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मचिया ही बईठल कौशिल्या रानी
मचिया ही बईठल कौशिल्या रानी , सिहाँसन राजा दशरथ हो
राजा बिनु रे बदरी कहीं कजरी कहाँ जाई बरसेले हो
बोलिया त बोलेली रानी बोलही नाहीं पावेली हो
रानी बीनू हो ग़रभ के तिरियवा होरीला नाही जनमत सुनत सुख सोहर हो
एतना बचन रानी सुनली सुनहि नाही पावेली हो
रानी हाथे गोड़े तानेली चदरिया सुतेली कोपवाघर हो कोपभवन
सोने के खडौउआ राजा दशरथ केकयी महल चले
रानी तोरे बहिना बड़े रे वियोगावा त चली के मनावहु हो
एक हाथ लेली केकयी दतुअनि दुसरे हाथ पानी हो
केकयी झटकि के चढ़ेली अटरिया त बहिना मनावन हो
उठहु इ बहिना उठहु कहल मोर मानहु
बहिना उठिके करहु दतुअनिया होरिल तोरे होईहे सुनीह सुख सोहर हो
कवनाहिं मासे गंगा बढ़ियईहें सवार दहे लगिहन हो
बहिनी कवनही मासे राम जनमिहें त बचन पूरन होईहें
सावन मासे गंगा बढ़ियईहें सेवर दहे लगिहें
बहिनी कातिक मासे राम जनमिहें त बचन पूरन होईहें
बहिनी कातिक मासे राम जनमेलें त बचन पूरण भईलें
सब सखि तेल लगावेली मंगल गावेली
रानी केकयी के जीयरा भे रोग सुनीके नाहि आवेली
सोने के खड़उआँ राजा दशरथ केकयी महल चलें
रानी कवन अवगुन मोसे भईलें सुनीके नाहि आवेलू हो
ना हम तेल लगाईब ना ही मंगल गाईबी राजा हो
ब्रम्हा के बान्हल पिरितिया उलटी राउरे दिहली । | bhojpuri-bho |
पीआ पीआ करते हमीं पीआ होए
पीआ पीआ करते हमीं पीआ होए ,
अब पीआ किस नूँ कहीए ?
हिजर1 वसल2 हम दोनों छोड़े ,
अब किस के हो रहीए ?
पीआ पीआ करते हमीं पीआ होए ,
अब पीआ किस नूँ कहीए ?
मज़नू लाल दीवाने वाँगूं ,
अब लैला हो रहीए ।
पीआ पीआ करते हमीं पीआ होए ,
अब पीआ किस नूँ कहीए ?
बुल्ला सहु घर मेरे आए ,
अब क्यों ताने सहीए ?
पीआ पीआ करते हमीं पीआ होए ,
अब पीआ किस नूँ कहीए ? | panjabi-pan |
खोपा पारे पाटी मारे
खोपा पारे पाटी मारे टुरी रंगरेली
खोपा पारे पाटी मारे टुरी रंगरेली
छुनुर छुनुर पैरी हो
छुनुर छुनुर पैरी बाजे गली गली देखे
खोपा पारे पाटी मारे टुरी रंगरेली
खोपा पारे पाटी मारे टुरी रंगरेली
रद्दा ल रेंगे खोरे ल डहके
रद्दा ल रेंगे खोरे ल डहके
गोरी खोचें है करौंदा गली म महके देखे
खोपा पारे पाटी मारे टुरी रंगरेली
खोपा पारे पाटी मारे टुरी रंगरेली
छुनुर छुनुर पैरी हो
छुनुर छुनुर पैरी बाजे गली गली देखे
खोपा पारे पाटी मारे टुरी रंगरेली
खोपा पारे पाटी मारे टुरी रंगरेली
चंदा ऊबे अउ चंदैनी छिटके
चंदा ऊबे अउ चंदैनी छिटके
तोर कनिहा ले चुंदी नागिन लटकेरे देखे
खोपा पारे पाटी मारे टुरी रंगरेली
खोपा पारे पाटी मारे टुरी रंगरेली
पहिने ल लुगरा देखे ल दरपन
पहिने ल लुगरा देखे ल दरपन
तोला खुल के बिराजे चांदी के करधन देखे
खोपा पारे पाटी मारे टुरी रंगरेली
खोपा पारे पाटी मारे टुरी रंगरेली
छुनुर छुनुर पैरी हो
छुनुर छुनुर पैरी बाजे गली गली देखे
खोपा पारे पाटी मारे टुरी रंगरेली
खोपा पारे पाटी मारे टुरी रंगरेली | chhattisgarhi-hne |
आई निबिया पइ घाम
आयी निबिया पइ घाम
घमाबइँ सजनी | kanauji-bjj |
बिटिया के बाप-मताई
जब सैं मौड़ी भई माते कमैं , सूख ठठेरौ हो रए ,
उदक परैं , रातें ब नींद न सुख की सो रए ।
ईसुर तुमनें बुरई बिदै दई , कओ कीसैं कन जाबैं ,
घर में नइयाँ चून चनन कौ , कैसें ब्याव रचाबैं ।
ऊसई घर में तंगी परबै , दोदो दिन के फाँके ,
कोउ नई सूदै बात करै , कै को तुम आहौ काँके ।
दानौ नइयाँ , मुलकन केरे , गोऊँचना चानें ते ,
ब्याज झार नई पाऔ पैल कौ , साव बुरई मानें ते ।
हराँहराँ स्यानी भई बिन्नू , घानन लगीं कँदेला ,
कबऊँकबऊँ ओरी के पैरै , चूरा और पटेला ।
भूकि भली बने रए माते , ऊ बिटिया के काजैं ,
अब जी खौं गंठ्यावन बिदी जाबुरए करें चाय साजै ।
काँसैं ल्यायँ रुपइया उनसौं , ऐंठें लरकाबारे ,
ऐसे भोरेभारे उनकैं , झक नई पाबैं द्वारे ।
जी की थानक राखी बिटिया , बा प्रानन से प्यारी ,
तनक देर के काजैं कैसँउ , करी न जाबै न्यारी ।
माँगेसस्ते बैंचखर्च दए , अपने दोई बैला ,
नइँतर साव कका रए उनखौं , कैउ दिना के टैला ।
गानें धर दओ कुआकटीं कै , जोरजार कैं भन्ना ,
पूरी करी माँग समधी की , तौऊ न जाबैं मन्ना ।
अपनी प्यारी सामलिया के , पीरे हाँत करे फिर ,
तातेखारे असुवा जाबैं , टपटप आँखन सैं गिर ।
मौं ढाँकें घूँघट में रो रई बे मातैन बिचारीं ,
अरे और की हो गई मौड़ी , आँखें करीं फरारीं ।
अपने आँगन में खेलत ती , भरत हती किलकइयाँ ,
ऊके नन्ना फिरत रात ते , लएँ सबरे में कइयाँ ।
अरे और की हो गई मौड़ी , अब कओ कबैं दिखानैं ,
भूँकप्यास नइँ आँसी साँसऊ , इँ मौड़ी के लानें ।
रोरो कै रईं अब कओ कैसें , इऐ गरे सैं छोड़ैं ,
करैं फिरैं नेचौ मौ माते , सेत पिछौरा ओड़ैं ।
बिदा करी बिटिया की उन्नें , घर में नइयाँ खैबे ,
अब कऔ कैसी करें बिचारे , ठौर बचो नई रैबे ।
खाबे नईं भरपेट मिलै उर , ऊ बिटिया खौ हीड़ैं ,
कै नइँ कछु काऊ सें पाबें , भीतर उठैं भपँूडै़ ।
लगो घुनीतासौ भीतर हुन , कोउ नइँ धीर धरइया ,
बेई बुढ़ापे की मौड़ी ती , खेबेवारी नइया ।
नाज कितैं सैं रओ तो घर में , नइँ रई गड्इकुपरिया ,
उठ नइँ पायँ सैं परे सैं कैसऊँ , डकरा और डुकरिया ।
पानी तक नई दैबेवारो , तलफतलफ कै मर गये ,
माते उर मातैन बिचारे , हीड़तहीड़त घुर गये ।
उनकी प्यारी बिटिया उनखौं , मिली न मरती बैराँ
ऊके बिना उनन के काजैं , सूनऊसूनौ गेराँ ।
उऐ पठैबे भरी न हामी , बुरए करे बतकारे ,
मीत कड़े पड़सा के कोरे , बिटिया के घर बारे । | bundeli-bns |
बई जी पांच बधावा म्हारे आविया
बई जी पांच बधावा म्हारे आविया
बई जी पांचा री नवीनवी भांत
झेलो हो रायां री बाई ओ लम्बो
बईजी पेलो बधावो म्हारे आवियो
बईजी भेजो म्हारा ससराजी री पोल
झेलो हो रायां री बाई ओ लम्बो
बई जी ससराजी रंग से बधाविया
बईजी सासू ने लियो खोले झेल
झेलो हो . . .
बईजी थांका बीरा म्हारी सेरी नीकल्या
बईजी करी गया आड़ी टेड़ी बात
झेलो हो . . .
बईजी तांबापीतल होय तो बदलां
बईजी थांका बीरा बदल्या नी जाय
बईजी कागत होय तो बांचलां
झेलो हो . . .
बईजी दूसरो बधावो म्हारे आवियो
बईजी भेजो म्हारा जेठजी पोल
बईजी रंग से बधाविया जेठजी
बईजी जेठाणी ने लियो खोला झेल
बईजी तीसरो बधावो म्हारे आवियो
बईजी भेजो म्हारा दादाजी री पोल
बईजी दादाजी रंग से बधाविया
माता ने लियो खोल्यां झेल
झेलो हो . . .
बईजी चौथो बधावो म्हारे आवियो
बईजी भेजो म्हारा वीराजी री पोल
बईजी वीराजी रंग से बधाविया
बईजी भावज लागे म्हारा पांव
झेलो हो . . .
बईजी पांचवों बधावो म्हारे आवियो
बईजी भेजो म्हारा सायबजीरी पोल
बईजी सायब रंग से बधाविया
बईजी सायबन लियो खोल्यां झेल | malvi-mup |
बाजरा कहे मैं बड़ा अलबेला
बाजरा कहे मैं बड़ा अलबेला
दो मूसल से लड़ूँ अकेला
जो तेरी नाजो खीचड़ा खाय
फूलफाल कोठी हो जाए ।
भावार्थ
' बाजरा कहता है , मैं बड़ा अलबेला हूँ । दो मूसलियों से अकेला ही लड़ लेता हूँ । यदि तेरी कोमलांगी पत्नी मेरी
खिचड़ी खाएगी तो वह भी फूलफूल कर कोठरी सरीखी दिखाई देने लगेगी । | haryanvi-bgc |
भरती हो लो रै बाहर खड़े रंगरूट
भरती हो लो रै बाहर खड़े रंगरूट
अड़ै मिलैं ना टूटी जूती ओड़े मिलैं फुलबूट
भरती हो लो रै बाहर खड़े रंगरूट
अड़ै मिलै ना पाट्टे लीतर ओड़े मिलैंगे सूट
भरती हो लो रै बाहर खड़े रंगरूट | haryanvi-bgc |
कोन मा कोन डो हरि जा कोन हरि जा कोन केन चोजा
कोन मा कोन डो हरि जा कोन हरि जा कोन केन चोजा
कोन मा कोन डो हरि जा कोन हरि जा कोन केन चोजा
मा झूड़ी हो बागे
मा झूड़ी हो बागे
रेशोमा डोरा डो कोसा नी नीजा झान्डा कू पालेना झूडी हो बागे
रेशोमा डोरा डो कोसा नी नीजा झान्डा कू पालेना झूडी हो बागे
आलायो झुलायो हरि जा डाई हरि जा कोन केन झूडी हो बागे
आलायो झुलायो हरि जा डाई हरि जा कोन केन झूडी हो बागे
आलायो झुलायो रमुटी डो बाई रमुटी डो कोन केन झूडी हो बागे
स्रोत व्यक्ति प्यारी बाई , ग्राम मातापुर | korku-kfq |
कोठरिया जे लिपली ओसरा से अउरो देहरिया से
कोठरिया जे लिपली ओसरा से अउरो देहरिया से ।
ललना , तइओ1 न चुनरिया मइल2 भेल , एक रे होरिलवा3 बिनु ॥ 1 ॥
नइहर में दस सै भइया अउरो भतीजा हवे हेऽ ।
ललना , तइओ न नइहर सोहावन लगे , एक रे मइया बिनु ॥ 2 ॥
ससुरा में दस सै ससुर अउरो देवरा हेऽ ।
ललना , तइओ न ससुरा सोहावन लगे , एक रे पुरुखवा बिनु ॥ 3 ॥
देहिया में दस सै सारी अउरो चोली हेऽ ।
ललना , तइओ न देहिया सोहावन लगे एक रे होरिलवा बिनु ॥ 4 ॥ | magahi-mag |
सतपुरुस रतन
ऊ देस धन्न , वा भूम धन्न , औतरे जहाँ सतपुरुष रतन ,
जनमानसनिधि , धरती के धन ।
सबके सुख के लानें जिननें
निज कौ सुखबैभौ त्याग दओ ,
धरती के भाग जगाबे खें ,
बैकुंठउ सें बैराग लओ ।
परहित में जिननें तपा तपे
झेले बरसा , आँधी , हिमार ,
परदुख में नैनूँसे पिघले
ज उतरे बनकै मंगधार ।
जिनको संगत में डरोपरो बन गओ गिलारौ लौ चन्दन ,
बन गईं रपरियाँ नन्दन बन ।
दिखकै समाज को दुरगत जे
व्याकुल हो बिलखबिलख रोए ,
मानुस कौ पतन जिन्हें अखरी
जे रहे जगत , जब सब सोए ;
सूलन की सेजें अँगया कै
मंगलचौके नित रहे रचत ,
रह गए अकेले , पै न झुके
पी गए हलाहल हँसतहँसत ;
भर गए जगत में नई जोत , आहुतिसी अरपन कर तनमन ।
उनसें को कैसें होत उरिन ?
आगम की कूँख जलम जिननें
अन्यायी की रस्ताा छेड़ी ,
बौछार जुलम जल्लादी की
बलिदानी बाँहन पै एड़ी ;
गजरा न गुलामी के पहिरे
फाँसी कौ फंदा चूम लओ ,
जिनकी भसमी की छाप अमिट
रच गई अमर इतिहास नओ ।
जिनके पदचिन्हन की धूरा , बन क्रान्ति धँसी खोरनखोरन ,
ऊँघत ज्वानी खें झकझोरन ।
मैरा सें लैकै महलन लौ
झनकार उठत जिनकी बानी ,
पाखान हिएउ के सोतन सें
रसयात नेहकरुनाघानी ।
जिनके बोलन की डोर पकर
बज उठत बाँसुरीरमतूला ,
रसरँग बरसत झोपड़ियन से
निकरत बन राजकुँवर दूला ;
जग जात जननि के रखवारे , करतीं रनभेरीं घननघनन ;
जुगसाके गूँजत घरनघरन ।
ऊ देस धन्न वा भूम धन्न ,
औतरे जहाँ सतपुरुस रतन । | bundeli-bns |
प्रेम विवश भगवान शबरी घर आये
प्रेम विवश भगवान शबरी घर आये ,
लम्बेलम्बे झाडू शबरी डगर बटोरी ,
एही डगरिया आयें , राम शबरी घर आये । प्रेम . . .
कुश की चटइया शबरी झाड़ बिछाई ,
आशन लगाये भगवान , शबरी घर आये । प्रेम . . .
काठ कठिवता शबरी जल भर ल्याई ,
चरण पखारूँ मैं भगवान , शबरी घर आये । प्रेम . . .
मीठीमीठी बेर शबरी दौना भर ल्याई ,
भोग लगावे भगवान , शबरी घर आये । प्रेम . . .
तुलसीदास आस रघुबर की ,
शिव री बैकुण्ठ पठाये , शबरी घर आये । प्रेम . . . | bundeli-bns |
569
बर वकत1 जे फजल2 दा मींह वसे बरा कौन मनावदा रूठयां नूं
लब यार दे आबहयात बाझों कौन जिंदगी बखशदा कठयां नूं
लब यार दे आबहयात बाझों कौन जिंदगी बखशदा कठयां नूं
दोवे राह फिराक दे मार लए करामात मनांवदी रूठयां नूं
आह सबर दी मार के शहर साडो बादशाह जाणे असां मुठयां नूं
बाझ सेजणां पीड़ वंडावयां दे नित कौण मनांवदा रूठयां नूं
बिनां तालयां3 नेक दे कौन मोड़े वारस शाह दे नाल आ फुटयां नूं | panjabi-pan |
सावन के सहनइया
सावन के सहनइया भदोइया के किचकिच हे ,
सुगासुगइया के पेट , वेदन कोई न जानय हे ।
सुगासुगइया के पेट , कोइली दुःख जानय हे ,
एतना वचन जब सुनलन , सुनहूँ न पयलन हे ।
पकी दिहले हथवा कुदारी बबूर तर हे ,
डाँड़ मोरा फाटहे करइलो जाके , ओटियो चिल्हकि मारे हे ।
राजा का कहूँ दिलवा के बात , धरती अन्हार लागे हे । | magahi-mag |
हँसि हँसि लिखथ पाँती बाँचहु हो भइया
हँसि हँसि लिखथ1 पाँती2 बाँचहु3 हो भइया ।
चंपा के चोरवा4 के दीहऽ5 तूँ सजइया ॥ 1 ॥
रउदा6 में रहतन जयतन रउदाइए ।
घममा7 में रहतन जयतन पिघलाइए ॥ 2 ॥
सरदी के मारे चोर जयतन सरदाइए ।
अँचरा में बाँधब रहतन लोभाइए ॥ 3 ॥ | magahi-mag |
महँगाई और होरी
रामधई , खायँ लेत महँगाई
उतै लगत अब एक रुपइया जितै लगत ती पाई ।
काँकी होरी , काँ कौ होरा ?
कलजुग , परौ सबई्र पै तोरा ,
चिथरा भई तुमाई धुतियाँ ,
हम तौ कहत लपेड़ौ बोरा ,
चुटियाँ फीता छोड़कें रँग लो ,
करिया रामबाँस कौ जोरा ,
दार उधार मुहल्ला भरकी , अब नों नई चुकाई ।
काँसें लै आबै तिरकाई ?
घर में जुरत नाज ना खाबे ,
कैसें जायँ बहू खौं ल्वाबे ?
छोड़ौ बे सतजुग की बातें ,
दिन में दसदस बीरा चाबे ,
गुरसक्कर की सुर्त करौ ना ,
सकौ सतुआ नइयाँ खाबे ,
भरभूँजिन खौं संकराँत की नई दै पाए भुँजाई ।
उरानों रोज देत भौजाई ।
पटकौ जा अपनी पिचकारी ,
होय कछु तौ दै दो ब्यारी ,
पइसन बिना खलीता सूनों ,
काँसें ल्याएँ चून सरकारी ,
दद्दा डरे स्वाँस के मारें ,
कक्को खौं आ रई तिजारी
को दएँ देत उधार गरीब खौं , काँसें ल्याँय दबाई ?
रो रइँ भर होरी खौं बाई ।
हाय फसल पै पालो पर गओ ,
हम सब खौं कौरन खौं कर गओ ,
धरे हते जो चार रुपइया ,
उनें साँड़ महँगाई कौ चर गओ ,
जा कंगाली के बचई में ,
होरी कौ त्यौहार पबर गओ ,
हम कीसे पूँछें , जा मेंनत , सब काँ जात हमाई ।
देत बस बापू की दोहाई । | bundeli-bns |
म्हारे आँगण हरी रे दरोब
म्हारे आँगण हरी रे दरोब
नितकी चूंटूं , ने नित पानवे
ऐसा हमारा फलाणा राय सिरदार
जात जिमावे , भोग्या जग करे
घर में बऊ लाड़ी बोलिया
सुनो हमारा अलीजा सरदार
अपनी बेन्या बई खे लावजी
गेल्या मारूणी निपट गंवार
तमारे बेन्यां बई खे नई बणे
राखां बई ने दिन दोयचार
चूनड़ ओढ़ई ने बई खे मोकलां । | malvi-mup |
बहुत सताई ईखड़े रै तैने
बहुत सताई ईखड़े रै तैने बहुत सताई रे
बालक छाड़े रोमते रै , तैने बहुत सताई रे
डालड़ी मैं छाड्या पीसना
और छाड़ी सलागड़ गाय
नगोड़े ईखड़े , तैने बहुत सताई रे
कातनी मैं छाड्या कातना
और छाड़ेसें बाप और माय
नगोड़े ईखड़े तैने बहुत सताई रे
बहुत सताई ईखड़े रै , तैने बहुत सताई रे
बालक छाड़े रोमते रै , तैने बहुत सताई रे
भावार्थ
' बहुत सताया है , ईख , तूने मुझे बहुत सताया है । मैं अपने पीछे घर में बच्चों को रोता हुआ छोड़कर आई
हूँ । तूने मुझे बहुत दुखी किया है । डलिया में अनाज पड़ा है और दूध देने वाली गाय को भी मैं बिना दुहे हुए ही
छोड़ आई हूँ । निगोड़ी ईख , तूने मुझे बहुत परेशान किया है । कतनी में पूनियाँ भी बिना काते हुए ही छोड़ आई
हूँ । तेरे लिए मैं अपने मातापिता को भी बिना देखभाल के ही छोड़ आई हूँ । देख तो ज़रा ईख , तूने मुझे कितना
हैरान किया है । कितना परेशान किया है । पीछे घर में बालकों को रोता छोड़ आई हूँ । तूने बहुत सताया है मुझे । | haryanvi-bgc |
अंगिका फेकड़ा
बाबू हो भैया हो
सुग्गा फोकै छौं धान हो
केॅ मोॅन ?
बीस मोॅन ।
बीसू राय के बेटवा
लाल पगड़िया मॅथवा
ढोल बाजे डिग्गिर बाजे
बाजे रे शहनैया
राजा बेटी धरहर नाँचै
रतन जमइया ।
चल गे चिलरोॅ मोर खलिहान
खोयछा भरी देबौ रामसारी धान
वही धान के कुटिहें चूड़ा
नेतोॅ जमैहिएं कोॅरकुटुम
सब्भै तोरा दिएॅ आशीष
चिरयुग जिऐ नूनू , लाख बरिस ।
हा हुस रे पर्वत सुगा
हमरोॅ खेत नै जैहियैं सुगा
मामू खेत जैहियैं सुगा
एक्के सीसोॅ लीहें सुगा
घोंघा में भात रान्हियें
सितुआ में माँड़ पसैहियें सुगा
आपनें खैइहैं दालभात
बेटाबेटी केॅ खिलैयैं माँड़भात
आपनें सुतिहें मचोल पर
बेटाबेटी केॅ सुतैहियैं डमखोल पर ।
बिल्लो मौसी कहाँ जाय छैं ?
माछोॅ मारेॅ ।
केना मारबे ?
छुपुर छैंया ।
केना बनैवे ?
हसुआकचिया ।
केना धाबे ?
कठौती पानी ।
केना खैबे ?
कुटुरमुटुर ।
केना सुतबे ?
नम्मा चौड़ा ।
केना सतभेॅ ?
फोंफोंफों । | angika-anp |
250
एस जोग दे वाइदे बहुत औखे नाद अलेख ते सुन्न वजावना ओए
ताड़ी1 लाइके नाथ वल ध्यान धरना दसवे दुआर सवास चढ़ावना ओए
जन्मे आय दा हरख2 ते सोग छडे नही मोयां गयां पछोतावना ओए
नाम फकर दा बहुत असान लैना खरा कठन है जोग कमावना ओए
धो धाए के जटा नूं धूप देना सदा अंग भबूत रमावना ओए
उदयान3 बासी जती सती जोगी झात स्त्री ते नाहीं पावना ओए
लख खूबसूरत परी हूर होवे जरा जीउड़ा नहीं भरमावना ओए
कंद मूल ते पोसत अफीम बचा नशा खाइके मसत हो जावना ओए
जग खाब खयाल दी बात जानी हो कमलयां होश भुलावना ओए
काम क्रोध ते लोभ हंकार मारन जोगी खाक दर खाक4 हो जावना ओए
मेले साधां दे खेलीभा देश पछम नवां नाथां दा दरशन पावना ओए
घत मुंदरां जंगलां विच रहना बिन किंग5 ते संख वजावना ओए
रन्नां घूरदा गांवदा फिरे वहशी तैथों औखड़ा जोग कमावना ओए
वारस जोग है कम नरासयां दा तुसां हक दाराह बतावना ओए | panjabi-pan |
जय-जय शीतला माई की जय-जय बोलो
जयजय शीतला माई की जयजय बोलो
गंगा के नीर मैया कैसे चढ़ाय दूं
मछली ने लियो है जुठार , की जयजय बोलो
मिठया के पेड़ा मैया कैसे चढ़ाय दूं ।
चींटी ने लिये हैं जुठार की जयजय बोलो
बगिया के फूल मैया कैसे चढ़ाय दूं
भौंरे ने लिये हैं जुठार , की जयजय बोलो
घर की रसोई मैया कैसे चढ़ाय दूं
बालक ने लिये हैं जुठार , की जयजय बोलो | bundeli-bns |
लहँगा बेसाहन चललन कवन दुलहा
लहँगा बेसाहन1 चललन कवन दुलहा , पएँतर2 भेल3 भिनसार हे ।
हँसि पूछे बिहँसि पूछे , सुगइ , कवन सुगइ , कहाँ परभु खेपिल4 रात हे ॥ 1 ॥
आम तर5 रसलों6 महुइआ7 तर बसलों , चंपा तर खेपली रात हे ।
काली कोइल कोरा8 पइसि सुतलों , बड़ा सुखे खेपली रात ॥ 2 ॥
डाँढ़े डाँढ़े9 पसिया10 कोइल बझवले11 पाते पाते12 कोइल छपाए13 हे ।
जइसन पसिया रे उदवसले14 हम जएबो आनंद बन हे ।
ओहि रे आनंदबन अमरित फल खएबों , बोलबों15 गहागही16 बोल हे ॥ 3 ॥ | magahi-mag |
दिया-बत्ती हुओ रे मिलाप बय लड़ी सांजुली
दियाबत्ती हुओ रे मिलाप , बय लड़ी सांजुली । ।
गौआबछुआ हुओ रे मिलाप , बय लड़ी सांजुली । ।
पंछीबच्चा हुओ रे मिलाप , बय लड़ी सांजुली । ।
रातदिन हुओ रे मिलाप , बय लड़ी सांजुली । ।
राजारानी हुओ रे मिलाप , बय लड़ी सांजुली । । | nimadi-noe |
इनी आम्बे जेमानी बिड़े वाजा राजा
इनी आम्बे जेमानी बिड़े वाजा राजा
इनी आम्बे जेमानी बिड़े वाजा राजा
बंझोटी या इनी आम्बे जेमानी बिडे बोले
बंझोटी या इनी आम्बे जेमानी बिडे बोले
इनी आम्बे जेमानी जोमे वाजा राजा
इनी आम्बे जेमानी जोमे वाजा राजा
बंझोटिया इनी आम्बे जेमानी जोमे बोले
बंझोटिया इनी आम्बे जेमानी जोमे बोले
इनी आम्बे चिड़िया पखारे जोमे वाडो रानी
इनी आम्बे चिड़िया पखारे जोमे वाडो रानी
बंझोटी इनी आम्बे होरया पंखोर जोमे बोले
बंझोटी इनी आम्बे होरया पंखोर जोमे बोले
चिड़िया पंखोर चोज मेनटेन मांडी वाजा
चिड़िया पंखोर चोज मेनटेन मांडी वाजा
राजा बंजोला चिड़िया पंखोर चोज मेनटेन मांडी
राजा बंजोला चिड़िया पंखोर चोज मेनटेन मांडी
चिड़िया पंखोर सुवला बारेन आजोमेडो रानी
चिड़िया पंखोर सुवला बारेन आजोमेडो रानी
बंझोटी चिड़िया पंखोर सुबला बारेन आयो मेरे
बंझोटी चिड़िया पंखोर सुबला बारेन आयो मेरे
चिड़िया पंखोर फुल बान्डो पुत्र बान्डो मेन्टेनी मांडी वाजा
चिड़िया पंखोर फुल बान्डो पुत्र बान्डो मेन्टेनी मांडी वाजा
राजा बंझोटिया फूल बान्डो पुत्र बान्डो मेन्टेनी मांडी बोले
राजा बंझोटिया फूल बान्डो पुत्र बान्डो मेन्टेनी मांडी बोले
भगवान करनी नी ढाके डो रानी जेनोमा का बंझोटी रे
भगवान करनी नी ढाके डो रानी जेनोमा का बंझोटी रे
नामी आम्बे बिडे माजा राजा बंझोटा नामी आम्बे बिडे बोले
नामी आम्बे बिडे माजा राजा बंझोटा नामी आम्बे बिडे बोले
नामी आम्बे जेमानी जोमेवाडो रानी बंझोटी नामी आम्बे जेमानी
नामी आम्बे जेमानी जोमेवाडो रानी बंझोटी नामी
आम्बे जेमानी जोमे बोले जोमे बोले
स्रोत व्यक्ति प्यारी बाई , ग्राम मातापुर | korku-kfq |
आल्हा ऊदल
पलटन चल गैल रुदल के मँडवा में गैल समाय
बैठल दादा है सोनवा के मँड़वा में बैठल बाय
बूढ़ा मदन सिंह नाम धराय
प्रक बेर गरजे मँडवा में जिन्ह के दलके दसो दुआर
बोलल राजा बूढ़ा मदन सिंह सारे रुदल सुनव बात हमार
कत बड़ सेखी है बघ रुदल के मोर नतनी से करै बियाह
पड़ल लड़ाइ है मँड़वा में जहवाँ पड़ल कचौंधी मार
नौ मन बुकवा उड़ मँड़वा में जहवाँ पड़ल चैलिअन मार
ईटाँ बरसत बा मँड़वा में रुदल मन में करे गुनान
आधा पलटन कट गैल बघ रुदल के सोना के कलसा बूड़ल माँड़ों में
धींचे दोहाइ जब देबी के देबी माँता लागू सहाय
घैंचल तेगा है बघ रुदल बूढ़ा मदन सिंह के मारल बनाय
सिरवा कट गैल बूढ़ा मदन सिंह के
हाथ जोड़ के समदेवा बोलल बबुआ रुदल के बलि जाओं
कर लव बिअहवा तूँ सोनवा के नौ सै पण्डित लेल बोलाय
अधी रात के अम्मल में दुलहा के लेल बोलाय
लै बैठावल जब सोनवा के आल्हा के करै बियाह
कैल बिअहवा ओह सोनवा के बरिअरिया सादी कैल बनाय
नौ सै कैदी बाँधल ओहि माँड़ों में सभ के बेड़ी देल कटवाय
जुग जुग जीअ बाबू रुदल तोहर अमर बजे तरवार
डोला निकालल जब सोनवा के मोहबा के लेल तकाय
रातिक दिनवाँ का चलला में मोहबा में पहुँचल जाथ | bhojpuri-bho |
आल्हा ऊदल
एत्तो बारता बा रुदल के आल्हा के सुनीं हवाल
केत्ता मनौलीं बघ रुदल के लरिका कहल नव मानल मोर
बावन कोस के गिरदा में बघ रुदल डिगरी देल पिटवाय
लिखल पाँती बघ रुदल तिलरी में देल पठाय
तेली बनियाँ चलल तिलरी के लोहन में आफत काल
पाँती भेजवो नरबर गढ़ राजा मेदनी सिंह के दरबार
चलल जे राजा बा मेदनी सिंह मोहबा में पहुँचल जाय
आइल राजा मकरन्ना गढ़ मोरंग के राज पहुँचल वाय
चलल जे राजा बा सिलहट के भूँमन सिंह नाम धराय
आइ राजा डिल्ली के सुरजन सिंह
बुढ़वा सैयद बन्नारस के नौं नौ पूत अठारह नात
ओनेहल बादल के थमवैया लोहन में बड़ चण्डाल
मियाँ मेहदी है काबुल के हाथ पर खाना खाय
उड़ उड़ लड़िहें सरगे में जिन्ह के लोथ परी जै खाय
चलल जे राजा बा लाखन सिंह लाखन लाख घोड़े असवार
नौ मन लोहा नौमनिया के सवा सौ मन के सान
उन्ह के मुरचा अब का बरनौ सौ बीरान में सरदार
आइल राजा बा सिलहट के भूँमन सिंह नाम धराय
जेत्ता जे राजा बा लड़वैया रुदल तुरत लेल बोलाय
जेत्ता जे बा लड़वैया जिन्ह के सवा लाख असवार
एत्तो बारता बा राजा के रुदल के सुनीं हवाल | bhojpuri-bho |
33
मसजद बैबुलअतीक1 मिसाल आहीखाने काबिउं डोल उतारीया ने
गोया अकसा दे नाल दी भैण दुई शायद संदली नूर उसारीया ने
पढ़न फाजल ते दरस दरवेश मुफती खूब कढ हलहोन प्रकारीया ने
तालीम मीजान2 ते सरफ बिहाई सरफ मीर भी याद पुकारीया ने
काज़ी कुतब ते कनज अनवा बारां मसऊद दीयां जिलद सवारीया ने
खानी नाल मजमूआ सुलतानियां दे अते हैरतुल फिका नवारीया ने
फितावि बरहिना मनजूम शाहां नाल जु़बदयां हिफज3 करारीया ने
मुआरजुल नबुवता खुलासियां नूं रोजा नाल इखलास पसारीया ने
जरादियां ने नाल शरह4 मुलां ज़िन्नानियां नहव5 नतारीया ने
करन हिफज कुरान तफसीर दौरां गैर शरह नूं धुरयां मारीयां ने
इक नजम दे दरस हरकरन पढ़दे नाम हक ते खालक बारीया6 ने
गुलिसतां बोसतां नाल बहार दानिश तूतीनामा ते राजक बारीया ने
मुनशाजब ते अबुल फज़लां शाहू नामिऊ राफत बारीआं ने
किरानुल सादैन दीवान हाफज वारिस शाह ने लिख सवारीया ने | panjabi-pan |
नया घघरु डो माय नाया सुमारी
नया घघरु डो माय नाया सुमारी
नया घघरु डो माय नाया सुमारी
कौना जा खाधा लिजेटेन जूली डोने
कौना जा खाधा लिजेटेन जूली डोने
आफूज डोने आम सेनेवा
आफूज डोने आम सेनेवा
किमीन जा खाधा लिजेटेन जूली डोने
किमीन जा खाधा लिजेटेन जूली डोने
आफूज डोने आम सेनेवा
आफूज डोने आम सेनेवा
कुलारा जा खाधा लिजेटेन जूली डोने
कुलारा जा खाधा लिजेटेन जूली डोने
आफूज डोने आम सेनेवा
आफूज डोने आम सेनेवा
कुटूम्बा जा खाधा लिजेटेन जूली डोने
कुटूम्बा जा खाधा लिजेटेन जूली डोने
आफूज डोने आम सेनेवा
आफूज डोने आम सेनेवा
स्रोत व्यक्ति गुलाबी बाई और लक्ष्मण पर्ते , ग्राम मुरलीखेड़ा | korku-kfq |
गंगा असननियाँ चललन दुलरइता दुलहा हे
बाबा फुलवरिया लवँग1 केर गछिया , अरे दह2 ।
जुहिया फुलल कचनरिया , अरे दह ॥ 1 ॥
घोड़वा चढ़ल आवइ दुलहा दुलरइता दुलहा , अरे दह ।
कते3 दूर हइ4 ससुररिया , अरे दह ।
कइसन हइ दुलहिनियाँ , अरे दह ॥ 2 ॥
धीरेबोलूँ , धीरे बोलूँ दुलहा दुलरइता दुलहा , अरे दह ।
नजिके5 बसहइ6 ससुररिया , अरे दह ।
काँच7 कली हइ दुलहिनियाँ , अरे दह ॥ 3 ॥ | magahi-mag |
हो गई स्याम बिछुरतन जीरन
हो गई स्याम बिछुरतन जीरन ,
बृज में एक अहीरन ।
कल नई परत काल की ढूँड़त ,
कालिन्दी कै तीरन ।
भरमत फिरत चित्त नई ठौरें ,
उठत करेजें पीरन ।
हमरौ जनम बिगार चले गये
डारकें मोहजँजीरन ।
वन वन व्याकुल फिरत ईसुरी
राधा भई फकीरन । | bundeli-bns |
मीठी लागै बाजरे की राबड़ी रै
मीठी लागै बाजरे की राबड़ी रै
दल चक्की से हांडी पे गेरी
नीचे लगा दी लाकड़ी रे
मीठी लागै . . .
रांध रूंध थाली में घाली
ऊपर आ गई पापड़ी रै
मीठी लागै . . . .
खाय खूय खटिया पर सूती
नींद सतावै बाखड़ी रै
मीठी लागै . . . | haryanvi-bgc |
भरथरी लोकगाथा का प्रसंग “शंकर पूजा, चम्पा को शंकर दर्शन”
हाथ म फुल धरके चढ़ावंव दीदी वो
हाथ म फुल धरके चढ़ावंव दीदी य
भोलेबाबा ल वो , शंकरजी ल ना
भोलेबाबा ल वो , दीदी शंकरजी ल वो
हाथ म फुल धरके चढ़ावंव दीदी य
भोलेबाबा ल वो , शंकरजी ल ना
भोलेबाबा ल वो , दीदी शंकरजी ल वो
बेल पान दुबी , दुधी रखेंव पूजा के थारी म
बेल पान नरियर दुबी रखेंव खलोक थारी म
बेल पान दुबी , दुधी रखेंव पूजा के थारी म
रखेंव पूजा के थारी म , रखेंव पूजा के थारी म
बिगड़ी बना दे मोरे , आयेंव तोर दवारी म
आयेंव तोर दवारी म , आयेंव तोर दवारी म
हाथ जोड़के माथ मैं नवावंव दीदी वो
शंकरबाबा ल वो , भोलेबाबा ल वो
शंकरबाबा ल वो , दीदी भोलेबाबा ल वो
हाथ म फुल धरके चढ़ावंव दीदी य
भोलेबाबा ल वो , दीदी शंकरजी ल वो
भोलेबाबा ल वो , दीदी शंकरजी ल वो
भोलेबाबा ल वो , दीदी शंकरजी ल वो
माथ म चंदन तोरे , गले में नाग लपटे हे
गला में नाग लपटे हे , गला में नाग लपटे हे
मिरगा के छाला पहिने , जटा में गंगा लटके हे
जटा में गंगा लटके हे , जटा में गंगा लटके हे
सावन सोमवारी के गोहरावंव दीदी वो
भोलेबाबा ल वो , दीदी शंकरजी ल वो
भोलेबाबा ल वो , दीदी शंकरजी ल वो
हाथ म फुल धरके चढ़ावंव दीदी य
भोलेबाबा ल वो , दीदी शंकरजी ल वो
भोलेबाबा ल वो , दीदी शंकरजी ल वो
भोलेबाबा ल वो , दीदी शंकरजी ल वो
एक हाथ म जामुन धरे , दूसर म तिरछुल
दूसर म तिरछुल , बाबा दूसर म तिरछुल
अंगभरे राख चुपरे , गांजा ल पीये फुकफुक
गांजा ल पीये फुकफुक , गांजा ल पीये फुकफुक
इ गोधरे गांजा ल पीके गुस्साए हाबय वो
शंकरजी ल वो , दीदी भोलेबाबा ल वो
शंकरबाबा ल वो , दीदी भोलेबाबा ल वो
हाथ म फुल धरके चढ़ावंव दीदी य
भोलेबाबा ल वो , दीदी शंकरजी ल वो
भोलेबाबा ल वो , दीदी शंकरजी ल वो
भोलेबाबा ल वो , दीदी शंकरजी ल वो
– गाथा –
अब ये चम्पा दासी राहय ते रागी हौव
भगवान भोलेनाथ के पूजा करथे हा
भोलेनाथ राहय ते प्रसन्न हो जथे हौव
अउ किथे हा
बेटी हा
बेटी ते सो माँग , मे सो देबर तैयार हंव हौव
तब किथे बाबा हा
मोर ऊपर विपत आगे हे हौव
में का बताव बाबा हा
मोर बात ल रानी सामदेवी समझत नई ये हा
अउ बस मोला मार के हौव
चारझन दीवान ला आदेश देवा देहे हा
अउ फांसी देके ऑर्डर दे देहे हौव
अब मे फांसी में चढ़हूं बाबा हौव
तब भोलेनाथ किथे हा
जा बेटी हौव
तोला चिंता करे के बात नईये बात नईये
चम्पा दासी राहय तेन हौव
जाथे सुग्घर घर में हा
पीताम्बरी के साड़ी पहिन लेथे रागी हौव
पहिने के बाद हा
चारझन कहार रिथे डोला बोहईया हौव
जब डोला में बईठथे हा
तब , सब सखी सहेली रिथे हौव
मिलथे भेंटथे हा
अउ रोथे , अउ किथे बहिनी हो हा
जईसे में ससुराल जातहव हौव
वइसे मोला समझव , में जिंदगी भरके लिए फांसी में चघत हौव हा
अब ये चारझन कहार राहय तेन रागी हौव
ले जाथे हा
तब चम्पा दासी काय किथे जानत हस हौव
– गीत –
बोले बचन चम्पा दासी हा , चम्पा दासी हा या
सुनले कहार मोर बाते ल
बोले बचन चम्पा दासी हा , चम्पा दासी हा वो
सुनलव कहार मोर बाते ल
सौ शर्त जगा , तोला देवथव दान
सवर पति के गा , तोला देवथव दान
येदे तरी में डोला धिरलमाबे गा , धिरलमाबे गा , भाई येदे जी
येदे तरी में डोला धिमाबे गा , धिमाबे गा , भाई येदे जी
धिरेचधिर ये जावत थे , मोर जावय दीदी
डोला ल लेगथे राते के
धिरेचधिर ये जावत थे , मोर जावय दीदी
डोला ल लेगथे राते के
तरिया के पारे में वो , डोला रखे हावय
तरिया के पारे में वो , डोला रखे हावय
येदे चम्पा ह डोला ले उतरत थे , येदे उतरत थे , भाई येदे जी
येदे चम्पा ह डोला ले उतरत थे , येदे उतरत थे , भाई येदे जी | chhattisgarhi-hne |
नागरजा
सारा गोकुल वासी करद छया
तै इन्द्र की पूजा ।
कठा होई गैन तब सब स्ये
कनो बोद तब इन्द्र को बालक
केकूँ होलू जाज यो हल्ला ?
आज गोकुल का लोक ,
सुण मेरा बाला करदा इन्द्र की पूजा ।
तब बोलदू कृष्ण भगवानछोड़ा इन्द्र कीपूजा ।
आज से करला गोवर्धन पूजा ।
लाया गएपूजा को समान ,
थालू परात मा मेवा मिष्टान ,
षट् रस मीठ रस भोजन ,
बार पकवान , बाबन व्यंजन ।
घी दूध नैवेद , दीप , धूप , दान ,
जौ तिल हवन , पिठैं टीका चंदन ।
तब पूछदू कृष्ण भगवान :
इन्द्र क्या कभी तुम दरसन भी देंद ?
तब बोलदा गोकुल का लोक
नी देन्दू इन्द्र , दर्शन नी देन्दू ।
तब तुम इन्द्र की पूजा छोड़ा हमेशाक
करी तब त्वैन लीला इनी कृष्ण
गोबर्धन फूटी , उपजे नारैण1 ,
जौंका गात पीताम्बर ,
भुजा मा मणिबन्ध ,
सिर मोर मुकुट , हाथ बांसुली ।
दर्शन देंदू दीनों कू दयाल ,
मगन होई गैन गोकुल का वासी ।
तब इन्द्र माराजा इनो वोद :
ब्रज वासियोंन आज मैं पूजा नी लगाए ।
जा मेरा मेघो , ब्रज मा जावा , प्रलै मचावा
तबरी ही गरजीन मेघ घनघोर ,
बिजली कड़के , सरग गिड़के ,
बज्र तड़ातड़ तड़केन ।
कंपी गये नौखंड धरती थर थर
हा हा मचीगे तै गोकुल मा ,
हे कृष्ण तिन यो क्या करे ?
कृष्ण भगीवान् तब बोलदा बैन
गोकुल का लोगू कायरो नी होणू ।
तब ऊन गोबर्धन आंगुली मा धरयाले
गोकुल मा नी पड़े पानी को छीटो ।
तब सोचदो इन्द्र क्या ह्वै ह्लो आज ?
क्या तै गोकुल ह्वैगे कृष्ण अवतार
तब इन्द्र माराजन साथ लिन्या
तेतीस करोड़ देव , कामधेनु गाई
चलदा चलदा ऐग्या गोकुल मांज ।
कृष्ण भगवान गाई चरौंदा छया ,
बंसी बजौदा छा , पृथी मोहदा छा ।
कुछ ग्वाल आग छा , कुछ छा पीछ ,
गौऊन विर्याँ छा , कृष्ण भगीवान ।
तभी करी इन्द्रन गौ को स्वरूप ,
बार बार तब परिक्रमा करदू ।
ज जै कार करदा पंचनाम देव ,
इना रैन कृष्ण भगवान ,
गर्वियों गर्व चलैन ,
छलियों का छल | garhwali-gbm |
हौनी कवउँ न जात अनूठी
हौनी कवउँ न जात अनूठी ,
जिदना जी पै रूठी ।
इक दिन रूठी राजा नल पै ,
हार लील गइ खूँटी ।
इक दिन रूठी कंसासुर पै ,
मूड़ खपरिया फूटी ।
इक दिन रूठी तो अर्जुन पै ,
भील गोपका लूटी ,
सोने की गढ़ लंक ईसुरी ,
घरी भरे में टूटी । | bundeli-bns |
आओ सइओ रल देओ नी वधाई
आओ सइओ रल देओ नी वधाई ।
मैं बर पाया राँझा माही ।
अज्ज ताँ रोज़ मुबारक चढ़िआ ,
राँझा साडे वेहड़े वड़ेआ ,
हत्थ खूण्डी मोढे कंबल धरिआ ,
चाकाँ1 शकल बणाई ।
आओ सइओ रल देओ नी वधाई ।
बुल्ले शाह इक सौदा कीता ,
पीता ज़हर प्याला पीता
ना कुझ लाहा टोटा लीता ,
दरद दुखाँ दी गठड़ी चाही ,
आओ सइओ रल देओ नी वधाई ।
मैं बर पाया राँझा माही | panjabi-pan |
मोरे मन बसे राम और सीता मोरे...
मोरे मन बसे राम और सीता । मोरे . . .
मोर मुकुट मोरे ठाकुर जी खों सोहे ,
सो कलगिन बीच राम और सीता । मोरे . . .
चंदन खोरे मोरे ठाकुर जी खों सोहे ,
सो टिपकिन बीच राम और सीता । मोरे . . .
नैनन सुरमा मोरे ठाकुर जी खों ‘सोहे’ ,
सो माला बीच
राम और सीता । मोरे . . .
पानन बिरियां मोरे ठाकुर जी खों सोहे ,
सो लाली बीच राम और सीता । मोरे . . . | bundeli-bns |
दादा हमारे नयना जोगी हैं री मइया
दादा हमारे नयना जोगी1 हैं री मइया ।
दादी हमारी मनमोहिनी री मइया ।
बलदी2 लदाये3 जोग लाद लायें जी ॥ 1 ॥
नाना हमारे नयना जोगी हैं री मइया ।
नानी हमारी मन मोहिनी री मइया ।
छकड़े4 लदाये जोग लाईं री मइया ॥ 2 ॥
अब्बा हमारे नयना जोगी हैं री मइया ।
अम्माँ हमारी मन मोहिनी री मइया ।
छकड़े लदाये जोग लाई री मइया ॥ 3 ॥
भइया हमारे नयना जोगी हैं री मइया ।
भाभी हमारी मन मोहिनी री मइया ।
गाड़ी लदाये जोग लाई री मइया ॥ 4 ॥ | magahi-mag |
361
होली सहज सुभा दी गल कीजे नाही कड़किये बोलिये गजिये नी
लख झट तरले फिरे कोई करदा दिते रब्ब दे बाझ ना रजिए नी
धयान रब्ब ते रख ना हो तती दुख औगुनां होन तां कजिए नी
असीं नजर करीए तुरत होन राजी जिन्हां रोगियां ते जा वजिए नी
चैदां तबका1 दी खबर फकीर रखन मुंह तिन्हां तों कासनूं कजिए नी
जदों हुकम विच माल ते जान होवे उस रब्ब तों कासनूं भजिए नी
सारी उमर जो पलंघ ते रहे नढी एसे अकल देनाल कुचजिए नी
शरम जेठ ते सौहरयां करन आई मुंह फकरां तों काहनूं कजिए नी
वारस शाह तद इशक दी नजर दिसे जदों आपने आपनूं कजिए नी | panjabi-pan |
जलमी इले आवा जा डूड प्याला माय मारे
जलमी इले आवा जा डूड प्याला माय मारे
मायडो नव लाको जरी टालान ईनी जाजोम जे मांडो बीले
मायडो नव लाको जरी टालान ईनी जाजोम जे मांडो बीले
मायडो नव लाको जरी टालान ईनी जाजोम जे मांडो बीले
रावेन बेटा जा रावेन बेटा मारे
बेटा नव लाको जरी टा लान ईनी जाजोम जे कुँवार रानी का बीले
बेटा नव लाको जरी टा लान ईनी जाजोम जे कुँवार रानी का बीले
स्रोत व्यक्ति दयाराम काजले , ग्राम सोनपुरा | korku-kfq |
रेमेली रेमेली रेमेला आटा डो हिड़िये
रेमेली रेमेली रेमेला आटा डो हिड़िये
रेमेली रेमेली रेमेला आटा डो हिड़िये
टाराटेन जोमेडो चूरूटेन डा डो
टाराटेन जोमेडो चूरूटेन डा डो
रेमेली रेमेला आटा डो हिड़िये
रेमेली रेमेला आटा डो हिड़िये
स्रोत व्यक्ति शांतिलाल कासडे , ग्राम छुरीखाल | korku-kfq |
18
भाबी आखदी गुंडया मुंडया वे साडे नाल की रिक्तां चाइयां नी
वली जेठ ने जिहना दे फतू देवर डुब मोइयां ओह भरजाइयां नी
घरो घरी विचारदे लोक सारे सानूं केहियां फाहिआं पाइयां नी
वारस गल न बनेगी नाल साडे परना लया स्यालां दीयां जाइयां नी | panjabi-pan |
448
जदों खलक पैदा कीती रब्ब सचे बंदयां वासते कीते नी सभ पसारे
रन्नां छोकरे जिन्न शैतान रावल1 कुता कुतड़ी बकरी ऊठ सारे
टोहां मूल फसाद दा होइयां पैंदा जिन्हां सभ जगत ते मूल धारे
आदम कढ बहिश्त थी खुआर कीता ए तां डायनां धुरों ही करन कारे
एह करन फकीर चा रांझयां नूं इन्हां राजे ते राने ने सभ मारे
वारस शाह हैन हुनर विच मरदां अते महरियां विच नी ऐब भारे | panjabi-pan |
कहाँ से जोग आयल, कहाँ जोग घुरमई गे माई
कहाँ से जोग आयल , कहाँ जोग घुरमई1 गे माई ॥ 1 ॥
दुलरइता दुलहा ही2 से जोग आयल ।
तेलिया दुहरिया3 जोग घुरमइ गे माई ।
दुलरइता देइ4 के जाके जोग लग गे माई ॥ 2 ॥ | magahi-mag |
एके तेल चढ़ेंगे-2
एक तेल चढ़गे
एक तेल चढ़गे , हो हरियर हरियर
हो हरियर हरियर
मंड़वा मे दुलरू तोर बदन कुम्हलाय
रामेवोलखन के
रामेवोलखन के दाई तेल वो चढ़त हे
दाई तेल वो चढ़त हे
कहवा के दियना दीदी करथे अंजोर
आमा अमली के
आमा अमली के दाई सीतल छईहां
दाई सीतल छईहाँ
कर देबे फूफू तोर अँचरा के छाँव
दाई के अँचरा
दाई के अँचरा वो अगिन बरत हे
हो अगिन बरत हे
फूफू के अंचरा मोर इन्दरी जुड़ाय
काकी के अँचरा
काकी के अँचरा दाई अगिन बरत हे
दाई अगिन बरत हे
मामी के अंचरा मोर इन्दरी जुड़ाय
डोंगरी पहारे
डोंगरी पहारे दीदी घनरा चलत हे
दीदी घनरा चलत हे
पेरि देबे तेलिया मोर राई सरसो के तेल
रामेवोलखन के
रामेवोलखन के दाई तेल वो चढ़त हे
दाई तेल वो चढ़त हे
पेरि देबे तेलिया मोर राई सरसो के तेल
हमरे दुलरवा
हमरे दुलरवा नई बांधे मऊरे
नई बांधे मऊरे
नई सहे तेलिया मोर राई सरसो के तेल | chhattisgarhi-hne |
जन्म गीत
एक पतासा का नव सौ टुकड़ा ।
एक टुकड़ो मने चूल्हा जगह मेकियो ।
बाळ की ममई बठीबठी चाख ,
आवते चाट न जाते की चाट ।
एक पतासा का नव सौ टुकड़ा ।
एक टुकड़ो मन झोळी जगह मेक्यो ।
बाळ की जी माय हिचकाड़ती चाट ।
एक पतासा का नव सौ टुकड़ा ।
एक टुकड़ो मन मोरी जगह मेक्यो ।
बाळा की मामी जात की चाट , आवते की चाट ।
एक पतासा का नव सौ टुकड़ा ।
एक टुकड़ो मन हतई म मेक्यो ।
बाळ की फुई आवते की चाट , जाते की चाह ।
एक पतासा का नव सौ टुकड़ा ।
एक टुकड़ो मन मुळ्ळा पर मेक्यो ।
बाळ की मावसी जाते की चाट आवते की चाट ।
बालक के जन्म के बाद पूजन में रिश्तेदारों को बुलाते हैं और उनसे हँसीमजाक
के लिए महिलाएँ गीत गाती हैं और जिनका नाम गीत में आता है , उसको देखकर
महिलाएँ हँसती हैं । गीत में कहा गया है किएक बतासे के नौ सौ टुकड़े करके
चूल्हे के पास रखा । बालक की नानी माँ आतेजाते चाटती हैं एक टुकड़ा पालने
के पास रखा , बालक की दादी माँ झूला देते हुए चाटती हैं । एक टुकड़ा मोरी के
पास रखा , बालक की मामी आतेजाते चाटती हैं । एक टुकड़ा मैंने चौक में रखा ,
बालक की बुआ आतेजाते चाटती हैं । एक टुकड़ा मैंने पनिहारे पर रखा , बालक
की मौसी आतेजाते चाटती हैं । | bhili-bhb |
हम पहिरे मूगन की माला
हम पहिरे मूंगन की माला ,
हमारी कोऊ गगरी उतारो
कहां गये मोरे सैंया गोसंइयां ,
कहां गये वा रे लाला ,
हमारी कोऊ गगरी उतारो । हम पहिरे . . .
एक हाथ मोरी गगरी उतारो ,
दूजे घूंघट संभालो ,
हमारी कोऊ गगरी उतारो । हम पहिरे . . .
एक हाथ मोरी गगरी उतारो ,
दूजे से चूनर संभालो ,
हमारी कोऊ गगरी उतारो । हम पहिरे . . .
एक हाथ मोरी गगरी उतारो ,
दूजे से लालन संभालो ,
हमारी कोऊ गगरी उतारो । हम पहिरे . . . | bundeli-bns |
मृत्यु गीत
पवाँ फाटियो ने सुरिमल उगिया राम ।
पवाँ फाटियो ने सुरिमल उगिया राम ॥
सास नणद क कइ क मीराबाई लात नहिं मारना राम ।
सास नणद क कइ क मीराबाई लात नहिं मारना राम ॥
उनको नाके गदड़ी को अवतार व , मीरा बाई राम ।
उनको नाके गदड़ी को अवतार व , मीरा बाई राम ॥
गदड़ी तो रूखड़े लुलाइ रा , मीराबाई राम ।
गदड़ी तो रूखड़े लुलाइ रा , मीराबाई राम ॥
सासू नणद क जूठो भोजन नि देणू राम , मीरा बाई राम ।
सासू नणद क जूठो भोजन नि देणू राम , मीरा बाई राम ॥
वको नाखसे मांजरी को अवतार राम , मीरा बाई राम ।
वको नाखसे मांजरी को अवतार राम , मीरा बाई राम ॥
मांजरी ते घेरघेर दूध दहि उष्टो चाटे राम , मीरा बाई राम ।
मांजरी ते घेरघेर दूध दहि उष्टो चाटे राम , मीरा बाई राम ॥
मीरा बाई कहे राम भजो रे राम ।
आपणी देराणीजेठाणी का कारा नहिं करनु रे राम ।
वको नाखसे कुतरी नो अवतार व राम ।
कुतरी बणिन घरेघर भुखसे रे राम ।
घरवाळा कथि छिपिन नि खाणूं राम ।
वको नाखसे वागळी नो अवतार राम ।
वागळी ते औंधी झाड़े लटके रे राम ।
जिना मुहंडे खाय पलाज मुहंडे हागे रे राम ।
मीरा बाई कहे राम भजो रे राम ॥
इस गीत में महिलाओं ने महिलाओं से कहा है कि भगवान राम का भजन करो
उसी में कल्याण है । सवेरा हुआ और सूर्योदय हुआ । राम का भजन करो । अपनी
सास व ननद को लात नहीं मारना , नहीं तो भगवान गधी का अवतार देगा , गधी
बनकर घूरे पर लोटोगी । सासननद को जूठा भोजन न खिलाना , नहीं तो भगवान
बिल्ली का अवतार देगा , बिल्ली बनकर घरघर के दूधदही के बर्तन व जूठा चाटना
पड़ेगा । अपनी देरानीजेठानी की बुराई नहीं करना , नहीं तो भगवान कुत्ती का अवतार
देगा और घरघर भूँकोगी । अपने पति से छिपकर नहीं खाना , नहीं तो भगवान चमगादड़
का अवतार देगा , दिन में नहीं दिखेगा और पेड़ पर औंधी लटकी रहोगी , एक ही मुँह
से खाओगी और उसी से मल त्याग करोगी । मीरबाई का कहना है कि राम का भजन करो । | bhili-bhb |
एक दिन ले दुय दिन, दुय दिन ले आँट दिन
एक दिन ले दुय दिन
दुय दिन ले आँट दिन
धनकुल मँडालो होय रानी चो
धनकुल मँडालो होय
धनकुलसेवा करे रानी
धनकुलपुजा करे
आँट दिन ले पँदरा दिन
पँदरा दिन ले मयना दिन
धनकुल मँडालो होय रानी चो
धनकुल मँडालो होय
धनकुलसेवा करे रानी
धनकुलसेवा करे
छय मइना होए रे भगवान
सालडेड़ साल होये परभू
धनकुल मँडालो होय रानी चो
धनकुल मँडालो होय
धनकुलसेवा करे रानी
धनकुलपुजा करे
मने बिचार रानी करे
दिले धोका रानी करे
हे राम भगवान बले रानी
बाप रे दइया बले
नाना पयकार होले बले
मयँ बानाबिसा होले
काईं नामना निंहाय बले
काईं किरती निंहाय बले
जिव रत ले खायँदे बले
मोचो करले नाव निंआय
एके किरती करले जाले
एक किरती करले जाले
जुगजुग नाव रएदे बले
मोचो किरती बाड़ुन जायदे
बाजे बसुन जात राजारानी
सेज बसुन जात
सुना राजा राजरपती
सुना राजा देसरपती
बाते सुनुन जाहा राजा
गोठ मानुन जाहा
काईं नामना निंहाय राजा
मचो काईं किरती निंहाय
एके किरती करले जाले
एक किरती करले जाले
जुगजुग नाओ रएदे राजा
किरती बाढ़ुन जायदे
काय किरती आय रानी
आले मोके साँग
सुना राजा राजरपती
सुना राजा देसरपती
तुलसी मँडाउन दिहा राजा
मके तुलसी मँडाउन दिया
तुलसीसेवा करें राजा
मयँ तुलसीपुजा करें
काईं बले नाओ रएदे राजा
जुगजुग नाओ होयदे राजा
रानी हट मताय राजा के
रानी टेको मताय
दतुन नई चाबे रानी
अन नई खाए
भुकेभुके बले रानी आसे
भुकेभुके रानी आसे
बाँजा राजा दखे बाबा
बाँजा राजा दखे
रानी के काए बले राजा
सुना रानी बले
तिनपुर टेकहिन आइस रानी
बड़ा उपइन आस रानी
टेक मताउन जास रानी
हट मताउन जास
दतुन नई चाबिस रानी
अन नई खाइस
तिनपुर रोना तुय रोइस रानी
तिनपुर रदना धरिस रानी
तिनपुर हट मतास रानी
तिनपुर टेको मतास
भुक ने मरुन जासे रानी
तुय भुके मरुन जासे
दतुन चाबुन जा रे रानी
अन खाउन जा रे रानी
तुलसी मँडाउन दइँदे रानी
तुके तुलसी मँडाउन दयँदे
रानी सुनुन जाय बाबा
खँड मुचकी मारे
मुचमुचमुचमुच रानी हाँसे
मुचमुचमुचमुच रानी हाँसे
दतुन चाबुन जाय रानी
अन खाउन जाय
एक दिन ले दुय दिन
दुय दिन ले आँट दिन
दतुन चाबलो होय रानी चो
अन खादलो होय
बाजे बसुन जात राजारानी
सेज बसुन जात
सुना राजा बाँजा राजा
सुना राजा बाँजा राजा
पँजिआरमाहाले जाहा राजा
पँडितमाहाल जाहा
पँडित बलाउन आना राजा
मके तुलसी मँडाउन दयदे
सुने राजा बाँजा राजा
सुने राजा बाँजा राजा
बाबू के काए बले राजा
सुन बाबू बले
उपरभवने जा बाबू
तुय साहादेव पँडित के आन
आपलो जाको बले धरो बाबू
आपन साजू धरो बाबू
एक डँडिक एवो बाबू
मके तुलसी मँडाउन दयदे
रानी हट मताय बाबू
रानी टेक मताय
सुने बाबू झोलू पाइक
सुने बाबू झोलू पाइक
हरबर तियार होय बाबू
जलदी तियार होय
आपन साजू पिंदे बाबू
आपन जाको धरे
हाते बेद बले बाबू धरे
पाँए खड़ऊ बाबू पिंदे
राजामाहाल छाँडे बाबू
जातेजाते जाय
रुमझुमरुमझुम रेंगे बाबू
एक कोलाट मारे
जाए बाबू झोलू पाइक
जाए बाबू झोलू पाइक
मोकोड़ीमाहाले जाय बाबू
मोकोड़ीमाहाल अमरे
माँडो मोंगरा उबे बाबू
बाई हंका मारे
बाई सुनुन जाये बाबा
घर ले बाहिर होय परभू
बाबू के काए बले बाई
सून बाबू बले
काय कामे इलिस बाबू
आले मोके साँग
सुन बाई पदमकड़ी
सुन बाई पदमकड़ी
सुत लमाउन दे बाई
मके ताग लमाउन दे
उपरभवने जायँ बाई
मयँ उपरभवने जायँ
सुन बाबू झोलू पाइक
सुन बाबू झोलू पाइक
कइसे सुत लमायँ बाबू
मयँ कइसे तागो लमायँ
बालबचा गागोत बाबू
लोलोबालो गागोत
तुचो पिला के लाई दयँदे
तुचो पिला के खेलाते रएँदे
सुत लमाउन दे बाई
मके ताग लमाउन दे
बाई सुनुन जाय बाबा
सरसर सुतो लमाय | chhattisgarhi-hne |
गंगा जी को औत (बाजूबन्द गीत)
गंगा जी की औत
तराजू मां तोली लेणा , कैकी माया भौत
तराजू मां तोली लेणा , कैकी माया भौत
झंगोरा की घांण , झंगोरा की घांण
जैकी माया घनाघोरा , आंख्यूं मा पछ्याण
जैकी माया घनाघोरा , आंख्यूं मा पछ्याण
जैकी माया घनाघोरा हो . . . . .
सड़का की घूमा , सड़का की घूमा
सड़का की घूमा , सड़का की घूमा
सदानि नि रैंदी सुवा , जवानी की धूमा
सदानि नि रैंदी सुवा , जवानी की धूमा
सदानि नि रैंदी सुवा हो . . . . . .
भिरा लीगे भिराक , भिरा लीगे भिराक
भिरा लीगे भिराक , भिरा लीगे भिराक
तरुणी उमर सुवा , बथौं सी हराक
तरुणी उमर सुवा , बथौं सी हराक
तरुणी उमर सुवा हो . . . . . . . . .
घुघुती को घोल , घुघुती को घोल
घुघुती को घोल , घुघुती को घोल
मनखि माटू ह्वे जांद , रई जांदा बोल
मनखि माटू ह्वे जांद , रई जांदा बोल
मनखि माटू ह्वे . . . . . . .
गौड़ी कू मखन , गौड़ी कू मखन
गौड़ी कू मखन , गौड़ी कू मखन
दुनिया न मरि जाण , क्या ल्हिजाण यखन
दुनिया न मरि जाण , क्या ल्हिजाण यखन
दुनिया न मरि जाण . . . . . | garhwali-gbm |
मेरे माही क्यों चिर लाया ए
मेरे माही क्यों चिर लाया ए ?
कह बुल्ला हुण प्रेम कहाणी ,
जिस तन लागे सो तन जाणे ,
अन्दर झिड़काँ बाहर ताने ,
नंहु ला एह सुख पाया ए ।
मेरे माही क्यों चिर लाया ए ?
नैणाँ कार रोवण दी पकड़ी ,
इक्क मरनाँ दो जग्ग दी फकड़ी1 ,
बिरहों जिन्द अवल्ली जकड़ी ,
मैं रो रो हाल वन्जाया ए ।
मेरे माही क्यों चिर लाया ए ?
मैं प्याला तहकीक2 लीता ए ,
जो भर मनसूर पीता ए ,
दीदार मअराज3 पीआ लीता ए ,
मैं खूह थीं वुजू4 सजाया ए ।
मेरे माही क्यों चिर लाया ए ?
इशक मुल्ला ने बाँग दिवाई ,
सहु आवण दी गल्ल सुणाई ,
कर नीयत सजदे वल्ल धाई ,
नी मैं मुँह मेहराब5 लगाया ए ।
मेरे माही क्यों चिर लाया ए ?
बुल्ला सहु घर लपट लगाईं ,
रस्ते में सभ बण तण जाईं ,
मैं वेक्खाँ आ अनायत साईं ,
इस मैनूँ सहु चिर लाया ए ।
मेरे माही क्यों चिर लाया ए ? | panjabi-pan |
271
नाथ मीट अखीं दरगाह अंदर नाले अरज करदा नाले संगदा ए
दरगाह लोबाली1 है हक वाली ओथे आदमी बोल ना हगदा ए
आसमान जमीन दा वामसी तूं तेरा वडा पसारड़ा रग दा ए
रांझा जट फकीर हो आन बैठा रख तकवा नाम ते लंग दा ए
सभ छड बुरयाइयां बन्न तकवा लाह आसरा साक ते अंग दा ए
ऐसा इशक ने मार हैरान कीता सड़ गया सू अंग पतंग दा ए | panjabi-pan |
मन डटदा कोन्या डाटूं सूं रोज भतेरा
मन डटदा कोन्या डाटूं सूं रोज भतेरा
एक मन कहै मैं साइकल तो घुमाया करूं
एक मन कहै मोटर कार मैं चलाया करूं
रै मन डटदा कोन्यां डाटूं सूं रोज भतेरा
एक मन कहै मेरे पांच सात तो छोहरे हों
एक मन कहै सोना चांदी भी भतेरे हों
मन डटदा कोन्यां डाटूं सूं रोज भतेरा | haryanvi-bgc |
226
इक वहुटड़ी साहुरे चली सयालीं आई हीर तों लैन सुनेहयां नूं
तेरे पेकड़े चली हां एह गलों खोलह किसयां जेहयां केहयां नूं
तेरा सहुरयां तुघ प्यार केहा ताजे करे सुनहेड़ा बेहयां नूं
तेरा गभरू नाल प्यार केहा बहुछियां दसदियां ने असां जेहयां नूं
हीर आखदी ओस दे गल एवें वैर रेशमां नाल ज्यों लेहयां नूं
वारस गाफ1 ते अलफ ते लाम बोले2 होर की आखां एहयां तेहयां नूं | panjabi-pan |
बना-बननी
मीना जडी बिंदी लेता आवजो जी , बना पैली पेसेंजर सी आवजो जी ।
आवजो आवजो आवजो जी बना पैली पेसेंजर सी आवजो जी ।
माथ सारु बीदी लाव्जो माथ सारु टीको ,
माथ सारु झूमर लेता आवजो जी बना पैली पेसेंजर सी आवजो जी ।
गल सारु हार लाव्जो गल सारु नेकलेस ,
गल सारु पेंडिल लेता आवजो जी , बना पैली पेसेंजेर सी आवजो जी ।
हाथ सारु चूड़ी लाव्जो हाथ सारू कंगन ,
हाथ सारु बाजूबंद लेता आवजो जी बना पैली पेसेंजेर सी आवजो जी
पांय सारु चम्पक लाव्जो , पांय सारु बिछिया ,
पांय सारु मेहँदी लेता आवजो जी बना पैली पेसेंजर सी आवजो जी ।
अंग सारु साडी लाव्जो , अंग सारु पैठनी ,
अंग सारु चुनार्ड लेता आवजो जी बना पैली पेसेंजर सी आवजो जी ।
आवजो आवजो जी बना पैली पेसेंजर सी आवजो जी । | nimadi-noe |
मेरा भंवर ने भेजी निसानी एक ताला एक छुरी।
मेरा भंवर ने भेजी निसानी एक ताला एक छुरी ।
मेरा दिल मांगे हरी हरी फली
सास , दिल मांगे हरी हरी फली
ताला तो मेरा घर रखवाला छुरी बनारै फली ।
मेरा दिल मांगे हरी हरी फली
सास , दिल मांगे हरी हरी फली
सास दिल मांगे ताजा फली ।
जब उन फलियां नै चीरण बैठी सास नगोड़ी जली ।
जब उन फलियां ने जीमण बैठी , दुराणी जिठानी जली ।
मेरा दिल मांगे हरी हरी फली
खेतां तै घरवाला आया खूब दड़ाहड़ दई ।
दुराणी जिठानी बोली मारै , फिर भी खागी फली ।
मेरा दिल मांगे हरी हरी फली | haryanvi-bgc |
राम अर लछमण दशरथ के बेटे
राम अर लछमण दशरथ के बेटे
दोनों बणखंड जाएँ . . . हे जी कोई राम मिले भगवान
एक बण चाल्ये , दो बण चाल्ये
तीजे में लग आई प्यास . . . हे जी कोई राम मिले भगवान
ना अड़े कूआँ , ना अड़े जोहड़
ना अड़े सरवर ताल . . . हे जी कोई राम मिले भगवान
हर के घर तै उठी बदलिया
बरस रही झड़ लाए . . . हे जी कोई राम मिले भगवान
भर गए कूएँ , भर गए जोहड़
भर गए सरवर ताल . . . हे जी कोई राम मिले भगवान
छोटासा छोरा गउएँ चरावै
पाणी तो प्याओ नंदलाल . . . हे जी कोई राम मिले भगवान
भर के लोटा पाणी का ल्याया
पिओ तो श्री भगवान . . . हे जी कोई राम मिले भगवान
तेरा पाणी हम जब पीवांगे
नाम बताओ माय अर बाप . . . हे जी कोई राम मिले भगवान
पिता अपने का नाम ना जाणू
सीता सै म्हारी माँ . . . हे जी कोई राम मिले भगवान
चाल भई लड़के उस नगरी में
जित थारी सीता माँ . . . हे जी कोई राम मिले भगवान
खड़ीखड़ी सीता केश सुखावै
हरे रूख की छायँ . . . हे जी कोई राम मिले भगवान
ढक ले री माता इन केशां ने
बाहर खड़े श्रीराम . . . हे जी कोई राम मिले भगवान
इस माणस का मुखड़ा ना देखूँ
जीव तने दिया बणवास . . . हे जी कोई राम मिले भगवान
पाट गई धरती समा गई सीता
खड़े लखावें श्रीराम . . . हे जी कोई राम मिले भगवान
भाजलुज के चोटा पकड़्या
चोटे में हरीहरी घाम . . . हे जी कोई राम मिले भगवान
राम की माया राम ही जाणे
भज लो जय जय राम . . . हे जी कोई राम मिले भगवान | haryanvi-bgc |
बबुआ बइठले नहाए त सासु निरेखेली ए
बबुआ बइठले नहाए त सासु निरेखेली ए ,
ललना कवना चेली के लोभवलु त ,
गरभ रहि जाले नू ए ।
पुत मोरे बसेले अयोध्या , पतोहिया गजओबर ए ,
ए सासु भंवरा सरीखे प्रभु अइले ,
गरभ रहि जाले नू ए ।
मोरे पिछुअरवा पटेहरवा भइया , तूहू मोरे हितवा नू ए ,
बिनी द ना रेशमऽ के जलिया त ,
छैला के भोराइवि हे ।
बिनि देहले रेशमऽ के जलिया , रेशमडोरिया लगाई देहले ए
लेहि जाहु रेशम के जलिया , छैला के भोरावऽहु ए ।
सुतल बाड़ू कि जागलऽ सासु ,
चिन्ही लऽ आपनऽ पुतवा अछरंगवा मत लगावऽहु ए । अछरंगदोष | bhojpuri-bho |
374
हीर उठ बैठी पते ठीक लगे अते ठीक नशानियां सारियां ने
एह तां जोतशी पंडत आन मिलया बातां आखदा खूब करारियां ने
पते वंझली दे एस ठीक दिते ओस मझी भी साडियां चारियां ने
वारस शाह एह इलम दा धनी डाढा खोल कहे निशानियां सारियां ने | panjabi-pan |
कृष्ण ने कैसौ जुलम गुजारौ
कृष्ण ने कैसौ जुलम गुजारौ , मेरी चूँदर पे रंग डारौ ॥ टेक
रस्ता लई रोक हमारी , मारी भरभरकै पिचकारी ,
उत्पात करौ है भारी , कीनी कैसी हुशियारी । लई अकेली
घेर , न कीनी देर , श्याम गयौ आई , मो भोरी सखी की एक
पेश नहीं खाई । गयौ पिछारी ते ऊधम करके मोते
बजमारौ । मेरी . ॥ अब मोकूँ घर जानों , वहाँ लड़े सास
सच मानो , जल्दी ते बताय बहानों , जाते मिले न मोय
उरिहानो , चोली में पड़ गये दाग , तुरन्त गयौ भाग , कियौ
छल यानै , ऐसौ जसुदा कौ लाल एक नहीं मानें । जब देखूँ
तब खड़ौ अगारी , रस्ता रोक हमारौ ॥ मेरी . ॥ ये नित
नये फैल मचावै , नांय दहसत मन में खावै , लै ग्वालन कू
संग आवै , मेरे लाल गुलाल लगावै । कहते में आवै लाज ,
कहूँ कहा आली , सखी सुन प्यारी । मेरौ लीनों अंग टटोर
झटक लई सारी । रंग बिरंगी करी कुमकुमा तान बदन पै
मारौ ॥ मेरी . ॥ अब सब मिल सलाह बनाऔ , मोहन कूँ
यहाँ बुलाऔ , ज्वानी को मजा चखाओ , सब बदलौ लेऔ
चुकाय सभी हरसाय , करौ जाकी ख्वारी , कर सोलह सिंगार
हंसौ दै तारी । ‘नारायण घनश्याम’ भयौ घटघट कौ
जानन हारौ ॥ मेरी . ॥ | braj-bra |
42
चिड़ी चूकदी नाल जां टुरे पांधी पइयां चाटियां विच मधानियां नी
उठ गुसल दे वासते जा पुजे सेजां जिनां ने रात नूं मानियां नी
रांझे कूच कीता आया नदी उते साथ लदया पार मुहानियां नी
वारस शाह मियां लुडन बड़ा लोभी कुपा शहद दा लदया बानियां नी | panjabi-pan |
बुन्देलखण्ड के किसान
हम किसान बुन्देलखण्ड के हमें भूम या प्यारी है ,
ई धरती पै जलमजुगन सें हमनें काया गारी है ।
जब औरन नें गंगाजल सें अपनी बगियाँ सींचीं जू ,
तब पाठिन की जर सें हमनें स्रम की झिरें उलीचीं , जू ;
निज की बिपदा तनक न सेंटी , हमें पिरानी परपीरा ,
अपने दौरें मुरम बिछाई , बाँट दए बाहर हीरा ;
मुरकाडुभरी भोग लगाकै , परसी सदा सुहारी है ।
जब तुम ऊँघत बैठेबैठे , खस की टटियन में प्यारे ,
तब हम भेंटत लपटघाम खें , दौरदौर कै उघरारे ;
साखन सें चल रही तपस्या , तपा तपत हो गए कारे ,
अब हम ठाँडे़ रहत पछारूँ , जहाँ जुरत गोरेनारे ;
जहाँ कसौटी होत हिए की , बस वहाँ जीत हमारी है ।
खेतन में जुन बहुएँबिटियाँ , मनभावन सावन गातीं ,
समय परे पै बेइ अवन्नती , दुर्गा , देवल बन जातीं ;
का चीन्हें इतिहास हमें यौ , टरकत पकरें बैसाखी ,
कितने पले हमाए दोरें जमुननरमदा हैं साखी ;
पिरलै की रातन में हमनें जियनजोत उजयारो है ।
जिननें सोसण करो हमारौ , बचीं न उनकीं रजधानी ,
डेरा लद गए अँगरेजन के , बिला गए राजारानी ;
काअत पेट दलाल आज जुन कारे धन के मतवारे ,
आउन चहत काल की आँधी , उड़ जैहें सब अबढारे ;
अपनी तौ हर नए भोर के स्वागत की तइयारी है ।
हम किसान बुन्देलखण्ड के , हमें भू या पयारी है । । | bundeli-bns |
आई है फूलों की बहार
आई है फूलों की बहार , बधाई होवै ।
पहली बधाई याके , बाबा कू होवै ।
दादी न गाए मंगला चार , बधाई होवै । आई है फूलों . . .
दुजी बधाई याके , ताऊ कू होवै ।
ताई ने गाए मंगलाचार , बधाई होवै आई है फूलों . . .
तीजी बधाई याके , चाचा कू होवै ।
चाची ने गाए मंगलाचार , बधाई होवै । आई है फूलों . . .
चैथी बधाई याके , फूफा कू होवै ।
बुआ ने सतिए लगाए बधाई होवै । आई है फूलों . . .
पाँचवीं बधाई याके , नाना कू होवै ।
नानी ने भेजो छुछक आज , बधाई होवै । आई है फूलों . . .
छटी बधाई याके , मामा कू होवै ।
मामी ने गाए मंगलाचार , बधाई होवै । आई है फूलों . . .
सातवीं बधाई याके , बाबुल कू होवै ।
आँगन में छाई खुशियाँ आज , बधाई होवै ।
आई है फूलों की बहार , बधाई होवैं । | braj-bra |
गाँव का पंचून सोचे बात, श्रमदान मा देणहात
गाँव का पंचून सोचे बात , श्रमदान मा देणहात ।
हात की साबली हात रैन , परवाणा देखी छक्का छुटी गैन ।
पाड़ से जुइयां एक छंदा जवान , साबली चलौंदा जना काबुली खान
जनतान इनु करे यो सांसो , ये पाड़ तोड़ला हम जनु काँसो ।
ये काम से न हम मुख मोड़ला , पड़ तैं हम हातून फोड़ला ।
घणु की चोटुन पाड़ थर्राए , डाँडू वीठू मा सड़क आए । | garhwali-gbm |
पड़तालीओ हुण आशक केहड़े?
पड़तालीओ हुण आशक केहड़े ?
नेंहु लग्गा मत्त गई गवाती ।
‘नहन1 अकबर’ ज़ात पछाती ।
साई शाह रग तों भी नेड़े ।
पड़तालीओ हुण आशक केहड़े ?
हीरे तूँ मुड़ राँझा होई ।
एह गल्ल विरला जाणे कोई ।
साईं चुक्क पवण सभ झेड़े ।
पड़तालीओ हुण आशक केहड़े ?
लै बराताँ रातीं जागे ।
नूर नबी दा बरसन लागे ।
ओह वेख असाडे वेहड़े ।
पड़तालीओ हुण आशक केहड़े ?
‘अनलहक’2 केहा उन लोकाँ ।
मनसूर न देंदा आपे होका ।
मुल्लाँ बन बन आवन पेड़े ।
पड़तालीओ हुण आशक केहड़े ?
बुल्ला सहु शरा ते काज़ी है ।
हकीकत ते भी राज़ी है ।
साई घर घर निआओं निबेड़े ।
पड़तालीओ हुण आशक केहड़े ? | panjabi-pan |
पिया मेरी किलफां ले जा
पिया मेरी किलफां ले जा , भर्या बाहण के भात
मैं कैसे जाऊं नौतन ना आई मेरे भात
हो उसनै कोई न जाणै हम ने तकेगा संसार
है तनक सी ने भैया लिया रे समझाए
पिया मेरा झूमर ले जा , भर्या बाहन के भात
मैं कैसे जाऊं नौतन ना आई मेरे भात
हो उसने कोई न जाणै हम ने तकेगा संसार
है तनक सी नै भैया लिया रे समझाए
पिया मेरा गुलबन्द ले जा , भर्या बाहन के भात
मैं कैसे जाऊं नौतन ना आई मेरे भात
हो उसने कोई न जाणै हम ने तकेगा संसार
है तनक सी नै भैया लिया रे समझाए | haryanvi-bgc |
हरे रामा लागे सावन के महीना
हरे रामा लागे सावन के महीना
के झूला डारो रे हारी ।
रिमझिम रिमझिम बरसत मेघा रामा ,
भीज गई सब देह कि
भीजी मोरी साड़ी रे हारी । हरे . . .
रेशम डोर चन्दन के पलना रामा ,
झूलें राधा कृष्ण कदम की डारी रे हारी । हरे . . .
दादुर मोर पपीहा बोले रामा ,
घाटघाट मोहन की मुरलिया बाजे , प्यारी रे हारी । हरे . . .
हरे रामा लागे सावन के महीना . . . | bundeli-bns |
झूला पड़ गयो रे आगन मे
झूला पड़ गयो रे आंगन में
बन में नाचे लागी मोर ।
को जो झूलें को जो झुलावें
को जो खींचे डोर ।
गणपति झूलें शंभु झुलावें
गौरा खींचे डोर । झूला . . .
कौना महिना जन्म भयो है
कौने नाम धरायो । झूला . . .
भर भादों में जनम भयो है
गणपति नाम धराये । झूला . . .
काहे को इन्हें भोग लगत है
काहे पे होत सवार । झूला . . .
मोदक को इन्हें भोग लगत है
मूषक पे होत सवार । झूला . . . | bundeli-bns |
राजा के अगनवा चन्दन का विरवा
राजा के अँगनवा चन्दन का बिरवा
अछर बिछर ओखी डार हो
वो ही तरे पूरे बबुआ सोना संकल्पै
डारे लागे सुधर सुनार हो
गढ़ सोनरा तुम आंगन कंगन
गढ़ सुनरा सोलह सिंगार हो
इतना पहिन बेटी चौक में बैठी
भरहि मोतियन मांग हो
सोनवा पहिन बेटी मण्डप में आई
आवे लागे मोतियन आंसू हो
कि मोरी बेटी अन धन कम है
कि है रमैया वर छोट हो
कौन बात बेटी मण्डप में रोई
आवे लागे मोतियन आसू हो
नाहीं तो मोरे बाबुल धन अन कम है
नहीं है रमैया वर छोट हो
आज की रैन बाबुल तुम्हारा देशवा
कल परदेहिया के देश हो
राजा के अगनवा चन्दन के विरवा . . . । | bundeli-bns |
309
कोई आयके रांझे दे नयन वेखे कोई मुखड़ा वेख सलाहुंदी ए
अड़ियो वेखो ते शान इस जोगड़े दी राह जांदड़े मिरग फहाउंदी ए
छोटी उमर दी दोसती नाल जिसदे दिन चार ना तोड़ निबाहुंदी ए
कोई ओढ़नी1 लाह के मगर पहुंचे धो धा भबूत जा लाहुंदी ए
कोई मुख रंझेटे नाल जोड़े तेरी तबह2 की जोगिया चाहुंदी ए
सहती लाड दे नाल चवा3 करके चा सेलियां जोगी दियां लाहुंदा ए
रांझे पुछया कौन है एह नढी धी अजू दी काई चा आहुंदी ए
अजू वजू छजू फजू अते गजू हुंदा कौन है तां अगों आहुंदी ए
वारस शाह ननाण एह हीर दी ए धी खेड़यां दी बादशाहुंदी ए | panjabi-pan |
214
लै वे रांझया वाह मैं ला थकी मेरे वस थीं गल बे वस होई
काज़ी मापयां भाइयां बनन तोरी मैंडी तैंडड़ी दोसती बस होई
घरी खेड़यां दे नहीं वसना में साडी उन्हां दे नाल खरखस होई
जां जीवांगी मिलांगी रब्ब मेले हाल साल तां दोसती वस होई
वारस शाह तों पुछ लै लेख मेरे होनी हीर निमाणी दी सस होई | panjabi-pan |
अंगिका बुझौवल
माटी रोॅ घोड़ा माटी रोॅ लगाम
ओकरा पर चढ़ेॅ खुदबुदिया जुआन
भात
करिया जीन लाल घोड़ा
चढ़ेॅ उतरेॅ सिपाही गोरा ।
तबा , आग , रोटी
भरलोॅ पोखरी में चान गरगराय ।
घी से भरी कड़ाही में पूआ
भरलोॅ पोखरी में टिटही नाँचै ।
बालू से भरी खपड़ी में भूजा
टुपटाप करै छैं , कपार कैन्हें फोड़ै छैं
नेङा ऐसन डेङा तोहें रात कैन्हें चलै छैं ।
साँप महुआ से ‘’ टुपटाप करते हो , महुआ गिराते हो ,
और सर क्यों फोड़ते हो । ‘’
महुआ , तुम ऐसे नंगधड़ंग रात को क्यों चलते हो ?
फूलफूल मखचन्नोॅ के फूल
पैन्हें छिमड़ी तबेॅ फूल ।
दिया की बत्ती और लौ
एक सङ दू साथी रहै
एक चललै एक सूती रहलै
तैयो ओकरोॅ साथ नै छुटलै ।
चक्की के दोनों पल्ले
यहाँ , महाँ , कहाँ , छोॅ गोड़ दू बाँहाँ
पीठी पर जे नाङड़ नाचेॅ से तमासा कहाँ ?
तराजू ६ डोरियाँ , दो पलरे और डंडी पर पूँछ जैसी मूँठ
चलै में लचपच , बैठै में चक्का
हाथ नै गोड़ नै मारै लचक्का ।
साँप
पानी में निसदिन रहेॅ
जेकरा हाड़ नै माँस
काम करेॅ तरुआर के
फिनु पानी में बाँस ।
जोंक
फूलेॅ नै फरेॅ
सूप भरी झरेॅ ।
बोहाड़न
एक गाँव में ऐसनोॅ देखलौं बन्नर दूहेॅ गाय
छाली काटी बीगी दियेॅ , दूध लियेॅ लटकाय ।
पासी , ताड़खजूर का पेड़ , ताड़ी
एक टा फूल छियत्तर बतिया ।
केले की खानी
पानी काँपै , कुइयाँ काँपै
पानी में कटोरा काँपै
चाँद
लाल गाय खोॅर खाय
पानी पीयेॅ मरी जाय ।
आग
ऊपर सें गिरलै धामधूम
धुम्मा रे तोहरोॅ माथा सूंघ ।
ताड़
हिन्हौ नद्दी , हुन्हौ नद्दी
बीच में हवेली
हवेली करेॅ डगमग
माँग अधेली ।
नाव | angika-anp |
जरमन ने गोला मार्या
जरमन ने गोला मार्या
जा फूट्या अम्बर में
गारद में सिपाही भाजे
रोटी छोड़ गए लंगर में
उन बीरां का के जीणा
जिन के बालम छः नम्बर में | haryanvi-bgc |
जगाओ फिर बापू के भाव
देस में कैसौ दंगा मचौ
खेल जौ सैतानन नें रचौ ,
बरै जौ जातपाँत कौ नसा
देश की कर डारी दुरदसा ,
जगाओ फिर बापू के भाव
किनारें तबइँ लगा पैऔ नाव ।
दनुजता बोलत जिन्दाबाद
मनुजता हो रइ मुरदाबाद ,
भीतरइँ भुँजत मुरादाबाद
बरेली बरत इलाहाबाद ,
देहली मेरठ मोदीनगर ,
अलीगढ़ चुरत गाजियाबाद ।
भँवर में फँसी नाव खौं देख
डुबाबे पोंच जात जल्लाद ।
महा साँतर जो लुंगा मरत
साँड़ से सबरइँ छुट्टाँ चरत ,
सहर में जौन लफंगा बरत
बेइ पुंगा तो दंगा करत ।
लैन नइँ देत काउ खौं चैन
बैन खों जे नइँ समझत बैन ,
टूट परतइ इज्जत खों लेन
लोहू सें लीपत नीच उरैन ।
मनुजतनधारी बिसधर नाग
लगा रए जे दंगन की आग ,
उगल रए देस बैर कौ झाग
सहीदन के लोहू सें सिँचौ
उजारत नन्दनबनसौ बाग ।
न चूकत अत्याचारी दाँव
देस खौं इनसें आज बचाव ,
किनारें तबइँ लगा पैऔ नाव
जगाऔ फिर बापू के भाव ।
एक हैं जाँके रामरहीम ,
एक हैं जाँके कृष्णकरीम ,
एक से तुलसीसूरकबीर
भरे रस सें रसखान रहीम ,
एक से सबखौं बैद हकीम
एक सँग पुजतइ सइयद बली
इतै के सालिगरामसलीम ।
बाबरे बैजू कौ संगीत
कि जीनें लए जड़चेतन जीत ,
बौइ है तानसेन की तान
करे बस में सम्राट महान ,
लता खौं का हिन्दुवइ सुनत ?
रफ खौं बस तुरकन के कान ?
विधाता कौ साँचौ है एक
हमइँ तुम करतइ भेद अनेक ।
दौर कैं दो उगरें लग जाव
बीरबल अकबर जैसे चाव ,
मेंट के भेदभाव के भरम
छोड़ दो सबरे कपटदुराव ,
जगाऔ फिर बापू के भाव ,
किनारें तबइँ लगा पैऔ नाव ।
छिड़ी जब आजादी की जंग
लड़े गोरन सें सबरे संग
भगत सिंह चन्द्रसेखर आजाद
न भूलत कोउ बिसमिल की याद ।
सहीदन कौ नायक असफाक ,
निछावर हो गऔ बीर हमीद
करी ऊँची भारत की नाक ;
याद आ गओ हुमायूँ आज
बचा लइ करमवती की लाज ,
आज के जे समाज के ताज
न इनखौं कौनउँ सरमलिहाज
बोउत रत रोज जहर के बीज
करत फिर जेइ कोढ़ में खाज ,
बिगारत बेइ डाँकधर मर्ज
कि जिनके हाँतन होत इलाज ।
जेइ रए कलपबृच्छ खौं काट
न सूजत इनखौं भावकुभाव ,
जगाऔ फिर बापू के भाव
किनारे तबइँ लगा पैऔ नाव ।
सिक्ख , मुसलिम , हिन्दू , ईसाई
सुमित में रतते सबरे भाई
कितै सें कीनें गुँजी लगाई
सगी माँ सबकी भारत माई
हिमालयसी जीकी ऊँचाई ,
अरब सागर जैसी गहराई
पवन कै रइ जीकी प्रभुताई ;
जनम भर जाँकौ पानी पियो
देवतन जैसी देह बनाई ।
जितै को रज में खोखो खेल
आज ज्वानी ऐसी गर्राई ,
भाई की घिची काट रए भाई
खून सें खेलत क्रूर कसाई ।
न रै गऔ इनखौं नकउ कूत
करोरन में जेइ कड़े कपूत
कि इन्नें माँ की कोख लजाई
जगत्तर भर में नाक कटाई ।
डुबा डारो बापू कौ नाम
बिलख रए बरधासाबरमती
सिसक रऔ सबरौ सेवाग्राम ।
थूक रऔ इनपै सब संसार
जेइ तो बरत भूमि के भार ,
अहिंसा की नित हिंसा करत ,
प्रेमपोथी चूले में धरत ,
सत्त अभमन्यू कौ वध करत
जेइ तौ करवाउत टकराव ।
नए हों चाय पुराने घाव
न इनपै नोंनमिर्च भुरकाव ,
प्रेम की मरहम इन्हें लगाव ।
भाइचारे के भरकें भाव ,
नेह सें नित्त इन्हें सहलाव
आज फिर बिछरे गर्रे लगाव
प्रेम के अँसुवन सें सपराव ,
आज फिर भरतमिलाप कराव
जगाऔ फिर बापू के भाव ,
किनारें तबइँ लगा पैऔ नाव । | bundeli-bns |
जेहि नदी कोसी माय सूतो नै थाहे
जेहि नदी कोसी माय सूतो नै थाहे ,
से नदिया देल उसर लोटाय ।
आगू आगू माता उसर लोटबे
पाछू चरै नबेलाख धेनु गाय ।
राजा शिवसिंह पोखरि खुनैलन्हि
ओहि पोखरी कोसिका कयल पयान ।
आगू आगू रानू सरदार घसना खसाबे
पाछु कोसी करे सन्मुख धार । | angika-anp |
एक कोस गेलै हे कोसी माय
एक कोस गेलै हे कोसी माय ,
दुई कोस गेलै हेऽ
तेसर कोस बिजुबन सिकार हेऽ
बघबो नै मारै हेऽ कोसी माय ,
हरिणों नै मारै हेऽ
चुनिचुनि मारै छै हेऽऽ मजूर हेऽ
सात सय मजूरबा हे कोसी माय
मारि अयले हेऽ
सात सय मजूरनी कयलें राड़ हेऽ
हकन कानै छै कोसी माय
बन के मजूरनी
कोसी मैया बारी बेस हरले सिन्दूर
नै हम खैलियो कोसी मैया
खेत खरिहानमा
नैय हम कैलियो लछ अपराध
बखसु बखसियौ कोसी माय
सिर के सिन्दूरिया
मैया बखसि दियौ सिर के सिन्दूर
जब तोरा हम बखसबो
सिर के सिन्दूरिया
हमरा के की देबे इनाम मजूरनी
जब तुअ बखसबे कोसी माय
सिर के सिन्दूरिया
भरि राति नाचबा देबौ देखाय
राति नाचबा देखायब
होयत भिनसरबा बोलिया देबौ सुनाय
चुटकी बजाय कोसी माय मजूरा के जियाबे
खुसी गे भेलौ मैया बन के मजुरनी
भरि राति आगे मजुरनी नचबा देखाबै
होयत भिनसरबा बोलिया देय सुनाय
गाबल सेबक जन दुहु कल जोड़ि
विपत्ति के बेरिया मैया
होहु न सहाय । | angika-anp |
जगदेव पंवार
पंच देवों की सभा लगीं छई ,
शिव जी ध्यान मा छा , देवी छई पारवती ,
सभा का मुकुट तिरलोकी नारैण
तब इना बैन1 बोलदा :
क्वी दुनिया मा इनो वीर भी होलो
जो शीश काटीक दान देलो ?
जैन शीश को दान देण ,
वैन गढ़वाल को राज लेण ।
बखी बैठी छई चंचु भाट की बेटी कैड़ी कंकाली ।
तब बोलदा भगवान , हे कैड़ी कंकाली
दुनिया को तोल लौ दू , पृथ्वी भाऊं2 ।
क्वी दुनिया मा शीश काटीक दान भी देलो ।
तू रन्दी कंकाली मृत्यु मण्डल3 मा ।
मैं ल्यूलो भगवान पृथी को भेद ,
तब कैड़ी कंकाली मृत्यु मण्डल ओंदी ।
वै मलासीगढ़ में रन्द छयो वीं को बाबा4 चंचु भाट ,
कैड़ी कंकाली छै मलासीगढ़ को प्यारी ,
मन की मयाली5 छैणै वा कैड़ी कंकाली ,
भूकों तई खलौंदी छई , रोदौं चण्यौन्दी6 ,
भूकों देखीक अन्न नी छै खान्दी
नंगों देखीक वस्त्र नी छै लान्दी ।
मालसीगढ़ का लोक वीं तई तब
आंख्यों मा पूजदा छया ।
वखी वै गढ़ मा रन्द छयो एक बोतल भाट ,
मति को होणू7 छयों , पेट को नीनू8 ।
गरीब छयो भौत वो बेताल भाट ,
चार नौना9 छया वैका10 ,
जिकुड़ो11 का जना चीरा12 , भाग का जना कांडा13 ।
भूख न रोंदा छा वो , वे सणी झुरोंदा14
तब ककाली मू वैन अपणी विपता गाये :
हे कैड़ी कंकाली , तू होली देवी स्वरूप ,
मैं छऊँ किस्मत को हारो , विपता को मारो ।
मेरा होला ये चार बेटा ,
तू ऊं सणी भीक मांगीक पाली दे दूँ ।
जिकुड़ी क्वांसी15 छै कंकाली की
वींन बालीक पालणा स्वीकार करयाल्या ।
मैंन जाण होलो दुनिया को भाऊ16 लेण ,
तखी बिटी मांगीक भी लौलू यूं छोरौक ।
कंकालीन तब हात धरे कमण्डल ,
जोगीण को भेष बणाये , बभूत रमाए ।
तब राज राज मा घूमदी कंकाली
घूमदी घूमदी ऐ गए धारा नगरी ।
धारा नगरी मा रन्द छरूा जैदेव जगदेव पंवार ,
जयदेव जगदेव होला पीठी17 जौंला भाई ,
जयदेव जेठू होलू जगदेव काणसो18 ।
जयदेव बल मा किरपण होलो ।
मंगदारों देखीक जो द्वारू लगौंदो ।
जगदेव मन को टुलो19 होलो , दिल को खुलो ,
दानियों मा दानी होलो जगदेव पंवार ।
कैड़ी कंकाली गै पैले जयदेव का पास ,
द्वार पर जैक वींन अलख रमाई ,
हे पहरदारू भीतर जैक बोला राजा मू इनो ,
द्वार पर एक भिखारीन आई छ ।
तब राजा जयदेव इनो कदो बूध20 ,
सभी मुसद्यों21 तैं अफू22 जना23 जामा24 पैरोंद ,
कंकाली तब वै पछाणी नी पौन्दी
तब बोलदू वोहे कैडी कंकाली ,
हमारू राजा शिकार जायूं छ ।
तब हैंसदी हैंसदी कंकाली लौटीक ओन्दी :
जनू सीखी छ तनी तुमूक होयान ।
तब सूणीयाले या बात जगदेवन ,
शरील उठौगे , लाज न बैठीगे ।
न्यूते तब वैन वा कैडी कंकाली ,
मैं मुख को मांग्यू त्वै दान द्यौंलो ।
इनो दानी छयो जगदेव पँवार
दणक वेको हात नी छौ टिटगदो ,
कया देऊं , कया देऊँ मन करदू छऊ ।
तब एक एक करी वैन पूछौन अपणी राणी ,
बोला , वीं भिखारीणो कया देण , कया देण ?
कैना रुप्या बोले , कैन बोले पैसा ,
कैन हाथी बोल्या , कैन बोल्या घोड़ा ।
वैकी छैः राण्योंन छैः जवाब दिन्या ,
सातीं राणी छई चौहान्या25 राणी ,
राजा की छोड़ी छै वा पुंगड़ी26 जनी गोड़ीं ,
पर वैन वा भी पूछी लीने ।
तब बोल्दी वैकी वा चौहान्या राणी
तुम मेरा सिर का छतर छयाई ,
तुम वोलदाई त स्वामी त मैं
अपणू सिर देणक भी त्यार छऊं ।
तब राजान एक एक करीक
सबी राण्यों तई सिर देणक पूछे ।
तब बोलदी राणी : हे राजा , तुमू क्या होये ।
जिन्दगी से प्यारी कभी भिखारिण क्या होली ?
चौहान्या राणीन तबी मर्दाना बस्तर पैरीन ,
वीरु को भेष बणाये , सिरंगार सजाए ,
हौर27 राण्यों न समझे खेल तमाशा छ जाणी ,
देखदीं कती सजीं ल जनी बुरांससी डाली ।
मैं पराणू भीख दी सकदूँ राजा ।
देखी जगदेव न चौहान्या राणी ,
आंख्यों से आंसू छुटीन , जिकुड़ी से सांस ,
तू धन्य छै चौहानी , तिन मेरो नाक रखे ।
तब पंवार का भुजा बलकण लै गेंन ,
तब छेत्री हंकार चढ़ीगे मरद ।
औ तू कैडी कंकाली , तू पतरा लीक
तब पंवारन सोनामुठी28 तेग29 गाडे30
देखण देखण मा ही तलवार
वैकी धौणी31 से पार होई गए
कैडी कंकाली न सिर धरे कमण्डल पर
धारा नगरीन स्वर्ग चली गए ।
बख वैठ्यां छया पंचनाम देवता ,
सभा का मुकुट तिरलोकी नारैण छया ।
तब बोलदी कंकालील्य , नारैण ।
यो छ जगदेव को सिर ।
दुनिया को तोल लायूं मैं पृथी को भाऊ ।
तब परसन्न होया तिरलोकी नारैण ,
जगदेव होलू प्राणू को निरमोही ।
तब पंचनाम देवता धारानगरी ऐन ,
सिर पर धड़ लगाए तब देवतौन ।
तब कैडी कंकाली चौहान्या राणी मू बोदी :
यो छ सिर जगदेव को , जीता32 होई जालो ।
तब चौहानी राणी ना करदी वीं कू
दिन्यू दान नी लियेन्दू ,
थुक्यूं जूक नी चाटेन्दू ।
तब देवतौंन वीं धड़ पर ही हैकू33 सिर उपजाए ।
सेतापिंगला चौंल मारीन ,
जीतों होई गए जगदेव पंवार ।
देवतौंन तब वे गढ़वाल को राज दिने ।
वचन चले दिल राई , जैसिंह सभाई ,
वचन रहा जगदेव पंवार का जिसने
सिर काट कंकाली को दिया ।
गढ़वाल देश को राज लिया । | garhwali-gbm |
म्हारा हरिया ए जुँवारा राज
म्हारा हरिया ए जुँवारा राज कि लाँबातीखा सरस बढ्या ,
म्हारा हरिया ए जुँवारा राज कि गँऊ लाल सरस बढ्या ,
गोरईसरदासजी का बाया ए क बहु गोरल सीँच लिया ,
गोर कानीरामजी का बाया ए क बहु लाडल सीँच लिया ,
भाभी सीँच न जाणोँ ए क जो पीला पड गया ,
बाइजी दो घड सीँच्या ए क लाँबातीखा सरस बढ्या ,
म्हारो सरस पटोलो ए क बाई रोवाँ पैर लियो ,
गज मोतीडा रो हारो ए क बाई रोवाँ पैर लियो ,
म्हारो दाँता बण्या चुडलो ए क बाई रोवाँ पैर लियो ,
म्हारो डब्बा भरियो गैणोँ ए क बाई रोवाँ पैर लियो ,
म्हारी बारँग चूँदड ए क बाई रोवाँ ओढ लेई ,
म्हारो दूध भरयो कटोरो ए क बाई रोवाँ पी लियो ,
बीरा थे अजरावण हो क होज्यो बूढा डोकरा ,
भाभी सैजाँ मेँ पोढो ए क पीली पाट्याँ राज करे । | nimadi-noe |
हरियर पट केरा जाजिम झारी बिछावहु हे
हरियर पट1 केरा2 जाजिम झारी बिछावहु हे ।
आयल कुलपरिवार , हरदी चढ़ावहु हे ॥ 1 ॥
हरदी चढ़ावथी3 दुलरइता दादा , सँघे4 दुलरइतो दादी हे ।
ताहि पाछे5 कुल परिवार , से हरदी चढ़ावथी हे ॥ 2 ॥ | magahi-mag |
इयानी सिरभाव जेमा डो सागे
इयानी सिरभाव जेमा डो सागे
इयानी सिरभाव जेमा डो सागे
इयानी सिरभाव कोन किमीन सागे
इयानी सिरभाव कोन किमीन सागे
इयानी सिरभाव कोनजई जामाय सागे
इयानी सिरभाव कोनजई जामाय सागे
इयानी सिरभाव घाडा डेघा सागे
इयानी सिरभाव घाडा डेघा सागे
घाडा डेघा भागायन डो जेमा डो सागे
घाडा डेघा भागायन डो जेमा डो सागे
इयानी सिरभाव घाडा डोंगरीन सागे
इयानी सिरभाव घाडा डोंगरीन सागे
घाडा डोंगरान भागायन डो जेमा डो सागे
घाडा डोंगरान भागायन डो जेमा डो सागे
इयानी सिरभाव भसोड़ कू डुबली सागे
इयानी सिरभाव भसोड़ कू डुबली सागे
भसोड़ कू डुबली भागायन डो जेमा डो सागे
भसोड़ कू डुबली भागायन डो जेमा डो सागे
इयानी सिरभाव नाड़ा टिकी सागे
इयानी सिरभाव नाड़ा टिकी सागे
नाड़ा टिकी भागायेन डो जेमा डो सागे
नाड़ा टिकी भागायेन डो जेमा डो सागे
इयानी सिरभाव केकड़ा कू डोडान सागे
इयानी सिरभाव केकड़ा कू डोडान सागे
इयानी सिरभाव जेमा डो सागे
इयानी सिरभाव जेमा डो सागे
स्रोत व्यक्ति गुलाबी बाई और लक्ष्मण पर्ते , ग्राम मुरलीखेड़ा | korku-kfq |
87
अधी डुल पई अधी खोह लई चून1 मेल के परे विच लयांवदा ए
कहया मन्नदे नहीं सउ मूल मेरा चूरी पलयों खोल विखांवदाए
नहीं चूचके नूं कोई मत देंदा पढी मार के नहीं समझांवदा ए
चाक नाल इकलड़ी जाय बेले अज कल कोई लीक लांवदा ए
जिस वेलड़े महिर ने चाक रखया ओस वेलड़े नूं पछोतांवदा ए | panjabi-pan |
हे मेरी सांझी तेरी चम्पा फूली
हे मेरी सांझी
तेरी चम्पा फुली आंगी कुरबान सांझी
हो मेरा सुसरा
तेरी डाढी लिकड़ा कचरा कुरबान सांझी
हे मेरी सासू
तेरे गिण गिण तोडूं पांसू कुरबान सांझी
हे मेरी नणदी
तेरी तोड़ घड़ा लूं अणदी कुरबान सांझी
सांझी चाली सांझ नै
गैल बसंता पूत
और सब चीज सिर पर धरी
बगल में मारा सूत | haryanvi-bgc |
492
भाबी अखियां दा रंग रतवना तैनूं हुसन चड़या अनआंवदा नी
अज धिआन तेरा असमान उते तैनूं आदमी नजर ना आंवदा नी
तेरे सुरमे दियां धाड़ियां धूड़ पइयां जिवे कटक है माल तें आंवदा नी
राजपूत मैदान विच लढ़न तेगां अगे ढाडीयां दा पुत्तर गांवदा नी
रूख होर दा होर अज दिसे तेरा चाला नवां कोई नवां आंवदा नी | panjabi-pan |
208
कुरब्ब1 विच दरगाह दे तिनां नूं जे जेहड़े हक देनाल नकाहीअन गे
जेहड़े छड के हुकम बे हुकम होए विच हाविए दोजखां डाहीअन गे
मां बाप दे हुकम विच चलन नाल शौक दे ओह विआहीअन गे
जेहड़े नाल तकबरी2 करन आकड़ बांग बकरे ईद दे ढाहीअन गे
तन पाल के जिनां खुदरूई3 कीती अगे अग्ग दे आकबत4 डाहीअन गे
वारस शाह मियां जेहडे बहुतस्याने काग वांग उह पलक विच फाहीअन गे | panjabi-pan |
मालू राजुला
रंगीली वैराट1 मा , रन्दो छयो रंगीलो दोलाशा2
छौ राजा दोलाशाही , रंगीली को राजा
रंगीली दोलाशाही , ह्वैगे असी को विरबै3
बुडयांदी4 बगत लगी , तीजा जसी5 जोन6 ।
दोलाशाही राजा की , राणी पंवारी बतैं छै
वीं रांणी को विधाता गर्भ रई गए
एको दूजो मास लैगे , तीजो चौथो मास ,
पाँचों सातों मास लैगे , आठों नवों मास ,
दसाँ मास राणी , वैदन7 लगी गए
बुड्याँदी बगत हे राजा , कनो गरण8 लैगे ।
विधाता की लेख9 छई , राजा को बेटा ह्वैगे
गया का बरमा10 बुलौंद राजा , काशी का पण्डित ,
देखा मेरा बरमा , ये को राशभाग
तब बरमा , पातुड़ी देखदा ;
राजा इनोजरम , यो भौंपति भौंपाल
रंगीली को राजा जरमे , मालूशाही नाम होलो येको
हे राजा , गया को बरमौन कुछ अलप11 बतैले ,
हे राजा , मालशाही को पंचुला ब्यौ करण
नितर12 तुम पर पाप लगण
सौक्यानी देश मा , सौक्यानी सोनूशाही ,
सोनूशाही की नौनी , नौरंगी राजुला
तब गैन गया का बरमा13 , सौक्यानी देश मा ,
सौक्यानी देस मा , माँगल छा गायेणा
राजा सोनशाही की , जरमी14 , नौरंगी राजुला
आनन्द बड़ई बजदी , सौक्यानो कोट मा
तब बोलदा गया का बरमा
हे राजा सोनूशाही , तेरी नौनी जरमे ,
हमारा राजा दोलाशाही को , नौनो होलो मालूशाही ,
अपणी नौनी की तू , जबान15 दी दे ।
नौरंग राजुला होलो , दसरंग मालूशाही ।
तब सोनूशाहीन , राजुला की जबान
दीयाले वीं , रंगीली वैराट ।
पंचुला की नौनी छै , पंजुला को नौनो ,
जौ जबान ह्वैगे , माँग जाग ।
मँगल पिठाई लगे , ढोल दमौं जज्या ।
पर राजुला को छौ , बल नाड़ी वेद16 ,
ससुरा तैं तब वो पिड़ाये
राजा दोलाशाही , स्वर्गवास ह्वैगे ।
मन्त्री तन्त्रियोंन , इनो मन्त्र करे
ई निरभागी ब्वारी17 का मांगण से
ससुरा मरी गए ।
या ब्वारी हमून , कतई18 नी ल्यौण ।
मालूशाही छोटू छ , तै मा नी सुपौणा
कि राजुला की करीं छै जुवान ।
हे जी , बरसू19 बीती गैन20 तब ,
पंचुला की नौनी , राजुला अक रंगीली ,
सुघर21 तरुणी ह्वैगे ।
बुराँस22 कोसी फूल , फूली गए राजुला ।
रूप् की छलार23 आँख्यों मा वीं का ,
जवानी भरेणी , पाणी कोसी ताल ।
राजुला होली , राजों की बेटी ,
देवी कोसी रूप होलो ,
सूरज कोसी झल्यारो24 ।
होई गए राजुला , ब्यौवोणा का लैख25 ,
पर हे जी रंगीली का राज की
औणी26 नी छ जाणी27 ।
पंचुला की नौनी माँगी छई ,
तब बिटी28 करे , नी कैन29 खबर सार ।
राजुला माँगण तब , औंदा दुरुदुरुन राजा ,
राजुला होली भली बाँद30 , व्यवैक ल्यौण ।
राजा सोनूशाही पर , भौत खरी31 ऐगे ,
धरम को बाँध्यूं छौ , शरम की मान्यूँ ।
रंगीली राजान हमारो , कनो नाक कटाये ,
ई बेटीन कनी दशा कराये ।
बड़ाबड़ा राजा ऐन , टालदो रैन ऊंतैं32 ।
पर जलन्धर देश मा , रन्द छा विधनी विजैपाल ,
राजुला की चारजोइ , सूणी तब तौन ,
घूमदाघूमदा आई गैन , सौकानी देशमा ,
सेवा मानी , सेवा मानी , राजा सोनूशाही ,
राजुला को डोला हमन , जलन्धर देश पौंछोण ।
देन्दी छै ससुरा त , कट दे जुबान ।
नितर33 तेरो सौकानी राजा , बाँजा34 डाली द्योला ।
अपणा नौ35 का , विघनी छौं हम , विजैपाल छाँ ।
डर का मारा सोनू शाहीन , ना किलै36 बोलणू छौ ?
राजुला की जुवान , वैन ऊं दियाले ।
आठवाँ ऐत्वार37 , औली हमारी बरात ,
तब विघ्नी विजेपाल , अपणा जलन्धर गैन ।
रूवसी राजुला छई , आम जसी फाँक ,
कनी तकदीर फूटे , गई जलन्धर देस ?
तब बोदी वा राजुला , चल चाची छमुना ,
सारा जाँद अपणो देस देखाइयाल ,
वण देखाइयाल वासो ।
उच्च पर्वत बिटी38 , सारी दुनिया देखदी
हे चाची , शैरू 39 मा , के कु शैर पियारो ?
राजों मा कु राजा पियारो ?
मेरी तकदीर फूटे , गये जलन्धर देस ।
तेरी तकदीर फूटे , बेटी गई जलन्धर देस ,
ओ रंगीली बैराट मा , तेरी जुबान दियेणी छै
रंगीली को राजा छयो , नौरंग मालूशाही ,
नौरंगू मालूशाही , दसरँगी राजुला ।
ओ कख छ रंगीलो बैराट हे चाची ।
ऊँचा पंवाली काँठा40 देख तै राजुला ।
अच्छुत मैं जांदूं छमुना चाची , वै रंगीलीकोट मा ,
हात धरे टालखी41 राजुला न ,
वैराट42 पैटी गए राणी ।
हाँ , सु कनो सोनशाही को , छयी इस्टदेव भैरव ,
भैरव का कानू मा , खबर पौंछी गए ।
विधनी विजैपाल , सोनगढ़ तोड़ी जाला
वो राजुला की , कनी43 मति44 हरे ।
डेढ़ हात भैरों , जान्द राजुला की ढूँड ,
वैराट को राजा , स्यो रंगीली मालूशाही ,
मालू शाही का होला , रौल्या45 ओल्या46 घट ।
तौं घटू मू पौंछीगे , तब रंगाली राजुला ,
हे जी भैरव न , तब टाड47 कैले बाड
घर त त्वई राजुला , औणू होल
में सोनूशाही को , डेड हात भैरव
तेरो मड़ो48 मरयान , कुलदेव भैरव ,
किलै49 रस्ता रोकदी , मैं जाण दे
छट छोड़े भैरव न , रस्ता राजुला भागी ,
रूबसी राजुला पौंछीगे , रंगीला बैराट
राजुला से भी पैले , पौंछीगे भैरव ,
मालूशाही क तैं , निन्दरा50 जाप51 ह्वेगे ,
बार बरस की वे निन्दरा पड़ोगे
दस रंग राजुली को , हिया भरी औन्द ,
हे मेरा भैरव , कनो करे त्वैन मैकू ?
तेरी जोई52 भैरव , जू राँड होयान ।
लपटौन्दी53 झपटौदी54 मालूशाही नी बीज55 ,
रूबसी राजुला , तब कागली लेखदो
मैं पंचुला की कन्या मालूशाही ,
माँगणी56 कबूल कै छई ।
विधनी विजैपाल लिजाणा छन मंई57 ,
त्वे बियाणी58 मंई त ,
ऐ जाणू जलन्धर देस मा ।
हीरा की गुण्ठी चढ़ाये वैका हात ,
रोन्दीबराँदी राजुला , सौकानी देस मा ऐ गए ।
तब डेढ़ हात भैरवन मालूशाही को
जाप59 खोली याले ।
हीरा की गुण्ठी60 देखे , वैन अपणा हात ,
तब राजा को , हिया भरी औंद ,
राजुला मेरी राणी , होली मेरो पराणी ।
हे राम , वा कतना , दुख सैणी होली ,
आँसू छोड़दी होली , पथेणा61 नेतर ।
हे राजा , तब धरे , जोगी को रूप ,
कनो छोड़े रंगीलो वैराट ,
माता जी छोड़ दी , वैका पथेणा नेतर ,
कख गई होली , मालूशाही मेरो लाडो62 ।
तब सूणदी माता , रंगीली बैराट को राजा
गै63 गुरू गोरख की थली64
गुरू जी गोरख तब , वै सणी देन्दा विद्या ।
बोदा तब गुरू गोरखनाथ
जा मेरा चेला , तू मां कर घर ,
भोजन करी अऊ ।
तब औन्द मालूशाही रंगीली वैराट
माता को शरीर तब भरी ओन्द
कनो65 दिखेन्दी66 मेरा मालूशाही की चार67 ।
मेरो मालूशाही भी इनी ही छौ ।
हे माता , एक सरूप् का कना कना होण्दान ,
हे माता , तू मैं आशिर्वाद दे
आज भोरजन तेरा घर मा होलू ।
पकौंदी भोजन तब बुडढ़ी माता ,
हे जी माता को शरीर धीरज धरद
मेरो मालूशाही छयो पंचगास्या ज्वान ।
यो पंचग्रासी हालो त मेरो मालू ही छ ।
तब बुलाये वींन जोगी भोरजन जिमौणा
एक गास धरे जोगीन गाई का नौऊ68 , | garhwali-gbm |
202
रले दिलां नूं पकड़ विछोड़ देंदे बुरी बान है तिनांह हतिआरयां नूं
नित शहर दे फिकर गलतान1 रहिंदे एहो शामत है रब्ब दयां मारयां नूं
खावन वढियां नित ईमान वेचन एह मार है काज़ियां सारयां नूं
रब्ब दोजखां नूं भरे पा बालन केहा दोश है असां विचारयां नूं
वारस शाह मियां बनी बहुत औखी नाहीं जानदे सां इनहां कारयां नूं | panjabi-pan |
देखो खेते किसनवा जाय रहे
देखो खेते किसनवा जाय रहें ,
वे तो मस्ती में हैं कछु गाय रहें ,
गर्मी की तपती दोपहरिया ,
उनखों तनकऊ नाहिं खबरिया ,
सिर पे धरके चले गठरिया ,
वे तो तन मन की सुध बुध भुलाय रहे ।
मेहनत खेतन में वे करते ,
मेहनत से तनकऊ नहिं डरते , माटी में अन्न उगाते ,
देखो खेतन में हल खो चलाय रहे ।
कभऊंकभऊं ओला पड़ जाते ,
बादल पानी उन्हें डराते ,
पर वे तनकऊ न घबराते ,
देखो भगवान खों वे तो मनाय रहे ।
गाय बैल की करें रखवारी ,
बाद में करते हैं वे ब्यारी , गांवन की शोभा है न्यारी ,
धरती खों स्वर्ग बनाय रहे ।
कोऊ न बैठे घर में खाली ,
लड़का बिटिया और घरवाली ,
जीवन की है नीति निराली
अरे सब खों वे सीख सिखाय रहे । | bundeli-bns |
कोई मांगी कढ़ाई ना देय मेरा दिल हलुवै नै
कोई मांगी कढ़ाई ना देय मेरा दिल हलुवै नै ।
जैसे तैसे मैंने लई कढ़ाई सासू जी आटा ना देय
मेरा दिल हलुवै नै ।
जैसे तैसे मैंने आटा लीया जिठाणी मीठा ना देय
मेरा दिल हलुवै नै ।
जैसे तैसे मैंने मीठा लीया द्योराणी घी ना देय
मेरा दिल हलुवै नै ।
जैसे तैसे मैंने घी भी लीया नणदल चूल्हा ना देय
मेरा दिल हलुवै नै ।
जैसे तैसे मैंने हलुवा बनाया होलरिया खाण ना देय
मेरा दिल हलुवै नै । | haryanvi-bgc |
हरियो रूमाळ
चाहे बिक जाये हरियो रूमाळ
बैठूंगी मोटर कार में
चाहे सास बिको चाहे ससुर बिको
चाहे बिक जाये नणद छिनार
बैठूंगी मोटर कार में
चाहे देवर बिको चाहे देराणी बिको
चाहे बिक जाये सारा रूमाळ
बैठूंगी मोटर कार में
चाहे जेठ बिको चाहे जेठाणी बिको
चाहे बिक जाये हरियो रूमाळ
बैठूंगी मोटर कार में
चाहे बलम बिको चाहे सौंक बिको
चाहे बिक जाये सांस को लाल
बैठूंगी मोटर कार में | rajasthani-raj |
भजन
टेक मयली गोदड़ी साधु धोई लेणा ।
उजळी कर लेणा , मयली गोदड़ी साधु धोई लेणा ।
गोदड़ी बणी रे गुरु ज्ञान की , हीरा लाल लगाया ,
मयली गोदड़ी साधु धोई लेणा ।
काय की बणि रे साधु गोदड़ी , कायन केरा धागा
कायन केरा धागा ,
कोण पुरुष दरजी भया , कोण सिवण हारा ,
मयली गोदड़ी साधु धोई लेणा , उजळी कर लेणा
मयली गोदड़ी . . .
चौक2 जल की बणी रे साधु गोदड़ी , पवन केरा धागा ,
हो पवन केरा धागा , आप पुरुष दरजी भया ,
हंसा सीवण हारा ,
मयली गोदड़ी साधु धोई लेणा , उजळी कर लेणा
मयली गोदड़ी . . .
चौक3 काहाँ से पवन पथारिया , कांसे आया जल पाणी ,
अरे कांसे आया पाणी , कांसे आई सोवागणी ,
कब से धरती रचाणी ,
मयली गोदड़ी साधू धोई लेणा ।
चौक4 आगम से पवन पधारिया , पीछे आया जलपाणी ,
आरे पीछे आया पाणी , इन्द्र से आई सोवागणी ,
तब से धरती रचाणी ,
मयली गोदड़ी साधु धोई लेणा , उजळी कर लेणा
मयली गोदड़ी . . .
चौक5 धवळो छोड़ो रे खुर वाटळो मोत्या जड़ि रे लगाम
अरे मोत्या जड़ि रे लगाम , चाँद सूरज बेड़ पेगड़ा ,
उड़ि न हुयो रे असवार ,
मयली गोदड़ी साधु धोई लेणा , उजळी कर लेणा
मयली गोदड़ी . . .
छाप अकास से धारा उतरिया , धारा गई रे पयाळ ,
अरे धारा गई रे पयाळ , कईये कबीर सुणो साधू
अरे हंसो गयो सत लोग ,
मयली गोदड़ी साधु धोई लेणा , उजळी कर लेणा
मयली गोदड़ी साधु धोई लेणा ।
हे साधु पुरुष यह काया मैली हो गई हो तो इसे धोकर स्वच्छ कर ले अर्थात्
भक्ति करकेक उज्ज्वल कर ले । हे साधु पुरुष गुरु ज्ञान की गोदड़ी बिछावन
बनी है , इसमें हीरे और लाल लगे हैं । यह काया वैसे ही प्राप्त नहीं हुई है । चौरासी
लाख योनियों के बाद यह मानव काया प्राप्त हुई है । इस काया को भक्ति के
द्वारा उज्ज्वल कर ले ।
यह काया जल से बनी है और पवन के धागे से सी गई है । गोदड़ी सीने को भगवान
दर्जी बने । हरे हंसा जीव भगवान इसके बनाने वाले हैं ।
पवन कहाँ से आया और जल कहाँ से आया ? कहाँ से सुहागन आई और यह काया
धरती कब से बनी ?
आगम से पवन का आगमन हुआ और उसके बाद जल आया । और इन्द्र के यहाँ
से सुहागन आई तब ये धरती बनी और जीव की उत्पत्ति हुई ।
सफेद घोड़ा उसका खुर कटोरेनुमा , उसकी लगाम मोतियों से जड़ी है । चन्द्रमा
और सूर्य दोनों पेगड़े और उछलकर उस पर सवारी की । अरे जीव हंसा इस
काया को भक्ति से उज्ज्वल कर ले , ताकि तुझे नरक का मुँह न देखना पड़े । | bhili-bhb |
सेन्दुर सम्भाल के उथईहा ए सुन्दर बर
सेन्दुर सम्भाल के उथ ईहा ए सुन्दर बर
सेन्दुर सम्भाल के उथईहा ए सुन्दर बर ।
माता पिता कन्यादान तोह्के कैले हो
आंखी के पुतरी बनैहा ए सुन्दर बर ।
मात पिता अपनी प्यारी बिटिउआ के
आंखी के पुतरी बनैहा ए सुन्दर बर । | bhojpuri-bho |
बाजरे की रोटी पोई रै हलिड़ा
बाजरे की रोटी पोई रै हलिड़ा
बथुए का रांधा रै साग
आठ बलधां का रै हलिड़ा नीरणा
बार हलिड़ा की छाक
बरसन लागी रै हलिड़ा बादली | haryanvi-bgc |
46
सैईं वंझीं चनाब दा अंत नाहीं डुब मरेंगा ठिल्ल ना सजना ओ
चाहड़ मोढयां ते तैनूं पार लाइए कोई जान तूं ढिल ना सजना ओ
साडी अकल शहूर1 तूं खस लीती रिहा कख दा वॅल ना सजना ओ
वारस शाह मियां तेरे चौखने2 हां साडा कालजा सॅल ना सजना ओ | panjabi-pan |
दादा लखिया की बदशाही
दादा लखिया1 की बदशाही , सहानी2 लाड़ो3 के मेहँदी रचाई ॥ 1 ॥
नाना लखिया की बदशाही सहानी लाड़ो के हाथ मेहँदी लगाई ॥ 2 ॥
बाबा लखिया की बदशाही सहानी लाड़ो के हाथ मेहँदी रचाई ॥ 3 ॥
चाचा लखिया की बदशाही सहानी लाड़ो के हाथ मेहँदी रचाई ।
भइया लखिया की बदशाही सहानी लाड़ो के हाथ मेहँदी रचाई ॥ 4 ॥ | magahi-mag |
सदा थिर रहियो जी अविचल रहियो
सदा थिर रहियो जी अविचल रहियो जी लाडो तेरी जोड़िया ?
बाबा बोई हैं बाबल बोई हैं सुहागों की क्यारियां
चाचा बोई हैं भय्या बोई हैं सुहागों की क्यारियां
मामा बोई हैं जीजा बोई हैं सुहागों की क्यारियां
दादी सींचे री अम्मा सींचे री लोटा भर झारियां
चाची सींचे री भाभी सींचे री लोटा भर झारियां
मामी सींचे री जीजी सींचे री लोटा भर झारियां
अविचल रहियो जी सदा थिर रहियो जी लाडो तेरी जोड़ियां
लाडो हे तेरे गोझे में गुड़धाणी , तुम बोलो इमरत बाणी , हे राजा की । | haryanvi-bgc |
पत रखियो सब जन की मोरी मैया पत...
पत रखियो सब जन की मोरी मैया । पत . . .
मैया के मड़पे चम्पा धनेरो ।
महक भरी फुलवन की ।
मोरी मैया . . .
मैया के मड़ पे गौयें धनेरी
बाढ़ भई बछड़न की ।
मोरी मैया . . .
मैया के मड़ में भक्त बहुत हैं
भीड़ भई लड़कन की ।
मोरी मैया . . .
मैया के मड़ में जज्ञ रचो है
हवन होय गुड़ घी को ।
मोरी मैया . . . | bundeli-bns |
मृत्यु गीत
पावो फाटियो ने सुरिमल उगिया रे भँवरा ।
पावो फाटियो ने सुरिमल उगिया रे भँवरा ॥
जीविता क तो नि दी रोटी रे भँवरा ।
जीविता क तो नि दी रोटी रे भँवरा ॥
मरिया पाछे बेटो लाड़ु उड़ाया रे भँवरा ।
मरिया पाछे बेटो लाड़ु उड़ाया रे भँवरा ॥
जीविता क तो बेटो कपड़ा नि पेराया रे भँवरा ।
जीविता क तो बेटो कपड़ा नि पेराया रे भँवरा ।
मर्या पाछे बेटो मसरू ओढ़ाया रे भँवरा ।
मर्या पाछे बेटो मसरू ओढ़ाया रे भँवरा ॥
जिवता क तो बहु हिचके नि हिचाड्यो रे भँवरा ।
जिवता क तो बहु हिचके नि हिचाड्यो रे भँवरा ।
मर्या पाछे बहु हिचके हिचाड़े रे भँवरा ।
मर्या पाछे बहु हिचके हिचाड़े रे भँवरा ॥
जिवता क तो बेटो कुद्यां नि उँघळायो रे भँवरा ।
जिवता क तो बेटो कुद्यां नि उँघळायो रे भँवरा ॥
मर्या पाछे बेटो खुब ऊँघळावे रे भँवरा ।
मर्या पाछे बेटो खुब ऊँघळावे रे भँवरा ॥
महिलाएँ जनसामान्य का शिक्षा देती हैं हे जीव प्रभात और सूर्योदय होता है ।
जीवित रहते मातापिता को पुत्र ठीक से भोजन नहीं देता है और नुक्ते में लड्डू
जिमाता है । जीवित रहते हुए पुत्र मातापिता को ठीक से वस्त्र लाकर नहीं पहनाता
है और मरने के बाद मसरू ओढ़ाता है । जब तक सासससुर जीवित रहें , तब तक
बहू ने झूले पर नहीं झुलाया और मरने के बाद खूब झुलाती है । इस क्षेत्र के आदिवासियों
में मरने के बाद झूले पर झुलाया जाता है । कुटुम्ब के लोगों के अलावा दूसरे मातम के
लिए आने वाले भी मृत शरीर को झूला देकर झुलाते हैं ।
जीवित रहते हुए मातापिता को नहलाया नहीं और मरने के बाद खूब नहलाते हैं । गीत में यह बताया गया है कि मातापिता की सेवा पुत्र और पुत्रवधू को ठीक से करना
चाहिए । मरने के बाद के कार्य तो चली आ रही परम्परा है । | bhili-bhb |
धीरे चलो मै हारी लक्ष्मण
धीरे चलो मैं हारी लक्ष्मण
धीरे चलो मैं हारी । ।
एक तो नारी दूजे सुकुमारी ,
तीजे मजल की मारी ,
संकरी गलियां कांटे कटीले ,
फारत हैं तन की सारी । लक्ष्मण . . .
गैल चलत मोह प्यास लगत है ,
दूजे पवन प्रचारी । लक्ष्मण धीरे चलो . . . | bundeli-bns |
50
लोकां आखिया मियां तूं कौण हुंना ? आणि किस ने अन्न खवालिया ई
तेरी सूरत तां बहुत मलूक दिसे ऐडा जफर1 तूं कास नूं जालिया ई
अंग साक तूं छड के नस आयों बुढी माऊं ते बाप नूं गालिया ई
ओहले अखियां दे तैनूं किवें कीता किन्नां दूतियां दा कौल पालिया ई | panjabi-pan |
बन्ना ए कित बाजा रे बाजिया
बन्ना ए कित बाजा रे बाजिया ,
बन्ना ए कित घरा रे निसान छोटा छेल उतर्या बाग मैं ।
तेरी बंदड़ी रे कह्वै रै बन्ना ,
तूंए सबेरी सबेरी आय छोटा छेल उतर्या बाग मैं ।
बंदड़ी गहणा घड़ावण मैं गया ,
सुनरे ने ला दई बार रे छोटा छेल उतर्या बाग मैं ।
बंदड़ा गहणा घड़ावै तेरा दादा जी तेरा ताऊ जी ,
तूं तड़कै ए तड़कै आय छोटा छेल उतर्या बाग मैं ।
बन्नी कपड़ा बिसावण मैं गया ,
बणिया नै ला दई बार छोटा छेल उतर्या बाग मैं ।
बन्दड़ा कपड़ा बिसावै तेरा बाबल जी तेरा काका जी ,
तूं सबेरी ए सबेरी आय छोटा छेल उतर्या बाग मैं ।
बंदड़ी मैंहदी बिसावण मैं गया ,
पंसारी नै ला दई वार छोटा छेल उतर्या बाग मैं ।
बंदड़ा मैंहदी बिसावै तेरा बीर जी तेरा मामा जी ,
तूं रै सबेरी ए सबेरी आय छोटा छेल उतर्या बाग मैं ।
बन्ना ए कित बाजा रे बाजिया ,
बन्ना ए कित धरा रे निसान छोटा छेल उतर्या बाग मैं । | haryanvi-bgc |
चललन कवन साही बजना बजाइ हे
चललन कवन साही1 बजना2 बजाइ हे ।
दहकि3 चिरइया सब उठलन चेहाइ4 हे ॥ 1 ॥
का तुहूँ चिरइया सब उठलऽ चेहाइ हे ।
हमरा कवन पुता बियाहल5 जाइ हे ॥ 2 ॥
बइठलन कवन साही जाजिम डसाइ6 हे ।
जँघिया कवन पुता कचरल7 पान हे ॥ 3 ॥
बइठलन कवन भँडुआ खरइ8 डसाइ हे ।
जँघिया9 दुलारी बेटी लट छटकाइ10 हे ॥ 4 ॥
फेंकलन कवन दुलहा बिरवा11 पचास हे ।
बिड़बो न लेवे सुगइ12 मुखहूँ न बोले हे ॥ 5 ॥
केकरा दिमागे13 हे सुगइ , बिरवो न लेवे हे ।
केकरा दिमागे हे सुगइ , मुखहूँ न बोले हे ॥ 6 ॥
बाबा के दिमागे जी परभु , बिरवो न लेवीं14 हे ।
भइया के दिमागे जी परभु , मुखहूँ न बोली हे ॥ 7 ॥
ऊँचे चउरा15 नीचे चउरा , कवन पुर नगरिया हे ।
हुएँ16 तोरा देखब हे सुगइ , बाबा के दिमाग हे ॥ 8 ॥
हुएँ तोरा देखब हे सुगई , भइया के गुमान हे ।
चलु चलु बरियतिया17 सब , अपनो दुआर हे ।
भरले मजलिसवे सुगइ , देलन जबाब हे ।
चलु चलु बरियतिया सब , अपनो दुआर हे ॥ 9 ॥
हमरा कवन बहिनी , छेंकलेसन्दर्भ त्रुटि : टैग के लिए समाप्ति टैग नहीं मिला गृह प्रवेश करते समय दरवाजे पर खड़ी होकर रोक लेती है और कुछ नेग या उपहार लेकर छोड़ती है दुआर हे ।
छोडू़ छोडू़ अगे बहिनी , हमरो दुआर हे ॥
अवइथथुन18 दुलारी भउजो , लीहऽ खोइँछा19 झार20 हे ॥ 10 ॥
भउजी के भइया बाप , निपटे गँवार हे ।
खोइँछा में देलन हो भइया , एहो दुभि धान21 हे ॥ 11 ॥
छोडू़ छोड़ू अगे बहिनी , हमरो दुआर हे ।
तोहरा के देबो में बहिनी , कंठा22 गढ़ाय हे ।
पाहुन23 के देबो गे बहिनी , चढ़ेला घोड़बा हे ॥ 12 ॥ | magahi-mag |
Subsets and Splits
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