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उतरहि राज से ऐली माँ हे कोसिका हे उतरहि राज से ऐली माँ हे कोसिका हे पश्चिम केने जाय कोसीमाय असीधार । हरदी रंगल साड़ी गे कोसी माय सिनुरा भोगारल अंचरा करै छी महामहि जुन छेडु जनु छेडु छोड़ा रे मलहवा , हमछी बिन पुरूषक नारि । ।
angika-anp
बिदाई 1 ये बेरा गाये जाने वाला गीत म कन्या ओकर दाई , ददा , भाई अउ सब्बो मयारूमन के पिरा भरे होथे । दाई ह दुख म इंहा तक की डारथे… बेटी के संचरत जान पाइतेंव अंडी के पान ला खा लेतेंव कोखिया ला पार लेतेंव बांझ बेटी ह घलो कतार हो जथे । वहू अनजान संग बने रिस्ता ले दुखी हे , जे ओला जीवन भरबर ओकर घर ले बिलग करके लेगत हे । ओकर ले बिछड़त दाई ददा भाई बहिनी के पिरा नई देखे जाय… रहेंव मैं दाई के कोरा ओ अंचरा मा मुंह ला लुकाय ओ ददा मोर कहिथे कुआं में धसि जइतेंव बबा कथे लेतेंव बैराग , ओ बेटी काहे बर ददा कुआं में धसि जाबे काहे बर बबा लेबे बैराग बालक सुअना पढ़न्ता मोर ददा मोला झटकिन लाबे लेवाय सब ला बेटी ले बिछुड़े के पिरा हे फेर दाई के पिरा सबले जादा होथे । आखिर वो का कर सकथे ? ओकर कोख म पले बेटी ल सदा बर घर म तो नई रखे जा सके । बेटी ह पराया धन होथे । तेकर सेती दाई ह बेटी ल समझाबुझा के आसिरवाद देथे… मंगनी करेंव बेटी , जंचनी करेंव ओ बर करेंव बेटी , बिहाव करेंव ओ जा जा बेटी , कमाबे खाबे ओ मार दिही बेटी , रिसाय जाबे ओ मना लिही बेटी , त मान जाबे ओ जांवर जोड़ी संगे , बुढ़ा जाबे ओ सुख दुख के रद्दा , नहक जाबे ओ 2 मैं परदेसिन आवं पर मुलुक के रद्दा भुलागेंव अउ परदेसिया के साथ दाई कइथे रोज आबे बेटी ददा कइथे आबे दिन चार भईया कइथे तीजा पोरा भउजी कइथे कोन काम मैं परदेसिन आवं पर मुलुक के रद्दा भुलागेंव अउ परदेसिया के साथ 3 अतेक दिन बेटी तैं घर मोर रहे वो आज बेटी भये रे बिरान झिनबर डोला बिलमइते कहार भईया मैं तो करी लेतेंव ददा संग भेंट झिनबर डोला बिलमइते कहार भईया मैं तो करी लेतेंव दाई संग भेंट अतेक दिन बहिनी तैं घर मोर रहे वो आज बहिनी भये रे बिरान झिनबर डोला बिलमइते कहार भईया मैं तो करी लेतेंव भाई संग भेंट झिनबर डोला बिलमइते कहार भईया मैं तो करी लेतेंव भउजी संग भेंट 4 दुलरी के अंगना में एक पेड़ पारस नोनी चिड़ियन करथे बसेर आवत चिरईया मोर रूमझुम लगथे नोनी जावत चिरईया सिमसान संगी जहुंरिया दुनो बइठे ल अइहव घर बेटी बिना रे अंधियार 5 नीक नीक लुगरा निमार ले वो आवो मोर दाई , बेटी पठोवत आंसू हारे वो नोनी के छूटगे महतारी वो आवो मोर दाई , बुता तो होगे तोर भारी वो चार दिन दाई तैंहर खीझेस वो आवो मोर दाई , मया गजब तैंह करस वो नोनी के घर आज छूटगे वो आवो मोर दाई , बाहिर म घर ल बनाही वो नोनी के जोर तुम जोरितेव वो आवो मोर दाई , रोवथे डण्ड पुकारे वो पहुंना तो नोनी अब बनगे वो आवो मोर दाई , बेटी के विदा तुम करिदेव वो 6 दाई के रेहेंव में रामदुलारी दाई तोरे रोवय महल वो अलिन गलिन दाई रोवय ददा रोवय मुसरधार वो बहिनी बिचारी लुकछिप रोवय भाई के करय दण्ड पुकार वो तुमन रइहव अपन महल मा दुख ला देइहव भूलाय वो अंसुवन तुम झन ढारिहव बहिनी सबे के दुखे बिसार वो दुनिया के ये हर रित हे नोनी दिये हे पुरखा चलाय वो दाई ददा के कोरा मा रेहेन अचरा मा मुह ला लुकाय वो अपन घर तुमन जावव बहिनी झन करव सोंच बिचार वो 7 घर के दुवारी ले दाई रोवथे आज नोनी होये बिराने ओ घर के दुवारी ले ददा मोर रोवथे रांध के देवइया बेटी जाथे अपन कुरिया के दुवारी ले भईया मोर रोवथे मन के बोधइया बहिनी जाथे भीतरी के दुवारी भउजी मोर रोवथे लिगरी लगइया नोनी जाथे दाई मोर रोवथे नदिया बहथे ददा रोवय छाती फाटथ हे हाय हाय मोर दाई भईया रोवय समझाथे भउजी नयन कठोरे वो 8 बर तरी खड़े हे बरतिया बर तरी खड़े हे बरतिया कि लीम तरी खड़े हे कहार बर तरी खड़े हे बरतिया बर तरी खड़े हे बरतिया कि लीम तरी खड़े हे कहार अइसन सैंया निरदइया अइसन सैंया निरदइया कि चलो चलो कहिथे बरात दाई मोर रोवत हे महल में दाई मोर रोवत हे महल में कि ददा मोर रोवय दरबार झिनबर डोला बिलमइतेंव झिनबर डोला बिलमइतेंव कि दाई संग करी लेतेंव भेंट बड़े बड़े डोलवा चंदन के बड़े बड़े डोलवा चंदन के कि छोटे छोटे लगे हे कहार अइसन सैंया निरदइया अइसन सैंया निरदइया कि चलो चलो कहिथे बरात लकठा में खेती झन करबे गा लकठा में खेती झन करबे कि दुरिहा में बेटी झन बिहाय लकठा के खेती गरवा खाथे गा लकठा के खेती गरवा खाथे कि दुरिहा के बेटी दुख पाय तैं परदेसनिन हो गे वो तैं परदेसनिन हो गे कि जा परदेसिया के साथ दाई कथे आबे रोज बेटी दाई कथे आबे रोज बेटी कि ददा कथे आबे दिन चार भाई कथे आबे तीजा पोरा में भाई कथे आबे तीजा पोरा में कि भउजी कथे आये के का काम अइसन सैंया निरदइया अइसन सैंया निरदइया कि चलो चलो कहिथे बरात कि चलो चलो कहिथे बरात कि चलो चलो कहिथे बरात
chhattisgarhi-hne
339 असां जादूड़े घोलके सभ पीते करां बाबरे जादूआं मालयां नूं राजे भोज1 जेहे कीते चा घोड़े नहीं जानदा साडयां चालयां नूं सिर कप रसालू2 नूं वखत पाया घर मकर3 होया सीता वासते भेद वखालयां नूं रावन लंक लुटायके गिरद4 होया सीता वासते भेद वखालयां नूं सके भाइयां नूं करन नफर5 राजे अते राज बहांवदे सालयां नूं यूसफ बंद6 विच पा जहीर7 कीता ससी बखत पाया ऊठां वालयां नूं रांझा चार के मही फकीर होया हीर मिली जे खेड़यां सालयां नूं रोडा8 वढ के डकरे नदी पाया तूं जलाली9 दे देख लै चालयां नूं फोगू उमर10 बादशाह खुआर होया मिली मारवन11 ढोल दे रालयां नूं वली वलम बउर12 ईमान दिता देख डोबया बंदगी वालयां नूं महींवाल ते सोहणी रहे ऐवें होर पुछ लै इशक दे चालयां नूं अठारां खूहनी कटक13 लड़ मोए पांडो डोबडाब के खूनियां गालयां नूं रन्नां सचयां नूं करन चा झूठे मकर नाल विछा निहालयां नूं वारस शाह तूं जोगिया कौन हुणे ओड़क भरेंगा साडयां हालयां नूं
panjabi-pan
लहेरियो इण लहेरिये रा नौ सौ रुपया रोकड़ा सा म्हाने ल्याईदो नी बादिला ढोला लहेरियो सा म्हाने ल्याईदो नी बाईसा रा बीरा लहेरियो सा म्हाने ल्याईदो ल्याईदो ल्याईदो ढोला लहेरियो सा म्हाने ल्याईदो नी बादिला ढोला लहेरियो सा म्हारा सुसराजी तो दिल्ली रा राजवी सा म्हारा सासूजी तो गढ़ रा मालक सा इण लहेरिये रा नौ सौ रुपया रोकड़ा सा म्हाने ल्याईदो ल्याईदो ल्याईदो ढोला लहेरियो सा म्हाने ल्याईदो नी बादिला ढोला लहेरियो सा म्हारा जेठजी तो घर रा पाटवी सा म्हारा जेठानी तो घर रा मालक सा इण लहेरिये रा नौ सौ रुपया रोकड़ा सा म्हाने ल्याईदो ल्याईदो ल्याईदो ढोला लहेरियो सा म्हाने ल्याईदो नी बादिला ढोला लहेरियो सा म्हारो देवरियो तो तारा बिचलो चंदो सा महरी द्योरानी तो आभा माय्ली बीजळी सा इण लहेरिये रा नौ सौ रुपया रोकड़ा सा म्हाने ल्याईदो ल्याईदो ल्याईदो ढोला लहेरियो सा म्हाने ल्याईदो नी बादिला ढोला लहेरियो सा म्हारा सायब्जी तो दिल रा राजवी सा म्हें तो सायब्जी रे मनडे री राणी सा इण लहेरिये रा नौ सौ रुपया रोकड़ा सा म्हाने ल्याईदो ल्याईदो ल्याईदो ढोला लहेरियो सा म्हाने ल्याईदो नी बादिला ढोला लहेरियो सा म्हाने ल्याईदो ल्याईदो ल्याईदो ढोला लहेरियो सा
rajasthani-raj
कैसो च भण्डारी तेरो मलेथ? ‘कैसो च भण्डारी तेरो मलेथ ? ’ ”कैसो च भण्डारी तेरो मलेथ ? देखी भलो ऐन सैवो तेरो मलेथ । “ ”ढलकदी1 कूल2 मेरा मलेथ गाँऊ मुड़े को धारो मेरा मलेथ पालिंगा3 को बाड़ी मेरा मलेथ छोलिंग बिजोरा4 मेरा मलेथ गांयियों को गुठधार5 मेरा मलेथ भैंस्यों का खरक6 मेरा मलेथ बैजूका बांदूका7 लड़का8 मेरा मलेथ वैखूका9 डसक10 मेरा मलेथ देखी भलो ऐन सैवो मेरा मलेथ । “
garhwali-gbm
टूरीनी हरीन झूडी डोर जनी टूरीनी हरीन झूडी डोर जनी सुबान डोर जनी रोसवा टूरीनी हरीन झूडी डोर जनी सुबान डोर जनी रोसवा चोजमा सन्टी डोरानी रोसावा चोजमा सन्टी डोरानी रोसावा कडैया सन्टी वाडो रजनी रोसवा कडैया सन्टी वाडो रजनी रोसवा स्रोत व्यक्ति शिवनारायण , ग्राम बंदी
korku-kfq
सो जा वा रे वीर तुम तो सो जाओ वा रे वीर सो जा वा रें वीर , तुम तो सो जाओ वा रे वीर । बीरन की बलैयां ले गईं जमुना के तीर । । वर पे डाले पालना , पीपल पे डारी डोर । जो लों कन्हैंया सोवन लागे ऊपर बोली मोर । सो लो मोरे लाड़ले , तुम जब लो होने भोर । आवतजावत झोंका देहों , कबहूं न टूटे डोर । माई गई है मायके , बीरन गये ससुराल । भैया गयें हैं चाकरी , भाभी ठांढ़ी द्वार । तातीताती खीर बनाईं , जामे डारो घी । दो कौर खा लो लाड़ले , ठण्डो पड़ जाये जी ।
bundeli-bns
लाडो सोई सोई उठि जांगियां लाडो सोई सोई उठि जांगियां अपने बाबा जी से वर मांगियां या तो बाबा मुझे चन्दा दे दो या तो फूल गुलाब का बाबा हमें चन्द्र सलोना दे दो बाबा हमें साजन के घर भेजो
haryanvi-bgc
लाग्या लाग्या, लाग्या नैण लाग्या लाग्या , लाग्या नैण कँईया लाग्या जी थाँहसू नैण जाग्याजाग्या दिन और रैण कँईया लाग्या जी थाँहसू नैण अजी किस विध लाग्या जी थांहसू नैण काहै लाग्या जी थांहसू नैण लाग्या लाग्या , लाग्या नैण अंतरा १ नित ड्योढी रा काग उडाऊं दिवलो आलियां सांझ जगाऊं ऊँची अटारी बैठ उडीकूं बाटाँ थान्हारी दिन और रैण लाग्या लाग्या , लाग्या नैण कंईया लाग्या जी थांहसू नैण अंतरा २ नैणा सूँ नित बरसै सावण रतन डसै रै बण बण नागण जग सारौ भयो बैरी म्हासूं कोई न लागे जी म्हणे सैण लाग्या लाग्या , लाग्या नैण कँईया लाग्या जी थांहसू नैण अंतरा ३ चाँद पूनम रो हँस हँस आँगन मारे कटारी हिन्व्ड़े साजन सखियाँ सहेलियाँ घिर घिर घेरे मोहे ण भावे जी सखियन बैन लाग्या लाग्या , लाग्या नैण कँईया लाग्या जी थांहसू नैण अंतरा ४ हुक हिया री कँइयाँ देगिया किस बिध लेगिया जी म्हारो चैन काजल म्हारो पलकां छोड़ी नींद म्हारी छोड़िया जी नैण लाग्या लाग्या , लाग्या नैण कँईया लाग्या जी थांहसू नैण अंतरा ५ मौरया रा आँसू दैख़त मेघा घिर आवे रै बैगा बैगा म्हारो जी ढोलो खुद निरमोही कोई बुलावे जी काँई कैण लाग्या लाग्या , लाग्या नैण कँईया लाग्या जी थांहसू नैण अंतरा ६ रतन हिंडोलो सूनो सूनो सूनी है जी फूलाँ री सेज कर सोलह सिंगार भँवर जी गौरी बैठी जी चुन्दड पैण लाग्या लाग्या , लाग्या नैण कँईया लाग्या जी थांहसू नैण अंतरा ७ दूर देसां रा परदेसी पावण भूल गया कांई थाँरी गजवण परंण थाँहने छोड़िया मायर बाप छोड़ियो पीवर , भाई बैण लाग्या लाग्या , लाग्या नैण कंईया लाग्या जी थांहसू नैण स्थाई लाग्या लाग्या , लाग्या नैण कँईया लाग्या जी थाँहसू नैण जाग्याजाग्या दिन और रैण कँईया लाग्या जी थाँहसू नैण अजी किस विध लाग्या जी थाँहसू नैण काहै लाग्या जी थामहसू नैण लाग्या लाग्या , लाग्या नैण
rajasthani-raj
210 काज़ी आखदा एह जो रोड़ पका हीर झगड़यां नाल ना हारदी ए ल्याओ पढ़ो नकाह मूंह बन्न इसदा मता कोई फसाद गुजारदी ए छड मसजदां डेरियां विच वढ़दी छड बकरियां सूरियां चारदी ए वारस शाह मधानिएं हीर जटी इशक दहींदा घिउ नितारदी ए
panjabi-pan
86 हीर ढाह के आखया मियां चाचा चूरी देह जे जीऊणा लोड़ना एं नहीं ते मारके जिंद गवा देसों मैंनूं किसे ना हटकणा होड़ना एं बन्ह हथ ते पैर लटका देसां लड़ लड़कियां नाल की जोड़ना एं चूरी देह खां नाल हया आपे वारस शाह दे नाल अजोड़ना एं
panjabi-pan
311 लागे हथ जे पकड़ पछाड़ सटों तेरे नाल करसां तां तूं जानसै वे हिक हिक कसां भन्न लिंग तेरे तदों राब नूं खूब पछानसै वे वेहड़े वड़े तां भन्नांगी टिंड तेरी तदों शुकर बजा लयानसै वे गदे1 वांग जा जूड़ के घड़ां तैनूं तदों छट तदबीर दी छानसै वे सहती उठ के घरां नूं घूक चली मंगन आवसें तां मैंनूं जानसै वे वारस शाह वांगू तेरी करां खिदमत मौज सजनां दी तदां मानसै वे
panjabi-pan
403 चीना रब्ब ने रिजक बना दिता ऐब घरीना त्रखड़ी जुखयां दा अन्न चीने दा खाईए नाल लसी सुआद आंवदा टुकड़यां रूखयां दा बनन पिंनीयां एसदे चावलां दीयां माई बाप है नगयां भुखयां दा वारस शाह मियां नवां नजर आया एह चालड़ा लुचयां खुचयां दा
panjabi-pan
कद की देखूं थी बाट माई कद की देखूं थी बाट माई जाए सब तै रे पहला न्योतियां कित सी अक लाई सै वार सब तै रे पहला न्योतियां तेरी भावज ने ला दई वार अपना हे कुंवर सजावतीं कद की देखूं बाट सब तै रे पहला न्योतियां दर्जी ने लाई सै वार कपड़े सिवावतीं सुनरै ने लाई सै वार तेरा हे हंसला घड़ावतीं तै कित जाइ्र सै वार भाई जाए सब तै रे पहला न्योतियां माईड़ ने लाई सै वार तेरा हे चून्दड़ रंगावतीं बाबल ने लाई सै वार तेरा हे हंसला घड़ावतीं
haryanvi-bgc
सुआ गीत-4 तरी नरी नहा नरी नही नरी ना ना रे सुअना मोर नयना जोगी , लेतेंव पांव ल पखार रे सुअना तुलसी में दियना बार अग्धन महीना अगम भइये रे सुअना बादर रोवय ओस डार पूस सलाफा धुकत हवह रे सुअना किटकिट करय मोर दांत माध कोइलिया आमा रुख कुहके रे सुअना मारत मदन के मार फागुन फीका जोड़ी बिन लागय रे सुअना काला देवय रंग डार चइत जंवारा के जात जलायेंव रे सुअना सुरता में धनी के हमार बइसाख . . . . . . . . आती में मंडवा गड़ियायेव रे सुअना छाती में पथरामढ़ाय जेठ महीना में छुटय पछीना रे सुअना जइसे बोहय नदी धार लागिस असाढ़ बोलन लागिस मेचका रे सुआना कोन मोला लेवरा उबार सावन रिमझिम बरसय पानी रे सुअना कोन सउत रखिस बिलमाय भादों खमरछठ तीजा अऊ पोरा रे सुआना कइसे के देईस बिसार कुआंर कल्पना ल कोन मोर देखय रे सुखना पानी पियय पीतर दुआर कातिक महीना धरम के कहाइस रे सुअना आइस सुरुत्ती के तिहार अपन अपन बर सब झन पूछंय रे सुअना कहां हवय धनी रे तुंहार
chhattisgarhi-hne
अंगिका फेकड़ा दहू भगवान गरदौआ झोॅर बकरी भागतै जैबोॅ घोॅर । हम्में बाबू मचोल पर लेद्धोॅ छौड़ा हेठ में । चान मामू चान मामू खुरपा देॅ । सेहो खुरपा कथी लेॅ ? घसवा गढ़ावै लेॅ । सेहो घसवा कथी लेॅ ? गइया खिलावै लेॅ । सेहो गइया कथी लेॅ ? दहिया जमावै लेॅ । औंटल गेल , पौटल गेल कोठी तर जनमायल गेल जोरन आनै गेलाँ छी गोबर माखी ऐलाँ छी नया पोखर गोड़ धोलाँ , पोठिया मछली पैलाँ । चूल्हा लगाँ गेलाँ , पाकै वास्तें देलाँ चूल्हा में छेलै बुबुआ सेहो काटलकै बुबुआ । चाँन मामू , चाँन मामू चाभी देॅ । सेहो चाभी कथी लेॅ ? घरवा खोलबावै लेॅ । सेहो घरवा कथी लेॅ ? गेहुँमा निकालै लेॅ । सेहो गहुँमा कथी लेॅ ? अटवा पिसवावै लेॅ । से हो अटवा कथी लेॅ ? पुड़िया पकावै लेॅ । सेहो पुड़िया कथी लेॅ ? भौजो के पटवौ लेॅ । सेहो भौजो कथी लेॅ ? नूनू के जन्मौ लेॅ । सेहो नूनू कथी लेॅ ? गुल्लीडंटा खेलै लेॅ । गुल्लीडंटा टूटी गेल नूनू बाबू रूसी गेल । नानी गेलौ पानी भरेॅ भात भेलौ गील भात नै खैबोॅ भुजा भुजी दे भुज्जा भेलौ कुटुरमुटुर बहू करी दे बहू भेलौ धुमधाम टका फेरी दे टका भेलौ गड़बड़ आबेॅ बेलें पापड़ ।
angika-anp
फाग गीत मारा आँगना मा भाँगड़ी नु झाड़ ढोला मारुजी पीवे रे तम्बाकू । सासरा मा मारी सासुरी नु दख पीयरा मा आऊ मारी आई नु लाड़ मारी आई जी नु लाड़ । ढोला मारुजी पीवे रे तम्बाकू मारा आँगना मा भाँगड़ी नु झाड़ सासरा मा जाऊँ मारा सुसरा नु दख ढोला मारुजी पीवे रे तम्बाकू . . . । पीयरा मा आऊँ बाजी नु लाड़ ढोला मारुजी पीवे रे तम्बाकू . . . . . । सासरा मा जाऊँ मारी ननदी नु दख पीयरा मा आऊँ मारी भाभी मोल्या ढोला मारुजी पीवे रे तम्बाकू . . . . । सासरा मा जाई मारा देवर नु दख पीयरा मा आवी मारा भाइ नु लाड़ ढोला मारुजी पीवे रे तम्बाकू मारा आँगना मा भाँगड़ी नु झाड़ । ढोला मारुजी पीवे रे तम्बाकू पत्नी कहती है कि उसके आँगन में भाँग का पेड़ है । उसके पति भाँग और तम्बाकू पीपीकर मस्त रहते हैं । अब मैं क्या करूँ ? ससुराल में मेरी सासु दुःख देती है और मायके में माँ लाड़प्यार मैं क्या करूँ ? कहाँ जाऊँ ? ससुराल में जाती हूँ तो मेरे ससुर दुुःख देते हैं और मायके में बाप का प्यार मेरे पति तो भाँग और तम्बाकू में मस्त रहते हैं । ससुराल मैं जाती हूँ तो मुझे ननद की ओर से दुःख है और मायके में भाभी का व्यवहार ठीक नहीं , मैं क्या करूँ ? ससुराल में मुझे देवर की ओर से दुःख है और मायके में भाई का प्यार मैं क्या करूँ ? मुझे कहाँ जाना चाहिए ?
bhili-bhb
भँवर म्हाने खेलण दयो गणगौर इस गीत में पत्नि पति से गणगौर उत्सव में शृंगार पदार्थ लाकर देने का निवेदन करती है . . . भँवर म्हाने खेलण दयो गणगौर ऐसी म्हारी लाड बरण का बीर भँवर म्हाने पूजन दयो गणगौर माथे पे मेमद ल्याओ ऐसी म्हारी रखडी रतन जडायो भँवर म्हाने चूडला ल्याओ भँवर म्हारे पाँव मैं पायल ल्याओ ऐसा म्हारा बिछुआ जुटणा बैठ घडायो भँवर म्हाने खेलण दयो गणगौर
rajasthani-raj
की जाणा मैं कोई की जाणा मैं कोई वे अड़िआ , की जाणा मैं कोई जे कोई अन्दर बोले चाले , जात असाडी सोई । जिस दे नाल मैं नेहुँ लगाया , ओहो जेही होई । की जाणा मैं कोई । चिट्टी चादर लाह सुट्ट कुड़ीए , पहल फकीराँ दी लोई । चिट्टी चादर नूँ दाग लग्गेगा , लोई नूँ दाग न कोई । की जाणा मैं कोई । अलफ पछाता बे पछाती , ते तलावत1 होई । सीन पछाता सीन पछाता , सादक2 साबर होई । की जाणा मैं कोई । कू कू करदी कमरी आही , गल विच्च तौक3 पिओई । बस्स ना कदी कू कू कोलों , कू कू अन्दर मोई । की जाणा मैं कोई । जो कुझ करसी अल्ला भाणा , क्या कुझ करसी कोई । जो कुझ लेख मत्थे दा लिखिआ , मैं उस ते शाकर होई । की जाणा मैं कोई । आशक बक्करी माशूक कसाई , मैं मैं करदी कोही4 । एयों ज्यों मैं मैं बहुता करदी , त्यों त्यों ही ओह मोई । की जाणा मैं कोई । मेहर करीं ते फज़ल5 करीं तूँ , मैं आजिज़6 दी ढोई । नच्चण लग्गी ताँ घूँघट केहा , जद मुँह थों लत्थी लोई । की जाणा मैं कोई । भला होया असीं दूरों छुट्टे , नेड़े आन लधोई7 । बुल्ला सहु इनायत करके शोक शराब दितोई8 की जाणा मैं कोई ।
panjabi-pan
बना तुम किनका बुलाया रे जल्दी आया बना तुम किनका बुलाया रे जल्दी आया । बनी थारा पिताजी न लिख्यो कागज भेज्यो , बनी हम उनका बुलाया रे जल्दी आयो । । बनी म्हारा हाथी झूलऽ द्वार , म्हारा यहाँ घोड़ा की घमसाण , म्हारी चाँदनी पर चौसर खेलणऽ आवजो । । बना म्हारी हलुदी भर्यो अंग , म्हारी पाटी मऽ गुलाल म्हारी चोटी मऽ अत्तर , बना म्हारी चाँदनी पर चौसर खेलण आवजो । ।
nimadi-noe
394 भाबी एस जे गधे दी अड़ी अधी असीं रन्नां भी चैंचल हारियां हां देह मारया एस जहान ताजा असीं रोज मीसाक1 दियां मारियां हां जे एह जिद दी छुरी है हो बैठा असीं रन्नां भी तेज कटारियां हां एह गुंडयां विच है पैर धरदा नहीं बांकियां एस तों डारियां हां मरद रंग महल हन इशरतां2 दे असीं जौक3 दे मजे दियां नारियां हां एस चाक दी कौन मजाल है नी राजे भोज थीं असीं ना हारियां हां वारस शाह विच हर सफैदपोशां असीं होली दे रंग पिचकारियां हां
panjabi-pan
238 रांझे आखया लुटदी हीर दौलत जरम1 गालिए तां भेत पा लईए रंग होर वटाय के जा वड़ीए नाल हीर दे अंग लगा लईए इक होवना रिहा फकीर मैथों जरा इतना भी वस ला लईए मखन पालया चिकना नरम पिंडा जरा सवाह दे विच रला लईए किसे जोगी तों सिखीए सेहर2 कोई चेले होए के कन्न पड़ा लईए अगे लोकां दे झगड़े बाल सेके जरा आपने नूं चिनग ला लईए अगे झंग सयालां दी सैर कीती जरा खेड़यां नूं झोक3 ला लईए उथे खुदी गुमान मनजूर नाहीं सिर वेचीए तां भेत पा लईए वारस शाह महबूब नूं तदों पाईए जदों आपना आप गवा लईए
panjabi-pan
बाबू, दादी पूछतूँ ह घड़ी रे घड़ी बाबू , दादी पूछतूँ ह1 घड़ी रे घड़ी । बाबू कइसन2 बनल हौ3 ससुर के गली ॥ 1 ॥ मामा4 का तूँ पूछऽ हऽ5 घड़ी रे घड़ी । मामा , सोने के मढ़ल ससुर के गली ॥ 2 ॥ बाबू , झुट्ठो बड़ाई हमरा से करी । कादो कीचड़ भरल हे ससुर के गली ॥ 3 ॥ बाबू , भूल गेलऽ आपन बाबू के गली ॥ 4 ॥
magahi-mag
प्यारिआ सँभल के नेहुँ लगा प्यारिआ सँभल के नेहुँ लगा , पिच्छों पछतावेंगा । जान्दा जाह ना आवीं फेर , ओत्थे बेपरवाही ढेर , ओत्थे डहल1 खलोन्दे शेर , तूँ वी फँधिआ जावेंगा । प्यारिआ सँभल के नेहुँ लगा , पिच्छों पछतावेंगा । खूह विच्च यूसफ पायो ने , फड़ विच्च बाज़ार विकायो ने , तूँ कौडी मुल्ल पवावेंगा । प्यारिआ सँभल के नेहुँ लगा , पिच्छों पछतावेंगा । नेहुँ ला वेख जुलेखाँ लए , ओत्थे आशक तड़फण पए , मजनूँ करदा है है है , तूँ ओत्थों की ल्यावेंगा ? प्यारिआ सँभल के नेहुँ लगा , पिच्छों पछतावेंगा । ओत्थे इकनाँ पेवस्त2 लुहाइदे , इक्क आरेआँ नाल चिराईदे , इक्क सूली पकड़ चढ़ाईदे , ओत्थे तूँ वी सीस कटावेंगा । प्यारिआ सँभल के नेहुँ लगा , पिच्छों पछतावेंगा । घर कलाल दा तेरे पासे , ओत्थे आवण मस्त प्यासे , तूँ वी जीअ ललचावेंगा । प्यारिआ सँभल के नेहुँ लगा , पिच्छों पछतावेंगा । दिलबर हुण ग्यौं कित लौ3 , भलके की जाणा की हो , मस्ताँ दे ना कोल खलो , तूँ वी मस्त सदावेंगा । प्यारिआ सँभल के नेहुँ लगा , पिच्छों पछतावेंगा । बुल्लिआ गैर शरा ना हो , सुक्ख दी नींदर भर के सौं , मुँहों ना अनलहक्क4 बगो5 , चढ़ सूली ढले गावेंगा । प्यारिआ सँभल के नेहुँ लगा , पिच्छों पछतावेंगा ।
panjabi-pan
राते बरस गओ पानी राते बरस गओ पानी काय राजा तुमने ना जानी । अंटा जो भीजे अटारी भींजी , भींजी है धुतिया पुरानी काय राजा बाग जो भींजे बगीचा भींजे माँलिन फिरे उतरानी काय राजा कुंआ है भर गओ , तला है भर गओ कहारिन फिरे बौरानी काय राजा गैयां भीजी बछिया भींजीं नदियन बढ़ गओ पानी काय राजा
bundeli-bns
207 काज़ी मां ते बाप करार कीता हीर रांझने नाल वयाहुनी ए असां ओसदे नाल चा सिदक कीता गल गोर1 दे तीक निभाहुनी ए अन्त रांझे नूं हीर परना देनी कोई रोज दी एह पराहुनी ए वारस शह ना जानदी मैं कमली खोरश2 शेर दी गधे ने डाहुनी ए
panjabi-pan
बनी ! थूंई मत जाणे बना सा ऐकला रै बनी थूंई मत जाणे बना सा ऐकला रै झमकू थूंई मत जाणे " राइवर " ऐकला रै साथे चूड़ीदार , चौपदार , हाकिम ने हवालदार कागदियों से कांमदार , काका ऊभा किल्लेदार भौमा ऊबा मज्जादार , सखाया सब लारोलार फूल बिखौरे गजरों गंधियों रै बनी थूंई मत जाणे बनासा एकला रै
rajasthani-raj
धण पिआ मताए मताइआं जी धण पिआ मताए मताइआं जी जी पिआ कहो तो चीठी लिख गेरां मेरा राजिड़ा कहो तो सांडिआं भेजां जी जी पिआ चीठी तो मजले मजले जा मेरा राजिड़ा सांडिआ जावै तावली जी जी पिआ न्योंदूंगी बाप मेरे कै सीम मेरा माईजाया सीम सधै की पीपली जी रे बीरा न्योंदूंगी बाप मेरे के खेत हाली हल बीरा जोतिआ रे रे बीरा न्योंदूंगी बाप मेरे के बाग बांगा मैं कोल झिंगारिआ रे रे बीरा न्योंदूंगी बाप मेरे के कंुआ कुंआ बठांदी झीमरी रे रे बीरा न्योंदूंगी बाप मेरे के ताल ताल बणंदी बीरा धोबणी रे रे बीरा न्योंदूंगी बाप मेरे के गोरा गोरा बठांदी बीरा गऊ चरै रे रे बीरा न्योंदूंगी बाप मेरे के गाल गाल बठांदी बीरा भंगणा रे रे बीरा न्योंदूंगी बाप मेरे की परस परसे पचे लोग बीरा रे बीरा न्योंदूंगी बाप मेरे की पोल पोल बठांदी रातां देई मेरी मां रे बीरा न्योंदूंगी बाप मेरे की रसोई रसोइए बठांदी बीरा बाह्मणी रे रे बीरा न्योंदूंगी बाप मेरे का मुढला मुढले बैठी भाबी आपणी गोद खिलंदा भतीजड़ा जी रे बीरा न्योंदूंगी रातां देई मायड आपणी ताई चाचिआं का बीरा झूकमकारे रे बिरा न्योंद्या कोए सब परवार मेरा माई जाया भूल चली छोटी बहनड़ी जी हे बेबे बाहवड़ बाहवड़ मां की जाई हे बहनड़ मेरी हम न सिख बुध दे चलो जी रे बीरा सिख बुध देइए न जाय मेरा माई जाया सिख सरीरे बीरा ऊपजै जी रे बीरा ल्याइयो मेरे तीवल पचास मेरा माई जाया आंगी सिरकै बीरा डेढ सै जी रे बीरा ल्याइओ मेरे मोहर पचास मेरा माई जाया रोक रुपइए बीरा पानसै जी रे बीरा ल्याइओ मेरे काँसण की जेट मेरा माई जाया बीच ठणकदा रे बीरा बेल्वा जी रे बीरा ल्याइया मेरै टोकणै दो चार मेरा माई जाया बीच खुड़कदा बीरा कडछा जी रे बीरा ल्याइओ मेरै म्हेसां को लार रे बीरा ल्याइयो मेरै चोलां की पोट मेरा माई जाया हरे हरे मूंग दिसावरी जी रे बीरा ल्याइयो मेरै गोआं की लार तलै चूंघते बाछड़ा जी रे बीरा इतणा तो ले घर आइओ मेरा माई जाया या घर रहियो बीरा आपणे जी हे बेबे इब कै तो इतणा ना हो मेरा माई जाया हे किस विध आवै तेरे भातिआं जो रे बीरा मेरे आंगण राए चन्दन का पेड़ मेरा माई जाया झट रै चढूं झट उतरू जी रे बीरा कद की रे देखूं थी बाट मेरा माई जाया कद सीक आवै मेरे भातिआं जी रे बीरा छोटी नणदल बोले से बोल मेरा माई जाया फिट भाबी तेरे भातिआं जी रे बीरा छोटा देवर राख्या सै मान मेरा माई जाया वे आए भाबी तेरे भातिआं जी रे बीरा सिर पर मटकी धरी ए उठा मेरा माई जाया सरवर पाणी बीरा मैं गई जी रे बीरा तै कित लाई सै वार मेरा माई जाया सब तै पैले बीरा न्योंदिआ जी हे बेबे मायड़ नै लाई सै वार मेरी अम्मां जाई तेरा ए भात सिजोबंदे जी हे बेबे दरजी नै लाई सै वार मेरी अम्मां जाई तेरा दामण सीमदे जी हे बेबे लीलगर ने लाई सै वार तेरा चूंदड़ रगांवदे जी हे बेबे मणिआर ने लाई सै वार तेरी चूड़िआं जुड़ांवदे जी हे बेबे सुनरे नै लाई सै वार तेरा अगड़ घ्ज्ञड़ावले जी हे बेबे भावज नै लाई सै वार अपणा कंवर सिंगारदे जी हे बीरा रांधूंगी चावल का भात मेरा माई जाया अपणै घर का बीरा टोकणा जी हे बीरा जीमण बेठे देवर जेठ मेरा माई जाया उझल पड्या मेरा टोकणा जी रे बीरा रांधूंगी अपणे घर का भात मेरा माई जाया बाबल का घर का बीरा टोकणा जी रे बीरा जीमण बैठ्या भातिआं का पेट पंसेरा कड़छा बाज्या मेरै टोकणै जी के बीरा खाई थी उड़दां की दाल मेरा माई जाया हग ए भर्या मेरा ओबरा जी रे बीरा उठ्या ए आधड़ी सी रात मेरा माई जाया मूसल मार्या बीरा कांख मैं जी रे बीरा मूसल मेरा दे कै बी जा मेरा माई जाया देवर जेठाणियां का सीर का जी ऐ बेबे जाऊंगा कीकरिआं कै देस मेरी मां की जाई मूसल ल्याऊ बेबे साल का जी रे बीरा मूसल तै और भतेरे मेरा माई जाया देवर जिठाणी बोली मारैंगी जी
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आसा की जोत रैंन अँदिरिया गैल भुलानी ; हिलबिलान हो गई जिँदगानी । मिरगा ढूँड़ रए कस्तूरी , आसा होत न उनकी पूरी । भरत चौकड़ीं देख मरीची कितनी नाप लई है दूरी । सेंतमेंत हो रई नादानी ; हिलबिलान हो रई जिँदगानी । कौन घरी में भाँवर पारी , घिरी बदरिया कारीकारी । धुरुब तरइया देख न पाए कैसें गैल मिलै अबढारी ? थेबौ खात फिरत अग्यानी ; हिलबिलान हो गई जिँदगानी । दूर बजत कऊँ ढोलनगारे , बैरे हो गए कान हमारे । बेबस होकें सबई तराँ सें भटक रए नित मारेमारे । चीर दए नभथल औ पानी , हिलबिलान हो रई जिँदगानी । आसा तौऊ पैले पार , कैसें कोऊ मानें हार । हार न मानी जब मकरी नें , गिरगिर चढ़त रई हरदार । चढ़ीचढ़ी मकरन्दो रानी ; इक दिन पार लगै जिँदगानी ।
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कर कत्तण वल ध्यान कुड़े नित्त मत्तीं देन्दी माँ धीआँ , क्यों फिरनी ऐं ऐंवें आ धीआँ , नी शरम हया ना गवा धीआँ , तूँ कदी ताँ समझ नादान कुड़े । कर कत्तण वल ध्यान कुड़े । चरखा मुफ्त तेरे हत्थ आया , पल्लिओं नहीओं कुझ खोल गवाया , नहीओं कदर मेहनत दा पाया , जद होया कम्म आसान कुड़े । कर कत्तण वल ध्यान कुड़े । चरखा बणिआ खातर तेरी , खेडण दी कर हिरस थोरेड़ी , होणा नहीओं होर वडेरी , मत कर कोई अज्ञान कुड़े । कर कत्तण वल ध्यान कुड़े । चरखा तेरा रंग रंगीला , रीस करेन्दा सभ कबीला , चलदे चारे कर लै हीला , हो घर दे विच्च आवादान कुड़े । कर कत्तण वल ध्यान कुड़े । इस चरखे दी कीमत भारी , तूँ की जाणे कदर गवारी , उच्ची नज़र फिरें हंकारी , विच्च आपणे शान गुमान कुड़े । कर कत्तण वल ध्यान कुड़े । मैं कूकाँ कर खलिआँ बाहीं , ना हो गाफल समझ कदाई , ऐसा चरखा घड़ना नहीं , फेर किसे तरखाण कुड़े । कर कत्तण वल ध्यान कुड़े । एह चरखा तूँ क्यों गवाया , क्यांे तूँ खेह दे विच्च रूलाया1 , जद दा हत्थ तेरे एह आया , तूँ कदे ना डाहिआ आण कुड़े । नित्त मत्तीं देण वलल्ली नूँ , इत भोलीकमली झल्ली नूँ , जद पवेगा वखत इकल्ली नूँ , तद हाए हाए करसी जाण कुड़े । कर कत्तण वल ध्यान कुड़े । मुढों2 दी तूँ रिज़क विहूणी , गोहड़िओं नाँ तूँ कत्ती पूणी , हुण क्यों फिरनी ए निम्मोझूणी , किस दा करें गुमान कुड़े । कर कत्तण वल ध्यान कुड़े । डिंगा तक्कला रास करा लै , नाल शताबी बाएड़ पवा लै , ज्यों कर वगे तिवें वगा लै , मत कर कोई अज्ञान कुड़े । कर कत्तण वल ध्यान कुड़े । अज घर विच्च नवीं कपाह कुड़े , तूँ झब झब वेलणाा डाह कुड़े , रूँ वेल पिंजावण जाह कुड़े , मुड़ कल्ल ना तेरा जाण कुड़े । कर कत्तण वल ध्यान कुड़े । तेरे नाल दीआँ सभ सइआँ नी , कत्त पूणिआँ सभना लइआँ नी , तैनूँ बैठी नूँ पिच्छे पइआँ नी , क्यों बैठी ऐं हुण हैरान कुड़े । कर कत्तण वल ध्यान कुड़े । दीवा आपणे पास जगावीं , कत्त कत्त सूत भर वट्टी पावीं , अक्खीं विचों रात लंघावीं , औखी कर के जान कुड़े । कर कत्तण वल ध्यान कुड़े । राज पेक्का3 दिन चार कुड़े , ना खेडो खेड गुज़ार कुड़े , ना हो वेहली कर कार कुड़े , घर बार ना कर वीरान कुड़े । कर कत्तण वल ध्यान कुड़े । तूँ सुतिआँ रैण गुज़ार नहीं , मुड़ औणा4 दूजी वार नहीं , फिर बैहणा ऐस भंडार नहीं , विच्च इक्को जेडे हाण कुड़े । कर कत्तण वल ध्यान कुड़े । तूँ सदा ना पेक्के रैहणा ए , ना पास अंबड़ी5 दे बैहणा ए , ना अंत विछोड़ा सैहणा ए वस्स पएंगी सस्स ननाण कुड़े । कर कत्तण वल ध्यान कुड़े । कत्त लै नी कुझ कता लै नी , हुण ताणी तंद उणालै नी , तूँ आपणा दाज रंगा लै नी , तूँ तद होवें परधान कुड़े । कर कत्तण वल ध्यान कुड़े । जद घर बेगाने जावेंगी मुड़ वत्त ना ओत्थों आवेंगी , ओत्थे जा के पछतावेंगी , कुझ अगदों कर समिआन कुड़े । अज्ज ऐडा तेरा कम्म कुड़े , क्यों होई ए बे गम कुड़े , की कर लैणा उस दम्म कुड़े , जद घर आए मेहमान कुड़े । कर कत्तण वल ध्यान कुड़े । जद सभ सइआँ टुर जाउणगीआँ , फिर ओत्थों मूल ना आउणगीआँ , आ चरखे मूल ना डाहुणगीआँ , तेरा त्रिंझण प्या वीराण कुड़े । कर कत्तण वल ध्यान कुड़े । कर माण ना हुसन जवानी दा , प्रदेस6 ना रैहण सिलानी7 दा , कोई दुनिआँ झुठी फानी8 दा , ना रैहसी नाम निशान कुड़े । कर कत्तण वल ध्यान कुड़े । इक औखा वेला आवेगा , सभ साक सैण भज जावेगा , कर मदद पार लंघावेगा , ओह बुल्ले दा सुलतान कुड़े । कर कत्तण वल ध्यान कुड़े ।
panjabi-pan
आला जडूका सायला रे राजा सूखा जडूका सायला नहीं रे आला जडूका सायला रे राजा सूखा जडूका सायला नहीं रे आला जडूका सायला रे राजा सूखा जडूका सायला नहीं रे इंजनी जेनोमा का बंझोटी जा राजा धामू टीसो सेने मारे इंजनी जेनोमा का बंझोटी जा राजा धामू टीसो सेने मारे आमा रानी ककोटा केनवेन्ज राजा आमा रानी झूला में झूले आमा रानी ककोटा केनवेन्ज राजा आमा रानी झूला में झूले आमा रानी बंझोटी जा राजा धामू टाला कामाय सेने आमा रानी बंझोटी जा राजा धामू टाला कामाय सेने स्रोत व्यक्ति पार्वती बाई , ग्राम मातापुर
korku-kfq
323 कच कवारिये लोहड़े दीये मारीए नी टूने हारीए आख की आहनी ए भलयां ना बुरी काहे होवनी एं काई बुरी ही फाउनी फाहनी ए असां भुखयां आन सवाल कीता केहियां गैब दियां ढुचरां डाहनी ए विचों पकीए छैल उचकीए नीराह जांदड़े मिरग पई फाहनी ए गल हो चुकी फेर छेड़नी ए होर शाख नूं मोड़ की वाहनी ए घर जान सरदारां दे भीख मंगे साडा अरश1 दा किंगरा ढाहनी ए केहा नाल परदेसियां वैर चायो चैंचल हारिये आख की आहनी ए राह जांदड़े फकर खहेड़नी एं ढगी वाहरिये साहनां नूं डाहनी ए घर पईअड़े2 धरोहियां फेरियां नेआ नीहरिए संग क्यों डाहुनी ए जा शिकार दरया विच खेड मोईए केहियां मूत विच मछियां फाहुनी ए वारस शाह फकीर नूं छेड़नी एं अखीं नाल क्यों खखरां लाहुनी ए
panjabi-pan
ऐसी को खेले तोसे होरी ऐसी को खेले तोसे होरी ॥ टेक बारबार पिचकारी मारत , तापै बाँह मरोरी । ऐसी . नन्द बाबा की गाय चराबो , हमसे करत बरजोरी । छाछ छीन खाते ग्वालिन की , करते माखन चोरी । ऐसी . चोबा चन्दन और अरगजा , अबीर लिये भर झोरी । उड़त गुलाल लाल भये बादर , केसरि भरी कमोरी । ऐसी . वृन्दावन की कुंज गलिन में , पावौं राधा गोरी ‘सूरदास’ आश तुम्हरे दरश की , चिरंजीवी ये जोरी । ऐसी .
braj-bra
हरियाले बन्ने चीरा तो ले दूं तेरी मौज का हरियाले बन्ने चीरा तो ले दूं तेरी मौज का सहजादे बन्ने कच्ची कली ना तोड़ियो हरियाले बन्ने मालन देगी गालियां हो तेरे ताई रंगीले बन्ने पाकन दे रस होन दे हरियाले बन्ने झुका दूंगी डालियां हो तेरे ताई हरियाले बन्ने . . .
haryanvi-bgc
ऐसी चुंदड़िया लाओ मेरे बाबा ऐसी चुंदड़िया लाओ मेरे बाबा वाऊ पै रतन जड़ाइये आधी चुनड़िया पै मानक मोती आधी पै रतन जड़ाइये चुनड़ी ओढ़ लाजो बैठी है चौक पै केस लिये छिटकाये अब का सरम रही है मेरे बाबला बैठी हूं चारों दल जोड़ कै एक आपु दल दूजा बापु दल तीजा दल राजा भातिये चौथा दल साजन का लड़का मुकुट बांध घर आइये ऐसी चुंदड़िया लाओ मेरे बाबुल वाऊ पै रतन जड़ाइये
haryanvi-bgc
आल्हा ऊदल नाम रुदल के सुन गैले सोनवा बड़ मंड्गन होय जाय जे बर हिछलीं सिब मंदिर में से बर माँगन भेल हमार एतो बारता है सोनवा के रुदल के सुनीं हवाल घोड़ा बेनुलिया पर बघ रुदल घोड़ा हन्सा पर डेबा बीर घोड़ा उड़ावल बघ रुदल सिब मंदिर में पहुँचल जाय घोड़ा बाँध दे सिब फाटक में रुदल सिब मंदिर में गैल समाय पड़लि नजरिया है सोनवा के रुदल पड़ गैल दीठ भागल सोनवा अण्डल खिरकी पर पहुँचल जाय सोने पलंगिया बिछवौली सोने के मढ़वा देल बिछवाय सात गलैचा के उपर रुदल के देल बैठाय हाथ जोड़ के सोनवा बोलल बबुआ रुदल के बलि जाओ कहवाँ बेटी ऐसन जामल जेकरा पर बँधलव फाँड़ बोले राजा बघ रुदल भौजी सोनवा के बलि जाओं बारह वरिसवा बित गैल भैया रह गैल बार कुँआर किला तूड़ दों नैना गढ़ के सोनवा के करों बियाह एतनी बोली रानी सोनवा सुन गैल सोनवा बड़ मंड्गन होय जाय भुखल सिपाही मोर देवर है इन्ह के भोजन देब बनाय दूध मँगौली गैया के खोआ खाँड़ देल बनवाय जेंइ लव जेंइ लव बाबू रुदल एहि जीबन के आस कड़खा बोली रुदल बोलल भौजी सोनवा अरजी मान हमार किरिया खैलीं मोहबा गढ़ में अब ना अन गराहों पान
bhojpuri-bho
कटोरनि पियली कोसिला रानी, अउरो सुमिन्त्रा रानी हे कटोरनि1 पियली कोसिला रानी , अउरो सुमिन्त्रा रानी हे । ए ललना , सिलि2 धोइ पियलन केकइ रानी , तीनों रानी गरभ से हे ॥ 1 ॥ कोसिला रानी के मुँह पियराएल , देह दुबराएल3 हे । ए ललना , दसरथ मनहिं अनन्दे , कोसिला जरि4 रोपली हे ॥ 2 ॥ आधी राति बीतले पहर राति बीतले हे । ए ललना , कोसिला के भेल5 राजा रामचंदर , सुमित्रा के लछुमन हे ॥ 3 ॥ ए ललना , ककइ के भरथ भुआल , 6 तीनों महल सोहर हे ॥ 4 ॥ दुअरा से बोलथिन7 राजा दसरथ , सुन ए कोसिला रानी । ए रानी जी , कउन8 बरत रउरा9 कएल कि राम फलवा पाएल हे ॥ 5 ॥ सउरी10 से बोलथिन कोसिला रानी , सुन राजा दसरथ जी । ए राजा , बरत कइली एतवार , त राम फल पइली हे ॥ 6 ॥ कातिक मासे हम नेहइली , तुलसी दिया बरली11 हे । ए राजा , भूखल12 बराम्हन जेववली , 13 त राम फल पइली हे ॥ 7 ॥ माघ मासे नेहइली , 14 अगनियाँ15 न तपली16 हे । ए राजा , एहो कस्ट सहली , राम फल पइली हे ॥ 8 ॥ बैसाखहिं मासे नेहइली सुरूज गोड़ लगली17 हे । ए राजा , टूअर18 भगिना का पालली , त राम फल पइली हे ॥ 9 ॥ दुअरा से बोलथिन राजा दसरथ , सुन ए कोसिला रानी हे । ए रानी , सेर जोखि19 सोनवा लुटाएब , पसेरी जोखि रूपवा20 हे ॥ 10 ॥ ए रानी जी , सँउसे अजोधया लुटएबो , त राम के बधइया में ॥ 11 ॥ सउरी से बोलथिन केकइ रानी , सुन राजा दसरथ । ए राजा , कोसिला के भेल रामचंदर , सुमित्रा के लछुमन हे ॥ 12 ॥ ए राजा , केकइ के भरथ भुआल , जानिबुझि21 अजोधेया लुटइह । ए राजा , रामजी लिखल बनवास , अजोधेया मत लुटइह ॥ 13 ॥ सउरी से बोलथिन कोसिला रानी , सुन राजा दसरथ जी । राजा , छुटले22 बँझिनियाँ के नाम , बलइए से23 राम बन जइहें , बन से लवटि अइहें हे ॥ 14 ॥
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प्यारे बिन मसलत उठ जाणा प्यारे बिन मसलत उठ जाणा , तूँ कदे ताँ होए सिआणा । कर लै चावड़1 चार दिवाड़े , थीसें अंत निमाणा । जुल्म करें की लोक सतावें , क्यों कीओ उलट कहाणा । जिस बाटे दा माण करें तूँ , सो भी संग ना जाणा । खामोश शहर नूँ वेख हमेशा , सारा जग इस माहि समाणा । भर भर पूरे लंघावे डाढा , मलकुल2 मौत मुहाणा । ऐथे जितने हैन सभ तिन ते , मैं गुनाहगार पुराणा । बुल्ला नौ दुश्मण तेरे नाल बुरे , विच्च हुण दुश्मन बल ढाणा । महिबूब रबानी करे असानी , दिलों खौफ जाए मलकाणा ।
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576 लै के चलया अपने देस वले चल नढिए रब्ब दिवाई ए नी चैधरानिए तखत हजारे दिए पंजां पीरां नूं वत घिणाईए नी कढ खेड़यां तों रब्ब दिती ए तूं अते मुलक पहाड़ पहुंचाईए नी हीर आखया ऐव जे जा वड़सां रन्नां आखसन उधली आईए नी घत जादुड़ा देयों ने परी ठगी हूर आदमी दे हत्थ आईए नी वारस शाह परेम दी जड़ी घती मसतानड़ी चा बनाईए नी
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तुमको मैं टोना करूँगी रे तुमको मैं टोना करूँगी रे , बाली1 भोली का दुलहा ॥ 1 ॥ सेहरे में टोना भेजा , सेहरा बाँधि2 आया रे , मेरा असला3 दमदवा । तुझको मैं टोना करूँगी रे , बाली भोली का दुलहा । तुझको मैं टोना करूँगी रे , मेरा नेवता4 दमदवा । तुझको मैं टोना करूँगी रे , मेरा झुकता5 दमदवा ॥ 2 ॥ जोड़े में टोना भेजा पेन्हि6 आया रे , मेरा असला दमदवा । तुझको मैं टोना करूँगी रे , मेरा भोला दमदवा ॥ 3 ॥ मोजे में टोना भेजा , मोजा पेन्हि आया रे , मेरा नेवता दमदवा । तुझको मैं टोना करूँगी रे , बाली भोली का दुलहा । तुझको मैं टोना करूँगी रे , मेरी लाड़ो का दुलहा । तुझको मैं टोना करूँगी रे , मेरा दुलरा दमदवा ॥ 4 ॥ ।
magahi-mag
हे लठ्याली तू कैकी बौराण छ? हे लठ्याली1 तू कैकी बौराण छ ? धुँवाँसी धुपली2 , पाणी सी पतली , केलासी गलखी , नौण3सी गुँदगी , दिवा जसी जोत , कैकी बौराण छ ? इनी मेरी होंदी जिकुड़ी4 मा सेंदी5 । बादल सी झड़ी , दूबला6 सी लड़ी , भीमल सी सेटकी7 लाबू8 सीठेलकी , फ्यूँली9 कीसी कली , कैकी बौराण छ ? नाक मा छ तोता , जीभ मा क्वील , आँख्यों माआग , गालू मा गुलाब । हुड़कीसी कमर , कैकी बौराण छ ? इनी मेरी होंदी , हथगुली मा10 सेन्दी । बाँदू11 मा की बाँद चाँदू मा की चाँद । चीणा12 जसी झम13 , पालिंगा14 सी डाली । हिंसर कीसी डाली , कैकी बौराण छ ? घास काटद काटद , बणी छ गितांग15 हे लठ्याली दादू , कैकी बौराण छ ?
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121 रांझे आखया आउ खां बैठ हीरे कोई खूब तदबीर बनाइए नी माओं बाप तेरे दिलगीर हुंदे किवें ओहनां ते बात छपाइए नी मिठी नायन नूं सद के गल कीजे जे तूं कहें तेरे घर आइए नी मैं सयालां दे वेहड़े वड़ां नाहीं मैथों हीर नूं नित पुचाइए नी दिने रात तेरे घर मेल साडा साडे सिर अहिसान चढ़ाइए नी हीर पंज मोहरां हथ दितियां नी किवें मिठीए डौल बणाइए नी कुड़ीयां पास ना खोहलणा भेत मूले गल जीउ दे विच लुकाइए नी वारस शाह छुपाइए खलक1 कोलों भावें आपणा ही गुड़ खाइए नी
panjabi-pan
कोई बरसन लागी काली बादली! कोई बरसन लागी काली बादली " डौलै तै डौलै , हालीड़ा , मैं फिरी मन्ने किते न पाया थारा खेत । " बरसन लागी काली बादली " कोई चार बुलदांका , हालीड़ा , नीरना दोए जणिएँ की छाक " बरसन लागी काली बादली " कितरज बोया , हालीड़ा , बाजरा ? कोई कितरज बोई जवार ? " बरसन लागी काली बादली " थलियाँ तै बोया , गोरी धन , बाजरा , कोई डेराँ बोई जवार " बरसन लागी काली बादली भावार्थ ' देखो , काली बदली बरसने लगी है । " अजी ओ किसान , मैं मेंड़मेंड़ पर घूमीफिरी , तुम्हारा खेत मुझे कहीं नहीं मिला । " और काली बदली बरसने लगी है । " चार बैलों के लिए मैं भूसा लाई हूँ , दो आदमियों के पीने लायक छाछ । " और काली बदली यह बरसने लगी है । " गोरी धन , ज़रा किसी ऊँची मेड़ पर चढ़ कर निहारो , मेरे गोरे बैल के गले में बड़ी घंटी भी तो बज रही है । " फिर काली बदली बरसने लगी है । " अजी ओ किसान , किस तरफ़ तुमने बाजरा बोया है ? और कहाँ बोई है जवार ? " काली बदली बरसने लगी है । " गोरी धन , ऊपर के खेत में बाजरा बोया है और्नीचे के खेत में जवार । " और काली बदली बरसने रही है । '
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पाँच बधावा म्हारे ये भल आया पाँच बधावा म्हारे ये भल आया आया तो कई ऐ म्हारा देस में पेलो बधावो म्हारा ससरा घर भेज्यो दूसरो बधावो म्हारा बाप क्यां तीसरो बधावो म्हारा जेठ क्यां भेज्यों चौथो बधावो म्हारा बीर क्यां पाँचबो बधावो धन री कूंख से लाणी जासे सरब सुख होय हो ससरा सपूतां सूं सरंबद रेस्यां बापरे बल आपने सासू सपूती सूं सरबद रेस्यां माय रे बल आपने देवरजेठ सूं सदबद रेस्यां लाज रे बल आपने देराणीजेठाणी सूं सदबद रेसयां काम रे बल आपने ननंद भानेजां सूं सदबद रेस्या बुगचा रे बल आपने स्वामी सपूतां सूं सदबद रेसयां रूप रे बल आपने भरभर नैनां आज सूती धीय बोलाई सासरे नवरंग पेलो आज पेरियो पूत परण घर आविया सुखदेव टूटिया , इच्छा पूरी मन मनोरथ पाविया ।
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झनकारो झनकारो झनकारो झनकारो झनकारो झनकारो गौरी प्यारो लगो तेरो झनकारो २ तुम हो बृज की सुन्दर गोरी , मैं मथुरा को मतवारो चुंदरि चादर सभी रंगे हैं , फागुन ऐसे रखवारो । गौरी प्यारो… सब सखिया मिल खेल रहे हैं , दिलवर को दिल है न्यारो गौरी प्यारो… अब के फागुन अर्ज करत हूँ , दिल कर दे मतवारो गौरी प्यारो… भृज मण्डल सब धूम मची है , खेलत सखिया सब मारो लपटी झपटी वो बैंया मरोरे , मारे मोहन पिचकारी गौरी प्यारो… घूंघट खोल गुलाल मलत है , बंज करे वो बंजारो गौरी प्यारो लगो तेरो झनकारो २
kumaoni-kfy
दर्शन कूँ आनाकानी मत करै वारे लाँगुरिया दर्शन कूँ आनाकानी मत करै , मैंने बोली है करौली की जात ॥ लँगुरिया . वारे लाँगुरिया नैनन सुरमा मैंने सार कै , कोई बिन्दी लगाय लई माथ ॥ लँगुरिया . वारे लाँगुरिया हाथन में कंगन मैंने पहिर लगये , और मेंहदीउ लगाय लई हाथ ॥ लँगुरिया . वारे लाँगुरिया साड़ी तो पहिरी टैरालीन की , कोई साया तौ जामें चमकत जात ॥ लँगुरिया . वारे लाँगुरिया कौन की सीख लई मान कै , जो करवे चले नाँय जात ॥ लँगुरिया . वारे लाँगुरिया रूपया खरच कूँ मैंने रख लीने , तू तो निधरक चल ‘प्रभु’ साथ ॥ लाँगुरिया .
braj-bra
फूली जालो काँस ब्बै, फूली जालो काँस फूली जालो काँस1 ब्बै , फूली जालो काँस , म्योलड़ी2 बासदी ब्बै , फूलदा बुराँस हिंसर की काँडी ब्वै , हिंसर की काँडी , मौली3 गैन डाली ब्बै , हरी ह्वैन डाँडी4 । गौड़ी देली दूद ब्बै , गौड़ी देली दूद , मेरी जिकूड़ी5 लगी ब्बै , तेरी खूद6 । काखड़ी को रैतू ब्वै , काखड़ी को रैतू , मैं खूद लगी ब्बै , तू बुलाई मैतू7 । दाथुड़ी को नोक ब्बै , दाथुड़ी की नौक , वासलो कफू ब्बै , मैत्यों8का चौक सूपा भरी देण ब्बै , सूपा भरी देण , आग भमराली ब्बै , भैजो9 भेजी लेण10 । टोपी धोई छोई ब्बै टोपी धोई छोई , मैत्या डाँड देखी ब्बै , मैं आँदो रोई झंगोरा की बाल ब्बै , झंगोरा की बाल , मैत को बाटो देखी ब्बै , आँखी ह्वैन लाल
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540 छड देस जहान उजाड़ मली अजे जट नहीं पिछा छडदे ने असां छडया एह ना मूल छडन वैरी मुढ कदीम तो हड दे ने लीही पई मेरे उते झाड़यां दी पास जान नाही पिंज गड दे ने वारस शाह जहान तों अक पए कल फकीर हुण लद दे ने
panjabi-pan
आओ राधा नहाण चलां मेरे राम आओ राधा नहाण चलां मेरे राम । म्हारा तो नहीं ए चलान दूधां मैं रम रही मेरे राम । दूधां का कैसा हे गमान , आवै बिलाई पी जावै हरे राम ।
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412 नवी नोचिए गुझिए यारने नी कारे हथीए चाक दिये पयारीए नी पहले कम सवार हो बहे नियारी बेली घर लै जाए तूं डारीए नी आप भली हो बहें ते असीं बुरियां करे खचरपो1 रूप शिंगारीए नी आ जोगी नूं लईं छुडा साथों तुसां दोहां दी पैज सवारीए नी वारस शाह हथ फड़े दी लाज हुंदी साथ करीए ते पार उतारीए नी
panjabi-pan
ये मोरांगी डो ये मोरांगी आमानी ये मोरांगी डो ये मोरांगी आमानी ये मोरांगी डो ये मोरांगी आमानी ये मोरांगी डो ये मोरांगी आमानी उरा टोले मा अरुकेन डो मोरांगी रे उरा टोले मा अरुकेन डो मोरांगी रे इयां उरा कजलीवन डो बिंदरावनेन नी आरु मारे इयां उरा कजलीवन डो बिंदरावनेन नी आरु मारे इयां उरा कजलीवन डो बिंदरावनेन नी आरु मारे ये मोरांगी डो ये मोरांगी ये मोरांगी डो ये मोरांगी सूबा नी पडूबे इया कूरई डो अजूमे मारे सूबा नी पडूबे इया कूरई डो अजूमे मारे सूबा नी पडूबे इया कूरई डो अजूमे मारे ये झलजा जा ये झलजा ये झलजा जा ये झलजा मिया नी गीड़ी आमा सूसून नी घाले मारे मिया नी गीड़ी आमा सूसून नी घाले मारे मिया नी गीड़ी आमा सूसून नी घाले मारे ये मोरांगी डो ये मोरांगी सूसूना जागा डो ये मोरांगी डो ये मोरांगी सूसूना जागा डो ये मोरांगी डो ये मोरांगी सूसूना जागा डो डोगे डो मिया का खाटा नी बोचोगे मारे डोगे डो मिया का खाटा नी बोचोगे मारे डोगे डो मिया का खाटा नी बोचोगे मारे स्रोत व्यक्ति लक्ष्मण पर्ते , ग्राम मुरलीखेड़ा
korku-kfq
ईसुरी की फाग-16 ऐसी पिचकारी की घालन , कहाँ सीख लई लालन कपड़ा भींज गये बड़बड़ के , जड़े हते जर तारन अपुन फिरत भींजे सो भींजे , भिंजै जात ब्रजबालन तिन्नी तरें छुअत छाती हो , लगत पीक गइ गालन ईसुर अज मदन मोहन नें , कर डारी बेहालन ।
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जीजी रलमिल गुड़ियां खेलती तूं चाली जीजा के साथ जीजी रलमिल गुड़ियां खेलती तूं चाली जीजा के साथ बाहण चाली सासरे । जीजा सुसरा का कहा मत गेरिये सुसरा धरम का बाप बाहण चाली सासरे । जीजी सासू का कहा मत गेरिये सासू धरम की मां बाहण चाली सासरे । जीजी जीजा का कहा मत गेरिये कटैं तेरे दिन रात बाहण चाली सासरे । देवर संग का सुहेलड़ा जैसे धरम का बीर बाहण चाली सासरे ।
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विवाह गीत मेहंदी गीत घोड़ी के गीत
rajasthani-raj
320 सच आख तूं रावला कहे सहती तेरा जिऊ केहड़ी गल लोड़दा ए वेहड़े वड़दयां रिकतां छेड़ीयां ने कंडा विच कलेजे दे बोड़दा ए बादशाहां दे बाग विच नाल चावड़ फिरे फुल गुलाब दा तोडदा ए वारस शाह नूं शुतर1 मुहार बाझों डांग नाल कोई भुण मोड़दा ए
panjabi-pan
शीश रामदेव जी ने पागा विराजे शीश रामदेव जी ने पागा विराजे पेचा रो अदक सरूप हाथ मजीरा रामदेव जी ने खांदे तंदूरा रा अदक सरूप रूणीजा मंे रमी रया हो कान में रामदेव जी ने मोती बिराजे चूनी रो अदक सरूप गळे रामदेव जी ने कंठी बिराजे डोरा रो अदक सरूप अंगे रामदेव जी ने बागी बिराजे केसर रो अदक सरूप हात रामदेव जी ने पोंची बिराजे कड़ा रो अदक सरूप पांव रामदेव जी ने मोजा बिराजे मेंदी रो अदक सरूप
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एक दिन करो सिंगार नार ने एक दिन करो सिंगार नार ने तीहर पहर ली , सीसो लियो हाथ रेख दो नैनन बीच गही । लगा लियो अखियन में कजरा , या ढब ले रहो झिमार उठै ज्यों सावन को बदरा । नार इक सुआ सारी है , इत उत के चोटी परी लगे जैसे नागिन कारी है । आए रहे अंगिया पै जलसा , पीछे के चोटी बन्धी धरे दो सोरन के कलसा । नार में सोने की हंसली , हार हमेर गुलीबन्द एक माला मोतिन की असली । करै इस पायल झनकारो , झांझन चूरी सोठ करूला गोटे पै नारो रचा लई हाथन में मेंहदी मांगन में भरयो सिन्दूर धरी दो माथे पे बैंदी । पहर लई अंगलिन में गूंठी , जब लगी बिरह की भूख नार की फिर देही टूटी । गुदा लिया टूण्डी पे मोरा , हंसन की लगतार बीच में सारस को जोरा ।
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335 असीं सहतीए डरिये ना मूल तैथों तिखे दीदड़े1 तैंडड़े सार2 दे नी हाथी नहीं तसवीर दा किला ढाहे शेर फवियां3 तों नहीं हार दे नी कहे कावां दे ढोर ना कदी मोए भूंड अखियां कदे ना मारदे नी फट हैन लड़ाई दे असल ढाई होर कूड़ पसार पसार दे नी इके मारना इके ते आप मरना इके नठ जाना अगे सार दे नी हिंमत सुसत बरूत4 शुकीन भारे ओह गभरू किसे न कार दे नी बन्ह तोरिये जंग नूं एक करके सगों अगलयां नूं पिछों मारदे नी सड़न कपड़े होन तहकीक काले जेहड़े गोशटी5 हीन लुहार दे नी झूठियां सेलियां नाल ना जोग हुंदा पथर गले ना लान फुहार दे नी खैर दितयां माल ना होवे थोड़ा बोहल थुड़े ना चुगे गुटार6 दे नी जदों चूहड़ेनूं जिन्न चा करे खजल झाड़ा करीदा नाल पैज़ार7 दे नी तैं तां फिकर कीता साडे मारने दा तैनूं वेख लै यार हुण मारदे नी जेहा करे कोई तेहा पांवदा ए सचे वायदे परवदगार दे नी वारस शाह मियां रन्न भौंकनी नूं फकर पा जड़ियां8 चा मारदे नी
panjabi-pan
नन्हीं नन्हीं कउड़िया दुलहा, फाँड़ा बान्हीं लेल नन्हीं नन्हीं कउड़िया दुलहा , फाँड़ा1 बान्हीं लेल । चलि गेल अहो दुलहा , हाजीपुर हटिया ॥ 1 ॥ उहा2 से लावल3 दुलरू , मजुरवा4 लगल बेनियाँ । घामा5 के घमाएल कवन दुलहा , डोलाए मांगे हे बेनियाँ ॥ 2 ॥ कइरो डोलाऊँ परभु , मजुरवा लगल हे बेनियाँ । तोरो कवन बहिनी चोराइ लेलन हे बेनियाँ ॥ 3 ॥ आवे देहु अगहन दिनवाँ , उपजे देहु धनवाँ । अपनी कवन बहिनी बिदा करबों हे ससुररिया ॥ 4 ॥
magahi-mag
आल्हा ऊदल जिब ना बाँचल मोर देवी के सोनवा जान बचाई मोर नाम रुदल के सुन के सोनवा बड़ मगन होय जाय लौंड़ी लोंड़ी के ललकारे मुँगिया लौंड़ी बात मनाव रात सपनवाँ में सिब बाबा के सिब पूजन चलि बनाय जौन झँपोला मोर गहना के कपड़ा के लावव् उठाय जौन झँपोला है गहना के कपड़ा के ले आवव् उठाय खुलल पेठारा कपड़ा के जिन्ह के रास देल लगवाय पेनहल घँघरा पच्छिम के मखमल के गोट चढ़ाय चोलिया पेन्हे मुसरुफ के जेह में बावन बंद लगाय पोरे पोरे अँगुठी पड़ गैल सारे चुरियन के झंझकार सोभे नगीना कनगुरिया में जिन्ह के हीरा चमके दाँत सात लाख के मँगटीका है लिलार में लेली लगाय जूड़ा खुल गैल पीठन पर जैसे लोटे करियवा नाग काढ़ दरपनी मुँह देखे सोनवा मने मने करे गुनान मन जा भैया रजा इन्दरमन घरे बहिनी रखे कुँआर वैस हमार बित गैले नैनागढ़ में रहलीं बार कुँआर आग लगाइब एह सूरत में नेना सैव लीं नार कुँआर निकलल डोलवा है सोनवा के सिब का पूजन चलली बनाय पड़लि नजरिया इंदरमन के से दिन सुनों तिलंगी बात कहवाँ के राजा एत बरिया है बाबू डोला फँदौले जाय सिर काट दे ओह राजा के कूर खेत माँ देओ गिराय
bhojpuri-bho
लीम म लिमोलई लागी श्रावण महिनो आयो जी लीम म लिमोलई लागी , श्रावण महिनो आयो जी । हमारा तो मोठा भाई तुम खऽ नींद कसी आवऽ जी । । तुम्हारी तो छोटी बहेण सासरिया मऽ झूरऽ जी । झूरऽ तेखऽ झूरऽ देओ हमनी झूरनऽ देवां जी । ।
nimadi-noe
रुमाल लेता जैजो जी दिल्डो देता जैजो म्हारी लाल ननद बाई रा बीरा रे रूमाल म्हारो लेता जैजो छोटी ननद बाई रा बीरा रे रूमाल म्हारो लेता जैजो लेता जैजो जी दिल्डो देता जैजो छोटी ननद बाई रा बीरा रे रूमाल म्हारो लेता जैजो म्हारी लाल ननद बाई रा बीरा रे रूमाल म्हारो लेता जैजो आप रे कारण म्हे तो बाग़ लगायो सा घुमण रे मिस आजो नैना रा लोभी हरियो रुमाल म्हारो लेता जैजो जी दिल्डो देता जैजो छोटी ननद बाई रा बीरा रे रूमाल म्हारो लेता जैजो आप रे कारण म्हे तो थाळ परोस्यो सा आप रे कारण म्हे तो भोजन परोस्यो सा जीमण रे मिस आजो नैना रा लोभी हरियो रुमाल म्हारो लेता जैजो जी दिल्डो देता जैजो लाल ननद भाई रा बीरा रे रुमाल म्हारो लेता जैजो आप रे कारण म्हे तो होद भरायो सा नहावण रे मिस आजो नैना रा लोभि हरियो रुमाल म्हारो लेता जैजो जी दिल्डो देता जैजो छोटी ननद बाई रा बीरा रे रूमाल म्हारो लेता जैजो लेता जैजो जी दिल्डो देता जैजो छोटी ननद बाई रा बीरा रे रूमाल म्हारो लेता जैजो म्हारी लाल ननद बाई रा बीरा रे रूमाल म्हारो लेता जैजो
rajasthani-raj
245 खाब रात दा जग दियां सभ गलां धन माल नूं मूल ना झूरिए नी पंज भूत विकार ते उदर पानी नाल सबर संतोख दे पूरिए नी एहो दुख ते सुख समान जाने जेहे शाल मशरू तेहे भूरिए नी भोग आतमा दा रस कस त्यागो वारस गुरु नूं कहे वडूरिए नी
panjabi-pan
नानी-सी गाय गटर-गैंगणी सौ पूला खाय नानीसी गाय गटरगैंगणी , सौ पूला खाय , माता जमुना को पाणी पे , न्हार सामऽ जाय , ला ओ माय बकेड़ी ।
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कान्हा बरसाणे में आ जाइयो बुलागी राधा प्यारी कान्हा बरसाणे में आ जाइयो बुलागी राधा प्यारी जो कान्हा तू राह न जाने डोले डोले आ जाइयो बुलागी राधा प्यारी ताता पानी धरिया ततेरा , तेरी गर्ज पड़े तो नहा जाइयो बुलागी राधा प्यारी पतली ते पतली पोई फुलकियां तेरी गर्ज पड़े तो खा जाइयो बुलागी राधा प्यारी
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ईसुरी की फाग-22 तोरे नैना मतबारे तिन घायल कर डारे खंजन खरल सैल से पैने बरछन से अनयारे तरबारन सैं कमती नइयाँ इनसें सबरई हारे ' ईसुर ' चले जात गैलारे टेर बुला कैं मारे । भावार्थ प्रिये , तुम्हारे नयन बहुत मतवाले हैं , जिन्होंने घायल कर दिया है । ये खंजन जैसे आकर्षक , विष के बुझे हुए , पर्वत शिखर की तरह नुकीले हैं और बरछी की तरह तीखे हैं । ये नयन तलवारों से कम नहीं हैं जिनसे सब हार जाते हैं । ईसुरी कहते हैं कि ये नयन राह चलते को बुला कर मार देते हैं ।
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गोरी गोर बियासनी बच्ची मोरनी ए गोरी गोर बियासनी बच्ची मोरनी ए गोरे बाबुल की धीय बच्ची मोरनी ए हाय हाय बच्ची मोरनी ए के रे रोऊं सराह कै बच्ची मोरनी ए के रे सुहावन बोल किन तेरा डिब्बा खोलियां किन तेरा किया सिंगार हिय बधूं उस माय का कैसे किया सिंगार आंखों पट्टी देय ली छाती वज्र किवाड़ इस जानी का बाहुड़ै वहां गया ना बाहुड़ै अपने घर बैठ जब तैं घर ते नीकली मन्दे हो गए सौन मन्दे सौन न जाइयो जाइयो सकुन विचार आगे मिल गई लाकड़ी उल्टे घड़े पनिहार छींकत मंजा ढाइयां उट्ठी दामन चीर काल अचानक मारिया पहरे बैठे बार
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435 करामात लगायके शहर फूकां जड़ां खेड़यां दियां मुढों पट सुटां फौजदार वांगूं दयां फूक अगा कर मुलक नूं चैड़ चपट सुटां नाल फौज नाही पकड़ कुआरियां नूं हथ पैर ते नक कन कट सुटां सहती हथ आवे पकड़ चूंडियां तों वांग टाट दी तपड़ी छट सुटां पंज पीर जे बोहड़न आन मैंनूं दुख दरद कजीअड़े पट सुटां हुकम रब्ब दे नाल मैं काल जीभा मगर लग के दूत नूं चट सुटां होवे पार समुंदरों हीर जटी बुकां नाल समुंदर नूं छट सुटां
panjabi-pan
आव रे चांद भैंसी बान्ध " आव रे चांद , भैंसी बान्ध । चन्दा बाबा चन्दी दऽ घीं मऽ रोटी वालई दऽ । नाना भाई खऽ भावऽ नी , न झुमका लाड़ी आवऽ नी । "
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कन्नी बुन्दे सोहणे, सिर ते छ्त्ते सै मणाँ दे (जांगली ढोला) कन्नी बुन्दे सोहणे , सिर ते छत्ते सै मणाँ दे उत्थे देवीं बाबला , जित्थे टाल्ह वणाँ दे बहाँ चढ़ कचावे , कराँ सैल झनाँ दे हिकनाँ नूँ वर ढहि पहुते , पुन्ने हिकना दे झोली पये बाल थणाँ दे भावार्थ ' कानों में सुन्दर बालियाँ हैं , सिर पर सौसौ मन के केश , हे पिता , मेरा विवाह वहाँ करना , जहाँ बड़ीबड़ी टहनियों वाले ' वण ' वृक्ष हों । मैं ऊँट की काठी पर चढ़ बैठूँ , चनाब नदी की सैर करूँ । ' फिर किसीकिसी को वर प्राप्त होने का वचन मिल गया और स्तनों से दूध पीते बालक उनकी झोली में आ गए ।
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334 रीस जोगियां दी तैथों नहीं हुंदी हवसां1 केहियां जटां रखाइयां दियां बेशरम दी मुठ जयों पूछ पिदी जेहियां मुंजरां2 बेट3 दी धाइयां दियां तानसैन जिहा राग नहीं हुंदा लख मतां जे होन अताइयां दियां तेरी चराचर बिरकदी4 जीभ ऐवें जिवें जुतियां मरकदियां साइयां दियां सिर मुंन दाढ़ी खेह लाइयां ई कदरां डिठयो एडियां चाइयां दियां मुंडयां नाल घुलना मंदे बोल कहने नहीं चालियां भलयां दयां जाइयां दियां नहीं कावयों चूहड़ा होवे वाकफ खबरां जानदे चूहड़े खाइयां दियां नहीं फकर दे भेतदा तूं वाकफ खबरां तुध नूं महीं चराइयां दियां चितड़ सवाह भरे वेखो मगर लगा जिवें कुतियां होन कसाइयां दियां जेहड़ियां सुन उजाड़ विच वांग खवर कदरां उह की जानदियां दाइयां दियां गधे वांग तूं रजयों करे मसती कछां सुंघनां रन्नां पराइयां दियां पूछ गाईं दी मही नूं जोड़ नाए खुरियां मही नूं लाउना ए गाइयां दियां हासा आंवदा वेख के सिफलया5 गलां तबा6 दीयां वेख खफनाइयां दियां मियां कौन छुडावसी आन तैनूं धमकां पैनगियां जदों कुटाइयां दियां गलां इशक देवालियां नाहीं फलियां कचे घड़े ते बहन रूढ़ाइयां दियां परियां नाल देवां नूं की आखन जिनां वखियां भंनियां भाइयां दियां एह इशक ना जानदे चाक चोबर खबरां जानदे रोटियां ढाइयां दियां वारस शाह न बेटियां जिनां जाइयां उह की जाणदे कदरां जवाइयां दियां
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रंडुवा तो रोवै आधी रात रंडुवा तो रोवै आधी रात सपने में देखी कामनी कोई ना पीसे उसका पीसना कोई ना पूछै उसकी बात हिलक हिलक रंडुवा रो रहा भाभी ने पूछी बात सपने में देखी कामनी कोई न रोटी बणा देवे उसे कोई न पूछे उसकी बात सपने में देखी कामनी
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मैं तुझे पूछूँ लाड़ो बीबी, एके बाल नव कँगही मैं तुझे पूछूँ लाड़ो बीबी , एके1 बाल नव कँगही2 । किनने3 तेरा बाल सँवारा है ? ॥ 1 ॥ दादी जो मेरी कवन दीदी बीबी , एके बाल नव कँगही । वही दादी बाल सँवारा है ॥ 2 ॥ मैं तुझे पूछूँ लाड़ो बीबी , एके बाल नव कँगही । किनने तेरा बाल सँवारा है ? ॥ 3 ॥ नानी जो मेरी कवन नानी बीबी , एके बाल नव कँगही । वही नानी बाल सँवारा है ॥ 4 ॥
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नांनी नांनी बूंदियां हे सावन का मेरा झूलणा नांनी नांनी बूंदियां हे सावन का मेरा झूलणा एक झूला डाला मैंने बाबल के राज में बाबल के राज में संग की सहेली हे सावन का मेरा झूलणा नांनी नांनी बूंदियां हे सावन का मेरा झूलना ए झूला डाला मैंने भैया के राज में भैया के राज में गोद भतीजा हे सावन का मेरा झूलना नांनी नांनी बूंदियां हे सावन का मेरा झूलना
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वीरांगना अवंतीबाई इनकी शौर्यगाथा पर बाबू वृन्दावनलाल वर्मा ने ‘रामगढ़ की रानी’ उपन्यास लिखा है तथा केंद्रीय सरकार ने इनकी स्मृति में विशेष डाक टिकट जारी किया है । धन्न भूम भई मनकेड़ी की , जितै अवतरीं रानी , जुगनजुगन नौ जाहर हो गई उनकी अमर कहानी ; बड़े प्रेम सैं चबा चुकी तीं , देसप्रेम कौ बीरा , जियतजियत नौ ई धरनी की , दूर करत रई पीरा । नगर मण्डला के बीरन में ऐसे भाव भरे ते , प्रान हाँत पै धर गोरन सैं , अपनें आप लरे ते , थरथर प्रान कँपे गोरन के , ई रानी के मारैं , डारडार हँतयार भगे ते , सुनसुन कै ललकारैं । हलहल गऔ रानी के मारें , बाडिंगटन कौ आसन , सोससोस रै गए ते दुसमन , अब का करबैं सासन । ऐसौ परो खदेरौ उनपै , प्रान बचाकैं भागे , कजन बचे रए रानी जू सैं , भाग सबई के जागे । सुनसुन कै दुक गए ते दुसमन , ऊ घुरवा कौ टापैं , लाललाल मों देख जुद्ध में , जिऊ अरियन के काँपैं । एक हाँत पाछैं रइँ उनसै , झाँसीवारी रानी , ई धरनी कौ कनकन कै रओ , उनकी सुजस कहानी । राज रामगढ़ की रानी की , है काँ किलौ पुरानौ ? अपुन इए अब आजादी की , निउँ कौ पथरा मानौ । अमर बीरता के साके की , दै रओ किलौ गबाई , जी के भीतर देसभक्ति की , जगमग जोत जगाई । ऐसी अमर बीर रानी खौं , भूले काय कुजानें , जस की डोर दौर कै भइया , अपनी तरपै तानें । स्वार्थ भाव के इँदयारे में , नीतन्याय खौं भूले , उल्टीसूदी बातें गड़कै , ऊसई फिर रए फले । देसप्रेम की मीठौ अमरत , अपनें मन में घोलो , बीर अवंतीबाई जू की , एक साथ जय बोलो । महातीर्थ सी कर्म भूमि के , दरसन करबे जइयौ , भक्तिभाव सैं चिर समाधि पै , श्रद्धासुमन चढ़इयौ ।
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175 हीर आखया रांझया कहर होया एथों उठ के चल जे चलना ई दोवें उठ के लंबड़े राह1 पईए कोई असां ने देस ना मलना ई जदों झुगड़े वड़ी मैं खेड़यां दे किसे असां नूं मोड़ ना घलना ई मां बाप ने जदों वयाह दिती कोई असंा दा जोर ना चलना ई असीं इशक दे आन मैदान रूझे2 बुरा सूरमे नूं रनों भजना ई वारस शाह दे इशक फिराक दौड़े एह कटक फिर आख किस झलना ई
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उड़े हो गुलाल रोली हो रसिया उड़े हो गुलाल रोली हो रसिया केसर कस्तूरी की चमचाई उड़े हो गुलाल रोली हो रसिया भर पिचकारी मेरे माथे पै मारी बिन्दी की आब उतारी हो रसिया आज बृज में होली हो रसिया भर पिचकारी मेरे मुखड़े पै मारी बेसर की आब उतारी हो रसिया आज बृज में होली हो रसिया भर पिचकारी मेरे छाती पै मारी माला की आब उतारी हो रसिया आज बृज में होली हो रसिया भर पिचकारी मेरे हाथां पै मारी गजरे की आब उतारी हो रसिया आज बृज में होली हो रसिया भर पिचकारी मेरे पायां पै मारी बिछुवा की आब उतारी हो रसिया आज बृज में होली हो रसिया
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459 सहती खोलके थाल विच धयान कीता खंड चावलां दा थाल हो गया छुटा तोर फकीर दे मोजजे1 दा विचों कुफर पाजी परे हो गया जेहड़ा चलया निकल यकीन आहा करामात नूं देख खलो गया गरम गजब दी आतशों आप आहा बरफ कसफ2 दे नाल समो गया जिस नाल फकीरां दे अड़ी बधी ओह आपना आप वगो गया पेवे डाढयां माड़यां केहा लेखा ओस खोह लया ओह हो गया मरन वखत होया सड़ खतम लेखा जो कोई जमया छोह ने छोह गया वारस शाह जो कीमिया3 नाल छूता सोना तांबयों तुरत ही हो गया
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247 जोगी छड जहान फकीर होए एस जग विच बहुत खुआरियां ने लैन देन तेदगा अनियां करना लुट खुट ते चोरियां यारियां ने ओह पुरख निरब्बान पद जा पहुंचे पंज इंदरियां जिनां ने मारियां ने जोग दे के करो निहाल मैंनूं कहिया जिउ ते घुंढियां चाढ़ियां ने एस जट गरीब नूं तार तिवें जिवें अगलीयां संगतां तारियां ने वारस शाह मियां रब्ब शरम रखे जोग विच मुसीबतां भारियां ने
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बरसे महाराज झड़ाझड़ियाँ बरसे महाराज झड़ाझड़ियाँ , सो धरती जैजैकार करै । पानी कौ पहलौ गिरो , मुतियन की लर झिलमिला उठी , कुछ सौंधीसौंधी महँक जगी , सोई माटी कुलबिला उठी ; बह चलीं उरतियाँ गलिनगलिन , लरकन की गोलें जुरयाईं , कलकत उघरारे निकर परे , वे खेल चले चाईमाई ; सबनें जीऐसौ पाओ है , या अमरित की रसधार झरै । भर गुच्छन जमना फूट कढ़ी गौहान हार गोरीनारी , जैसे धरती खें उढ़ा गओ , कोउ पीरुइया प्यारीप्यारी ; सूकी कँदिया सकत्यान लगी , बिरछन पै आई नई उल्हन , जुड़रक में उतर खैजुअन सें चिनगुनीचिरइयाँ लगीं चुनन ; नाचत करहायँ , मितकरे मगन , भारई अलग झनकार भरै । निँग चलीं गिँजाई गैल धरें , ई पखनीपखना मौज करें , लजबन्ती बीरबहूटिन सें हरयारी सेंदुर माँग भरें । फिर रहे कैंचुवा , पौहन के गुलगुले गिलाए में सरकत , कुछ ऐसउ कीरा बिचर परे , जिनखें दिखतइँ छाती धरकत , मालिक कौ भारी कटखानों , अनगिन्ते जीव निकार घरै । हिलुरो जल कंडीउतरावन , जब गिरो कलफया भदरभदर , नद्दीनारे गड़गड़ा उठे , पा धुआँधार की झिमरझिमर ; अब आसातिसना दौर परी , छा गई जीउका जलाबम्म , करमार जुड़ाने बैठे हैं , करतूती कूदे घमाघम्म , कोउ ब्यामा छाँटै बौंड़बौंड़ , कोउ पूँछ पकर जग पार करै । बरसे महाराज झड़ाझड़ियाँ , सो धरती जैजैकार करै । ।
bundeli-bns
आया अयोध्या वाला कुवर दो आया अयोध्या वाला कुवर दो १ राजा जनक तो जग में हो ठाड़ा शोभा वर्णी न जाई उठ सभा दल देखण लागी उग्या भवन का तारा . . . कुवर दो . . . २ यो रे धनुष कोई सी हाले न डोले , लख जोधा आजमाया रावण सरीका पड्या खिसाणा भवपती गरब हरायाँ . . . कुवर दो . . . ३ लक्ष्मण सुणो बंधु रे भाई , गुरु की नी आज्ञा पाई डावी भुजा सी धरणी क तोकु धनुष की कोण बिसात . . . कुवर दो . . . ४ गुरु की आज्ञा पाई राम न , चरणो म शीश नमाया इनी रे भूमी पर है कोई योद्धा धनुष का टुकड़ा उड़ाया कुवर दो . . . ५ सिता रे ब्याही न राम घर आया , घरघर आनंद छाया माता कौशल्या न आरती सजाई राम बधाई घर लाया . . . कुवर दो . . .
nimadi-noe
373 जिस जट दे खेत नूं अग्ग लगी ओह रहिवां1 वढके गाह लया लावेहार2 राखे विदा होए ना उमैद हो के जट राह लया जेहड़े बाज तों काउं ने कूंज खोही सबर शुकर कर बाज फना लया दुनियां छड उदासियां पैहन लइयां सयद वारसों हुण वारस शाह होया
panjabi-pan
ऐ रानी डो ऐ रानी ऐ रानी डो ऐ रानी ऐ रानी डो ऐ रानी साडी डरमे घोरा फलगो बिचायो डो रानी बोले साडी डरमे घोरा फलगो बिचायो डो रानी बोले ऐ रानी डो ऐ रानी बोले ऐ रानी डो ऐ रानी बोले साडी डरमे घोरा फलगो बिचायो डो रानी बोले साडी डरमे घोरा फलगो बिचायो डो रानी बोले ऐ राजा जा राजा बोले ऐ राजा जा राजा बोले चो सन्ठी साडी डरमे घोरा फलगो निचानो डो बोले चो सन्ठी साडी डरमे घोरा फलगो निचानो डो बोले ऐ रानी डो ऐ रानी बोले ऐ रानी डो ऐ रानी बोले घोरा फलगो लियेन नी विष्णु भगवान सुबान डो रानी बोले घोरा फलगो लियेन नी विष्णु भगवान सुबान डो रानी बोले स्रोत व्यक्ति नन्हेलाल , ग्राम झल्लार
korku-kfq
163 हीर पुछके आपने माहीए नूं लिखवा जवाब चा टोरया ई तुसां लिखया ते असां वाचया ई सानूं वावदयां ही लगा झोरया ई असां धीदो नूं चा महींवाल कीता कदी टोरना तेनहीं लोड़या ई कदे पान ना वल फेर ते पहुंचे शीशा चूर होया किसे जोड़या ई गंगा गइयां न हडियां मुड़दियां ने गए वकत नूं किसे ना मोड़या ई हथों छुटके तीर ना कदे मिलदे वारस छडना ते नहीं छोड़या ई
panjabi-pan
आल्हा ऊदल बावन गज के धोती बाँधे खरुअन के चढ़ल लँगोट अस्सी मन के ढलिया है बगल में लेल लगाय तीस मन के जब नेजा है हाथन में लेल लगाय बाँक दुआल पड़ल पंजड़ तक तर पल्ला पड़ल तरवार छप्पन छूरी नौ भाला कम्मर में ढुले बनाय बूता बनाती गोड़ सोभै जिन्ह का गूँज मोंछ फहराय बावन असरफी के गल माला हाथन में लेल लगाय भूजे डण्ड पर तिलक बिराजे परतापी रुदल बीर फाँद बछेड़ा पर चढ़ गैल घोड़ा पर बैल असवार घोड़ा बेनुलिया पर बघ रुदल घोड़ा हन्सा पर डेबा बीर दुइए घोड़ा दुइए राजा नैना गढ़ चलल बनाय मारल चाबुक है घोड़ा के घोड़ा जिमि नव् डारे पाँव उड़ गैल घोड़ा सरगे चल गैल घोड़ा चाल बरोबर जाय रिमझिम रिमझिम घोड़ा नाचे जैसे नाचे जंगल के मोर रात दिन का चलला माँ नैना बढ़ लेल तकाय देखि फुलवारी सोनवा के रुदल बड़ मगन होय जाय डेबा डेबा के गोहरावे डेबा सुनव् बात हमार डेरा गिरावव् फुलवारी में प्रक निंदिया लेब गँवार बड़ा दिब्य के फुलवारी है जहवाँ डेरा देल गिराय घुमि घुमि देखे फुलवारी के रुदल बड़ मंगन होय जाय देखल अखाड़ा इन्दरमन के रुदल बड़ मंगन होय जाय
bhojpuri-bho
लचिका रानी बंदना रम्मा पहिलें सुमराैं सरसती मैयो हो ना रम्मा हमरा पर हुवेॅ सहैयो हो ना रम्मा सुमरौं गणपति , गणेश , चरणमो हो ना रामा नीचें सुमरौं शेषनाग देवता हो ना रम्मा सुमराैं आपनोॅ धरती धरममो हो ना रम्मा सुमराैं हम्मे सातो बहिन दुर्गा महरनियो हो ना रम्मा पकड़ी सुमराैं गुरू जी के चरनमो हो ना रम्मा जौनें देलकै हमरा गियनमो हो ना रम्मा सब्भै देवता के करौं परनममो हो ना रम्मा सुनोॅ आबेॅ लचिका के कहनियो हो ना पहिला खण्ड रम्मा सुनोॅ कथा लचिका के धरि केॅ धियानमो रे ना रम्मा बरप्पा छेलै एक नगररियो रे ना रम्मा वहाँ के राजा बड़ा शक्तिशालियो रे ना रम्मा इनकर लड़का छेलै प्रीतम सिंहो घब रे ना रम्मा सब्भै राजा में प्रसिद्धवो रे ना रम्मा अन्नधन छेलै पुरजोरिवो रे ना रम्मा लचिका छेलै प्रीतम के जानमो रे ना रम्मा देखै में छेलै खुबसुरतियो रे ना रम्मा लागै गुलाब फुलवो रे ना रम्मा रूप छेलै अनुपे रे ना रम्मा आवेॅ सुनोॅ आगू के बतियो रे ना रम्मा नौरंग सिंह के छेलै नौरंग पोखरबो रे ना रम्मा राजा के सुनी हुकुममो रे ना रम्मा आबी केॅ बोलै कुटनी बुढ़ियो रे ना रम्मा हम्में लानी देभौं लचिका रनियाँ रे ना रम्मा पान बीड़ा खैलके कुटनी बुढ़िया रे ना रम्मा बुढ़िया धरलकै रसतवो रे ना रम्मा जाय पहुँचलै वरप्पा नगरियो रे ना रम्मा करलकै राजा बड़ी इन्तजामवो रे ना रम्मा संगोॅ में सब पलटनमो रे ना रम्मा पहुँची गेलै वरप्पा पोखरियो रे ना रम्मा बुढ़िया गेलै लचिका के भवनमो रे ना रम्मा लचिका सें करै छै बतियो रे ना रम्मा हम्में छेकियौ तोरोॅ मौसियो रे ना रम्मा बुढ़िया बोलै मीठी बोलियो रे ना रम्मा लचिका सुनी देलकै जबबो रे ना रम्मा मैया छेलै हमरोॅ अकेलवो रे ना रम्मा दोसरोॅ कोनो नहीं बहिनियो रे ना रम्मा कैसें लागभैं तों हमरोॅ मौसीयो रे ना रम्मा तबेॅ बोलै कुटनी बुढ़ियो रे ना रम्मा सुनें बेटी हमरोॅ बतियो रे ना रम्मा जहिया होलौ तोरोॅ जनममो रे ना रम्मा वही दिनां होलै हमरोॅ गौउनमो रे ना रम्मा जहिया सें गेलियै ससुररियो रे ना रम्मा नाहीं एैलियै नैहरवो रे ना रम्मा होलौ जबेॅ तोरोॅ विहववो रे ना रम्मा नै देलकौ तोरो माय नेवतो लियवनमो रे ना रम्मा तोड़ी देलकौ हमरा सें नतवो रे ना रम्मा जानभैं कैसें तों हमरोॅ हलवो रे ना रम्मा कैसें करभैं पहचनमो रे ना रम्मा पूछले ऐलां तोहरोॅ नगरियो रे ना रम्मा तोरा सें करैलेॅ मुलकतवो रे ना रम्मा हम्में तोरोॅ मौसियो रे ना रम्मा मानी लेहै हमरोॅ तों सत बचनमो रे ना रम्मा तोरोॅ ससुर के नौ रंग पोखरियो रे ना रम्मा मनोॅ में लागलोॅ ललसवो रे ना रम्मा देखै लेॅ ऐलां सुनी केॅ नममो रे ना रम्मा सुनी लचिका भेलै मगनमो रे ना रम्मा करेॅ लागलै मौसी के आदर सतकरबो रे ना रम्मा कुटनी बुढ़ियाँ के मनोॅ मे भेलै खुशियो रे ना रम्मा एक दिन कहै कुटनी बुढ़ियो रे ना रम्मा सुनें बेटो लचिका हमरोॅ बतियो रे ना रम्मा तोहरोॅ छौ नौ रंग पोखरियो रे ना रम्मा हमरा देखाय दे भरी नजरियो रे ना रम्मा चली केॅ हमरा संगवो रे ना रम्मा तबेॅ पूरा होतै हमरोॅ अरमनमो रे ना रम्मा लचिका कहै मौसी सें बतियो रे ना रम्मा सुनें हमरोॅ बतियो रे ना रम्मा हम्मे पूछि आवै छियौ आपनोॅ सासू सें रे ना रम्मा तबेॅ लैके जैवौ पोखरियो रे ना रम्मा इ बात बतिया कही के लचिका गेलै सासू के पासबो रे ना रम्मा हाथ जोड़ी करै बतियो रे ना रम्मा सुनोॅ माय जी हमरोॅ बतियो रे ना रम्मा आजु दिना छेकै एतबरबो रे ना रम्मा सुरूजोॅ केॅ देवै अरगबो रे ना रम्मा हमरा तों देॅ हुकुममो रे ना रम्मा हम्में जैबै नाहैलेॅ पोखरियो रे ना रम्मा लचिका के सुनी बचनमो रे ना रम्मा सासु कहै पूतौहो सें बचनमो रे ना रम्मा पोखरिया के पानी बड़ा खरबवो रे ना रम्मा कादोॅ कीचड़ सें भरलोॅ पोखरबो रे ना रम्मा कैसंे जैभो पोखिरिया असनानमो रे ना रम्मा ठंडा लागी पोखरिया के पनियो रे ना रम्मा ऐगंना में खोदाई देभौं वारह कुपबो रे ना रम्मा रेशम के लानी देबाैं डोरियो रे ना रम्मा नहीं देलकै साँसू हुकुममो रे ना रम्मा तबेॅ भै गेलै रानी लचिका उदसवो रे ना रम्मा चल्लो गेलै ससुर जी के पसबो रे ना रम्मा जाय केॅ बोललै हलवो रे ना रम्मा ससुरें दै देलकै हुकुमो रे ना रम्मा तबेॅ गेलै स्वामी जी के पासवो रे ना रम्मा नहीं देलकै स्वामी हुकुममो रे ना रम्मा माथा पर चढ़लै शैतनमो रे ना रम्मा नहीं मानलकै केकरो कहनमो रे ना रम्मा चल्लोेॅ गेलै पोखरिया असननमो रे ना रम्मा कुटनी के फेरोॅ में पड़लै रानी लचिको रे ना रम्मा फिरी गेलै लचिका के मतिया रे ना रम्मा कुटनी बुढ़ियाँ के दागाबजियो रे ना रम्मा भेद कुछु नहीं जानलकै रानी लचिको रे ना रम्मा लड़का छोड़ी देलकै घरवो रे ना रम्मा सुतलोॅ पलंग के उपरबो रे ना रम्मा लै लेलकै आपनोॅ कपड़वो रे ना रम्मा चल्लोॅ गेलै कुटनी के संगबो रे ना रम्मा पोखरिया में करै लेॅ असननमो रे ना रम्मा आवे सुनो पोखरियाँ के बचनमो रे ना रम्मा वहाँ बैठलोॅ रहै पापी जयसिंह राजवा रे ना रम्मा मनोॅ में सौचै बतियो रे ना रम्मा आजु दिना मिली जैतै रानी लचिको रे ना रम्मा लचिका एैले पोखर किनरवो रे ना रम्मा दतवन करेॅ लागलै पोखर किनरवो रे ना रम्मा कपड़ा गहनमा खोली धरै घटवा भीतरबो रे ना रम्मा लचिका नहावेॅ लागलै घटवो रे ना रम्मा कुटनी बुढ़िया देलकै राजा के ईशरवो रे ना रम्मा राजा जबेॅ देखलकै ईशरवो रे ना रम्मा साथे लैके सिपहिया लशकरवो रे ना रम्मा आवी पहुँचलै पोखरियाँ ऊपरवो रे ना जतना छेलै सेना लश्करवो रे ना रम्मा घेरी लेलकै आवी केॅ पोखरियो रे ना रम्मा लचिका जबेॅ देखलकै हलवो रे ना रम्मा भागि केॅ छिपलै मंदिरवो रे ना रम्मा जबेॅ सुनलकै नौरंग सिंह खबरवो रे ना रम्मा लचिका घेरैली पोखरबो रे ना रम्मा घेरलकै आवी केॅ दुश्मनमो रे ना रम्मा मथवा धुनै कहै बचनमो रे ना रम्मा बहुएं नहीं मानलकै कहनमो रे ना रम्मा पोखरिया पर गेलै करिकेॅ हठबो रे ना रम्मा पड़ी गेले दुश्मन के हथवो रे ना रम्मा होय गेलै बड़ी मुश्किलवो रे ना रम्मा एतना कही केॅ बचनमो रे ना रम्मा देलकै पलटन के हुकुममो रे ना रम्मा एैलै दुश्मन पोखरियो रे ना रम्मा होय जायकेॅ जल्दी तैयरवो रे ना रम्मा सुनी केॅ जयसिंह के बतियो रे ना रम्मा पलटन सजलकै आरू हथियो रे ना रम्मा चल्लै पोखरिया पर पटलनमो रे ना रम्मा साथो में चललै प्रीतम सिंहबो रे ना रम्मा पोखरिया पर पहुँचे फौजियो रे ना रम्मा दोनों दलोॅ के भेलै भिड़नमो रे ना रम्मा चलेॅ लागलै तीर तलबरवो रे ना रम्मा हुवै लागलै घमासान लड़ैयो रे ना रम्मा बहै लागलै लहुवो के धरबो रे ना रम्मा घोर लड़ैया होलै चार पहरवो रे ना रम्मा जयसिंह पोखरियो रे ना रम्मा पलटन के देखी हलवो रे ना रम्मा प्रीतम सिंह लड़े आबी केॅ अगुओ रे ना रम्मा करलकै धमासान लड़ैयो रे ना रम्मा लड़तेंलड़तें तेजलकै परनममो रे ना रम्मा रहि गेलै नौरंग सिंहवा अकेल्ले रे ना रम्मा सुनिकेॅ हाल होले बेहलबो रे ना रम्मा फेनू धीरज धरलकै मनमो रे ना रम्मा घोड़ा वृजवाहन पर सबरबो रे ना रम्मा लड़ैलेॅ चललै होयकेॅ तैयरवो रे ना रम्मा पहुँची गेलै पोखरिया उपरवो रे ना रम्मा आबी केॅ लड़ेॅ लागलै नौरंग सिंहबो रे ना रम्मा करिकेॅ लड़ाय धमसनमो रे ना रम्मा दस बीस के काटै गरदनमो रे ना रम्मा एतनै में एैललै एक वीरवो रे ना रम्मा पीछू सें मारि देलकै तेगवो रे ना रम्मा नौरंग सिंह के कटी गेलै गरदनमो रे ना रम्मा धरती पर गिरी तेजलकै परनमो रे ना रम्मा होलै नाश नौरंग सिंह के दलवो रे ना रम्मा दुश्मन केॅ होलै खुशी हलवो रे ना रम्मा चारो ओर मचलै जै जै करबो रे ना रम्मा दुश्मन दल के भीतरवो रे ना
angika-anp
सर्प दंश से सम्बन्धित मंत्र बड़वा नीम की पाँच टहनी पत्ते वाली लेता है और पीड़ित व्यक्ति के सामने बैठकर सर्प का जहर उतारने के लिए मंत्र बोलता है , नीम की टहनियों को पीड़ित व्यक्ति के सिर से झाड़ा डालता है । जिसे सर्प काटा हो उसे पूर्व दिशा की ओर मुँह करके जमीन पर बैठा देते हैं , लाल धागा भीलट बाबा की मान लेकर बड़वा पीड़ित के दाहिने हाथ में बाँध देता । मान यह लेता है कि जहर उतर जायेगा तो सवा पाव शक्कर , पेठा , गेहूँ का आटा , घी लेकर प्रसाद बनाकर भीलट बाबा को भोग लगाकर , सबसे पहले भानेज को प्रसाद देकर बाद में दूसरे लोगों को बाटूँगा । मंत्र1 चालक चलावनि बोर की मिठी लगडोडा परोलो की पपड़ी काली कुत्ती गले काम से दर में घुसी हाल हेर करी पकड़ा नवनागनी नव वाटा पड़या तो एक वाटो दिवड़ खाई गयो कुआँमर जड़ी ताहॉ आया साथ हाथी हाथी , हाथी रिस करें रोटा , रोटी भान दिया , ताह निकलीयो कालो नाग नाग का बेटा का नाम डुचकियो , उदालाल , पानलाल , धामन सुरित निल बागरे छिट परनी , मंत्र2 माथे काटनी नी मुड़ल में मेकिस जिप काटीन आरती में मेकिस हजुर जामनी दाँव पाय खड़ो रहीन धोग दिस मंत्र3 दरिया न काँटा वाकि वड़ली न चाहाँ बाधीयो हिरन हिडोलो दरिया न काँटा वड़ली न चाहाँ हिचारू छिट परली नागन , दरिया न काँटा वाकि वड़ली न चाहाँ हिचारू लाड़ी , बाडी नागन फुफल , फुगारी दरिया न काँटा वाकि वड़ली न चाहाँ बाधीयो हिरन हिडोलो , ताहा हिचारू दिवेदो नागन धामन की नागन , दरिया न काँटा वाकि वड़ली न चाहाँ बाँधीयो हिरन हिडोलो , चाहा गुयरो गुहराव छीबरो नागन , दरिया न काँटा वाकि वड़ली न चाहाँ बाधीयो हिरन हिंडोलो , भुई सापन दरछायी दरिया न काँटा वाकि वड़ली न चाहाँ बाधीयो हिरन हिंडोलो , आम्बासम्बा हिदल नाखे भिलड़ बाबो धुराव न दखनाव , हवा चाले हिड़ल हिचे , हिचे , हिचे टुट पड़ीयो , दरियाम पड़यो , रहीयो मगर माछलो चुसि डासियो खाई गयो धरती गुजपिय उतारू मारसी नि उतरेतो तो सवाँ हाथ डन्डो उतारू सातपुड़ी जमीन माता इस्माल जोगी निकालियो तो कपन गाय न गोह आयो , ग्वालीया पोरिया हतला ग्वालियर पोरिया क इस्माइल जोगी पूछियो कि निल्लो , पिल्लो वासड़ो देखियो नी पोरिया कहीयो कि भरिया डूँगर में छ बाबा निलो , पिल्लो वासड़ो ढंूढतोढूंढतो गयो , भरिया डूँगर में जड़ गयो वासड़ो सोलह लौंग , सुपारिया , हाथ में लेदी गुगेड़ी लाकुड़ काखम में लेधा झोलना चोटियालो नारियल अगरबत्ती लोबान चुनियो कुकड़ा कोरी भाटी नो दारू काचा सुत , सुती देधो वासड़ा मर पूजा पाट कर देदी दाऔ झाटको मारियो तो दुधियो तलाब बनियो जेवडियो झाटको मारियो तो खुन न तलाव बनियो वासड़ो काटिन दाबल बनाया , जाल , कालो नाग फुक मारिया निल्ली , पिल्ली जमीन हईगई स्वर्ग में निल्लो , पिल्लो बाण फुट गयो , मंत्र4 अम्बी न साम्बी जाल फेकेरे काला नागक धखा लागियो काला नाग धरया गियो न दाबला भरने लागिया , रामलो , धामलो तपन लागियो आबी न तुलवारा मार , अदलिया फेरम रातु न दिसु गोबा वधवा लागिया , कागनी फेरम रातु न दिसु गोबा वधवा लागिया , आम्बीसाम्बी न जाल फेकेरे जोगी धुचकिया , नागन काजे धरी लेदो न दाबल मे भरी लेधो , चोकिया फेरन रातु न दिसु गोबा वधवा लागिया , आम्बी रे साम्बी जाल रे फेकेरे जोगी , लाड़ी बान्ड़ी , नागन फुफल फुगार , मादल फेरू रातु न दिसु वधवा लागिया गोबा , आम्बी रे साम्बी जाल रे फेकेरे जोगी उदालाल पानलाल , रातु रे दिनु रे वधवा लागिया रे गोबा धोल फेरू , रातु रे दिनु रे वधवा लागिया रे गोबा स्वर्ग ठलारो मार देधा , गोबा वधबा लागिया चटकिया फुटकिया , रामला गामला तपने लागिया , तिरसठ जात न जनवार डोलन लागिया तिरसठ जात न जनवार दाबला म भरीन जोगी शोरी मामा न झोपल गयो शोरी मामा काई की काई भाई काई लाइयो जोगी बोलियो तिरसठ जात ना जनवार दाबला म भरीन लाईरियो शोरी मामा कहियो की जोगी इन्छु कटियाला जनवार काजे डुडिया में बसाड़ी न समुद्र पली पार कर देजी कापन गाय न गोह लागिया बिच्च म गुवालिया पोरिया आया जोगी काजे पूछन लागियो , इन्हु दाबला म काई लिजाई जोगी बाबा देधो दाबलो खोलिन गुवालिया पोरिया देखिन घबराय गया तिरसठ जनवार कहाँ ती लायो , कुसल दाँत लहरीयो फेन वालो तो रेड़ भात ना तो गुवालिया पोरियो बोलिया कि जा बाबा इन्हूंक समुदु पली घड़ छोड़िया दरिया न काट वाकि वरली इस्माइल जोगी जाई हिडोल बाधियो हिचतहिचत दुट पड़यो गयो मगरमाच्छला चुसी डसी खाई गयो , यह मंत्रांे के बाद में सभी देवीदेवता काम नाम बोलते हैं । सातपुड़ी जमीन मुण्डीया सी राफ वासींग नाग , बैलाबाबा , कुण्डी राणादेव , नाक में कुहतादेव , खाक में भवरा , एक तागीया बबल , थानिया सुपड़ काडिया , शिवाबाबा , महेश्वर वाला डेरा , नर्मदा माई , फुलबाई माता , बाघेश्वरी माता , काली माई , कालका माता , डामरा माता , महीमाता , गायमुख माता , भिलड़ देव , खेड़ा देवती , रानी काजल , भेस्टा कंुवर देव , नाहाराजा कुंवर । ऊँकारजी बाबा , सिंगाजी बाबा , गणपति बाबा , बलवारी बाबा , हनुमान , महाकालडेरा बाबा , हुनमान बाबा , रामभगवान , भिमा , माता कुन्ती , सितामाता , महादेव गोरा , चाँद , सूरज , मालदेव , उगवना , बुड़वना , तरफ मारा दरवाजे । यह मंत्र पूरा होने पर सर्प का जहर उतर जाता है , फिर उतारने वाला या बड़वा जंगल में जाता है और जंगली जड़ीबूटी खोजकर लाता है । जड़ीबूटी को बारीक पीसकर , पानी में घोलकर पिला देते हैं और वह सर्प का काटा हुआ अच्छा हो जाता है ।
bhili-bhb
340 आ नढीए गैब क्यों चाया ई साडे नाल की रिकता1 चाइयां नी बेकसां दा कोई ना रब्ब बाझों तुसीं दोवं ननाण भरजाइयां नी जेहड़ा रब्ब दे नाम ते भला करसी अगे मिलनगियां ओस भलाइयां नी अगे तिन्हां दा हाल ज़बून2 होसी अखीं वेख करन जो बुरयाइयां नी
panjabi-pan
नाई की तेरे लाम्बे लाम्बे खेस नाई की तेरे लाम्बे लाम्बे खेस आधे बिछा ल्यो आधे ओढ़ ल्यो राजा जी मेरी मां के पाले खेस क्यूंकर बिछा ल्यूं क्यूंकर ओढ ल्यूं राजा जी तेरी चाल सरूप जणू रै हाथी घूमै गाल मैं राजा जी तेरा बोल सरूप जणू रै पपीहा बोल्या रेल का नाई की तेरा बोल सरूप जणू रै कोयल बोली बाग में नाई की तेरी चाल सरूप जणू मुरगाई तिरगी ताल मैं
haryanvi-bgc
145 मुंह उंगलां घत के कहनसभे कारे करन थीं एह ना संगदा ए साडियां मंमियां टोंहदा छेड़ गलां पिछों होएके सुथणां सुंघदा ए सानूं कठियां करें ते आप पिछों सान होएके टपदा रिंगदा ए नाल बन्न के जोग नूं जोअ देंदा गुतां बन्न के खिचदा टंगदा ए तेड़ां लाह घाई ते फिरे भौंदा भऊं भऊं मूतदा ते नाले त्रिंगदा ए वारस शाह उजाड़ विच जाय के ते फुल साढियां कनां दे सुंघदा ए
panjabi-pan
जौ गीवहां को उबटणों राय चमेली का तेल जौ गीवहां को उबटणों राय चमेली का तेल अत लाडो बैठ्यो उबटणै मैल झड़े झड़ मैं पड़े नूर चढै गोरे अंग अत लाडो बैठ्यो उबटणै आ मेरी मायड़ देख ले तम देख्या सुख होय अत लाडो बैठ्यो उबटणै आ मेरी भुआ देखल्यो तमने आरतड़ा रो चाव अत लाडो बैठ्यो उबटणै
haryanvi-bgc
कैसे खेले जइबू सावन में कजरिया कैसे खेले जइबू सावन में कजरिया बदरिया घेरि आइल ननदी तू तौ जात हौ अकेली कौनो संग न सहेली गुण्डा रोकि लींहें तोहरी डगरिया बदरिया घेरि आइल ननदी भौजी बोलेलू तू बोली सुनिके लागल हमरा गोली काहे पड़ल बाड़ू हमरी नगरिया बदरिया घेरि आइल ननदी केतने दामुल फाँसी चढ़िगे केतने गोली खाके मरिगे केतने पीसत होइहैं जेल में चकरिया बदरिया घेरि आइल ननदी
bhojpuri-bho
भोर बीरन हो रओ भोर , दूदसीं डूबन लगीं तरइयाँ । बड़ी भुजाई नें बखरी कौ , टालटकोरा कर लऔ । माते जू के बड़े कुआ कौ , मीठौ पानी भर लऔ । मुरगन नें दई बाँग , डरइयँन बोली श्याम चिरइयाँ । बीरन हो रऔ भोरदूदसी डूबन लगीं तरइयाँ । मानकुँवर ने सारन कौ सब , कूराकरकट भर लऔ । दूद देत गइयनभैंसन खौं , दन्नों दर कैं घर दऔ । सौकारूँ कर लेब गोसली लगीं रमाँउन गइयाँ । बीरन हो रऔ भोर , दूदसी डूबन लगीं तरइयाँ । नन्नीं बउ नें दोउ भाँउन कौ , दई भाँ लऔ सबरौ । जुनइ रखाउन हरियन सै , डरुआ खेतन खौं डगरौ , कहा करइयाँ हौ आँगन में आगइ ऐन उरइयाँ । बीरन हो रऔ भोर , दूदसी डूबन लगीं तरइयाँ । बेर बीनवे कड़ गऔ पनुआँ लैकैं बड़ौ ढिकौला । चून माँगबे आ गऔ दोरें बी सादू , हरबोला । जो कजन्त कउँ झूँठी मानौं , हेरौ खोल किबइयाँ । बीरन हो रऔ भोर , दूदसी डूबन लगीं तरइयाँ । आलस छोड़ किसान , भोर कर लेय काम जई अपनें । ‘मित्र’ सदा बेइ सुक्ख उइाबै , दुक्ख न पाबै सपनें । मोय छोड़ नइँ कोऊ तोखौं भइया कमऊँ जगइयाँ । बीरन हो रऔ भोर , दूदसी डूबन लगी तरइयाँ ।
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सूजैं इन आँखन अलबेली सूजैं इन आँखन अलबेली जग मैं रजऊ अकेली । भरकें मूठ गुलाल , धन्न वे , जिनके ऊपर मेली । भागवान जिनने पिचकारी , रजऊ के ऊपर ठेली । ई मइनाँ की आवन हम पै , मिली , मसा के झेली । अपकी बेराँ उननें ईसुर फाग सासरें खेली ।
bundeli-bns
कई रेती में पीपल छाया कई रेती में पीपल छाया कई गेरा कुंडा खणाया हो म्हारा गेरा गजानन्द आया कई दाऊजी रे मन भाया कई माता बई हरक बवाया म्हारा गेरा गजानन्द आया कई काकोजी रे मन भाया कई काकीजी मोतीड़े बदाय । कई भैया रे मन भाया कई भाभी बई कंकूड़े बदाया कई मामाजी रा मन भाया कई मामाजी हिदड़े बदाया
malvi-mup
भानु भौंपेलो हिंडवाणी कोट मा रन्दो1 छयो2 हंसा हिंडवाण , वो त होलो अनमातो3 धनमातो4 जैकी बार5 छन तिवारी , बत्तीस नीमदरी6 , मट्टी जसो अन्न होलो , ढुंग्यों7 जसो धन , बार छन बेटा जैका , अठार छन नाती । तब हिण्डवाणी कोट मा पड़े , बार बरस को अकाल , देखा बड़ा पेड़ा , न लायान भूक , छोटा न पड्यान दूख । हिण्डवाणी कोट मा , कनी तराइ8 मचीगे , रोन्दा छन , बराँदा9 भूखन नौना , देखीदेखीक , जिकुड़ी चिरेन्दी । बत्तीसू कुटूम तैकू , भूखन चचलाण10 लैगे , बड़ो आदमी छयो , हंसा हिण्डवाण , वैकू शरम ऐगे , अपणा आँसू पीगे । कै मू अपणी , विपता कया लाण , कै मू मैंन अब , मांगणक जाण ? विता का दिनू , अपणा भी होंदा पराया । गाडे़11 वैन तब , खोड12 की लगोठी13 , मिठो जैर14 डाली , दिने बत्तीस कुटुम । तब बत्तीसों कुटुम , वैको स्वर्गवास ह्वैगे , अफू भी ढकी गै राजा , तिवारी का अडासा15 । वे को बैटा भानू , मामाकोट छयो जायँ तब लौटी आये , हिण्डवाणी कोट मा , सूनो चौक देखे वैन , सूनकार तिवारी , घूमद ऊं बार तिवारियों , बाईस निमदारियों , तब देखीन वैन , अपणू बत्तीसों कुटम जागू16 जागू मू मरियूं । तब चाखुड़ी17 सी रीटदो18 , भानू भौपेलो , रौंदू छ बराँदू , कपाल फोड़ीफोड़ी । कै मा नी सुणाँद , बदनामी की डर , लोक बोलला , रजा की कुटमदारी , भूखन मरी गए । शरम को मारो छौ वो , विपता को हारो , बत्तीस कुटम को वैन , एकू भारो लगाये , तब लीगे ऊं रविछाला19 मुंग । चिता बणाई वैन , अपणी जिकुड़ी सल मा जगदी देखे फूकेन्दी । तब चिता कों राखो लीक , भानु भौपेलो , ऐगे हिण्डवाणी कोट माँग सूनी तिवारी वै , तब खाण औन्दीन , तब बोल्द वो , भानू भौंपेलो : मैंन यख रैक , क्या त करण ? तब उतान्याँ वैन , राजों का कपड़ा , बणाये मालू20 की झगली , मालू की टोपली21 , छोड़याली तब वैन , हिण्डवाणी कोट । तब राजपाट छोड़ीक , शैरू 22 शैरू घूमद , एक शैर छोड़ी राजा , दूसरा शैर जान्द दूसरा शेर छोड़ी , तीसरा चौथा शेर जान्द । छठा शेर मा जाँद , कालूनी कोट मा , कालूनी कोट मा , रन्दो छयो सजू कलूनी । तब सजु कलूनी मा , भानू जदेऊ23 लगौद , रजा तेरी बलया जौलू , मैं छऊँ गरीब छोरा , गरीब छोरा छऊँ , मैं नौकर धन्याल । छारा , नौकर धरलू , तिन तनखा क्या लेण ? गरीब छोरा छऊँ , रोटी दियान कपड़ा । तउ सोचदू सजू , अछू नौकर मिले , त्वई लैख24 काम , डाँडू की मरूडी25 हमारी , डाँडों की करूड़ी , घास काटण की नौकरी । तब फेंक्याले वैन , मालू की झूली टोपली , सजून दिन्या , फट्यांपुराणा बस्तर । तब सामल पांजायाले , बतैले डाँडा को बाटो , वे डाँडा मरूड़ी बैठा , घास काटण । तब भानु भौपेलो गैगे , वीं डाँडा मरोड़ी , सजू कलूनी की छई , एक नोनी अमरावती , नोनी अमरावती , छई सुघर तरुणी । वींन देखे , छोरा एक औन्द , तब बोदे : मैंन पैले बोल्याले , छोरा आँगण छूत न करी । मैं तेरा ब्वई26 बुवान27 , नौकर भेजेऊँ , ई डाँडा मरूड़ी , मैन घास काटण । तू अबी लोटी जा , धसेर छोरा , यख मर्द का नौं28 , माखो29 नी औन्दी । वा ज्योंज्यों ना करदी , छोरा अगाड़ी औन्दो , तब अमरावती , भौत गुस्सा ऐगे ; न औ न औ छोरा , मैं आज चाँदू30 बेन्दू31 बेलों32 मू , तेरी श्किार खेलौण । वा ज्योंज्यों ना करदी , छोरा अगाड़ी औन्दो कैको होलो यो , निरभागी छोरा , कै अभागी माँ की , होली कोख सूनी ? तब चढ़े वीं , सिंहणी को रोष खोल्या वींन , चाँदू बेन्दू बेला । लम्बालम्बा सिंग छा ऊँका , बड़ा बड़ा आँखा , पड़ी गेन वो , वैकी धाद33 । दौड़दो छ दौड़दो छोरा , विपता को मारो , तब एक बिरछ , मारदो अंग्वाल । इना छया , चाँदू बेन्दू बेला वै बिरछ सणी , जड़ उखाड़ कर्ण लैग्या । तब छोरा तै चढ़ी , छैत्री को जोश , सची होलू मैं हिंडवाण वंश को जायो , एक ही मुठीन चाँदू बेन्दू फोत34 होई जान । तब एक एक , मुठ्यों मा ही वैन चाँदू बेन्दू , चित्त करीया लौन । हकदक रैगे तब , अमरावती रौतेली , यो छोरा होलू , मालू35 मा को माल । तब पूछदी वा , नौं गौं छोरा को , हे छोरी मैं छऊँ , हिंडवाणी कोट को रौतेलो , हंसा हिण्डवाड को बेटा , छऊँ मैं भानु भौपेलो । किस्मत को मारो छऊँ , बिता को हारो , आज बण्यू छऊँ , तेरो घास काटदारो । तब बोदे राणी अमरावती राजों कू रोतूलू होलू तू , पर मैं
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इक मेरी अख काशनी नी इक मेरी अख काशनी , दूजा रात दे उन्नींद्रे ने मारेआ , शीशे ते तरेड़ पै गयी , वाल वौंदी ने धयान जदों मारेआ , इक मेरी अख . . . . इक मेरी सस्स चंदरी , भैड़ी रोही दे किकर तों काली , गल्लेकथ्थे वीर भुन्नदी नाले दवे मेरे माँपयां नू गाली , नी क़ेहडा उस चंदरी दा , नी मैं लाचीयाँ दा बाग उजाड़आ , इक मेरी अख काशनी . . . दूजा मेरा दियोर निकड़ा , भैड़ा गोरियाँ रन्ना दा शौंकी , ढुक ढुक नेह्ड़े बैठदा , रख सामणे रंगीली चौंकी , नी इस्से गल तों डरदी , अजे तीक वी न घुण्ड नूँ उतारया , इक मेरी अख काशनी . . . तीज़ा मेरा कंत ज़िम्वे , रात चानड़ी च दुध दा कटोरा , फिकड़े सिन्दूरी रंग दा , ओदे नैणा च गुलाबी डोरा , नी इको गल माड़ी उसदी , लाईलग नु है माँ ने विगाडिया ।
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मनख्या बाघ लोगूँ कु खेती कु काम नी होये पूरू1 , यो निभागी बाघ होईगे शुरू एकी2 जागान3 बल हैकी4 जागा जाँद , जनानी चोरीक नौनोऊँ छ खाँद कनो निरभागी यो बाग गीजी5 , हमारी आँखी आँसुन भीजी एकी जनानी वैन मारे धाड़ो , मैं कू बाड़ी पकौण को करे भाड़ो । तैं को मालिक बवराँदो6 भौत , ये पापी बागक कब औली मौत ? तै डाँडा का ऐंच दुगड़ी गौऊँ , तख बुडड़ी मारे वैन गौं का सौऊँ तै बागन पकड़े बुडड़ी की गली , ब्वारी की पकड़ी छै वीं की नली खाण दे बुडड़ी की ऐगे खैर , हम बाग की डर नी औंदा भैर7 तौं द्वारू तैं अब झट लावा , घमछंदे भायों रोटी खावा ऐंसू का साल नी कैकी खैर , हम बाग की डर नी औंदा भैर डरदामरदा औंदान वो घर , विरालों देखीक लगदी छ डर रुमसूम्या8 बगत जु कुकर भूक्या , इना नामी वंधू जु ओबरा9 लूक्या ओबरा लूक्या रऊसी10 माछा , पोटगा मा डर का नरसिंह नाच्या
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सावां गीत ऊँचा मां भाले रे ढेड्या सरग मारी भाणिंगलो नेचो मां भाले रे ढेड्या सरग मारी भाणिंगलो खाटले मां बसेरे ढेड्या सरग मारी भाणिंगलो उटले मां बसेरे ढेड्या सरग मारी भाणिंगलो सावां लाने वालों को बधाकर स्वागत कर घर में ले जाते हैं फिर औरतें गीत गाती हैं । सावां लाने वालो को कहती हैं कि तुम ऊपर आसमान की ओर मत देखो सरग आसमान हमारा भानजा लगता है । धरती , खटिया और चबूतरे पर मत बैठो , ये भानेजभानजी लगते हैं ।
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भाँवर गीत मारो कवचड़ा पर , ढेड्या दासे झुणी । कवच आजड़ झांजड़ करे , ढेड्या दासे झुणी । पुर्यो चुली मेकण आयो , पुरयो धड़धड़ कांपे वो । विवाह के दिन फेरे के समय दूल्हे का छोटा भाई दुल्हन के लिए चोली लेकर दुल्हन के घर में जाता है । स्त्रियाँ कहती हैं ले लड़के मेरा कवच का घर है , भागना मत । कवच हिलती है तुझे लग जाएगी , भागना मत । वह लड़का जो चोली देने के लिये आया है , थरथर काँप रहा है ।
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