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माटी कोरे गेल छिनरो, पार गंगा हे माटी कोरे1 गेल छिनरो2 पार गंगा हे । गजनवटा3 में चोरवले4 आयल सोरह गो5 भतार हे ॥ 1 ॥ घर के भतार पूछे , कवनकवन जात6 हे । चार गो त जोलहाधुनिया , चार राजपूत हे ॥ 2 ॥ चार गो त मुसहर7 बड़ मजगूत8 हे । भले9 छिनरो , भले कोरे10 गेल11 हे ॥ 3 ॥
magahi-mag
कैसे दर्श मै पाऊ मैया बिराजी पहाड़ पे कैसे दर्श मैं पाऊं , मैया बिराजीं पहाड़ पे मैया दुआरे एक कन्या पुकारे दे दो वर घर जाऊं , मैया बिराजीं पहाड़ पे । कैसे . . . मैया दुआरे एक बालक पुकारे दे दो विद्या घर जाऊं , मैया बिराजीं पहाड़ पे । कैसे . . . मैया दुआरे एक निर्धन पुकारे दे दो धन घर जाऊं , मैया बिराजीं पहाड़ पे । कैसे . . . मैया दुआरे एक भक्त पुकारे दे दो दर्श घर जाऊं मैया बिराजीं पहाड़ पे । कैसे . . .
bundeli-bns
रंग में रँग दई रंग में रँग दई बाँह पकरि लई , लाजन मर गई होरी में , इकली भाज दई होरी में , हुरमत लाज गई होरी में ॥ रंग . चूँदर रंग बोरी होरी में , पिचकारी मारी होरी में , ह्वैके स्याम निसंक अंक भुज भरि लई होरी में । रंग में . गाल गुलाल मल्यौ होरी में , मोतिन लर तोरी होरी में , लोक लाज खूँटी पे कान्हा धर दई होरी में । रंग में . बरजोरी कीन्ही होरी में , ऐसी बुरी भई होरी में , ‘घासीराम’ पीर सब तन की हर लई होरी में । रंग में .
braj-bra
185 मठी होर खजूर पराकड़ी भी भरे टोकरे नाल समोसयां दे अंदरसे कचौरियां अते लुची बड़े खंड दे खिरमयां खोमयां दे पेड़े नाल खताइयां गोल गुप चुप बदानयां नाल पलोसयां दे रांझा जोड़के परे फरयाद करदा वेखो खुसदे साक बेदोसयां दे वारस शाह नसीब ही पैन झोली करम ढहन नाहीं नाल रांसियां दे
panjabi-pan
451 जिस मरद नूं शरम न होवे गैरत उस मरद तों चंगियां तीवियां ने घर सदा ई औरतां नाल सोंहदा शरमवंदते तरदियां बीवियां ने इक हाल थी मस्त घरबार अदर इक हार शिंगार विच खीवियां ने वारस हया1 दी पहन चादर अखों नाल जमीन दे सीवियां2 ने
panjabi-pan
अरपा पैरी के धार महानदी हे अपार अरपा पैरी के धार महानदी हे अपार इंदिरावती हर पखारय तोरे पईयां महूं विनती करव तोर भुँइया जय हो जय हो छत्तीसगढ़ मईया अरपा पैरी के धार महानदी हे अपार इंदिरावती हर पखारय तोरे पईयां महूं विनती करव तोर भुँइया जय हो जय हो छत्तीसगढ़ मईया अरपा पैरी के धार महानदी हे अपार इंदिरावती हर पखारय तोरे पईयां महूं विनती करव तोर भुँइया जय हो जय हो छत्तीसगढ़ मईया सोहय बिंदिया सही , घाट डोंगरी पहार सोहय बिंदिया सही , घाट डोंगरी पहार चंदा सुरूज बने तोरे नैना सोनहा धान अइसे अंग , लुगरा हरियर हे रंग सोनहा धाने के अंग , लुगरा हरियर हे रंग तोर बोली हवे जइसे मैना अंचरा तोर डोलावय पुरवईया महूं विनती करव तोर भुँइया जय हो जय हो छत्तीसगढ़ मईया सरगुजा हे सुग्घर , तोरे मउर मुकुट सरगुजा हे सुग्घर , जईसे मउर मुकुट रायगढ़ बिलासपुर बने तोरे बञहा रयपुर कनिहा सही , घाते सुग्गर फबय रयपुर कनिहा सही , घाते सुग्गर फबय दुरूग बस्तर बने पैजनियाँ नांदगांव नवा करधनियाँ महूं विनती करव तोर भुँइया जय हो जय हो छत्तीसगढ़ मईया अरपा पैरी के धार महानदी हे अपार इंदिरावती हर पखारय तोरे पइयां महूं विनती करव तोरे भुँइया जय हो जय हो छत्तीसगढ़ मईया अरपा पैरी के धार महानदी हे अपार इंदिरावती हर पखारय तोरे पइयां महूं विनती करव तोर भुँइया जय हो जय हो छत्तीसगढ़ मईया महूं विनती करव तोर भुँइया जय हो जय हो छत्तीसगढ़ मईया महूं विनती करव तोर भुँइया जय हो जय हो छत्तीसगढ़ मईया
chhattisgarhi-hne
नैना रा लोभी एजी हाँसा म्हारी रुणक झुणक पायल बाजेसा नैणा रा लोभी की कर आऊँसा एजी हाँसा म्हारी सासू सूती ने नन्दल जागे सा नैणा रा लोभी की कर आऊँसा म्हारा बाई सा रा बीरा की कर आऊँसा एजी हाँसा म्हारी रुणक झुणक पायल बाजेसा नैणा रा लोभी की कर आऊँसा ननदी रा बीरा की कर आऊँसा बाई सा रा बीरा की कर आऊँसा एजी हाँसा म्हारी जेठानी सूती द्योरानी जागे सा नैणा रा लोभी की कर आऊँसा भई सागर ढोला की कर आऊँसा एजी हाँसा म्हारी रुणक झुणक पायल बाजेसा नैणा रा लोभी की कर आऊँसा भई सागर ढोला की कर आऊँसा एजी हांसा म्हे तो आऊँ ने पाछी फिर फिर जाऊं सा नैणा रा लोभी की कर आऊँसा कम दजिया राजा की कर आऊँसा एजी हाँसा म्हारी रुणक झुणक पायल बाजेसा नैणा रा लोभी की कर आऊँसा कम दजिया राजा की कर आऊँसा एजी हाँसा म्हारो नानो देवर उभो जांखे सा पाड़ोसन झाला देवे म्हे कइयां आऊँसा पाड़ोसन झाला देवे म्हे कइयां आऊँसा एजी हाँसा म्हारी रुणक झुणक पायल बाजेसा नैणा रा लोभी की कर आऊँसा कम दजिया राजा की कर आऊँसा
rajasthani-raj
564 कितों आया ए काल विच भुखा मरदा एह चाक सी महर दियां खोलियां दा लोक करन विचार जवान बेटी उहनूं फिकर शरीकां दियां बोलियां दा छैल नढडो वेखके गिरद होया हिलया होया सयालां दियां गोलियां दा महीं चारके मचया दावयां ते होया वारसी साडियां डोलियां दा मौजू चैधरी दा पुत आखदे सन पिछलग हजारे दियां ढोलियां दा हक करीं जोउमर खताब कीता हथ वढना झूठयां रोलियां दा नौशेरवां गधे दा अदल कता अते कंजरी अदल तंबोलियां दा नाद खपरी ठगी दे बाब सारे चेता करे धयान जे झोलियां दा मंतर मारके खुंभ दा करे कुकड़ हीरा निम्म दा करे नमोलियां दा कंघी लोहे दी तायके पटे वाहे सरदार है बड़े गयोलियां दा अंब बीज तंदूर विच करे हरया बने मोकयों बालका औलियां दा वारस शाह सभ ऐब दा रब्ब महरम ऐवें सांग है पगड़ियां पोलियां दा
panjabi-pan
दो-दो जोगिनिन के बीच दोदो जोगिनिन के बीच अकेलौ लाँगुरिया ॥ टेक बड़ी जोगिनी यों कहै मोय टीकौ लादे मोल । छोटी जोगिनी यों कहै मोय हरवा लादै मोल ॥ दोदो जोगिनिन के . बड़ी जोगिनी यों कहै मोय घड़ियाँ लादे मोल । छोटी जोगिनी यों कहै , मोय तगड़ी लादै मोल ॥ दोदो जोगिनिनि के . बड़ी जोगिनी यों कहै मोय साड़ी लादे मोल । छोटी जोगिनी यों कहै मोय सेला लादै मोल ॥ दोदो जोगिनिन के . बड़ी जोगिनी यों कह मोय जूड़ौ लादे मोल । छोटी जोगिनी यों कहै तू लट मेरी दै खोल ॥ दोदो जोगिनिन के .
braj-bra
चौथ चन्दा गीत १ . खेलत खेलत एक कउड़ी पवनी उ कउड़ी गंगा दहवऽली गंगा मुझको बालू दिया , उ बालू गोड़िनिया लिया । गोड़िनिया मुझको भार दिया , उ भार घसवहा लिया । घसवहा मुझको घास दिया , उ घास गैया लिया । गइया मुझको दूध दिया , उ दूध बिलैया लिया । बिलइया मुझको चूहा दिया , उ चूहा चिल्होरिया लिया । चिल्होरिया मुझको पाँख दिया , उ पाँख राजा लिया । राजा मुझको घोड़ा दिया । २ . रामजी चले लछुमनजी चले , महावीरजी चले , लंका दाहन को । तैंतीस कोट प्रदुम्न चले , जैसे मेघ चले बरिसावन को । का करिहें उत्पात के नन्दन , का करिहें तपसी दोनों भइया । मार दिहें उत्पात के नन्दन , काटि दिहें तपसी दोनों भइया । ३ . सूर्यकुल वंशवा में जन्म लिहले रामचन्द्र , कोशिला के कोख अवतार रे बटोहिया । ४ . एक मती हरताल ताला , जहाँ पढ़ावे पंडित लाला । पंडित लाला दिये असीस , जीओ बचवा लाख बरीस । लाख बरीस की उमर पाई , दिल्ली से गजमोती मंगाई । आव रे दिल्ली , आजम खाँव । आजम खाँव चलाया तीर , बचा कोई रहा न वीर । जय बोलो जय रामा रघुवर , सीता मैया करे रसोइया जेवें लछुमन रामा , ताहि के जूठन काठन पा गया हनुमाना । सोने के गढ़ लंका ऊपर कूद गया हनुमाना । ५ . बबुआ हो बबुआ , सिताब लाल बबुआ बबुआ के माई बड़ा हई दानी , लइकन के देखदेख भागे ली चुल्हानी । घर में धोती टांगल बा , बाकस में रुपेया कूदऽ ता घर में धरबू चोर ले जाई गुरुजी के देबू , नाम हो जाई । बबुआ आँख मुनौना भाई , बिना किछु लेहले चललऽ ना जाई । ६ . छाते थे भाई छाते थे , छातेछाते भूख लगी । अनार की कलियाँ तोड़ लिया , बंगाली का छोकड़ा देख लिया । धर टाँग पटक दिया , रोतेरोते घर गया । घर का मालिक दौड़ा आया , दिल्लीकोस पुकारते आया । आव रे दिल्लीआजम खाँव , आजम खाँव चलाया तीर , बचा कोई रहा न वीर । थरथर काँपे जमुनापुरी , जमुनापुरी से आया वीर , मार गया दो छैला तीर । छैला मांगे एक छलाई , दिल्ली से गजमोती मंगाई । ७ . एक दिन सतराजीत के भाई , पहुँचे वन में जाई । वहाँ भादो का बहार दिखलाए हुए थे करते करते शिकार , खुद बन गए शिकार हाथी घोड़ा से भी साज वे सजाए हुए थे । सुनकर जामवन्त गुर्राया , उनको क्रोध और चढ़ि आया । पहले बातों से बहलाए , वह शर्माए हुए था । भारी होने लगी लड़ाई , जामवन्त को बात याद जब आई हमको दर्शन देने आज रघुराई आए थे ।
bhojpuri-bho
मेरे आगे तेरी उठे कहा है मेरे आगे तेरी उठे कहा है एक दरख्त मैंने सुणो बिना जल आप ही बढ़ै न ले हे सहारो किसी को धरण में आप गढ़ै बता वह कौन लगावै है डेढ़ फल वाके आवै है फूल तो दरख्त में ग्यारह बता दे मत हिम्मत हारे तीन जुग में दरख्त हो है वा दरख्त का नाम बता दे पूछ रहा तोहे वा दरख्त का नाम बता दे जिसमें डेढ़ पता है
haryanvi-bgc
तेलचघी 1 तोरे ददा बाबू देसपति के राजा अउ काहे गुन रहे गा कुंवारा हरदी के देस दीदी हरदी महंगा भइगे , अउ परी सुकाल भइगे इही गुन रहेंव ओ कुंवारा करसा के देस दीदी करसा महंगा भइगे , बिजना सुकाल भइगे इही गुन रहेंव ओ कुंवारा हरदी के देस दीदी चाउंर महंगा भइगे , अउ पर्ण भइगे सुकाल इही गुन रहेंव ओ कुंवारा करसा के देस दीदी मंगरोहन महंगा भइगे , गुड़रा भइगे सुकाल इही गुन रहेंव ओ कुंवारा 2 पहार ऊपर पहार ऊपर मोर धानर बाजे पेरि देबे तेलिया मोर कांचा तिली के तेल कोन तोर लाने नोनी अटना के हरदी पटना के हरदी बने कोन तोर सिरही चढ़ाये , चंदन रूप अगनी सजन घर मड़वा गड़े ददा तोर लाने नोनी अटना के हरदी पटना के हरदी बने दाई तोर सिरही चढ़ाये , चंदन रूप अगनी सजन घर मड़वा गड़े 3 सुरहिन गइया के गोबर मंगाले ओ हाय , हाय मोर दाई खूंट धर अंगना लिपा ले ओ खूंट धर अंगना लिपा ले ओ हाय , हाय मोर दाई मोतियन चौंक पुरा ले ओ मोतियन चौंक पुरा ले ओ हाय , हाय मोर दाई सोने के कलसा मंढ़ाले ओ सोने के कलसा मंढ़ाले ओ हाय , हाय मोर दाई सोने के बतिया लगा ले ओ सोने के बतिया लगा ले ओ हाय , हाय मोर दाई सुरहिन घीव जला ले ओ 4 हरियर हरियर मोर मड़वा में दुलरू वो कांचा तिली के तेल कोने तोर लानिथय मोर हरदी सुपारी वो कांचा तिली के तेल ददा तोर लानिथय मोर हरदी सुपारी वो दाई आनय तिली के तेल कोन चढ़ाथय तोर तन भर हरदी वो कोन देवय अंचरा के छांव फूफू चढ़ाथय तोर तन भर हरदी वो दाई देवय अंचरा के छांव रामलखन के मोर तेल चढ़त थे बाजा के सुनव तुमन तान 5 कहां रे हरदी , कहां रे हरदी भई तोर जनामन , भई तोर जनामन कहां रे लिए अवतार मरार बारी , मरार बारी दीदी मोर जनामन , दीदी मोर जनामन बनिया दुकाने दीदी लिएंव अवतार कहां रे पर्रा , कहां रे पर्रा भई तोर जनामन , भई तोर जनामन कहां रे पर्रा तैं लिए अवतार सिया पहार ऐ , सिया पहार ऐ दीदी मोर जनामन , दीदी मोर जनामन कंड़रा के घरे मैं लिएंव अवतार हमरे हमरे दुलही राय बड़ सुकुमारी पेरि देबे तेलिया ओ कांचा तिली के तेल 6 एके तेल चढ़गे कुंवरि पियराय । दुवे तेल चढ़गे महतारी मुरझाय । । तीने तेल चढ़गे फूफू कुम्हलाय । चउथे तेल चढ़गे मामी अंचरा निचुराय । । पांचे तेल चढ़गे भईया बिलमाय । छये तेल चढ़गे भउजी मुसकाय । । साते तेल चढ़गे कुंवरि पियराय । हरदी ओ हरदी तैं साँस मा समाय । । तेले हरदी चढ़गे देवता ल सुमरेंव । मंगरोहन ल बांधेव महादेव ल सुमरेंव । । 7 एक तेल चढ़गे एक तेल चढ़गे , हो हरियर हरियर हो हरियर हरियर मंड़वा मे दुलरू तोर बदन कुम्हलाय रामेवोलखन के रामेवोलखन के दाई तेल वो चढ़त हे दाई तेल वो चढ़त हे कहवा के दियना दीदी करथे अंजोर आमा अमली के आमा अमली के दाई सीतल छईहां दाई सीतल छईहां कर देबे फूफू तोर अंचरा के छांव दाई के अंचरा दाई के अंचरा वो अगिन बरत हे हो अगिन बरत हे फूफू के अंचरा मोर इन्दरी जुड़ाय काकी के अंचरा काकी के अंचरा दाई अगिन बरत हे दाई अगिन बरत हे मामी के अंचरा मोर इन्दरी जुड़ाय डोंगरी पहारे डोंगरी पहारे दीदी घनरा चलत हे दीदी घनरा चलत हे पेरि देबे तेलिया मोर राई सरसो के तेल रामेवोलखन के रामेवोलखन के दाई तेल वो चढ़त हे दाई तेल वो चढ़त हे पेरि देबे तेलिया मोर राई सरसो के तेल हमरे दुलरवा हमरे दुलरवा नई बांधे मऊरे नई बांधे मऊरे नई सहे तेलिया मोर राई सरसो के तेल
chhattisgarhi-hne
हरी ये जरी की हे मां चुन्दड़ी जी हरी ये जरी की हे मां चुन्दड़ी जी , हे जी कोई दे भेजी मेरी माय , इन्द राजा नै झड़ी ए लगा दई जी अलां तो पलां हे मां मेरी घुँघरू जी , एजी कोई बीच मायड़ के लाड़ , इन्द राजा नै झड़ी ए लगा दई जी बैठूं तो बाजै हे मां मेरी चुंदड़ी जी , ए जी कोई पियारे मायड़ के बोल , इन्द राजा नै झड़ी ए लगा दई जी पीहर में बेटी हे मां मेरी न्यूँ रह्वै जी , ए जी कोई ज्यूँ खिचड़ी बीच घी , इन्द राजा नै झड़ी ए लगा दई जी
haryanvi-bgc
मुड़ मुड़ डालै झूलती सुनहरी ढोला मुड़ मुड़ डालै झूलती सुनहरी ढोला सात जणी कै साथ बड़ का तो डाला टूट गया हेरी मेरी सासड़ राणी साथण्यां का बिछडूया साथ और सखी सब बाह्वड़ी हे मेरी बहुअड़ राणी तैं कित ला दई बार बाटें तो जांदा बटेऊ हेरी मेरी सासड़ रानी झगड़े ते ला दई बार
haryanvi-bgc
432 घूआं हूंझदा रोयके आह मारे रब्बा मेलके यार विछोड़यो कयों मेरा रढ़े जहाज सी आन लगा बने लायके फेर मुड़ बोढ़यों कयों कोई असां थी वडा गुनाह होया साथ फजल दा लदके मोड़यों कयों वारस शाह इबादतां छडके ते दिल नाल शैतान दे जोड़यो कयों
panjabi-pan
गोरबंद लड़ली लूमा झूमा ऐ लड़ली लूमा झुमा ऐ ओ म्हारो गोरबन्द नखराळो आलिजा म्हारो गोरबन्द नखराळो ओ लड़ली लूमा झूमा ऐ लड़ली लूमा झुमा ऐ ओ म्हारो गोरबन्द नखराळो आलिजा म्हारो गोरबन्द नखराळो ऐ ऐ ऐ गायाँ चरावती गोरबन्द गुंथियों तो भेंसयाने चरावती मैं पोयो पोयो राज मैं तो पोयो पोयो राज म्हारो गोरबन्द नखराळो आलिजा म्हारो गोरबन्द नखराळो ओ लड़ली लूमा झूमा ऐ लड़ली लूमा झुमा ऐ ओ म्हारो गोरबन्द नखराळो आलिजा म्हारो गोरबन्द नखराळो ऐ ऐ ऐ ऐ खारासमद सूं कोडा मंगाया तो बिकाणे तो गड़ बिकाणे जाए पोया पोया राज मैं तो पोया पोया राज म्हारो गोरबन्द नखराळो आलिजा म्हारो गोरबन्द नखराळो ओ लड़ली लूमा झूमा ऐ लड़ली लूमा झुमा ऐ ओ म्हारो गोरबन्द नखराळो आलिजा म्हारो गोरबन्द नखराळो ऐ ऐ ऐ ऐ देराणी जिठणी मिल गोरबन्द गुंथियों तो नडदल साचा मोती पोया पोया राज मैं तो पोया पोया राज म्हारो गोरबन्द नखराळो आलिजा म्हारो गोरबन्द नखराळो ओ लड़ली लूमा झूमा ऐ लड़ली लूमा झुमा ऐ ओ म्हारो गोरबन्द नखराळो आलिजा म्हारो गोरबन्द नाखारालो कांच री किवाडी माथे गोरबन्द टांकयो तो देखता को हिवडो हरखे ओ राज हिवडो हरखे ओ राज म्हारो गोरबन्द नखराळो आलिजा म्हारो गोरबन्द नखराळो ओ लड़ली लूमा झूमा ऐ लड़ली लूमा झुमा ऐ ओ म्हारो गोरबन्द नखराळो आलिजा म्हारो गोरबन्द नाखारालो ऐ ऐ ऐ ऐ डूंगर चढ़ ने गोरबन्द गायो तो झोधाणा तो झोधाणा क केडी हैलो सांभळो जी राज हैलो सांभळो जी राज म्हारो गोरबन्द नखराळो आलिजा म्हारो गोरबन्द नखराळो ओ लड़ली लूमा झूमा ऐ लड़ली लूमा झुमा ऐ ओ म्हारो गोरबन्द नखराळो आलिजा म्हारो गोरबन्द नाखारालो
rajasthani-raj
धार नगर नी तुई वो मालनड़ी धार नगर नी तुई वो मालनड़ी तुई वो चतरड़ी सेहरड़ो गूंथी लावजे हो गूंथतगूंथत सेरिया में आई सेरिया में आई , बजार में आई राय हो फलाणा राय नो घर वन्यांनोजी ऊँचीऊँची मेड़ो , ने लाल किवाड़ो दिवलो बळे बत्तीस सरियो जी राय हो फलाना राय नो घर वन्यांनोजी
malvi-mup
हार सै सिंगार छोरियो कुरता ढीला हे हार सै सिंगार छोरियो कुरता ढीला हे किसी सखस नै मोहली चन्द्रो बोल रसीला हे सुनरे के नै हार घड्या था ज्योड़ा बाट लिया बेरा ना कद मिलणा होगा छोरा नाट लिया चलो हे छोरियो छोडण चालो उल्टी बोहड़ ले जिस साले नै गरज पड़ैगी हाथ जोड़ ले आ जा जीजा बैठ पिलंग पै दुखसुख की बतला ले मैं तेरी छोटी साली जीजा बढ़िया सूट सिमा दे ।
haryanvi-bgc
दे दे करण तैं दान जाचक खड़े साह्मणै दे दे करण तैं दान जाचक खड़े साह्मणै जाचक खड़े साह्मणै , बिप्पर खड़े साह्मणै कहै करण तम राणी धोरै जाओ ओ ऊंचा स्ािान दूर नहीं साह्मणै दे दे करण तैं दान जाचक खड़े साह्मणै दूर देस्यां के हम हारे थके भोत होए हैरान कहै करण मेरी ढाल पकड़ा इतणा कर द्यो इहसान तुम्हारे मुख कै साह्मणै बिपर खड़े साह्मणै दे दे करण तैं दान जाचक खड़े साह्मणै के नौकर हम तेरे बाप के क्यूं धराया दानी नाम कह करण इब गया है परण जी बुरी करी करतार नै दे दे करण तैं दान जाचक खड़े साह्मणै रिसक पिसक कै ढाल सरकाई तोड़े चौंपे के दांदे लेओ बिप्पर दान थम पधारो अपणै धाम नै दे दे करण तैं दान जाचक खड़े साह्मणै धो के तो देओ हम नै दान गावैगे हम संसार मैं दे दे करण तैं दान जाचक खड़े साह्मणै मार्या करण नै बाण गंगा चढ़ आई साह्मणै गंगा मैं धो के दिया दान पधारो अपणै धाम नै दे दे करण तैं दान जाचक खड़े साह्मणै कहे किरसन तैं देख ले यो सै दान का मान तुम्हारे मुख कै साह्मणै बिप्पर खड़े साह्मणै दे दे करण तैं दान जाचक खड़े साह्मणै
haryanvi-bgc
होली गीत टेक मुरारी झपटियो मेरो चीर मुरारी । चौक1 राती घांगर रंग सिर पर झपटी वैसिया वरणी साड़ी । कच्चे पक्के डोर रेसम के हो तोड़े तो झड़गइ कोर किनारी , देखो रे अनोखा खिलाड़ी , झपटियो मेरो चीर मुरारी । चौक2 सात सखी मिल गई जमना पे वहाँ बैठे कृष्ण मुरारी , घर मेरा दुर घांगर सिर भारी , तो में नाजुग पणियारी देखो रे अनोखा खिलाड़ी , झपटियो मेरो चीर मुरारी । चौक3 कुएं पे जाऊँ तो रे किच मचत है , जमना बेहती है गेहरी । गोकुल जाऊँ तो रंग से भींजूं तो अण साँवरा से मैं हारी , देखो रे अनोखा खिलाड़ी , झपटियो मेरो चीर मुरारी । चौक4 आगल सुणत मोरि बगल सुणत हैं , सासू सुणेंगा देगि गाली , पिउजी सुणेंगा तो पकड़ बुलावे , तो बात भई बड़ि भारी , देखो रे अनोखा खिलाड़ी , झपटियो मेरो चीर मुरारी । छाप बाई पड़ोसण अरज करत है , विनती करकर हारी । ऐसी सिख काऊ को नहिं देना । तो चन्द्रसखी बलिहारी , देखो रे अनोखा खिलाड़ी , झपटियो मेरो चीर मुरारी । गोपी कहती है कि श्रीकृष्ण ने मेरा चीर छपटकर छीन लिया । लाल मटकी मेरे सिर पर और वैसे ही रंगी की साड़ी थी , उस साड़ी में कच्चेपक्के रेशम के धागे थे , वे तोड़ दिये । धागे टूटने से साड़ी की कोर बार्डर निकलकर अलग हो गई । देखो रे अनोखे खिलाड़ी को , मेरा चीर झपट लिया । मैं सखियों के साथ यमुना पर पहुँची , वहाँ श्रीकृष्ण मिल गये । मेरे सिर पर भारी मटकी , मेरा घर दूर है और मैं कोमल नाजुक पणिहारी हूँ । मुझे रोको मत , मटकी का वजन लग रहा है । दूर जाना है और मैं नाजुक हूँ , फिर भी कृष्ण न माने और मेरी चीर साड़ी छीन ली । गोपी कहती है कि कुएँ पर जाऊँ तो कीचड़ मचता है अर्थात् कुएँ पर पानी से भिगो देते हैं । यमुना पर जाती हूँ तो यमुना गहरी बहती हैं अर्थात् वहाँ भी मुझे भिगो देते हैं । गोकुल में जाऊँ तो रंग से भीगूँ मुझे श्रीकृष्ण रंग से सराबोर कर देते हैं । मैं इस साँवरे श्रीकृष्ण से हार गई । इस अनोखे खिलाड़ी से हार गई । मेरी चीर झपट लिया । एक गोपी कहती है मेरे अगलबगल के आसपास रहने वाले और मेरी सास सुनेगी तो मुझे गाली देगी । मेरे पति सुनेंगे तो बड़ी भारी बात हो जायेगी बखेड़ा हो जायेगा । मुझे पकड़कर बुलवायेंगे । देखो इस अनोखे खिलाड़ी को मेरी चीर छीन लिया । पड़ोस की बाई से कहती है कि मैं विनती करकर हार गई कि ऐसी सीख किसी को न देना पराई स्त्री के चीर को कोई न झपटे , इस अनोखे खिलाड़ी कृष्ण को देखो , मेरी चीर झपट लिया ।
bhili-bhb
हे खड़िआं थी सिरस तलै हे खड़िआं थी सिरस तलै मेरे सिर गोबर की हेलां हे वै आवें थे च्यार जणे वे संझा मेरे बीरे हे मैं भाजूं थी मिलण जुलण मेरा टूट्या नोसर हारा रे तौं चुगदे रे चिड़ी चिड़कले कित ते आया बनजारा हे आगम तै आए चिड़ि चिड़कले पाछम तै बनजारा हे खड़ियां थी सिरस तलै मेरे सिर गोबर की हेलां
haryanvi-bgc
पलँग ऊपर चाँदनी की जोत, मैं ना रे जानो पलँग ऊपर चाँदनी की जोत1 मैं ना2 रे जानो3 । नइहर वाली लाड़ो4 है अनमोल , मैं ना रे जानो । अम्माँ पेयारी लाड़ो है अनमोल , मैं ना रे जानो ॥ 1 ॥ टीका हो तो पलँगे पर पहनइहो5 । पलँगे ऊपर चाँदी की जोत , मैं ना रे जानो । नइहर वाली लाड़ो है अनमोल , मैं ना रे जानो ॥ 2 ॥ बेसर हो तो पलँगे पर पहनइहो । पलँगे ऊपर चाँदी की जोत , मैं ना रे जानो । भइया पेयारी लाड़ो है अनमोल , मैं ना रे जानो ॥ 3 ॥ बाली6 हो तो पलँगे पर पहनइहो । पलँगे ऊपर चाँदी की जोत , मैं ना रे जानो । अब्बा पेयारी लाड़ो है अनमोल , मैं ना रे जानो ॥ 4 ॥ कँगन होतो पलँगे पर पहनइहो । पलँगे ऊपर चाँदी की जोत , मैं ना रे जानो । अम्माँ पेयारी लाड़ो है अनमोल , मैं ना रे जानो ॥ 5 ॥ अँगूठी हो तो पलँगे पर पहनइहो । पलँगे ऊपर चाँदी की जोत , मैं ना रे जानो । अम्माँ पेयारी लाड़ो है अनमोल , मैं ना रे जानो ॥ 6 ॥ सूहा7 हो तो पलँगे पर पहनइहो । पलँगे ऊपर चाँदी की जोत , मैं ना रे जानो । नइहर वाली लाड़ो है अनमोल , मैं ना रे जानो ॥ 7 ॥
magahi-mag
घोड़ी सोवै दादा दरबार घोड़ी सोवै दादा दरबार , बछेरी मेरै मन भावैगी चरि आवै खेड़े की दूब , बछेरी मेरै मन भावैगी पी आवै जमुना जल नीर , बछेरी मेरै मन भावैगी घोड़ी सोवै ताऊ दरबार , बछेरी मेरे मन भावैगी चरि आवै खेड़े की दूब , बछेरी मेरै मन भावैगी पी आवै जमुना जल नीर , बछेरी मेरै मन भावैगी
haryanvi-bgc
आई सोहाग की रात सखी आई सोहाग की रात सखी । माँगे1 लाड़ो के टीका सोभे , मोतिया की आई बहार । बहार सखी , आई सोहाग की रात ॥ 1 ॥ नाक लाड़ों के बेसर सोभे , चुनिये2 की आई बहार । बहार सखी , आई सोहाग की रात ॥ 2 ॥ कानो लाड़ांे के बाली3 सोभे , झुमके की आई बहार । बहार सखी , आई सोहाग की रात ॥ 3 ॥ गले लाड़ो के माला सोभे , हँसुली4 की आई बहार । बहार सखी , आई सोहाग की रात ॥ 4 ॥ जाने5 लाड़ो के सूहा6 सोभे , छापे की आई बहार । बहार सखी , आई सोहाग की रात ॥ 5 ॥
magahi-mag
दुलरइता बाबू के बगिया में सीतल हे छँहियाँ दुलरइता बाबू के बगिया में सीतल हे छँहियाँ ॥ 1 ॥ खेलते धूपते गेली बेटी दुलरइती बेटी । ए लपकि1 धयल2 छयला , दाहिन हे बँहियाँ ॥ 2 ॥ छोडू़ छैला , छोडू़ छैला , दाहिन हे बँहियाँ । अहे टूटि जयतो संखा चूड़ी , मुरकि3 जयतो हे बँहियाँ ॥ 3 ॥ टूटे देहु , टूटे देहु , संखा चूड़ी मेरौनियाँ4 । अहे फेरू5 से गढ़ाय देबो6 सोने केर हे कँगना ॥ 4 ॥ सभवा बइठल तुहूँ , ससुर दुलरइता बाबू । तोइर पूता दुलरइता बाबू , तोड़ल हे कँगना ॥ 5 ॥ होय दऽ7 बिहान8 पुतहू , पसरत9 हे हटिया । अहे फेरू से गढ़ाय देबो , सोने केर हे कँगना ॥ 6 ॥
magahi-mag
557 राजे हुकम कीता चढ़ी फौज बांकी आ राह विच घेरयो खेड़यां नूं तुसी हो सिधे चलो पास राजे छड दयो खां छलां1 झेड़या नूं सानूं हुकम जो चोर न जान पाए चलो छडो दुखां दयां फेड़यां नूं पकड़ विच हजूर दे लिआए हाजर राहजनां2 ते खेहरयां भेड़यां नूं बन्न खड़ांगे इक ते आप चलो नहीं जाणदे असीं बखेड़यां नूं वारस शाह चन्न सूरजां ग्रहन लगे ओह फड़े ने आपने फेड़यां नूं
panjabi-pan
हाथ सेंनुरवा गे बेटी, खोंइछा जुड़ी पान हाथ सेंनुरवा गे बेटी , खोंइछा1 जुड़ी2 पान । चलली दुलरइती गे बेटी , दादा दरवाज3 ॥ 1 ॥ सुतल4 हल5 जी दादा , उठल चेहाय6 । कवन संजोगे गे बेटी , अयली दरवाज ॥ 2 ॥ अरबो7 न माँगियो जी दादा , दादी के सोहाग ॥ 3 ॥ लेहु दुलरइते गे बेटी , अँचरा8 पसार ॥ 4 ॥ अँचरा के जोगवा9 गे दादी , झरिय झुरि जाय । मँगिया10 के जोगवा गे दादी , जनम अहियात11 ॥ 5 ॥
magahi-mag
मैं तो अकेली राजा घर न लुटाऊँगी मैं तो अकेली राजा घर न लुटाऊँगी , घर न लुटाऊँगी , नेग भी चलाऊँगी । मैं तो अकेली राजा घर न लुटाऊँगी , सासु अइहें किया मोरा होइहें । देवता मनाने अपनी मइया को बुराऊँगी , मैं तो अकेली राजा घर न लुटाउँगी । गोतनी नहीं अइहें किया मोरा होइहें , हलुआ घाटन अपनी भाभी को बुराऊँगी । मैं तो अकेली राजा घर न लुटाऊँगी , ननदी न अइहें किया मोरा होइहें । काजर पारन को बहिनी को न बुलाउँगी , मैं तो अकेली राजा घर न लुटाऊँगी ।
magahi-mag
मेरा री हरियाला बन्ना लाख करोड़ी मेरा री हरियाला बन्ना लाख करोड़ी । बाग बेच बागीचे बेचूं अर बेचूंगी अंबिया अंबिया में की गुठली बेचूं तो बाबल की जाई मेरी री . . . । महल बेचूं दुमहिल बेचूं और बेचूंगी अटारी अटारी में की खिड़की बेचूं तो बाबल की जाई मेरी री . . . । जब यह मांगे रो रो पैसा तब यह सासू तेरा अब यह लाता भर भर थेली अब यह बन्ना मेरा मेरी री . . . । जब यह मांगे रो रो रोटी तब यह सासू तेरा अब यह लावे भर भर दौने अब यह बन्ना मेरा मेरी री . . . । जब यह पहने कुर्ता टोपी तब यह सासू तेरा अब यह पहने नीची धोती अब यह बालम मेरा मेरी री . . . । देवी धाई दुर्गा धाई जब यह बेटा पाला अब बहू विधाता ऐसी आई अपना कर बैठाला मेरी री . . . । क्यों सासू तू देवी धाई क्यों धाई तू दुर्गा पंचों दीन्हां हमने लीन्हा तूने क्या कर दीन्हा मेरी री . . . ।
haryanvi-bgc
मीठी थूली ओ सायबा दूद से मीठी थूली ओ सायबा दूद से जेको अजब सवाद लाडू पेड़ा हो सायबा लापसी जेको बड़ो रे सवाद गोदी भरी हो सायबा पूत से जेको अनन्द उछाव मेलां फूले हो सायबा केवड़ो जेकी आवे परमल बास ।
malvi-mup
बेकदर को दिल दिया है देखना कैसे निभे बेकदर को दिल दिया है देखना कैसे निभे एक तो सरदी की मौसम दूसरे पाला पड़े तीसरे राजा नहीं है रैन रो रो के कटे एक तो गरमी महीना दूसरे लूआं चले तीसरे टपके पसीना बूंद जीवन मैं पड़े एक तो बरखा की मौसम दूसरे मैंहा पड़ै तीसरे बोले पपीहा ठेस सीने मैं लगे एक तो सावन महीना दूसरे हींडा घले तीसरे झूलेगी सखियां चीर सीन पै खिले
haryanvi-bgc
गाँजौ पियो न प्रीतम प्यारे गाँजौ पियो न प्रीतम प्यारे । जरजें कमल तुमारे । जारत काम बिगारत सूरत सूकत रकत नियारे जोतौ आय साधु सन्तन कौ , अपुन गिरस्ती वारे । ईसुर कात छोड़ दो ईखाँ हौ उमर के बारे ।
bundeli-bns
निरंकार ओंकारं सतगुरू प्रसाद , प्रथमे ओंकार , ओंकार से फोंकार , फोंकार से वायु , वायु से विषंदरी1 , विषंदरी से पाणी , पाणी से कमल , कमल से ब्रह्मा पैदा होइगे । गुसैं2 को तब देव ध्यान लैगे , जल का सागरू मा तब गुसैं जी न , सृष्टि रच्याले । तब देन्दो गुसैं ब्रह्मा का पास चार वेद चौद शास्तर , अठार पुराण , चौबीस गायत्री । सुबेर पढद बरमा , स्याम भूली जांद । अठासी हजार वर्ष तब ब्रह्मा , नाभि कमल मारैक वेद पढ़दो । तब चारवेद , अठार पुराण , चौबीस गायत्री वैका कंठ मा आइ गैन । वे ब्रह्मज्ञानी तब गर्व बढ़ी गये वेद शास्त्रों को धनी होईग्यूं , मेरा अग्वाड़ी कैन होण ? मैं छऊँ ब्रह्मा सृष्टि को धनी । तब चले ब्रह्मा गरुड़ का रस्ता , पंचनाम देवतो की गरूड़3 मा सभा लगीं होली बूढ़ा4 केदार की जगा बीरीं होली । सबूक न्यूतो दियो वैन गसांई नी न्यतो । वे जोगी कू हमन जम्मानी न्यूतण , स्यो त डोमाणा5 खै औंद , स्यो त कनो जोगी होलो तब पूछदो ब्रह्माकु होलो भगत । नारद करद छयो गंगा माई की सेवा । पैलो भगत होलू कबीर कमाल तब को भगत होलू तब को भगत होलू रैदास चमार बार वर्ष की धुनी वैकी पूरी ह्वै गए । तब पैटदू ब्रह्मा गंगा माई का पास तुम जाणा छया ब्रह्मा , गंगा माई का दरसन मेरी भेंट भी लिजावा , माई कू देण एक पैसा दिन्यो वेन ब्रह्मा का पास , तब झिझड़ांद ब्रह्मायो रेदास चमार कनकैक6 लिजौजू7 ये की भेंट ? तब बोलदो रैदास भगत मेरी भेट कू ब्रह्मा , गंगा माई हाथ पसारली , मेरी भेंट कू ब्रह्मा , गंगा माई वाच8 गाडली9 चली गये ब्रह्मा तब गंगा माई का पास , नहायेधोये ब्रह्मा , छाला10 खड़ो होई गये : धावू11 मारे वैन , गंगा न वाच12 नी गाड़ी । तब उदास ह्वैगे ब्रह्मा , घर बौड़ीक13 आए , रैदास की भेंट वो भूली गए अथवाट आये ब्रह्मा ओखा फूटी गैन , गंगा माई जयें देखद , आंखा खुली जांदन तब याद आये ब्रह्मा रैदास की भेंट धौबी तब धों गया माई का छाला रैदास की भेट छ दीनी या माई । रैदास को नौ सूणीक तब , गंगा माई न वाच दियाले । रैदास होलो मेरो पियांरो भगत एक शोभनी14 कंकण गंगा माईन गाडयो ब्रह्मा मेरी ई समूण15 तू रैदास देई ब्रह्मा कामन कपट ऐगे , लोभ धमीरो , यो शोभनी कंकण होलू मेरी नौनी16 जुगन17 तब रैदास का घर का घाटा ब्रह्मा लौटीक नी औंदो पर जै भी बाटा जाँद रैदास खड़ो ह्वै जांद ब्रह्मा गंगा माई की मैं सम्पूण दीईं होली त्वैकू बोल्यूँ रैदास व्याखुनी18 दां मैंन तेरा घर औण । सुणदो रैदास तब परफूल19 ह्वैगे , सुबेरी बिटे20 गौंत21 छिड़कंदो , घसदो छ भितरी , लीपदो छ पाली22 । आज मेरा डेरा गंगा माई न औण । वैकू चेला होलू जल कुँडीहीत , जादू मेरा हीत बद्री का बाड़ा , केदार की कोण्यों , ली आवो मैकू अखंड बभूत देवतों न सूणे रैदास की बात , जोगी हीत तब पिंजड़ा बन्द करयालें इन होलो सत जत को पूरो , जोगी पाखुड़ी23 बणी उड़ी जांदो
garhwali-gbm
504 भाबी जुलफां गलां उते पेच खाधे अखीं तेरिआं सुरमे दियां धारियां ने गलां उते भंबीरियां उडदियां ने नैनां सान कटारिया चाढ़ियां ने तेरें नैनां ने शाह फकीर कीते सनें हाथियां फौज अंबारियां ने वारस शाह जुलफां खोल नैंण खूनी फौजां कतल उते चा चाढ़ियां ने
panjabi-pan
अंगिका बुझौवल एक मुट्ठी राय देल छिरयाय गिनतेंगिनतें ओरो नै पाय । तारा काठ फरै कठ गुल्लर फरै फरै बत्तीसी डार चिड़िया चुनमुन लटकै छै मानुष फोड़ीफोड़ी खाय । सुपाड़ी एक चिड़ियाँ ऐसनी खुट्टा पर बैसनी पान खाय कुचुरमुचुर से चिड़ियाँ कैसनी । जाताँ सुइया एन्हों सोझोॅ माथा पर बोझोॅ । ताड़गाछ सुइया एन्हों सोझोॅ डाँड़ा पर बोझोॅ । मकई के पेड़ तनी टा छौड़ी जनम जहरी तेकरा पिन्हला लाल घंघरी । मिरचाय जबेॅ हम छेलाँ काँच कुमारी तब तक सहलाँ मार अब हम पहनला लाल घंघरिया अब नै सहबौ मार । हड़िया कारी गाय लरबर दूध करेॅ छरभर । मेघ टिपटिप टिपनी , कपार काहे चुरती टाकुर माँगुर रात काहे बूलती । महुआ तनी टा भाल मियाँ बड़का ठो पुछड़ी । सुईया तनी टा मुसरी पहाड़ तर घुसरी । सुईया सब्भे गेलोॅ हटिया धुम्मा रहलोॅ बैठलोॅ । कोठी हेबेॅ ऐलोॅ हेबेॅ गेलोॅ । नजर कारी गाय पिछुआडैं ठाड़ी । टीक जब हम छेलाँ बारी भोरी तब हम पीन्हला दोबर साड़ी जब हम होलाँ जोख जुआन कपड़ा फाड़ी देखेॅ लोगलुगान । भुट्टा
angika-anp
130 अम्मां बस कर गालियां दे नाही गाली दितयां वडा सराप आवे नीह रब्ब दी पटनी बहुत बुरी धीयां मारयां बड़ा अजाब1 आवे लै जाये मैं भईयड़ा पिठड़ी नूं कोई गैब ते सूल दा ताप आवे वारस शाह ना मुड़ांगी रांझणे तों भावें बप दे बाप दा बाप आवे
panjabi-pan
सावां गीत सांवग्या तारि पावलि तिरिविरि वाजे । सांवग्या तारि पावलि तिरिविरि वाजे । होठ तारो टुट्लो ने हात तारो ढोटल्यो । होठ तारो टुट्लो ने हात तारो ढोटल्यो । मेलों तारा लाकड़ा चालो काहाँ वाले । मेलों तारा लाकड़ा चालो काहाँ वाले । डोला तारा फुदला , कान्टा तारा टुट्ला । डोला तारा फुदला , कान्टा तारा टुट्ला । साम्हले काहाँ , मेलों तारा लाकड़ा । चालो काहाँ वाले । बइल्या तारा दाल खिचड़ि खाय , पावर्यो लार घुट्ये । मेल दउं तारा लाकड़ा , रखड़ो उडिग्यो । सांवग्या तारि पावलि तिरिविरि वाजे । मेल दउं तारा लाकड़ा , घणीं भंुडि वाजे । सावां लेकर आने वालों को सांवग्या कहते हैं । सांवग्या बाँसुरी बजाते हैं । सावां बधाते समय गीत में कहा गया है कि तुम्हारी बाँसुरी अच्छी नहीं बज रही है । तेरा होंठ टूटा हुआ और हाथ भी टूटा है , जिसके कारण बाँसुरी की धुन कहाँजा रही है ? तेरी आँखें फूटी हुई हैं , कान टूटे हुए हैं , तू सुनता किधर है । तेरे बैल , दाल और खिचड़ी खा रहे हैं । गाड़ीवान लार घुटक रहा है । अन्त में कहा गया है कि बाँसुरी बहुत खराब बज रही है । सावां भरने के दिन दोनों पक्ष के लोग विवाह की तिथि निश्चित कर लेते हैं । चन्द्रमा और तारों को देखकर मुहूर्त्त स्वयं निकाल लेते हैं । निश्चित तिथि को लड़केलड़की को बाने बिठाते हैं ।
bhili-bhb
ईसुरी की फाग-17 देखी रजऊ काउनें नइयाँ , कौन बरन तन मुइयाँ काँ तौं उनकी रहस रास है , काँ दये जनम गुसइयाँ पैलऊँ भेंट हमईं सें न भई सही कृपा हम पैयाँ ईसुर हमने रजऊ की फागें , कर दई मुलकन मैंया ।
bundeli-bns
मारग आदी रातलों हेरी मारग आदी रातलों हेरी , छैल विदरदी तेरी । बेकल रई पपीहा जैसी , कहाँ लगाई देरी ? भीतर सें बाहर लों आई । दै दै आई फेरी । उठ उठ भगी सेज सूनी सें लगी ऑख ना मोरी तड़प तड़प सो गई ईसुरी । तीतुर बिना बटेरी ।
bundeli-bns
किनका बाड़ी रोपबै कोसी माय किनका बाड़ी रोपबै कोसी माय ऐली फूल हे चमेलिया किनका हे बाड़ी कोसी माय अढ़हुल हे फूल बाबा बाड़ी रोपबै कोसी माय ऐली फूल हे चमेलिया भइया हे बाड़ी रोपबै कोसी माय अढ़हुल फूल हे कौने डाला तोरब कोसी माय हे ऐली फूल हे चमेलिया हे मैया कौने हे डाला तोरब अढ़हुल फूल हे सोने डाला तोरब कोसी माय ऐली फूल हे चमेलिया रुपा हे डाला तोरबै कोसी माय अढ़हुल फूल हे कौन सूत गूथब हे कोसी माय ऐली फूल हे चमेलिया हे मैया कौन हे सूत गूथबै अढ़हुल फूल हे लाले सूता गूथब हे कोसी माय ऐली फूल हे चमेलिया हे मैया पीले हे सूत , कोसी माय गूथबै अढ़हुल फूल हे ।
angika-anp
ओ कोकिला रे... (भटियाली) ओ कोकिला रे . . . आमार निभानो आगुन ज्वले मोर स्वरे । । देखले तोर रूपेर किरण , मने पड़े बन्धुर वरण । आमार दुटो मनेर कथा शोन , कोकला रे । । पड़ले नयन काल रूपे पराण आमार उठे क्षेपे । आमार ए व्यथा कि बुझबे अपरे । ।
bengali-ben
पैसा ऐसी चीज राजा घरै नहीं आवैं पैसा ऐसी चीज राजा घरै नहीं आवैं कि अरे महला पुराने होई गें टपकन लगी बूँद , राजा घरै नहीं आवैं कि अरे ननदी सयानी होई गईं मानै नहीं बात , राजा घरै नहीं आवें कि अरे देवरा सयाने होई गें पकड़न लगे बांह , घरै नहीं आवैं कि अरे हमहूँ पुरानी होई गईं पाकन लगे बार , राजा घरै नहीं आवैं
awadhi-awa
333 मरद करम दे नेक ने सहतीए नी रन्नां दुशमनां नेक कमाइयां दियां तुसीं एस जहान विच हो रहियां पंज सेयिां धड़ धड़वाइयां दियां मरद हैन जहाज जो नेकियां दे रन्नां बेड़ियां हैन बुरयाइयां दियां मां बाप दा नाम नमूज डोबन पतां लाह सुटन भलयां भाइयां दियां हड मास हलाल हराम कपन एह कुहाड़ियां तेज कसाइयां दियां लबां लैंदियां साफ कर देन दाढ़ी जेहीयां कैंचियां तेज कसाइयां दियां सिर जाए ना यार दा भेत देईए शरमां रखिए अखियां लाइयां दियां आडा नाल फकीरां दे लांदियां ने खूबियां वेख ननाण भरजाइयां दियां वारस शाह तेरे मुंह नाल मारां पंडीं बन्न के सभ बुरयाइयां दियां
panjabi-pan
इन घर की मैंड़ी ऊंचे बंके बार इन घर की मैड़ों ऊंचे बंके बार जम जम सादीसोहिले हम गांवैं मंगलचार मंगल करै बधावड़ इस रे सुहावने बार मोतियन चौक पुराय कै सुवरण सतिये देय रंगमहल तै उतरो सिर सालू चक डोर हाथ कसीदा रंगला गोद जडूलें पूत गल सोहै मोतियन की माल बिछुए तम्हारे बाजने बेटियो घड़े सुघड़ सुनार बाबुल बीर घड़ाइया तुम पाहिनो मन चित्त लाय पायल तुम्हारी बाजनी , बहुओं घड़ी सुघड़ सुनार सारे भाई चौधरी नीके सारे बरकतदार सारे घरचैं बोरियां तुम्हारी धन्य धन्य हे माय मखमल जूता पहर के घूमो बागों बीच या सोवो दरबार में या भाइयों के बीच तुम्हारे बार लाला नीम झलोरे ले आंगन तख्त बिछा हुआ तुम्हें बेटों का सुख जंवाई का सुख , पोते , नाती , भाई भतीजे का सुख ऊंचे तुम्हारे चौंतरे लाला , ऊंचे तुम्हारे नाम मोती तुलें तराजुओं तुम्हारे हस्ती घोड़े घूमें बार बाहें हरी हरी चूड़ियां बहुओ , अचल रहे सुहाग नाक की बेसर यों लसै , ज्यों तारों में चांद नौ दरवाजे अगलेनी के चांदी के बड़ किवाड़ पोते बेटे लाडले तेरे खेलें चौपड़ बार
haryanvi-bgc
करेला असन करू होगे का ओ तोर मया करेला असन करू होगे का ओ तोर मया ये सनानना करेला असन करू होगे य मोर मया करेला असन करू होगे का ओ , करेला असन करू होगे का य मोर मया ये सनानना करेला असन करू होगे य मोर मया हाय रे तिवरा के ड़ार , टुरी तेल के बघार ये गजब लागे वो गजब लागे ये गजब लागे सँगी , जेमा मिरचा मारे झार गजब लागे , ये सनानना करेला असन करू होगे य तोर मया हाय रे धनिया के पान , मिरी बँगाला मितान गजब लागे वो , गजब लाबे ये गजब लागे वो ये गजब लागे ये गजब लागे सँगी , जेमा मिरी के बरदान गजब लागे , ये सनानना करेला असन करू होगे य तोर मया हाय रे जिल्लो के भाजी , खाय बर डौकी डौका राजी ये गजब लागे वो गजब लागे ये गजब लागे सँगी , जेमा सुकसी मारे बाजी गजब लागे , ये सनानना करेला असन करू होगे य तोर मया
chhattisgarhi-hne
हिजाब करें दरवेशी कोलों हिजाब1 करें दरवेशी कोलों , कब लग हुकम चलावेंगा । गल अलफी सिरपाए बरैहना , भलके रूप वटावेंगा । एह लालच क्या नफसानी2 मुठों , कितकों मुंड मुंडाया ई । घाट ज़कात3 मंगणगे प्यादे , कहु क्या अमल कमाया ई । जद आ बणेगी सिर पर भारी , उन को क्या बतलावेंगा । हिजाब करें दरवेशी कोलों , कब लग हुकम चलावेंगा । जैसी करनी वैसी भरनी , पिरम नगर वरतार ए । एत्थे दोज़ख4 कट्ट तूँ दिलबर , अग्गे खुल्ल बहाराँ ए । केसर बीज जो केसर होवे , लैहसन बीज ठगावेंगा । हिजाब करें दरवेशी कोलों , कब लग हुकम चलावेंगा । करो कमाई मेरे भाई , एहो वकत कमावण दा । पावण सताराँ हुण पौंदिआँ ने , फिर दाअ न बाज़ी लावण दा । उजड़ेगी खेल छपणगिआँ नरदाँ , झाड़ दुकान उठावेंगा । हिजाब करें दरवेशी कोलों , कब लग हुकम चलावेंगा । खावें मास जबावें बीड़ी , अंग पुशाक लगाया ई । टेढी पगड़ी आकड़ चलें , जुत्ती पब्ब अड़ाया ई । इक दिन अज़ल5 दा बक्करा हो के , आपणा आप कुहावेंगा । हिजाब करें दरवेशी कोलों , कब लग हुकम चलावेंगा । पढ़ सबक मुहब्बत ओसे दी दा , किते बमूजब6 क्यों डुबादा हैं । पढ़ पढ़ किसे जीओ वलावें , क्यों खुभणाँ विच्च खुभदा हैं । हरफ इशक दा इक्को नुक्ता , कोहे कूँ उट्ठ लदावेंगा । हिजाब करें दरवेशी कोलों , कब लग हुकम चलावेंगा । एत्थे गोइल वासा वस्सण नूँ , रैहण नूँ ओत्थे डेरा है । लै लै तोहफे घर नूँ घल्लें , एहो वेला तेरा है । ओत्थे हत्थ न लगदी ड़ाई , कुझ ऐत्थों ही लै जावेंगा । हिजाब करें दरवेशी कोलों , कब लग हुकम चलावेंगा । कर सौदा पास सौदागर ई , बिह वेला हत्थ ना आवीगा । वणज वणोदा नाल शताबी7 , वणजाराा उ जावीगा । उस दिन कुझ न हो सकदी , जद कूच नगारा चलावेंगा । हिजाब करें दरवेशी कोलों , कब लग हुकम चलावेंगा । भुक्ख मँगदी नाम अल्ला दे , एहो बात चँगेरी ए । दोनों थोक पत्थर थीं भारी , मुश्कल जेही ढेरी ए । जे सड़से तूँ इस जग अंदर , अग्गे सरदी पावेंगा । हिजाब करें दरवेशी कोलों , कब लग हुकम चलावेंगा । एह अम्माँ बाबा बेटा बेटी , पुच्छ वेक्खाँ क्यों रोन्दे ने । एह रन्नाँ कन्जाँ8 पुत्तर धीआँ , विरसे नूँ आन खलोन्दे ने । एह जो लुट्टण तूँ , क्यों नाहीं , ज़र के आप लुटावेंगा । हिजाब करें दरवेशी कोलों , कब लग हुकम चलावेंगा । इक्कलिआँ ओत्थे जाणा है , तेरे संग न कोई जावेगा । खेश9 कबीला रोन्दा पिट्टदा , उरिओं ही मुड़ आवेगा । शहरों बाहर जंगल विच्च वासा , ओत्थे डेरा पावेगा । हिजाब करें दरवेशी कोलों , कब लग हुकम चलावेंगा । जे तूँ मरें मरन से अगे , एह मरना मुल्ल पावीगा । मोए सो रोज़ हशर नूँ उट्ठण , आशक ना मर जावीगा । मैं वड्डी नसीहत करना हाँ , जे सुण कर दिल ते लावेंगा । हिजाब करें दरवेशी कोलों , कब लग हुकम चलावेंगा । जा राह शरा दा पकड़ेंगा , ताँ ओट मुहम्मद होवेगी । दसदी है पर करदी नाहीं , एहो खलकत रोवेगी । हुण सुत्याँ कौण जगावे , जान्देआँ पछतावेंगा । हिजाब करें दरवेशी कोलों , कब लग हुकम चलावेंगा । ऐंवे उमर गँवाइआ अवगत10 , आकबत11 चा लुड़हाया ई । चलाकी कर कर दुनिआँ ते , सुफैदी मूँह ते आया ई । अजे बेदाद12 जे ताएब13 होवें , तद अशना14 सदावेंगा । हिजाब करें दरवेशी कोलों , कब लग हुकम चलावेंगा । बुल्ला सहू ते चलना ए ताँ , जान किहा चिर लाया ई । जगवत के केहे करने , जाँ वतनों दफतर आया ई । वाचदिआँ खत अकल गईओ ई , रो रो हाल वँजावेंगा । हिजाब करें दरवेशी कोलों , कब लग हुकम चलावेंगा ।
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मचिया बइठल तू अम्मा मचिया बइठल तू अम्मा तो सुनहूँ बचन मोरा हे । ललना हम लिपबई भाभी के सउरिया कंगनबाँ लेई लेबइन हे । सउरी पइसल तुहूँ बहुआ त सुनहूँ बचन मोरा हे । ललना दई देहूँ धिया के कंगनवा , धिया देस दूर बसे हे । कंगनवे कारन पिया देश गेलन अउरो विदेस गेलन हे । ललना न देबइन ननदी कंगनवाँ , ननदिय देसदूर बसे हे । चुप रह चुप रह बहिनी , त सुनहूँ बचन मोरा हे । हम करबो दूसर बिआह कंगनवाँ हम दिलाई देबो हे । इतना बचनियाँ धनियाँ सुनलन , सुनहूँ न पौलन हे । ललना झटसिन फेंकले कंगनवाँ अंगनवाँ बीच हे । ललना ल न छिनरियो कंगनवाँ सवतिया बनके रहहूँ न हे ।
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सामण का महीणा मेघा रिमझिम रिमझिम बरसै सामण का महीणा मेघा रिमझिम रिमझिम बरसै मन नै समझाऊं तो बी बैरी जोबन तरसै तीजां के दिनां की तो थी आस बड़ी भारी ऐसे में भी न आए मैं पड़ी दुखां की मारी सामण का महीना मेघा रिमझिम रिमझिम बरसै मन नै समझाऊं तो बी बैरी जोबन तरसै
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463 जाह खोल के वेख जो सिदक आवे किहा शक दिल आपने पाइयो नी कहयां असां जे रब्ब तहकीक करसी केहा आन के मगज खपाइयो नी जाह वेख विशवास जे दूर होवे केहा दरदढ़ा आन मचाइयो नी शक मिटें जे थाल नूं खोल वेखें वारस मकरकी आन फैलायो नी
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रूक्मिन बिपर के बोलौउलन, आँगन बइठवलन हे रूक्मिन बिपर1 के बोलौउलन , आँगन बइठवलन2 हे । हमरा सँपतिया3 के चाह , सँपति हम चाहही4 हे ॥ 1 ॥ उलटि पुलटि बिपर देखलन मन मुसकयलन5 रूक्मिन , बिधी नइ लिखलन लिलार , 6 सँपति कहाँ पायब हे । रूक्मिन , देबी जी हथुन7 दयामान , सँपति तोरा ओहि देथुन8 हे ॥ 2 ॥ उहँऊ9 रूक्मिन चललन , देबी से अरज करे हे । देबीजी हमरो सँपतिया के चाह , सँपति हम चाहही हे ॥ 3 ॥ उलटि पुलटि देबीजी देखथिन बड़ी मुसकयलन हे । रूक्मिन , बिधी नहीं लिखल लिलार , सँपति कहाँ पायब10 हे । रूक्मिन , गंगा जी हथुन दयामान , सँपति तोरा देइ देथन हे ॥ 4 ॥ उहँउ से रूक्मिन चललन , गंगा से अरज करे हे । गंगाजी , मोरा सँपतिया के चाह सँपति हम चाहही हे ॥ 5 ॥ उलटि पुलटि गंगाजी देखलन , मन मुसकयलन हे । रूक्मिन , बिधी नहीं लिखल लिलार , सँपति कहाँ पायब हे । रूक्मिन , बिसुन11 जी हथुन दयामान , सँपति तोरा देइ देथुह हे ॥ 6 ॥ उहँउ से रूक्मिन चलि भेलन , बिसुन से अरज करे हे । बिसुन , मोरा सँपतिया के चाह , सँपति हम चाहही हे ॥ 7 ॥ उलटि पुलटि बिसुन देखलन , मन मुसकयलन हे । रूक्मिन , बिधी नहीं लिखल लिलार , सँपति कहाँ पायब हे । रूक्मिन , सिबजी हथुन दयामान , वोही सँ देथुन हे ॥ 8 ॥ उहँउ से रूक्मिन चलि भेलन , सिब से अरज करे हे । सिबजी , मोरा सँपतिया के चाह , सँपति हम चाहही हे ॥ 9 ॥ उलटि पलटि सिब देखलन , मन मुसकयलन हे । रूक्मिन , बिधि नहीं लिखलन लिलार , सँपति कहाँ पायब हे । रूक्मिन , बरमाँजी12 हथुन दयामान , ओही सँपति देथुन हे ॥ 10 ॥ उहँउसे रूक्मिन चललन , बरमाँ से अरज करे हे । बरमाँजी हमरो सँपतिया के चाह , सँपति कहाँ पायब हे ॥ 11 ॥ उलटि पलटि बरमाँ देखलन , मन मुसकयलन हे । रूक्मिन , बिधि नहीं लिखलन लिलार , सँपति कहाँ पायब हे ॥ 12 ॥ बरमाँजी बलका13 के बोलौउलन जाँघे बइठवलन हे । बलका , छठिया14 राते तोरा होयते , घुरिए15 चलि अइह हे ॥ 13 ॥ एतना सुनयते16 त बलका त बलका अरज करे हे । बरमाँ जी , हम न जायब17 अबतार बहुत दुख होयत हे ॥ 14 ॥ घर ही रोवत मोरा अंबा बाहर मोरा पिता रोइतन हे । बरमाँ जी , हम नहीं लेबो अबतार , बहुत दुख पायब हे ॥ 15 ॥ बरमाँ जी , बलका के बोलवलन , जाँघे बइठवलन हे । बलका सदियाबिआह18 तोरा होयतो , तबहि चलि अइह हे ॥ 16 ॥ बलका बरमाँ से अरज करे अउरो मिनती करे हे । बरमाँ जी , हम न लिहब अवतार , बहुत दुख होवत ॥ 17 ॥ घरे जे रोबे मोरा भइया बाहर मोरा पिता रोइतन19 हे । सेजिया बइठल रोवे घरनी , बहुत दुख होयत हे ॥ 18 ॥ बरमाँ जी बलका के बोलवलन , जाँघे बइठवलन हे । बलका , अजर अमर होई रहिह , बहुत सुख होयत हे ॥ 19 ॥
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जीवणा है दिन चार जगत में जीवणा है दिन चार जगत में १ सुबे से हरि नाम सुमरले , मानुष जनम सुधारो सत्य धर्म से करो हो कमाई भोगो सब संसार . . . जगत में . . . २ माता पिता और गुरु की रे सेवा , और जगत उपकार पशु पक्षी नर सब जीवन में ईश्वर आन निहारु . . . जगत में . . . ३ गलत भाव मन से बिसराजो , सबसे प्रेम बड़ावो सकल जगत के अंदर देखो पुरण बृम्ह अपार . . . जगत में . . . ४ यह संसार सपना की रे माया , ममता मोहे निहारे हरि की शरण मे बंधन जोड़े पावो मोक्ष दुवार . . . जगत में . . .
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गिनायतो गिनायतो रे गिनायतो गिनायतो रे माण्डरा लिखने वाला गिनायतो रे गिनायतो गिनायतो रे पातल सीने वाला गिनायतो रे गिनायतो गिनायतो रे चावल सीमे वाला गिनायतो रे चिवना पूजने वाला गिनायतो रे गिनायतो गिनायतो रे हल्दी पूजने वाला गिनायतो रे खिचड़ी पूजने वाला गिनायतो रे स्रोत व्यक्ति शांतिलाल कासडे
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ऐ भगवन ऐ भगवन इंज के ज्ञानी गले माजा भगवन रे ऐ भगवन ऐ भगवन इंज के ज्ञानी गले माजा भगवन रे ऐ भगवन ऐ भगवन इंज के ज्ञानी गले माजा भगवन रे ऐ पूरी आम केन ज्ञानी घाले मकान ईयेन दोषना हेजे ऐ पूरी आम केन ज्ञानी घाले मकान ईयेन दोषना हेजे खांडा सोकड़ा टोचना पूरी ढोला ढागा टोचना पूरी खांडा सोकड़ा टोचना पूरी ढोला ढागा टोचना पूरी आमकेन ज्ञानी घाले मखान इयेन दोसना हेजे आमकेन ज्ञानी घाले मखान इयेन दोसना हेजे ऐ भगवन ऐ भगवन इंज के ज्ञानी गले माजा भगवन रे ऐ भगवन ऐ भगवन इंज के ज्ञानी गले माजा भगवन रे ऐ पूरी ऐ पूरी आमकेन ज्ञानी घाले मखान इयेन दोसना हेजे ऐ पूरी ऐ पूरी आमकेन ज्ञानी घाले मखान इयेन दोसना हेजे ऐ पूरी ऐ पूरी उनीड़ी उसरी सुबाय पूरी पूरी ऐ पूरी ऐ पूरी उनीड़ी उसरी सुबाय पूरी पूरी काडो चाका चिका डोगे पूरी काडो चाका चिका डोगे पूरी स्रोत व्यक्ति प्यारी बाई , ग्राम मातापुर
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सोहाग माँगे गई बेटी, हजरत बीबी दरवाजे सोहाग माँगे गई बेटी , हजरत बीबी दरवाजे । बीबी देहु न सोहाग बाली1 भोली का सोहाग । नइहर वाली का सोहाग रे । मैं ना जानूँ , टोना कैसे हो के2 लगा ॥ 1 ॥ बेली चमेली हो के लगा , दाना मरुआ3 हो के लगा । सोने संदल4 हो के लगा , मैं ना जानूँ । टोना कैसे होके लगा , मैं ना जानूँ ॥ 2 ॥ सोहाग माँगे गई बेटी , दादा दरवाजे । दादी देहु न सोहाग , बाली भोली का सोहाग । अच्छी लाड़ो का सोहाग रे । टोना कैसे होके लगा , मैं ना जानूँ ॥ 3 ॥ बाईं नैना होके लगा , दाहिने मोढ़े5 होके लगा । मैं ना जानूँ , टोना कैसे होके लगा ॥ 4 ॥ सोहाग माँगे गई बेटी नाना दरवाजे । नानी देहु न सोहाग , अपनी लाड़ो का सोहाग । नइहर वाली का सोहाग रे । मैं ना जानूँ , टोना कैसे होके लगा ॥ 5 ॥ सोहाग माँगे गई बेटी अब्बा दरवाजे । अम्माँ देहु न सोहाग , बाली भोली का सोहाग । मैं ना जानूँ , टोना कैसे होके लगा ॥ 6 ॥
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83 हीर आखदी रांझणा बुरा कीतो तूं तां पुछणा सी दुहराए के ते मैं तां जाणदा नहीं सां एहु सूहा1 खैर मंगिया सू मैथों आए के ते खैर लैंदो ही पिछांह नूं तुरत नठा उठ वगिया कंड वलाए2 के ते नेड़े जांदा ई जाए मिल नडीए नी जाए पुछ लै गल समझाए के ते वारस शाह मियां उस थीं गल पुछीं दो तिन अडिआं हिक विच लाये के ते
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रानी डो रानी डो रानी माय बेरिया पालंगो रानी डो रानी डो रानी माय बेरिया पालंगो रानी डो रानी डो रानी माय बेरिया पालंगो सोवेडो माय खुदुमा खुड हास सोवेडो माय खुदुमा खुड हास बार डो बाझोरी बये डो बाझोरी माय रीटा पालंगो सोवे बार डो बाझोरी बये डो बाझोरी माय रीटा पालंगो सोवे रीटा पालंगो सोवे डो माय रोचो मा रोचो रोवे रीटा पालंगो सोवे डो माय रोचो मा रोचो रोवे रानी डो रानी रानी डो माय बेरिया पालंगो सोवे रानी डो रानी रानी डो माय बेरिया पालंगो सोवे बार डो बांझोरी बार डो बांझोरी माटा रीटा पालंगो सोवे बार डो बांझोरी बार डो बांझोरी माटा रीटा पालंगो सोवे रीटा पालंगो सोवे डो माय रोचे मा रेचो रोवे रीटा पालंगो सोवे डो माय रोचे मा रेचो रोवे फूजो डो फूजो सीताराम जा फूजो डो माय नागर निशान झूरे फूजो डो फूजो सीताराम जा फूजो डो माय नागर निशान झूरे स्रोत व्यक्ति सीताराम बैठे , ग्राम टेमलावाड़ी
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संजा फूली आंगणऽ माय संजा फूली आंगणऽ माय , कि पूजणऽ चलो जी । चांद सूरजऽ दुई भाई , कि मीलणऽ चलोजी । । कि जिनका हाथ सोन्ना की तलवार , कि धोळा घोड़ा पर असवार कि जिनका माथऽ पचरंग पाग , कि जिनका गळा मंऽ सतरंग हार । संजा फूली आंगणऽ माय , कि पूजणऽ चलोजी । चांद सूरज दुई भाई , कि मीलणऽ चलोजी । ।
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मद अब देत करेजे जारें मद अब देत करेजे जारें आई बसन्त बहारें । सीतल पवन लगत है ऐसी , मानो अगन की झारें । बोलकोकिला लगें तीर से लेवें प्राण निकारे । आमनमौर झोंर के ऊपर भोंर करत गुन्जारे । ईसुर पाती देव पीतम खाँ घर खों बेग पधारें ।
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दीवा बले सारी रात, मेरया जाल्मा दीवा बले सारी रात , मेरया जाल्मा दीवा बले सारी रात । बत्तियाँ बटा रखदी , मेरया जाल्मा दीवा बले सारी रात । आवेंगा ताँ पुच्छ लवांगी , मेरया जाल्मा कित्थे गुज़ारी सारी रात । बत्तियाँ बटा रखदी , मेरया जाल्मा दीवा बले सारी रात । आवेंगा ताँ बुज्झ लवांगी , मेरया जाल्मा कित्थे गुज़ारी सारी रात । दीवा बले सारी रात , मेरया जाल्मा दीवा बले सारी रात भावार्थ ' दीया रात भर जलता है , ओ मेरे ज़ालिम दीया रात भर जलता है । बत्तियाँ तैयार करा कर रखती हूँ , ओ मेरे ज़ालिम दीया सारी रात जलता रहता है । तू आयेगा तो मैं पूछ लूंगी , ओ मेरे ज़ालिम कहाँ बिताई सारी रात ? बत्तियाँ तैयार करा कर रखती हूँ , ओ मेरे ज़ालिम दीया सारी रात जलता रहता है । तू आयेगा तो मैं समझ जाऊंगी , ओ मेरे ज़ालिम कहाँ बिताई सारी रात ? यह दीया रात भर जलता है , ओ मेरे ज़ालिम दीया सारी रात जलता रहता है ।
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तन कौ तनक भरोसौ नइयाँ तन कौ तनक भरोसौ नइयाँ , राखैं लाज गुसईयाँ , उड़ उड़ पात गिरत धरनी मैं , फिर नई लगत डरईयाँ जर बर देय भसम हो जै हैं । फिरना चुनैं चिरइयाँ , मानुस चाम काम न आवै । पसु कीं बनत पनईयाँ , ईसुर कोऊ हाँत ना दै ले जब हम पकरैं बइयाँ ।
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नीमिया रे कडुआइन, सीतल बतास बहे हे नीमिया रे कडुआइन1 सीतल बतास बहे हे । ताहि तरे ठाढ़2 दुलरइता दुलहा , नयना दुनो लोर3 ढरे हे ॥ 1 ॥ घर से बाहर भेलन दुलरइता दादा , काहे बाबू लोर ढरे हे । किया बाबू आजन बाजन थोड़ा भेल , साजन4 घुमइला5 भेल हे ॥ 2 ॥ माइ के जनमल दुलरइता भइया , सेहु न जोरे6 जयतन हे । पाँचो भइया पाँचो दहिन बहियाँ7 जइहें , जौरे बहनोइया जइहें हे ॥ 3 ॥
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474 रांझा वेख के आखदा परी कोई इके भावे तां हीर सयाल होवे कोई हीर कि मोहनी इंदरानी हीर होवें तां सइयां दे नाल होवे नेड़े आयके कालजा धा गई जिवें मसत कोई नशे दे नाल होवे रांझा आखदा अबरे1 बहार आया जंगलां भी लाली लाल होवे हाठां जोड़2 बदलां हांझ बधी वेखां केहड़ा देस निहाल होवे चमक लैलातुल कदर3 सयाहशबथी जिसते पवगी नदर निहाल होवे डील डाल ते चाल दी लटक सुंदर जेहा पेखने दा कोई खयाल होवे यार सोई महबूब ते फिदा होवे जी सोई जो मुरशदां नाल होवे वारस शाह आ चंबड़ी रांझने नूं जेहा गधे दे गल विच लाल होवे
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कपूरी रेवड़ी क्यों कर लड़े पतासे नाल कपूरी रेवड़ी क्यों कर लड़े पतासे नाल ? तेल तिलाँ दे लड्डू ने , जलेबी पकड़ मँगाई । डरदे नट्ठे कन्द शकर तों , मिशरी नाल लड़ाई । काँ लगड़ नूँ मारन लग्गे , गद्दों दी गल्ल लाल । कपूरी रेवड़ी क्यों कर लड़े पतासे नाल ? हो फरिआदी लक्ख पतिआँ ने , लूण ते दस्तक लाई । गुलगलिआँ मनसूबा बद्धा , पापड़ चोट चलाई । भेडाँ मार पलंघ खपाए , गुरगाँ1 बुरा अहवाल2 । कपूरी रेवड़ी क्यों कर लड़े पतासे नाल ? गुड़ दे लड्डू गुस्से हो के , पेड़िआँ ते फरेआदी । बरफी नूँ कहे दाल चने दी , तूँ हैं मेरी बादी । चढ़ सहे शहनेआँ ते नच्चण , लग्गे वड्डी पई धमाल । कपूरी रेवड़ी क्यों कर लड़े पतासे नाल ? शक्कर खंड कहे मिशरी नूँ मेरी वेख सफाई । चिड़वे चने एह करन लग्गे , बदाने नाल लड़ाई । चूहिआँ कन्न बिल्ली दे कुतरे , हो हो के खुशहाल । कपूरी रेवड़ी क्यों कर लड़े पतासे नाल ? बुल्ला सहु हुण क्या बतावे , जो दिसे सो लड़दा । लत्त बलत्ती गुत्त बगुत्ती , कोई नहीं हत्थ फड़दा । वेक्खो केही कयामत आई , आया खर दजाल । कपूरी रेवड़ी क्यों कर लड़े पतासे नाल ?
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पाँच बधावा पिया न हो गढ़ रे सुहाना हो बधावा बधाई गीत पॉँच बधावा पिया न हो गढ़ रे सुहाना हो , पॉँच बधावा जो आवत हम देख्या . . . . . . . . . . . की प्य्लो बधावो पिया न हो , ससरा घर भेजो हो , दुसरो बधावो सहोदर बाप घर की तिस्रो बधावो पिया न हो जेठ घर भेजो हो , चोथो बधावो सहोदर वीरा घर की पांच्वो बधावो पिया न हो कूख सुलेखनी , जिन्ना बतायो रे धन को सोय्लो . . . . . . की अम्बा जो वन की पिया नहो , कोयल बोल्या हो , चलो सुआ चलो सुआ , अम्बा वन आमली की वर्स नी र्ह्य्सा पिया न हो , मास नी र्ह्य्सा हो काचा ते वन फल गदराया की माची बसंत पिया न हो , मोठी बैण बोल्या हो छोटी बैण बोल्या हो , चलो पिया चलो पिया , वीरा घर पावना , की वर्स नी र्ह्य्सा पिया न हो मास नी र्ह्य्सा पिया न हो आठ जो दिन का वीराजी घर पावना की सोननो नी लयनो पिया न हो , रुप्पो नी लयनो हो , छोटी भाव्जियारो ग्यनो चित्त लाग्यो
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पानड़ पानड़ दिया बलऽ पानड़ पानड़ दिया बलऽ , थारा दिवलड़ा की लागी जागजोत रे , आज म्हारा घर ओंकार देव पावणो । ओंकार देव की मैया पूछऽ वातूली , तू खऽ आज कूणऽ निवत्यो पूत रे , आज म्हारा घर ओंकार देव पावणो । मखऽ निवत्यो छे , अमुक भाई की माय , जिमाड़्या छे दही अरू भात रे । आज म्हारा घर ओंकार देव पावणो ।
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421 एस फकर दे नाल की वैर चाया उधल जावसैं तै नहीं वसना ई ठूठे भन्न फकीरां नूं मारनी एं अगे रब्ब दे आख की दसना ई तेरे कुआर नूं खुआर संसार करसी एह जोगी दा कुझ ना खसना ई नाल चूहड़े दे खतरी घुलन लगा वारस शाह फिर मुलक ने हसना ई
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सिर पर दोगढ़ ठा नणद री सिर पर दोगढ़ ठा नणद री ठाले नेजू बाल्टी हमतो चलैंगे थारे साथ भावज री ना ठावैंगे नेजू बाल्टी उल्टी दोगढ़ तार बिखेरी मैं तो भीतर बड़ कै रो पड़ी कोरा सा कागज मंगा दिखे मनै लिख कै गेरा अपणे बीर पै दिया डाकिये के हाथ डाकिये रे जा दिये मेरे बीर नै काली सी मोटर जोड़ दिखे री वो तो आण डटा धमसाल मैं साची बताए मौसी के दुख दिया मेरी बाहण ने काम करे ना एक मेल सिंह कहूं तो आवै खाण ने साची साच बता बसन्ती के दुख दिया तेरे गात ने काम करूं दिन रात मेल सिंह रोट्टी ना देंदी खाण ने गठडी मुठडी बांध बसन्ती होले मेरी साथ ने हम तो चले अपणे देस नणद री लोटदी फिरो धमसाल में चाली जाइए मेरी भावज दिखे री में तो हट के ब्याहूं अपणै बीर ने नौ सौ बीघे जमीन बसन्ती आधी राम करा लिये नाम कराऊं ना मूल मेल सिंह बासी रोटी दे दिये ।
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444 पया लानत दा तौक शैतान दे गल ताहीं रब्ब ने अरश ते चाढ़ना ई झूठ बोलया जिनां वयाज खाधा तिनां विच बहिश्त ना वाड़ना ई असी जिउ दी मैल चुका बैठे वत करां ना सीऊना पाड़ना ई सानूं मार लै भाईअड़ां पिटयां नूं चाढ़ सेज उते जिसनूं चाड़ना ई अगे जोगी तों मार मुकाया ई हुण होर की पड़तना पाड़ना ई घर बार तों चा जवाब दितो होर आख की सच नितारना ई मेरे नाल ना वारसा बोल एवें मते हो जाए कोई कारना ई
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मेरे आंगण मां मेरी कड़वा-सा नीम मेरे आंगण मां मेरी कड़वा सा नीम ते ढलती ते फिरती छाया पड़ौसिन के घर ढल रही घरड़ कटा दूं री मां मेरी कड़वा सा नीम ढलती ते फिरती छाया पड़ौसिन के घर ढल रही मत काटै मत काटै धी मेरी कड़वा सा नीम ढलती तै फिरती छाया फेर बाह्वड़ै जी
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तुम मोरी बात बिगाड्यो बारे रसिया तुम मोरी बात बिगाड्यो बारे रसिया मन भरे का जात मंगौबे हाथ भरे क चकिया पिसौबे बारे रसिया पिसौबे बारे रसिया , सोलह सेर पिसना पिसौबे बारे रसिया हाथ बढ़निया लिहे बगल छिटनिया झारौबे बारे रसिया झरौबे बारे रसिया , झाँसी वाली लैन झरौबे बारे रसिया हाथे मा हथकड़ी डरौबे पांए मा पैजनिया देखौबे बारे रसिया देखौबे बारे रसिया , कानपुर का जेहल जेल देखौबे बारे रसिया
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कोड्डी कोड्डी बगड़ बुहारूँ कोड्डी कौड्डी बगड़ बुहारूं , दर्द उठा सै कमर में , हो राजीड़ा इबना रहूंगी तेरे घर में । द्योराणी जिठानी बोल्ली मारैं , जिब क्यूं सौवै थी बगल में , हो राजीड़ा इबना रहूंगी तेरे घर में । सास नणद मेरी धीर बन्धावै , होती आवै सै जगत में , हो राजीड़ा , इबना रहूंगी तेरे घर में । छोटा देवर खरा रसीला , दाई नै बुलावै इक छन में , हो राजीड़ा , इब ना रहूंगी तेरे घर में । छोटा देवर नै बाहण बियाह द्यूं दाई बुलाई इक छन में , हो राजीड़ा , इब ना रहूंगी तेरे घर में ।
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581 सयालां बैठ के सब विचार कीती भले आदमी गैरतां पाल दे नी यारो गल मशहूर जहान उते सानूं मेहने हीर सयाल दे नी पत रहेगी ना जेकर तोर दईए नढी नाल मुंढे महीवाल दे नी कबर विच दऊस खंजीर होसन जेहड़े लाड करदे धन माल दे नी औरत आपणी कोल जो गैर वेखन गैरत करन ना ओसदे हाल दे नी मूंह तिन्हां दा वेखनां खूक1 वांगू कतल करो रफीक जो नाल दे नी सयद शेख नूं पीर ना मूल जानो अमल करन जे उह चंडाल दे नी होवे चूहड़ा तुरक हराम खावे मुसलमान वस उसदे नाल दे नी दौलत मंद दऊस2 दी तरक सुहबत मगर लगिए नेक कंगाल दे नी कदी कचकड़ां लाल ना होए जांदा जे परो दईए नाल लाल दे नी जहर दे के मारिए हीर ताई गुनाहगार जो जुल जलाल3 दे नी मार सुटया हीर नूं मापयां ने एह पखने उस दे खयाल दे नी बद अमलियां जेहड़ियां करें चोरी महरम सभ तेरे वाल वाल दे नी सानूं जनती साथ रवालना जे असां आसरा फजस कमाल दे नी जेहड़े दोजखीं बन्ह के टोरनोगे वारस शाह फकीर दे नाल दे नी
panjabi-pan
मृत्यु गीत दुख सागर भरिया दुखसुख मन मा नि लावणा ॥ राम सरीका रे राजा हुया , हारे जे घरे सतवन्ती नारी आया रे रावण सीता लय गया हाँ रे जिनका बुरा हया हाल , दुखसुख मन मा नि लावणा । हाँ रे हरिशचन्द्र सरीका रे राजा की , जे घर तारावन्ती नारी आपना रे सत का कारणे , हाँ रे नीच घर भरियो पाणी । दुखसुख मन मा नि लावणा । हाँ रे पाण्डव सरीका रे राजा वी । हाँ रे जिन घर द्रोपती राणी दुशासन चीर रे खेचिया , हरी पुरायो चीर दुखसुख मन मा नि लावणा । संत कबीर की वीणती अरे सायब सुणलेणा दास धना की विणती , हाँ रे रघुपति गुण गावणा । दुखसुख मन मा नि लावणा । किसी की मृत्यु होने पर गीत गाते हैं । संसार रूपी समुद्र दुःखांे से भरा है । दुःखसुख मन में नहीं लाना चाहिए । जो जीव पैदा हुआ है उसकी मृत्यु होनी ही है , उसके लिए दुःख नहीं होना चाहिए । उदाहरण देकर समझाया है कि राजा राम जिनके यहाँ सती नारी थी , रावण आया और सीता को हरण कर ले गया । रावण का कैसा बुरा हाल हुआ ? तात्पर्य यह है कि मनुष्य को अच्छे कर्म करना चाहिए , पाप नहीं करना चाहिए । सतयुग में हरिश्चन्द्र राजा हुए , उनके यहाँ तारामती रानी थी । अपने सत्य के निर्वाह में सपने में ब्राह्मण को राज्य का दान कर दिया था उन्हें राजपाट छोड़ना पड़ा और दान के साथ दक्षिणा देने के लिए स्वयं की पत्नी बिक गए और मरघट की रखवाली की । कितना दुःख झेला , किन्तु हिम्मत नहीं हारी । पुत्र की मृत्यु दुःख को जाना । इसलिए मरने वाले के प्रति दुःखी नहीं होना चाहिए । पाण्डव समान द्वापर में राजा हुए , उन पर कितना दुःख पड़ा था , राजपाट हार गए , खुद हारे और पत्नी द्रोपदी को हार गए । दुःशासन द्रोपदी का चीर खींचने लगा था , उसे नग्न करना चाहता था , किन्तु भगवान कृष्ण ने चीर को बढ़ाया और उसकी लज्जा रखी । दुःख संसार में सभी पर पड़ता है उसको मन में नहीं लाना चाहिए । संत कबीर विनती करते हैं कि सुनो भगवान का राम नाम लेना चाहिए , जिससे मृतात्मा को शान्ति प्राप्त होती है । गीत का मुख्य उद्देश्य परिवार वालों का ध्यान दुःख से दूर हटाना है ।
bhili-bhb
लेहु हजमा सुबरन कसैलिया लेहु1 हजमा सुबरन कसैलिया2 नेवतियो3 लावऽ चारो धाम हे । गया से नेवतिहऽ4 गजाधर5 नेवतिहऽ , नेवतिहऽ बीर हनुमान हे । गंगा में नेवतिहऽ गंगा मइया नेवतिहऽ , नेवतिहऽ सीरी जगरनाथ6 हे । धरती से नेवतिहऽ सेसरनाथ7 हे ॥ 1 ॥ गाा से अयलन8 गजाधर अयलन , अयलन सीरी जगरनाथ हे । गंगा से गंगा मइया अयलन , अयलन बीर हनुमान हे । धरती से अयलन सेसरनाथ हे ॥ 2 ॥
magahi-mag
लचके लवँगियाँ के डाँढि ,गोरिया पतरी लचके लवँगियाँ के डाँढि , गोरिया पतरी । जइसे लचके लवँगियाँ के डाँढि । । टेक । । अमवाँ महुइया के घनी फुलवरिया , अरे पाकल निबुआ अनार , आहो रामा । । टेक । । केथिया नियन गोरी पातरि हईं , आरे , केथिया नियन सुकुवार । । टेक । । पनवा नियन गोरी पातरि हई , फुलवा नियन सुकुवार । । टेक । । कर्मेन्दु शिशिर के संग्रह से
bhojpuri-bho
लचिका रानी दूसरा खण्ड रम्मा सुनोॅ आगू के वचनमो रे ना रम्मा सुनोॅ सब भाई , बहिन धरि धियनमो रे ना रम्मा लचिका के आगू रोॅ बचनमो रे ना रम्मा जाय पहुँचलै पापी राजवो रे ना रम्मा शिव मंदिरवा के नगीचवो रे ना रम्मा घुसियैलो छेलै जहाँ रानी लचिको रे ना रम्मा कानै छेलै कपरवा धुनिधुनि रे ना रम्मा वहाँ जायके बोले पापी राजवो रे ना रम्मा चल्लोॅ आवोॅ मंदिर से बहरवो रे ना रम्मा आपनोॅ तों चाहोॅ कुशलवो रे ना रम्मा अगर नै ऐभौ बहरवो रे ना रम्मा काटी देवौ तोरोॅ सिरवो रे ना रम्मा सुनीकेॅ राजा के बचनमो रे ना रम्मा बौले सुनीकेॅ लचिका रनियो रे ना रम्मा सुनोॅ हमरो अरजबो रे ना रम्मा केना हम्में निकलबै बहरवो रे ना रम्मा भीजलोॅ हमरोॅ कपड़वो रे ना रम्मा झलकतै हमरोॅ सभे अंगवो रे ना रम्मा निकलै में लागै हमरा शरममो रे ना रम्मा घटवा पर हमरोॅ कपड़वो रे ना रम्मा लानी केॅ देभौ हमरोॅ अगुओ रे ना रम्मा तबेॅ पीन्ही केॅ निकलबै बहरवो रे ना रम्मा सुनि केॅ लचिका के बतियो रे ना रम्मा लानी केॅ देलकै राजा नुग्गासाया बुलाऊजवो रे ना रम्मा सब चीज पीन्हीं निकललै बहरबो रे ना रम्मा चल्लोॅ गेलै राजा के समनमो मेें रे ना रम्मा राजा भेलै खुशिया मगनमो रे ना रम्मा राखलेॅ छेलै उड़न खटोलवो रे ना रम्मा लचिका केॅ बैठलकै उपरवो रे ना रम्मा पापी राजा भेलै आनन्दवो रे ना रम्मा लैकेॅ चली देलकै सथवो रे ना रम्मा जतना छेलै लश्करियो रे ना रम्मा सब गेलै राजा के नगरियो रे ना रम्मा बरपपा के सुनो अब जिकरियो रे ना रम्मा भारी हल्ला होलै गढ़ के भीतरवो रे ना रम्मा रूदन पीटन पड़ी गेलै महलियो रे ना रम्मा प्रीतम सिंह के रोवै महतरियो रे ना रम्मा छाती पीटीपीटी कहै बचनियो रे ना रम्मा नाश होलै कुलखनदनमो रे ना रम्मा पूतोहो के करनमो रे ना रम्मा केतना घर भेलै मोसमतवो रे ना रम्मा सबके धोएैलै सिर सिन्दुरवो रे ना । रम्मा छोड़ी केॅ गेलै आपनोॅ ललनमो रे ना रम्मा गेलै हठ करि पोखिरियो रे ना रम्मा धनजन करलकै संहरवो रे ना रम्मा करनि के पैलकै फलवो रे ना रम्मा महीना दिनो के रहै ललनमो रे ना रम्मा आवेॅ सुनोॅ वहाँ के हलवो रे ना रम्मा लचिका केॅ लै गेलै लक्ष्मीपुर के रजवो रे ना रम्मा खटोलबा के उपरवो रे ना रम्मा जबेॅ पहुँचलै गाँव के नजदीकवो रे ना रम्मा दस कोस रहलै फसिलवो रे ना रम्मा पड़ी गेलै वहाँ कममो रे ना रम्मा लागलोॅ रहै वहाँ पचरंग बजरवो रे ना रम्मा लचिका केॅ लैकेॅ वहाँ रजवो रे ना रम्मा पहुँचलै जायकेॅ ठिकनमो रे ना रम्मा उतारलकै वहाँ उड़नखटोलवो रे ना रम्मा जुटी गेलै पलटनियो रे ना रम्मा करै लागलै सब लोग दतबनमो रे ना रम्मा बोलै लचिका तबेॅ बचनियो रे ना रम्मा सुनि लेॅ राजा हमरोॅ बचनमो रे ना रम्मा यहाँ तनवाय देहोॅ तम्बुकवो रे ना रम्मा आपनोॅ मकानमा तांय रे ना रम्मा हम्मे चलबै तम्बुकबा भीतरबो रे ना रम्मा यहाँ सें करलेॅ जैबै दनमो रे ना रम्मा देहोॅ तहूँ मंगाई केॅ समनमो रे ना रम्मा करवे हम्मे तबेॅ दतनमो रे ना रम्मा तोहरे हाथो सें पियबै हम्में पनियो रे ना रम्मा धीरेंधीरें चलबै तोहरोॅ घरबो रे ना रम्मा दिन भरी में चलबै पाव भर रसतवो रे ना रम्मा नाहीं मानबै बीचोॅ एक्को बतियो रे ना रम्मा मारी देभौ तों हमरोॅ जनमो रे ना रम्मा यहेॅ छौं हमरोॅ कहनामो रे ना रम्मा तबेॅ होतौं तोहरोॅ इच्छा पूरनमो रे ना रम्मा सुनी केॅ रानी के बचनमो रे ना रम्मा राजा कहै मीठी बोलियो रे ना रम्मा तुरंते होय जैतै सब काममो रे ना रम्मा राजा कही केॅ एतना बचनमो रे ना रम्मा बौलेलकै सब नौकरबो रे ना रम्मा राजा देलकै सबकेॅ हुकुममो रे ना रम्मा जल्दी सें तनाबै तम्बुकवो रे ना रम्मा दस कोस यहाँ सें मकनमो रे ना रम्मा घर तक तानी दै तम्बुकवो रे ना रम्मा तम्बुकवा तानै सब नौकरवो रे ना रम्मा राजा कहैलेॅ गेलै खबरवो रे ना रम्मा सगरो तनाय गेलै तम्बुकवो रे ना रम्मा दस कोस रसतवा लागै दस बरसवा दिनमो रे ना रम्मा राजा तबेॅ बोलाबै दीवनमो रे ना रम्मा जल्दी सें जैभौ तों नगरियो रे ना रम्मा खंजाची केॅ देहोॅ खबरियो रे ना रम्मा सुनी केॅ राजा के बचनमो रे ना रम्मा वहाँ सें चल्लै दीवनमो रे ना रम्मा गेलै खजांची के पसबो रे ना रम्मा कहि देलकै राजा के हुकुममो रे ना रम्मा खजांची देलकै तुरंते समनमो रे ना रम्मा एैले तबेॅ लैकेॅ दिवनमो रे ना रम्मा रानी केॅ देलकै सब समनमो रे ना रम्मा तबेॅ करेॅ लागलै रानी दानमो रे ना रम्मा दान करतें हुवेॅ चल्लै डगरियो रे ना रम्मा चली देलकै राजा के दरबरियो रे ना रम्मा दिन भरि में चलै रती भर जमीनमो रे ना रम्मा मनमा में करिकेॅ विचरवो रे ना रम्मा हमरे खातिर कुल होलै नशवो रे ना रम्मा येहो सोचतें चल्लै मनमो रे ना
angika-anp
रसिया रग भर-भर जिन मारो रसिया रंग भरभर जिन मारो , पिचकारी दृगन तक न मारो । न गहो छैल गैल बिच बहियां , पैयां पडूं मैं बलिहारी । पिचकारी . . . जो सुन पैहें सास ननद मोरी , सुन रूठ जैहें पिया प्यारो । पिचकारी . . . चन्द्रसखी भज बाल कृष्ण छवि , चरण कमल पे बलिहारी । पिचकारी . . .
bundeli-bns
ऊठ बहू मेरी पीस ले ऊठ बहू मेरी पीस ले यो दिन धोला लिकड़ आया हे । तन्नै कै सासू पीसणा मैं काच्ची नींद जगाई हे । सेजां पै तै बालम बोल्या सुण ले अम्मां मेरी हे । भले घरां की ब्याह के ल्याणा इब नां चालै थारी हे । भरी सी मैं झोट्टी ल्यूंगा छोटा बीरा ल्यूंगा पाली हे । बलध्यां की मैं जोड़ी ल्यूंगा बाबल ल्यूंगा हाली हे । भारी सी मैं चाक्की ल्यूंगा थम ने ल्यूं पिनहारी हे । गोबर कूड़ा थमै करोगी गरज पड़ै रह जाइयो हे ।
haryanvi-bgc
काली ग्वाली खिटी टालान काली ग्वाली खिटी टालान काली ग्वाली खिटी टालान रेइनी जाम्बू सुबुकेन बल कुयेरा रेइनी जाम्बू सुबुकेन बल कुयेरा रेइनी जाम्बू चूटी लियेन रेइनी जाम्बू चूटी लियेन रमा चाचू का भूली वाजा बेटा मारे रमा चाचू का भूली वाजा बेटा मारे रमा चाचू बनजा बेटा रमा चाचू बनजा बेटा अमा रानी का भूली वाजा बेटा मारे अमा रानी का भूली वाजा बेटा मारे स्रोत व्यक्ति चारकाय बाई , ग्राम माथनी
korku-kfq
भरथरी लोकगाथा का प्रसंग “राजा का जोगी वेष में आना” घोड़ा रोवय घोड़ेसार मा , घोड़ेसार मा या , हाथी रोवय हाथीसार मा घोड़ा रोवय घोड़ेसार मा , घोड़ेसार मा वो , हाथी रोवय हाथीसार मा मोर रानी ये वो , महलों में रोवय मोर रानी ये या , महलों में रोवय येदे धरती में दिए लोटाए वो , ऐ लोटाए वो , भाई येदे जी येदे धरती में दिए लोटाए वो , ऐ लोटाए वो , भाई येदे जी सुन लेबे नारी ये बाते ला , मोर बाते ला या , का तो जवानी ये दिए हे सुन लेबे नारी ये बाते ला , मोर बाते ला वो , का तो जवानी ये दिए हे भगवाने ह वो , मोर कर्म में ना भगवाने ह या , मोर कर्म में ना येतो काये जोनी मोला दिए हे , येदे दिए हे , भाई येदे जी येदे काये जोनी दिए हे , येदे दिए हे , भाई येदे जी – गाथा – ऐ रानी सामदेवी रइथे ते रागी हौव राजा भरथरी के वियोग में हा मुड पटक पटक के रोवत रिथे रोवत थे अउ कलपत रिथे हौव किथे हे भगवान हा मोर किस्मत फूट गे फूट गे अतका बात ला सुन के पारा परोस के मन आथे हौव आथे त रानी सामदेवी ल पूछथे हा रानी हौव तोला का होगे हौव ते काबर रोवत हस हा तब रानी सामदेवी रहाय ते बतावत हे का बतावत हे – गीत – बोली बचन मोर रानी हा , मोर रानी हा वो , सुन बहिनी मोर बाते ल बोली बचन मोर रानी हा , मोर रानी हा या , सुन बहिनी मोर बाते ल मोर माँगे के या , येदे सेन्दुर नईये मोर माथे के वो , येदे टिकली नईये में ह जन्मों के होगेंव रांडे वो , भाई येदे जी में ह जन्मों के होगेंव रांडे वो , भाई येदे जी भाई रोवे गुजराते हा , गुजराते हा वो , बुलबुल रोवे रानी पिंगला के भाई रोवे गुजराते हा , गुजराते हा या , बुलबुल रोवे रानी पिंगला के बारा कोस के वो , फुलवारी रोवय बारा कोस के ना , फुलवारी रोवय उहू जुलुम होगे सुखाये वो , भाई येदे जी उहू जुलुम होगे सुखाये वो , भाई येदे जी – गाथा – दोनों हाथ ला जोड़ के रानी सामदेवी किथे रागी हौव बहिनी हो हा मोर मांग के सेन्दुर मिटागे हौव मोर माथ के टिकली मिटागे मिटागे में जन्मों के रांड होगेंव रांड होगेंव सब झन पूछथे , ये बात कइसे होइस रानी हौव तब बताथे हा जे दिन मोर राजा इहां ले गिस हौव तो कहिस हावय हा जब तक के में जिन्दा रहूँ हौव तब तक ये तुलसी के बिरवा हराभरा रही हा अउ जब तक ये तुलसी के बिरवा हराभरा रही , समझ जबे में जिन्दा रहूँ जिन्दा रहूँ अउ तुलसी के बिरवा सुखा जही हौव त में मर जहूं मर जहूं यही तुलसी के बिरवा ला मोला निशानी देके गिस हे बहिनी हो हौव आज ये तुलसी के बिरवा सुखा गे हा मोर करम फुट गे हौव आज इही मेर के बात इही मेर के रइगे रागी हा राजा भरथरी राहय तेन बिनती करत अपन घर ला आवत हे हा – गीत – बिनती करे राजा भरथरी राजा भरथरी या , आवत थे अपन घरे ला येदे घरे में वो , पहुँचत हबाय ये द्वार में येदे द्वार में या , लिली घोड़ी ला देखत हाबे ना , भाई येदे जी राजा बोलथे वो , करले अमर राजा भरथरी येदे काहथे वो , करले अमर राजा भरथरी बाजे तबला निशान , करले अमर राजा भरथरी , भाई येदे जी मन में सोंचे लिली घोड़ी हा लिली घोड़ी हा वो , राजा भरथरी ला देखी के में ह आये हव गा , राजा ऐ इंदर पठाये हे मोला कोने बेटा देही ए गांवे काहथे , भाई येदे जी राजा बोलथे वो , करले अमर राजा भरथरी येदे काहथे वो , करले अमर राजा भरथरी बाजे तबला निशान , करले अमर राजा भरथरी , भाई येदे जी गुस्सा होवय लिली घोड़ी हा लिली घोड़ी हा वो , राजा भरथरी ला देखी के वो दे काहत ना , का ये बतावव ये तोला ना अइसे बोलत हे वो , लिली ये घोड़ी हा आगे ना , भाई येदे जी राजा बोलथे वो , करले अमर राजा भरथरी येदे काहथे वो , करले अमर राजा भरथरी बाजे तबला निशान , करले अमर राजा भरथरी , भाई येदे जी – गाथा – अब ये राजा भरथरी राहय ते , अपन दरवाजा में पहुँचथे रागी हौव जब दरवाजा में पहुँचथे , तब एक लिली घोड़ी नाम के हा वो घोड़ी वो दरवाजा में बइठे रिहिस बइठे राहत हे वो इंदर भगवान के हौव भेजे हुवे लिली घोड़ी रिथे हा गुस्सा हो के लिली घोड़ी किथे राजा हौव तें तो योगी होगेस हा ना तोला घोड़ा चाहिए हौव ना तोला हाथी चाहिए हा अब तें तो योगी होगेस हौव अउ इंदर भगवान भेजे हे तोर खातिर हा मोला लगाम कोन दिही हौव अइसे कइके राजा भरथरी के सामने में हा लिली घोड़ी रहाय तेन प्राण त्याग देथे प्राण त्याग देथे – गीत – आगे चले राजा भरथरी , राजा भरथरी या , देखथ रइये किसाने ला आगे चले राजा भरथरी , राजा भरथरी वो , देखथ रइये किसाने ला कोनों चिन्हे नहीं , येदे योगी ला या कोनों चिन्हे नहीं , येदे योगी ला वो वो ह डेहरी में धुनी जमाये हे , ये जमाये हे , भाई येदे जी वो ह डेहरी में धुनी जमाये हे , ये जमाये हे , भाई येदे जी
chhattisgarhi-hne
राजी राजी बोल बनी तो चुड़लो पेरादूं राजी राजी बोल बनी तो चुड़लो पेरादूं बेराजी बोले तो म्हारी लाल चिटियो , म्हारी फूल चिटियो नवी नारंगी रो खेल बतादूं रसिया . . . मीठी खरबूजो राजी राजी बोल बनी तो तीमणियौ पैराधूं बैराजी बोले तो म्हारी लाल चिटियों . . . म्हारी फूल चिटियों नई नारंगी रो खेल बता दू रसिया . . . मीमो खरबूजों ।
rajasthani-raj
सासु मोर बेनिया डोलावहऽ, कमर भल जाँतहऽ हे सासु मोर बेनिया डोलावहऽ , 1 कमर भल जाँतहऽ2 हे । अहो लाल , देहरी3 बइठल तू ननदिया बिरह बोलिय4 बोलए हे ॥ 1 ॥ मोरी भौजी रखिहऽ5 पलंगिया के लाज त बेटवा बिअइह6 हे ॥ 2 ॥ तुहुँ त7 हहु8 मोरा ननदी , अउरो सिर साहेब हे । ननद , पियवा के आनि9 बोलावह , पलंगिया डँसायब10 हे ॥ 3 ॥ किया11 तोर भउजो12 हे नाउन , किया घरबारिन13 हे । मोर भउजो , किया तोरा बाप के चेरिया , कवुन14 दाबे15 बोलह हे ॥ 4 ॥ नहीं मोर ननद तू नाउन , नहीं घरबारिन हे । नहीं मोर बाप के चेरिया , बलम16 दाबे बोलली17 हे । ननद , तुहुँ मोरा लहुरी18 ननदिया सेहे19 रे दावे बोलली हे ॥ 5 ॥
magahi-mag
निमन्त्रण एक नेवतो देजो गुणेसा घेर । एक नेवतो देजो गुणेसा घेर । एक नेवतो देजो सबेरा धड़ । महादेव बाबो आवसे । एक नेवतो देजो सबेरा धड़ । ते उकार देजो आवसे । एक नेवतो देजो सबेरा धड़ । ते गंगा ने गवरां आवसे । एक नेवतो देजो सबेरा धड़ । ते लालबाईफुलबाई आवसे । एक नेवतो देजो सबेरा धड़ । ते चाँदसूरज आवसे । एक निमंत्रण गणेशजी के घर देना । एक निमंत्रण महादेवीजी को , एक निमंत्रण ओंकारदेव को और एक निमंत्रण गंगागौरा को देना । एक निमंत्रण लालबाई फूलबाई को और एक निमंत्रण चाँदसूरज को देना , वे सभी अवश्य ही आएँगे ।
bhili-bhb
भानु भौंपेलो बार बरस को बाटो , तीन रोज मा काटदो । तख छयो वो माँकाली घोड़ो रागसी घोड़ौं की पंगत1 बँधी छई । मांकाली2 घोड़ो मरा सगन्ध3 सूंगद , हे छोरा , कै राज को छई ? कै बैरीन भरमाए , घर की नारीन सन्ताये । हे मांकाली घोड़ा , मैं कू मदत दियाल , मैं पर चढ़ीं छ , गुरु ज्ञानचन्द की सेना , त्वै द्योलों , सोवन की जीण , त्वै द्योसों , काँसी का घूँघर । आज घोड़ा तिन भाई होण । तेरा बाबू दादान मैं जांती नी सक्यो , तू कखन मैं जीतण आई ? घोढ़ो निकालद , हातहात की जीभ , बैत4 बेत का दाँत । तब गाड़े भानू भौंपेलान , बेतुना5 की छड़ी , साधण लै गए माँकाली घोड़ो । मारी मछुली उलार , ओ जै लग वीं काली बादुली । कनो रैगे नौ दिन , नौ राती अगास मा । एक वेत टूटे , हैको6 निकाले मालन , घोड़ा पर पसीना ऐगे , नीला दाग पड़ी गैन । ये घोड़ा मैं बिना मान्याँ नी छोंड़ौं , मैं छऊँ हिण्डवाणी वंश को जायो । तब बोलदू मांकाली घोड़ो अफू जौलूँ अस्वार , अब पाये मैंन । पृथी मा ऐगे तब , घोड़ो मांकाली । हे घोड़ा तिन , सच्चो भाई होण , दुश्मनू की फौज मारी देण । तब राजी ह्वैगे मांकाली घोड़ी , कालूनी कोट मा जाण कू तैं । ज्ञानीचन्द की बरात अड़ी छै तुम्हारा शैर7 मा नी जूड़दत , हम अपणा शैर मा जुड़ौला । लड़ीझगड़ीक ऊन तेरां8 रोज , लाडी अमरावती , वेदी मा गाडयाले । आम जसी दाणी छै , दिवा जसी जोत , पूनो जसी चाँद बाँदू9 मा की बाँद । मैन पैले10 बोल्याले ज्ञानचन्द , मैं न छुई : मैं राणी छऊँ , भानु भौंपेला की । छै मैंना की माँगी छै , कना बैन वोदे । मैंन पैले बोल्याले ज्ञानचन्द , मैं न छुईं , लम्बीलम्बी टाँगी तेरी मड़ोई तोड़ला । बेदी का अग्वाड़ी11 पिछाड़ी , डाले वींन बरछ्यों को घेर , कै भी अमरा भितर नी औण देंदी । तब उड़ी औंद मांकाली घोड़ो भानू लीक12 , मारदू भानु भौंपेलो , घोड़ी पर चाबुक मारयाले वीन माछीसी उछाट । तब का जायान क्या होण , जब ज्ञानचन्द दगड़े , मेरी राणी फेरो फेन्याली । झटपटमा छयो घोड़ो सरपठ चलणू अफू तैं समाली13 नीं सक्यों पड़ी गये वो बरछियों का घेरा मा । चुभीत बरछी जिकुडी मा , भानु भौंपेलो स्वर्गवास होये । वैको छौ हिरक्यालो14 पराणी , जिन्दगी ज्यान15 ह्वै , तरुणैं को विणास16 । वैकी मिट्टी दुश्मनू कामणे रैगे , रोंदी बराँदी17 तब अमरावती कनो देव मैं कू तैं रूठे ? तब मलासदी18 वै सेयों19 मुखड़ी वीं का माता हे बेटा , मेरो कसूर नीं , विधाता की लेखी मेटो नी सकेंदी जाँद तब विधाता चित्रगुप्त पवन रेखा जख होला पंचनाम देव , पांच पाण्डव , मामी पार्वती होली जख तैको20 पौन21 विधाता की सभा जाँदो हे मेरा विधाता मौत सबू की होंदी , पर मेरी मिट्टी दुश्मन का सामणे रैगे तब भगवान विष्णु दया औंदी , पाँच पाण्डव पौणा22 पैट्या , कुन्दी दुरपती मंगल्वैन23 पैटी24 ऐ गैन देवता कालूनी कोट । भानु भौंपेला मा ऊँन शरील धन्याले , तब वो जीतू25 होइगे , इनी26 जीती27 होयान सुणदी28 सभाई । तब माल घोड़ी मांकाला मांकली चढ़ीगे , पकड़े पट पाखुड़ी वैने अमरावती की , ऐंच चाड्याले घोड़ा मू मंडल29 वैन वो दलबदल , बैरी को मालन , तब एक नी रखे , मान्या गए सजू कालूनी भी तब सासु औन्दी वेका पास अपणो भलो करे , मेरो करे बुरो अपणी जोड़ी बाँधे , मेरी जोड़ी मारे सासू जी बेटा दीक बेटा छऊँ मन्याँ को क्वी नी , बच्याँ की दुनिया तब सजीगे अमरावती को , औलासरी डोला , राजा की सजी जेबर पालंकी बाज्या ढोल दमौंरूं गायेन्दा माँगल , चार दिन पुरुषू को नाम , मालू का पवाड़ा रै गैन ।
garhwali-gbm
302 सानूं नांह अकाउंदी भात खानी खड क्रोध दा हमी ना हूतने हां जे आपने दा ते आ जाईए खुली झंड सिर ते असीं मूतने हां घर मेहरां दे कासनूं असां जाना सिर महरीयां दे असीं भूतने हां वारस शाह मियां भठ बाल भांबड़ उलटे रात नूं होयके झूटने हां
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अरजी बरजी करइ छोटकी ननदिया अरजी बरजी1 करइ छोटकी ननदिया । आइ रे गेलइ इहमा2 मास रे फगुनमा3 ॥ 1 ॥ जो तोंहे जइहऽ भउजी , अपन कोहबरवा । भइया से कहि मोरा , रखिहऽ नेअरबा4 ॥ 2 ॥ नहीं माँगू थारी5 लोटा , नहीं माँगू धनमा । एक हम माँगू भउजी , सिर के सेनुरबा । एक हम माँगू भउजी , तोहरो सोहगबा ॥
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साड़ी न लहँगा लहरदार लेबो भउजो हे बधैया साड़ी न लहँगा लहरदार लेबो भउजो1 हे । चोली न अँगिया बूटेदार लबो भउजो हे ॥ 1 ॥ कँगना न लेबो , पहुँची2 न लेबो । बाला3 तो लेबो चमकदार , सुनु भउजो हे ॥ 2 ॥ रुपया न लेबो , अठन्नी न लेबो । गिन्नी तो लेबो हम हजार , सुनु भउजो हे ॥ 3 ॥ चानी न लेबो , सोना न लेबो । हम लेबो गिनि गिनि4 लाल , 5 सुनु भउजो हे ॥ 4 ॥ जुग जुग जीओ भउजो , तोहरो होरिलवा । जुगजुग बढ़ो अहियात , 6 सुनु भउजो हे ॥ 5 ॥
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का तै मोला मोहनी डार दिये गोंदा फूल का तै का तै मोला मोहनी डार दिये गोंदा फूल का तै मोला मोहनी डार दिये ना का तै मोला मोहनी डार दिये गोंदा फूल का तै मोला मोहनी डार दिये ना रूपे के रुखुवा मा चड़ गिए तेहां रूपे के रुखुवा मा चड़ गिए तेहां मोर मनके मंदरस ला झार दिये ना मोर मनके मंदरस ला झार दिये ना मोर मनके मंदरस ला झार दिये गोंदा फूल का तै का तै मोला मोहनी डार दिये गोंदा फूल का तै मोला मोहनी डार दिये ना उल्हवा पाना कस कवला करेजा उल्हवा पाना कस कवला करेजा भूंज डारे तेला बघार दिये ना भूंज डारे तेला बघार दिये ना भूंज डारे तेला बघार दिये गोंदा फूल का तै का तै मोला मोहनी डार दिये गोंदा फूल का तै मोला मोहनी डार दिये ना तोर होगे आती अउ मोर होगे जाती तोर होगे आती अउ मोर होगे जाती रेंगते रेंगत आँखी मार दिये ना रेंगते रेंगत आँखी मार दिये ना रेंगते रेंगत आँखी मार दिये गोंदा फूल का तै का तै मोला मोहनी डार दिये गोंदा फूल का तै मोला मोहनी डार दिये ना का तै मोला मोहनी डार दिये गोंदा फूल का तै मोला मोहनी डार दिये ना का तै मोला मोहनी डार दिये गोंदा फूल का तै मोला मोहनी डार दिये ना का तै मोला मोहनी डार दिये गोंदा फूल का तै मोला मोहनी डार दिये ना
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भँगिया पिसयते महादेओ, सुनहऽ बचन मोरा हे भँगिया पिसयते महादेओ , सुनहऽ बचन मोरा हे । देओ , 1 तोरा धनी दरद बेयाकुल , तोरा के बोलावथु2 हे ॥ 1 ॥ एतना बचन जब सुनलन , सुनहु न पओलन हे । बुढ़उ बैल पीठी भेलन असवार , कहाँ रे धनी बेआकुल हे ॥ 2 ॥ सउरी में से बोलथी गउरा3 देई , सुनहऽ बचन मोरा हे । देओ , लाज सरम केरा बतिया , तोरा से कहियो केता4 हे ॥ 3 ॥ मारहे पँजरवा5 में पीर से डगरिन बोलाइ देहु हे ॥ 4 ॥ एतना बचन जब सुनलन , बुढ़वा दिगम्बर हे । बुढ़उ बैल पीठ भेलन असबार , कहाँ रे बसे डगरिन हे ॥ 5 ॥ बाट जे पूछहथ6 बटोहिआ त कुइआँ पनिहारिन7 हे । इहाँ त सहरबा के लोग , काहाँ रे बसे डगरिन हे ॥ 6 ॥ ऊँची चउपरिया8 पुर9 पाटन10 आले11 बाँस छावल हे12 दुअरे चननवा के गाछ , उहाँ रे बसे डगरिन हे ॥ 7 ॥ डगरिन डगरिन पुकारथि , 13 डगरिन अरज करे हे । के मोरा खोलहे14 केवरिया15 त रतन जड़ल हकइ16 हे ॥ 8 ॥ हम हिअइ17 देओ महादेओ , हम तोरा टाटी खोली हे ॥ 9 ॥ की18 तोरा माय कि मउसी , कि सगर19 पितिआइन20 हे । की तोरा घर गिरथाइन21 दरद बेआकुल हे ॥ 10 ॥ नइ मोरा माय से मउसी , से सगर पित्त्आिइन हे । मोरा धनि दरद बेयाकुल , तोंहि के बोलावथु हे ॥ 11 ॥ पैरे ही पैरे22 नहीं जायब , पैर दुखायत23 हे । आनि देहु मोरा सुखपाल , 24 ओहि रे चढ़ि जायब हे ॥ 12 ॥ एतना बचन जब सुनलन बुढ़वा दिगंबर हे । चलि भेलन बैल असवार , घरहि घुरि25 आयल हे । एक त जाति के डगरिन , बोलऽहइ26 गरब सयँ27 हे । माँग हकइ संझा28 सुखपाल ओहि29 रे चढ़ि जायब हे ॥ 14 ॥ एक त सिवजी दलिद्दर , 30 जलम के खाके31 भाँड़े32 हे । सिव , लेइ जाहु संझा सुखपाल , ओहिरे चढ़ि आवत हे ॥ 15 ॥ डड़ियहि33 आवथी डगरिन , चाउँर डोलत आवे हे । चनन से अँगना लिपायल सुघर डगरिन पग धरे हे ॥ 16 ॥ घड़ी रात बीतल , पहर रात , अउरो आधिए रात हे । लेलन गनेस औतार , महल उठे सोहर हे ॥ 17 ॥
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415 घोल घतिआं यार दे नाम उतों जोगी मुख संभाल हतयारया वे तेरे नाल की असां है बुरा कीता हथ ला तैनूं नहीं मारया वे मनों सुनदयां पुने तूं यार मेरा एह कहर कतो लोहड़े मारया वे रूग आटे दा होर लै जा साथों कोई वधे फसाद बुरयारया वे तैथे आदमगरी1 दी गल नाही रब्ब चा बथुन2 उसारया वे वारस किसे असाडे नूं खबर होवे ऐवें मुफत विच जायेगा मारया वे
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होलर कहै री अम्मा! तुझे झुंझणा मंगा दे होलर कहै री अम्मा तुझे झुंझणा मंगा दे । चल बिसाती की दुकान रे लला तुझे झुंझणा मंगवा दूं । इस झुंझणा दूजा लट्टू रे लला तीजी फिरकी दिला दूं । होलर कहै री अम्मां तुझे टोपी सिला दे । चल दरजी की दुकान रे लला तुझे टोपी सिला दूं । इस टोपी दूजा झूगला रे लला तीजी कछनी सिला दूं । होलर कहै री बूआ मेरा ब्याह करवादे । चल मामा के बार रे लला तेर ब्याह करवा दूं । एक नानी दूजी मामी रे लला तीजी मोसी ब्याह दूं ।
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बुल्ले शाह की सीहरफी - 1 अलफ अल्लाह जिस दिल पर होवे । मुँह ज़रदी अक्खाँ लहू भर रोवे । आपणे जीवन तों हत्थ धोवे । जिस नूँ बिरहों अग्ग लगावे । लागी रे लागी बल बल जावे । बे बालण मैं तेरा होई । इशक नज़ारे आण वगोई1 । रोन्दे नैण ना लैन्दे ढोई । लूण फट्टाँ ते कीकर लावे । ते तेरे संग प्रीत लगाईं । जीओ जामे दी कीरी साईं । मैं बक्करी पास बिरहों2 कसाई । कट्ट कट्ट माँस हड्डाँ नूँ खावे । से साबत नेहों लाया मैनूँ । दूजा कूक सुणावाँ कीहनूँ । रात अद्धी ओह ठिलदी नैं नूँ । ओह कूंज वाँगूं कुरलावे । जीम जहानों चोई साँ न्यारी । लग्गा नेहों ताँ होए भिकारी । पए बुल्ले सूल पसारे । लोग लोग उलांभे दे दे तावे । हे हैरत बिन साएत नाहीं । ज़ाहर बाताँ माराँ ढाहीं । झात बत्तण3 नूँ लावाँ दाईं । सीने सूल प्रेम दी धावे । तुध बिन कौण जो आण बुझावे । खे खुबी हुण ओह न रहीआँ । जब दी सांग कलेजे सहीआँ । आहीं नाल पुकाराँ कहीआँ । तुध बिन कौण जो आवे बुलावे । दाल दूरों दुःख दूर न होवे । फक्कर फिराकों से बहुता रोवे । तन भी दिल खल्लाँ धोवे । इशक अक्खीं विच्च मिरच लगावे । ज़ाल ज़ोक दुनिआँ ते इतना करना । खौफ हशर दा ज़रा न करना । चलनाँ नबी साहिब दे सरना । ओड़क जा हिसाब करावे । रे रोज़ हशर कोई रहे न खाली । लै हिसाब दो जग्ग दा वाली । ज़ेर ज़बर सभ भुल्लण आली । तिस दिन हज़रत आप छुडावे । जे जुहद4 कमाई चंगी करीए । जेकर मरन तों अग्गे मरीए । फिर मोए भी ओस तों डरीए । मत्त मोयाँ नूँ पकड़ मँगाए । सीन साईं बिन जार ना कोई जित्त वल्ल वेक्खाँ ओही ओही । होर किते वल्ल मिलेना ढोई । मेरा मुरशद पार लँघावे । शीन शाह अनायत मुरशद मेरा । जिस ने कीता मैं बल फेरा । चुक्क ग्या सभ झगड़ा झेड़ा । हुण मैनूँ भरमावे तावे । सुआद खबर ना आवे मैनूँ , खुली वस्त बज़ार । कासद5 लै के विदेआ होया , जा फड़ेआ दरबार । अग्गों मिलेआ आए के ओहनूँ , होया सोर असवार । रस्ते विच्च अंगुश्तरी6 आही , ऐसी ऐसी भई बुलावे । जुआद ज़रूरी यार अल्ला दे , आ करन सवाल रसूल । नवें असार7 कलाम सुणाईं , मैं दरगह पई कबूल । एह मज़ाजी8 जात हकीकी , वासल9 वसल वसूल । फ़ारग हो के हजरत ओत्थे , आवे खाणा खावे । तोए तलब दीदार दी आही , कीता करम सत्तार10 । जलवा फेर इलाही होया , हज़रत नूँ गुफ्फार11 । हत्थ नूरानीं गैबों आवे , मुन्दरी दी चमकार । बुल्ला खलक मुहम्मदी कीते , ताँ एह की कहावे ? जोए ज़ाहर मलूम ना कीता , होया दीदार भुलावे । रल के सइआँ खाणा आधा , ज़रा अंत ना आवे । ओह अंगूठी आप पछाती , आपणी आप जितावे । बुल्ला हज़रत रुखसत हो के , आपणे यार सुहावे । ऐन अनायत12 उलफत13 होई , सुणे असहाबो यारो । जेहड़ा हुण ना करसी हज़रत14 , झूठा रहे सरकारों । फिर शकायत ओहनाँ ही करनी , साहिब दे दरबारों । बुल्ला किबर ना करीए दुनिआँ उत्ते , इक्का नज़री आवे । गैन गुलाम गरीब तुसाडा , मंगे खैर दरबारों । रोज़ हशर15 दे खौफ सुणींदा , सद्द होसी सरकारों । कुल ख़लाइक16 तलखी17 , सूरज दे चमकारों । बुल्ला असाँ भी ओत्थे जाणा , जित्थे गया ना भावे फ़े फ़िकर फकीराँ कीता , विच्च दरगाह इलाहीं । शफीर18 मुहम्मद जा खलोते , जित्थे बेपरवाही । नेड़े नेड़े आ हबीबाँ , एह मुहब्बत चाही । खिरका19 पहन रसूल अल्ला दा , सिर ते ताज लगावे । काफ कलम रवानां मिटदी नाहीं , जो असाँ पर आई । जो कुछ भाग असाडे आहा , ओह ताँ मुड़दा नाहीं । बाझ नसीबों दावे केहे , भुल्ली कुल्ल खुदाई । बुल्ला लेह महफूज ते लिखिआ , ओत्थों कौण मिटावे । काफ कलाम नबी दी सच्ची , सिर नबीआँ दा साईं । सूरत पाक नबी अजेहा , चंद सूरज भी नाहीं । हीरे मोती लाल जवाहर , पहुँचे ओत्थे नाहीं । मजलस ओस नबी दी बह के , बुल्ला कौण कहावे । लाम ला इल्ला दा ज़िकर बताओ , इलालिला असबात20 कराओ । मुहम्मद रसूल अल्ला कह मेल मिलाओ , बुल्ला एह तोहफा आदम नूँ आवे । मीम मुहम्मदी जिस्म बणाओ , दाखल विच्च बहशत कराओ । आपे आप शैतान भजाओ , फिर आदम ओत्थों आवे । नूँन निमाणा मुजरम है आया , कड्ढ बहश्तों जिमीं रुलाया । आदम हव्वा जुदा कराया , बुल्ला आप विछोड़ा पावे । व वाह वाह आप मुहम्मद आपणी , आदम शकल बणावे । आपे रोज अज़ल21 दा मालक , आपे शफीह हो आवे । आपे रोज़ हशर दा काज़ी , आपे हुक्म सुणावे । आपे चा शिफाइल22 करदा , आपे ही दीदार करावे । हे होली बोली एत्थे भाई , मताँ कोई सुणे सुणावे । वड्डा अज़ाब23 कबर दा दिसे , जे कोई चा छुडावे । पुरसलात24 दी ओक्खी घाटी , ओह भी खौफ डरावे । तूँ रक्ख उमैद फज़ल दी बुलिआ अल्लाह आप बचावे । लाम लांभ न कोई दिसे मैनूँ , कित वल्ल कूक सुणावाँ । जित वल्ल वेक्खाँ नजर ना आवें , किस नूँ हाल विखावाँ । बाझ पीआ ना हामी कोई , होर नहीं कोई थावाँ । बुल्ला मल दरवाज़ा हज़रत वाला , तैनूँ ओह छुडावे । अलफ इकल्ला जावें एत्थों , वेक्खण आवण ढेर । साहाँ तेरिआँ दी गिणती एत्थे , आई होई नेड़ । शताबी ओत्थे वड़ चल्ल बुलिआ , मत लग्ग जावे देर । पकडत्रीं वाग रसूल अल्ला दी , कुछ जित्थे हत्थ आवे । ये यारी हुण मैं लाई , अगली उमराँ खेड वाँई । बुल्ला शाह दी जात ही आई , कलमा पढ़दिआँ जिन्द लै जावे । लागी रे लागी बदल जावे , इस लागी को कौण बुझावे ।
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मेरा पिरस चढन्ता सुसरा न्यू कवै मेरा पिरस चढन्ता सुसरा न्यू कवै बहुवड़ एक लाडूडा हमनै द्यो चरचरी सूंठ का सुसरा फोडूं तै दूखै मेरी आंगली साबत दिया ना जा लाडूडा चरचरी सूंठ का मेरा धार कढन्ता जेठा न्यूं कवै बहुवड़ एक लाडूडा हमनै द्यो चरचरी सूंठ का जेठा फोडूं तै दूखै आंगली साबत दिया ना जा लाडूडा चरचरी सूंठ का मेरा खुलिया खेलन्ता देवर न्यू कवै भावज एक लाडूडा हमनै द्यो चरचरी सूंठ का देवर फोडूं तै दूखै आंगली साबत दिया ना जा लाडूडा चरचरी सूंठ का मेरा महल चढन्ता कन्था न्यूं कवै गौरी एक लाडूडा हमनै द्यो चरचरी सूंठ का पीया कोठी नीचै झाकरा मन मांगै जीब खा बगड बखेरूं तेरा झाकरा मेरे बाबल का मार्या सै मान मेरे भाई का मार्या सै मान लाडूडा चरचरी सूंठ का
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पांच पंचास की नाथ घड़ाई पांच पंचास की नाथ घड़ाई पड़गी लामनी पहरन ना पाई सांज ताहीं करी लामनी सांज पड़ै घरां डिगराई आगै सासड़ लड़ती पाई देखा क्यूंना काम बखत क्यूं ना आई सास मिरी नरै मक्की री सुकाई ढाई सेर की कूंडी बखत उठ कै आधी पीस कै कंथा धोरै आई के सोवै हो कै जागै नणदी के भाई मक्की मत बोइए हो कलावती के भाई डिगगी धरण ठिकाने नहीं आई सास मर जागी नणद घर जागी तेरे मेरे राज में मक्की छूट जागी
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514 हीर आखया बैठ के उमर सारी मैं ते आपने आप नूं साड़नी हां मतां बाग गयां मेरा जिउ लगे अंत एह भी पड़तना पाड़नी हां पई रोणियां मैं लेख आपने नूं कुझ किसे दा नही विगाड़नी हां वारस शाह मियां तकदीर आखे वेख नवां पसार पसारनी हां
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चरखा चन्नण दा नी मैं कत्तां परीतां नाल , चरखा चन्नण दा शाव्वा चरखा चन्नण दा नी ए विकदा ए वडे बज़ार , चरखा चन्नण दा शाव्वा चरखा चन्नण दा नी ए घड़ी ए किसे सुनार , लज्ज लोहे दी शाव्वा चरखा चन्नण दा चरखा कूकर देंदा शाव्वा कूकर लगी कलेजे शाव्वा इक मेरा दिल पया धडके शाव्वा दूजे कंगण छणके शाव्वा माँ मेरी मैंनू चरखा दित्ता , विच चरखे दे मेखां माँ राणी मैनू याद पई आवे , जद चरखे वल वेखां चरखा चन्नण दा . . . चरखे दा मैं रंग की आखां , रंग आखां सुनहरी बाबल मेरे हथ जो फड़या , ते रोया भरी कचहरी चरखा चन्नण दा . . . उचचे बनेरे कां पया बोले , मैं चरखे तंद पावां वे कांवां मेरा वीर जे आवे , तैनु कुट कुट चूरीआं पावां चरखा चन्नण दा . . .
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मित्तर प्यारे कारन मित्तर प्यारे कारन नी मैं , लोक उल्हामें लैनी हाँ । लग्गा नेहुँ मेरा जिस सेती , सरहाणे वेख पलंघ दे जीती , आलम क्यों समझावे रीती , मैं डिट्ठे बाझ ना रैहनी हाँ । मित्तर प्यारे कारन नी मैं , लोक उल्हामें लैनी हाँ । तुसीं समझाओ वीरो भोरी , राँझण वंेहदा मैत्थों चोरी , जींहदे इशक कीती मैं डोरी , नाल आराम ना बैहनी हाँ । मित्तर प्यारे कारन नी मैं , लोक उल्हामें लैनी हाँ । बिरहों आ वड़ेआ विच्च वेहड़े , ज़ोर ज़ोर देवे तन घेरे , दारू दरद ना बाज्झों तेरे , मैं सज्जणाँ बाज्झ मरेनी हाँ । मित्तर प्यारे कारन नी मैं , लोक उल्हामें लैनी हाँ । बुल्ले शाह घर राँझण आवे , मैं तत्ती नूँ लै गल लावे , नाल खुशी दे नैण विहावे , नाल खुशी दे रैहनी हाँ । मित्तर प्यारे कारन नी मैं , लोक उल्हामें लैनी हाँ ।
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भजन टेक कब लग तोहे समझाऊँ , भोळा रे मन कब लग तोहे समझाऊँ । चौक1 घोड़ो रे होय तो लगाम देवाहूं , खासी झीण डलाऊँ । असवार होकर ऊपर बैठकर , चाबुक दे समझाऊँ । भोळा रे मन कब लग तोहे समझाऊँ । चौक2 हाथी रे होय तो जंजीर बंधाड़ू , चारी पाँय बंधाड़ू , मावत होकर ऊपर बैठे , तो अंकुस दे समझाऊँ । भोळा रे मन कब लग तोहे समझाऊँ । चौक3 सोनू रे होय तो सुवागी बुलाऊँ , खासा ताव देवाड़ों । नई फूकणी से फुकवा लाग्या , तो पाणी से पिघला भोळा रे मन कब लग तोहे समझाऊँ । चौक4 लोहो रे होय तो लोहार बुलाऊँ , आइरण घाट घड़ाऊँ । लइ सन्डासी खिंचवा लाग्या , तो यंत्र मा तार चलाऊँ । भोळा रे मन कब लग तोहे समझाऊँ । छाप ज्ञानी रे होय तो बताऊँ , लइ पोथी समझाऊँ कइये कबीर सुणो भाई सदू , तो पत्थर को क्या समझाऊँ अरे भोले मन तुझे कब तक समझाऊँ । घोड़ा हो तो उसे लगाम लगाऊँ और उस पर मजबूत झींग कसवाऊँ और उस पर सवार होकर बैठूँ और चाबुक से उस समझाऊँ । अरे तू तो मनुष्य है और सभी जीवधारियों में एकमात्र समझदार जीव है , तुझे क्या घोड़े को समझाने के समान समझाना पड़ेगा ? हाथी हो तो पैर में जंजीर बाँधूँ चारों पैरों में जंजीर बँधाऊँ , महावत होकर ऊपर बैठकर अंकुश से समझाऊँ । तू तो मनुष्य है । सोना हो तो सुहागी बुलाकर और सोने के साथ डालकर खूब ताव दिलाऊँ आग से ताव देने पर ही सोना पिघलता है और फिर संडासी से पकड़कर पीटते हुए तारों में परिणत करूँ और आवश्यक डोरेकंठी बनाऊँ । तू तो मनुष्य है । क्या सोने के समान आग पर तपाकर फूँकणी से फूँक देकर तार बनवाऊँ । लोहा हो तो लोहार को बुलाऊँ और निहाई लोहे की एरण पर रखकर घड़वाऊँ और संडासी से पकड़कर हथौड़े से पीटते हुए तार बनवाऊँ । ज्ञानी हो तो ज्ञान बताऊँ और पोथी लेकर समझाऊँ । कबीरदासजी कहते हैं कि हे साधु भाइयों सुनो , पत्थर को क्या समझाऊँ । इस गीत में मनुष्य को शिक्षा दी गई है कि तू समझ जा और अच्छे कर्म करते हुए परिश्रम की कमाई से जीवन व्यतीत करते हुए साथ में इस संसार रूपी समुद्र से पार होने के लिए भगवान की भक्ति कर । गीत में घोड़े , हाथी , स्वर्ण , लोहा का उदाहरण देते हुए मनुष्य को समझाया गया है । किसी की मृत्यु होने पर एकत्रित जनसमूह के समक्ष मृत्यु गीत गाते हैं । मरने वाला परलोक सिधार जाता है किन्तु गीतों से जनमानस को अच्छे कर्म के प्रति प्रेरित कर भगवान का भजन करने की प्रेरणा दी जाती है ।
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पाँच बधावा म्हारे आविजाजी पाँच बधावा म्हारे आविजाजी कई हरी जमेरी जी कई पांचा री नवीनवी भांत रस की हरी जमेरी जी पेलो बधावो म्हारे आवियोजी भेजो म्हारा ससरा दो पोल ।
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ऐं माय डो ऐ माय डो इयां बानी ऐं माय डो ऐ माय डो इयां बानी ऐं माय डो ऐ माय डो इयां बानी सोना गोला डो छाले बोले सोना गोला डो छाले बोले ऐ बेटा जा ऐ बेटा आमा बानी ऐ बेटा जा ऐ बेटा आमा बानी सोना गोला भाई बटवाड़ा सोना गोला भाई बटवाड़ा जा ढाये बोले जा ढाये बोले ऐ बेटा जा ऐ बेटा बेटा आमा बानी ऐ बेटा जा ऐ बेटा बेटा आमा बानी सोना गोला चोज माठेन जा घाले बोले सोना गोला चोज माठेन जा घाले बोले बेटा आमानी जा बालको जा बेटा बोलो बेटा आमानी जा बालको जा बेटा बोलो ऐ माय डो ऐ माय डो माय इयां बानी ऐ माय डो ऐ माय डो माय इयां बानी काली ग्वाली डो घाल बोले काली ग्वाली डो घाल बोले ऐ बेटा जा ऐ बेटा बेटा आमा बानी केंडे ग्वाली ऐ बेटा जा ऐ बेटा बेटा आमा बानी केंडे ग्वाली काका बाबा डाई बटवाड़ा जा डाये बोले काका बाबा डाई बटवाड़ा जा डाये बोले ऐ बेटा जा ऐ बेटा बेटा आमा नीडो ना वाले को ऐ बेटा जा ऐ बेटा बेटा आमा नीडो ना वाले को चोफार टेमा घाले बोले चोफार टेमा घाले बोले स्रोत व्यक्ति गंगू बाई , ग्राम टेमलावाड़ी
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