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किनका के एहो दूनूँ कुवँरा जनक पूछे मुनि जी से
किनका1 के एहो2 दूनूँ कुवँरा3 जनक पूछे मुनि जी से ॥ 1 ॥
गाई के गोबर अँगना निपावल , गजमोती चउका पुरावल4 ।
धनुस देलन ओठगाँई5 जनक पूछे मुनि जी से ॥ 2 ॥
जे एहो धनुस करत तीन खंड , सीता बियाह घरवा ले जायत हो ।
किनका के एहो दूनूँ कुवँरा , जनक पूछे मुनि जी से ॥ 3 ॥
उठला सिरी रामचन्दर धनुस उठवला ।
धनुस कयला6 तीन खंडा , जनक पूछे मुनि जी से ॥ 4 ॥
भेलो7 बियाह , चलल राम कोहबर8 मुनि सब जय जय बोले ।
अब सिय होयल9 बियाह , जनक पूछे मुनि जी से ॥ 5 ॥ | magahi-mag |
सुसराल पणै मैं चाल पड़ा रे
सुसराल पणै मैं चाल पड़ा रे छोरा साइकल त्यार कर के
ओले हाथ कै घड़ी बांध रह्या टेढा साफा धर कै
गाम गोठ जद पहुंच लिया छोटा साला मिल गया
जद साले नै करी नमस्ते साइकल नोहरै मैं डाट लिया
सांझ होई जद दिया चासण नाई का आया
चाल बटेऊ चालिए कुछ भोजन सा खाया
थाली पै बैठ कै जद जीमण भी लाग्या
चारों तरफ लखा कै मैं तो चुपका सा हो गया
जद मन्ने लेण का जिकर कर्या मेरी सासू नाट गी
दूर ढाल की बाल उस नै सोच के कही
थाली पै तै उठ कै मैं नौहरै मैं आया
मन मैं करू विचार भगवान तेरी अपरमपार माया
घाल दे ओ साला घाल दे तेरी बहन खजानी नै
नौकर छोड़ डिगर जा गां इस भरी जवानी मैं
ले जा हो जीजा लेजा हो मेरी बहिन खजानी नै
नौकर मत ना जाइये इस भरी जवानी मैं | haryanvi-bgc |
477
मिहतर1 नूंह2 दियां बेटियां जिद कीती डुब मोए नी छड टकानयां नूं
याकूब दयां पुतरां जुलम कीता सुनया होसीया यूसफ दयां बानयां नूं
हाबील कबील3 दा जंग होया छड गए पैगम्बरी बानयां नूं
जे मैं जानदी मापयां बन्न देनी छड चलदी झंग मघयानयां नूं
खाहश हक दी कलम तकदीर वगी मोड़े कौन अलाह दे भाणयां नूं
किसे ततड़े वकत सी नेहुं लगा तुसां बीजया भुन्नयां दानयां नूं
साढे तिन्न हथ जिमी मुलक तेरा ऐवें कासनूं वल वलानयां नूं
गुंगा नाह कुरान दा होवे हाफज अन्ना वेखदा नहीं टटानयां नूं
वारस शाह अलाह बिन कौन पुछे पिछा टुटया अते नतानयां नूं | panjabi-pan |
कर जोर खड़ी गिरिजा ढिग राज दुलारी
कर जोर खड़ी गिरिजा ढिंग राज दुलारी ,
जगदंबे अंबे हिय की तुम जानन हारी ।
कीन्हों न प्रगट तेइसें कारण बखान के ,
कर देहू सफल सेवा , अब मातु हमारी ।
कर जोर . . .
कह सके न शेष शारद महिमा अपार है ,
बड़अगु पतिव्रत में जगलोक तुम्हारी । ।
कर जोर . . .
कंचन कुंअरि सप्रेम विनय भाल कंठ से ,
दीन्हीं असीस सिय को हंस शैल कुमारी । ।
कर जोर . . . | bundeli-bns |
248
महांदेव थीं जोग दा पंथ बनया खरी कठन है जोग मुहिंम मियां
कौड़ा बक बका सवाद है जोग संदा जेही घोटके पीवनी निंम मियां
जहां सुन समाध दी मंडली है तहां जोड़ना है निंम झिंम मियां
तहां भसम लगाइके भसम होणा पेश जाए नाहीं गबर ते डिंम1 मियां | panjabi-pan |
गारी गावे जनकपुर की नारिया
गारी गावें जनकपुर की नारियां ,
दूल्हा श्री रामजी बने
जनक पहुंचे है जाय , विनती कीन्ही समुझाय
कुंअर दीजे पठाय ,
हां हो गई कलेऊ की तैयारियां । दूल्हा . . .
करके सुन्दर वे शृंगार , आये अपने हैं ससुरार
लिये आरती सबईं उतार
रानी लाई हैं पूजा की थालियां । दूल्हा . . .
दिये उनको आदर सम्मान , लिये वे हैं सबके जजमान
सबने उनसे की पहिचान
कहो कैसे तुम्हारी महारानियाँ । दूल्हा . . .
आई सोने की थार , परसो व्यंजन बहुत प्रकार
भोजन करते चारों कुमार
सासो परसती है पूड़ीकचौड़ियां । दूल्हा . . . | bundeli-bns |
लोरियाँ
1
चंदा मामा , आरे आव , पारे आवऽ ,
नदी के किनारे आवऽ
सोने की कटोरिया में
दूध भात ले ले आवऽ
बुचिया का मुंहवा में घूट घूट
अनेक जगह यह पंक्ति है “बबुआ के मुंहवा में घुटुक” ।
2
घुघुवा मन्ना , उपजे चन्ना ,
एही पड़े आवेले बबुआ के मामा ।
उठा ले ले कोरा , थमा दे ले लड्डू ,
छेदा देले नाककान
पहिरा देले बाला ।
3
मामा मामी , अंगना ,
बीच में मुचेंयना
मामी के ले गइले चोर ,
मामा टकटोरेले ।
4
आउरे गइया नाटी ,
दूध दे भरि कांटी ।
आउरे गइया अगरी ,
दुधवा दे भरि गगरी ।
हुंकुरति आउ गइया , चोकरति आउ ।
घुंचवा भरत दूध लिहले आउ ।
तोरे घूंचवा सोन्हाई
मोरा बाबुल के पिआउ ।
5
आजा आजी के थूके ?
सोने के कि माटी के ?
आजाआजी सोने के ,
पितिया पीताम्भर के
लोग बिराना माटी के ।
6
बबुआ कथू आवेले ?
घोड़वा चढ़ल आवेले ।
कथक नाचत आवेला ।
आजी कथू आवेली ?
डोला चढ़ल आवेली ।
चवर डोलत आवेले ।
7
बचवा के माई गइली पहार
ले अइली गजमोहरा के हार ।
कुछ घइली असहड़ ,
कुछ घइली कसहड़ ,
कुछ घइली बबुआ गर हार ।
8
मोरे बाबू , मोरे बाबू का करेले ?
कोइनी फोरिफोरि घर भरेले ।
कोइनी का तेल में छपकि खेलेले ।
कोइनी कहुए का बीज
9
मोर बचवा मोर बचवा का करेले ?
मछरी मारिमारि मगइया धरेले ।
रीन्हेली बहिना हींग जीरा लाइ ,
खाले भइया पोंछ फहराइ ।
अवरा कूकुर कबरा खाला ,
पोछिया डोलाई ,
चल लउंड़िया जूठ बटोरे ,
घुंघरू बजाइ ।
खरिका देली बारी बिटिया
नथुना फलाइ ।
10
हेलेहेले बबुआ ,
कुसई में ढबुआ ,
बाप दरबरुआ ,
बेटवा लहैंडुआ
धिअवा नचनियां ।
11
बाबू बाबू कहीला ,
चमन के रारी ला ,
चन्दन भइले थोरा ,
मोरे बाबूल के मुंह गोरा ।
अंखिया रतनारी ,
भहुआं सोहे कारी ।
बाबू की चोरिनी महतारी ।
चटनी महतारी ,
बाबू की चोरिनी बा फूआ ,
चटनी बा फूआ . . . . ।
12
अनर मनर पुआ पाकेला ,
चीलर खोंइछा नोचेला ।
चिलरू गइले खेतखरिहान ,
ले अइले तिलठिया धान ।
ओही धान के रिन्हली बरवीर ,
नेवति अइली बाम्हन फजीर ।
बम्हना के पुतवा दिहले असीस ,
जीअसु बचवा लाख बरीस ।
13
आटा पाटा , बिलारी के बच्चा
बचवा का नव दस बेटा ।
गोली गइया ह , नाटी गइया ह
धवरी ह , सोकनी ह ।
खरवा खाले , पनिया पियेले ,
कहवां जाले ।
14
जिन्हि बाबुल देखि सिहइहें
तिन्हि नउजी बिअइहें ।
बीअहू के बिअइहें त मेंगुची बिअइहें ।
15
निनिया अवेले निनर वन से
उरदी मूंग ओही पटना से
खाट मांच निनिअउरा से ।
16
चिरई चोंचा मुंह के बेबहरा ,
पण्डितन से करे बकताई ।
उठि के चोंचा तोर खोंता उजारबि ,
छुटि जइहें बकताई ।
17
हमार बाबू कथी के ?
नौ मन सोना हीरा के ,
माई लवंग के , बाप चौवा चन्दन के ।
पीतिया पीतम्बर के ,
नर लोग सभ माटी कंे
हमार बबुआ सोना के ।
18
बबुआ बबुआ करेनी
चन्दन रगरेनी ।
चन्दन भइले थोर ,
बबुआ का मुंहवा गोर ।
19
आउरे निनिया नीनरवन से
बाबू हमार अइले पटना से ।
20
आऊरे गइया अगरी ,
दुधवा ले आउ भरि गगरी
बाबू के पिआउ भर पेटुकी ।
22
पौढ़िये लालन , पालनै हौं झुलावौं
स्वर पद मुख चख कमल लसंत
लखि लोचन भंवर भुलावों
आज विनोद मोद मंजुल मनि
किलकनि खानि खुलावौ
तेइ अनुराग ताग गुहिये कह
मति मृगनयनि बुलानि
तुलसी भनित भलो भामिनि उर
सो पहिराइ फुलावों ।
23
सोइये लाल लाड़िले रघुराई
मगन मोद लिये गोद सुमित्रा
बारबार बलि जाई
हंसे हंसत अनरसे अनरसत
प्रतिबिंबनि ज्यों भाई
तुम सबके जीवन के जीवन सकल सुमंगल दाई ।
24
सो अपने चंचलपन सो
सो मेरे अंचल धन सो
पुष्कर सोता है निज सर में
भ्रमर सो रहा है पुष्कर में
गुंजन सोया कभी भ्रमर में
सो मेरे ग्रह गुंजन सो
तनिक पार्श्व परिवर्तन कर ले
उस नासापुटको भी भर ले
उभय पक्ष का मन तु हर ले
मेरे व्यथा विनोदन सो ।
तेरी आँखों का सुस्पंदन
मेरे तप्त हृदय का चन्दन ।
25
चन्दा मामा दौड़े आव
आरे आव पारे आव
नदिया किनारे आव
सोनवा कटोरी में के
दूध भात लेले आव
बबुआ के मुँह में घुटूक ।
26
सुतेरे होरो लाल
तार बप्पा बांस काटै गेल
बांस के कटैया
तीन सेर मरूआ
कुटि पीसो तीन रोटी भेल
एक रोटी छोरा छोरी
एक रोटी बुढ़वॉ
तेखर रोटी बुढ़िया
छूछे अकेल
सून रे हीरो लाल
तोर बप्पा बांस काटे गेल ।
27
नै खोजहि माय के
नै लिहिं बाप के नाम
माय गेली कूटे पीसे
बाप गेली गाँव
चचा गेलो छप्परछारे
चाची के दुखली कान
यहाँ एगो बैठल छीयो
हमहि ठानेठास ।
28
अलिया के झलिया में
गोला बरद खेत खाय छो गे
कहमा गे डीह पर गे
डीह छूटल परबतिया गे
हाँकू बेटी लक्ष्मी
गोर में देबौ पैजनी
बाबू कहां गेल खुन गे
बाप गेलौ पुरनिया में
लै लौ लाल लाल बिछिया में | bhojpuri-bho |
आल्हा ऊदल
जान छोड़ देल इंदरमन के जब सोनवा देल जवाब
केतना मनौलीं ए भैया के भैया कहा नव मनलव मोर
रात सपनवाँ सिब वाबा के
एतनी बोली सुनल इंदरमन राजा के के भैल अँगार
सोत खनाबों गंगा जी के सिब के चकर देब मँगवाय
फूल मँगाइब फुलवारी से घरहीं पूजा करु बनाय
तिरिया चरित्तर केऊ ना जाने बात देल दोहराय
करे हिनाइ बघ रुदल के
ऊ तो निकसुआ है सोंढ़ही के राजा झगरु देल निकाल
सेरहा चाकर पर मालिक के से सोनवा से कैसे करै बियाह
पाँचो भौजी है सोनवा के संगन में देल लगाय
मुँगिया लौंड़ी के ललकारे लौंड़ी कहना मान हमार
जैसन देखिहव् सिब मंदिर में तुरिते खबर दिहव् भेजवाय
मूरत देखे सिब बाबा के सोनवा मन मन करे गुनान
लौंड़ी लौंड़ी के ललकारे मुँगिया लौंड़ी के बलि जाओं
फूल ओराइल मोर डाली के फुलवारी में फूल ले आ वह जाय
एतनी बोली लौंड़ी सुन के लौंड़ी बड़ मंगन होय जाय
सोनक चंपा ले हाथन माँ फुलवारी में जेमल बनाय
बैठल राजा डेबा ब्राहमन जहवाँ लौंड़ी गेल बनाय
कड़खा बोली लौंड़ी बोलल बाबू सुनीं रजा मोर बात
कहाँ के राजा चलि आइल फुलवारी में डेरा देल गिराय | bhojpuri-bho |
नगरी नगरी द्वारे द्वारे
नगरी नगरी द्वारे द्वारे
ढूंढूं रे सांवरिआ
सीस बन्नै के सेरा सोए
लड़िओं पे नजरिआ
नगरी नगरी . . .
कान बन्नै के मोती सोए
सच्चयां पे नजरिआ
नगरी नगरी . . .
गल्ल बन्नै के तोड़ा सोए
टिकड़ै पर नजरिआ
नगरी नगरी . . .
हाथ बन्नै के घड़िआं सोए
गुट्ठी पै नजरिआ
नगरी नगरी . . .
पैर बन्नै के जूता सोए
चलगत पै नजरिआ
नगरी नगरी . . .
सेज बन्नै के बनडी सोए
जोड़ी पै नजरिआ
नगरी नगरी . . .
हेठ बन्नै के लील्ली सोए
महफिल पै नजरिआ
नगरी नगरी . . . | haryanvi-bgc |
उड़ी उड़ी सुवा ना, का बोली बोले वो
उड़ी उड़ी सुवा ना , का बोली बोले वो
उड़ी उड़ी सुवा ना , तोर बोली बोले
लाली चनारिया मोहनी मुरतिया
देखत मन ला मोहे वो
उड़ी उड़ी सुवा ना , का बोली बोले वो
उड़ी उड़ी सुवा ना , तोर बोली बोले
गाँवे शहर मा तोर होथे बड़ाई वो , जा के डोंगरगढ़ मा बसे बम्लाई
दूसर रूपे मा शारदा कहाये वो , जाके शहर तैं हा मईहर बसाये
माथे मा टोकिया , सोन के अंगूठीया , दसों अंगुरिया मा सोहे वो
उड़ी उड़ी सुवा ना , का बोली बोले वो
उड़ी उड़ी सुवा ना , तोर बोली बोले
चंद्रहासिनी चंदरपुर मा बिराजे वो , हे महामाया रतनपुर मा साजे
डिंडेश्वरी तैं मल्हार मा कहाये वो , जा के जिंहा दाई सोना बरसाये
नवदिन नवरात जोत , बरत हे दिया ना , मईया के झूलना झूले वो
उड़ी उड़ी सुवा ना , का बोली बोले वो
उड़ी उड़ी सुवा ना , तोर बोली बोले
लाली चनारिया मोहनी मुरतिया , देखत मन ला मोहे वो
उड़ी उड़ी सुवा ना , का बोली बोले वो
उड़ी उड़ी सुवा ना , तोर बोली बोले | chhattisgarhi-hne |
भरथरी लोकगाथा का प्रसंग “चम्पा दासी द्वारा राजा को पहचान"
अब ये चम्पा दासी राहय ते जाके रानी सामदेवी ल बताथे रागी हौव
अउ कइथे , रानी हा
में अतका कई डरेंव वो योगी ल हौव
वो जाबे नई करत ऐ हा
अउ तोर हाथ ले वो भिक्षा लुहूँ किथे लेहूँ किथे
हमर हाथ ले भिक्षा नई लेवत ऐ हौव
का पूछत हस रागी ओतका बात ल सुनके हा
जलबल के खाख हो जथे हौव
अउ गुस्सा होके किथे हा
चार झन दीवान मन ला बोलथे हौव
वो योगी नोहय , चंडाल ऐ हा
जा ओला धक्का मार के निकाल दव निकाल दव
ओकर झोला झंटका ल नगां लव हौव
अउ गंगा में लेके बोहा दव हा
अब ओतका बात ल सुनके , चार छन दीवान राहय ते रागी हौव
योगी के पास में आ जथे हा
अपन अपन ले झोला ल नंगात रिथे हौव
बाबा ल धक्का मारत रिथे हा
लेकिन वो बाबा उंहा ले नई जावय हौव
– गीत –
तब तो बोले मोर रानी हा , मोर रानी हा वो
सुनले दासी मोर बाते ला
तब तो बोले मोर रानी हा , मोर रानी हा या
सुनले दासी मोर बाते ला
एकबारेच वो , अउ जाना दासी
एकबारेच वो , अउ जाना दासी
तेंहा भिक्षा ये देके , ये आना वो , येदे आवोना , भाई येदे जी
अउ भिक्षा देके आवोना , येदे आवोना , भाई येदे जी
भिक्षा ये लेके ये पहुँचत थे , येदे पहुँचय दीदी
चम्पा ये दासी ह आज ना
भिक्षा ये लेके ये पहुँचत थे , येदे पहुँचय दीदी
चम्पा ये दासी ह आज ना
लेलव बाबा तुमन , येदे भिक्षा ल ग
लेलव बाबा तुमन , येदे भिक्षा ल ग
येदे धूनी ल इंहा ले उठावव जी , ये उठावव जी , भाई येदे जी
येदे धूनी ल इंहा ले उठावव ना , ये उठावव ना , भाई येदे जी
– गाथा –
अब ये चम्पा दासी राहय तेन रानी सामदेवी के बात मान के आथे रागी हौव
फेर किथे हा
बाबा हौव
एले अब तो भिक्षा लेलेव हा
धूनी ल हटा दव हौव
हां भई भिक्षा नई लव हा
तो आसपास में तुंहर बर हम मंदिर बनवा देथन हौव
उंहा तुम पुजारी रहू पुजारी रहू
तुहाँ ल हाथी घोड़ा सबकुछ देबो हौव
लेकिन इंहा ले तुम धूनी ल तो हटा दो हा
ओतका बात ल सुनथे तो बाबा हौव
थोकन मुस्कुरा देथे हा
मुस्कुरा देथे ओकर दांत में , ओकर सोन के दांत लगे रिथे हौव
झलक ह दिख जथे हा
चम्पा दासी राहय ते चिन डारथे हौव
अउ चिन्हे के बाद का पूछत हस रागी हा
थई थई थारी ल पटक देथे हौव
अउ जाके बीच अंगना में हा
रोवन लाग जथे हौव
– गीत –
बोले बचन चम्पा दासी हा , चम्पा दासी हा वो
सुन ले रानी मोर बाते ल
बोले बचन चम्पा दासी हा , चम्पा दासी हा या
सुन ले रानी मोर बाते ल
वो ह योगी नोहय , तोर राजा ऐ वो
वो ह योगी नोहय , तोर राजा ऐ वो
येदे कही के रोवन लागत हे , भाई येदे जी
येदे कही के रोवन लागत हे , भाई येदे जी
बोले बचन चम्पा दासी हा , चम्पा दासी हा वो
सुन ले रानी मोर बाते ल
बोले बचन चम्पा दासी हा , चम्पा दासी हा या
सुन ले रानी मोर बाते ल
कोन भेषे में वो , भगवाने आथे
कोन भेषे में ना , भगवाने आथे
येदे कोन भेषे तोर राजा वो , भाई येदे जी
येदे कोन भेषे तोर राजा वो , भाई येदे जी | chhattisgarhi-hne |
आज बागां मैं ए जीजी जगमगी
आज बागां मैं ए जीजी जगमगी
आया मेरी मां का जाया बीर
हीरा बन्द ल्याया चून्दड़ी
ओढूं तो हीरा मोती झड़ पड़ै
डिब्बै बसै तो ललचे जिया
सादी क्यूं ना ल्याया चून्दड़ी
क्यूं ललचाया अपणा जिया
तनै और भतेरी ल्या द्यां चून्दड़ी | haryanvi-bgc |
अंगिका फेकड़ा
लुक्खी बनरिया दालभात खो
सैंया बोलैलकौ पटना जो ।
सुनरी जैती धरमपुर हाट
माय लेॅ साड़ी , बहिनी लेॅ चोली
पीसी लेॅ रतनारी साड़ी
वियोग मरेॅ नूनू के चाची
रहोॅरहोॅ चाची , धीरज बान्होॅ छाती
तोहरा देभौं चाची गुड़ोॅ के चक्की ।
हा हुस रे सुगना ।
तोहरा मचान पर के छौ ?
भैया छै , भौजी छै ।
की करै छौ ?
कोठी पारी बैठली छै ।
भैया मारै भौजी केॅ
भौजी रूसल जाय छै
घुरोॅ हे भौजी घुरोॅघुरोॅॅ
पहिनोॅ लुंगा नया पटोर
तोरोॅ भैया बड़ा कठोर ।
चान मामू , चान मामू कचिया दे
कचिया कुटबाय लेॅ ।
सेहो कचिया कथी लेॅ ?
घसवा गढ़ावै लेॅ ।
सेहो घसवा कथी लेॅ ?
बैलवा खिलावै लेॅ ।
सेहो गोबर कथी लेॅ ?
ऐंगना निपावै लेॅ ।
सेहो ऐंगनां कथी लेॅ ?
गेहूँमा सुखावै लेॅ ।
सेहो गेहुमा कथी लेॅ ?
पुड़िया छकावै लेॅ ।
सेहो पुड़िया कथी लेॅ ?
नूनू केॅ जिम्हावै लेॅ ।
बाबू हो भैया हो
सुगां फोकै छौं धान हो
केॅ मोॅन ?
बीस मोॅन ।
बीसू राय के बेटवा
लाला पगड़िया मथवा
भैया ऐलै घोड़ी पर
भौजी ऐलै खड़खड़िया पर
टुनटुनमा ऐलै छितनी पर
भैया केॅ देलियै लोटबे पानी
भौजी केॅ देलियै कटोरबे पानी
टुनटुनमा केॅ देलियै चुकुड़बे पानी
भैया सुतलै सीरा घोॅर
भौजी सुतलै भनसा घोॅर
टुनटुनमा सुतलै चुलही पिछुआड़ । | angika-anp |
586
खतम रब्ब दे करम दे नाल होई फरमायश पयारड़े यार दी सी
ऐसा शे’र कीता पुर मगज मौजूं1 जेही मोतियां लड़ी शहवार दी सी
तूल खोल के2 जिकर बयान कीता रंग रंग दी खूब बहार दी सी
तमसील3 दे नाल बयान कीता जेही जीनत4 लालां दे हार दी सी
जो कोई पड़े सो बहुत खुरसंद होवे वाह वाह सभ खलक पुकारदी सी
वारस नूं सिक दीदार दी सी जेही हीर नूं भटकना यार दी सी | panjabi-pan |
पराती
१ .
हाथे लिहली खुरपी गड़ुअवे जुड़ पानी
चलली मदोदर रानी दावना छिरके पानी
टूटि गइले खुरपी , ढरकि गइले पानी
रोयेली मदोदर रानी , कवना छिनारी के बेटा रहलन फुलवारी
हम ना जननी ए रनिया राउरे फुलवारी
केकर घोड़वा माई रे ओएडेंगोएड़ें जाय
केकर धोड़वा माई रे सोझे दउड़ल जाए
ससुर भसुर के घोड़वा ओएड़ेगोएड़े जाय
कवना दुलहवा के घोड़वा माई रे सोझे उदड़ल जाय
रोयेली कवन सुभई मटुकवे पोंछे लोर
हँसेले कवन दुलहा , मुँहे खाले पान ।
२ .
मोर पिछुअरवा रे घन बंसवरिया
कोइलर बोले अनबोल ,
सुतल रजवा रे उठि के बइठऽले
पसिया के पकड़ लेइ आउ रे
हँकड़हु डँकड़हु गाँवचकुदरवा
राजा जी के परे ला हँकार ए
कि राजा मारबि कि डांड़बि कि नग्र से उजारबि ए
नाहिं हम मारवि नाहिं गरिआइबि
नाहिं हम नग्र से उजारबिए ।
जवना चिरइया के बोलिया सोहावन ,
उहे आनि देहु रे ।
डाढ़ि डाढ़ि पसिया लगुसी लगावे ,
पाते पाते कोइलर लुकासु रे ,
जेहिसन पसिया रे लवले उदबास , उदबासबेचैनी
मुओ तोर जेठका पूतऽ ए ।
तहरा के देब चिरई सोने के पिंजड़वा
खोरन दुधवा आहार रे ।
जेहिसन पसिआ रे हमें जुड़वले
जिओ तोर जेठका पुतऽ रे ।
३ .
हम तेहि पूछिले सुरसरि गंगा , काहे रउआ छोड़िले अरार हे ।
पिया माछर मारे ला बिन रे मलहवा ,
ओहि मोरा छोड़िले अरार रे ।
डालावा मउरिया लेके उतरे कवन समधी ,
सोरहो सिंगार ले के उतरे कवन भसुर ,
ओहि मोरा ढबरल पानी ।
४ .
ए जाहि रे जगवहु कवन देवा , जासु दुहावन ।
ए दुधवा के चलेला दहेंडिया त ,
मठवा के नारी बहे ।
ए हथवा के लिहली अरतिया त ,
मुँह देखेली सोरही सनेही ।
ए जहि रे जगवहु कवन देही , जासु दुहावन ।
ए हथवा के लिहली अरतिया , त
सोरही सनेही आरती निरेखेली ए । जाहिरे . . .
५ .
आईं ना बरहम बाबा , बइठीं मोरे अंगनवा हे ,
देबऽ सतरजिया बिछाइ ए ।
गाई के घीव धूम हूम कराइबि ,
आकासे चली जास ए ।
आईं ना बरहम बाबा , बइठीं मोरे अंगनवा हे ।
देबऽ सतरजिया बिछाई ए ।
गाई के गोबर . . कब जग उगरिन होसु ए ।
आईं ना काली माई , बइठीं मोरे अंगनवाँ हे ,
देबऽ सतरजिया बिछाइ ए ,
गाई के घीव धूम हम कराइबि ,
कब जग उगरिन होसु हे । | bhojpuri-bho |
गाड़ी तलै मनै जीरा बोया
गाड़ी तलै मनै जीरा बोया , हां सहेली जीरा ए
जीरे के दो फंुगल लागी , हां सहेली फुंगल ए
फुंगल कै मनै गऊ चराई , हां सहेली गऊ ए
गऊ का मनै दूध काढ्या , हां सहेली दूध ए
दूध की मनै खीर बणाई , हां सहेली खीर ए
खीर तै मनै बीर जिमाए , हां सहेली बीर ए
बीरे नै मनै चूंदड़ उढ़ाया , हां सहेली चून्दड़ ए
चून्दड़ ओढ़ मैं पाणी चाली , हां सहेली पाणी ए
पानी ल्यांदे दो कांटे लागे , हां सहेली कांटे ए
काटा लाग मेरै आंसू आए , हां सहेली आंसू ए
आंसू लै मनै चून्दड़ तै पूंझे , हां सहेली चून्दड़ ए
चून्दड़ नपूते में धाबे पड़गे , हां सहेली धाबे ए
धाबे ले मनै धोबी कै गेर्या , हां सहेली धोबी ए
धोबी नपूते न धोला कर दिया , हां सहेली धोला ए
धोला ले मनै लीलगर के गेर्या , हां सहेली लीलगर ए
लीलगर नपूते ने लीला कर दिया , हां सहेली लीला ए
लीला लै मनै दरजी के गेर्या , हां सहेली दरजी ए
दरजी नपूते ने कोथला सीम दिया , हां सहेली कोथला ए
कोथले मैं मनै सास घाली , हां सहेली सास ए
सास घाल में बेचण चाली , हां सहेली बेचण ए
बेच बाच के टके ल्याई , हां सहेली टके ए
टके का मनै चूड़ा पहर्या , हां सहेली चूड़ा ए
चूड़ा मेरा चिमकै , सास मेरी बिलसे ए । | haryanvi-bgc |
ईसुरी की फाग-27
जब सें गए हमारे सईयाँ
देस बिराने गुइयाँ ।
ना बिस्वास घरें आबे कौ
करी फेर सुध नइयाँ ।
जैसो जो दिल रात भीतरौ
जानत राम गुसैयाँ ।
ईसुर प्यास पपीहा कैसी
लगी रात दिन मइयाँ ।
भावार्थ
महाकवि ' ईसुरी ' की विरहिणी नायिका अपनी वेदना का वर्णन करते हुए कहती है — हे सखी जब से मेरे प्रियतम परदेश गए हैं , तब से ये भरोसा भी नहीं रहा कि वे कभी घर भी आएँगे । उन्होंने मुझे याद तक नहीं किया । मेरे ह्रदय की दशा राम ही जानते हैं । मेरी प्यास पपीहे की प्यास जैसी है , जो हृदय में रातदिन लगी रहती है । | bundeli-bns |
गोरे सुंदर मुख पर बारि के पढ़ डालो री टोना
गोरे सुंदर मुख पर बारि के पढ़ डालो री टोना1 ।
सुन बेटी के दादा , सुन बेटी के नाना ।
दादा गाफिल2 मत रहो , चैन से पढ़ डालो री टोना ।
नाना गाफिल मत रहो , चैन से पढ़ डालो री टोना ॥ 1 ॥
सुन बेटी के बाबा , सुन बेटी के चच्चा ।
बाबा , गाफिल मत रहो , चैन से पढ़ डालो री टोना ।
चाचा , गाफिल मत रहो , चैन से पढ़ डालो री टोना ॥ 2 ॥
गोरे सुंदर मुख पर बारि के पढ़ डालो री टोना ।
सुन बेटी के भइया , सुन बेटी के मामा ।
भइया गाफिल मत रहो , चैन से पढ़ डालो री टोना ॥
मामा गाफिल मत रहो , चैन से पढ़ डालो री टोना ॥
गोरे सुंदर मुख पर बारि के पढ़ डालो री टोना ॥ 3 ॥ | magahi-mag |
पिया पतले जी पतंग जैसे पैर
पिया पतले जी पतंग जैसे पैर
सिखर दुपहरी मत आइयो मोरे बालमा
ये जल जाए जी पतंग जैसे पैर
पिया पतले जी . . .
सई सांझ मत आइयो मोरे बालमा
ओहो जागे जी नणद और सास
पिया पतले जी . . .
आधी आधी रात मत आइयो मोरे बालमा
ओहो जागे जी ड्योढी का पहरेदार
पिया पतले जी . . .
सास गई बाप कै नणद गई सोहरै
ओहो अब होई जी मिलण आली रात
पिया पतले जी . . .
सास आई सोह्रे नणद आई बाप कै
अब होई जी बिछोड़ै आली रात
पिया पतले जी . . . | haryanvi-bgc |
51
जा माहीयां1 पिंड विच गल कीती इक सुघड़ बेड़ी विच गांवदा ए
उहदे बोलयां मुख तेां फुल किरदे लख लख दे सद अलांवदा ए
सने लुडन झमेल दीयां दोवें रन्नां सेज हीर दी ते रंग लांवदा ए
वारस शाह कुआरियां आफतां ते वेख किहा फतूर हुन आंवदा ए | panjabi-pan |
बागां के मैं मत जाइये नार सैन मार तक लेगा
बागां के मैं मत जाइये नार सैन मार तक लेगा
सनकतरा सा गात नार कोए आग बाल सिक लेगा
गांला मैं मत जाइयो नार को परदेसी तक लेगा
सनकतरा सा गात नार कोए आग बाल सिक लेगा
हरी कन्नी लाल कन्नी या कन्नी असमानी
इस बीर नै कुछ मत कहियो या सै बीर बिराणी | haryanvi-bgc |
जमुना किनारे मोरा गाव
जमुना किनारे मोरा गांव ,
संवरिया आ जाना ।
जो कृष्ण मोरा गांव न जानो ।
बरसाना मोरा गांव ,
संवरिया आ जाना । जमुना . . .
जो कान्हा मोरा नाम न जानो ,
राधा नवेली मोरा नाम ।
संवरिया आ जाना । जमुना . . .
जो कान्हा मोरा धाम न जानो
ऊंची हवेली मेरा धाम ।
संवरिया आ जाना । जमुना . . . | bundeli-bns |
बुंदली हम मुट्ठी भर दौना अरे दइया
बुंदली1 हम मुट्ठी भर दौना2 अरे दइया , कोड़बइ3 हम कइसे ।
कोड़बइ हम सोने के खुरपिया4 पटयबो5 दौना कइसे ॥ 1 ॥
पटयबो हम दुधरा6 के धरवा7 अरे लोढ़बो8 दौना कइसे ।
लोढ़बइ हम सोने के चँगेरिया , अरे इयबा9 गाँथबइ हम कइसे ॥ 2 ॥
गाँथइ हम रेशम के डोरिया , पेन्हैबो10 दौना कइसे ।
पेन्हैबो हम दुलरइतिन देइ के गरवा , देखबो दौना कइसे ॥ 3 ॥
सारी सरहज सब ढूका11 लगलन , अरे दइबा देखहू न पउली12 । | magahi-mag |
एके कोखी बेटा जन्मे एके कोखी बेटिया
एके कोखी1 बेटा जन्मे एके कोखी बेटिया
दू रंग नीतिया2
काहे कईल3 हो बाबू जी
दू रंग नीतिया
बेटा के जनम में त सोहर गवईल अरे सोहर गवईल4
हमार बेरिया , काहे मातम मनईल हमार बेरिया5
दू रंग नीतिया
काहे कईल हो बाबू जी
दू रंग नीतिया
बेटा के खेलाबेला6 त मोटर मंगईल अरे मोटर मंगईल
हमार बेरिया , काहे सुपली मऊनीया7 हमार बेरिया
दू रंग नीतिया
काहे कईल हो बाबू जी
दू रंग नीतिया
बेटा के पढ़ाबेला8 स्कूलिया पठईल अरे स्कूलिया पठईल9
हमार बेरिया , काहे चूल्हा फूँकवईल हमार बेरिया
दू रंग नीतिया
काहे कईल हो बाबू जी
दू रंग नीतिया
बेटा के बिआह में त पगड़ी पहिरल10 अरे पगड़ी पहिरल
हमार बेरिया , काहे पगड़ी उतारल11 हमार बेरिया
दू रंग नीतिया
काहे कईल हो बाबू जी
दू रंग नीतिया
एके कोखी बेटा जन्मे एके कोखी बेटिया
दू रंग नीतिया
काहे कईल हो बाबू जी दू रंग नीतिया | bhojpuri-bho |
चरखो तो ले ल्यूँ, भँवरजी, रांगलो जी
चरखो तो ले ल्यूँ , भँवरजी , रांगलो जी
हाँ जी ढोला , पीढ़ा लाल गुलाल
तकवो तो ले ल्यूँ जी , भँवरजी , बीजलसार को जी
ओ जी म्हारी जोड़ी रा भरतार
पूणी मंगा ल्यूँ जी क बीकानेर की जी
म्होरे म्होरे री कातूँ , भँवर जी , कूकड़ी जी
हाँ जी ढोला , रोक रुपइये रो तार
म्हे कातूँ थे बैठा विणज ल्यो जी
ओ जी म्हारी लल नणद रा ओ वीर
अब घर आओ प्यारी ने पलक न आवड़े जी
गोरी री कमाई खासी राँडिया रे
हाँ ए गोरी , कै गांधी कै मणियार
म्हे छाँ बेटा साहूकार रा जी
ए जी म्हारी घणीए प्यारी नार
गोरी री कमाई सूँ पूरा न पड़े जी
भावार्थ
' एक रंगीला चरखा ले लूंगी मैं , ओ प्रियतम अजी ओ ढोला , एक लालगुलाल पीढ़ा ले लूंगी । उत्तम , पक्के लोहे का , ओ प्रियतम मैं तकला ले लूंगी । अजी ओ , मेरी जोड़ी के भरतार बीकानेर से पूनियाँ मंगवा लूंगी , एकएक मोहर के दाम से कातूंगी एकएक कूकड़ी पूनी । अजी ओ ढोला , एकएक रुपए का होगा एकएक धागा । मैं कातूंगी और तुम बैठे इसका व्यवसाय करना । अजी ओ , मेरी लाल ननद के भाई जल्दी घर आओ , तुम्हारी प्यारी को अब पल भर भी चैन नहीं । '
' स्त्री की कमाई खाएगा कोई नामर्द , या कोई इत्र बेचने वाला , या कोई मनिहार , ओ रूपवती मैं तो साहूकार का बेटा हूँ । हे मेरी बहुत प्यारी नारी पत्नी की कमाई से काम नहीं चलता । ' | rajasthani-raj |
गाली गीत
काकड़ी नो डीरो टरका करे ।
आइणि नो माटि टरका करे ।
काकड़ी नो डीरो टरका करे ।
मंगली नो माटी टरका करे ।
काकड़ी नो डीरो टरका करे ।
सुमली नो लाड़ो टरका करे ।
ककड़ी का डीरा टरटर कर रहा है , समधन का पति टर्रा रहा है । ककड़ी का डीरा टरटर कर रहा है , मंगली का खसम टर्रा रहा है । ककड़ी का डीरा टरटर रहा है , सुमली का पति टर्रा रहा है । | bhili-bhb |
थारा माथा की बिंदी वो रनुबाई अजब बनी
थारा माथा की बिंदी वो रनुबाई अजब बनी । ।
थारा टीका खऽ लागी जगाजोत वो
गढ़ छपेल रनुबाई अजब बनी ।
थारा कान खऽ झुमका रनुबाई अजब बणया ।
थारी लटकन ख लगी जगाजोत वो । ।
गढ़ छपेल रनुबाई अजब बनी । ।
थारा हाथ का कंगण अजब बन्या ,
थारी अंगूठी ख लगी जगाजोत वो
गढ़ छपेल रनुबाई अजब बनी । ।
थारी कम्मर को कदरो रनुबाई अजब बन्यो
थारा गुच्छा ख लागी जगाजोत वो
गढ़ छपेल रनुबाई अजब बनी ।
थारा अंग की साड़ी रनुबाई अजब बनी
थारा पल्लव ख लगी जगाजोत वो
गढ़ छपेल रनुबाई अजब बनी
थारा पांय की नेऊर रनुबाई अजब बन्या
थारा रमझोल ख लगी जगाजोत वो
गढ़ छपेल रनुबाई अजब बनी ।
हे रनुबाई तुम्हारे माथे कि बिंदी , शीश का टीका , कान के लटकन बहुत ही सुन्दर लग रहे है । तुम्हारे कान के कंगन , अंगूठी , कमरबंद , गुच्छे की घड़त न्यारी है । तुम्हारे झुमके अंग की साडी और उसके पल्लव की शोभा न्यारी है । | nimadi-noe |
माय तोरा हँटो गे कोसिका
माय तोरा हँटो गे कोसिका
बाप तोरा बोधो से मति जाह सौरा असनान ।
अंगना में आगे कोसिका कुइयाँ खुनाय देबौ
नित उठि करिहे असनान ।
हँटलो ने माने कोसी बोधलो ने माने
वलि भेलै कोसिका सोरा असनान ।
जाहि घाट आगे कोसिका
करै गो असनानताहि घाट अहिरा पड़रू नमावै ।
घाट छोड़ू बाट छोड़ू पूत अहिरा
तिरिया जानि हम करब असनान
पालट के नूआ अहीरा घर ही बिसरलौ
तिरिया जाति हम करब असनान ।
हमरो चदरियाकोसिका पहिरि करू हे असनान
अगिया लगेवौ अहिरा तोहरो चदरिया
बजर खसैबो तोहर चदरिया
तीतले भीजले जेवै अपन घर दुआर । | angika-anp |
थोड़ा-सा नीर पिला दै
थोड़ासा नीर पिला दै , बाकी घाल मेरे लोटे मैं
अरे तूँ भले घराँ की दीखै , तन्ने जन्म लिया टोटे मैं
तू मेरे साथ होले गैल , दामण मढ़वा दिऊँ घोटै मैं
भावार्थ
' थोड़ासा पानी मुझे पिला दे , बाकी मेरे लोटे में डाल दे । अरी ओ , तू तो भले घर की लगती है , लेकिन
ऐसा लगता है जैसे तेरा जन्म बड़े ग़रीब घर में हुआ है । चल , मेरे साथ चल । मैं तेरे लहंगे को गोटे से मढ़वा
दूंगा । | haryanvi-bgc |
म्हारा अगवाड़े आम्बो मोरियो
म्हारा अगवाड़े आम्बो मोरियो
पिछवाडे़ है छाई राजा गजबेल
बधांवोजी म्हें सुण्यो
म्हारा ससराजी गांव गरसिया
सासूजी हो राज अरथ भंडार
बधावोजी म्हें सुण्यो
म्हारा जेठ बाजूबन्द बेरखा
जेठाणी हो राजा बेरखा रा लूम
म्हारा देवर दांती को चूड़लो
देराणी है राजा चूड़ला री चोप
म्हारी नणदल कसूमल कांछली
नणदोई हो राजा कांछलीरा बंद
म्हारी धीमड़ को राजा हाथ मूंदड़ी
जमाई हो राजा मूंदड़ी रो कांच
म्हारो पुत्र हो राजा कुल ही को दीवलो
कुलबऊ है राजा दिवलारी जोत
म्हारा सायबा सिरही का सेहरा
सायधन हो राजा पांव की पेजार
बधाबोजी म्हें सुण्यो
हीरा वारूँ वो बऊ पड़ तमारी जीब पे
बखाण्यो हो म्हारों सोई परिवार
मोती वारूँ हो सासूजी तमारी कूख पे
तमने जाया हो राज अर्जुनभीम
बधावोजी म्हें सुण्यो । | malvi-mup |
ऊंचा रेड़ा काकर हेड़ा विच विच बोदी केसर
ऊंचा रेड़ा काकर हेड़ा विच विच बोदी केसर
ब्याहे ब्याहे राज करेंगे रांडा का पणमेसर
छोटे छोरे कै न जांगी , बालम याणे कै न जांगी ,
देस बिराणै कै न जांगी
कासण बांटे , बासण बांटे , साझे रहा बरौला
यो भी क्यों न बांटा रांड के घर में देवर मौला
छोटे छोरे कै न जांगी . . .
कासण बांटे , बासण बांटे , साझे रह गई थाली
यो भी क्यों न बांटी रांड के घर में ननदल चाली
छोटे छोरे कै न जांगी . . .
सौड़ बांटी , सौड़िया बांटा , साझै रह गई रजाई
यो भी क्यों न बांटी रांड के रातों मरी जड़ाई
छोटे छोरे कै न जांगी . . .
घर बांटा घरबासा बांटा साझै रह गई मोरी
यो भी क्यों न बांटी रांड के रातों हो गई चोरी
छोटे छोरे कै न जांगी . . . | haryanvi-bgc |
बाप की सिखावन
लिखपढ़ लला कलट्टर हुइयो ,
हमें चाहें फिर कछू न बिइयो ,
करौ नौकरी कभउँ काऊ के
मों कौ कौर खैंच जिन खइयो
ऐसौ कठिन समइया आय गऔ , गाँवगाँव भुखमरई परी है
घरनघरन में बिधी लड़ाई , भइयन में मुड़ कटई भरी है ;
अपओं गाँव ह्वै गऔ दुपटया , गाँवगाँव बढ़ गए चौपटया ,
हमनें तेरी फसल काट लई , तैं खरयानन आग धरी है ।
ऐसे गाँवपुरन में जइयो , चार जनन कों टेर बुलइयो ,
सुनियो बातें सबइ जनन कीं , न्याय निबल के संगै करियो ।
लिखपढ़ लला कलट्टर हुइयो ।
भूखे मुन्स उघारे मिलहैं , सीदे और हरारे मिलहैं ,
बइयर लरका बारे मिलहैं , मुखिया कहूँ मुनारे मिलहैं ;
ऐसेउ भगत तुम्हें मिल जैहें , ढेर लगा दैहैं पइसन कौ ,
रुपयापइसाबारे मिलहैं , टुपियाकुरताबारे मिलहैं ।
लला न इन्हें तनक पतयइयो , मुफत मिलै सौनों ठुड़यइयो ,
टूटी खटिया फटे गदेला , लिैं तिनइँ पै तुम सो रइयो ।
लिखपढ़ लला कलट्टर हुइयो ।
देखो तुमनें क्वाँरघाम जब होंय बखरनी हाँपरपीटा ,
तुम्हें पतौ है भरी बतर में बैलन कें कढ़ आओ खुसीटा ,
रूखी रोटी रकत बनो , सोइ कढ़ो पसेउ , भूम कों पिया दओ ,
चैत नुनाई गड़गड़ाय कें बादर डर के मारे छींटा ।
सब भुगतो है , भूल न जइयो , छाई पाय कें ना बुकल्यइयों ,
मिलै पसीना की तौ खइयों , मिलै न तौ सूखेइ हरयइयों ।
लिखपढ़ लला कलट्टर हुइयोेेेेेेेेेेेेेेेेेे
है सौगन्ध हमाए पाँव में लगे डूँड़ की पकी पीर की ,
हर जोतें धरती सें जूझ मौं पै धूरा के अबीर की ;
चकिया पीसत महतारी की ठेठन की सौगन्ध तुम्हें है ,
भइयन की रूखी रोटिन की , ज्वान बहिन के फटे चीर की ।
लाज पराई कों न उघरियो , बुरी गैल पै पाँव न धरियो ,
नौकरचाकर अपएँ गाँव के , नथुआ बुधुआ घाईं समझियो ।
लिखपढ़ लला कलट्टर हुइयो । | bundeli-bns |
543
भला होया भैणा हीर बची जानो मन मन्ने दा वैद हुन आया नी
दुख दरद गए सभे हीर वाले कामल वली ने फेरड़ा पाया नी
जेहड़ा छड चुधराइया चाक होया वत उसने जोग कमाया नी
जैंदा वंजली दे विच लख मंतर एह अल्लाह ने वैद मिलाया नी
शाखां रंग बिरंगियां होण पैदा सावन माह जिऊं मींह वसाया नी
नाले सहती दे हाल ते रब्ब तुठा जोगी दिलां दा मालक आया नी
तिनां धिरां दी होई मुराद पूरी धुआं एस चरोकना लाया नी
एहदी फुरी कलाम अज खेड़यां ते इसमे आजम1 ते असर कराया नी
महमान जियों आंवदा लैन वहुटी अगे सहुरयां पलंघ वछाया नी
वीराराध2 वेखे एथे कोई हुंदा जग धूड़ भलांवड़ा पाया नी
मंतर हक ते पुतलियां दो उडन अल्लाह वालयां खेल रचाया नी
खिसकू शाह होरी अज आन बैठे तंबू आन उघालूयां लाया नी
दुआ मार बैठा जोगी मुदतां दा अज खेड़यां ने खैर पाया नी
कखों लख चा करे खुदा सचा दुख हीर दा रब्ब गवाया नी
उन्हां सिदकियां दी दुआ रब्ब सुनी उस वांढड़ी दा यार आया नी
भला होया जे किसे दी आस पुनी रब्ब बिछड़या यार मिलाया नी
सहती आपने हथ अखतिआर लैके डरा डूंमां दी कोठड़ी पाया नी
रन्नां झट मोह लैन शाहजादयां नूं वेखो इफतरा कौन बनाया नी
आपे धाड़वी दे अगे माल दिता पिछों उसदे ढोल बजाया नी
भलके ऐथे ना होवसन दोवे कुड़ियां सानूं सगन एहां नजर आया नी
वारस शाह शैतान बदनाम करसू लूण थाल दे विच भुनवाया नी | panjabi-pan |
कद्रू-बनिता
कदू्र कानाग ह्वैन , बनिता का गरुड़
कदू्र बनिता , दुई1 होली सौत ,
सौति डाह छै , तौं मा ।
कद्रू बोलदी तब
हे भुली बनिता , तेरो बेटा भानपँखी ,
रंद सूर्य कालोक माँग2
सूर्य भगवान को रथ चलौंद ।
बोलदऊँ हे भुली ,
सूर्य को रथ , कै रंग को होलो ?
तब बनिता बोलदे ,
सूर्य को स्वेत रथ होलो ।
तब नागूना3 की माता कना बैन बोदे
आज भुली बनिता , तेरा मेरा बीच ,
कौल4 होई जाला
मैं सणी तू भुली , धरम दीयाल ।
सूर्य को सफेद रथ होलो ,
तब मैं , तेरीदासी होई जौलो ।
अर कालो रथ होलो तब तू ,
मेरी दासी , बणी जालो ।
तब कौलकरार , करीगे नागू की माता ,
रोंदड़ा5 लगौंदी6 तब , छुँयेड़ा7 चारदे ,
मन मारीक अपणा , कालागिरि नाग ।
याद करके वा , ध्यान धरदे ।
तब औंद कद्रू को , कालागिरी नाग
अपनी माता का , चरणू मा गिर्दु8
क्या हालू माता , मैं कू तै हुकूम ,
केक याद करयूँ , त्वैन मैंई ।
माता तब बाच9 , नी गाड़दी10 ।
कालागिरि तब , सोच मा पड़ीगे
क्या ह्वै माता , इनी होणी होन्यार ।
तब कदू्र बोलदे , क्या होण बेटा ,
आज बिटे मैं , गरूड़ की माँ की दासी छऊँ ।
कालागिरी पूदक्या कारण होलो ?
कदू्र न बोलेमेरा अर बनिता का बीच ,
बचन होई गैन
गरुड़ की माँन बोले , सफेद रथ सूर्य को ,
मैंन बोले सूर्य को काली रथ होलो ।
सफेद रथ सूर्य को सची होलो
तब मेरा लाडा11 , भोल12 बिटे13
मैन गरुड़ की माँ की , दासी होई जाण ।
बनिता होली कनी स्या डैणा14 ,
वीं की दासी , कनु होण बेटा , मैन ?
कालागिरि बोद : हे मेरी माता ,
नागू की माता छई तू ,
बनिता तेरी मैंदासी बणौलू ।
मैं अभी अपणा , सभी नागू बोलदौं
ऊँ सणी स्वर्ग लोक भेजदौं ।
उदंकारी15 काँठा माँग16 ,
जै वक्त सूर्य को , रथ औलू ,
वै वक्त सब , अपणा नागू ।
सूर्य का अग्वाड़ी पिछाड़ी , खड़ा करी द्यू लो
नागू का छैल17 से , सूर्य को रथ ,
कालो होई जालो ।
तब मेरी माता , बनिता देखली ,
सूर्य को रथ , कालो ही कालो ?
कालागिरि नाग , तब नागू लीक ,
उदंकारी काँठा , पौंछी गए ?
उदैकाल माँ नागून ,
सूर्य को रथ घेरयाले ?
गौ सरूप पृथी , सूती बिजीगे
पृथी मा सूर्य को , झलकरो ऐगे ?
अँध्यारी पृथी , उयंकार होइगे ,
तब निकलदे भैर18 , नागू की माता ,
सूर्य की तरफ देखण लगदी
सूर्य का रथ की काली छाया ,
तब देखेण लगदी ।
तब लौंदी धावड़ी19 , कदू्र खुशी माँग
औ भुलि बनिता , देख सूर्य को रथ
कालो रथ छ त , तू मेरी दासी ह्वैजा ,
सफेद रथ छ त , मैं तेरी दासी ह्वै जौलू ।
तब गरुड़ की माता , देखदे सूर्य को रथ ।
सूर्य कारथ तैन , काली छाया देखे
तब बोलदे बनिता
आज बिटी दीदी कदू्र मैं , तेरी दासी बणीग्यूँ ।
तब ह्वैगे बनिता , नागू की दासी ।
तब दणमण20 रोंदे , पथेणा नेत्र धोलदे ।
जना कना21 बेटऊँ , चुली22 तनी रणू भलो ।
मेरा बेटा भानपंखीन मेरो अपमान कराये ।
मैं मँूग23 त बोले सफेद रथ सूर्य को ,
अैर दखा त कालो रथ देखंद ।
मैं कौल24 हारी करेऊं , दासी बणायूं ।
तब गरुड़ की माता ,
मन मारी , जी हारी , नखारो सांस लेंदे ।
तब वीं को बेटा मिश्री गरुड़ ,
रंद देवलोक मा भगवान मा बोद :
मैं घर जाँदू मेरी माँ पर क्वी कष्ट आई गए ।
रौंड़दो दौड़ो औंद माँ का पास ।
वै की मान औंदो दखी ,
तब वीन पीठ फरकाई दीने ।
मिश्री गरूण माँ का चरणू मा गिर्द ।
कद्रू माता दणमण रोंदे
इनो बेटा नी होंदो मेरो ,
तब त मैं खूब रदी
तब मिश्री गरुड़ बोद
क्या होई माता होणी होन्यार ?
तब माता बोदे : तेरा भाई भानपंखीन
मई माक झूठ बोले
कि सूर्य को रथ सफेद होंद
मैन नागू की माता दगड़े कौल करीन
आज ऊँकी दासी बणी गयूं ।
तब मिश्री गरुड़ बोलदो
धीरज धर माता , मैं अपणो जायो25 नी बोली ,
जू मैन त्वै छुड़ायो नी ।
तब रौड़दौदौड़दो वो जांद
कालागिरी नाग का पास
हो कालागिरी नाग , तिन कपट करी
मेरी मां दासी किलै बणाये ?
तब कालागिरी नाग इनो बोलदो
हे मिश्री गरुड़ तू देवलोक मां रंदी
बख बिटी अमिर्त को घड़ो लैक हमू दियाल ,
तेरी माता सणी हम छोड़ी दिऊला ।
मिश्री गरुड़ होलो दिल को भोलो ,
तब अमृत ल्याईक गरुड़ नाग देन्द ।
तब कालागिरि नागन सब नाग बोलैन
नहेकधुयेक औला , अमृत प्यूला ।
तब नाग नहेण धुयेण जांदन ,
भगवान सुँणदन , दौडदादौड़दा ऐग्या
गरुड़ , तिन यो क्या करे ?
जनो कपट ऊन त्वैक करे ,
तनो कपट तू भी ऊँक कर
जबारेक वो नहेक औंदन ,
तबारेक अमृत देवलोक धरी हौऊ ।
तब मिश्री गरुड़ अमृत उठैक ,
सुकीं26 देवलोक मां धरी आयें
तब औंदन नाग ऐन , ऊन अमिर्त नी पायो ।
तब कालागिरी मिश्री गरुड़ मू औंद ।
तब मिश्री गरुड़ का साथ माँज ,
कालागिरी नाग जुद्ध करण लै गये ।
मिश्री गरुड़न तब नाग मारयालीन ,
तब कालागिरी नाग अकेलु रै गये :
तब कालागिरी नाग गरुड़ की डर ,
मिश्रीदऊ मा घुसीगे ।
तब माछी बणीक वो छाला आई गये ,
तब मिश्री गरूड़न वा माछी मारी आले ,
वख एक रिषी तप कदो छयो ,
वीं माछी को खून वे रिषी का अंग पड़ीगे
वै रिषीन गरूड़ सराप दियाले
जनो तिन मेरो तप भंग करे ,
तनी तेरी ये कुंड माज27 छाया पड़न से मृत्यु होई जान
जनो रिषीन सराप दिने गरुड़ सणी ,
तनी भगवान मालूम होई गये ।
भगवानन तब गरूड़ को कुंड मा ,
घूमणो बद करी दीने
तब भगवान जी कालानाग नाथीक ,
भैर ली ऐन
तुम भाई भाई छया गरुड़ो नागो ,
अपस मा मेल से रवा ।
तब मिश्री गरूड़क भगवान न बोले :
तू सिर्फ मैना28 राक एक नाग खाई । | garhwali-gbm |
डूब चलो दिन माय साझ भई मदिर मे
डूब चलो दिन माय , सांझ भई मंदिर में ।
काहे के मैया दियला बने हैं
काहे की डारी जोत । सांझ भई मंदिर में
सोने के मैया दियला बने हैं ,
रूपे की डारी जोत । सांझ . . .
कौन सुहागन दियरा जारें ,
कौना ने डारी जोत । सांझ . . .
सीता सुहागन दियरा जारे ,
रामा ने डारी जोत । सांझ . . .
कहां बनी मैया तोरी मडुरिया ,
कौना भयो रखवार , सांझ . . .
ऊंचे पहाड़ मैया बनी मडुरिया ,
लंगुरा भये रखवार । सांझ . . .
सुमिरसुमिर मैया तोरे जस गाऊं ,
चरणन की बलिहार । सांझ . . . | bundeli-bns |
कैसी तौबा है
तौबा ना कर यार , कैसी तौबा है
नित्त पढ़दे इसतगफार , कैसी तौबा है
सावीं दे के लवो सवाई ,
ड्योढिआँ ते बाजी लाई ,
एह मुसलमानी कित्थे पाई ,
एह तुहाडी किरदार , कैसी तौबा है
जित्थे ना जाणा तूँ ओत्थे जाएँ ,
हक्क बेगाना मुक्कर खाएँ ,
कूड़ किताबाँ सिर ते चाएँ ,
एह तेरा इतबार , कैसी तौबा है
मुँहों तौबा दिलों ना करदा ,
नाही खौफ खुदा दा धरदा ,
इस तौबा थीं तौबा करीए ,
ताँ बखशे गफ्फार , कैसी तौबा है
बुल्ला सहु दी सुणे हकायत1 ,
हादी2 पकड़ेआ होई हदायत3 ,
मेरा मुरशद शाह अनायत ,
ओह लँघाए पार , कैसी तौबा है | panjabi-pan |
मैं हूर परी बाँगर की
मैं हूर परी बाँगर की , मन्ने फली खा लई सांगर की
मेरी के बूझे भरतार
म्हने छोड़ न जइए , अपना कपटी दिल समझइए
ओ भर बुरा बनियाँ से प्यार
भावार्थ
' मैं बाँगर की हूर हूँ । एकदम परी सरीखी लगती हूँ । मैं सींगरे की फलियाँ खा खा कर पली हूँ । प्रियतम ,
आख़िर मुझे क्या समझते हो तुम ? मुझे छोड़ कर न जाओ , प्रिय । इस कपटी दिल को अपने समझाओ , प्रिय ।
ओ देखो न , तुम्हारे प्रति मेरे मन में बुरी तरह से प्यार जाग रहा है । | haryanvi-bgc |
बीच ही समुन्द्र कोसी माय
बीच ही समुन्द्र कोसी माय
बोदिला भासल जाय हे
सोलह हाथ के सड़िया हे कोसी माय
बन्हि लेलोॅ हे
हेलिए गेलोॅ बीचला हे समुन्द्र हे
हेलिए जे डुबिए हे कोसी माय
बोदिला उपर कइलें
से हो बोदिला मांगे छअ बिआह हे
हमें तोरा पुछिओ रे बोदिला
जतिया ते ठेकान रे
तहूँ मांगे हमरों से बिवाह रे
हमहूँ जे छिकिये गे कोसिका
ओछि जाति चमार हे
हमें मांगियो तोरो से विवाह हे
कथी ले खियोलियो रे बोदिला
दूध भात कटोरबा रे
पोसिपालि कइलियो जबान रे
तहूँ जे कइलें रे बोदिला
जातियो कुल हरण रे । | angika-anp |
दादा तुम्हारे हजारी हाँ जी बाबू, सीना तान के चलिहो
दादा तुम्हारे हजारी हाँ जी बाबू , सीना तान के चलिहो1 ।
हजरिया बने2 सीना तान के चलिहो ॥ 1 ॥
सहूरे3 का माली जोगी , हाँ जी बाबू , सेहरा4 पढ़ के5 बँधिहो6 ॥ 2 ॥
सहूरे का दरजी जोगी , हाँ जी बाबू , जोड़ा7 पढ़ के पेन्हिहो8 ।
सो लाले बने , जोड़ा पढ़ के पेन्हिहो ॥ 3 ॥
नाना तुम्हारे हजारी हाँ जी बाबू , सीना तान के चलिहो ।
हजरिया बने सीना तान के चलिहो ॥ 4 ॥
सहूरे का तँबोली9 जोगी हाँ जी बाबू , बीरा10 पढ़ के चब्हियो11 ।
हजरिया बने सीना तान के चलिहो ॥ 5 ॥
अब्बा तुम्हारे हजारी हाँ जी बाबू , सीना तान के चलिहो ।
सहूरे का साला जोगी हाँ जी बाबू , लाड़ो12 पढ़ के लइहो13 ।
हजरिया बने लाड़ो पढ़ के लइयो ॥ 6 ॥ | magahi-mag |
राय थें तो फलाणा राय का जाया
राय थें तो फलाणा राय का जाया
केसरिया केवाणा , दरबारी केवाणा
लिखन्दा केवाणा हो म्हारा राज
झालो दई रया
राज तमारी माता तो फलाणी बऊ
खोळ में सोवाड़िया , आंचलड़ो धवाड़िया
पालणे पोड़ाया हो म्हारा राज
झालो दई रया
राज तमारी बेन्या तो फलाणी बई
आरती संजोवे , मोतीड़े बधावे
चौक पुरावे हो म्हारा राज
राज तमारी गोरी तो फलाणी बऊ
सेज बिछाये , झारी भर लावे
गुंजा भरी लावे , ठंडो पाणी भरी लावे हो राज । | malvi-mup |
एमन समाज कबे गो सृजन हबे
एमन समाज कबे गो सृजन हबे
ये दिन हिन्दुमुसलमान बौद्धखृष्टान जातिगोत्र नाहि रबे ।
शोनाय लोभेर बुलि
नेबे ना केओ काँधेर झुलि ,
इतर आतरफ बलि
दुरे ठेले ना देबे । ।
आमिर फकीर हये एक ठाँइ
सबार पाओना पाबे सबाइ ,
आशरफ बलिया रेहाइ ,
भवे केओ येनाहि पाबे । ।
धर्मकुलगोत्रजातिर ,
तुलबे ना गो जिगिर ,
केंदे बले लालन फकिर
केबा देखाये देबे । | bengali-ben |
पड़ा रहा छपपनियां का काल
पड़ा रहा छपपनियां का काल
पड़ रहा कैसा री दुकाल
दिया री महंगाई नै मार
दमड़ी के हो गए चार
कपड़ा मिलै न टाट
अन्न दाल का टोटा पड़ गया
बालक सारे रोते डोलें
जीना जी का जंजाल
पड़ रहा छप्पनियां का काल
आया जमाई धड़का जी
कहां से लाउं सक्कर घी
मान महत मेरा सारा मर गया
कौन ओड़ निभावे करतार
पड़ रहा छप्पनियां का काल | haryanvi-bgc |
मोरे हर से करे ररिया जनकपुर की सखिया
मोरे हर से करें ररियां जनकपुर की सखियां ।
उनने आतर परसी सो पातर परसी
परस दई दुनिया जनकपुर की सखियां
आलू परसे रतालू परसे ,
सो परस दई घुइयां । जनकपुर . . .
पूड़ी परसी कचौड़ी परसी
सो परस दई गुजियां । जनकपुर . . .
लडुआ परसे जलेवी परसी ,
सो परस दई बुंदियां । जनकपुर . . .
उनने अमियां परसे , करौंदा परसे ,
सो परस दये निबुआ । जनकपुर . . . | bundeli-bns |
रूखड़ी खोदणा
पिपर्यापाणी मा निहिं मिले आंबा , निहिं मिले आमली ।
पिपर्यापाणी मा निहिं मिले आंबा , निहिं मिले आमली ।
उरखड़े जीरो वावे रांडे , जीरो वावे रांडे ।
दीतल्या भाइ काजे , पूछि निहि रांडे , झाजो करि देधो ।
रेसमि भोजाइ काजे पूछि निहिं रांडे , झाजो करि देधो ।
पिपर्यापानी जगह का नाम में आम और इमली नहीं मिलती हैं । रांड ने घूरे
पर जीरा बो दिया , दितल्या भाई को पूछा नहीं , धान बो दिया । रेशमी भोजाई को
पूछा नहीं और धान बो दिया । | bhili-bhb |
करमा गीत-3
हां हां रे रतन बोइर तरी रे
गड़े है मैनहरी कांटा
रतन बोइंर तरी रे ।
ओही मा ले नहकयं डिंडवारे , छैलवा
हेर देबे मैनहरी कांटा
रतन बोइर तरी रे ।
कांटा हेरवनी का भूर्ती देबे ,
हेर दहे मैनहरी कांटा
रतन बोइर तरी रे ।
ले लेबे भइया थारी भर रुपइया ,
हेर देबे मैनहरी कांटा
रतन बोइर तरी रे ।
थारी भर रुपइया तोरे धर भावय
नइ हेंरव मैनहरी कांटा
रतन बोइर तरी रे ।
ले लेबे भइया लहुरि ननदिया ।
हेर देबे मैनहरी कांटा
रतन बोइर तरी रे ।
लहुरि ननदिया तोरे धर भावय
नइ हेंरव मैनहरी कांटा
रतन बोइर तरी रे ।
ले लेबे , छैलवा मोरे रस बुंदिया
हेर देहंव मैनहरी कांटा
रतन बोइर तरी रे । | chhattisgarhi-hne |
501
राह जांदड़ी झोटे ने ढाह लई साहन थल एथल के मारियां नी
हबों हबो व गायके भन्न चूढ़ा पाट सुटियां चुन्नियां सारियां नी
डाढा माढ़यां नूं ढाह मार करदे अन्न जोरावरां अगे हारियां नी
नस चली सां ओंस नूं वेखके मैं जिवें वरां तों जान कवारियां नी
सीना भन्न के भनयो सू पासयां नूं दोहां सिंगां उते उस चाढ़ियां नी
मेरे करम सन आन मलंग मिलयां जिस जीवंदी पिंड विच वाड़ियां नी
वारस शाह मियां गल नवी सुनी हेड़ी1 हरत मैं ततड़ी दहाडियां2 नी | panjabi-pan |
बादरु गरजइ बिजुरी
बादरु गरजइ बिजुरी चमकइ
बैरिनि ब्यारि चलइ पुरबइया ,
काहू सौतिन नइँ भरमाये
ननदी फेरि तुम्हारे भइया । ।
दादुर मोर पपीहा बोलइँ
भेदु हमारे जिय को खोलइँ
बरसा नाहिं , हमारे आँसुन
सइ उफनाने तालतलइया ।
काहू सौतिन . . . । ।
सबके छानीछप्पर द्वारे
छाय रहे उनके घरवारे ,
बिन साजन को छाजन छावइ
कौन हमारी धरइ मड़इया ।
काहू सौतिन . . . । ।
सावन सूखि गई सब काया
देखु भक्त कलियुग की माया ,
घर की खीर , खुरखुरी लागइ
बाहर की भावइ गुड़लइया ।
काहू सौतिन . . . । ।
देखिदेखि के नैन हमारे
भँवरा आवइँ साँझ–सकारे ,
लछिमन रेखा खिंची अवधि की
भागि जाइँ सब छुइछुइ ढइया ।
काहू सौतिन . . . । ।
माना तुम नर हउ हम नारी
बजइ न एक हाथ सइ तारी ,
चारि दिना के बाद यहाँ सइ
उड़ि जायेगी सोन चिरइया ।
काहू सौतिन . . . । । | kanauji-bjj |
इशक दी नविओं नवीं बहार
इशक दी नविओं नवीं बहार ।
फूक मुसल्ला भन्न1 सिट्ट लोटा ,
ना फड़ तसबी कासा सोटा ,
आलिम कैंहदा दे दे होका ,
तर्क हलालों खाह मुरदार ।
इशक दी नविओं नवीं बहार ।
उमर गवाई विच्च मसीती ,
अन्दर भरिआ नाल पलीती ,
कदे नमाज़ वहादत ना कीती
हुण क्यों करना ऐं धाड़ोधाड़ ।
इशक दी नविओं नवीं बहार ।
जाँ मैं सबक इशक दा पढ़िआ2 ,
मस्जिद कोलों जीऊड़ा3 डरिआ4 ,
भज्जभज्ज ठाकुर दुआरे वड़िआ5 ,
घर विच्च पाया महिरम यार ।
इशक दी नविओं नवीं बहार ।
जाँ मैं रमज़6 इशक दी पाई ,
मैनूँ तूती7 मार गवाई ,
अन्दर बाहर होई सफाई ,
जित वल्ल वेखाँ यारो यार ।
इशक दी नविओं नवीं बहार ।
हीर राँझण दे हो गए मेले ,
भुल्ली हीर ढुँढेंदी मेले ,
राँझण यार बगल विच्च खेले ,
मैनूँ सुध बुध रहीना सार ।
इशक दी नविओं नवीं बहार ।
वेद कुरानाँ पढ़पढ़ थक्के ,
सिजदे करदिआँ घस गए मत्थे ,
ना रब्ब तीरथ ना रब्ब मक्के ,
जिन पाया तिन नूर अनवार8 ।
इशक दी नविओं नवीं बहार ।
इशक भुलाया सिजदा तेरा ,
हुण क्यों ऐवें पावें झेड़ा ,
बुल्ला हो रहो चुप्प चुपेड़ा ,
चुक्की सगली कूक पुकार ।
इशक दी नविओं नवीं बहार । | panjabi-pan |
461
घर अपने चा चवा कर के आख नागरी वांग क्यों सूकिये नी
नाल जोगियां मोरचा लाया ई रजे जट वांगूं वडी फूकिये नी
जदों बन झड़े थक हुट रहिए जा पिंड दियां रन्नां थे कूकिये नी
कड्ढ गालियां सने रबेल बांदी घिन मोहलियां असां न घूकिये नी
भलो भली जां डिठयो आशकां नूं वांग कुतियां अन्न नूं चूकिये नी
वारस शाह तों पुछ लै बंदगी नूं रूह साज कलबूत विच फूकिये नी | panjabi-pan |
दसरथ नन्नन चलल बियाह करे
दसरथ नन्नन चलल बियाह करे , माँथ बन्हले1 पटवाँस2 हे ॥ 1 ॥
केहि3 जे रामजी के पगिया सम्हारल , केहिं सजल बरियात हे ।
केहिं जे रामजी के चनन चढ़ावल साजि4 चलल बरियात हे ॥ 2 ॥
भाई भरथ रामजी के पगिया सम्हारल , दसरथ साजे बरियात हे ।
माता कोसिला रानी चनन चढ़ावल , साजि चलल बरियात हे ॥ 3 ॥
एक कोस गेल राम , दुइ कोस गेल , तीसरे में बोले बन काग हे ।
भाई भरथ राम के पोथिया बिचारलन , काहे बोले बन काग हे ।
रामजी के पोथिया धोतिया धरन5 पर छूटल , ओही बोले बन काग हे ॥ 4 ॥
जब बरियात दुआर6 बीच आयल , चेरिया कलस लेले ठाड़7 हे ।
परिछे8 बाहर भेलन सासु मदागिन9 हाथ दीपक लेले ठाड़ हे ॥ 5 ॥
कवन बर के आरती उतारब , कवन बर बियहन10 आएल हे ।
जेकरहि11 माँथ मउरी12 भला सोभे , तिलक सोभले लिलार हे ॥ 6 ॥
ओही बर के आरती उतारब , ओही बर बियहन आएल हे ।
सासु के खोइँछा13 में बड़े बड़े खेलौना , से देखि रिझल14 दमाद हे ।
सासु के खोइँछा में मोतीचूर के लड्डू , से देखि उनके15 दमाद हे ॥ 7 ॥
भेल बियाह , बर कोहबर चललन , सारी सरहज16 छेंकलन17 दुआर हे ।
बहिनी के नमवाँ18 धरहु19 बर सुन्नर , तब रउरा20 कोहबर जाएब हे ॥ 8 ॥
हमरहिं बंसे बहिनी नहीं जलमें21 जलमल22 लछुमन भाइ23 हे ।
सेहु भाइ जउरे24 चलि आएल , माँगलक25 सलिया बियाहि हे ॥ 9 ॥ | magahi-mag |
519
फौज हुसन दी खेत विच खिंड पई तुरत चा लगोटड़े वटयो ने
संमी खेडदियां मारदियां फिरन गिधा फबी घत बनावट पटयो ने
तोड़ किकरों सूल दा वडा कंडा पैर चोभ के खून पलटयो ने
सहती अंदरों मकर दा फंद जड़या दंद मारके खून उलटयो ने
शिसतअंदाज1 ते मकर दा नाग कीता उस हुसन दे मोर नूं फटयो ने
वारस यार दे खरच तहसील विचों हिसो सिरफ कसूर दा लुटयो ने | panjabi-pan |
चेतावनी
अलो भायूं क्या छ ? कख तइं पड़यूं घर मां ।
विदेस्यूं न देखा ? कनि कनि कन्याले जगत मां ।
करा प्यारों अब त , जतन कुछ अप्णा विषय मां ।
न खोवा हे चुच्चों , निज दिन अमोला मुफत मां । | garhwali-gbm |
गौतम नार सिला कर डारी
गौतम नार सिला कर डारी
मुर्गा बांग दगे की दे गया , बांग दगे की न्यारी
गौतम ऋषि जी के न्हाने की तैयारी ।
गौतम ऋषि जी ने जब न्हान संयोया , बोली यमुना माई ,
कौन रे पापी आन जगाई , मैं तो सोऊं थी नग्न उघारी ,
क्या री माता भूल गई हो , भूलत बात बिसारी ,
मैं गौतम ऋषि भगत तुम्हारा ।
तूं तो रे भोले भूल गया है , भूलत बात बिसारी ,
तेरे तो रे भोले घर हो रही है जारी
कुछ गौतम ऋषि न्हाये कुछ न्हान न पाये , कांधे धोती डारी ,
जब गौतम ऋषि ड्योड़ी आये , ड्योढ़ी चन्दरमा पाये ,
दे मिरगछाला जा उन मस्तक मारी ,
गौतम नार सिला कर डारी । | haryanvi-bgc |
मेरौ वारौ सौ कन्हैंया
मेरौ बारौ सो कन्हैंया कालीदह पै खेलन आयो री ॥ टेक
ग्वालबाल सब सखा संग में गेंद को खेल रचायौरी ॥ मेरौ .
काहे की जाने गेंद बनाई काहे को डण्डा लायौरी ॥ मेरौ .
रेशम की जानें गेंद बनाई , चन्दन को डण्डा लायौरी । मेरौ .
मारौ टोल गेंद गई दह में गेंद के संग ही धायौरी ॥ मेरौ .
नागिन जब ऐसे उठि बोली , क्यों तू दह में आयौरी ॥ मेरौ .
कैं तू लाला गैल भूलि गयो , कै काऊ ने बहकायौरी ॥ मेरौ .
कैसे लाला तू यहाँ आयो , कैं काऊ ने भिजवायोरी ॥ मेरौ .
ना नागिन मैं गैल भूल गयो , ना काऊ ने बहकायौरी ॥ मेरौ .
नागिन नाग जगाय दे अपनों याहीकी खातिर आयौरी ॥ मेरौ .
नाँय जगाये तो फिर कहदे ठोकर मारि जगायौरी ॥ मेरौ .
हुआ युद्ध दोनों में भारी , अन्त में नाग हरायौ री ॥ मेरौ .
नाग नाथि रेती में डारौ फनफन पे बैंन बजायौरी ॥ मेरौ .
रमनदीप कूँ नाग भेज दियौ फनपै चिन्ह लगायौरी ॥ मेरौ .
‘घासीराम’ ने रसिया कथिके , भर दंगल में गायौरी ॥ मेरौ . | braj-bra |
बगिया मति अइहा हो दुलहा
बगिया मति1 अइहा2 हो दुलहा , डेहुरिया3 मति हो छुइहा4 ।
पोसल चिरइँया5 हो दुलहा , उड़ाइ मति हो दीहा6 ॥ 1 ॥
बगिया हम अइबो7 हे सासु , डेहुरिया हम हे छुइबो8 ।
पोसल चिरइँया हे सासु , उड़ाइ हम हे देबो ॥ 2 ॥
सड़क मति अइहा हे दुलहा , ओहरिया9 मति हे छुइहा ।
पोसल सुगवा हे दुलहा , उड़ाइ मति हो दीहा ॥ 3 ॥
सड़क हम अइबो हे सासु , ओहरिया हम हे छुइबो ।
पोसल सुगवा हे साुस उड़ाइ हम हे देबो ॥ 4 ॥
मड़वा मति अइहो हो दुलहा , कलसवा मति हो छइहा ।
बरल10 चमुकवा11 हे दुलहा , बुताइ12 मति हे दीहा ॥ 5 ॥
मड़वा हम अइबो हे सासु , कलसवा हम हे छुइबो ।
बरल चमुकवा हे सासु , बुताइ हम हे देबो ॥ 6 ॥
कोहबर मति जइहा हे दुलहा , सेजिया मति हे छुइहा ।
पोसल बेटिया हे दुलहा , रुलाइ मति हे दीहा ॥ 7 ॥
कोहबर हम जयबो हे सासु , सेजिया हम हे छुइबो ।
पोसल बेटिया हे सासु , रूलाइ हम हे देबो ॥ 8 ॥ | magahi-mag |
मैं अंग्रेजी पढ़ गई बालम
मैं अंग्रेजी पढ़ गई बालम खाना नहीं बनाऊंगी
नहीं चूल्हे पर रखूं देगची आंच ना बारूंगी
पतली फुलकिया पोए न बालम तुझे न खिलाऊंगी
न चक्की पर रखूंगी पसीना कोर ना डालूंगी
गोरमैंट से बात करूंगी तनखाह पाऊंगी
तेरे सा मजूर पलंग बिछावै गद्दा लाऊंगी | haryanvi-bgc |
पोसतू का छुमा, मेरी भग्यानी बा
पोसतू1 का छुमा , मेरी भग्यानी बा2 ।
आज की छोपती , मेरी भग्यानी बौ ।
रै तुमारा जुमा , मेरी भग्यानी बौ ।
अखोडू का डोका3 , मेरी भग्यानी बौ ।
रै तुम्हारा जुमा , मेरी भग्यानी बौ ,
हम अजाण लोका , मेरी भग्यानी बौ ।
बाजी त छुड़ीका4 मेरी भग्यानी बौ ,
इनू देण दुवा5 , मेरी भग्यानी बौ ,
हींग सा तुड़ीका6 मेरी भग्यानी बौ ।
काखड़7 की सींगी , मेरी भग्यानी बौ ,
रातू क सुपिना देखी , मेरी भग्यानी बौ ।
दिन आँख्यों रींगी , मेरी भग्यानी बौ ,
बान8 को हरील9 , मेरी भग्यानी बौ ,
रिंगदों रिंगदो10 , मेरी भग्यानी बौ ,
त्वै मुंग11 सील12 , मेरी भग्यानी बौ । | garhwali-gbm |
कहमाँहि दुभिया जनम गेलइ जी बाबूजी
कहमाँहि1 दुभिया2 जनम गेलइ जी बाबूजी ,
कहमाँहि पसरल3 डाढ़4 हो । 1 ॥
दुअराहिं5 दुभिया जनम गेलउ6 गे7 बेटी ,
मड़वाहिं8 पसरल डाढ़ हे ॥ 2 ॥
सोनमा9 ऐसन10 धिया11 हारल12 जी बाबा ।
कारकोचिलवा13 हथुन दमाद हे ॥ 3 ॥
कारहिंकार14 जनि घोसहुँ15 गे बेटी ,
कार अजोधेया सिरी राम हे ॥ 4 ॥
कार के छतिया16 चननमा सोभइ17 गे बेटी ।
तिलक सोभइ लिलार18 हे ॥ 5 ॥
कार के हाथ बेरवा19 सोभइ गे बेटी ।
मुखहिं सोभइ बीरा20 पान हे ॥ 6 ॥
मथवा में सोभइ चकमक21 पगड़िया ।
गलवा22 सोभइ मोतीहार हे ॥ 7 ॥
ऐसन23 बर के कार काहे24 कहलऽ ।
कार हथिन सिरी राम हे ॥ 8 ॥ | magahi-mag |
जिदना मन पंछी उड़ जानैं
जिदना मन पंछी उड़ जानैं ,
डरौ पींजरा रानैं ।
भाई ना जै हैं बन्द ना जैहें ।
हँस अकेला जानें ।
ई तन भीतर दस व्दारे हैं
की हो के कड़ जाने ।
कैवे खों हो जै है ईसुर ।
एैसे हते फलाने । | bundeli-bns |
झोलै मैं डिबिआ ले रह्या
झोलै मैं डिबिआ ले रह्या
हाथ्यां मैं ले रह्या रूमाल
पति हो तेरी कित की त्यारी सै
बहाण मेरी सुनपत ब्याही सै
हे री तीज्यां का बड़ा त्युहार
सिंधारा लै कै जाऊंगा
टेम गाड्डी का हो रह्या सै
हे री घंटी बाज रही खड खड
गाड्डी सिर पर आ रही सै
मिठाई सतपकवानी सै
हे री सासड़ तौली खाट बिछाए
बीर मेरा भाज्या आवै सै
बीरा मेरा सिर पुचकारै सै
मैं लेई गोड्यां के बीच बिठा
बीर नैणां में आसूँ ल्या रह्या सै
हे री मेरी सासड़ भरदी नां हां
बीर मेरा आंख्यां नै आ रह्या सै
जेठ मेरा सान्नी काटै सै
मेरा देवर काढै धार
पति मेरा पलटण में जा रह्या सै | haryanvi-bgc |
506
सहतीं हीर दे नाल पका मसलत बड़ा मकर फैलायके बोल दी ए
गरदानदी मकरां मुतवलां1 नूं अते कनज़2 फरेब दी खोल दी ए
इबलीस3 मलफूफ4 खनाम विचों लै रवायतां जायजां बोल दी ए
अफाकुल हदिस5 मनसूख कीती किताब लाईन अला वाली फोलदी ए
तेरे यार फिकर दिन रात मैंनूं जान मापयां तो पई डोलदी ए
वारस शाह सहती अगे मां बुढी वडे गजब दे कीरने फोलदी ए | panjabi-pan |
पाया है किछु पाया है
पाया है किछु पाया है , मेरे सतगुर अलख लखाया है ।
कहूँ वैर पड़ा कहूँ बेली हो ,
कहूँ मजनूँ हो कहूँ लेली हो ,
कहूँ आप गुरु कहूँ चेली हो ,
आप आप का पन्थ बताया है ।
पाया है किछु पाया है , मेरे सतगुर अलख लखाया है ।
कहूँ मस्जिद का वरतारा है ,
कहूँ बणिआ ठाकुरद्वाराहै ,
कहूँ बैरागी जटधारा है ,
कहूँ शेख नबी बण आया है ।
पाया है किछु पाया है , मेरे सतगुर अलख लखाया है ।
कहूँ तुर्क हो कलमा पढ़ते हो ,
कहूँ भगत हिन्दू जप करते हो ,
कहूँ घोर गुफा में पड़ते हो ,
कहूँ घर घर लाड लडाया है ।
पाया है किछु पाया है , मेरे सतगुर अलख लखाया है ।
बुल्ला मैं थीं बेमुहताज होया ,
महाराज मिलिआ मेरा काज होया ,
दरस पीआ का मुझहे इलाज होया ,
आपे आप मैं आपु समाया है ।
पाया है किछु पाया है , मेरे सतगुर अलख लखाया है । | panjabi-pan |
150
चूचक आखदा अखीं विखा मैंनूं मुंडी1 लाह सुटां गुंडे मुंडयां दी
हक अयां तराह मैं तुरत माही साडे देस ना थां है गुंडयां दी
सिर दोहां दे वढ के अलख लाहां असीं सथ ना परे हां गुंडयां दी
कैदो आखया वेख फड़ावना हां भला माखड़ी एहनां लुंडयां दी
एस हीर दे बिरछ दी भंग लैसां सेहली वटसां चाक दे जुंडयां दी
अखीं वेख के फेर जे ना मारो तदों जानसों परे दे बुंडयां दी
वारस शाह मियां एथों खेड़ पौंदी वेखो बुंडयां दी अते मुंडयां दी | panjabi-pan |
एक बार आओजी जवाईजी पावणा
एक बार आओजी जवाईजी पावणा
थाने सासूजी बुलावे घर आज जवाई लाड्कना
सासूजी ने मालुम होवे म्हारे भाई आज होयो
म्हारे घरे से मौक्ळो काम सासूजी मने माफ़ करो . . .
एक बार आओजी जवाईजी पावणा . . .
थाने सुसराजी बुलावे घर आज जवाई लाड्कना
सुसराजी ने मालूम होवे बाप म्हारो सेहर गयो
म्हारे घर से लारलो काम
सुसराजी मने माफ़ करो
एक बार आओजी जवाईजी पावणा . . .
थाने साळीजी बुलावे घर आज जवाई लाड्कना
साळीजी ने मालुम होवे साढुजी ने भेजू हूँ
म्हारा साढुजी नाचेला सारी रात
साळीजी मने माफ़ करो
एक बार आओजी जवाईजी पावणा . . .
थाने बुवाजी बुलावे घर आज जवाई लाड्कना
बुवाजी ने मालुम होवे म्हारे भी बुवाजी आया
बुवासासुजी ने जोडू लंबा लंबा हाथ बुवाजी मने माफ़ करो
एक बार आओजी जवाईजी पावणा . . .
थाने लाडीजी बुलावे घर आज जवाई लाड्कना
लाडीजी बुलावे तो लाडोजी भी आवे है
मैं तो जाऊंला सासरिये आज साथिङा मने माफ़ करो
एक बार आओजी जवाईजी पावणा . . .
थाने सासूजी बुलावे घर आज जवाई लाड्कना . . . .
थाने सुसराजी बुलावे घर आज जवाई लाड्कना . . .
थाने साळीजी बुलावे घर आज जवाई लाड्कना . . . .
थाने बुवाजी बुलावे घर आज जवाई लाड्कना . . .
थाने लाडीजी बुलावे घर आज जवाई लाड्कना . . . | rajasthani-raj |
321
आ कुवारिए ऐड अपराधने नी धका देह ना हिक दे जोर दा नी
बुंदे कुंदले नथ ते हस कड़ियां बैठी रूप बनायके मोर दा नी
आ नढीए रिकतां छेड़ नाही एह कमनाहीं धुंम शोर दा नी
वारस शाह फकीर गरीब उते वैर कढयो ई किसे खोर दा नी | panjabi-pan |
सभवा बइठल रउरा कवन बाबा
सभवा बइठल रउरा1 कवन बाबा , दहु2 बाबा हमरो जनेउ3 गे माई ।
बेदिया बइठल हो बरुआ , रतन के जोत4 के माई ॥ 1 ॥
केई5 देबे6 मूँज जनेउआ7 केई मिरिग छाल गे माई ।
केई देवे पियर8 जनेउआ , बेदिया के बीच गे माई ।
रतन के जोत गे माई ॥ 2 ॥
बराम्हन देलन मूँज जनेउआ , नउआ9 मिरिग छाल गे माई ।
बाबा देलन पियर जनेउआ , बेदिया के बीचे गे माई ।
रतन के जोत गे माई ॥ 3 ॥
सभवा बइठल रउरा कवन चच्चा , दहु चच्चा हमरो जनेउ गे माई ।
बेदिया बइठल हो बरुआ , रतन के जोत गे माई ॥ 4 ॥
केई देवे मूँज जनेउआ , केई मिरिग छाल गे माई ।
केई देवे पियर जनेउआ , बेदिया के बीचे गे माई
रतन के जोत गे माई ॥ 5 ॥
बराम्हन देलन मूँज जनेउआ , नउआ मिरिग छाल गे माई ।
चच्चा देलन पियर जनेउआ , बेदिया के बीचे गे माई ।
रतन के जोत गे माई ॥ 6 ॥ | magahi-mag |
बड़ सीजूं बड़ाला सीजूं
बड़ सीजूं बड़ाला सीजूं
सींजूं बड़ की डाली
आप किरसन जी झरोखे बैठे
सींजै राधा प्यारी | haryanvi-bgc |
म्हारो मीठो लागै खीचड़ो
म्हारो मीठो लागै खीचड़ो ।
म्हारो चोखो लागे खीचड़ो । । मीठो खीचड़ो । ।
छुलक्यो छांढ़यो बाजरो ।
म्हें दली ए मूंगा की दाल । । मीठो खीचड़ो । ।
खदबद सीझै बाजरो ।
कोई लथपथ सीझै दाल । । मीठो खीचड़ो । ।
दूध खिचड़ी खावा बैठ्या ।
कोई तरसै म्हारी जाड़ । । मीठो खीचड़ो । । | haryanvi-bgc |
डोले बसन्ती बयार मगन मन होला हमार
डोले बसन्ती बयार मगन मन होला हमार ।
गेहुँआ मण्टरिया से लहरल सिवनवा , होखे निहाल भइया सगर किसनवा
धरती के बाढ़ल श्रृंगार मगन मन होला हमार । ।
बिहँसेला फुलवा महकेला क्यारी , ताक झाँक भँवरा लगावे फुलवारी
मौसम में आइल बहार मगन मन होला हमार । ।
आईल कोयलिया अमवाँ के डरिया , पीयर चुनरिया पहिरे सवरियाँ
सोहेला पनघट किनार मगन मन होला हमार । । | bhojpuri-bho |
सुणिये मेरे मिन्त कथा
सुणिये मेरे मिन्त कथा ।
पंजे गाड़ दिये होणी ने हे होणी बलवान धंसी जा सरवण के घर में
आते ही डिगा दी बुध आण के उस तिरिया की पल में
कुमत्त राणी की बन आई ।
सोना को टका दियो हाथ जाय कुम्हरा ते बतलाई
सुण प्रजापत बात समझले बरतन एक बणा दे ऐसा भीतर हो परदा
सुणिये मेरे मिन्त कथा ।
ले हंडिया प्रजापत आयो काम करी चितराई को
पंजे गाड़ दिये होनी ने दोष नहीं ईमे काई को
एक में रंधती खटी मेहेरी एक में रंधती खीर
करके सोच कहे यू अंधा या कैसी तकदीर
सकीमी सरवण में आई ।
बहुत गए दिन बीत मेहेरी खट्टे की खाई
सरवण ने सुणो जवाब रही ना बाकी
सुण अंधे माई बाप दोजखी पापी
खीर तनें सब दिन ते खाई हुयो तूं अंधा दुखदाई
वाको थाल आप ले लीनो अपनो दियो पिता
सुणिये मेरे मिन्त कथा ।
एक ग्राम लियो मुख भीतर थाल पटक दियो धरती में
कुल में घात चला रही तिरिया तू ना चूकी करणी में
सुण तिरिया बदकार अक्ल की मारी
तूं एकली काग उड़ाये पड़ी रह लानत की मारी
ऐसे वचन कहे सरवण ने सरवण बन को जा
सुणिये मेरे मिन्त कथा ।
हरे हरे बांस कटा के इसने कावड़ बनवाई
नंगे कर लिये पैर सुरत जने बन खंड की लाई
आ गयो सागर ताल नीर भर लीयो
दसरथ ने मार्यो बाण जुलम कर लीयो
सांस ना सरवण की भटकी बात तो बहुत जबर अटकी
भयानो दसरथ को आयो ।
मेरी सुणिये दसरथ बात पिता रह गयो तिसायो
ले पाणी दसरथ आयो ठाकुर नाम सुता
सुणिये मेरे मिन्त कथा । | haryanvi-bgc |
हाथ सिन्होरबा गे बेटी
हाथ सिन्होरबा1 गे बेटी , खोंइछा2 दुब्भी पान ।
चली भेली दुलारी गे बेटी , दादा दरबार ॥ 1 ॥
सुत्तल3 हला4 जी दादा , उठला चेहाय5 ।
किया6 लोभे अइला7 गे बेटी , दादा दरबार ॥ 2 ॥
अरबो8 न माँगियो जी दादा , दरब9 दुइ चार ।
एक हम माँगियो जी दादा , दादी के सोहाग ॥ 3 ॥
मचिया बइठली जी दादी , दहिन10 लटा11 झार ।
लेहु दुलरइते गे बेटी , अँचरा पसार ॥ 4 ॥
अँचरा के जोगवा12 गे दादी , झुरिये झुरि13 जाय ।
मँगिया सेनुरबा गे दादी , जनम अहियात14 ॥ 5 ॥ | magahi-mag |
एक धनि अँगवा के पातर पिया के सोहागिन हे
एक धनि अँगवा1 के पातर2 पिया के सोहागिन हे ।
ललना , दोसरे , दुआरे लगल ठाढ़ , काहे भउजी आँसू ढारे हे ॥ 1 ॥
तुंहूँ त हहु , भउजो , अलरी3 से , भइया के दुलरी हे ।
काहे भउजी लगल दुआर , काहे रे भउजी आँसू ढारे हे ॥ 2 ॥
तुहूँ त हहु बबुआ देवर , मोर सिर साहेब4 जी ।
बबुआ , तोरो भइया देलन बनवास , से एक रे पुतर बिनु हे ॥ 3 ॥
लेहु न लेहु भउजी सोनमा , से अउरो चानी लेहू हे ।
भउजी , मनवहु आदित5 भगमान , पुतर एक पायब हे ॥ 4 ॥
मनवल6 आदित भगमान , से होरिला जलम लेल हे ।
जुगजुग जिअए देवरवा जे मोरा गोदी भरि देल हे ॥ 5 ॥ | magahi-mag |
279
तूं तां चाक सयालां दा नाम धीदो छड खरच पो1 गल हंकर दे जी
महीं चूचके दीयां जदों चारदा सैं जटी मानदा सैं विच बार दे जी
तेरा मेहना हीर सयाल ताईं खबर आम सी विच संसार दे जी
नस जाह एथों मार सुटनिगे खेड़े सच ते झूठ नितारदे जी
देस खेड़यां दे जरा खबर होवे जान तखत हजारे नूं मारदे जी
भज जाह खड़े मतां लाध करनी प्यादे बन्न लै जान सरकार दे जी
मार चूर कर खटनी हड गोडे मलक गोर2 अजाब3 कहार दे जी
वारस शाह जयों गोर विच हड कड़कन गुरजा नाल आसी गुनहगार दे जी | panjabi-pan |
अगना मे बाजे बधैया बाजे हो बधैया
अंगना में बाजे बधैया , बाजे हो बधैया
यशोदा जी के द्वारे ।
रार करें पानी में हिलोरें , खेले को मांगे जुन्हैया ।
यशोदा जी के द्वारे
तुम जिन सोच करो मनमोहन देहैं
चांद ल्याकें यशोदा के द्वारे
गोरी नंद गोरी यशोदा ,
तुम काय मोहन कारे । अंगना . . . | bundeli-bns |
317
आय आय मुहानयां जदों कीती चहुं कन्नी जां पलम के आ गए
सचो सच जां फाट नूं तयार होए जोगी होरी भी जिउ चुग गए
वेखो फकर अलाह दे मार जटी उस जटी नूं वायद पा गए
जदों मार चैतरफ तयार होई ओदों आपना आप खिसका गए
इक फाट कढी सभे समझ गइयां रन्नां पिंड दियां नूं राह पा गए
जदों खसम मिले पिछे वाहरां दे तदों धाड़वी घोड़े दुड़ा गए
हथ ला के बरकती जुआन पूरे करामात ही जाहरा विखा गए
वारस शाह मियां पटे बाज छुटे जान रख के चोट चला गए | panjabi-pan |
खड़े ने खप्पर धारणी
खड़े ने खप्पर धारणी
देवी जगदम्बा
थारे मदरो प्यालो हाथ
सदा मतवाली ओ
थारा पावां ने बिछिया सोवता वो
देवी जगदम्बा
थारी अनबट से लागी रयो बाद | malvi-mup |
109
एह रज़ा तकदीर दी होय रही , वारद कोण हो जो दये हटाए मियां
दाग अंब दी रसा दा लहे नाहीं दाग इशक दा भी नहीं जा मियां
होर सभ गलां मनजूर होइयां रांझे चाक थों रहा न जा मियां
एस इशक दे रोग दी गल ऐवें सिर जाय ते सिरर ना जा मियां
वारस शाह मियां जिवें गंज सिर दा बारां बरस बिना नहीं जा मियां | panjabi-pan |
इयां निमूसरा खवडै इली मां डो गंगायली आयोम
इयां निमूसरा खवडै इली मां डो गंगायली आयोम
आयोम डो इनी रानी गेली सेने
आयोम डो इनी रानी गेली सेने
रानी गेली बाकी सेने बेटा
इयां बेआ इयें निगराये जे
इयां बेटा इयें निगराये जे
इयां बेटा इयें निगराये जे
अमेनी निगरायेजे माकां इयां बेगलेन टेगेन डो गंगायली आयोम
अमेनी निगरायेजे माकां इयां बेगलेन टेगेन डो गंगायली आयोम
आयोम डो इयां भा रुपया झोला कांधा बेडों इयां सामान टेगेन
स्रोत व्यक्ति दयाराम काजले , ग्राम सोनपुरा | korku-kfq |
बागों की अजब बहार
बागों की अजब बहार , सहाना बना बागों में उतरा ।
सहाने अब का मैं सेहरा सँम्हारूँ , लाले बने का मैं सेहरा सँम्हारूँ ।
लड़ियों की अजब बहार , बागों की अजब बहार ॥ 1 ॥
लाड़ो1 का दुलहा बागों में उतरा , सहाने बने का मैं जोड़ा सँम्हारूँ ।
जोड़े में लगे हीरा लाल , लाड़ो का बना बागों में उतरा ॥ 2 ॥
सहाने बन का मैं बीड़ा सँम्हारूँ सुरखी2 में लगे हीरा लाल ।
लाड़ो का बना बागों में उतरा , सुरखी की अजब बहार ।
केसरिया बना बागों में उतरा ॥ 3 ॥
सहाने बने की मैं लाड़ो सँम्हारूँ , घूँघट में लागे हीरे लाल ।
लाड़ो का बना बागों में उतरा , सूरत की अजब बहार ।
केसरिया बना बागों में उतरा ॥ 4 ॥ | magahi-mag |
जग्गा जमया ते मिलन वधाईयां
जग्गा जमया ते मिलन वधाईयां ,
के वड्डे हो के डाके मारदा , जग्गया
के तुर परदेस गयों वे बूहा वज्जया ,
जग्गा , जमया ते मिलन वधाईयां
के सारे पिंड गुड वण्डया , जग्गया ,
के तुर परदेस गयों वे बूहा वज्जया ,
जे मैं जाणदी जग्गे मर जाणा ,
मैं इक थाईं दो जम्मदी , जगया
के टुट्टी होई माँ दे कलेजे छुरा वज्जया
जग्गे जिन्दे नू सूली उत्ते टंगया ,
ते भैण दा सुहाग चुमके , मखना ,
के क्यों तुर चले गयों बेडा चखना ,
जग्गा मारया बोड़ दी छांवे ,
के नौ मण रेत भिज गयी , पूरना
के माँ दा मार दित्ताइ पुत्त सूरमा ,
जग्गा , जमया ते मिलन वधाईयां | panjabi-pan |
पाण्डव जन्म
परगट ह्वै जान , परगट ह्वै जान ,
परगट ह्वै जान , पाँच भाई पंडऊं1 ।
परगट ह्वै जान कोन्ती माता ,
परगट ह्वै जान राणी द्रोपता ।
कोन्ती माता होली पंडौं की माता ,
नंगों कू बस्तर देंदी , भूकों को अन्न ।
नंगों देखीक वस्त्र नी लांदी ,
भूकों देखीक खाणू नी खाँदी ।
कोन्ती माता होली धर्म्याली माता ,
बार बरस तैं करदी रै दुर्बासा की सेवा
तब रिषि दुर्बासा परसन्न ह्वैन ,
कोन्तीं माता तैं पुत्र बरदान दीने
तेरा पाँच पुत्र होला छेतरी2 माल3 ,
काटीक नी कटोन मारीक नी करोन ।
तब पाँच मंत्र रिषीन दीन्या ,
रण लैगे कोन्ती तब मैत4 घर ।
एक दिन धर्म्याली तीर्थ नहेन्दी ,
सूरज तैं वा पाणी चढ़ौंदी ।
मंत्र जाप करे तब वीन
प्रभु की लीला छई , कर्ण पैदा ह्वैगे
बार वर्ष पढ़े मातान धर्म मंत्र ,
धर्म मंत्र पढ़ीक ह्वै गैन धर्मराज
बार वर्ष पढ़े मातान वायु मंत्र ,
पैदा ह्वैन तब बली भीमसण
बार वर्ष करे मातान इन्द्र को जाप ,
पैदा ह्वै गैन हाँ जी , अजुन धनुर्धारी
तब बार वर्ष पढ़े मातान पाँडु मंत्र ,
त पैदा ह्वैन नकुल कुँवर
बार वर्ष पढ़े माता ने ब्रह्म मंत्र ,
पढ़ीक कनो ह्वैगे सहदेव ब्रह्म
पाँच पुत्र पंडौ छा कुन्ती का ,
धरती की शोभा छया , देवतौं माण्याँ
धर्मराज युधिष्ठर होला धर्म का ज्ञानी ,
जौन गरीब नी संतायो , बुरो नी मप्यायो
बंध्या रैन जु धर्म की डोरी ,
धर्मराज होला सत का पुजारी
अरजुन राजा होलू बीर भारी ,
कृष्ण सारथी जैका रैन
वैका बाण बैरियों का काल ,
वैको गुस्सा जिन्दड़ी5 को ज्यान6
कनो होलो स्यो वीर विभीषण7 ,
सौ मण की गदा होली नौ मन की ढाल
आगी को खेलाड़ी होलो बीर ,
ऐड़ी हत्यारी8 को पैरवारी9
जंगल जंगल भाबर10 , भाबर
होईन बीरु , तुमूक प्यारा ।
बार मास रये , बणवासी जोगी ,
कंदमूल खैक , दिन बितैन ।
दुरजोधन छयो , कौरव राजा ,
हस्तिनापुर को राज , पंडौं नी देन्दू ।
लोराछापरसी , तब पंडोऊँ ,
बणूबणू रीड़दा छा , लूकीलूकीक ।
ऊँक तैं धाम नी छौ , नी छौ पाणी ,
पेट की नी छै , रुड़ी11 सी बणाँग ,
भूक नी छै , तीस ऊँकू । | garhwali-gbm |
आल्हा ऊदल
बावन गज के धोती बाँधे खरुअन के चढ़ल लँगोट
अस्सी मन के ढलिया है बगल में लेल लगाय
तीस मन के जब नेजा है हाथन में लेल लगाय
बाँक दुआल पड़ल पंजड़ तक तर पल्ला पड़ल तरवार
छप्पन छूरी नौ भाला कम्मर में ढुले बनाय
बूता बनाती गोड़ सोभै जिन्ह का गूँज मोंछ फहराय
बावन असरफी के गल माला हाथन में लेल लगाय
भूजे डण्ड पर तिलक बिराजे परतापी रुदल बीर
फाँद बछेड़ा पर चढ़ गैल घोड़ा पर बैल असवार
घोड़ा बेनुलिया पर बघ रुदल घोड़ा हन्सा पर डेबा बीर
दुइए घोड़ा दुइए राजा नैना गढ़ चलल बनाय
मारल चाबुक है घोड़ा के घोड़ा जिमि नव् डारे पाँव
उड़ गैल घोड़ा सरगे चल गैल घोड़ा चाल बरोबर जाय
रिमझिम रिमझिम घोड़ा नाचे जैसे नाचे जंगल के मोर
रात दिन का चलला माँ नैना बढ़ लेल तकाय
देखि फुलवारी सोनवा के रुदल बड़ मगन होय जाय
डेबा डेबा के गोहरावे डेबा सुनव् बात हमार
डेरा गिरावव् फुलवारी में प्रक निंदिया लेब गँवार
बड़ा दिब्य के फुलवारी है जहवाँ डेरा देल गिराय
घुमि घुमि देखे फुलवारी के रुदल बड़ मंगन होय जाय
देखल अखाड़ा इन्दरमन के रुदल बड़ मंगन होय जाय | bhojpuri-bho |
289
ओथे झल मसतानियां करे गलां सुखत सुनो कन पाटयां भारयां दे
करां कौन तारीफ मैं खेड़यां दी झुंड फिरन चैतरफ कवारियां दे
मार आशकां नूं चा करन बेरे नैन तिखड़े नोंक कटारियां दे
देन आशकां नूं तोड़े नाल नैना नैन रहन नाहीं बुरयारियां दे
एस जौवने दीयां वनजारियां नूं मिले आन सुदागर यारियां दे
सुरमा खुल दंदासड़ा सुरख मेंहदी लुट लए नी हट पसारियां दे
नयनां लाल कलेजड़ा झिक कढन दिसन भोलड़े मुख विचारियां दे
जोगी वेखके आन चैगिरद होइयां छुटे फिरन विच नाग पटारियां दे
ओथे खोल के अखियां हस पैंदा जित्थे वेखदा मेल कवारियां दे
आन गिरद होइयां बैठा विच जोगी बादशाह जयों विच अमारियां दे
वारस शाह ना रहन नचलड़े ओ जिन्हां नरां नूं शौक ने नारियां दे | panjabi-pan |
579
भाइयां जायके हीर नूं घरी आंदा नाल रांझना घरी मंगाइयो ने
लाह मुंदरां जटां मुंना सुटियां सिर सोहनी पग बहाइयो ने
याकूब दे पयारढ़े पुत वांगू कढ खूह थी तखत बहाइयो ने
नाल दे लागी खुशी हो सभनां तरफ घरां दी चा पहुंचाइयो ने
भाईचारे नूं मेल बहाइयो ने सभे हाल अहवाल सुनाइयो ने
वेखो दगे दी पैवंद1 लायो ने घी मारन दा मता पकाइयो ने
वारस शाह एह कुदरतां रब्ब दियां वेखो नवां पखेड़ रचाइयो ने | panjabi-pan |
समदण तेरे नैनों में कालीघटा
समदण तेरे नैनों में कालीघटा
प्यारी समदण को बिछिया सोवे
अनबट समदण को तोड़ा सोवे
सांकला में होय रई लटा पटा । | malvi-mup |
489
तेरे सयाह ततोलढ़े कजले दी ठोडी अते गलां उतों गुम लए
तेरे फुल गुलाब दे लाल होए किसे घेर के राह विच चुम लए
तेरे खानचे1 शकर पारयां दे हत्थ मार के भुखयां लुम गए
घोड़ा मार के धाड़वी मेवयां दे रत्न झाड़ बूटे किते गुम गए
वडे वनज होए अज जोबना दे कोई नवें वनजारढ़े धुंम गए
वारस शह मियां कीते कम तेरेअज कल जहान ते धुंम गए
कोई धोबी वलैयतों आन लथे सिरी साफ दे थान चढ़ खुंब गए
तेरी चोली वलूंदरी सने सीन पेजे तंूबयां नूं जिवें तुंब गए
खड़े काबली कुतयां वांग नठे वढायके कन्न ते दुंब गए
वारस शाह अचबड़ा नवां होया सुते पाहरूयां नूं चोर टुंब गए | panjabi-pan |
हरे हरे बांसों का बंगला छवा दो जी
हरे हरे बांसों का बंगला छवा दो जी
जिस चढ़ सौवे लाडली का बाबा
कहो लाडो कहो बिटिया कैसा वर ढूंढैं जी
चन्दा नहीं , सूरज नहीं , नहीं रैन अन्धेरी
नदी किनारे महादेव तपस्या करै
वही परमान्द हमारे मन भाये जी | haryanvi-bgc |
कान्हा गगरिया मत फोड़ो
कान्हा गगरिया मत फोड़ो
बन की बीच डगरिया में । . . .
जो कान्हा तुम्ळें भूख लगेगी . . .
भूख लगेगी कान्हा भूख लगेगी . . .
माखन रखिहो बगलिया में । . . .
जो कान्हा तुम्हें प्यास लगेगी । . . .
प्यास लगी कान्हा प्यास लगेगी । . . .
झाड़ी रखिहो बगलिया में । कान्हा । . . .
जो कान्हा तुम्हें तलब लगेगी । . . .
तलब लगेगी कान्हा , तलब लगेगी । . . .
बीड़ा रखिहो बगलिया में । कान्हा । . . . | bundeli-bns |
मड़वा न सोभले कलसवा बिनु
मड़वा न सोभले कलसवा बिनु , अवरो1 पुरहरवा2 बिनु हे ।
मड़वा न सोभले गोतियवा3 बिनु , अवरो सवासिन4 बिनु हे ॥ 1 ॥
चउका चनन कइसे बइठब , अपना पुरुखवा5 बिनु हे ।
अरबे6 दरबे7 कइसे लुटायब , अपना पुतरवा8 बिनु हे ॥ 2 ॥
लाल पियर कइसे पेन्हब , अपन धिया9 बिनु हे ।
इयरी पियरी कइसे पेन्हब , अपना नइहरवा10 बिनु हे ॥ 3 ॥ | magahi-mag |
घर पिछुअरवा डोमिन के घरवा
घर पिछुअरवा1 डोमिन के घरवा ।
देइ देहि बिनि2 डोमिन बेनियाँ3 नवरँगिया4 ॥ 1 ॥
हमरा जे हकइ5 डोमिन , साँकर6 कोहबरिया ।
हमरा के लागइ डोमिन , बड़ी रे गरमियाँ7 ॥ 2 ॥
जे तूँहि चाहिं दुलहिन , बेनिया नवरँगिया ।
तूँ हमरा देहिं8 दुलहिन , सोने के कँगनमा ।
कहमा गढ़वले डोमिन , अइसन गढ़नमा ॥ 4 ॥
तोहर पुतहु किनलन9 बेनियाँ नवरँगिया ।
ओहि रे देलन मोरा , सोने के कँगनमा ॥ 5 ॥
भइया खउकी10 बाबू खउकी , तूहूँ रे पुतोहिया ।
कहमा हेरवलें11 अपन , सोने के कँगनमा ॥ 6 ॥
हमरा जे हलइ12 सासु , साँकर कोहबरिया ।
हमरा के लागइ सासु , एतना गरमियाँ ॥ 7 ॥
हम जे किनलूँ सासु , बेनिया नवरँगिया ।
ओने13 अवलन14 दुलहा दुलरूआ ॥ 8 ॥
तोहर धानि हकउ बाबू , एता15 रे सउखिनियाँ16 ।
कइसे कइसे किनलन बेनियाँ नवरँगिया ॥ 9 ॥
तोहर दुलार अमाँ , घड़ी रे पहरुआ ।
धानि के दुलार अमाँ , हकइ सारी रतिया ।
कइसे के बरजूँ17 अमाँ , नाया दुलहिनियाँ ॥ 10 ॥ | magahi-mag |
बारह बरीस के नन्हुआँ कवन दुलहा
बारह बरीस के नन्हुआँ1 कवन दुलहा , खेलत गेलन बड़ी दूर ।
उहवाँ2 से लइलन3 हारिले सुगवा4 तिहलन हिरदा लगाय ॥ 1 ॥
सब कोई पेन्हें अँगिया5 से टोपिया , सुगवाहिं अलुरी6 पसार7 ।
हमरा के चाहीं मखमल चदरिया , हमहूँ जायब बरियात ॥ 2 ॥
सब कोई चढ़लन हथिया से घोड़बा , हमरा के चाहीं सोने के पिंजड़वा ।
हमहूँ जायब बरियात ॥ 3 ॥
सब कोई खा हथी8 पर पकवनवाँ , हमरा के चाहीं बूँट9 के झँगरिया10 ।
हमहूँ जायब बरियात ॥ 4 ॥
सब कोई देखे बर बरियतिया , सासु निरेखे धियवा दमाद ।
अइसन11 लाढ़ी12 रे बर कतहूँ न देखलूँ , सुगवा लिहलन बरियात ॥ 5 ॥
आहि13 जे माई पर परोसिन , सुगवा के डीठि जनि नाओ14 ।
बन केइ सुगवा बनहिं चली जइहें , संग साथी अइले बरियात ॥ 6 ॥ | magahi-mag |
म्हारा संत सुजान
म्हारा संत सुजान
ध्यान लग्यो न गुरु ज्ञान सी
१ ज्ञान की माला फेर जोगी ,
आरे बंद में धुणी तो रमावे
जोगी की झोली जड़ाव की
मोती माणक भरीया . . .
ध्यान लग्यो . . .
२ बड़ेबड़े भवर गुफा में ,
आरे जोगी धुणी तो रमावे
जेका रे आंगणा म तुलसी
जेकी माला हो फेर . . .
ध्यान लग्यो . . .
३ चंदन घीस्या रे अटपटा ,
आरे तिलक लीया लगाई
मोदक भोग लगावीया
साधु एक जगा बैठा . . .
ध्यान लग्यो . . .
४ कई ऋषि मुनी तप करे ,
आरे इना पहाड़ो का माही
अब रे साधु वहा से चल बसे
गया गुरुजी का पास . . .
ध्यान लग्यो . . .
५ गंगा जमुना सरस्वती ,
आरे बहे रेवा रे माय
जीनका रे नीरमळ नीर हैं
साधु नीत उठ न्हाये . . .
ध्यान लग्यो . . . | nimadi-noe |
लाड़ो को लाल बुलावे यह बाजूबन झूमता
लाड़ो1 को लाल बुलावे यह बाजूबन2 झूमता ।
सहाना3 लाल बोलावे , यह बाजूबन झूमता ।
हजरिया लाल बोलावे , यह बाजूबन झूमता ॥ 1 ॥
माँगो4 टीका पेन्ह के तुम मेरी सेज पर चलि आबो ।
लाड़ो को लाल बुलावे , यह बाजूबन झूमता ॥ 2 ॥
नाको बेसर पेन्ह के तुम मेरी सेज पर चलि आबो ।
सहाना लाल बुलावे , यह बाजूबन झूमता ॥ 3 ॥
कानो बाली पेन्ह के तुम मेरी सेज पर चलि आबो ।
हजरिया लाल बुलावे , यह बाजूबन झूमता ॥ 4 ॥
गले हार पेन्ह के तुम मेरी सेज पर चलि आबो ।
लाड़ो को लाल बुलावे , यह बाजूबन झूमता ॥ 5 ॥
हाथों कँगन पेन्ह के तुम मेरी सेज पर चलि आबो ।
लाड़ों को लाल बुलावे , यह बाजूबन झूमता ॥ 6 ॥ | magahi-mag |
नाडी जोता कांडोवेन जा नाना बेटा
नाडी जोता कांडोवेन जा नाना बेटा
काली ग्वाली जा सिव सेने
आमा आटानी डियावेन जा नाना बेटा
सावा बारी पारे न आमा आटा डियायेन
बाहू तो नौ बाजे आमा आटा डियायेन
सावा बारी पारेन आमा आटा डियायेन
आमा आटा जोमे वाजा नाना बेटा
आमा आटा जोमे नारे
इये रागेज वाने माडो इयां आयोम
इये रागेज वाने ना रे
आमा चोजा जूरेना ना रे नाना बेटा
आमा चोजा जूरेना ना रे
इयेन रानी जूरेना नारे इयां आयोम
इयां रानी जूरेना नारे
स्रोत व्यक्ति शांतिलाल कासडे , ग्राम छुरीखाल | korku-kfq |
सरवर पाणी नै गई सुण आई नई नई बात
सरवर पाणी नै गई सुण आई नई नई बात
बिरजो एक जोबन झिरवै एकला
एक लुगाई न्यूं कहै तिरे हाकम का ब्याह
बिरजो एक जोबन झिरवै एकला
किस गुण ब्याही दूसरी मेरे औगुण दो ना बताय
बिरजो एक जोबन झिरवै एकला
ओगुण थोड़े गुण घणे छोटी बंदड़ी का चा
बिरजो एक जोबन झिरवै एकला
सौकण आई मैं सुणी हलहल चढ़ गया ताप
बिरजो एक जोबन झिरवै एकला
मेरी दूखै आंगली सोकण की दूखै आंख
बिरजो एक जोबन झिरवै एकला
आच्छी हो गई मेरी आंगली सौकण की फूटगी आंख
बिरजो एक जोबन झिरवै एकला
सौकण मरी मैं सुणी हलहल उतरा सै ताप
बिरजो एक जोबन झिरवै एकला
घूंघट रोवै मन हंसै हिया हिलोडे लेय
बिरजो एक जोबन झिरवै एकला | haryanvi-bgc |
गोरी के जोबना
गोरी के जोबना हुमकन लगे ,
जैसे हिरनियों के सींग ।
मूरख जाने खता फुनगुनू ,
वे तो बाँट लगावे नीम ।
भावार्थ
' गोरी के उरोज उभरने लगे ,
हिरनी के सींगों समान
मूर्ख उन्हें फोड़ेफुन्सी समझ रहा है
और वह उन पर नीम के पत्ते रगड़ कर लगा रहा है ' | bundeli-bns |
खोल उधली की कांगना
खोल उधली की कांगना , तेरी माए बाहण का भागना
खोल रानी के डोरियां तेरी मां बाहण गोरियां | haryanvi-bgc |
सास री भार्या सा दामण सिमा
सास री भार्या सा दामण सिमा
चक्कर काट्टे कली कली
सास री हर्या सा कुड़ता सिमा
जेब्बां में राखूं टेम घड़ी
बहू न्यूं तो साच बता
के करैगी टेम घड़ी
सास री मैं फौजी की नार
हर दम चीहै टेम घड़ी । | haryanvi-bgc |
चिडिया चटाचट बोले
चिडिया चटाचट बोले , पटापट बोले ,
बधायो मेरे अँगना में डोले ॥ 2
पहलो बधायो ससुर घर आयो ,
सासु न मुख से बोले , बधायो मेरे अँगना में डोले ॥ चिडिया . . .
दूजो बधायो जेठ . . . | braj-bra |
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माही मुंडयो घरी जा कहना जोगी मसत कमला इक आ वड़या
कन्नी ओस दे सेहलियां1 मुंदरां ने दाहड़ी पटे भवां मुणा वड़या
किसे नाल कुदरत छल जगलां थीं किसे भुल भुलावड़े आ वड़या
जहां नाऊं मेरा कोई जाए लैंदा रब्ब महांदेव तों दौलतां लया वड़या
वारस कम सोई जेहड़े रब्ब करसी मैं तां उसदा भेजया आ वड़या | panjabi-pan |
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