन्ने की लालच में उनके बीच आ गया । गोपियाँ बोलीं इस गन्ने का स्वाद नहीं चखा , इसकी पेरपेर का रस अलगअलग है । कान्हा ने कहा थोड़ा सा गन्ना मुझे भी दो । गोपियों ने एक पेर तोड़कर दी , उन्हें गन्ना बहुत मीठा लगा और कहा थोड़ा और दे दो । इतने में गोपियों ने उन्हें घेर लिया और राधा से कहा इसकी झूमर निकाल ले । राधा ने झूमर निकाल ली और गोपियों के साथ चलती बनी ।
कान्हा गायें घर ले गया और बाड़े में प्रवेश कराकर घर के ओटले पर खड़ा हो गया कि यशोदा माता कान में झूमर न देखकर पूछेगी तो क्या उत्तर दूँगा ?
कान्हो ऊबो घर रा ओटख् ऊबो ओटे ओट अण झूमरी रा कारणें ।
कान्हो लोटे लोटे धूळा में , झूमर पाई वे तो दीजो ।
कान्हा ओटले पर खड़ा रहा और धूल में लोटने लगा और रोरो कर कहने लगा मेरी झूमर गिर गई है किसी को मिली हो तो दे दो । यशोदाजी बाहर निकलीं और कहने लगीं
कान्हा मूंडो धोइली माखण खइलो , घमी गी तो घमणें दो
कान्हा ऊबके घूड़इ दूँ मोटी मोटी मोटी ।
म्हारा कान्ह कुँवर री झूमर कोई पाई वे तो दीजो लालजी
लादी वे तो दीजो , म्हारा भोळा कान्ह री झूमर कोई पाई वे तो दीजो ।
यशोदाजी कान्हा से कहती हैं कि कान्हा मुँह धो लो , मक्खन खा लो , गुम गई तो गुमने दो अबकी बार बड़ी झूमर घड़वा दूँगी । वे सभी से कहती हैं कि मेरे भोले कान्हा की झूमर किसी को मिली हो तो दे देना । कान्हा बात को छिपा रहा है सच नहीं बोल रहा है कि मैंने राधा का हार छीन लिया और राधा ने मेरी झूमर छीन ली । वह माता से कहता है कि गायें लड़ने लगीं मैं उनके बीच में आकर धूल मंे गिर पड़ा और झूमर निकलकर गिर पड़ी , खूब ढूँढ़ी पर न मिली । कान्हा माँ से पूछता है कि झूमर कितने रुपये की थी ? माता कहती हैं
एरे रे मेरे हीरा जड़िय , विचमें सोवण धागो ।
म्हारा कान्ह कुँवरी झूमरी में , लाख रूप्यो लागो ।
झूमर पाई वे तो दीजो , म्हारा कान्ह कुँवर री झूमरी ,
कोइ ने लादी वे तो दीजो ।
एरे रे मेरे हीरा जड़िया , विचमंे लालां पोई ,
म्हारा कान्ह कुँवर री झूमरी , दड़ियां खेलत खोई खोई खोई ।
झूमर पाई वे तो दीजो , झूमर लादी वे तो दीजो ।
म्हारा नखराळा री झूमरी कोई पाई वे तो दीजो ।
यशोदाजी कहती हैं कि झूमरी के आसपास हीरे जड़े हुए हैं और सोने के धागे से पिरोई हुई है । उसके बीच में लालें भी पिरोई हुई हैं । झूमरी में लाख रुपये लगे हैं । लोगों से कहती हैं कि मेरे कान्हा की झूमरी गेंद खेलते हुए गुम गई है । मेरे नखराले की झूमर किसी को मिली हो तो देना । जनसमूह एकत्रित हो गया क्योंकि
कान्हा की झूमर और वह भी हीरे मोती और लाल जड़ी हुई लाख रुपये की ।
यशोदा ने विचार किया कि ऐसे तो झूमर मिलेगी नहीं । नारदजी मथुरा में आये हुये हैं उन्हें बुला लो तो ही झूमर मिलेगी ।
मथुरा रे नगरी कागद मेल्यो , नारद ने बुलाओ ।
मथुरा रे नगरी कागद मेल्यो , नारद दवड्यो आयो ।
खुसी मनाओ मन रा माहीं , कान कुँवर री झूमरी राधा वना पावे नि ।
म्हारा . . .
यशोदा ने नारदजी को पत्र लिखा , नारदजी दौड़े आये , उन्हें बात बताई । नारदजी बोले सभी मन में खुशी मनाओ , कृष्ण की झूमर राधा के बिना नहीं मिलेगी । राधा को बुलवाया और कहा झूमर कहाँ है ? राधा ने कहा मैंने नहीं ली । नारदजी ने कहा झूमर तूने ही ली है , दे दो । राधा कहती है मैंने नहीं ली है , आप लोग
चाहें तो
काळी देह ती नाग बुलइ लो , झूटी ब्यूं तो डसेला
कालिया दह से नाग बुलावो और मेरे गले में डालो , मैं झूठ बोल रही होऊँगी तो मुझे डसेगा ।
धमण धमई दो गोळा तपय दो , झूटा वे वने दीजो ।
झूमर पाई वे तो दीजो . . . ।
राधा कहती हैं नहीं मानो तो भट्टी सुलगाओ और लोहे के गोले गरम करके मेरे हाथ में दे दो , मैंने ली होगी तो मेरे हाथ जलेंगे । नारदजी ने कहा राधा तेरे सिवाय झूमर का पता कोई नहीं बता सकता तू बता कहाँ मिलेगी ? राधा ने सोचा इस नारद की खोज मिटे , यह मेरे पीछे पड़ गया है , फजीते करा देगा ।
नन्दगाँव गोदाणा रा बीच में , खोजो खोज लगावे ।
बिरज भान री डावड़ी , यो उनको भरम बतावे ।
झूमर पाई वे तो दीजो , लालजी लादी वे तो दीजो ।
नखराळा री झूमरली , कोइ पाई वे तो दीजो ।
राधा कहती हैं कि नंदगाँव और गोदाणा के बीच में कोई खोज करने वाला पता लगाये । वृषभान की पुत्री उनको भेद बता रही है । इस प्रकार कहा तो सभी लोग बिखर गये और झूमर खोजने लगे । चुपके से राधाकृष्ण से मिली और कहा तेरी भी चुप और मेरी भी चुप और शाम को अँधेरा होने पर चुपके से आना , यह नारद पीछे पड़ गया है अपने फजीते करा देगा ।
सांझ पड़े दन आतमें ने , छानेछाने अइजो ।
हार तो देजइजो कानजी , झूमरली ले जइजो ।
झूमर पाई वे तो दीजो . . .
राधा ने कहा शाम को सूर्यास्त के बाद चुपके से आना , मेरा हार दे जाना और झूमर ले जाना । राधा ने कहा वैसा ही कृष्ण ने किया और सभी मन में तो जानते ही थे कि झूमर राधा के ही पास है । कृष्ण झूमर लेकर आ गये और घर में शरमा कर बैठ गये । इस प्रकार प्रकरण समाप्त हुआ । | bhili-bhb |
रामलाल क फगुवा
पहिले पहिले फगुवा खेलै रामलाल ससुरारी चललैं
रुपया पइसा कपड़ा लत्ता कै के खूब तैयारी चललैं
लेहलैं नया सरौता , बटुआ , कत्था , खड़ी सोपारी लेहलैं
मेहर खातिर साबुन , पौडर , साया , ब्लाउज , सारी लेहलैं
अपने खातिर लुंगी , जूता , बीड़ी अउर सलाई लेहलैं
कई दुकानी चीखचीख के आधा किलो मिठाई लेहलैं
हाथ गाल पर फेरै लगलन सोचै अउर विचारै लगलन
आस पास सैलून कहाँ हौ चारो ओर निहारै लगलन
बनल ठनल एक औरत लउकल खोंखैं अउर खंखारै लगलन
इसकूटर पर ममा देखइलन बढ़के ममा पुकारै लगलन
नाहीं सुनलैं ममा भीड़ में नाहीं त बतियवले होतन
पुछले होतन हाल घरे क आपन हाल बतवले होतन
नाँहींनाँहीं लाख कहित हम तब्बौ चाह पियवले होतन
अपने इसकूटर पर हम्मैं बस अड्डा पहुँचवले होतन
सुनले हई शहर में मम्मा मामी नई लियायल हउअन
बड़की मामी गांव रहैले ओकरे पर गुस्सायल हउअन
रामलाल अब सरसमान कुल झोरा में सरियावै लगलन
साबुन पौडर लुंगी जूता खोंसै अउर दबावै लगलन
बस से चली कि रेकसै अच्छा जोड़ै अउर दहावै लगलन
सोझैं खाली रेकसा लउकल ’हे रेकसा’ गोहरावै लगलन
बस से जाये क मतलब हौ पैदल ढेर चलै के होई
रेकसा से सीधे दुआर पर कत्तौं ना उतरै के होई
का हो रेकसा पूरे चलबा सोचा मत बस बोला जनला
रेकसोवाला हँस के कहलस लेला उड़नखटोला जनला
एतना जल्दी तोहके पूरे अब कइसे पहुँचाई हम
हमहूँ हई अदमिये मालिक गरुड़ देवता नहीं हम
जइसे तइसे घंटा भर में रेकसा पार शहर के निकलल
चारों ओरी जाम बेचारा चढ़ के कहीं उतर के निकलल
मुँह पर डूबत बेर देख के रामलाल घबराये लगलन
रेकसावाले पर रह रह के पिन्नाये भन्नाये लगलन
एसे तेज चली ना हमसे जल्दी हो त खुदै चलावा
आजिज आ के रामलाल तब कहलन अच्छा बइठा आवा
बारीबारी दूनों जाने बइठै अउर चलावै लगलन
एतना गड़बड़ रस्ता सरवा रामलाल गरियावै लगलन
पाहुन अइलैं पाहुन अइलैं घर दउरल अगवानी खातिर
केहू तोसक तकिया खातिर केहू मीठा पानी खातिर
रामलाल क मेहर अपने भउजी से बतियावत हउवै
पैदल त ई चलै न जानै अस सुकुआर बतावत हउवै
रेकसावाला मुसकियात हौ रामलाल त हाँफत हउवैं
गौर से उनके सब देखत हौ ऊहो सब के भाँपत हउवैं
हँस के बोलल चाहत हउवन लेकिन हँसी न आवत हउवै
अइसैं मिलै सवारी मालिक रेकसावान मनावत हउवै
घर में चाह पियै के खातिर रामलाल बलवावल गइलन
निखरहरै खटिया पर बिच्चे अंगना में बईठावल गइलन
भरमूंहे सब रंग लगवलस जमके भूत बनावल गइलन
साली करै चिकारी सटके सरहज गावै गारी बबुआ
बबुई त ससुरारी गइलिन तू अइला ससुरारी बबुआ
रामलाल निखरहरै खटिया फोंय फोंय फुफ्कारै लगलन
हमरे नियर चलावा रेकसा सपनै में ललकारै लगलन ॥ | bhojpuri-bho |
वर निकासी के समय का गीत
बना क्यों रे खड़ो दलगीरी से
थारा समरथ दादाजी थारा सांत
लाल क्यों रे खड़ो दलगीरी से
थारा समरथ काकाजी थारा सांत । | malvi-mup |
एके तेल चढ़गे कुँवरि पियराय
एके तेल चढ़गे कुंवरि पियराय ।
दुवे तेल चढ़गे महतारी मुरझाय । ।
तीने तेल चढ़गे फूफू कुम्हलाय ।
चउथे तेल चढ़गे मामी अंचरा निचुराय । ।
पांचे तेल चढ़गे भईया बिलमाय ।
छये तेल चढ़गे भउजी मुसकाय । ।
साते तेल चढ़गे कुंवरि पियराय ।
हरदी ओ हरदी तैं साँस मा समाय । ।
तेले हरदी चढ़गे देवता ल सुमरेंव ।
मंगरोहन ल बांधेव महादेव ल सुमरेंव । । | chhattisgarhi-hne |
गांधीजी के बारे में
गांधी ने अंगरेज भजाया ।
अर भारत का मान बचाया ।
गंगा जल का लोट्टा ।
गांधी काट गिया टोट्टा । ।
जल भर्या लोट्टा चांदी का ।
यू राज महात्मा गांधी का । ।
देसी घी की भरी से कोल्ली ।
गांधी बाब्बू की जै बोल्ली । ।
भरी थाली यो चांदी की ।
जय बोलो महात्मा गांधी की । ।
नया जेवड़ा महं कोल्ली ।
गांधी जी की जय बोल्ली । ।
सेर बाजरा झोली में ।
झंडा टंग रह्या पोली में । ।
कोरा घड़वा नीम तले
आजादी की जोत जले । | haryanvi-bgc |
आल्हा ऊदल
मारे टापन के रोनन से रुदल के देल उठाय
बोलल घोड़ा रुदल के बाबू पलटन इंदरमन के पहुँचल आय
फाँद बछेड़ा पर चढि गैल पलअन में पहुँचल बाय
बलो कुबेला अब ना चीन्हे जाते जोड़ देल तरवार
पड़ल लड़ाइ इंदरमन में रुदल से पड़ गैल मार
ऐसी लड़ाई सिब मंदिर में अब ना चीन्हे आपन पराय
गनगन गनगन चकर बान बोले जिन्हके बलबल बोले ऊँट
सनसन सनसन गोली बरसे दुइ दल कान दिहल नाहिं जाय
दसो तिरंगा इंदरमन के रुदल काट कैल मैदान
गोस्सा जोर भैल इंदरमन खींच लेल तरवार
जौं तक मारल बघ रुदल के अस्सी मन के ढालन पर लेल बचाय
ढलिया कट के बघ रुदल के गद्दी रहल मरद के पास
बाँह टूट गैल रुदल के बाबू टूटल पं के हाड़
नाल टूट गैल घोड़ा के गिरल बहादूर घोड़ा से
धरती पर गिरल राम राम चिचियाय
पड़ल नजरिया है देवी रुदल पर पड़ गैल दीठ
आइल देवी इंद्रासन के रुदल कन पहुँचल बाय
इमिरित फाहा दे रुदल के घट में गैल समाय
तारु चाटे रुदल के रुदल उठे चिहाय चिहाय
प्रान बचावे देबी बघ रुदल के रुदल जीव ले गैल पराय
भागल भागल चल गैले मोहबा में गैल पराय | bhojpuri-bho |
156
जदों रांझना जाए के चाक बनया मझी सांभियां चूचक सयाल दीयां ने
खबरां तखत हजारे विच जा पुजिआं कूमां1 उस अगे बड़े माल दीयां ने
भाइयां रांझे दयां सयालां नूं खत लिखया जातां महरम जात देहाल दीयां ने
मौजू चौधरीदा पुत चाक लायो एह नूं कुदरतां जल जलाल2 दीयां ने
साथों रूस आया तुसीं मोड़ घलो ऊहनूं बाहरां रात दिन भाल दीयां ने
जिस भूई तों रूसके एह आया क्यारियां बनियां पइयां इस लाल दीयां ने
साथों वाहियां बीजीयां लये दाने अते महानियां3 पिछले सास दीयां ने
महीं चार के वढयो नकसाडा साथों खूहनियां एसदे माल दीयां ने
मही कटक नूं देके खिसक जासी साडा नहीं जुमा फिरो भाल दीयां ने
एह सूरतां ठग जो वेखदे हो वारस शाह फकीर दे नाल दीयां ने | panjabi-pan |
छोटा टोना बड़ा लोना गे माई
छोटा टोना बड़ा लोना1 गे माई , मैं नहीं जानूँ टोना ।
टोनवा बाबुल2 जी के देस गे माई , मैं नहीं जानूँ टोना ॥ 1 ॥
अपने बने से मैं पनियाँ भरइहों3 रे ।
बिन ऊभन4 बिन डोल गे माई , मैं नहीं जानूँ टोना ।
टोनवा बाबुल जी के देसे गे माई , मैं नहीं जानूँ टोना ॥ 2 ॥
अपने बने से मैं भात पकइहों5 रे ।
बिन हाँड़ी बिन डोइ6 गे माई , मैं नहीं जानूँ टोना ।
सासु को काहे का मलोल7 गे माई , मैं नहीं जानूँ टोना ॥ 3 ॥
अपने बने से मैं धान कुटइहों8 रे ।
बिन उखली9 बिन मूसल गे माई , मैं नहीं जानूँ टोना ॥ 4 ॥ | magahi-mag |
सासु हमर रहे पक्का महल में, उनखा देहु बोलाइ
सासु हमर रहे पक्का महल में , उनखा1 देहु2 बोलाइ ।
हमरा भेलइ3 नंदलाल , सुने ना कोई रे ॥ 1 ॥
गोतनी हमर रहे सीस सहल में , उनखा देहु बोलाइ ।
हमरा भेलइ हे गोपाल , जगे ना कोई रे ॥ 2 ॥
ननद हमर हे महल अटारी में , उनखा देहु बोलाय ।
हमरा के भेल हे होरिलवा4 जगे ना कोई , सुने ना कोई रे ॥ 3 ॥
सामी हमर हथ5 मालिन के सँग , उनखा देहु बोलाय ।
हमरा के भेल नंदलाल जगे न कोइ , सुने ना कोई रे ॥ 4 ॥ | magahi-mag |
कब के भये बैरागी कबीर जी
कब के भये बैरागी कबीर जी ,
कब के भये बैरागी
आदि अंत से आएँ गोरख जी ,
जब के भये बैरागी
१ जल्मी नही रे जब का जलम हमारा ,
नही कोई जल्मी को जायो
पाव धरण को धरती नही थी
आदी अंत लव लागी . . .
कबीर जी . . .
२ धुन्दाकार था ऐ जग मेरा ,
वही गुरु न वही चेला
जब से हमने मुंड मुंडायाँ
आप ही आये अकेला . . .
कबीर जी . . .
३ सतयुग पेरी पाव पवड़ियाँ ,
द्वापूर लीयाँ खड़ाऊ
त्रैतायुग म अड़ बंद कसियाँ
कलू म फिरीयाँ नव खंडा… . .
कबीर जी . . .
४ राम भया जब टोपी सिलाई ,
गोरख भया जब टीका
जब से गया हो जलम फेरा
ब्रम्हा मे सुरत लगाई . . .
कबीर जी . . . | nimadi-noe |
नीकौ नई रजऊ मन लगवौ
नीकौ नई रजऊ मन लगवौ ,
एइ सें करत हटकवौ ।
मन लागौ लगजात जनम खाँ ,
रौमंई रौंम कसकवौ ।
सुनतीं , तुमे सऔ ना जै हैं ,
सब सब रातन जगवौ ।
कछु दिनन में होत कछु मन
लगन लगत लै भगवौ ।
ईसुर जे आसान नहीं है
प्रान पराये हरवौ । | bundeli-bns |
आल्हा ऊदल
बीड़ा पड़ गैल बघ रुदल के रुदल बीड़ा लेल उठाय
मारु डंका बजवावे लकड़ी बोले कड़ाम कड़ाम
जलदी आल्हा के बोलवावल भाइ चलव हमरा साथ
करों बिअहवा सोनवा के दिन रात चले तलवार
गड्गन धोबी दुरगौली के बावन गदहा ढुले दुआर
मुड्गर लाद देल गदहा पर लड़वयौ आफत काल
दानी कोइरी बबुरी बन के सिहिंन लाख घोड़े असवार
चलल जे पलटन बघ रुदल के जिन्ह के तीन लाख असवार
रातिक दिनवाँ का चलला में धावा पर पहुँचल बाय
डेरा गिरावे दुरगौली में डेरा गिरौले बाय
जोड़ गदोइ रुदल बोलल भैया सुनीं आल्हा के देल बैठाय
नौ सौ सिपाही के पहरा बा आल्हा के देल बैठाय
रुदल चल गैल इंद्रासन में अम्बर सेंदुर किन के गैल बनाय
एत्तो बारता बा रुदल के नैना गढ़ के सुनीं हवाल
भँटवा चुँगला बा नैना के राजा इंदरमन के गैल दरबार
रुदल के भाइ अल्हगं है दुरगौली में डेरा गिरौले बाय
तीन लाख पलटन साथन में बा आल्हा के तैयारी बाय
हाथ जोड़ के भँटना बोलल बाबू इंदरमन के बलि जाओं
हुकुम जे पाऊँ इंदरमन के आल्हा के लेतीं बोलाय
एतनी बोली सुनल इंदरमन राजा बड़ मड्गन होय जाय
जेह दिन लैबव आल्हा के तेह दिन आधा राज नैना के देब बटवाय | bhojpuri-bho |
सखि हे मेरी राम राम ले ल्यो
सखि हे मेरी राम राम ले ल्यो सहेली चाली
धौली मोटर कार आज म्हारे आ रही
सखि हे नाई की बुलाल्यो ए के सीस गुन्दा ल्यो ए
गाल्यो मंगल चार ज्ञान के गाल्यो ए
पति हे मेरी गुट्ठी पहर रह्या हे
रेसमी कुरता बटनां की लाग री लार
तेज होवै खुड़का वोह् तो चलावै कार
पति हे मेरा पट्ठे बाह रह्या हे | haryanvi-bgc |
हंसा फिरैं बिपत के मारे
हंसा फिरैं बिपत के मारे
अपने देस बिनारे ।
अब का बेठें ताल तलईयाँ ?
छोड़े समुद्र किनारे ।
चुन चुन मोती उगले उननें
ककरा चुनत बिचारे ।
ईसुर कात कुटुम अपने सें ,
मिलवी कौन दिनारे ? | bundeli-bns |
किधर तै आई दाई किधर ते आया नाई
किधर तै आई दाई किधर ते आया नाई
किधर तै आई नणंद बीजली
या तेरी मां की जाई
भीतर आजा मेरी नणंदी लगूंगी तेरे पाएं
के मांगेगी दाई माई के मांगेगा नाई
के मांगेगी नणंद बीजली
या तेरी मां की जाई
भीतर आजा . . .
पांच रपइए दाई मांगै सवा रपइया नाई
पच्चीस मांगे नणंद बीजली
या तेरी मां की जाई
भीतर आजा . . .
पांच रपइए दाई ने देद्यो सवा रपइया नाई
एक अठन्नी नणंद बीजली
या तेरी मां की जाई
भीतर आजा . . . | haryanvi-bgc |
डेगेन केन इयां आयोम लियेन
डेगेन केन इयां आयोम लियेन
धरती चोजा लियेन डेगेन केन इयां आयोम
धरती चोजा लियेन टेगेन
धरती शेषनांगे फन लियेन टेगेन इयां बेटा
धरती शेषनाग न फन लियेन टेगेन
शेष नागो टोलेमा डेगेन केन इयां आयोम
शेष नागा टोलेमा टेगेने
शेष नागो शंकर गला हार आरुकेन इयां बेटा
शेष नागो शंकर गला हार आरुकेन
शेष नागो टोलेमा टेगेन इयां आयोेम
शंकर भगवान टोलेमा टेगेना इयां आयोम
शंकर भगवान टोलेमा टेगेने के
शंकर भगवान पर्वत टेगेन केन इयां बेटा
गंगा जमुना रे टोलेमा टेगेन केन इयां आयोम
गंगा जमुना टोलेमा टेगेने
गंगा जमुना शंकर भगवान ऊबा गोठी टेगेन
आसमा जे शक्ति टेगेन के इयां आयोम
आसमा जे शक्ति टेगेन
आसमा ऐजा शक्ति टेगेन इयां बेटा
आसमा ऐजा शक्ति टेगेन
स्रोत व्यक्ति राधा , ग्राम भोजूढाना | korku-kfq |
विवाह गीत
झेला मोलवो वो बेनी , झेला पेहरो ।
झेला पर सुब रंग्यो फुलवो मारि नानि बेनी ।
दुनिया देखे ।
हार मालवो वो बेनी , हार पेहरो ।
हार पर सुब रंग्यो छिब्रो मारि नानि बेनी ।
दुनिया देखे ।
बाष्ट्या मोलवो वो बेनी , बाष्ट्या पेहरो ।
बाष्ट्या पर बुब रंगि भात वो मारि नानि बेनी ।
दुनिया देखे ।
करूंदी मोलवो वो बेनी , करूंदी पेहरो ।
करूंदि पर सुब रंग्यो फुलवो मारि नानि बेनी ।
दुनिया देखे ।
महिलाएँ गीत में दुल्हन से कहती हैं कि झेला खरीदो और पहनो । झेला में सभी रंग के फूल हैं , तुम्हें झेला पहने हुए सभी लोग देखेंगे । हार में सभी रंग के फूलों वाले छल्ले लगे हैं , पहनोगी तो दुनिया देखेगी । बाष्ट्या पर सभी रंग की डिजाइन बनी हुई हैं , पहनोगी तो दुनिया देखेगी । अन्त में करूँदी खरीदकर पहनने को कहती हैं । करूँदी पर सभी रंग के फूल बने हुए हैं , हनो । दुनिया देखेगी कि दुल्हन ने कितने अच्छे गहने
पहन रखे हैं । | bhili-bhb |
अंगिका फेकड़ा
अटकनमटकन , दहिया चटकन
बर फूले , करेला फूले
इरिचमिरिच मिरचाय के झावा
हाथी दाँत समुद्र के लावा
लौआ लाठी चन्दन काठी
मार पड़ोकी पाँजड़ तोड़ ।
कागजपत्तर
कलम दवात
इटा पाटी
सोने के टाट
टाट गिरा दे
पूरे आठ ।
चिल्लर पटपट , गंगा हो लाल
हथिया सूढ़ ठुट्ठोॅ पीपर पतझाड़
कौआ कानोॅ , तेली बेमानोॅ
मियाँ ढोलकिया , फूस कन्हैया ।
अलिया गे झलिया गे
बाप गेलौ पुरैनिया गेे
लानतौ लाललाल बिछिया गे
कोठी तर छिपैयेैं गे
बालू में नुकैयैं गे
झमकलझमकल जैहियें गे
सास केॅ गोड़ेॅ लगिहें गे
ननदी केॅ ठुनकैहियैं गे ।
सुइया हेराय गेल
खोजी दे नै तेॅ मैया मारबे करतौ ना ।
अट्टा ऐन्होॅ , पट्टा ऐन्होॅ
धोबिया के पाट ऐन्होॅ
कुम्हरा के चाक ऐन्होॅ
बीचोॅ गामोॅ में मुकद्धम मुखिया
बनी जइहोॅ तोंय राजा बेटा
गोड़ोॅ लागोॅ , ठाकुर जी केॅ , धरती धरमोॅ केॅ
साठी माय केॅ ।
बाप कहाँ गेल छौ ?
ढाका बंगाला ।
कीकी लानतो ?
पूड़ीमिठैइया ।
हमर्हौ देबे ?
नै रे भैया ।
चिकना भरभर , चिकना भरभर ।
ताय पुड़ी ताय
के के पकाय
नूनू पकाय
नुनूहैं खाय ।
गाय गेलौ रनेॅ बनेॅ
भैंस गेलौ बीजू वनेॅ
कानी भैंसियाँ धान खाय छै
राजा बेटा हाँक दै छै
घूबे तेॅ घूर गे
धान फूसूर ।
करिया झुम्मर खेलै छी
लीख पटापट मारै छी ।
बीजू रे बन्धवा
कै चन्दवा ?
एक चन्दवा ।
घोघो रानी कतना पानी
अतना पानी , अतना पानी ? | angika-anp |
कहमाँहि हरदी जलम लेले, कहमाँहि लेले बसेर
कहमाँहि1 हरदी जलम लेले2 कहमाँहि लेले बसेर3
हरदिया मन भावे ।
कुरखेत4 हरदी जलम लेले , मड़वा में लेलक5 बसेर ,
हरदिया मन भावे ॥ 1 ॥
पहिले चढ़ावे बराम्हन लोग , तब चढ़ावे सभलोग ,
हरदिया मन भावे ॥ 2 ॥ | magahi-mag |
124
कैदो आखदा मलकिए भेड़िए नी तेरी धीउ नूं वडा चंचल चाया ई
जाए नदी ते चाक दे नाल घुलदी एस मुलख दा अध गवाया ई
मां बाप काजी सभे होड़ थके एस इक ना जीउ ते लाया ई
मुंह घुट रहे वाल पुट रही थक हुट रही गैब चाया ई
हिक हुट रहे सिर सुट रहे अंत हुट रहे मन ताया ई
वारस शाह मियां सुते मामले नूं लंगे लुचेने फेर जगाया ई | panjabi-pan |
मारी महिसागर नी आरे ढोल
मारी महिसागर नी आरे ढोल वागे छे
वागे छे ढोल वागे छे . . . .
गाम गाम ना सोनीडा आवे छे
आवे छे हूँ लावे छे
मारी माँ नी नथनियु लावे छे
मारी महिसागर नी आरे ढोल वागे छे
गाम गाम ना सुथारी आवे छे
आवे छे हूँ लावे छे
मारी माँ नो बाजटीयो लावे छे
मारी महिसागर नी आरे ढोल वागे छे
गाम गाम ना डोशीडा आवे छे
आवे छे हूँ लावे छे
मारी माँ नी चुन्दरियु लावे छे
मारी महिसागर नी आरे ढोल वागे छे
मारी महिसागर नी आरे ढोल वागे छे
वागे छे ढोल वागे छे . . . . | gujarati-guj |
दे डालो हो मोड़ादे म्हारी झबिया हो राज
दे डालो हो मोड़ादे म्हारी झबिया हो राज
झबियां में लागा आदा
म्हारी सगी ननंद रा दादा
झबियां में लागा आखा
म्हारी सगी नणंद रा काका
झबियां में लागा आंबा
म्हारी सगी नणंद रा मामा
झबियां में लागा हीरा
म्हारी सगी नणंद रा बीरा
झबिया में लागा मोती
म्हारी सगी नणंद रा गोती । | malvi-mup |
बटोहिया
सुंदर सुभूमि भैया भारत के देसवा से
मोरे प्राण बसे हिमखोह रे बटोहिया
एक द्वार घेरे रामा हिमकोतवलवा से
तीन द्वार सिंधु घहरावे रे बटोहिया
जाऊजाऊ भैया रे बटोही हिंद देखी आउ
जहवां कुहुकी कोइली गावे रे बटोहिया
पवन सुगंध मंद अगर चंदनवां से
कामिनी बिरहराग गावे रे बटोहिया
बिपिन अगम घन सघन बगन बीच
चंपक कुसुम रंग देबे रे बटोहिया
द्रुम बट पीपल कदंब नींब आम वृछ
केतकी गुलाब फूल फूले रे बटोहिया
तोता तुती बोले रामा बोले भेंगरजवा से
पपिहा के पीपी जिया साले रे बटोहिया
सुंदर सुभूमि भैया भारत के देसवा से
मोरे प्रान बसे गंगा धार रे बटोहिया
गंगा रे जमुनवा के झिलमिल पनियां से
सरजू झमकि लहरावे रे बटोहिया
ब्रह्मपुत्र पंचनद घहरत निसि दिन
सोनभद्र मीठे स्वर गावे रे बटोहिया
उपर अनेक नदी उमड़ि घुमड़ि नाचे
जुगन के जदुआ जगावे रे बटोहिया
आगरा प्रयाग कासी दिल्ली कलकतवा से
मोरे प्रान बसे सरजू तीर रे बटोहिया
जाउजाउ भैया रे बटोही हिंद देखी आउ
जहां ऋसि चारो बेद गावे रे बटोहिया
सीता के बीमल जस राम जस कॄष्ण जस
मोरे बापदादा के कहानी रे बटोहिया
ब्यास बालमीक ऋसि गौतम कपिलदेव
सूतल अमर के जगावे रे बटोहिया
रामानुजरामानंद न्यारीप्यारी रूपकला
ब्रह्म सुख बन के भंवर रे बटोहिया
नानक कबीर गौर संकर श्रीरामकॄष्ण
अलख के गतिया बतावे रे बटोहिया
बिद्यापति कालीदास सूर जयदेव कवि
तुलसी के सरल कहानी रे बटोहिया
जाउजाउ भैया रे बटोही हिंद देखि आउ
जहां सुख झूले धान खेत रे बटोहिया
बुद्धदेव पृथु बिक्रमार्जुन सिवाजी के
फिरिफिरि हिय सुध आवे रे बटोहिया
अपर प्रदेस देस सुभग सुघर बेस
मोरे हिंद जग के निचोड़ रे बटोहिया
सुंदर सुभूमि भैया भारत के भूमि जेही
जन ' रघुबीर ' सिर नावे रे बटोहिया । | bhojpuri-bho |
79
बेले रब्ब दा नाम लै जा वड़िया होया धुप दे नाल जहीर1 मियां
ओहदी नेक साइत2 रूजू आन होई मिले राह जांदे पंज पीर मियां
रांझा वेखके तबहा फरिशतियां दी पंजां पीरां दी पकड़दा धीर मियां
काई नढड़ी सोहणी बखश छडो तुसीं पूरे हो रब्ब दे पीर मियां
हीर बखशी दरगाह थीं तुध तांहीं सानूं याद करीं पवे भीड़ मियां | panjabi-pan |
एक दिन चूक जात सब कोई
एक दिन चूक जात सब कोई
केसऊ स्यानों होई ।
हय गज दन्त पुनीत चड़इया ।
चूक जात जे दोई ।
चूक जात मानस परखइया ।
परख रहे हैं खोई ।
चूकजात पुरानिक पाँडे
वैरागी तपसोई ।
ईसुर कात चुगत न चूकै ।
होवै बड़ो अनोई । | bundeli-bns |
अच्छे लीला गोद मेरी
अच्छे लीला गोद मेरी सोक लिलिहारी
नाक पै बुलाक गोद रथ कौ सो पैय्या
गालन को झुकादे दोनों लंग को पपैय्या
होठों में बना दे एक कोयल कारी
अच्छे लीला गोद मेरी . . . | haryanvi-bgc |
बरात निकासी
गांवे अवधपुर ले चले बरतिया चले बरतिया की
गांवे जनकपुरी जाये वो दाई
गांवे जनकपुरी जाये
गांवे जनकपुरी जाये वो दाई
गांवे जनकपुरी जाये
कौने चढ़त हे गाड़ी अउ घुलवा
गाड़ी अउ घुलवा
कौने चढ़य सुख पलना वो दाई
कौने चढ़य सुख पलना
कौने चढ़य सुख पलना वो दाई
कौने चढ़य सुख पलना
रंगे चढ़त हे गाड़ी अउ घुलवा
गाड़ी अउ घुलवा
भरत चढ़य सुख पलना वो दाई
भरत चढ़य सुख पलना
भरत चढ़य सुख पलना वो दाई
भरत चढ़य सुख पलना
काकर सिर मा चांवर डोलत हे
चांवर डोलत हे
कौने टिपत हावे बाने वो दीदी
कौने टिपत हावे बाने
कौने टिपत हावे बाने वो दीदी
कौने टिपत हावे बाने
राजा दसरथ के सिर में चांवर डोलत हे
चांवर डोलत हे
लखन टिपत हावे बाने वो दीदी
लखन टिपत हावे बाने
लखन टिपत हावे बाने वो दीदी
लखन टिपत हावे बाने
राजा जनक के पट पर भांठा
पट पर भांठा
तम्बू लगे हे तनायें वो दाई
तम्बू लगे हे तनायें
तम्बू लगे हे तनायें वो दाई
तम्बू लगे हे तनायें | chhattisgarhi-hne |
होली पूजन
तू आई वो बयण सालिया पाल हंव आई वो बयण भर उल्हाळे ॥
तू तो लाई बयण गोटी फटाका , न हंव लाई बयण लाल गुलाल ॥
तू तो लाई बयण गुंजिया पापड़ , न हंव तो लाई वाकड़ वेलिया ॥
तू तो आई बयण गाय का गोयऽ , हंव तो आई बयण खयड़े व बयड़ै ॥
तू तो आई वो बयण कार्तिक महने , हंव तो आई बयण फागण महने ॥
होली ओर दीपावली दोनों बहने हैं । होली बहन दीपावली से कहती है कि बहन तु सर्दी के दिनों में आयी और मैं गरमी में आयी । तू गोट्या पटाखा लायी और मैं गुलाल लायी । तू गुजिया पापड़ लायी और मैं जलेबी लायी । तू गौ के गोयरे आयी गौ पूजन मैं टेकरेटेकरी पर आयी । तू कार्तिक माह में और मैं फाल्गुन में आयी । दोनों त्यौहारों का समय वे किस प्रकार मनाते हैं , इसका वर्णन किया है । | bhili-bhb |
पावी मामा सेनेवाडो गंगाय ऐली आयोम पावी मामा डो सेने
पावी मामा सेनेवाडो गंगाय ऐली आयोम पावी मामा डो सेने
पावी मामा सेनेवाडो गंगाय ऐली आयोम पावी मामा डो सेने
पावी मामा बाकी सेने सरवन बेटा पावी जा मामा बाकी सेने
पावी मामा बाकी सेने सरवन बेटा पावी जा मामा बाकी सेने
चिरसो ईटान चिरसो बाना नी भुरुम केन्जा
चिरसो ईटान चिरसो बाना नी भुरुम केन्जा
सरावेन बेटा पावी मामा बाकी सेने
सरावेन बेटा पावी मामा बाकी सेने
पावी मामा सेनेवाडो गंगाय ऐली आयोम पावी मामा डो सेने
पावी मामा सेनेवाडो गंगाय ऐली आयोम पावी मामा डो सेने
जूडो ईटान सोनारु कूला भूरुम केन्जा
जूडो ईटान सोनारु कूला भूरुम केन्जा
सरावेना बेटा पावी मामा बाकी सेने
सरावेना बेटा पावी मामा बाकी सेने
मिया के ढोम टाव का टावनी ईराकुजा
मिया के ढोम टाव का टावनी ईराकुजा
सरावेना बेटा बारी केढोम टाव का टाव ईराकू रे
सरावेना बेटा बारी केढोम टाव का टाव ईराकू रे
पावी मामा बाकी सेने सरावेना बेटा
पावी मामा बाकी सेने सरावेना बेटा
स्रोत व्यक्ति पार्वती बाई , ग्राम मातापुर | korku-kfq |
पिबक्कड़ कौ पछताव
नास हो जाबै ऐसौ नसा
करत जो लाखन की दुरदसा
बना दो बिगड़ी फिर सें राम ,
नसा कौ कभउँ न लैहैं नाम ।
घरै क्वॉरी मौड़ीं हैं सात
कितै सें पीरे करहैं हाँत ?
भए मौड़ा सब महा कुजात
रोज थानें बुलवाए जात ।
पिबक्कड़ पै नइँ कोउ पतयात
माँगहै घरघर हाँत पसार ,
न मिलहै एकउ टका उधार
चितैहैं हम तर गटा निकार ,
भगा दें द्वारेइ सें दुतकार ;
हाय अब कैसी करबें राम
जगत्तर भर में भए बदनाम
न रै गओ घर में एक छदाम ।
घरउवा घरीघरी पै रोउत
न छिन भर कभउँ चैन सें सोउत
भोर सें घरघर गोबर ढोउत
फटौ आँचर अँसुअन सें धोउत
डार कें पानी चुटिया गोउत ।
पियत रए हम तौ उतै सराब
कुटुम खौं पी गई इतै सराब
हाय जे घर के लाल गुलाब
हमाए कारन भए खराब ।
हाय अब का हूहै करतार ?
हूतौ जो सबकौ साहूकार
भिखारी हो गयो बौ घरबार ।
लगतौ जी द्वारें दरबार
उतै नइँ कुत्ता ढूँकन आउत
दूर सें हमें देख गुरउित ,
बनाए जिनके सौसौ काम
भूल गए बे सब दुआसलाम ।
नसा की जीजी में लत परी ,
जुआनी भइ बाकी अधमरी
जिन्दगी , गगरी है रसभरी ,
फोर कें बा गगरी की तरी
नसा नें सबरी बेरस करी ।
हाय बौ सावित्रीसी सती
पिबक्कड़ हो गओ बाकौ पती ,
बिचारी ऊसइँ दुखिया हती
मरत , बौ कानों जियत रती ।
करत ती रोटी ढाँकें मूँड़
पती नें मारो सिलगत डूँड़ ।
सती तौ हो गइ लोउलुहान ,
पिबक्कड़ चिपटो रोटी खान ।
संग में मरियल लला लुबायँ
सती घर भगी टौरिया तायँ ।
सुमिर के पापी पति कौ नाम ,
कूँ नीचें सती धड़ाम ,
गिरतनइँ हो गओ कामतमाम ।
खड़े ठेका पै बे कबिराज
मंच खौं करैं बसैलौ आज
उतै बे तानसेन महराज
उवाँ रए पीकें , रो रओ साज ।
निभा रए जे नेता कौ रोल
नसाबन्दी पै रए जे बोल
देख लो इनकी जेब टटोल
धरें रम की बोतल अनमोल ।
देस की जिनके हाँत लगाम
हाय बे बने उमर खइयाम ।
करौ होय जीनें बंटाढार
काएखौं मिलहै घर में प्यार
चड़ौ होय छाती फार बुखार
छूटबै बिकट पसीनाधार
पौंछहै नइँ कोउ हाँत पसार ।
करौ जब हमनें पाप प्रचण्ड
काए ना मिलहै ऐसौ दण्ड
नसा नें नास करे भुजदण्ड
बोतलें चिलकत धरीं मुचण्ड
करेजे के हो गए सौ खण्ड ।
केस हो गए अबइँ सें सेत
हाय , सब चिड़ियाँ चुग गई खेत
फाँकबे रै गइ माटीरेत
भए हम जिन्दा भूतपरेत ,
सुबै क करकें धर दई साम
हाय हम बने जेठ के घाम ।
नसा नें सबरे सुख लए लूट ,
भाग तौ तबइँ गए ते फूट
पियौ जब हमनें पैलौ घूँट ;
काँखरी में पउवा चिपकायँ
पनइयाँ औंठन पै औंदायँ
मूँछ पै सौ माछी भिनकायँ
डरे रत ते द्वारें मौं बायँ ।
देख लो मोकों भइया हरौ
नसा नें कैसौ हमखों चरौ
हतौ जो घर सौने सें भरौ
नसा नें बौ घूरेसै करौ
जिन्दगी हती दसहरी आम
नसा नें गुठली कर दइ , राम ।
हाय जौ गंगाजल कौ देस
भोग रओ कैसौ कठिन कलेस ,
काए सें , जाँ देखै ताँ नसा
पीतनइँ भूलत घर की दसा
घुसी जी घर में जा करकसा
हो गई बा घर की दुरदसा ।
देस में होबै सफल सुराज
न घरघर गिरै गरीबी गाज
बचै लाखन सतियन की लाज
प्रतिज्ञा कर लो सबरे आज
नसा खौं मानें सदा हराम ,
न लैहैं जियत नसा कौ नाम ;
तभइँ उलछर पुरखन कौ नाम
बनें भारत सुखसम्पत धाम
न लैहैं जियत नसा कौ नाम । | bundeli-bns |
आल्हा ऊदल
नौ सौ तोप चले सरकारी मँगनी जोते तीन हजार
बरह फैर के तोप मँगाइन गोला से देल भराय
आठ फैर के तोप मँगाइन छूरी से देल भराय
किरिया पड़ि गैल रजवाड़न में बाबू जीअल के धिरकार
उन्ह के काट करों खरिहान
चलल जे पलटन इंदरमन के सिब मंदिर पर पहुँचल जाय
तोप सलामी दगवावल मारु डंका देल बजवाय
खबर पहुँचल बा रुदल कन भैया आल्हा सुनीं मोर बात
करव तैयार पलटन के सिब मंदिर पर चलीं बनाय
निकलल पलटन रुदल के सिब मंदिर पर पहुँचल बाय
बोलल राजा इंदरमन बाबू रुदल सुनीं मोर बात
डेरा फेर दव एजनी से तोहर महा काल कट जाय
तब ललकारे रुदल बोलल रजा इंदरमन के बलि जाओं
कर दव बिअहवा सोनवा के काहे बढ़ैबव राड़
पड़ल लड़ाइ है पलटन में झर चले लागल तरवार
ऐदल ऊपर पैदल गिर गैल असवार ऊपर असवार
भुँइयाँ पैदल के नव मारे नाहिं घोड़ा असवार
जेत्ती महावत हाथी पर सभ के सिर देल दुखराय
छवे महीना लड़ते बीतल अब ना हठे इंदरमन बीर
चलल ले राजा बघ रुदल सोनवा कन गैल बनाय
मुदई बहिनी मोर पहुँच वाय | bhojpuri-bho |
482
हीर हो रूखसत1 रांझे यार कोलों आख सहतिए मता पकाइए नी
ठूंठा भन्न फकीर नूं कढया ई किवें उसनूं खैर भी पाइए नी
वहन लोहड़े पया वेड़ा शोहदयां2 दा नाल करम दे बनड़े लाइए नी
मेरे वासते उसने लए तरले किवे उसदी आस पुचाइए नी
तैनूं मिले मुराद ते असां माही दोवे आपने यार हडाइए नी
होया मेल जों चिरी विछुनयां दा यार रजके गले लगाइए नी
बांकी उमर रंझेटेदे नाल जालां जिवें मेरा भी मेल मिलाइए नी
जीउ आशकां दा अरश हक दा ए किवे उसनूं ठंड पवाइए नी
एह जोवना ठग बाजार दा ए सिर किसे दे एह चड़ाइए नी
शैतान दियां असीं उसताद रन्नां कोई आ खां मकर3 फैलाइए नी
बाग विच ना जांदियां सोहदियां हां किवें यार नूं घरी लिआइए नी
गल घत पला मुह घाह लै के पैरो लग के पीर मनाइए नी
वारस शाह गुनाह दे असी लदे चलो कुल तकसीर4 बखशाइए नी | panjabi-pan |
गढ़वाली ठाट
”गुन्दरू का नाम बिटे 1 सिंगाणा2 की धारी छोड़िक
वे को कुख वे की झगुली इत्यादि सब मेंला छन , गणेशू की सिपर्फ सिंगाणा की
धारी छ पर हौरी चीज सब साफ छन । यां को कारण , गुन्दरू कि मां अल
गसी3 , खलचट4 और लमडेर5 छ । मित्तर देखादों बोलेंद यख बखरा6 , रंहदा
होला , मेलो7 खणेक धुलपट होयू छ , मितर तब की क्वी चीज इर्थे क्वी चीज
उथैं । सांरा मितर तब मार घिचर पिचर होई रये । अपणी अपणी जगा हर
क्वी चीज नी । मांडाकूंडा ठोकरियूं मां लमडण रंदन , पाणी का भाडज्ञें तक
तलें देखा दों , धूल को क्या गद्दो जम्यू छ । यूं का मितर पाणी पेंण को भी
मन नी चांदो । नाज पाणी की खत फोल , एक माणी पकोण कू तिकालन त
द्वी माणी खतेई जांदन , अर जु कै डूम8डोकला , मिखलोई सणी देणां कू
बोला त हे राम यां को नौ नी’ । “ | garhwali-gbm |
अरू तू रे जगत जग जागिया
अरू तू रे जगत जग जागिया
अरू जागिया छे चारी देव
हो रंग बोल वे सुन्नारा कुँकड़ा
अरू काशी रा विश्वनाथ जागिया
अरू उज्जैन रा महाकाल देव
अरू इन्दौर रा इन्द्रनाथ जागिया
अरू भंवरासा रा भंवरनाथ जागिया
अरू आष्टा रा अजपाल देव
अरू तू रे जगत जग जागिया
अरू जागिया छे चारी राव
छज्जा से फलाणा राव जागिया
अरू बऊ रे फलाणी बऊ रो कंत
महल अटारी से जागिया फलाणा राव
पालकी से फलाणा राव जागिया
अरू जागिया छे चारी भांड
मोरी में से फलाणा राव जागिया
नारदे में से फलाणा राव जागिया
संडास में से फलाणा जमई जागिया
बेटी फलाणा रा गुलाम | malvi-mup |
की हे जी, हाथे मा लोटिया बगल मा धोतिया
की हे जी , हाथे मा लोटिया बगल मा धोतिया , जनक जी चले हैं नहाय
की हे जी , आजु चौपरिया लिपायो मोरी रनिया , पूजब सालिगराम
की हे जी , सुरहिनी गैया क गोबरा मंगायों , गंगा जमुनवा क नीर
की हे जी , झुक धरि लीपन्ही बेटी जानकी , धनुष दिहिन खसकाय
की हे जी , नहाई धोई जब लौटे जनक जी , पड़ी चौपरिया निगाह
की हे जी , आजु चौपरिया कवन रनिया लीपिन , धनुष दिहिन खसकाय
की हे जी , रोजु त लीपहि सोन चिरैय्या कौशल्या , तिल भरि सरकि न पाए
की हे जी , आजु त लीपिन बेटी जानकी , धनुष दिहिन खसकाय
की हे जी , इतनी बचन राज सुनयू न पायें , कीन्हि नगर मा शोर
की हे जी , जो धनुहा तूरी लेइहैन वही कुलभूसन , सीता ब्याहि लई जाएँ
की हे जी , यह प्रण कीहन्यो जो बाबा मोरे , तोर प्रण हमै न सोहाय
की हे जी , जो धनुहा तोरि लैहैं बन के असुरवा हमका ब्याहि लई जाएँ ? ? | awadhi-awa |
झुक जाय बादली बरस क्यूँ ना जाय
झुक जाय बादली बरस क्यूँ ना जाय
उत क्यूँ ना बरसो बादली जित म्हारा बीरा री देस
उत मत मरसे ए बादली जित म्हारा पिया परदेस
तम्बू तो भीजै तम्बू की रेसम डोर
चार टका दें गांठ का जे कोए लसकर जाय
वै लस्करियां न्यूँ कहो थारी घर बाहण का ब्याह
काला पीला जो कापड़ा कोए कन्या द्यो परणाय
चार टका दें गांठ का जे कोए लसकर जाय
वै लस्करियंा न्यूँ कहो थारी माय मर्यां घर आय
माय नै दाबो बालू रेत में ऊपर सूल बबूल
चार टका दें गांठ का जे कोए लसकर जाय
वे लस्करियां न्यूँ कहो थारै कुंवर हूयो घर आय
कोठी चावल घी घणो बैठी कुंवर खिलाय
चार टकां दें गांठ का जे कोए लसकर जाय
वे लस्करियां न्यूँ कहो थारी जोय मर्या घर आय
जोय नै दाबो चम्पा बाग में ऊपर साल दुसाल
झुक जाय बादली बरस क्यूँ ना जाय | haryanvi-bgc |
हे फुलड़े तो बीन्हण
हे फुलड़े तो बीन्हण म्हारी चलीए लाडली बाबल की फुलवाड़िआं
हे एक फूल बीन्हा लाडो देा फूल बीन्हे तीजै मैं भरी ए चगेरिआं
हे आगे तो मिल गया साजन का री बेटा लइए डपट्टे छाइओ
हे सुण सुण हो जान के हो बेटे हम सां अखन कवांरिआं
हे अखन कवांरी लाडो बड़ परवारी रूप घणा गुण आगली
हे जद मेरा लक्खी बाबल ब्याह ए रचावै जब रे चलूंगी तेरी साथ में
हे फुलड़े तो बीन्हण . . . | haryanvi-bgc |
विवाह गीत
छाबो भरि पापड़ अलग मेकसे ।
याहिणी वो लांगड़ चाई गुई ।
भाट्यो भरि दारुड़ो अलग मेकसे
याहिणी वो लांगड़ पी गुई ।
छाबो भरि खार्या अलग मेकसे ।
याहिणी वो लांगड़ खाई गुई ।
समधन के लिए वधू पक्ष की स्त्रियाँ कह रही हैं हमारी समधन बहुत दुखी और पेटू है । समधन के सामने हमने बहुत से पापड़ रखे , वो सभी खा गई , पूरी दारू पी गई और सेंव भी खा गई , ये कैसी समधन है ? | bhili-bhb |
चौपर है राजन के लानैं
चौपर है राजन के लानैं
जिनै जगीरी खानैं ।
बड़े भोर सें बिछो गलीचा
ठान ओई की ठानैं ।
निस दिन तार लगी चौपर की ,
मरे जात भैरानें ।
कात ईसुरी जुरकै बैठत
लबरा केऊ सयाने । | bundeli-bns |
नल बखरी मे लगवा दो साजना
नल बखरी में लगवा दो साजना ,
बात मोरी नहीं टालना ।
बालम होत बड़ी हैरानी ,
हमखों भरन पड़त है पानी ।
घर में बैठी रहत जिठानी
ननदी छोड़ गई गोबर को डालना । बात . . .
सासो भोरई आन जगावे , हमखों पानी खों पहुंचावें ,
आठ बजे पानी भर पावें ,
परो मोड़ा रोवत मेरो पालना । बात . . .
तुमरो दूर कुआं को पानी , भरतन मेरी चांद पिरानी
तई में होय बैलन की सानी ,
दुपरै दस खेप ढोरन खों डारना । बात . . .
कालों तुमखों हाल सुनावें , सब घर रोजई मूड़ अनावें ,
हम तो कछु अई नई कर पावें ,
होती रुचरुच के रोज की टालना । बात . . .
भोरई उठ कर दफ्तर जइयो ,
रुपया पिया जमा कर अइयो
बालम इतनी मान हमारी लइयो ,
नई तो पानी न जैहें हम बालमा । बात . . . | bundeli-bns |
झूला डरो कनक मदिर मे
झूला डरो कनक मंदिर में
झूलें अवध बिहारी ना ।
राम लक्षिमन झूला झूलत ,
सिया दुलारी ना । झूला . . .
भरत शत्रुहन मारत पेंगे ,
हनुमत , झलत बयारी ना । झूला . . .
कोयल कूकत नाचत मोरा ,
शोभा देख निराली ना । झूला . . .
सखियां सबरी कजरी गावे ,
खुशियां छाई ना । अवध में . . . | bundeli-bns |
सभवा बइठल तोहें दादा
सभवा बइठल तोहें दादा , सभे1 दादा उठिकर ।
हे साजहु बरियतिया उठिकर , हे साजहु
बरियतिया उठिकर ॥ 1 ॥
मचिया बइठली तोहें दादी , सभे दादी उठिकर ।
हे साजहु डाला दउरवा2 उठिकर , हे साजहु
डाला दउरवा उठिकर ॥ 2 ॥
ससुरा से आयती बहिन सभे , बहिनी उठिकर ।
हे आँजहु3 भइया अँखिया उठिकर ॥ 3 ॥
कथि4 लाय5 मुहँमा उगारब6 कथिलाय ।
हे आँजहु भइया के अँखिया उठिकर ॥ 4 ॥
तेल रे उबटन लाए मुहँमा उगारब ।
कजरवा7 लाय हे आँजब भइया के अँखिया उठिकर ॥ 5 ॥ | magahi-mag |
जमुना किनरवा जीरवा जलमि गेलइ
जमुना किनरवा1 जीरवा जलमि गेलइ हे ।
फरी फूरी2 ओरझ3 हे ॥ 1 ॥
हथिया चढ़ल आथिन4 दुलरइता दुलहा हे ।
जिनखर5 पगिया रँगे रँगे हे ।
जिनखर अभरन6 रसे रसे7 हे ॥ 2 ॥
नदिया किनारे धोबिया धोवे लगल हे ।
सूखे देलक कदमियाँ तरे हे ॥ 3 ॥
हँसि हँसि पुछथिन कवन दुलहा हे ।
केकर बेटी के चुनरिया सुखइन हे ।
केंकर धिया के केचुअवा8 सुखइन हे ॥ 4 ॥
जिनखर चुनरी रँगे रँगे हे ।
जिनखर केचुआ अमोद बसे हे ॥ 5 ॥
कवन पुर के हथिन दुलरइता बाबू हे ।
उनखर बेटी के चुनरिया सुखइन हे ।
उनखर धिया के केचुअवा सुखइन हे ॥ 6 ॥ | magahi-mag |
440
आकी होयके खेड़यां विच वड़ीए आशक हुसन दे वारसी जटीए नी
पिछा अंत नूं देवना होय जिसनूं झुगा उसदा कासनूं पटीए नी
जेहड़ा वेखके मुख निहाल होवे कीजे कतल ना हान पलटीए नी
एह आशक वेल अंगूर दी ए मुढ़ों एसनूं ला पटीए नी
एह जोबना नित ना होवना ए पैर यार दे धोयके चटीए नी
लैके सठ सहेलियां विच बेले तूं ते धांवदी सैं नित जटीए नी
पिछा ना दीजे सचे आशकां नूं जो कुझ जान ते बने सो कटीए नी
दावा बन्नीए ते खड़यां हो लड़ीए तीर मारके पिछां ना हटीए नी
अठे पहर वसारीए नहीं साहिब कदे होश दी अख तरटीए नी
जिन्हां कौंत भुलाया छुटडां ने लख मौलियां महिंदीयां घतीए नी
वारस चाट तोतड़ें1 नूं पिछों कंकरी रोड़ ना सटीए नी | panjabi-pan |
जन्म गीत
वांझा घर पाळनो बंधाड्रयो , भगवान बाळो आप्यो । ।
बाळा का दाजी आव परदा लगाड़ दे , बाळ के छिपाई दीजो । ।
भगवान बाळो आम्यो ।
वांझा पार पाळनो बंधाड्रयो , भगवान बाळो आप्यो ।
बाळा का मामा आओ , अरदा खोलि दीजो परदा खोलि दीजो । ।
बाळा के वताई देजो , भगवान बाळो आप्यो । ।
वांझा घर पाळनो बंधाड्रयो , भगवान बाळो आप्यो । ।
भगवान ने बाँझ के घर बालक को जन्म दिया और पालना बँधवाया ।
बालक के दादा आओ और परदे लगाकर बालक को छिपा दो ताकि
किसी की नजर न लगे । आगे मामा से कहा गया है किमामा आओ
और परदे खोलकर बालक को दिखाओ । | bhili-bhb |
पंछी पंचक
अरे जागा जागा कब बिटि1 च कागा उड़ि उड़ी
करी . . . ‘काका’ ‘काका’ घर घर जगोणू तुमसणी ।
उठो गैने पंछी करण लगि गैने जय जय ,
उठा भायों जागा भजन बिच लागा प्रभुजि का ।
धुगूती धुगूती धुगति2 धुगता की अति भली
भली मीछी बोलो मधुर मदमाती मुदमयी ।
हरी डांड्यो3 धुनि पर धुनि जो छ भरणीं
हरी जी की गाथा हिरसि हिरसी स्या च करणीं ।
‘कुऊ कूऊ कुऊ कुउ कुउ कुऊ कूउ कुउऊ’
छजो4 धारू धारू5 बणु बणु बिटी गूंजण लगीं ।
हिलांसू6 की प्यार जिउ खिंचण बारी रसभरी
सुरीली बोली स्या स्तुति भगवती जी कि करद ।
. . . ‘तुही तूही तूही’ सुरम बणु मां सार सिंचिक ,
पुराणू शास्त्रू को मरम मय बोली बिमल मां ।
प्रभू की ख्याती कोयल च करणीं तार सुर से
”तु तूही में तूही महि सब हि तूही तुहि तुही“
टिटो7 च्यौलो म्यौली छितरि तितरी ढैंचु मंडकी
रसीली तानू कू भरि भरि हरी जी कु भजद ।
उठा प्यारों प्यारी भिनसरि8 कि लूटा विभक्ता ,
छ जो छाई नाना प्रकृति जननी का रहसु से । । | garhwali-gbm |
112
बच्चा दुहां ने रब्ब नूं याद करना नहीं इशक नूं लीक लगवाना ई
अठे पहर खुदाए दी याद अंदर तुसां ज़िकर ते खैर कमावना ई
पीर देख के तबाअ1 निहाल होए हुकम कीता है रब्ब नूं धियावना ई
वारिश शाह पंजां पीरां हुकम कीता बच्चा दिल नूं नहीं डुलावना ई | panjabi-pan |
कथा खेत-खरयानन की
तुम डिल्ली कीं बातें करौ बड़े भइया ,
हमें करन दो सेवा अपने गाँवन की ;
तुम कारन पै मलकौ मालपुआ गुलकौ ,
हमें कहन दो कथा खेतखरयानन की ।
इन गावन में अपने पुरखा रहत हते ,
ठाँड़ी कर गए छायबनाय मड़इयँन कों ;
रातरात सोई गीले में महतारी ,
पालपोस स्यानों कर गइ सब भइयन कों ।
खेतन की माटी सरसक्क पसीना सें ,
दोदो बीघा भूम सकल सम्पदा हती ;
कोहरीं , चना , मुसेला धमके काम करो ,
घी कीं चुपरीं बाँटत रहे खबइयन कों ।
देखौ कभउँ जाय कें उन रौगड़ियन पै ,
अभउँ डरी है धूरा उनके पाँवन की ।
इन गाँवन में बारे सें उचकेकूँबे ,
हिलमिल खेले खेल , बनाए घरघूला ;
तलातलइयाँ सपरे , खेतन में लोटे ,
दिनदिन भर सावन में झूलत ते झूला ।
ज्वानी अपओंबिरानो लैकें चढ़ आई ,
आँतहिलोरो भइया तब बैरी बन गओ ;
घूरे पै गारीगुल्ला मुड़कटइ भई ,
फाँसी पै टँग गए मतइयाँ मनफूला ।
उन दोउन के लरका जूझ करइयाँ हैं ,
लै लई है सौगन्ध उन्हें समझावन की ।
गाँवन के त्योहार लगत हैं तेरहिंसे ,
अब न भरै कोउ स्वाँग न बजत नगाड़े हैं ,
ज्वानन की कढ़ आईं कुथरियाँ पेटन कीं ,
और पथनवारे बन गए अखाड़े हैं ,
अब न गाँव की बेटी सबकी बहिन रही
अब न गाँव के लरका ऊके भइया हैं ;
कढ़न न पाबैं हारखेत बहुएँ बिटियाँ
गैलघाट में ऐसे चरित उभाँड़े हैं ।
हमें बेंदुलाचढ़वइया बन जानें है ,
चन्द्रावल की धरीं भुजरियाँ सावन कीं । | bundeli-bns |
आल्हा ऊदल
किरिया धरावल जब लहरा सिंह रुदल जियरा छाड़व हमार
नैंयाँ लेब बघ रुदल के
एतनी बोली बघ रुदल सुन गैल रुदल बड़ मंड्गन होय जाय
फिर के चलि भेल बघ रुदल लहरा दोसर कैल सरेख
खैंचल तेगा जब लहरा सिंह बाबू लिहल अली के नाम
जौं तक मारल बघ रुदल के देबी झट के लिहल बचाय
बरल करेजा बघ रुदल के रुदल कूदल बवन्तर हाथ
जौं तक मारल लहरा के भुँइयाँ लोथ फहराय
भागल फौदिया जब लहरा के जब नैना गढ़ गैल पराय
लागल कचहरी इंदरमन के जहाँ तिलंगा पहुँचल जाय
बोलै तिलंगा लहरा वाला राजा इंदरमन जान बचाई मोर
एतनी बोली सुनल इंदरमन बाबू मन में करे गुनान
पड़ गलै बीड़ा इंदरमन के राजा इंदरमन बीड़ा लेल उठाय
हाथी मँगावल भौंरानंद जिन्ह के नौं मन भाँग पिलाय
दसे तिलंगा ले साथन में सिब मंदिर पहुँचल जाय
घड़ी पलकवा का चलला में सिब मंदिर पहुँचल जाय
बाँधल घोड़ा रुदल के पलटन पर पड़ गैल दीठ
घीचै दोहाइ जब देबी के देबी प्रान बचावव मोर
आइल देबी जंगल के बनस्पती देबी पहुँचल आय
घोड़ा खोल देल बघ रुदल के घोड़ा उड़ के लागल अकास
रुदल सूतल सिब मंदिर में जहवाँ घोड़ा पहुँचल बाय | bhojpuri-bho |
भरथरी लोक-गाथा - भाग 9
धरय चिमटा भरथरी
पांच पिताम्बर ओ
का तो गोदरी ल ओढ़त हे
टोपी रतन जटाय
देखतो पहिरत हे
भरथरी रेंगना रेंगय राम
कोसेकोसे के तो रंेगना ये
एक कोस रेंगय
दूसर कोस , दसे कोस बइरी का रेंगय
बीस कोसे ये ओ
तीस कोसे के अल्दा म
गढ़ उज्जैन राम
जिहां हबरत हे भरथरी
धुनि लेवय जमाय
का तो बइठत हे धुनि मँ
डंका देवय पिठाय
सुन लेवा रानी
गढ़ उज्जैन के ओ , सुनले रानी भीख ले आवा ओ , भाई ये दे जी ।
अतका बानी न रानी सुनत हे
रंगमहल मँ राम
साते बइरी सतखंडा ये
सोला खण्ड में ओगरी
बत्तीस खंड अधियारे न
साये गुजर म ओ
जाई बइठे सामदेई
नैना देखय निकाल
का तो झरोखा ले झाँकय
धुनि लेहे रमाय
भरथरी राजा ह बइठे हे
जोगी के धरे भेख
तऊने ले देखत हे सामदेई , राजा ये दे जी ।
रंगमहल ले आवत हे
थारी मोहर ये ओ
धरे हावय रानी सामदेई
आंगन म हीरा
बारापाली के साये गुजर ले ओ
नहकत चले आवय सामदेई
भरथरी मेर आय
जऊने मेर धुनि रमाय हे
बानी बोलत हे राम
सुनले राजा मोर बात ल
जोग साधे ह हो
जोग ल बइरी तु छोड़ देवा
कऊने कारण राजा पर के नारी मोर बिहाव करेव
रंग महल म ओ
काबर लाये हव तुँ राजा , भाई ये दे जी ।
अतका बात ल सुनके
भरथरी ये राम
का तो बोलत हावय बाते ल
सुनले रानी मोर बाते ल
का गत होतिस बाचतेंव
करम बाँचे नई जाय
मोर करम जोगी लिखे हे
सुनले कइना मोर बात
जोग साघ लिहेंव कहत हॅव
बानी बोलत हे राम
नई तो मानत हावय रानी ये
सुन राजा मोर बात
राजपाट ये दे तोला न
दस लाख ये ओ
हाथी ल तोला मय का देवॅव
बीस लाखे बइरी सेना
सुबह मंगा देहव ये दे अंगना म
कथरी देहव सिलाय
टोपी म रतन जड़ देवॅव
धुनि लेवॅव रमाय अंगना मँ बइठ जावा तुम जोगी , भाई ये दे जी ।
झन जावा गोरखपुर म
जोगी झन बना राम
अइसे बोलत हे रानी हर
नई तो मानत हे बात
अब तो बोलय भरथरी हर
सुनले रानीमोर बात
जोगे ल न तो मय छोडॅ़व
भीख दे दे कइना
अइसे बानी ल रानी बोलत हे
सुनले राजा मोर बात
घर के नारी मय तुँहरे अॅव
जोग झन साधा ओ
रंगमहल मँ आनन्द करॅव
राज पाट तुँहार
धन दौलत के हे का कमी
हीरा मोती जवरात
छय आगर छरू कोरी सइना हे
रंगमहल मँ आज
कतका सजाये हे रंगमहल
बानी बोलत हे राम , नई तो मानय भरथरी ह , भाई ये दे जी ।
का तो भरथरी समझावत हे
जोगी रुपे ल वो
आज तो कइना मँय धरेंव
राज छोड़ देहॅव ओ
ना तो चाही मोला धनदौलत
ना तो लतका सजाव
ना तो हाथीघोड़ा चाही वो
ना तो चाही नारी
ना तो मोला घर के तिरिया
मोला जोग चाही
अइसे बानी ल रानी ल बोलत हे
गुरु गोले हे ओ
भीख माँगे तोर अंगना म आयेंव
भीख दे दे कइना
अइसे बानी ल रानी ल का बोलय , भाई ये दे जी ।
दे देबे दाई भीख ल
मुख से निकला हे राम
जेला सुनय सामदेई हर
मुर्च्छा खावत हे राम
का तो भुईयाँ मं गिरय
घर के जोड़ी ह राम
का तो भुईयाँ म बइरी गिरत हे
घर के जोड़ी ये ओ
कइसे दाई कहिसे
भेदे जानिस हे का
अइसे गुनत हावय सामदेई
भिक्षा दे दे कइना
बेटा कहिके थारी ल
झोला भंडार दे हमार
अइसे बानी ल राजा बोलत हे , रामा ये दे जी ।
का तो रानी बानी बोलत हे
सुन चम्पा मोर बात
घर के राजा ल समझावव ओ
बात नई सुनत न
अइसे बानी ल कइसे कहॅव मॅय
चम्पा बोलत हे राम
सुनले रानी मोर बाते ल
भरथरी के ओ
बहिनी हावय कहिके बोलत हे
गढ़नराकुल म
आज जेला बला लेवा रानी ओ , भाई ये दे जी ।
लेके जावत हे राम
का तो धवनिया ह दौड़त हे
एक कोसे रेंगय
दुई कोस बइरी
तीन कोस , दस बीसे ओ
तीस कोस के ओ अल्दा म
नराकुल सहर म ओ , जाई हबरत हे
देख तो ओ
ए धवनिया ये राम
लिखे पाती ल बाँचत हे
पहली पाती ल
बइरी का बाँचय
जेमा लिखे जोहार
तेकर पाछू लिखत हे
भइया तुँहरे ओ
मिरगिन बइरी , मिरगा मारे
मिरगिन के लागे सराप
जोग साधे हवय भरथरी
पाती बाचत हे राम
कलपीकलप रानी
मैना ये
बइरी रोवत हे राम
काय धन करॅव उपाय ल
आज तीज तिहार
जब तो भइया लेनहार ये
नई तो आये दीदी , मिरगा के लागे सराप ये , रामा ये दे जी ।
सुनले बेटा गोपीचंद रे आज
ममा तुहार
मिरगा सराप में का लगे
धुनि देहे रमाय
जोग ल साधे बइठे हे
घर के अँगना हमार
चल ना बेटा समझाये ल
भरथरी के ओ
भांचा आवय गोपीचंद
संग मा मैना ये राम
देख तो दीदी कइसे आवत हे
गढ़ उज्जैन म आज का बाधी चल रेंगत हे , राम ये दे जी ।
घोड़ा ल साजत हे
गोपीचंद ये राम
बारा मरद के साज ल कसय
रेंगना रेंगत हे राम
मंजिलमंजिल के तो रंगना
मंजिल नहकत हे चार
का तो हटरी बजारे ल
बइरी नहकत हे ओ
कदली के बइरी कछारे ल
कइसे नहकत हे राम
देखतो दीदी रथ भागत हे
लस्कर साजे हे राम
जावत हे रानी का गुनय
मैना ये दीदी
गोपीचंद जेकर संग म
चले आवत हे राम
गढ़ उज्जैन मँ आई के , रामा ये दे जी ।
का तो पड़ाव ल डालत हे
गांव के मेंढ़ में ओ
कइसे विधि गोपीचंद ये
का तो पड़ावे ल डालत हे
गोपीचंद ये ओ
जेकर मातामैना रानी ये
चले आवय दीदी
घर म पहुँचे हे के
कहय सामदेई
सुनले मोर बाते ल
भइया तुॅहार जोग साधे
समझा दे न ओ , घर के तिरिया रानी बोलत हे , रानी ये दे जी ।
अतका बानी ल सुनत हे
मैना रानी ये ओ
भइया के तीरे म जावत हे
भइया सुनले न बात
काबर भइया तॅय जोगी बने
मिरगा लगे सराप
सुनले न बहिनी मैना ओ
एक बहिनी अस ओ
एक आंखी के तारा अस
सुन मोर बात
कइसे बानी तोला का कहॅव
गुरु गोरखनाथ के बात मोला लागे हे
भीख माँगे ल ओ
घर म आयेंव हॅव
भीख नई देवय ओ
तॅय तो समझा दे सामदेई ल
बेटा कहिके भीख दे देतीस बहिनी ओ , भाई दे दी जी ।
अतका बानी ल सुनत हे
मैना ये राम
का तो धरती बइरी फाट जातिस
नारी न ल माता कहत हे
मोर भइया ये ओ
मिरगा के लागे सरापे ह
देख तो साधत हे जोग
घर के बात ल मोर नई मानय
गोपीचंद ल ओ
मैना रानी का बोलय
सुन बेटा मोर बात ला
जावा समझाव ग ममा ल
ये दे आज गा तुँहार
अइसे बानी ल बोलत हे
गोपीचंद ह ओ
ममा ल देय समझाये ना
सुनले ममा मोर बात
जोग ल तुम ममा छोड़ देवो
जोग साधे के हो
आज तुँहार दिन नइ तो हे
अइसे बोलत हे राम
जेला सुनत हवय भरथरी
सुनले भांचा हमार
पईयां लागव बारम्बार ग
जोग नई छोड़ॅव ना
अइसे बानी ल भरथरी ह बोलत हे राम , रामा ये दे जी ।
न तो हरके ल मानत हे
न तो बरजे ल राम
न तो मॉनय भरथरी ये
गोपीचंद ये ओ
जेकर माता मैना रानी
सामदेई ल ओ
जाके दीदी समझावत हे
सुनले रानी मोर बात
भइया ल दे देवा भीखे न
छतरी के जनम नई तो छेड़ॅय बइरी जोग ल
कइसे देवत हे ओ
थारी म मोहर धरत हे
कथरी ल हीरा
पांच पिताम्बर के लावत हे
टोपी रतन जटाय
देख तो दीदी हाथी लावत हे
ये दे हाथी म ओ
हीरा मोती ल बइरी लादत हे
लस्कर ल सजाय
देख तो दीदी बइरी मोर सइना ये
कइसे साजि के ओ
कइसे दीदी चलि आवत हे ओ
भिक्षा ले लव राजा अइसे बानी ल हीरा का बोलेय , रानी ये दे जी ।
भीख ल द्यरे भरथरी
रेंगना रेंगय राम
तेकर पाछू सामदेई
चले जावय दीदी
सगे म जेकर रेंगत हे
रेंगना रेगय ओ
लस्कर सजाय हावय रानी
जेकर पाछू म
चले जावत हे गढ़ उज्जैन के ओ
छय लाख छय कोरी सेना ये
चले जावत हे संग
गोरखपुर के डहर
का तो पानी ल बइरी पियत हे
पाछू के सैना ये ओ
चिखला चाटंत बइरी जावत हे
गोरखपुर मँ राम
जाके डेरा ल बइरी डारय ओ , रामा ये दे जी । | chhattisgarhi-hne |
वेदे कि तार मर्म जाने (बाउल)
वेदे कि तार मर्म जाने
ये रूप साँइर लीलाखेला
आछे एइ देह भुवने । ।
पंचतत्व वेदेर विचार
पंडितेरा करने प्रचार ,
मानुष तत्व भजनेर सार
वेद छाड़ा वै रागेर माने । ।
गोले हरि बलले कि हय ,
निगूढ़ तत्व निराला पाय ,
नीरे क्षीरे युगल हय
साँइर बारमखाना सेइखाने । ।
पइले कि पाय पदार्थ
आत्म तत्वे याराभ्रान्त
लालन बले साधु मोहान्त
सिद्ध हय आपनार चिने । | bengali-ben |
जुनख्यालि रात च छोरी
जुनख्यालि1 रात च छोरी ।
कनै हैंसि तू ?
गाड2 पाणि अफ नि पेंदि
फल नि खाँदा डाला
अन्न तैं भि भूख लगद
तीस मेघमाला ।
हर फूल जो स्वाणो3
स्वाणे ही नि होंदो
बात को अन्ताज होंद
निस्तुको नि होंदो ।
छूँ लगाई लाख , मगर
छपछपि छू लगद क्वी
औखियों मा दुनिया बसद
दिल भितर बसद क्वी
गाड द्यखण पड़द पैले
स्वाँ कु मरद फाल4
भक्क कख मरेंद भौं5 कै
बाँद6 पर अँग्वाल7 ।
भूको ब्वद वलि गदनी
अधणो ब्वद पलि गदनी ।
अपणा दिलै मी जणदू
त्यरि जिकुड़ो8 कन च कनी । | garhwali-gbm |
58
उठीं सुतया सेज असाडड़ी तों लम्मा सुसरी वांग की पया हैं वे
राती किते उनींदरा कटो ई ऐडी नींद वाला लुड़ गया हैं वे
सुन्नी देख नखसमड़ी सेज मेरी कोई आलकी आन ढह पया हैं वे
इके ताप चढ़या जिन्न भूत लगे इके डैण किसे भख लया हैं वे
वारस शाह तूं जींवदा घूक सुत्तों इके मौत आई मर गया हैं वे | panjabi-pan |
होली बी खेले ढप बी बजा
होली बी खेले ढप बी बजा कै गलियां में उडए गुलाल
कहियो मुरैटण तै होली खैलण आवै नवाब
हंसली घड़ावै फिरंगी को लड़को कठलो घड़ावै नवाब
कहियो मुरैटण तै होली खेलण आवै नवाब
ऐसी होली खेलो मिरगानैणी म्हारा साफा की रखियो लाज
कहियो मुरैटण तै होली खेलण आवै नवाब
लहंगो सिंवावै फिरंगी को लड़को स्यालू सिंवावै नवाब
कहियो मुरैटण तै होली खेलण आवै नवाब
बाजू घड़ावै फिरंगी को लड़को लूमा जड़ावै नवाब
ऐसी होली खेलो मिरगानैणी म्हारा साफा की रखियो ल्हाज | haryanvi-bgc |
रणू रौत (रावत)
सिरीनगर1 रन्द छयो , राजा प्रीतमशाई ,
कुलावाली कोट मा , रन्दी रौतू औलाद ।
हिंवा रौत को छयो भिवाँ रीत ,
भिंवा रौत को छयो रण रौत ।
रणू रौत होलो मालू2 मा को माल ,
जैको डबराल्या3 माथो छ , खंखराल्या4 जोंबा5 ,
घुण्डौं6 पौंछदी भुजा छन जोधा की ,
मुंगर्याली7 फीली8 छन , मेरा मरदो ।
माल की दूण9 रांजड़ा ऐन ,
तौन कागली10 सिरीनगर भेज्याले ।
रुखा रुखा बोल लेख्या तीखा लेख्या स्वाल ।
बोला बोला मेरा कछड़ी11 का ज्वानू
मेरा राज पर कैन त यो धावा बोले ?
मेरा गढ़वाल मा कु इनु माल12 होलू
जु भैर13 का मालू तैं जीतीक लालू ।
तबरेक उठीक बोलदू छीलू भिमल्या ,
ई तरई को माल होलो कुलवाली कोट ,
हिंवा रौतन तरवार मारे ।
रणू रौत् भी तरवार मारलो ।
रणू रौत होलो तरवान्या ज्वान ,
जैका14 मारख्वाल्या15 छन बेला16 ,
जैका चौसिंग्या17 खाडू18 होला , खोल्या होता कुत्ता ।
कुलावाली कोट को वो रणू रौत ,
मेरो भाणजो मालू साधीक लौलो ।
प्रीतमशाई माराज तब कागली19 लेखद ,
हे बुवा रणू रौत तू होलू बांको भड़ ,
भात खाई तख , हात धोई यख ,
जामो20 पैरो तख तणी21 बाँधी यख ।
कागली पौछीगे रौत का पास ।
तब बांचद कागली रौत
शेर जसा22 मोछ छया रौत ,
तैका मणि23 का मान धड़कन लै गैन ,
तैकों हातू की मुसली24 बबलाण25 लै गैन ,
कण्डील26 वंश को कांडो जजरान्द27 ,
निरकुलो पाणी डाली सी हिरांद28 ।
तब धाई29 लगौन्द रण राणो भिमला ,
मैं त जांदू राणी सैणी30 माल दूण ,
मेरा वासता पकौ निरपाणो खीर ।
राणी भिमला तब कुमजुल्या31 ह्वैगे ,
नयी नयी माया छै ऊँ की ज्वानी की ,
नयों नयों ब्यौं छो ?
राणी भिमला डाली सी अलस्यैगे ।
छोड़दी पथेणा , नेतर रांगसा बुन्द
मैं छोड़ीक स्वामी तुम जुद्धक पैट्या ,
सुमरदो तब रौत देबी झालीमाली ,
ढेबरा32 लुकदा , बाखरा लुकदा ,
मर्द कबी नी रुकदा , शेर कबी नी डरदा ,
लुबा जंगी जामा पैरेण लैग्या ,
सैणा33 सिरीनगर ऐ गए रणू ,
जैदेऊ माल्यान गर्दनी मालीक ।
हे रौत आज को जैदेऊ त्वैक च बुवा ।
तू छै मेरा रणू मालू मा को माल ,
त्वैन मारणन बेटा त्वै चटा माल ।
राजा को आदेसू पैक रौत चलीगे ,
माल की दूण कुई माल बोदा
ये तैं चुखनी 34 चुण्डला35 , आँगूली36 मारला
तब छेत्री को हंकार चढ़े रौत ,
मारे तैन मछुलीसी उफाट ,
छोड़े उडाल तरवार ।
तैन मुण्डू37 का चौंरा38 लगैन ,
तैन खूनन घट्ट रिंगैन39 मरदो ।
तै माई मर्दू का चेलान मरदो ,
सी केला सी कच्यैन , गोदड़ा सी फाड़ीन ।
बैरी को नी रखे एक , ऋणना कोसी शेष ।
छीलू भिमल्या छयो रणू को मामा ,
तै मामा को एक नौनो होलो झंक्रू ।
झंक्रूहोलो मातो40 उदमातो41 ,
राणियों को रौंसियो42 होलो वो , फूलू को हौंसिया43 ।
रणू रौत की बौराणी44 भिमला पर
वैकी लगीं छै आँखी ।
रणू तैं जुद्ध मा जायूं सुणीक
वो चली आये भिमला का पास ।
सेवा मानी मेरी बौ45 भिमला ।
ज्यू जागी दिऊर लाख बरीस ।
धोलीन झंकरुन टलपला आँसू
हे मेरी बौ , दादू46 मरीगे माल की दोण47
तनी न वोल मेरा द्यूर48 झँकरु ,
उ मालू मा का माल छन ,
ऊं सणी कु मारी सकदो ?
सची माण मेरी बौ भिमला ।
मैं दादू की गति49 करि आयूं मुगति ।
तब राणी भिमला कनी कदी कारणा ?
छोड़दे पथेणा50 नेतर राँग51 जसा52 बुन्द
तब झंक्रू बुझौणी बुझौदबौ ,
मामा पुफू का भाई होन्दान , कका53 बड़ौ54 का दाई55 ,
जनो माल दिदा छयो तनी मैं भी छऊं ।
मैंन आज दादू का पलंका सूतो56 होण ,
मैंन दादू की थाल ठऊँ जिमण ।
एक बात बोली द्यूर हैकी ना बोली ,
मैं शेरना की सेज स्याल नी सेवाल्दो ,
मैं स्वामी की थाल कुत्ता नी जिमौंदू ।
माल की दूण रणू रौत सूतो छयो ,
झाबीमाली देबी वैका सुपिना चलीगे ।
चचलैक57 उठे रणू झबकैक58 बैठे
मेरी कुलावाली कोट कु चोरड़ा59 आइगे ।
लत दिन रात कैक रणू घर पौंछे ,
रात चौक मा तब तैको जोड़ो60 बजीगे ।
जोड़ो बजीगे , घोड़ो खंकरैगे61 :
चोर जार कू नीन्दरा नी होन्दी ,
झंक्रू का तरेण्डा62 टुटी गैन
खड़ी उठ हे मेरी बौ63 भिमला ।
भेर बजीगे माई को जोड़ो , घोड़ो खंकरैगे ।
थरथर कम्पद झंकरू राम राम जम्पद
अलै जाँदू64 बलै मेरी बौ भिमला ।
मैं छनी आज बचौ । | garhwali-gbm |
दस पाँच सखिया मिली, चलली बजरिया रामा
दस पाँच सखिया मिली , चलली बजरिया1 रामा ।
ओहि2 ठइयाँ3 टिकुली रे , भुलायल हो राम ॥ 1 ॥
कहमा4 महँग5 भेलइ6 टिकुली सेनुरवा रामा ।
कहमा महँग भेलइ , बालम हो राम ॥ 2 ॥
लिलरे7 महँग भेलइ , टिकुली सेनुरवा रामा ।
सेजिए महँग भेलइ , बालम हो राम ॥ 3 ॥
कहमा जो पयबइ8 हम , टिकुली सेनुरवा रामा ।
कहमा पयबइ अपन बालम हो राम ॥ 4 ॥
बजरे9 में पयबइ हम , टिकुली सेनुरवा रामा ।
ससुरे पयबइ अप्पन बालम हो राम ॥ 5 ॥
के मोरा लाइ देतइ10 टिकुली सेनुरवा रामा ।
करे मिलयतइ11 अप्पन बालम हो राम ॥ 6 ॥
देओरा12 मोरा लाइ देतन टिकुली सेनुरवा रामा ।
सतगुरु मिला देतन बालम हो राम ॥ 7 ॥
कहत कबीर दास पद निरगुनियाँ हो रामा ।
संत लोग लेहु न बिचारिय13 हो राम ॥ 8 ॥ | magahi-mag |
मुने एकली जानी ने
मुने एकली जाणी ने कान ऐ छेडी रे . . . .
मारो गरबो ने मेली ने हालतों था . .
नही तो कही दऊँ यशोदा ना कान माँ . . .
मुने एकली जाणी ने कान ऐ काने छेडी रे . .
बेडलुं लैने हूँ तो सरोवर गई थी . .
पाछी वडी ने जोयु तो बेडलुं चोराई गयू
मारा बेडला नो चोर मारे केम लेवो खोळी
पछी कही दऊँ यशोदा ना कान माँ . . .
मुने एकली जाणी ने काने छेडी रे . .
मुने एकली जाणी ने काने छेडी रे . . | gujarati-guj |
माटी कुदम करन्दी यार
माटी कुदम करन्दी यार ।
माटी जोड़ा माटी घोड़ा , माटी दा असवार ।
माटी माटी नूँ दौड़ाए , माटी दा खड़कार ।
माटी कुदम करन्दी यार ।
माटी माटी नूँ मारन लग्गी , माटी दे हथिआर ।
जिस माटी पर बहुतीमाटी , तिस माटी हंकार ।
माटी कुदम करन्दी यार ।
माटी बाग बगीचा माटी , माटी दी गुलज़ार ।
माटी माटी नूँ वेक्खण आई , माटी दी ए बहार ।
माटी कुदम करन्दी यार ।
हस्स खेड मुड़ माटी पाओं पसार ।
बुल्ला एह बुझारत बूझें , लाह सिरों भुँए मार ।
माटी कुदम करन्दी यार । | panjabi-pan |
अपने बाबा के खड़ी चबूतरे रूप देख वर आये
अपने बाबा के खड़ी चबूतरे रूप देख वर आये
मैं तुझे पूछूं ए मेरी लाडो यहां क्यूं कंवर बुलाए
अपने बाबा की मैं लाख सौगन्ध खाऊं मैं नहीं कुंवर बुलाये
बाबा रूप देख वर आये
अपने बाबल के खड़ी चबूतरे रूप देख वर आए
मैं तुझे पूछूं ए मेरी लाडो यहां क्यों राव बुलाये
अपने बाबल की मैं लाख सोगन्ध खाऊं
मैं नहीं कुंवर बुलाये
बाबल रूप देख वर आये | haryanvi-bgc |
198
काज़ी महकमे विच इरशाद1 कीता मन शरह दा हुकम जे जीवना ई
बाअद मौत दे नाल ईमान हीरे दाखल विच बहिश्त दे थीवना ई
नाल जौक ते शौक2 दा नूर शरबत विच जनतउलअदन3 दे पीवना ई
चादर नाल हया दे सतर4 कीजे काहे दरज हराम दी सीवना ई | panjabi-pan |
वे दिल जानी प्यारेआ
आ खाँ वे दिल जानी प्यारेआ ,
केही चेटक लाया ई
मैं तेरे विच्च ज़रा ना जुदाई1 ,
सात्थों आप छुपाया ई ।
मज्झीं आइआँ राँझायार ना आया ,
फूक बिरहों डोलाया ई
आ खाँ वे दिल जानी प्यारेआ ।
मैं नेड़े मैनूँ दूर क्यों दिस्नाऐं ,
सात्थों आप छुपाया ई ।
आ खाँ वे दिल जानी प्यारेआ ।
विच्च मिसरदे वाँग जुलैखां
घुँघट खोल्ह रूलाइआ ई ।
आ खाँ वे दिल जानी प्यारेआ ।
सहु बुल्ले दे सिर विच्च बुरका ,
तेरे इशक नचाया ई ।
आ खाँ वे दिल जानी प्यारेआ ।
केही चेटक लाया ई । | panjabi-pan |
चउका चढ़ि बइठलन कवन बाबू
चउका1 चढ़ि बइठलन कवन बाबू ।
जाँघ ले ले धिया बइठाइ हे ॥ 1 ॥
ए राम , असरे पसरे2 चुनरी भींजल ना ।
रउरा परभुजी बेनियाँ3 डोलावऽ ना ॥ 2 ॥
कइसे बेनियाँ डोलाऊँ हे सुगइ ।
ताकत होइहें4 बाबूजी तोहार हे ॥ 3 ॥
चलु चलु सुगइ हमर देसवा ।
उहँई5 देबो बेनियाँ डोलाइ ना ॥ 4 ॥
चउका चढ़ि बइठलन कवन चच्चा ।
जाँघ ले ले धिया बइठाइ हे ॥ 5 ॥
ए राम , असरे पसरे चुनरी भींजल ना ।
रउरा परभुजी बेनियाँ डोलावऽ ना ॥ 6 ॥
कइसे बेनियाँ डोलाऊँ हे सुगइ ।
ताकत होइहें चच्चा तोहार हे ॥ 7 ॥
चलु चलु सुगइ हमर देसवा ।
उहईं देबो बेनियाँ डोलाइ ना ॥ 8 ॥ | magahi-mag |
घूमर गीत
ओ म्हारी घूमर छे नखराळी ऐ माँ
घूमर रमवा म्हें जास्याँ
ओ राजरी घूमर रमवा म्हें जास्याँ
ओ म्हाने रमता ने काजळ टिकी लादयो ऐ माँ
घूमर रमवा म्हें जास्याँ
ओ राजरी घूमर रमवा म्हें जास्याँ
ओ म्हाने रमता ने लाडूङो लादयो ऐ माँ
घूमर रमवा म्हें जास्याँ
ओ राजरी घूमर रमवा म्हें जास्याँ
ओ म्हाने परदेशियाँ मत दीजो रे माँ
घूमर रमवा म्हें जास्याँ
ओ राजरी घूमर रमवा म्हें जास्याँ
ओ म्हाने राठोडा रे घर भल दीजो ऐ माँ
घूमर रमवा म्हें जास्याँ
ओ राजरी घूमर रमवा म्हें जास्यां
ओ म्हाने राठोडा री बोली प्यारी लागे ऐ माँ
घूमर रमवा म्हें जास्याँ
ओ राजरी घूमर रमवा म्हें जास्यां
ओ म्हारी घूमर छे नखराळी ऐ माँ
घूमर रमवा म्हें जास्याँ . . . | rajasthani-raj |
बना रे बागां में झुला घाल्या
1 .
बना रे बागां में झुला घाल्या
म्हारे हिवडे री , म्हारे जिवड़े री , म्हारे मन डे री कोयल बोले झुला छैल भंवरसा
म्हारे मन डे री कोयल बोले झुला छेल भंवरसा
गोरी ऐ बागां में झुला घाल्या
म्हारे हिवडे रो , म्हारे जिवड़े रो , म्हारे मनडे रो मोरियो नाचे झुला जान कंवरसा
म्हारे मनडे रो मोरियो नाचे झुला जान कंवरसा
बना रे फागण री रुत आई
मैं लुक छिप , मैं छुप छुप , मैं छाने छाने आई , म्हारा छैल भंवरसा
मैं छाने छाने आई , म्हारा छैल भंवरसा
गोरी ऐ रंग गुलाबी थारो
थारे नैणा सूं , थारे गालां सूं , थारे होठा सूं रंग मन म्हारो म्हारी जान कंवरसा
थारा होठा सूं रंग मन म्हारो म्हारी जान कंवरसा
बना रे रंग में रंग रळ जावे
जद मनडे सूं , जद तनडे सूं , जद मन डे सूं मन मिल जावे म्हारा छैल भंवरसा
जद मन डे सूं मन मिल जावे म्हारा छैल भंवरसा
गोरी ऐ प्रीत री डोर न टूटे
इण जनम ने , ऊण जनम ने , सौ जनम में साथ न छूटे म्हारी जान कंवरसा
सौ जनम में साथ न छूटे म्हारा छैल भंवरसा
सौ जनम में साथ न छूटे म्हारी जान कंवरसा
2 .
बन्ना रे बागा में झूला डाल्या , म्हारी बन्नी ने झूलण दीजो बन्ना गेन्द गजरा .
बन्ना रे बाग में झूला डाल्या , म्हारी लाडी ने झूलण दीजो बन्ना गेन्द गजरा .
बन्ना रे जैपुरिया ते जाज्यो , म्हारी बन्नी ने रखदी ल्याइजो बन्ना गेन्द गजरा .
बन्ना रे कोटा बून्दी जाज्यो , म्हारी लाडी ने लहेरिओ ल्याइजो बन्ना गेन्द गजरा
बन्ना रे चूडीगड ते जाज्यो , म्हारी लाडी ने चुड्लो ल्याइजो बन्ना गेन्द गजरा . | rajasthani-raj |
सामन आयौ अम्मा मेरी
सामन आयौ अम्म मेरी सुहावनो जी ,
एजी कोई सब सखि झूलति बाग । 1 ।
चन्दन पटुली अम्मा बनवाय दे री ,
एजी कोई रेशम डोरि मंगाय । 2 ।
मैं भी झूलूँ अम्मा चंपाबाग में जी ,
एजी कोई जाऊँ सहेलियन साथ । 3 ।
इतनी सुनि के बोली माता मल्हनदे जी
एजी बेटी सुनले मेरी बात । 4 ।
आल्हाऊदल बेटी घर हैं नहीं जी
एजी कोई जूझि गयौ मलिखान । 5 ।
बारौ सौ भैया तेरौ ब्रह्माजीत है जी ।
ऐजी कोई कौन झुलावे बेटी मेरी आज । 6 ।
जो सुनि पावे बेटी पृथ्वीराज है री
एजी कोई कोपि चढ़ेंगे चौहान । 7 ।
डोला तो लै जाय बेटी तेरौ बाग तेही ,
एजी कोई बिगर जाय सब बात । 8 ।
जो घर होते बेटी आल्हा ऊदल से जी
एजी तोय देते बाग झुलाय । 9 ।
मानि कही तो बेटी घर झूलि ले री ।
एजी कोई सामन लेउ मनाय । 10 । | braj-bra |
जय जय राजस्थान
गोरे धोरां री धरती रो
पिचरंग पाणा री धरती रो , पीतल पातल री धरती रो , मीरा करमा री धरती रो
कितरो कितरो रे करां म्हें बखाण , कण कण सूं गूंजे , जय जय राजस्थान . . .
धर कुंचा भई धर मंजलां
धर कुंचा भई धर मंजलां
धर मंजलां भई धर मंजलां
कोटा बूंदी भलो भरतपुर अलवर अर अजमेर
पुष्कर तीरथ बड़ो की जिणरी महिमा चारूं मेर
दे अजमेर शरीफ औलिया नित सत रो फरमान
रे कितरो कितरो रे करा म्हें बखाण , कण कण सूं गूंजे , जय जय राजस्थान . . . .
धर कुंचा भई धर मंजलां
धर कुंचा भई धर मंजलां
धर मंजलां भई धर मंजलां
दसो दिसावां में गूंजे रे मीरा रो गुण गान
हल्दीघाटी अर प्रताप रे तप पर जग कुरबान
चेतक अर चित्तोड़ पे सारे जग ने है अभिमान
कितरो कितरो रे करां म्हें बखाण , कण कण सूं गूंजे , जय जय राजस्थान
धर कुंचा भई धर मंजलां
धर कुंचा भई धर मंजलां
धर मंजलां भई धर मंजलां
उदियापुर में एकलिंगजी गणपति रंथमभोर
जैपुर में आमेर भवानी जोधाणे मंडोर
बीकाणे में करणी माता राठोडा री शान
कितरो कितरो रे करा म्हें बखान कण कण सूं गूंजे जय जय राजस्थान
धर कुंचा भई धर मंजलां
धर कुंचा भई धर मंजलां
धर मंजलां भई धर मंजलां
आबू छत्तर तो सीमा रो रक्षक जैसलमेर
किर्ने गढ़ रा परपोटा है बांका घेर घूमेर
घर घर गूंजे मेड़ततणी मीरा रा मीठा गान
कितरो कितरो रे करां म्हें बखाण , कण कण सूं गूंजे , जय जय राजस्थान
धर कुंचा भई धर मंजलां
धर कुंचा भई धर मंजलां
धर मंजलां भई धर मंजलां
राणी सती री शेखावाटी जंगळ मंगळ करणी
खाटू वाले श्याम धणी री महिमा जाए न वरणी
करणी बरणी रोज चलावे बायेड़ री संतान
कितरो कितरो रे करा म्हें बखाण , कण कण सूं गूंजे , जय जय राजस्थान
धर कुंचा भई धर मंजलां
धर कुंचा भई धर मंजलां
धर मंजलां भई धर मंजलां
गोगा पाबू , तेजो दादू , झाम्बोजी री वाणी
रामदेव की परचारी लीला किण सूं अणजाणी
जैमल पन्ना भामाशा री आ धरती है खान
कितरो कितरो रे करा म्हें बखाण , कण कण सूं गूंजे , जय जय राजस्थान
धर कुंचा भई धर मंजलां
धर कुंचा भई धर मंजलां
धर मंजलां भई धर मंजलां | rajasthani-raj |
होत आवेरो म्हारा धाम को
होत आवेरो म्हारा धाम को ,
गुरु न भेज्यो परवाणो
१ हम कारज निर्माण किया ,
आरे परमेश्वर को जाणु
मुल रच्यो निजधाम को
जाकर होय रे ठिकाणु . . .
होत आवेरा . . .
२ ओ सल्ला बिहार के ,
काई लावो रे बयाना
कस के कमर को जायगो
जामे साधु समाना . . .
होत आवेरा . . .
३ बहु सागर जल रोखीयाँ ,
देव जबर निसाणी
चेहरा हो देखो निहार के
काहे दल को हो धाम . . .
होत आवेरा . . .
४ नाम शब्द को राखजो ,
आरे बैकुंट को जाणु
सब संतन का सार है
चाहे होय परवाणो . . .
होत आवेरा . . .
५ तीरुवर परवाणो कीजीये ,
नही देणा रे भेद
गुरु मनरंग पहिचाणिया
मानो वचन हमारो . . .
होत आवेरा . . . | nimadi-noe |
आगे गुरु पासे चेला
आगे गुरु पासे चेला
आगे गुरु पासे चेला
कतरी डाटेन टोलेमा गुरु मारे
कतरी डाटेन टोलेमा गुरु मारे
जाजह बांधो टीकरा बांधो
जाजह बांधो टीकरा बांधो
कतरी डाटेन टोले मा जा गरु मारे
कतरी डाटेन टोले मा जा गरु मारे
जाजह बांधो सिवाड़ बांधो
जाजह बांधो सिवाड़ बांधो
कतरी डाटेन टोले मा जा गुरु मारे
कतरी डाटेन टोले मा जा गुरु मारे
जाजह बांधो सिवाड़ बांधो
जाजह बांधो सिवाड़ बांधो
कतरी डाटेन टोले मा जा गुरु मारे
कतरी डाटेन टोले मा जा गुरु मारे
आगे गुरु पासे चेला
आगे गुरु पासे चेला
कतरी डाटेन टोले मा जा गुरु मारे
कतरी डाटेन टोले मा जा गुरु मारे
खिला को बांधो मुटवा बांधो
खिला को बांधो मुटवा बांधो
कतरी डाटेन टोले मा जा गुरु मारे
कतरी डाटेन टोले मा जा गुरु मारे
स्रोत व्यक्ति सकून बाई , ग्राम भोजूढाना | korku-kfq |
बारात गीत
तूके कुण बुलायो , ने कुणे घर आयो रे
रायजादा बनड़ा ।
तारा काकड़ पर डेरो देणो देजी वो
रायजादी बनड़ी ।
तारो दाजी लिखलो कागद में क्यों वो
रायजादी बनड़ी ।
तारा मांडवा मा डेरा देणों देजी वो
रायजादी बनड़ी ।
तूके कुण बुलायो , ने कुणे घर आयो रे
रायजादा बनड़ा ।
इस गीत में वधू पक्ष की स्त्रियाँ दूल्हे से कह रही हैं तुझे किसने बुलाया और तू किसके घर आया है ? तो दूल्हा , दुल्हन से कह रहा है कि तेरे पिताजी ने पत्र देकर मुझे यहाँ बुलाया है । तुम्हारे गाँव व मंडप में मुझे ठहरने दो । | bhili-bhb |
काहे को तेरी ओबरी
काहे को तेरी ओबरी , काहे का जड़ाए किवाड़
सच्चा हनुमान बली
अगड़ चन्दन की ओबरी , चन्दन जड़ाए किवाड़
सच्चा हनुमान बली
केरै चढ़े तेरै देहरै , केरै तुम्हारी भेंट
सच्चा हनुमान बली
सवाए तो मण को रोट सै , सवाए रुपय्या की भेंट
सच्चा हनुमान बली
बैरीड़ा तो मारकै दफै करो , छोरा कै सिर सै जीत
सच्चा हनुमान बली | haryanvi-bgc |
माखन की चोरी छोड़ि कन्हैंया
अरे माखन की चोरी छोड़ि कन्हैंया ,
मैं समझाऊँ तोय ॥ टेक ॥
बरसाने तेरी भई सगाई , नित उठि चरचा होय ।
बड़े घरन की राज दुलारी , नाम धरैगी मोय ॥
अरे माखन की . ॥
मोते कहै मैं जाऊँ गइयन पै , रह्यौ खिरक पै सोय ।
काऊँ ग्वालिन की नजर लगी या दई कमरिया खोय ॥
अरे माखन की . ॥
माखनमिश्री लै खावे कूँ क्यों है सुस्ती तोय ।
कहि तो बंशी नई मँगाय दउँ कहि दै कान्हा मोय ।
अरे माखन की . ॥
नौलख धेनु नन्द बाबा के नित नयो माखन होय ।
फिर भी चोरी करत श्याम तैनें लाजशरम दई खोय ॥
अरे माखन की . ॥
ब्रजवासी तेरी हँसी उड़ावें घरघर चरचा होय ।
तनक दही के कारन लाला लाज न आवै तोय ॥
अरे माखन की . ॥ | braj-bra |
गंगाय ऐली आयोम काडो गंगाय ऐली आयोम
गंगाय ऐली आयोम काडो गंगाय ऐली आयोम
गंगाय ऐली आयोम काडो गंगाय ऐली आयोम
आयोम माडो कोन्जिया कोरा डो डोयराय
आयोम माडो कोन्जिया कोरा डो डोयराय
डिवड़ी नी लियेन सुबाये डो गंगाय ऐली आयोमी
डिवड़ी नी लियेन सुबाये डो गंगाय ऐली आयोमी
कोन्जई नी कोरा डो डोयराये
कोन्जई नी कोरा डो डोयराये
कोन्जई नी गाठी काकू नी गाठी चापा नी चापु डो टोयाये
कोन्जई नी गाठी काकू नी गाठी चापा नी चापु डो टोयाये
गंगाय ऐली आयोम कोन्जीया नी हिरदा डो हाजे
गंगाय ऐली आयोम कोन्जीया नी हिरदा डो हाजे
कोन्जीया नी रजो लिवीज डो लोखोड झूलानी लीयेन डो आसुडे
कोन्जीया नी रजो लिवीज डो लोखोड झूलानी लीयेन डो आसुडे
गंगाय ऐली आयोम कोन्जीया नी हिरदा डो हाजे
गंगाय ऐली आयोम कोन्जीया नी हिरदा डो हाजे
कोन्जीया हिरदा हाजेवाडो गंगाय ऐली आयोम
कोन्जीया हिरदा हाजेवाडो गंगाय ऐली आयोम
रोचो मा रोचो डो जामे
रोचो मा रोचो डो जामे
गीली नी दारोम सुनाडो गंगाय ऐली आयोम
गीली नी दारोम सुनाडो गंगाय ऐली आयोम
उरा डागे उरा सूना सूना
उरा डागे उरा सूना सूना
स्रोत व्यक्ति प्यारी बाई , ग्राम मातापुर | korku-kfq |
बारांमाह बुल्ले शाह
अस्सू लिक्खो सन्देस्वा1 वाचे हमरा पीओ ।
गौने2 कीआ तुम काहिको , कलमल हमरा जीओ ॥ 1 ॥
अस्सू असाँ तुसाडी आस ।
साडी जिन्द तुसाडे पास ।
जिगरे मुढ्ढ प्रेम दी लास ।
दुःखां हड्ड सुकाए मास ।
सूलाँ साड़िआँ ॥ 1 ॥
सूलाँ साड़ी रही उरार ।
मुट्ठी तदों ना गइआँ नाल ।
उलटी प्रेम नगर दी चाल ।
बुल्ला सहु दी कर सँभाल ।
प्यारे मैं सारिआँ ॥ 1 ॥
बैसाखी बीतन कठन से संग मीत ना होए ।
किस किस आगे जा कहा इक्क मंडी भा दोए ।
जे मैं होवाँ सुख , वैसाख 16
कछा3 पौण ताँ पके साख ।
जै घर लागी तै घर लाख4 ।
कई बात ना सका आख ।
कन्ताँ वालिआँ ।
कन्ताँ वालिआँ डाढे ज़ोर ।
मैं ताँ झूर झूर होईआं होर ।
कंडे पुड़े कलेजे ज़ोर ।
बुल्ला सहु बिन मन्दा सोर ।
मैं घत्त गालिआँ ॥ 8 ॥
भादरों भावे ताँ सखी पल पल हेत मिलाप ।
जब घट5 देक्खो आपणा पर घट आप ही आप ।
भादरों रब्ब ने भाग जगाया ।
साहिब कुदरती सेती पाया ।
हर विच्च हरि ने आप छुपाया ।
शाह अनायत आप लखाया ।
ताँ मैं लखिआ ।
तहीएँ होन्दी उमर तसला ।
पल पल मंगदे नैण तजला ।
बुल्ला शाह करे लोहला ।
मैं परेम रस चाखेआ । | panjabi-pan |
दी देवा बाबा जी, कन्या को दान
दी देवा बाबा जी , कन्या को दान
दानू मा दान होलो , कन्या को दान ।
हीरा दान , मोती दान , सब कोई देला ,
तुम देला बाबा जी , कन्या को दान ।
तुम होला बाबा जी , पुण्य का लोभी ,
दी देवा बाबा जी , कन्या को दान ।
हेम दान गजदान सब कोई देला ,
तुम देला बाबा जी , कन्या को दान | garhwali-gbm |
रसिया को नारी बनाओ री
रसिया को नारी बनाओ री , रसिया को नारी बनाओ री ।
कटि लहंगा गले माहीं कंचुकी , चुंदरी सीस उढ़ओ री
रसिया को नारी बनाओ री ।
गाल गुलाल आंखिन में अंजन , बैंदी भाल लगाओ री
रसिया को नारी बनाओ री ।
नारायण तब तारी बजा के , जसुमति पास नचाओ री
रसिया को नारी बनाओ री । | haryanvi-bgc |
नी सइओ! मैं गई गवाती
नी सइओ मैं गई गवाती ।
खोल घूँघट मुख नाची ।
जित वल्ल देक्खाँ दिसदा ओही ।
कसम ओसे दी होर ना कोई ।
ओहो मुहकम फिर गई दोही ।
जब गुर पत्तरी वाच्ची ।
नी सइओ मैं गई गवाती ।
खोल घूँघट मुख नाची ।
नाम निशान ना मेरा सइओ
जे आक्खाँ ताँ चुप्प किसे ना करीओ ।
बुल्ला खूब हकीकत जाची ।
नी सइओ मैं गई गवाती ।
खोल घूँघट मुख नाची । | panjabi-pan |
ऊँचि डांड्यू तुम नीसि जावा
ऊँचि डांड्यू तुम नीसी जावा
घणी कुलायो तुम छाँटि होवा
मैकू लगी छ खुद मैतुड़ा की
बाबाजी को देखण देस देवा
मैत की मेरी तु त पौण प्यारी
सुणौ तु रैवार त मा को मेरी
गडू गदन्य व हिलाँस कप्फू
मैत को मेर तुम गीत गावा
भावार्थ
' हे ऊँची पहाड़ियो तुम नीची हो जाओ ।
ओ चीड़ के घने वृक्षो तुम समने से छँट जाओ ।
मुझे मायके की याद सता रही है ,
मुझे पिता जी का देस देखने दो ।
ओ मेरे मायके की हवा
मेरी माँ का सन्देश सुना ।
ओ नदीनालो ओ हिलाँस पक्षी ओ कप्फू
तुम सब मिल कर मेरे मायके का गीत गाओ । ' | garhwali-gbm |
भजन कर निरना एकादसी करना
भजन कर निरना एकादसी करना
राजा ब्रह्म आगे साक्षी भरना
पेली निरजला , दूसरी सिरजला
दोनोई एकादसी करना
भाव भक्ति से जो कोई साधे
बैतरनी में तिरना
भजन कर निरना एकादसी करना
दसमी के दिन एकटंक जीमणा
ग्यारस निरनै करना
बारस के दिन भोजन करना
जमराज से नहीं डरना
भजन कर . . .
एकादशी को अटल पुण्य है
अनमाय जीव नहीं रखना
भावभक्ति से जो कोई साधे
भवसागर से तिरना
भजन कर . . .
जनम सुधारण जग में मेला
भूल आलस नहीं रखना
कहे कबीर सुनो भई साधो
बैकुंठा को चलना | malvi-mup |
मैं तो थारा हाजिर बन्दा जी, हमारी धन रूस क्यों गई
मैं तो थारा हाजिर बन्दा जी , हमारी धन रूस क्यों गई
कहो तो अम्मां बुलावैं जी , कहो तो चढ़वा हमीं चढ़ावैं जी
हमारी धन रूस क्यों गई
कहो तो भाभी बुलावै जी , कहो तो मंज्जा हमीं बिछावैं जी
हमारी धन रूस क्यों गई
कहो तो दौरानी बुलावैं जी , कहो तो दिया हमीं जलावैं जी
हमारी धन रूस क्यों गई
कहो तो बीबी बुलावैं जी , कहो तो सतिये हमीं धरावैं जी
हमारी धन रूस क्यों गई
कहो तो दाई बुलावैं जी , कहो तो बच्चा हमीं जनावैं जी
हमारी धन रूस क्यों गई
कहो तो बांदी बुलावैं जी , कहो तो पोतड़े हमीं धौवैं जी
हमारी धन रूस क्यों गई | haryanvi-bgc |
तळै खड्या क्युं रुके मारै चढ्ज्या जीने पर कै
तळै खड्या क्युं रुके मारै चढ्ज्या जीने पर कै ,
एक मुट्ठि मनै भिक्षा चहिए देज्या तळै उतर कै ।
सुपने आळी बात पिया मेरी बिल्कुल साची पाई ,
बेटा कह कै भीख घालज्या जोग सफ़ल हो माई ।
बेटा क्युकर कहूँ तनै तू सगी नणंद का भाई ,
उन नेगां नै भूल बिसरज्या दे छोड पहङी राही ॥
पिया सोने के मन्नै थाळ परोसे जीम लिये मन भर कै ,
राख घोळकै पीज्यां साधू हर का नाम सुमर कै ॥ तळै खड्या क्युं रुके मारै . . . . . | haryanvi-bgc |
हाँ, हाँ, हाँ मेरा भोला है राजा
हाँ , हाँ , हाँ मेरा भोला है राजा ।
कमरे में दाई काहेको1 आई ,
राजा जी , मेरी नाफे2 टली3 थी ॥ 1 ॥
हाँ , हाँ , हाँ मेरा भोला है राजा ।
हाँ , हाँ , हाँ मेरा सुरमा4 सिपाही ।
रानी पीली साड़ी काहे को पेन्हे थी ।
राजा जी , मैं तो न्योते गई थी ॥ 2 ॥
राजा जी , मेरा भोला है राजा ।
रानी कमरे में कौन रोया था ।
राजा जी , दो ये बिल्ले5 लड़े थे ।
राजा जी , मेरा भोला है राजा ।
राजा जी , मेरा सीधा है राजा ॥ 3 ॥ | magahi-mag |
हाँजी म्हारे आँगन कुओ
हाँजी म्हारे आँगन कुओ खिनयदो हिवड़ा इतरो पानी
हाँजी जुड़ो खोलर न्हावा बेठी ईश्वरजी री रानी
हाँजी झाल झलके झुमना रल के बोले इमरत बानी
हाँजी इमरत का दो प्याला भरिया कंकुरी पिगानी | rajasthani-raj |
बाँके बजैं पैजनाँ धुनके
बाँके बजैं पैजनाँ धुनके ।
परे पगन में उनके ।
सुन तन रौमरौम कड़ आवत ,
धीरज रहत ना तनके ।
खेलत फिरत गैल खोरन मेंख
सुर मुख्त्यार मदन के ।
करने जोंग लोग कुछनाते ,
लुट गये बालापन के
ईसुर कौन कसायन डारे ,
जे ककरा कसकन के । | bundeli-bns |
उंकार देव न लिख्या कागज दई भेज्या
उंकार देव न लिख्या कागज दई भेज्या ,
तू रे ईरा , बेगा रे घर आव
हम कसां आवां म्हारा उंकार देव ,
हमारा माथऽ नारेळ की मान ।
नारेल चढ़ावऽ थारो माड़ी जायो ,
तू रे ईरा , बेगा रे घर आव । | nimadi-noe |
बाबुल मेरो ब्याह रचाओ
रचाओ हो बाबुल मेरो ब्याह रचाओ २
कैऊ कल्प बीत गये याकों
तौऊ भई नहिं शादी है
ब्रह्मा विष्णु गोद खिलाये
महादेव की दादी है . . . . | braj-bra |
गजब दिन भईगे राजा तोर संग मा
चक्कर मा घोड़ा , नई छोड़व मैं जोड़ा
झुलाहूँ तोला वो , हाय झुलाहूँ तोला वो
नदिया मा डोंगा , नई छोड़व मैं जोड़ा
तौराहूँ तोला वो , हाय तौराहूँ तोला वो
गजब दिन भईगे राजा तोर संग मा , नई देखेंव खल्लारी मेला वो
गजब दिन भईगे राजा तोर संग मा , नई देखेंव खल्लारी मेला वो
चक्कर मा घोड़ा , नई छोड़व मैं जोड़ा
झुलाहूँ तोला वो , हाय झुलाहूँ तोला वो
नदिया मा डोंगा , नई छोड़व मैं जोड़ा
तौराहूँ तोला वो , हाय तौराहूँ तोला वो
गजब दिन भईगे राजा तोर संग मा , नई देखेंव खल्लारी मेला वो
गजब दिन भईगे राजा तोर संग मा , नई देखेंव खल्लारी मेला वो
संगी जउहरिय नई छोड़ही तोर संग गोरी वो
गोरी वो , गोरी वो , गोरी वो
संगी जउहरिय नई छोड़ही तोर संग , में बन जाहूं चकरी , तैं उड़बे पतंग
चटभइंया बोली तोर निक लागे वो , तोर बोलीठोली हा गुरतुर लागे वो
गजब दिन भईगे राजा तोर संग मा , नई देखेंव खल्लारी मेला वो
गजब दिन भईगे राजा तोर संग मा , नई देखेंव खल्लारी मेला वो
तरिया के पानी लागे है बनी गोरी वो
गोरी वो , गोरी वो , गोरी वो
तरिया के पानी लागे है बानी , दुरिहा घुजके भरबे , कर छेड़कानी
बेलबेल्हा टुरा घटौन्दा के तीर , बइठे बजावत रइथे सिटी
गजब दिन भईगे राजा तोर संग मा , नई देखेंव खल्लारी मेला वो
गजब दिन भईगे राजा तोर संग मा , नई देखेंव खल्लारी मेला वो | chhattisgarhi-hne |
भरथरी लोकगाथा का प्रसंग “रानी का चम्पा दासी को सजा देना”
अब ये चम्पा दासी राहय ते रागी हौव
जा के रानी सामदेवी ल किथे हा
रानी हौव
में तोला का बतावँव हा
कोन भेषे में भगवाने आ जथे हौव
अउ कोन भेषे में राजा आ जथे राजा आ जथे
वो योगी नोहय तोर राजा ऐ हौव
ओतका बात ल सुनथे , रानी राहय तेन हौव
एकदम जलबल के खाख हो जथे हा
जइसे नागिन फोंय करथे हौव
वइसे रानी उप्पर ले आके हौव
चप्पल उतार के हा
चम्पा दासी ल चार चप्पल मार देथे हौव
त पूछथे हा
ते कइसे मोला राजा ये किके केहे हौव
कइसे मे मोर राजा होइस तेला बता हा
तो किथे रानी , मोर बात ल थोकन मान हा
थोकन सुनले हौव
तब मोला मारबे हा
वो तोर राजा चे , योगी नोहय हौव
बतावय नहीं कि ओकर दांत में सोन के हीरा हे किके हा
बस ओतका बात ल कइय के रागी हौव
चम्पा दासी राहय तेन हा
– गीत –
बोले बचन चम्पा दासी हा , चम्पा दासी हा वो
सुन ले रानी मोर बाते ल
मोर बाते ल वो , नाने पने के में आये हौव
ऐदे आये हवव , तोरे संगे दासी बनी के , भाई येदे जी
राजा बोलथे वो , करले अमर राजा भरथरी
येदे काहथे वो , करले अमर राजा भरथरी
बाजे तबला निशान , करले अमर राजा भरथरी , भाई येदे जी
जतका मारना तोला मारी ले , येदे मारी ले ना
काहत हाबय ये दासी ह
येदे पीठे ल ग , देवन लागथे दासी ह
मोर सखी मन वो , सहेली रोवत हाबे गा , भाई येदे जी
राजा बोलथे वो , करले अमर राजा भरथरी
येदे काहथे वो , करले अमर राजा भरथरी
बाजे तबला निशान , करले अमर राजा भरथरी , भाई येदे जी
बोले बचन रानी सामदेवी , रानी सामदेवी
सुन लव दीवान मोर बाते ला , मोर बाते ल गा
चम्पा ये दासी ल लेगी के , येदे लेगी के ना
तुमन फांसी लगावव जी , भाई येदे जी
राजा बोलथे वो , करले अमर राजा भरथरी
येदे काहथे वो , करले अमर राजा भरथरी
बाजे तबला निशान , करले अमर राजा भरथरी , भाई येदे जी
– गाथा –
ये चम्पा दासी राहय ते रागी हौव
रानी हा
मोर पीठ ल मार ले हौव
लेकिन पेट ल मत मार मत मार
जब से तें शादी होके आय हस हौव
तब से तोर संग में छेरिया बन के आय हव हा
मोर बात ल मान जा रानी हौव
मोर बात ल सुन ले रानी हा
अइसे कइके हौव
ऐ चम्पा दासी राहय ते रो रो के कलपत रिथे हा
ओकर सखी सहेली राहय तेन हौव
ओमन भी रोवत रिथे हा
सामदेवी राहय ते काकरो बात ल नई माने रागी हौव
चारझन दीवान ल आदेश दे देथे हा
अरे ये चंडालिन ल तें काय देखत हस हौव
कल के दिन योगी ल कहिसे , मोर पति ये किके हा
वो योगी चंडाल ह मोर पति हो सकथे हौव
लेजा येला फांसी में चढ़ा दे चढ़ा दौव
अइसे कइके दीवान मन ला आदेश दे देथे हौव
अब ये चम्पा दासी ल राहय तेन
चारझन दीवान ह धरथे रागी हौव
अउ काहत रिथे हा
– गीत –
बोले बचन चम्पा दासी हा , चम्पा दासी हा वो
सुनी लेवव मोर बाते ल
बोले बचन चम्पा दासी हा , चम्पा दासी हा ना
सुनी लेवव मोर बाते ल
मोर बाते ल ग , तुम सुनी लेवव
मोर बाते ल ग , तुम सुनी लेवव
येदे कही के रोवत हाबय वो , येदे हाबय वो , भाई येदे जी
येदे कही के रोवत हाबय वो , येदे हाबय वो , भाई येदे जी
एकादशी के उपासे हे , ये उपासे हे वो
चम्पा ये दासी ह आजे ना
एकाऐदशी के उपासे हे , ये उपासे दीदी
चम्पा ये दासी ह आजे ना
कतको रोवत हे या , कतको कलपय दीदी
कतको रोवत हे वो , कतको कलपय दीदी
येदे बाते नई सुनत ऐ दासी के , येदे दासी के , भाई येदे जी
येदे बाते नई सुनत ऐ दासी के , येदे दासी के , भाई येदे जी | chhattisgarhi-hne |
निहाली गीत
ताड़े जाता ते ताड़ि पीता रे लोल ।
याहिणिके लावता ते वात करता रे लोल ।
ताड़े जाता ते ताड़ि पीता रे लोल ।
कलाल्या मा जाता ते दारू पीता रे लोल ।
हलवी मा जाता ते गुंड्या खाता रे लोल ।
ताड़ के पास जाते ही ताड़ी पीते । समधन का लाते तो उसके साथ बात करते । कलाल के यहाँ जाते तो दारू पीते । हलवाई के यहाँ जाते तो भजिये खाते । | bhili-bhb |
बाबा जू भर आयँ
बिटऊ खौं बाबा जू भर आयँ ,
कुजानें कित्ते ढौंग दिखायँ
लगाकै चौंतइया पै होम ,
बिनैं सी करैं पकर कैं कान ,
फुरोरू लैकें दो इक दार ,
उचट कैं गिरबैं उल्टे ज्वान ।
मुलक्कीं हाँकें देतइ जायँ ,
बिटऊ खौं बाबा जू भर आयँ ।
रगड़ कैं सूदी टिहुनी मार ,
चिचाबै चाय कितेकउ खून ,
उचल गई करयाई की खाल ,
रगड़ कैं दई जिओरा की दून ।
कोउकोउ गोड़े हाँत कपायँ ,
बिटऊ खौं बाबा जू भर आयँ ।
खुरन कै ई धरती खौं खूँद ,
बमकबैं बँदरा से हरदार ,
पकर कैं लाल लुअरसी साँग ,
कबउँ कओ दै देबैं ललकार ।
उतै बे हाँपत रए मौं बायँ ,
बिटऊ खौं बाबा जू भर आयँ ।
उठाकैं मैंकी मायँ भबूत ,
गुटइया बाबा की जै बाल ,
लगो जब तनक घोल्लाँ खम्भ ,
सुनैं बे सबकी बातें खोल ।
तमाखू धरकैं पण्डा प्यायँ ,
बिटऊ खौं बाबा जू भर आयँ ।
लगी फिर बिन्त्वारी खौं भीर ,
कबैं कोऊ मोंड़ै चड़ो बुखार ,
पिरा रओ कोउ कबै के पेट ,
कबै कोउ गइया भइ बेजार ।
उतै कोऊ खतियाँखाज झरायँ
बिटऊ खौं बाबा जू भर आयँ ।
भुमनियाँ कै रओ कै महाराज ,
अबै नौं पानी नइँ बरसाव ,
नाज कौ बढ़ रओ दनौ भाव ।
बतादो का हम औरें खायँ ?
बिटऊ खौं बाबा जू भर आयँ ।
उतै हुन मैंक मुठी भर राख ,
”चलो जा हवा न अब उड़ जैय ,
करौ अब दूधकरूला ऐंन ,
बता दो फलिया कबनौ दैय ।
समइया आबै नौनों नायँ , “
बिटऊ खौं बाबा जू भर आयँ ।
”पुजाकैं पैलाँ खेरबहेर ,
कुवाँरी जुबवा दिइयौ पाँच ,
मजे सैं खेलौकूदौ खाव ,
समज लो आय न एकऊ आँच । “
भजनया भजन कैऊ ठऊ गायँ ,
बिटऊ खौं बाबा जू भर आयँ ।
धरीं तीं पचवन्नीं अठवाइँ ,
मगाकैं धर लओ पानी लाल ,
जरा रए तेल और लोबान ,
फुलै रए बैठेबैठे गाल ।
तकौ जा उल्टी हो रइ दायँ ।
बिटऊ खौं बाबा जू भर आयँ ।
उठे फिर गेरफेर सैं हात ,
खुरोरू बटीं नारियल फोर ,
तमासौ तको न हमसैं जाय ,
‘हमैं दो’ हो रओ गेरऊँ सोर ।
इनैं ना और कछू की भायँ ,
बिटऊ खौं बाबा जू भर आयँ । | bundeli-bns |
जावा गैल्याण्यों, तुम मैत जावा
जावा गैल्याण्यों , तुम मैत जावा ,
मेरो रैबार , माँजी मू लि जावा ।
मालू भैंसी को खटो दई ,
बई मा बोल्यान रोणीकि छई ।
बाबाक बोल्यान देखीक जाई ,
सासु सैसरों समझाई आई । | garhwali-gbm |
में तो अकेली म्हारो घर न लुटाय दीजो
में तो अकेली म्हारो घर न लुटाय दीजो
घर न लुटाय दीजो , बन न कराय दीजो
सासू सुणें तो पिया उन्हें मत आवन दीजो
ललना खेलावन म्हारा माता खे बुलाव दीजो
जेठाणी सुणे तो पिया उन्हें मत आवन दीजो
रसोई निपावन म्हारी काकी खे बुलाय लीजो
नणंदी सुणे तो पिया उन्हें मत आवन दीजो
सांतीपुड़ा मांडण म्हारी बून्या बुलाय लीजो
पड़ोसन सुणे तो पिया उन्हें मत आवन दीजो
मंगल गावण म्हारी सखियां बुलाय लीजो
ढोली सुणे तो पिया उन्हें मत आवन दीजो
ढोली म्हारा पीयर से बुलाय लीजो
जोसी सुणे तो पिया उन्हें मत आवन दीजो
जोसी म्हारा पीयर से बुलाय लीयो । | malvi-mup |
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तुसीं अकल दे कोट अयाल हुंदे लुकमान हकीम दसतूर है जी
बाज भोर बगला अते लौंग कालू शाही शीहनी1 नाल कसतूर है जी
लोहा पशम पिसत डबा मौत सूरत सबजा होर शाबान मनजूर है जी
पंजे बाज जेहे रक वांग नीचे पौंचा वजया मगर सभ दूर है जी
चक सीह वांगूं गज नींह वांगूं मैंनूं दंद मारन हड चूर है जी
किसे पास ना खोलना भेत पाई जो आखयो कुझ सब मनजूर है जी
आ पया परदेस विच कम मेरा हीर लई इको सिर दूर है जी
वारस शाह हुण बनी है बहुत औखी अगे सुझया कहर कलूर है जी | panjabi-pan |
रनुबाई का अंगणा मऽ ताड़ को झाड़
रनुबाई का अंगणा मऽ ताड़ को झाड़
माता ताड़ को झाड़ , वहाँ रहे देवी को रहेवास ।
माता आड़ी रूळतो घागरो , न कड़ी रूळता केश ,
माता गोदी लियो बाजुड़ो , न पेळो पेरी जाय । | nimadi-noe |
अंगिका फेकड़ा
अट्टापट्टा नुनु केॅ सात बेटा
राजा , पाता , सीत , वसन्त , कुतवा
अड़गड़ मारो बड़गड़ जाऊँ , पानी पीये
पोखरिये जाऊँ
बबुआ कहै काँखी तर जाऊँ
ओ ना मा सी धं
गुरूजी पढ़ंग
कुइयाँ में काँटोॅ
गुरूजी नाँटोॅ ।
नैहरा में कै बार गांगो
सतसत बेरी
अॅ ससुरारी मंे कै बार माँगों
एके बेरी ।
उर्र बकरिया घाँस खो
चुक्का लेॅ बथान जो
चुक्का गेलौ फूटी
दूध लेलकौ लूटी ।
रौदा उगोॅ गोसांय रौदा उगोॅ
तोरी बहुरिया जाड़ें मरेॅ
हमरी बहुरिया रौदा सेकेॅ ।
रौदा उग रे बभना
मुरगी देबौ चखना
बिलैया देवौ कोर
काली माँय केॅ दीया बारबै
सगरे ई ंजोर ।
रौदा छेकले बौध लागतौ
गोला बरद के पीज रोटी खैबे ।
जाड़ा ऐल छै , पाड़ा ऐल छै
ओढ़ गुदड़ी ।
बुढ़िया के दमाद ऐल छै
मार मुँगड़ी ।
मामू हो मामू , डोॅर लागै छै
केकरोॅ डोॅर , बेटी केकरोॅ डोॅर ?
बाघ छै , बघिनियाँ छै
झुनझुन कटोरवा खेलै छै
सिकियो नै डोलै छै
भौजी माथा पर कमलोॅ सेनूर
भैया माथा पर कमलोॅ के फूल
उठोॅ हे भौजी पीन्होॅ पटोर
हम नै पिन्हबोॅ भंगा पटोर
आनभौं कचिया दागभौं ठोर
गुआगुआ केॅ पोछभौं लोर । | angika-anp |
केहे लारे देनाँ ऐं सानूँ
केहे लारे देनाँ ऐं सानूँ ,
दो घड़िआँ मिल जाईं ।
नेड़े वस्से थाँ ना दस्से ,
ढूँढ़ा कित वल जाहीं ।
आपे झाती पाई अहमद ,
वेक्खाँ ताँ मुड़ नाहीं ,
आख ग्यों मुड़ आयो नाहीं ,
सीने दे विच्च भड़कण भाई1 ।
इकसे घर विच्च वस्सदीआँ रस्सदीआँ ,
कित वल्ल कूक सुणाईं ।
पांधी जा मेरा देह सुनेहा ।
दिल दे ओल्हे लुकदा केहा
नाम अल्लाह दे ना हो वैरी ,
मुक्ख वेक्खण नूँ ना तरसाईं ।
बुल्ला सहु की लाया मैनूँ ,
रात अद्धी है तेरी महिमा ।
औझ़ बेले सभ कोई डरदा ,
सो ढूँढ़ा मैं चाईं चाईं ।
केहे लारे देनाँ ऐं सानूँ
दो घड़िआँ मिल जाईं । | panjabi-pan |
ईसुरी की फाग-10
पतरें सोनें कैसे डोरा , रजऊ तुमाये पोरा
बड़ी मुलाम पकरतन घरतन लग न जाए नरोरा
पैराउत में दैयामैया , दाबत परे दादोरा
रतन भरे सें भारी हो गये , पैरन कंचन बोरा
' ईसुर ' कउँ का देखे ऐसे , नरनारी का जोरा । | bundeli-bns |
Subsets and Splits
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