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379
सहती आखया एह मिल गए दोवें लई घत फकीर बलाइयां1 नी
एह वेख फकीर निहाल होई जड़ियां एस नूं घत पिवाइयां नी
आखे हीर नूं मगज खपा नाहीं नी मैं तेरियां लवां बलाइयां नी
एस जोगड़े नाल तूं खोज नाही अनी भाबीए घोल घुमाइयां नी
मता घत जादू मते करे कमली गलां एसदे नाल की लाइयां नी
एह न खैन ना भिछया लवे दाने किथों कढीए दुध मलाइयां नी
डर आंवदा भूतने वांग इस तों किसे थां दियां एह बलाइयां नी
लै के खैर ते जा फरफेजिया2 वे अतां रावला केहियां चाइयां नी
फिरे बहुत पखंड खलारदा तूं उथे केहियां वललियां3 चाइयां नी
वारस शाह फकीर दी अकल किथे एह तां पटियां4 इशक पढ़ाइयां नी | panjabi-pan |
203
जेहड़े छड के राह हलाल दे नूं तकन नजर हराम दी मारिअन गे
कबर विच वहा के मार गुरजी सभे पाप ते पुन्न नतारिअन गे
रोज हशर दे एह गुनहगार सभे घत अग दे विच नघारिअन गे
उस वकत ना किसे साथ रलना खाली जेब ते दसत ही झाड़िअन गे
वारस शाह एह उमर दे लाल मोहरे इक रोज नूं आकबत1 हारियन गे | panjabi-pan |
195
आतशबाजियां छुटियां फुल झड़ियां नाले छुटियां वांग हवा मियां
हाथी मोर ते चकिया झाड़ छुटे ताड़ो ताड़ पटाखया पा मियां
सावन भादरों कुजियां खडियां ने टिंड चूहयां दी करे ता मियां
महिताबियां दे टोटके चादरां सन देन चकियां वडे रसा मियां | panjabi-pan |
152
जदों लाल कचौरी नूं खेड सइयां सभो घरो घरी उठ चलियां नी
रांझा हीर नयारड़े हो सुते कंधीं नदी दीयां महियां मलियां नी
पए वेख के दोहां इकठयां नूं टंगां लंडे दियां तेज हो चलियां नी
परे विच कैदो आन पग मारे चलो वेख लौ गलां अवलियां ने | panjabi-pan |
574
आह आशकां दी सुण अग मची वेख रब्ब दीयां बेपरवाहियां नूं
लगी अग चैतरफ जां शहर सारे कीता साफ सभ झुगियां झादियां नूं
सारे देश विच धुम्मते शोर होया खबरां पहुचियां पांधियां राहियां नूं
लोकां आखया फकर बद्दुआ दिती राजे भेजयां तुरत सिपाहियां नूं
पकड़ खेड़े करो हाजर नही जानदे जबत1 बादशाहियां नूं
चलो होवे हाजर खेड़े फड़े ने वेख लै काहियां नूं
वारस शाह सूमसलवात2 दी पुछ होई एहनां दीन ईमान उगाहियां नूं | panjabi-pan |
रसराज
सुनकै पराई पीर गल जाय नैनूँघाईं
एइ आय आदमी के हिरदे की सरबस ,
भुलै निजी रागरंग , बना देत बिस्वरूप
मूल सुर तंत्रिका सें जोर देत बरबस ;
छीन करै छुद्र भाब , दिब्ब छबि प्रगटाबै
बस करैं बज्रधारी बिना तीरतरकस ,
और सब रस आयँ दरबारी सहनासे
छत्रपति स्वामी एक साँचौसौ करुन रस । | bundeli-bns |
106
रांझा हीर दी मां दे लग आखे छेड़ मझियां झल नूं आंवदा ए
मंगू वाड़ दिता विच झांगड़ी1 दे आप नहायके रब्ब धयांवदा ए
हीर सतुआं दा घरों घोल छन्ना देखो रिज़क रंझेटे दा आंवदा ए
मेरा मरन जीउण तेरे नाल मियां सुन्ना लो पया भस पांवदा ए
पंजां पीरां दी आमद तुरत होई हथ बन्न सलाम करांवदा ए | panjabi-pan |
वान्ना वगडा न वायरा वायरे,
वान्ना वगडा न वायरा वायरे ,
कन्ने घूमरियो घुम तो गायरे ,
रासे रमे , रासे रमे ,
गोप गोपियों नी संग ,
जामयो वृन्दावन ने मार गड़े रंग ,
वान्ना वगडा न वायरा वायरे ,
कन्ने घुमरिया घूम तो गायरे .
घेरी घेरी , घेरी घेरी ,
एनी वागे मुरलियो ,
गौरी गौरी राधा ने ,
सुंदर श्यामडियो ,
वान्ना वगडा न वायरा वायरे ,
कन्ने घुमरिया घूम तो गायरे . | gujarati-guj |
नागलोक में अर्जुन
द्रोपती अर्जुन , सेयां छया ।
रातुड़ी1 होये थोड़ा , स्वीणा2 ऐन भौत3
सुपिना मा देखद अर्जुन
बाली4 वासुदन्ता , नागू की धियाणी5 ।
मन ह्वैगे मोहित , चित्त ह्वैगे चंचल ।
वीं की ज्वानी मा , कनो उलार6 छौ ,
वीं की आँख्यों मा , माया7 का रैबार8 छौ ।
समलीक मुखड़ी वीं की , अर्जुन सोचण लैगे
कसु9 कैक जौलू , नाग लोक मा ।
तैं नाग लोक मा , नाग होला डसीला ,
मुखड़ी का हंसीला होला , पेट का गसीला ।
मद पेन्दा हाथी होला , सिंगू वाला खाडू10 ,
मरक्बाल्या भैंसा होला , मैं मार्न औला ।
लोहा की साबली होली , लाल बणाई
चमकदी तरवीरी होली , उंकी पल्याई11 ।
नागू की चौकी बाड़ , होली पैहरा ,
कसु कैक जौलू मैं , तैं नागलोक मा ।
कमर कसदो अर्जुन तब , उसकारा भरदो ।
मैन मरण बचण , नागलोक जाण ।
रात को बगत छयो , दुरपदा सेयीं छयी ,
वैन कुछबोल न चाल्यों , चल दिने नागलोक ।
मदपेन्दा हाती वैन , चौखालू चीरेन ,
लुवा की साबली , नंगून तोड़ीन ।
तब गैं अरजुन , वासुदन्ता का पास ।
तब देखी वासुदन्ता , हाम12 से हाम13 ,
धाम से14 धाम , पूनो जसो चाम ।
नोणीवालो15 नामो , जीरा16 वालो पिंड17 ,
सुवर्ण तरुणी देई , चन्दन की लता ,
पायी पतन्याली , आँखी रतन्याला ,
हीरा कीसी जोत , जोन सी उदोत ।
तब गै अरजुन , सोना रूप बणी ,
बासुदन्तान वो , उठीक बैठाये अर्जुन ,
वीं को मन मोहित होई गये
तब वींन जाण नी दिने घर वो
तू होलो अर्जुन , मेरो जीवन संगाती ,
तू होलो भौंर , मैं होलू गुलाबी फूल ,
तू होलो पाणी , मैं होलू माछी
तू मेरो पराण छई , त्वै मैं जाा न देऊँ ।
तब तखी रगे अरजुन , कई दिन तई ।
जैन्तीवार मा , दुरपदा की निंदरा खुले ,
अर्जुन की सेज देखे , वीनकख गैहोला नाथ ?
जाँदी दुरपदा , कोन्ती मात का पास
हे सासु रौल तुमन , अपणू बेटा भी देखे ?
तब कोन्ती माता , कनो स्वाल देन्दी
काली रूप धरे , अर्जुन तिन भक्ष्याले ,
अर भैंमू सच्ची होण क आई गए ।
तब कड़ा बचन सुणीक दुरपती ,
दममण रोण लगदे ।
तब जांदे दुरपती , बाणू कोठड़ी ,
वाण मुट्ठी वाण , तुमन अर्जुन भी देखे
तब बाा बोदान , हम त सेयां छा ,
हमून नी देखे , हमून नी देखे
औंदा मनखी , पूछदी दुरपता ,
जाँदा पंछियो , तुमन अर्जुन भी देखे
रोंदी छ बरांदी तब , दुरपता राणी ,
जिकुड़ी पर जना , चीरा धरी होन ।
तीन दिन होईन , वीन खाणो नी खायो ,
लाणो नी लायो ।
तब औंद अर्जुन को , सगुनी कागा
तेरो स्वामी दुरपती , ज्यूंदो छ जागदो ।
नागलोक जायूं छ , वासुदन्ता का पास
तब दुरपता को साँस ऐगे ,
पर बासुदन्ता को , नौ सुणीक वा
फूलसी मुरझैगी , डालीसी अलसैगी ।
तबरेक रमकदो छमकदो
अर्जुन घर ऐगे । | garhwali-gbm |
सेले सुवान सोये लोके
सेले सुवान सोये लोके
सेले सुवान सोये लोके
सेले सुवान सोये लोेके हुई
सेले सुवान सोये लोेके हुई
निला मिरचा बगीया चरय
निला मिरचा बगीया चरय
निला मिरचा बगीया चरय हुई
स्रोत व्यक्ति परसराम पठारे , ग्राम लखनपुर | korku-kfq |
गोचाई बाबा गोचाई बाबा
गोचाई बाबा गोचाई बाबा
गोचाई बाबा गोचाई बाबा
बेटी केन दियो रे बनवासी रे
बेटी केन दियो रे बनवासी रे
कोरा कागजो पढ़ना भेज्यो
कोरा कागजो पढ़ना भेज्यो
बेटी केन दियो रे बनवासी रे
बेटी केन दियो रे बनवासी रे
गोचाई बाबा गोचाई बाबा
गोचाई बाबा गोचाई बाबा
बेटी केन दियो रे बनवासी रे
बेटी केन दियो रे बनवासी रे
तकलीफ रे रानी बेटी
तकलीफ रे रानी बेटी
नहीं तो काली गोदन से हो
नहीं तो काली गोदन से हो
स्रोत व्यक्ति लाड़की बाई , ग्राम आंवलिया | korku-kfq |
द्वारे से राजा आए, मुस्की छांटत आए
साभार : सिद्धार्थ सिंह
द्वारे से राजा आए , मुस्की छांटत आए , बिरवा कूचत आए हो
रानी अब तोरे दिन नागिचाने , बहिनिया का आनी लावों हो
हमरे अड़ोस हवे , हमरे पड़ोस हवे , बूढी अईया घरही बाटे हो ,
राजा तुम दुई भौरा लगायो त वहे हम खाई लेबै , ननदी का काम नहीं हो
हम तो सोचेन राजा हाट गे हैं , हाट से बजार गें हैं हो
राजा गएँ बैरिनिया के देस , त हम्मै बगदाय गए हो
छानी छपरा तूरे डारें , बर्तन भडुआ फोरे डारें , बूढा का ठेर्राय डारे हो
बहिनी आए रही बैरन हमारी , त पर्दा उड़त हवे हो
अंग अंग मोरा बांधो , त गरुए ओढाओ , काने रुइया ठूसी दियो हो ,
बहिनी हमरे त आवे जूडी ताप , ननदिया का नाम सुनी हो
अपना त अपना आइहैं , सोलह ठाईं लरिका लैहै , घर बन चुनी लैहैं , कुआँ पर पंचाईत करिहैं हो
बहिनी यह घर घलिनी ननदिया त हमका उजाड़ी जाई हो . . . | awadhi-awa |
462
मगर तितरां दे अन्ना बाज बाज छुटा जा चम्बड़े दाद1 पतालूयां नूं
अन्ना घलया अम्ब अनार वेखन जा लगा ए लैन कचालूयां नूं
घलया फुल गुलाब दे तोड़ लयावी जा चमड़े तत समालूयां2 नूं
अन्ना मुहरे लाया काफले दे लुटवाया साथ दयां चालयां नूं
वारस शह तनूर विच दब बैठा अना घलया रंगन सालूयां नूं | panjabi-pan |
अमवा पत्तो न डोलले, महुआ के पत्तो न डोलले
अमवा1 पत्तो न डोलले2 महुआ के पत्तो न डोलले ।
एक इहाँ डोलले सुगइ सेज हे बेनियाँ ॥ 1 ॥
हरे रँग के बेनियाँ , आँचर3 लगल मोतिया ।
सुरुजे देलन जोतिया ॥ 2 ॥
आग आने4 गेलिअइ5 हम सोनरा के घरवा ।
कउनी6 रे बैरिनियाँ चोरयलक7 मोर हे बेनियाँ ॥ 3 ॥
गेलिअइ हम ननदोहि बनके8 पहुनमा ।
अरे , ननदोसिया के पलँग देखली अपन बेनिया ॥ 4 ॥
मारबो हे धनियाँ हम कादो9 में लेसरि10 के ।
अरे , हमरे बहिनियाँ के लगैलऽ11 काहे12 चोरिया ॥ 5 ॥
सेजिया बिछायब तहाँ धनि पयबइ13 ।
अरे , मइया के जनमल बहिनियाँ कहाँ पयबइ ॥ 6 ॥ | magahi-mag |
चपटी भरी चोखा
चपटी भरी चौखा ने घी नो छे दिवडो
हे श्रीफल नी जोड़ लई ने हालो हालो पावागढ़ जैई ये ने . .
सामे नी पोळ थी मालिडो आवे . . . .
ऐ गजरा नी जोड़ लई ने हालो हालो पावागढ़ जैई ये ने . . . . .
चपटी भरी चौखा ने घी नो छे दिवडो . . . . . .
सामे नी पोळ थी डोसिडो आवे . . . .
ऐ चुंदरी नी जोड़ लई ने हालो हालो पावागढ़ जैई ये ने . . . . .
चपटी भरी चौखा ने घी नो छे दिवडो . . . .
सामे नी पोळ थी कुम्भारी आवे . . .
ऐ माता नो गरबो लई ने हालो हालो पावागढ़ जैई ये ने . . . . .
चपटी भरी चौखा ने घी नो छे दिवडो . . . .
सामे नी पोळ थी सुथारी आवे . . . .
ऐ बाजट नी जोड़ लई ने लई ने हालो हालो पावागढ़ जैई ये ने . . . . .
चपटी भरी चौखा ने घी नो छे दिवडो . . . .
चपटी भरी चौखा ने घी नो छे दिवडो . . . .
हालो हालो पावागढ़ जैई ये ने . . . . . | gujarati-guj |
हरे हरे हरे दादा बसवा कटइहा, ऊँचे-ऊँचे मडवा छवइहा हो
हरे हरे हरे दादा बसवा कटइहा , ऊँचेऊँचे मडवा छवइहा हो
ऊँचेऊँचे मडउवा तले बैठिह हो दादा , सजन लोग छेकले दुवार हो
हरे हरे हरे नाना बसवा कटइहा , ऊँचेऊमचे मडवा छवइहा हो
ऊँचेऊँचे मडउवा तले बैठिह हो नाना , सजन लोग छेकले दुवार हो
हरे हरे हरे बाबा बसवा कटइहा , ऊँचेऊँचे मडवा छवइहा हो
ऊँचेऊँचे मडउवा तले बैठिह हो बाबा , सजन लोग छेकले दुवार हो
हरे हरे हरे चाचा बसवा कटइहा , ऊँचेऊँचे मडवा छवइहा हो
ऊँचेऊँचे मडउवा तले बैठिह हो चाचा , सजन लोग छेकले दुवार हो
हरे हरे हरे मामा बसवा कटइहा , ऊँचेऊँचे मडवा छवइहा हो
ऊँचेऊँचे मडउवा तले बैठिह हो मामा , सजन लोग छेकले दुवार हो
हरे हरे हरे भैया बसवा कटइहा , ऊँचेऊँचे मडवा छवइहा हो
ऊँचेऊँचे मडउवा तले बैठिह हो भैया , सजन लोग छेकले दुवार हो | bhojpuri-bho |
ईसुरी की फाग-9
अब रित आई बसन्त बहारन , पानफूलफल डारन
हारनहद्दपहारनपारन , धामधवलजलधारन
कपटी कुटिल कन्दरन छाई , गै बैराग बिगारन
चाहत हतीं प्रीत प्यारे की , हाहा करत हजारन
जिनके कन्त अन्त घर से हैं , तिने देत दुखदारुन
ईसुर मौरझोंर के ऊपर , लगे भौंर गुंजारन । | bundeli-bns |
मइया तुम नाहक खिसयातीं
मइया तुम नाहक खिसयातीं ।
इनके कँयँ लग जाती ।
पानी मिला दूध में बैचैं ।
तासें गाड़ौ कातीं ।
जे तौ अपने सगे खसम खाँ ।
साँसौं नई बतातीं ।
ईसुर जे बृज की बृजनारीं ।
धजी कै साँप बनातीं । | bundeli-bns |
रसिया रस लूटो होली में
रसिया रस लूटो होली में ,
राम रंग पिचुकारि , भरो सुरति की झोली में
हरि गुन गाओ , ताल बजाओ , खेलो संग हमजोली में
मन को रंग लो रंग रंगिले कोई चित चंचल चोली में
होरी के ई धूमि मची है , सिहरो भक्तन की टोली में
संकलनकर्ता : जगदेव सिंह भदौरिया | bhadrawahi-bhd |
299
सईयो देखो नी मसत अलमसत जोगी जैदा रब्ब दी वल धयान है नी
इना भौरां नूं आसरा रब्ब दा ए घर बार ना तान ना मान है नी
सोने बन्नड़ी देही नूं खाक करके रूलन खाक विच फकर दी बान है नी
सोहणा फुल गुलाब माशूक नढा राज पुतर ते सुघड़ सुजान है नी
जिन्हां भंग पीती सुआह ला बैठे जिनां माहनूआं1 नूं केही कान है नी
जिवें असीं मुटयारियां हां रंग भरीयां तिवें एह भी साडड़ा हान है नी
आओ पुछीए केहड़े देस दा वारस एस दा कौन मकान है नी | panjabi-pan |
सतवन्ती न क्यो लायो पीया रे
सतवन्ती न क्यो लायो पीया रे ,
किनकी जान हरी लायो पीया रे ,
१ कहती मन्दोदरी सुण पीया रावण ,
या नार कहा सी लायो
इनी रे नार क भीतर राखो
वो तपसी दो भाई . . .
पीया रे सतवन्ती . . .
२ कहेता रावण सुण मंदोदरी ,
काय को करती बड़ाई
दस रे मस्तक न बीस भुजा है
जेक तो बल बताऊ . . .
पीया रे सतवन्ती . . .
३ कहती मन्दोदरी सुण पीया रावण ,
क्यो करता राम सी बुराई
चरण धोवो चर्णामत लेवो
नाव क पार लगाव . . .
पीया रे सतवन्ती . . .
४ कहत कबीरा सुणो भाई साधु ,
राखो तो चरण अधार
जनमजनम का दास तुम्हारा
राखो लाज हमारी . . .
पीया रे सतवन्ती . . . | nimadi-noe |
गंगाजल से पाँव पखारल
गंगाजल से पाँव पखारल1 चनन पीढ़ा2 बिछावल , कि हाँ जी ॥ 1 ॥
झारी के झारी गँगाजल पानी , सोने के कलस धरावल3 कि हाँ जी ।
बामे हलधर दाहिन जदुपत , सभ गोवारन4 सँघ आवल5 कि हाँ जी ॥ 2 ॥
नारद आवल बेनु बजवात , बरम्हा बेद उचारे , कि हाँ जी ।
सभ सुन्नरि सभ गारी गावत , मुसकत सीरी गिरधारी , कि हाँ जी ॥ 3 ॥
बसमती चाउर के भात बनावल , मूँग रहर के दाल , कि हाँ जी ।
कटहर , बड़हर , कद्दू , करइला , बैंगन के तरकारी , कि हाँ जी ॥ 4 ॥
रतोआ , खटाइ , अचार , मिठाई , चटनी खूब परोसे , कि हाँ जी ।
बारा , पापड़ , मूँग , तिलौरी आउर दनौरी बनावल , कि हाँ जी ॥ 5 ॥
बजका6 बजुकी आउर पतोड़ा , सबहे भाँति बनावल , कि हाँ जी ।
ऊपर से ढारल7 घीउ8 के चभारो9 धमधम धमके रसोइ , कि हाँ जी ॥ 6 ॥
पंखा जे डोलवथि रुकमिनी नारी , आजु भोजन भल पावल , कि हाँ जी ।
ऊपर दही आउ10 चीनी बिछावल , लौंग सोपाड़ी11 खिलाइ , कि हाँ जी ॥ 7 ॥
जेमन12 बइठल जदुपत , हलधर , जेमत13 हय मुसकाइ , कि हाँ जी ।
जेमिए जुमुए14 जदुपत आचमन कयलन , झारी गंगाजल पानी , कि हाँ जी ॥ 8 ॥
पौढ़ल15 सेज पोंछल मुँह रेसम , रुकमिनी चौर16 डोलावे , कि हाँ जी ।
बड़ रे भाग17 से जदुपत आवल , धन धन भाग हमारो , कि हाँ जी ॥ 9 ॥
फिनु18 आयब इही19 मोर डगरिया , करूँ अंगेया20 अंगीकारे21 कि हाँ जी ।
नारद गावत , बरम्हा गूनत22 धन रुकमिनी तोर भागे , कि हाँ जी ॥ 10 ॥ | magahi-mag |
बइण जिन घर आनन्द बधाओ
बइण जिन घर आनन्द बधाओ । ।
हऊँ तो अचरज मन माही जाणती ,
हऊँ तो बाग लगाऊँ दुई चार ,
ओ तो आई मालण , फुलड़ा लई गई ,
म्हारो बाग परायो होय ,
हऊँ तो अम्बा लगाऊँ दस पाँच ,
ओ तो आई कोयळ कैरी लई गई ,
म्हारो अम्बो परायो होय ,
हऊँ तो पुत्र परणाऊँ दुई चार ,
ओ तो आई थी बहुवर ,
पुत्र लई गई , म्हारो पूत पराया होय ,
हऊँ तो कन्या परणाऊँ दुई चार ,
ओ तो आया साजन , कन्या लई गया ,
म्हारी कन्या पराई होय ,
एक सास नणद सी सरवर रहेजे ,
जीभ का बल जीतजे । ।
एक देराणी जेठाणी सी सरवर रहेजे ,
काम का बल जीतजे । ।
एक धणी सपूता सी सरवर रहेजे ,
कूक का बल जीतते । । | nimadi-noe |
विवाह गीत
सोनार्यो कांटो मारा नाक मा रे ।
चूड़िलो चमके मारा हात मा रे ।
चांदी ना झेला मारा मंुड मा रे ।
चूड़िलो चमके मारा हात मा रे ।
चांदी नो हार मारा गला मा रे ।
चूड़िलो चमके मारा हात मा रे ।
चांदी ना विछा मारा पाय मा रे ।
चूड़िलो चमके मारा हात मा रे ।
चांदी ना हाटका मारा हात मा रे ।
चूड़िलो चमके मारा हात मा रे ।
हे सखी मेरी नाक में सोने का काँटा , हाथ में चूड़ा चमक रहा है । मेरे सिर पर चाँदी का झेला , गले में हार , पाँव में बिछिया और हाथ में हटका सुशोभित है । इन सभी में हाथ का चूड़ा खूब चमक रहा है । | bhili-bhb |
जाट का मैं लाडला
जाट का मैं लाडला तिरखा लगी सरीर
अगन लगी बुझती नईं , बिना पिए जलनीर
बिना पिए जलनीर , रस्ते में कुयाँ चुनाया
किस पापी ने यै जुल्म कमाया , उस पै डोल ना पाया
भावार्थ
' मैं जाट पिता का लाड़ला पुत्र हूँ , मुझे प्यास लगी है । मेरे मन में जो आग लगी है वह बिना पानी पिए नहीं
बुझेगी । हालाँकि रास्ते में पक्का कुआँ बना हुआ है लेकिन न जाने किस पापी ने यह ज़ुल्म किया है कि उस पर
डोल नहीं रखा है । | haryanvi-bgc |
गोरे-गोरे गालों पै जंजीर
गोरे गालों पै जंजीरौ मति डारै लाँगुरिया ॥ टेक
ससुर सुनें तो कुछ ना कहेंगे ,
सास देख देगी तसिया ॥ गोरे गालों पै .
जेठ सुनें तो कुछ न कहेंगे ,
जिठनी देख देगी तसिया ॥ गोरे गालों पै .
देवर देखे तो कुछ ना कहेंगे ,
दौरानी देख देवै तसिया ॥ गोरे गालों पै .
नन्दोई सुनें तो कुछ न कहेंगे ,
ननद देख देगी तसिया ॥ गोरे गालों पै . | braj-bra |
ईसुरी की फाग-28
मिलकै बिछुर रजउ जिन जाओ
पापी प्रान जियाओ ।
जबसे चरचा भई जाबे की
टूटन लगो हियाओ ।
अँसुआ चुअत जात नैनन सैं
रजउ पोंछ लो आओ ।
ईसुर कात तुमाये संगै
मेरौ भओ बिआओ ।
भावार्थ
महाकवि ' ईसुरी ' अपने विरह का वर्णन करते हुए कहते हैं — रजउ , तुम मिलकर बिछड़ मत जाना । मेरे पापी प्राणों को जी लेने दो । जबसे तुम्हारे जाने की चर्चा सुनी है मेरा दिल टूटने लगा है । मेरे आँसुओं को तुम्हीं आकर पोंछ दो । ईसुर कहते हैं कि तुम्हारे साथ मेरा ब्याह हुआ है । | bundeli-bns |
ऊंचा डाना बटि, बाटा-घाटा बटि
ऊंचा डाना बटि , बाटाघाटा बटि ,
ऊंचा ढूंगा बटि , सौवा बोटा बटि ,
आज ऊंणे छे आवाज ,
म्यर पहाड़ , म्यर पहाड़ ।
ऊंचा पहाड़ को देखो , डाना हिमाला को देखो ,
और देखि लियो , बदरीकेदार
म्यर पहाड़
यांको ठंडो छू पांणि , नौवाछैया कि निशानी ,
ठंडीठंडी चली छे बयार
म्यर पहाड़
जयजय गंगोतरी , जयजय यमनोतरी ,
जयजय हो तेरी हरिद्वार
म्यर पहाड़
तुतरी रणसिंहा तू सुण
दमुआ नंगारा तू सुण
आज सुणिलै तू हुड़के की थाप
म्यर पहाड़ , म्यर पहाड़ | kumaoni-kfy |
पहिली गवन के मोला देहरी बैठाये
पहिली गवन के मोला देहरी बैठाये
न रे सुआ हो छाँडि चले बनिजार
काकर संग खेलहूँ , काकर संग खाहूँ
काला राखों मन बांध , न रे सुआ हो
छाँडि चले बनिजार
खेलबे ननद संग सास संग खाबे
छोटका देवर मन बांध न रे सुआ हो
छाँडि चले बनिजार
पीवरा पात सन सासे डोकरिया
नन्द पठोहूँ ससुरार न रे सुआ हो
छोटका देवर मोर बेतवा सरीखे कइसे
राखों मन बांध न रे सुआ हो
छाँडि चले बनिजार . . .
तोर अँगना म चौरा बंधा ले
कि तुलसा ल देबे लगाय
नित नित छुइबे नित नितं लीपबे
कि नित नित दियना जलाय
तुलसा के पेड़ ह हरियर हरियर
कि मोर नायक करथे बनिजार
जब मोर तुलसा के पेड़ झुर मुर जाही
कि मोर नायक गये रन जूझ न रे सुआ हो नायक | chhattisgarhi-hne |
की बे-दरदाँ संग यारी
की बेदरदाँ संग यारी । रोवण अक्खिआँ ज़ारो ज़ारी ।
सानूँ गए बेदरदी छड्ड के ,
हिजरे1 साँग सीने विच्च गड्ड के ,
जिस्मों जिन्द नूँ लै गए कढ्ढ के ,
एह गल्ल कर गए हैं सिआरी ,
की बेदरदाँ संग यारी ।
बेदरदाँ दा की भरवासा ,
खौफ नहीं दिल अन्दर मासा ,
चिड़िआँ मैत गवाराँ हासा ,
मगरों हस्स हस्स ताड़ी मारी ,
की बेदरदाँ संग यारी ।
आवण कैह गए फेर ना आए ,
आवण दे सभ कौल भुलाए ,
मैं भुल्ली भुल्ल नैण लगाए ,
केहे मिले सानूँ ठग्ग बपारी ,
की बेदरदाँ संग यारी ।
बुल्ले शाह इक्क सौदा कीता ,
ना कुझ नफा ना टोटा लीता ,
दरद दुःखाँ दी गठड़ी भारी
की बेदरदाँ संग यारी । रोवण अक्खिआँ ज़ारोज़ारी । | panjabi-pan |
आल्हा ऊदल
नौ सौ तोप चले सरकारी मँगनी जोते तीन हजार
बरह फैर के तोप मँगाइन गोला से देल भराय
आठ फैर के तोप मँगाइन छूरी से देल भराय
किरिया पड़ि गैल रजवाड़न में बाबू जीअल के धिरकार
उन्ह के काट करों खरिहान
चलल जे पलटन इंदरमन के सिब मंदिर पर पहुँचल जाय
तोप सलामी दगवावल मारु डंका देल बजवाय
खबर पहुँचल बा रुदल कन भैया आल्हा सुनीं मोर बात
करव तैयार पलटन के सिब मंदिर पर चलीं बनाय
निकलल पलटन रुदल के सिब मंदिर पर पहुँचल बाय
बोलल राजा इंदरमन बाबू रुदल सुनीं मोर बात
डेरा फेर दव एजनी से तोहर महा काल कट जाय
तब ललकारे रुदल बोलल रजा इंदरमन के बलि जाओं
कर दव बिअहवा सोनवा के काहे बढ़ैबव राड़
पड़ल लड़ाइ है पलटन में झर चले लागल तरवार
ऐदल ऊपर पैदल गिर गैल असवार ऊपर असवार
भुँइयाँ पैदल के नव मारे नाहिं घोड़ा असवार
जेत्ती महावत हाथी पर सभ के सिर देल दुखराय
छवे महीना लड़ते बीतल अब ना हठे इंदरमन बीर
चलल ले राजा बघ रुदल सोनवा कन गैल बनाय
मुदई बहिनी मोर पहुँच वाय | bhojpuri-bho |
47
दोहां बाहां तों पकड़ रंझेटड़े नूं मुड़ आण बेड़ी विच चाढ़या ने
तकसीर1 मुआफ कर आदमी दी मुड़ आण बहिश्त विच वाड़या ने
गोया ख्वाब दे विच अजराइल2 डिठा ओहनूं फेर मुड़ अरश ते चाढ़या ने
वारस शाह नू तुरत नुहाए के ते बीबी हीर दे पलंघ ते चाढ़या ने | panjabi-pan |
धनुष यज्ञ साला से मुनि जी आये दो बालक ले आये
धनुष यज्ञ साला से मुनि जी आये दो बालक ले आये ।
देखो सांवले हैं राम , लखन गोरे हैं माई
शोभा बरनी न जाई ।
सो धन्य उनकी माता , जिन गोद है खिलाये । देखो . . .
जुड़े राजा की समाज ,
बड़ेबड़े महाराज , आये लंकाधिराज
धनुष जोर से उठाये धनुष डोले न डुलाये । देखो . . .
कहत लछिमन से राम , भइया धरती लो थाम ,
मची बड़ी धूमधाम
शीश मुनि को नवाये , धनुष लिये हैं उठाये । देखो . . .
तोड़ शंकर धनु भारी , जाको शब्द भयो भारी
हरसित हो गये नरनारी
सुनके सुर मुनि फूल हैं बरसाये । देखो . . .
देखो जानकी जी आई , सखी संग में ले आईं
कर में माल है सुहाई
प्रेम विवश पहिराई न जाई । देखो . . . | bundeli-bns |
मियन मूठीढाना बोको बारुनी मुठीढाना
मियन मूठीढाना बोको बारुनी मुठीढाना
मियन मूठीढाना बोको बारुनी मुठीढाना
बोको टारो बानी डानजो बोका सा आलम बूमकी कठिये
बोको टारो बानी डानजो बोका सा आलम बूमकी कठिये
मिइनी चोको बोको साले रीनी चोकीन
मिइनी चोको बोको साले रीनी चोकीन
बोका साले अनी चोकेज बोको आले मेड्डा जोरो
बोका साले अनी चोकेज बोको आले मेड्डा जोरो
बान गोजू डोडू बोको मानी गोजू डागी
बान गोजू डोडू बोको मानी गोजू डागी
बोका डंडा डुसमन करनी डाये
बोका डंडा डुसमन करनी डाये
बोग भगवान के बकीमा दोषो
बोग भगवान के बकीमा दोषो
बोको चाँद सूरजो केन बाकीमा दोषो
बोको चाँद सूरजो केन बाकीमा दोषो
बोको डंडी डुसमन करनी डाये
बोको डंडी डुसमन करनी डाये
स्रोत व्यक्ति चारकाय बाई , ग्राम माथनी | korku-kfq |
अधेरी घिर आई धीरे-धीरे
अंधेरी घिर आई धीरेधीरे
कां से आई वर्षा , कां से आये बादर
कां से आये साजन धीरेधीरे । अंधेरी . . .
पूरब से आये बादर , पश्चिम से आई वर्षा
उत्तर से आये साजन धीरेधीरे । अंधेरी . . .
कैसे आये बादर हो कैसे आई वर्षा
हां कैसे आये साजन धीरेधीरे । अंधेरी . . .
गरज के बादर , बरस के आई वर्षा
हँसत आये साजन धीरेधीरे । अंधेरी . . . | bundeli-bns |
विवाह गीत (गाली)
बयड़ी आडल ढुलकी वाजे हो ।
बांगड़ भड़के झुणी वो ।
तारो माटी रामस्यो आवे वो ,
बांगड़ भड़के झुणी वो ।
तारा माटी नो मांडवो वो , मांडवे नाचण आइ ।
हामु हजार भर्या ने , हामु मांडवे आइ ।
तारा माटी नो मांडवो वो , मांडवे नाचण आइ ।
बारात दुल्हन के यहाँ आती है तब मंडप में वर पक्ष की औरतं भी नाचती है ।
वधू पक्ष की औरतें गालियाँ गाती हैं ।
टेकरी की आड़ पीछे में ढोलक बज रही है तुम भड़कना मत । यह मंडप रामसिंह का है । तुम्हारे लाड़ले का है जो तुम मांडवे में नाचने को आ गईं ? उत्तर में वर पक्ष की औरतें गीत में कहती हैं कि हमने दहेज में लड़की के पिता को एक हजार रुपये दिये तब हम नाचने को आई हैं । | bhili-bhb |
496
साह काला ते होठां ते लहू लगा किसे नीली नूं ठोकरां लाइयां नी
किसे हो वेदरद लगाम दिती अडियां वखियां विच चुभोइयां नी
ढिला होए के किसे मैदान दिता , लाइयां किसे महबूब सफाइया नी
वारस शाह मियां होनी हो रही हुन केहियां रिंकतां1 चाइयां नी | panjabi-pan |
328
नैना हीर दियां वेख के आह भरदा वांग आशकां अखियां मीटदा ए
जिवें खसम कुपतड़ा रन्न गुंडी कीता गल नूं पया घसीटदा ए
रन्नां गुंडियां वांग फरफेज1 करदा तारन हारड़ा लगड़ी परीत दा ए
घत घगरी बहे एह वढा ठेठर2 उसतादड़ा किसे मसीत दा ए
चूंडियां वखियां विच एह वढ लैंदा पिछों आपणी वार एह चीकदा ए
इके खैर हथा नहीं एह रावल इके चेलड़ा किसे पलीत दा ए
ना एह जिन्न ना भूत न रिछ बांदर ना एह मुनया किसे अतीत दा ए
वारस शाह परेम दी ज़ील3 न्यारी न्यारा अंतरा इशक दे गीत दा ए | panjabi-pan |
ईसुरी की फाग-19
तुमखों देखौ भौत दिनन सें
बुरौ लगत रओ मन सें
लुआ न ल्याये पूरा पाले के
कैबे करी सबन सें
एकन सें विनती कर हारी
पालागन एकन सें
मनमें करै उदासी रई हों
भई दूबरी तन सें
ईसुर बलम तुमइये जानौ
मैंने बालापन सें ।
भावार्थ
इस चौघड़िया में ईसुरी रजऊ की व्यथा को व्यक्त कर रहे हैं । देखिए — आज तुम्हें बहुत दिनों में देखा , मन में बहुत बुरा लगता था । मैं पासपड़ोस में सबसे कहती थी , लेकिन मुझे कोई लिवा कर नहीं लाया । किसी से विनती करती , किसी के पैर पड़ती लेकिन मैं हार गयी । मन से उदास रहती थी सो तन से भी दुबली हो गयी हूँ । मैंने तो बचपन से ही तुम्हें अपना प्रियतम जाना है । | bundeli-bns |
कुइयाँ असथान पर मुँजवा के थलवा
कुइयाँ1 असथान पर मुँजवा के थलवा । 2
मूँज चीरे चललन , बरुआ कवन बरुआ ॥ 1 ॥
चिरथिन3 कवन चच्चा मूँज के हे थलवा ।
मूँज चीरे चललन बाबा हो कवन बाबा ॥ 2 ॥
तहाँ4 कवन बरुआ लोटिपोटि रोवलन5 ।
भुइयाँ लोटि रोवलन , दहु बाबा हमरो जनेऊ हो ॥ 3 ॥
झरलनझुरलन6 जाँघ बइठवलन7 ।
देबो बाबू तोहरो जनेऊ हो ॥ 4 ॥ | magahi-mag |
218
पैचां पिंड दयां सच तों तरक कीती काज़ी रिशवतां मारके चोर कीते
पहले होरनां नाल करार करके तम्हा वेख दामाद चा होर कीते
गल करे ईमान दी कढ छडनपैंच पिंड दे ठग ते चोर कीते
अशराफ1 दी बात मनजूर नाहीं चोर चैधरी अते लंडोर कीते
कां बाग दे विच कलोल करदे कूड़ा फोलने दे उते मोर कीते | panjabi-pan |
फाग गीत
बदिंल्या घड़इदो देवर , घर में थारो सारो रे ॥
दाम तो परण्या रा लाग्या , नाव थारो रे कि देवर म्हारो रे ॥
कि देवर म्हारो रे , हरिया रूमाल वाळो रे , कि देवर म्हारो रे ॥
एक भाभी लाड़ से देवर से कहती है कि घर में मुझे तेरा सहारा है , मुझे बिन्दी घड़वा दें । ब्याह में पैसे तो मेरे पति के लगे , किन्तु नाम तेरा है । मेरा देवर हरे रूमाल वाला है । इसका दूसरा अर्थ भी लगाया जा सकता है । | bhili-bhb |
469
लिया हीर सयाल सो दीद करिए आ जाह ओ दिलबरा वासता ई
जाके आख रांझा तैनूं याद करदा घुंड लाह ओ दिलबरा वासता ई
सानूं महर दे नाल वखाल सूरत मुख माह ओ दिलबरा वासता ई
जुलफ नाग वांगूं कुंडल घत बेठी गलों लाह ओ दिलबरा वासता ई
दिने रात ना जोगी नूं टिकाण देंदो तेरी चाह ओ दिलबरा वासता ई
लोड़ें लुटिया नैणां दी सांग देके मुड़ जाह ओ दिलबरा वासता ई
गल कपड़ा इशक दे कुठियां देहों घाह ओ दिलबरा वासता ई
सदका सैदे दे नवें पयार वाला मिल जा ओ दिलबरा वासता ई
वारस शाह नजाम दा करज वडा सिरों लाह ओ दिलबरा वासता ई | panjabi-pan |
ईसुरी की फाग-2
बैठी बीच बजार तमोलिन ।
पान धरैं अनमोलन ।
रसम रीत से गाहक टेरै , बोलै मीठे बोलन
प्यारी गूद लगे टिपकारी , गोरे बदन कपोलन
खैर सुपारी चूना धरकें , बीरा देय हथेलन
ईसुर हौंस रऔ ना हँसतन , कैऊ जनन के चोलन
भावार्थ
अपने द्वार बैठी तुम तमोलन अनमोल पान धरे हो । रम्य रीति से ग्राहकों को बुलाती हो और मुस्कराती हो तो तुम्हारे
गाल पर जो फोड़े का निशान रह गया है , वह कितना प्यारा लगता है । जब चूना , कत्था , सुपारी मिलाकर पान किसी
की हथेली पर रखती हो तो किसको होश रह जाता होगा । | bundeli-bns |
भागीरथ ने करी तपस्या
भागीरथ ने करी तपस्या ,
गंगा आन बुलाई मोरे लाल ।
सरग लोक से गंगा निकरी ,
शंकर जटा समानी मोरे लाल । भागीरथ . . .
शंकर जटा से निकली गंगा
जमुना मिलन खों धाईं मोरे लाल । भागीरथ . . .
मिलती बिरियां गंगा झिझकी
हम लुहरी तुम जेठी मोरे लाल । भागीरथ . . .
हम कारी तुम गोरी कहिये
तुमरोई चलहै नाम मोरे लाल । भागीरथ . . .
इतनी सुनके गंगा उमड़ी
दोई संग हो गईं मोरे लाल । भागीरथ . . .
जो कोऊ संगम आन नहाहै ,
तर जैहें बैकुंठ मोरे लाल । भागीरथ . . . | bundeli-bns |
पल्लै पड़ि गई बारह बीघा में
पल्लै पड़ि गई बारह बीघा में लगा दई भुटिया ॥
ससुर भी सोबै सास भी सोवें दै दै टटिया ।
हम लाँगुर दोनों मैंड़ पै डोलें लै लै लठिया ॥
पल्ले पड़ि गई .
जेठ भी सोवै जिठानी भी सोवै दै दे टटिया ।
हम लांगुर दोनों मैंड़ पर डोलें लै लै लठिया ॥
पल्ले पड़ि गई .
देवर भी सोवै दौरानी भी सोवै दै दै टटिया ।
हम लांगुर दोनों मैंड़ पर डौलें लै लै लठिया ॥
पल्ले पड़ि गई .
बालम भी सोवै सौतन भी सोवे दै दै टटिया ।
हम लांगुर दोनों मैंड पर डोलें लै लै लठिया ॥
पल्ले पड़ि गई . | braj-bra |
बुझो बूझो गोरखनाथ अमरित बानी
बुझो बूझो गोरखनाथ अमरित बानी
बरसे कमरा भींजे ल पानी जी
कौआ के डेरा मा पीपर के बासा
मुसवा के बिला म बिलई होय नासाजी
बूझो बूझो . . . . .
तरी रे घैला उप्पर पनिहारी
लइका के कोरा म खेले महतारी जी
बुझोबुझो
भागे ले कुकुर भूँके ले चोर
मरगे मनखे झींकत हे डोर जी
बुझोबुझो
बांधे ले घोड़ा , भागे ले खूंटा
चढ़ के नगाड़ा बजावत हे ऊंटा जी
बुझोबुझो
पहली हे पूछें पीछे भय माई
चेला के गुरू लागत हे पाईं जी
बुझोबुझो | chhattisgarhi-hne |
कारे सबरे होत बिकारे
कारे सबरे होत बिकारे ,
जितने ई रंग बारे ।
कारे नाँग सफाँ देखत के ,
काटत प्रान निकारे ।
कारे भमर रहत कमलन पै ,
ले पराग गुंजारें ।
कारे दगावाज हैं सजनी ,
ई रंग से हम हारे ।
ईसुर कारे खकल खात हैं ,
जिहरन जात उतारे । | bundeli-bns |
हमखो तो चिन्ता हो रही
हमखों तो चिन्ता हो रही ,
पिया कैसे मनाऊं सबको ।
सासो हमारे घर आयेंगी पिया ,
चरूआ चढ़ाई नेग मांगेंगी पिया ।
कैसे मनाऊं उनको । हमखों . . .
काहे की चिन्ता तुम करो धना ,
चरूआ चढ़ाई नेग मांगेंगी धना ।
अपने नैहर के कंगना ,
तुम देना पहिनाय उनको । हमखों . . .
जिठानी हमारे घर आयेंगी , भला
लड्डू बंधाई नेग मांगेंगी
अपने नैहर के झुमका जिठनी ,
रानी को देना पहिनाय । हमखों . . .
ननदी हमारे घर आयेंगी ,
भला छठिया धराई नेग मांगेंगी
अपने नैहर के कंगना ,
ननदी रानी को देना पहिनाय । हमखों . . .
देवर हमारे घर आयेंगे धना ,
बंशी बजाई नेंग मांगेगे धना ।
तुम देना मनाय उनको । हमखों . . . | bundeli-bns |
आया आया री सासड़ सामण
आया आया री सासड़ सामण मास डोर बटा दे री पीली पाट की
आया तो बहुअड़ री आवण दे जाय बटाइयो अपने बाप कै
आया आया री सासड़ सामण मास पटड़ी घड़ा दे चन्दन रूख की
आया तो बहुड़ री आवण दे जाय घड़ाइयो अपणे बाप कै
आया आया री सासड़ सामण मास हमनै खंदा दे री म्हारे बाप कै
इब तो बहुअड़ री खेती का काम फेर कदी जाइयो री अपणे बाप कै | haryanvi-bgc |
लाद चल्यो बंजारो अखीर कऽ
लाद चल्यो बंजारो अखीर कऽ
१ बिना रे भाप का बर्तन घड़ीयाँ ,
बिन पैसा दे रे कसोरा
मुद्दत पड़े जब पछा लेगा
घड़त नी हारयो कसारो . . .
अखीर कऽ . . .
२ भातभात की छीट बुलाई ,
रंग दियो न्यारोन्यारो
इना रे रंग की करो तुम वर्णा
रंगत नी हारयो रंगारो . . .
अखीर कऽ . . .
३ राम नाम की मड़ीया बणाई ,
वहा भी रयो बंजारो
रान नाम को भजन कियो रे
वही राम को प्यारो . . .
अखीर कऽ . . .
४ कहेत कबीरा सुणो भाई साधु ,
एक पंथ नीरबाणी
इना हो पंथ की करो हो खोजना
जग सी है वो न्यारो . . .
अखीर कऽ . . . . | nimadi-noe |
अंगिका फेकड़ा
औका बौका , तीन तड़ौका
लौआ लाठी , चन्नन काठी ।
बाग रे बग डोलडोल
सम्मर में करेला फूले
एक करेला नाम की ?
आई बिआई फूलेॅ पानेॅ पचकी जा ।
धान कूटेॅ धनियाँ , बैठोॅ बभनियाँ
केला के चोप लेॅ केॅ दौड़ेॅ कुम्हैनियाँ ।
अट्टापट्टा , नूनू केॅ पाँच बेट्टा
कोय गेलै गाय चराय लेॅ , कोय गेलै भैंसी में
नूनू हाथोॅ में दूधभात
गसगस खैलकै ।
औकाबौका , तीन तड़ौका
लौआलाठी , चन्दन काठी ।
बाग रे बग डोलडोल
पनिया चुभुक ।
चौबे चकमक दूबे नवाब
पांडे पंडित , मिसिर चमार ।
चौधरीमौधरी काठ के दीया
चौधरी
छियाछिया ।
औकाबौका , तीन तड़ौका
लौआलाठी , चन्नन काठी ।
चल गे बेटी गंगा पार
गंगा पार से आनबौ रेल
रेल गेलो चोरी ,
टलो कटोरी
इरिचमिरिच मरचाइन केॅ झावा
हाथी दाँत सबुर नै पावा ।
औकाबौका , तीन तड़ौका
लौआलाठी , चन्नन काठी
चल चल बहिनो पार गे
पारोॅ सें करेली लान
पक्कापक्का हम्में खाँव
कच्चाकच्चा तोहें खो
पकड़ बुच्ची कान गे ।
पुड़िया रे पुड़िया
घीयोॅ में चपोड़िया ।
माथ पर धुम धाम
पकड़ कनेठिया । | angika-anp |
पांच मोहर लई मारूजी बाग सिधारिया
पांच मोहर लई मारूजी बाग सिधारिया
बागां में कसुम्बो मोलायो
म्हारा हंजा मारू घांट रंगायो
घांट जो पेरी मारूणी तम घर जो आया
नणदल मसलो जो बोली
केवो भावज भारा बापरंगायो , के थारी माय पठायो
म्हारा हंजा मारू घांट रंगायो
ससरा कमाया बईजी , सासू ने संगच्या
आलीजा भंवरा ने रंगायो
घांट जो पेरी मारूणी सेज सिधारी
सोकड़ की नजरां जो लागी
मुखड़े नी बोले , मारूणी नजरां नी देखे
सायधन को सायबो बिलखत फिरे
इन्दौर शहर को बैद बुलांवा
तारूणी की नबज बतावां
कोटाबूंदी की मारूजी जाण बुलांवा
मारूणी पे झाड़णी नखांवा
मोहरमोहर को मारूणी झाड़नी नखावां
रूपईया से नजर हेड़ांवा
नजरां हो देखे , मारूणा मुखड़े हो बोल्या
सायधन को सायबो हरकत फिरे
अपणा शहर में मारूणी शक्कर बटांवा
अपणा शेर में मारूणी नारेल बटांवा
मारूणी का जी की बधई । | malvi-mup |
ओ नये नाथ सुण मेरी बात
ओ नये नाथ सुण मेरी बात ,
या चन्द्रकिरण जोगी तनै तनमनधन तै चाव्है सै
नीचे नै कंमन्द लटकार्ही चढ्ज्या क्यूँ वार लगावै सै
मेरे कैसी नारी चहिये तेरे कैसे नर नै ,
बात सुण ध्यान मैं धर कै २
दया करकै नाचिये मोर , मोरणी दो आंसू चाव्है सै
नीचे नै कंमन्द लटकार्ही चढ्ज्या क्यूँ वार लगावै सै | haryanvi-bgc |
आमार मनेर मानुष, प्राण सइ गो (भाटियाली)
आमार मनेर मानुष , प्राण सइ गो
पाइगो कोथा गेले ।
आमि याबो सेइ देशे
से देशे मानुष मिले । ।
यदि मनेर मानुष पेतेम तारे हद मझारे
बसाइताम अति यतन कइरे । . ।
आमि मनसुते माला गेंथे
दिताम ताहार गले । ।
भेवे छिलाम मने मने , से याबे ना आमार छेड़े ,
आरे आपन बइले ।
से ये फाँकि दिये गेलो चले ,
ऐ कि छिल मोर कपाले । ।
इसी प्रकार यह गीत दैहिक अथवा काया संबंधित है
आरे मन माझि , तोर बैठा नेरे ,
आमि आर बाइते पारलाम ना ।
आमि जनम भइरा बाइलाम बैठा रे
तरी भाइटाय रय , आर उजाय ना । ।
ओरे जंगीरसी यतइ कसि ,
ओ रे हाइलेते जल माने ना ।
नायेर तली खसा गुरा भांगारे ,
नाव तो गावगयनि माने ना । । | bengali-ben |
अंगिका बुझौवल
बन जरेॅ , बनखंड जरेॅ
खाड़े जोगी तप करेॅ ।
दीवाल , भीत
फूलेॅ नै फरै ढकमोरै गाछ ।
ढिबरी
हीलेॅ डोरी , कूदेॅ बाथा ।
डोरीलोटा
फूल नै पत्ता , सोझे धड़क्का ।
पटपटी मोथा जाति का एक पौधा
मीयाँ जी रोॅ दाढ़ी उजरोॅ
मकरा नाँचै सूतोॅ बढ़ेॅ ।
ढेरा सें सुथरी की रस्सी बाँटना
जोड़ा साँप लटकलोॅ जाय
सौंसे दुनिया बन्हलोॅ जाय ।
रस्सी
छोटकी पाठी पेट में काठी
पाठीकाठी रग्गड़ खाय
सौंसे गाँव दिया जराय ।
दियासलाई
उथरोॅ पोखर तातोॅ पानी
ललकी गैया पीयेॅ पानी ।
दिया
करिया हाथी हड़हड़ करेॅ
दौड़ेॅ हाथी चकमक बरेॅ ।
बादल बिजली
झकमक मोती औन्होॅ थार
कोय नै पावै आरपार ।
आकाश और तारे
नेङड़ा घोड़ा हवा खाय
कुदकी केॅ छप्पर चढ़ि जाय ।
धुआँ
जल काँपै , तलैया काँपै
पानी में कटोरा काँपै ।
जल में चाँद की परछाँही | angika-anp |
80
खुआजा खिजर ते शकरगंज बोज़ खोरी मुलतान दा जिकरिया पीर नूरी
होर सयद जलाल बुखारिया सी अते लाल शाहबाज ते बहशत हूरी
तुररा खिजर रूमाल शकरगंज दित्ता अते मुंदरा लाल शहबाज नूरी
खंजर सयद जलाल बुखारीये दा खूंडी जिकरीए मीर ने हिक बूरी
तैनूं भीड़ पवे करीं याद जटा वारस शाह ना जानना पलक दूरी | panjabi-pan |
उठती सी बरिआं मनै आलकस आवै
उठती सी बरिआं मनै आलकस आवै
चालदी नै बाट सुहावै
री सो हर की प्यारी
नित उठ गंगा जी मैं न्हाणा
नित उठ धारा जी मैं न्हाणा
री सो हर की प्यारी
हाथ लोटा कांधे धोती
सखि जगावण जाणा
री सो हर की प्यारी
नित उठ गंगा जी मैं न्हाणा
हाथ बी धोए पैर बी धोए
अंग मल मल धोए
री सो हर की प्यारी
नित उठ गंगा जी मैं न्हाणा
नहाए धेए जद बाहर लीकड़ी
गंगा जी नै सीस नुआया
री सो हर की प्यारी
नित उठ गंगा जी मैं न्हाणा
चन्दर सखी भजो बाल किरसन
जब हर के चरण चित लाया
री सो हर की प्यारी | haryanvi-bgc |
पाणी मऽ की पगडण्डी हो माता ब्याळु मऽ की वाट जी
पाणी मऽ की पगडण्डी हो , माता ब्याळु मऽ की वाट जी ।
रनुबाई पीयर संचरिया जी , माता सई नऽ ली संगात जी ।
एक सव तो माता वांजुली , ओ , दुई सव बाळा की माय जी ,
वाळा की माय थारी सेवा कर हो , वाझ नऽ संझो द्वार जी ।
हेडूँ कटारी लहलहे हो , म्हारो ए जीव तजूँ थारा द्वार जी ,
उभी रहो , उभी रहो , वांजुली हो ,
माता मखऽ ढूँडण दऽ भंडार जी ।
सगळो भंडार हऊं ढूँडी आई ,
थारा करमऽ नी तानो बाल जी । | nimadi-noe |
अणी ए गणी मेरी नणदी मनरा फिरै
मेरी नणदी मनरा फिरै
मेरी नणदी मनरे नै ल्याओ रे बुलाय
चूड़ा तै मेरी जान ,
चूड़ा तै हाथी दाँत का
हरी तै चूड़ी री नणदी ना पहरूँ
हरे मेरे राजा जी के खेत
बलम जी के खेत
चूड़ा तै हाथी दाँत का
री नणदी ना पहरूँ
मेरे राजा जी के केश
बलम जी के केश
चूड़ा तै हाथी दाँत का
ना पहरूँ
मेरे राजा जी के दाँत
बलम जी के दाँत
चूड़ा तै हाथी दाँत का | haryanvi-bgc |
कते जल बहै छै मेया कमोॅहे-लेसरी
कते जल बहै छै मेया कमऽहेलेसरी
हे कते जल बहै छै कोसी धार
ठेहुना जल बहैयै मैया कमलेसरी हे
अगमे जल बहे कोसी धार
से हे अगम जल
कहमां नहैले कोसी माय
कहाँ लट झारले
कहमां कैले सोलहो सिंगार
बराछतर से अइले माय कोसिका बाटहि नहैले
गहबर कैले सोलहो सिंगार
जीरबा सन के दँतबा गे कोसीमाय
सिहारी फाड़ल माथ हे
चानन काटि मैया
खाट देबौ घोराय गे सोना से
डँड़बा देबौ छराय गे सोना से
अगिया लगेबौ रे सेवक तोर डँरकस
रानू सरदार छिये हमर लोग । | angika-anp |
हरि भज ले हरि भज ले
हरि भज ले हरि भज ले
हरि भजणै का मोका सै
ये चलती दुनियां सै
टिकट ले हम बी बैठांगे
संभल कै चलणा रे भइआ
पराए संग मैं धोखा सै
हरि भज ले हरि भज ले
हरि भजणै का मोका सै
तेरे माता पिता बन्धु
जगत साथी ना तेरा कोए
जिसे तू आपणा समझै
सरासर उन ते धोखा सै
हरि भज ले हरि भज ले
हरि भजणै का मोका सै | haryanvi-bgc |
555
हाए हाए मुठी मत ना लईया दिती अकल हजार जोगेटया वे
वस पयों तूं वैरियां डाढयां दे की वाह है मुशक लपेटया वे
जेहड़ा खिंडया विच जहान सारे नहीं जावना मूल समेटया वे
राजा अदली है तखत ते अदल करदा खड़ी बांह कर कूक सुखरेटया वे
बिना अकल दे नहीं सभ हसाब होसी तेरे नाल ही मीपां रंझेटया वे
नहीं हूर बहिश्त दा हो जांदी गधा जरी देनाल लपेटया वे
असर सुहबतां दे कर जान गलबा जाह राजे दे पास जटेटया वे
वारस शाह मियां तांबा हाय सोना जदों कीमिया दे नाल भेटिया वे | panjabi-pan |
मन्नू हरिया
वन्दना
लागी गेलै अजमतिया हो गोसैंया , फिरै धरमोॅ के व्येॅ हो वार
माया रचना रचै बाबा हो , अलख भग हो वान
एन्होॅ माया रचलकै बाबा हो , त्रिलोकी भग हो वान
दोनों कर जोड़ी केॅ बाबा हो , लबीलबी करियौं पर हो नाम
हम्में निरबुधिया बाबा हो , करौं धरमोॅ के व्येॅ हो वार
सम्मुख दर्शन दियहवोॅ बाबा हो , भगतिया के हो नजर
हम्में भक्ति के भगत हो बाबा , जपभौं रोजेरोज भगति के
हरि हो नाम
जिनगी में जब तक काया बचतौं बाबा हो
जपभौं हरिहरि हो नाम
भुललोॅचुकलोॅ दाता निरंजन , हमरोेॅ हाजरियो निर हो माय ।
दोहा
गुरू ब्रह्मा अनादि का , हृदय में ध्यान लगाय
हाथ में लेखनी पकड़ के चरण शीष नवाय
कियो विचार मन में यह , लिखूँ हरिया डोम का गीत
‘प्रभात’ लिख दियो सुनी केॅ हरिया डोम का गीत
गाथा वाचक जो मुझे जनायो , लिख दियो कागज पे अमृत ।
हो , हो यहो गाथा छेकै जोति भगत के समय रोॅ हो भाय
जखनी कि जोति जाय छेलै करै लेॅ भगति हरि हो नाम
जोति आरो हरिया डोम दोनों नें चराबै छेलै
एक्के साथें बरेलवा वन में हो सूअर
दोनों बचपन रोॅ छेलै लंगोटिया संगी हो साथी
वही समय में मिललै दोस्त लंगोटिया हरिया डोमा हो भाय
वहीं पलोॅ में दाता निरंजन आपनोॅ सूअर हरिया डोमा केॅ सौंपे
आरो चललै करै लेॅ भगति हरि हो नाम
हरिया डोमा गछी लेलकै जोति के सूअर हो चराय
मजकि डोमा नें जोति सें करलकै एक्के कौल हो करार
हो , रे भाय जोति , तों जे जाय छैं , भगति करै लेॅ जाय छैं
यै भगति के आधाआधी फल बाँटै लेॅ पड़तौ
कहेॅ तेॅ लागलै जोति नें हरिया केॅ समुहो झाय
हे रे भाय हरिया , तोरोॅ यहो बात हम्में स्वीकार करी लेलियौ
है बात बोली चललै करै लेॅ भगति हरि हो नाम
जबेॅ जोति भगति तपस्या करी केॅ घुरलै आपनोेॅ घर हो वार
आपनोॅ दोस्तोॅ के वादा निभाबै लेली
धरी लेलकै दोस्तोॅ के घरोॅ के हो डगर
एक्के कोसे चललै दोसरो कोसे तेसरी चौथोॅ हो कोसेॅ
पहुँची गेलै हरिया के हो द्वार
जोति नें पहुँची केॅ दाता निरंजन , आधाआधी बाँटी
देलकै पंथ हो गोसाँय
तबेॅ दुन्हू दोस्तें अपनाअपनी घरोॅ पर , सेवेॅ लागलै
पंथ आरो हो गोसाँय
पंथ आरो गोसाँय के सेवा सुश्रसा करतेॅकरतेॅ ,
डोमा केॅ हो गेलै धन अपरम हो पार
डोमा केॅ भगति सें रिझलै , पंथ आरो हो गोसाँय
डोमा केॅ जाँचे लेॅ , ऐलै सुरपुर सें एक दिना
पंथ आरो हो गोसाँय
पंथ आरो गोसाँय दाता निरंजन , पहुँची गेलै हरिया डोमा
घरोॅ के हो नगीच
डोमा घरोॅ के नगीच चराबै छेलै एक गैधोरैय नें हो गाय
पंथ आरो गोसाँय दाता निरंजन माया करलकै विस हो तार
पंथे नें ब्राह्मण रूप धरि केॅ पूछलकै धोरैय सें
हरिया डोम के हो घोॅर
गैधोरैय नें हाथोॅ के इशारा सें देलकै डोमा के घर हो बतलाय
आरो पूछेॅ लागलै , हों बाबा तों तेॅ लागै छोॅ कोय महान हो पुरुष
तोहें बाबा कहिनें खोजै छोॅ , हरिया केॅ हो
हौ तेॅ छेकै जाति के हो बाबा डोम
ब्राह्मण नें धौरैय केॅ कहै समु हो झाय
जोॅन दिनमा सें हम्में आपनोॅ गुरू सें , दीक्षा लेलेॅ छियै रे धोरैय
वही दिनमा सें हम्में जातिपाती के नै करै छियै रे वरण ।
एतना कहीकही केॅ ब्राह्मण चललोॅ गेलै हरिया डोमा के हो द्वार
हौ दिना हो दाता निरंजन , सूपडलिया बेचै गेलोॅ छेलै
डोमडोमनियाँ सूजागंज हो बाजार
आरो घरोॅ के जोगबारी में छोड़ी देनें छेलै
आपनोॅ बेटा रणजीत हो कुमार
रणजीत कुमार आपनोॅ संगीसाथी साथें
खेलै छेलै गुल्ली डंडा के हो खेल
ब्राह्मण भेष धरी , पंथेॅ , दाता निरंजन ,
पारेॅ लागलै हरिया डोमा केॅ हो हाँक
हाँक सुनी केॅ दाता निरंजन , गुल्लीडंडा छोड़ी केॅ ऐलै
रणजीत हो कुमार
ब्राह्मण केॅ देखी केॅ दाता निरंजन , दोनोॅ कर जोड़ी केॅ
रणजीत करै पर हो णाम
ब्राह्मण नें मनोॅ सें आशीष दै छै , रणजीत हो कुमार
फिनू रणजीत द्वारी पर सें घुरी आवै छै धरेॅ हो ऐंगन
घरोॅ सें दाता निरंजन रणजीत नें निकालें छै
बट्टू सें पैसा , डाला सें अरबा मोती हो चौर
रणजीत नें द्वारी पर आबी केॅ चौर आरो पैसा दियेॅ लागलै
लीयोॅलीयोॅ हो बाबा , भीक्छा हो हमार
भीक्छा देखतै दाता निरंजन , ब्राह्मण नें रणजीत केॅ
कहै समु हो झाय
सुनेंसुनें बलकबा हम्में नै लेबौ भीक्छा आरो नै छोड़बौ रे द्वार
हम्में रास्ता में एकादशीद्वादशी बरत करनें छियै आरो
बरत निस्तार करी केॅ तोरा द्वारी पर ऐलोॅ छियौ रे बलकवा
हमरा सात दिनरात बिती गेलोॅ छौ
बिनू अन्नेपानी के रे बलकवा
सें तों रे बलकवा हमरा पनियाँ रे पिलाव
कुछु देर सोची केॅ रणजीत कुमारें कहलकै हो भाय
सुनोॅसुनोॅ हो बाबा , सुनोॅ हमरोॅ हो वचन
हे हो बाबा , हम्में छेकां जाति के डोम
सें तों डोमोॅ जाति घरोॅ रोॅ जल केना करभो हो ग्रहण
सुनेंसुनें रे बलकवा , सुनें परेमोॅ के साधु हो भाव
जोॅन दिनां से गुरू सें दीक्षा लेलेॅ छियै रो बलकवा
वही दिनमां सें हम्में जातिपाजी केॅ नै राखै छियै वरण
एतना सुनी केॅ रणजीत नें ब्राह्मण केॅ कहै समु हो झाय
हो बाबा तोरानी रोॅ कृपा सें हमरा छै अनेॅधनोॅ रोॅ बौछार
हो बाबा तोरा मनोॅ में जे खाय के हुवै , हौ बतलाय देॅ हो बाबा
हमरा घरोॅ में कोय चीजोॅ के कमी नै छै हो बाबा
एतना सुनी केॅ ब्राह्मण नें बलकवा केॅ कहै समु हो झाय
सुनेंसुनें रे बलकवा , सुनेॅ परेमोॅ के साधु हो भाव
हमरा दैवैं लिखलेॅ छै रे बलकवा , हरिया हाथोॅ सें भोजन रे सुसार
एतना बातोॅ पर रणजीत नें ब्राह्मण केॅ कहै समु हो झाय
आजु के दिनां हो बाबा हमरोॅ मायबाप गेलोॅ छै
सूपडलिया बेचै लेॅ सूजागंज हो बाजार
एतना सुनी केॅ ब्राह्मण नें रणजीत केॅ कहै समु हो झाय
सुनेंसुनें रे बलकवा , सुनें हमरोॅ रे वचन
जल्दी सें तों बोलाबैं रे बलकवा , बाजारोेॅ से आपनोॅ माय रे बाप
एतना वचन सुनी केॅ रणजीत नें ब्राह्मण केॅ कहै समु हो झाय
हे हो बाबा हम्में केना केॅ जैबोॅ हो बाजार
हमरा मायबाबू नें रखलेॅ छै घरोॅ के ही जोगवार
हो बाबा घरोॅ सें जों एक्को सामान चोरी होय जेतै तेॅ
हमरोॅ पीठी के चमड़ा हो उदार
सुनेंसुनें रे बलकबा , सुनेॅ परेमोॅ के साधु हो भाव
जों तोरा घरोॅ सें एक्कोॅ सामान चोरी होतौ तेॅ
हम्में तोरा देबौ दोबर हो लगाय
जल्दी सें तों जाबें रे बलकबा आपनोॅ माय बाबू रोॅ रे पास
एतना सुनी केॅ रणजीत नें माय रोॅ देलोॅ बाँसुरी निकाली केॅ
फुँकलेॅफुँकलेॅ बाजारोॅ रोॅ डगर धरलकै हो भाय
यै बाँसुरी रोॅ करामत छेलै दाता निरंजन
विपत्ती के धड़ियाँ में आवाज
जों है बाँसुरी कुमार रणजीत नें फूँकै छेलै तेॅ
आवाज पहुँची जाय छेलै मायबाबू रोॅ पास
बाँसुरी फूँकतै दाता निरंजन , माय दौड़ली चललोॅ हो आबै
जेना कि लेरुआ के डकरतैं गैया खमशली चललोॅ हो आबै
डोमनियाँ नें बाँसुरी के आवाज सुनतै हरिया केॅ कहै समु हो झाय
सुनोॅसुनोॅ हो स्वामीनाथ , सुनोॅ परेमोॅ के साधु हो भाव
कोन विपतिया पड़लै हो स्वामीनाथ
जे सुनाय पड़ै छै बाँसुरी के आवाज
जल्दी सें समेटोॅ हो स्वामीनाथ , सूपेॅ आरो हो डलिया
जल्दी सें चलोॅ हो स्वामीनाथ महलोॅ केरोॅ हो ओर
हरियाँ कहै डोमनियाँ केॅ समु हो झाय
सुनेंसुनें सतवरती गे , सुनेॅ परेमोॅ के साधु हो भाव
रोजेरोजे के येहे खबरिया , तेॅ सूपवा केना केॅ बिकतौ
जबेॅ सौदा बिकेॅ लागै छौ गे , तेॅ रोजेरोजे के यहेॅ हो लीला
जेना लागै छौ तोरा जुगा केकरौ आरो बेटा नै रहेॅ
हे हो स्वामीनाथ दोसरा रोॅ बेटा नाचगान करै छै
हमरोॅ हो बेटा स्वामीनाथ , करै छै भगति हरि हो नाम
आबेॅ तेॅ यही बातोॅ पर उठलै दून्हू जीवोॅ में हो लड़ाय
असरा देखतेंदेखतें हो आबी गेलै मायबाबू लुग रणजीत हो कुमार
डोमनियाँ के नजर पड़तैं दौड़ी केॅ रणजीत केॅ हिरदय हो लगाय
कोन बिपतिया पड़लौ रे बेटा जे तोंआबी गेलें रे बाजार
आहो नहीं मोरा मारलकै माता जी कोय संगी हो साथी
नहीं मोरा मारलकै बाबूजी हितुवन हो समाज
रणजीत नें कहलकै मायबाबू केॅ समु हो झाय
सुनोॅसुनोॅ हो मोरा जन्मदाता , सुनोॅ परेमोॅ के साधु हो भाव
आपनोॅ दरवाजा पर एलोॅ छौं एक संत मेह हे मान
वहीं संतेॅ खोजै छौं तोरोॅ मुल हे कात
नै तेॅ भीक्छा लै छौं हो बाबूजी , नै छोड़ै छौं हो द्वार
यही संतेॅ कहे छौं , तोरोॅ बाबू केॅ हाथोॅ सें करबौ भोजन हो आधार
एतना सुनतै तीनोॅ प्राणी चललै आपनोॅ हो महल
घर पहुँचतै हो दाता निरंजन , करलकै ब्राह्मण सें मुल हे कात
हरिया नें दोनोॅ कर जोड़ी केॅ ब्राह्मण केॅ करै पर हे णाम
मनोॅ सें आशीषबा दै छै ब्राह्मणनें हरिया डोम केॅ हो भाय
जियेंजियें रे हरिया , तोरोॅ काया अमर भई हो जाय
सुनेंसुनें रे हरिया , सुनेॅ परेमोॅ के साधु हो भाव
सुनै में हमरा ऐलोॅ छो रे हरिया
तों आजु दिनां बड़ी धरमतमा होलोॅ छै रे
यही लेॅ हम्में ऐलोॅ छियौ तोरोॅ रे द्वार
सात दिनरतियाँ पर हम्में अन्नपानी रोॅ
एकादशीद्वादशी वरत तोड़नें छियै रे
से तों आय खिना शुद्ध माँस भोजन रे कराव
एतना सुनतैं दाता निरंजन , हरिया आचरजोॅ में पड़ी गेलै रे भाय
एतना वचन सुनतैं हरिया ऐलै महलोॅ में डोमनिया केरोॅ हो पास
तबेॅ दुन्हू जीवेॅ मिली केॅ करै लागलै ब्राह्मण के भोजन के विचार
हरिया केॅ डोमनियाँ नें कहै समु हो झाय
सुनोॅसुनोॅ हो स्वामीनाथ , सुनोॅ परेमोॅ के साधु हो भाव
हे हो स्वामीनाथ बिहानी हम्में सुअर चराय खिनी जंगलोॅ में
देखलेॅ छेलियै गाय के खाल उदारलोॅ हो माँस
आभी तांय हो स्वामीनाथ , कोय कौआकुत्ता नै खैलेॅ होतै हो
चलोॅचलोॅ हो स्वामीनाथ , होकरे सुचा माँस काटी केॅ लानी लैबै
डोमनियाँ के बेहवार देखी दाता निरंजन , ब्राह्मण नें माया करलकै
आपनोॅ बिस हो तार
ब्राह्मण नें हो दाता निरंजन , गौ माता के मरलोॅ देहोॅ पर
देलकै अमृत छिड़ हो काय
अमृत छिड़कतैं दाता निरंजन , गैया उठि केॅ चरेॅ लागलै हो भाय
जबेॅ डोमनियाँ के नजर पड़लै गैया पर ,
तेॅ देखै छै गैया केॅ उठि केॅ चरतें हो भाय
है देखी केॅ डोमनियाँ रुकी गेलै हो भाय
डोमनियाँ केॅ रुकतें देखी डोमा पूछेॅ लागलै हो भाय
तबेॅ तेॅ डोमनियाँ के मुँहोॅ के बोली खतम होय गेलै हो भाय
सुनोॅसुनोॅ स्वामीनाथ सुनोॅ परेमोॅ के साधु हो भाव
यहेॅ गैया हो स्वामीनाथ देखलेॅ छेलियै हम्में मरलोॅ हो
एतना सुनतैं डोमा नें डोमनियाँ केॅ कहै समु हो झाय
हेगे सतवरती तों हमरा ठगी रहलोॅ छैं गे
चलेंचलें गे सतवरती सैरा दोहा गे घाट
हम्में सूअरी केॅ पानी पिलाय खिनी देखलेॅ छियै
एक ठो गे लहास
होकरे शुद्ध माँस काटी केॅ भोजन गे बनाय
होंहों दाता निरंजन , दोनों जीव मिली केॅ चललै
सैरा दोहा किनार
जबेॅ दोनों जीव मिली केॅ गेलै सैरा दोहा हो किनार
वही कालोॅ में दाता निरंजन , माया करलकै विस हो तार
माया विसतार करी केॅ दाता निरंजन लहाशोॅ पर अमृत
देलकै छिड़ हो काय
अमृत छिड़कतैं दाता निरंजन , लहासें उठि केॅ जपेॅ लागलै
हरि हो नाम
जबेॅ नदी किनार पहुँचलै तेॅ डोमा पड़ी गेलै
आचरजोॅ में हो भाय
तबेॅ तेॅ डोमनियाँ कहै लागलै डोमा केॅ समु हो झाय
सुनोॅसुनोॅ हो स्वामीनाथ तों कहिनें रुकी गेलोॅ हो
डोमा कहै लागलै डोमनियाँ केॅ समु हो झाय
सुनेंसुनें गे सतवरती सुनें परेमोॅ के साधु हो भाव
हम्में देखलेॅ छेलियै गे सतवरती , है मनुखोॅ केॅ मरलोॅ गे
अखनी देखी रहलोॅ छियै गे , जपी रहलोॅ छै हरिहरि हो नाम
हेकरोॅ मतलब छै गे सतवरती , है कोय ब्राह्मण नै छेकै
है छेकै कोय पंथेॅ हो गोसाँय
जे कि हमरा जाँचै लेॅ आइलोॅ छै द्वार
आबेॅ दोनोॅ प्राणी निराश होय केॅ लौटी चललै
आपनोॅ हो महल
रास्ता में लौटी केॅ दुन्हू जीवें करेॅ लागलै
मने मन हो विचार
हरिया कहै डोमनियाँ केॅ समु हो झाय
सुनेंसुनें गे सतवरती , सुनें परेमोॅ के साधु हो भाव
हमरा मारी केॅ गे सतवरती दहीं ब्राह्मण केॅ भोजन हो कराय
तों गे सतवरती आपनोॅ बेटा लैकेॅ गुजरबसर गे करिहैं
हमरा जुगा गे सतवरती ढेरी मिलतौ गे डोम
एतना सुनी केॅ डोमनियाँ डोमा केॅ कहै समु हो झाय
सुनोॅसुनोॅ हो स्वामीनाथ सुनोॅ परेमोॅ के साधु हो भाव
हमरै मारी केॅ हो स्वामीनाथ ब्राह्मण केॅ देहोॅ भोजन हो कराय
आपनें रही केॅ करिहोॅ राजपाट आरो जीवन हो बसर
हमरा जुगा हो स्वामीनाथ अनेको मिलतौ हो डोमनियाँ
ई सब बातचीत करतेंकरतें पहुँची गेलै हो महल
मायबाबू के पहुँचतें बालक रणजीत भी ऐलै ऐंगन
मायबाबू केॅ झगड़तें देखी बालक रणजीत पूछै हो भाय
कथी लेॅ झगड़ै छोॅ देहोॅ हमरा बत हो लाय
एतना बोल सुनी केॅ हरिया कहै रणजीत केॅ समु हांे झाय
सुनेंसुनें रे दुलरुवा बेटा , सुनें परेमोॅ के साधु हो भाव
हम्में कहै छियै रे बेटा , हमरा मारी केॅ ब्राह्मण केॅ दहीं
भोजन हो कराय
माय कहै छौ रे बेटा , हमरा मारी केॅ दहोॅ भोजन हो कराय
मायबापोॅ के बात सुनी केॅ रणजीत नें मायबापोॅ केॅ
कहै समु हो झाय
सुनोेॅसुनोॅ हो मोरा जन्मदाता सुनोॅ परेमोॅ साधु हो भाव
सुनोॅसुनोॅ हो पिताश्री , आदमी नें गाछ लगाय छै छाया के लेली
बेटा पैदा करै छै सुखोॅ के लेली
बाबूजी हो , बाबू मरला सें लोग सूअर हो कहाबै
माताजी मरला सें लोग टूअर हो कहाबै
से हो तोरानी मरला सें हमरा भारी दुःख ही होतै
यै लेली हो बाबू , तोरानी हमरा मारी केॅ ब्राह्मण केॅ भोजन
देहोॅ हो कराय
एतना सुनी केॅ हरिया नें कहै समु हो झाय
जबेॅ हमरानी तीनों प्राणी मरै लेॅ छोॅ तैयार
तेॅ चलें ब्राह्मण के हो नगीच
तीनों प्राणी हो दाता निरंजन
हाथ जोड़ी केॅ खड़ा होलै ब्राह्मण के हो नगीच
तीनोॅ प्राणी केॅ खड़ा देखी केॅ ब्राह्मण नें हरिया केॅ
कहै समु हो झाय
कीयेॅ रे हरिया भोजन तैयार होलै की नै रै
कीयेॅ रे हरिया तोरोॅ भोजन कराय के मन नै छौ की रे
एतना सुनी केॅ हरिया नें ब्राह्मण केॅ कहै समु हो झाय
सुनोॅसुनोॅ हो ब्राह्मण सुनोॅ परेमोॅ के साधु हो भाव
तोरोॅ जेकरोॅ माँस खाय के इच्छा हुवेॅ , होकरा आज्ञा देॅ हो बाबा
एतना बोल सुनी केॅ ब्राह्मण नें हरिया केॅ कहै समु हो झाय
सुनेंसुनें रे हरिया सुनें परेमोॅ के साधु हो भाव
आभी रणजीत बालक छै शुद्ध रे , हेकरा मारी केॅ भोजन रे कराव
आरो सुनी ले रे हरिया , जों रणजीत केॅ मारै खिनी एक्को बूँद
लोर गिरलौ तेॅ हम्में भोजन नै करबौ रे
एतना बोल सुनी रणजीत खुशी सें नाँची उठलै हो भाय
तबेॅ दोनों प्राणी हाथोॅ में हथियार लैकेॅ
रणजीत केॅ काटै लेॅ होय गेहो तैयार
दुन्हू मिली केॅ एक्कैं छबोॅ में देलकै सिर अलग करी हो भाय
फिनू दुन्हू नें मिली केॅ माँस बनाबेॅ लागलै हो भाय
यही बीचोॅ में हरिया मशाला लानै लेॅ गेलै हो बाजार
एतनै में डोमनियाँ मने मन करै हो विचार
अकेल्ले बाबा नें कत्तेॅ खैतै हो माँस
येहेॅ विचार करी केॅ डोमनियाँ नें सिरा राखी लेलकै हो चोराय
कुच्छु देरोॅ रोॅ बाद हरिया मशाला लैकेॅ ऐलै हो ऐंगन
फिनु मशाला बाँटी केॅ माँस चढ़लकै चूल्हा पर हो भाय
डोमनियाँ के बेहवार देखी दाता निरंजन
ब्राह्मण नें माया करलकै हो विसतार
पाँच मन जलावन जरी गेलै , नै सिझलै हो माँस
माँस नै सिझतेॅ देखी केॅ दाता निरंजन
हरिया गेलै ब्राह्मण के हो पास
ब्राह्मण के नगीच जाय केॅ दाता निरंजन
हरिया नें कहै लागलै ब्राह्मण केॅ समु हो झाय
सुनोॅसुनोॅ हो बाबा , सुनोॅ परेमोॅ के साधु हो भाव
पाँच मन जलावन जरी गेलै बाबा
नै सीझै छै हो माँस
एतना बोल सुनी दाता निरंजन ब्राह्मण नें हरिया केॅ
कहै समु हो झाय
सुनेंसुनें रे हरिया सुनें परेमोॅ के साधु हो भाव
है बात हमें पोथीपतरा देखी केॅ ही बताबेॅ पारौं
आरो ब्राह्मण नें पोथीपतरा उलटाबै लागलै हो भाय
पोथीपतरा देखी केॅ दाता निरंजन हरिया केॅ कहै समु हो झाय
सुनेंसुनें रे हरिया , सुनें परेमोॅ के साधु हो भाव
तोरोॅ रे जनानी रे हरिया , बेटा रोॅ सिर राखलेॅ छौ चोराय
यहीं रे कारणें सें नै सीझै छौ माँस
मनुखोॅ रोॅ सिरा ही तेॅ शुद्ध माँस होय छै रे हरिया
एतना बोल सुनी केॅ हरिया गेलै आपनोॅ हो ऐंगन
ब्राह्मण के कहलोॅ हरिया नें डोमनियाँ केॅ कहै समु हो झाय
तों गे डोमनियाँ बेटा रोॅ सिरा राखलें छै चोराय
सें तों निकाली केॅ मूसल सें सिरा चूरी केॅ माँस हो बनाव
आरो चूरै खिनी एक्को बूँद आँसू नै गिरौ
तबेॅ सिझतौ सब ठो गे माँस
एतना सुनी केॅ सिरा निकाली केॅ मुसल सें चुरेॅ लागलै हो
फिनू सिरा चूरी केॅ नैका बरतन में चढ़ैलकै चूल्हा पर हो भाय
एतन्हौं पर जबेॅ माँस नै सिझलै तेॅ फिनू गेलै हरिया
ब्राह्मण के हो पास
सुनोॅसुनोॅ हो ब्राह्मण सुनोॅ परेमोॅ के साधु हो भाव
सिरबा मूसल में चूरलिहौं , तय्यो नै सीझै छौं हो माँस
सुनेंसुनें रे हरिया , सुनें परेमोॅ के साधु हो भाव
हे रे हरिया , तों कहै आपनोॅ जनानी केॅ बायाँ गोड़
चुल्ही में देतौ तबेॅ सिझतौ रे माँस
एतना बोल सुनी केॅ हरिया दौड़लोॅ गेलै हो ऐंगन
ऐंगना में जाय केॅ डोमनियाँ केॅ कहै समु हो झाय
सुनेंसुनें गे सतवरती सुनें परेमोॅ के साधु हो भाव
तोरा बाबा नें कहै छौ , बामा गोड़ चूल्ही में गे लगाय लेॅ
तबेॅ गे सतवरी सिझतौ माँस हो आहार
एतना बोल सुनी केॅ सतवरती कहै छै
हमरोॅ बेटा मरलोॅ , हम्मूँ मरि केॅ काया अमर करी हौ लों
एतना कही केॅ सतवरती नें आपनोॅ गोड़ देलकै
चुल्ही में हो लगाय
गोड़ चूल्ही में देतैं हो दाता निरंजन
माँस सीझी केॅ होय गेलै हो तैयार
माँस सिझतैं दाता निरंजन
हरिया गेलै एक थरिया में परोसी केॅ विजय हो कराय
वही समय में दाता निरंजन , पूछै छै ब्राह्मण नें हो भाय
सुनेंसुनें रे हरिया , कै थरिया में लगैंने छै रे भोजन
हरिया नें कहै छै ब्राह्मण केॅ समु हो झाय
हम्में एक्के थरियाँ में खाली तोरा बास्तें लगैनें
छियौं हो भोजन
एतना सुनी केॅ ब्राह्मण नें कहै छै हरिया केॅ समु हो झाय
सुनेंसुनें रे हरिया सुनें परेमोॅ के साधु हो भाव
तो लगाभैं रे हरिया चार थरिया में
तीन प्राणी तोहें आरो एक हमरोॅ रे लगाव
एतना बोल सुनी हरिया ब्राह्मण केॅ कहै समु हो झाय
सुनोॅसुनोॅ हो ब्राह्मण , सुनोॅ परेमोॅ के साधु हो भाव
हम्में तेॅ आपनोॅ बलकबा केॅ मारि केॅ भोजन करलिहौं
हो तैयार
जबेॅ तोरा बेटा नै छै रे तेॅ तोरा हाँ ने करबौ रे भोजन
जेकरा घरोॅ में बेटा नै रहै छै , हौ होय छै जग रोॅ रे पापी
आरो जौंने निरवंशी हाँ भोजन करतै , वहो होतै जग रे पापी
यही पलोॅ में हरिया के अज्ञानोॅ रोॅ पर्दा हटलै रे भाय
आरो कहै लागलैमोरा बेटा खेलै लेॅ गेलोॅ छै बहार
से तों हो बाबा भोजन करोॅ हो सुसार
यही बातोॅ पर ब्राह्मण नें हरिया केॅ कहै समु हो झाय
सुनेंसुनें रे हरिया सुनें परेमोॅ के साधु हो भाव
पहिलें तों रे हरिया , चार थरिया में भोजन हो लगाव
चार थरिया में भोजन लगाय केॅ तों हकारोॅ
दैकेॅ बोलाव आपनोॅ बेटा
तबेॅ हम्में करबौ भोजन रे सुसार
हरियाँ नें द्वारी के डेढ़िया पर सें
हकारोॅ दै लेॅ गेलै हो बहार
यही बीचोॅ में ब्राह्मण आलोपित भई हो जाय
हरिया केॅ हकारोॅ देतैं दाता निरंजन
बलकवा दौड़लोॅ चललोॅ ऐलै
तबेॅ देखै छै ब्राह्मण के कोय पता नै हो ठिकानोॅ
तबेॅ डोमाडोमनियाँ के ज्ञानोॅ रोॅ पुड़िया
खुललै हो भाय
वही दिनमां सें तनोॅमनोॅ आरो धनोॅ सें
करेॅ लागलै भगति हरि हो नाम
हो दाता निरंजन आरो फैललै वही दिनाँ सें
धरमोॅ के पर हो चार
वै दिनां सें डोमा बेसीये गावै भगति हरि हो नाम
आरो डोमनियाँ बजाबै करेॅ हो ताल
यही बीचोॅ में कुमार रणजीत उछलीउछली
गाबै भगति हरि हो नाम
डोमडोमनियाँ के भगति देखी
होय गेलै सगरो धरमोॅ के पर हो चार । | angika-anp |
तन कौ कौन भरोसों करनैं
तन कौ कौन भरोसों करनैं ।
आखिर इक दिन मरनैं ।
जौ संसार ओस कौ बूँदा ,
पवन लगै सें ढुरनें ।
जौ लों जी की जियन जोरिया
जी खाँ जे दिन भरनें ।
ईसुर ई संसारै आकें ।
बुरै काम खों डरनें । | bundeli-bns |
ठनाठनी
बस्ती सें दूर अलग जनवासौ अनवासो
वारइ सें जान परै जैसें कुछ तनातनी ,
गोलन की भड़ाभट्ट , चकरी की चक्कमक्क
हाँतिन की टनाटन्न , घोड़न की हिनीनिनी ।
रब्बीरमतला सँग ढोलन की धमाधम्म
झाँझन की झमाझम्म फरकावै कनीकनी ,
मंगल समाज यौ , कि पल्टन कौ साजबाज ?
लरका कौ ब्याव है कि समधी सें ठनाठनी ? | bundeli-bns |
हम तोंही पूछही दुलारी धनी, अउरो अलारी धनी हे
हम तोंही पूछही दुलारी धनी , अउरो अलारी1 धनी हे ।
ललना , कउन कउन रँग तोरा भाबे , त कहिके सुनाबहु हे ॥ 1 ॥
अमवा जे फरलइ2 घउद3 सूर्य , इमली झबद4 सयँ हे ।
परभु जी , नरियर फरले बहुत सूर्य , ओही मोरा मन भावे हे ॥ 2 ॥
हम तोंही पूछही दुलारी धनी , अउरो अलारी धनी हे ।
कउन तोरा अभरन भावे , से कही के सुनाबहु हे ॥ 3 ॥
साड़ी मोरा भाव हे कम त , ललसवा5 कुसुम रँग चूनर हे ।
ललना , चोली मन भावे हे साटन फूल , आउ6 जे नई भावे हे ॥ 4 ॥
हम तोंही पूछही अलारी धनी , अउरो दुलारी धनी हे ।
ललना , कउन रंग सेजिया तो भावए , कहि के सुनाबहु हे ॥ 5 ॥
सोनन7 के चारो पउआ , 8 रेसम लागल डोरिये हे ।
पिया , मन भाव हे रंगल सेजिया , होरिला बिनु नहीं सोभे हे ॥ 6 ॥
ओते9 सुतूँ , 10 ओते सुतूँ राजा बेटा , अउरो साहेब बेटा हे ।
ललना , बड़ा रे जतन के होरिलबा , पसेना चुए लागल हे ॥ 7 ॥
चुए देहु , 11 चुए देहु पसेनवाँ , से कुरता सियायब हे ॥ 8 ॥
कहाँ से दरजी बोलायब , कहाँ रे कलीगर12 हे ।
ललना , कइसन कुरता सिलायब , बाबू पहिरायब हे ॥ 9 ॥
पटना से दरजी बोलायब , गाया13 के कलीगर हे ।
ललना , हरियर कुरता सिलायब , बाबू पहिरायब हे ॥ 10 ॥ | magahi-mag |
नारंगी दामन वाली जच्चा, गोद में बच्चा ले
नारंगी1 दामन वाली जच्चा , गोद में बच्चा ले ।
गोद में बच्चा ले री जच्चा , गोद में बच्चा ले ॥ 1 ॥
माँग जच्चा के टीका सोभे , मोतिया लहरा ले रे जच्चा , मोतिया लहरा ले ।
हजरिया2 बैैठा पास में , हँस हँस के बीड़ा ले ॥ 2 ॥
नाक जच्चा के बेसर सोभे , चुनिया लहरा ले ।
हाँ जी , चुनिया लहरा ले , चुनिया लहरा ले ।
हजरिया बैठा पास में , केसरिया3 बैठा पास में , हँस हँस के बीड़ा ले ॥ 3 ॥
कान जच्चा के बाली सोभे , झुमका लहरा ले , हाँ जी , झुमका लहरा ले ।
केसरिया बैठा पास में , हँस हँस के बीड़ा ले ॥ 4 ॥
हाय जच्चा के कँगना सोभे , चुड़िया लहरा ले , हाँ जी , चुड़िया लहरा ले ।
हजरिया बैठा पास में , केसरिया बैठा पास में , हँस हँस के बीड़ा ले ॥ 5 ॥ | magahi-mag |
पुरुबा के अबलन एक गो मोसाफिर से
पुरुबा के अबलन1 एक गो2 मोसाफिर से , बइठी गेलन हमरो अँगना , रे गोरिया ।
कउन तूँ हहु3 सुन्नर , कहमाँ तूँ जाहु4 से , केकर तूँ खोजहूँ मकनमा , रे गोरिया ॥ 1 ॥
हम हिओ5 तोहर सरहज , बारे ननदोसिया से , करि दहु6 ननद के गमनमा , रे गोरिया ।
हमर ननद हथिन7 बारी सुकमरिया8 से , कइसे करियो तोहरो गमनमा रे गोरिया ॥ 2 ॥
रहु रहु मोरा ननदोसिया पहुनमा से , होवे दहु ननद जुवनिया9 रे गोरिया ।
करि देबो तोरा ननदोसिया गबनमा से , होवे दहु छतिया नवरँगिया10 रे गोरिया ॥ 3 ॥
आवे दहु , आवे दहु मास रे फगुनमा से , करि देबो तोहरो गमनमा , रे गोरिया ।
एकारसी11 अइहऽ12 ननदोसिया जे हमरा से , दोआरसी13 के करब मरजदबा14 रे गोरिया ।
तेरोदसी15 के करबो बिदइया16 रे गोरिया ॥ 4 ॥
एक कोस गेलइ डारी17 दोसर कोस गेलइ से , तेसरे18 डँड़िया पइसी19 पूछे एक बतिया20 रे गोरिया ।
बघिया21 में डँड़िया के भेलइ दुपहरिया22 से , रसे रसे गरमी गँवावहु23 रे गोरिया ॥ 5 ॥ | magahi-mag |
लोक गीत
बागा मा आवी उतरयु
साजनीकु छोरी छाने बाने
जोई लेसु रे ऽऽऽ ।
हतमा लई लेसु लाकेड़ी रे छोरी
गाय ना बाने जोई लेसु रे ऽऽऽ
जोई लेसू रे , मन मोई लेसु रे ऽऽऽ
दोई दल लड़ानी बाल्यो कर लेसु रे ऽऽऽ ।
बागा मा आवी उतरयु
साजनीकु छोरी छाने बाने
जोई लेसु रे ऽऽऽ ।
काख्यां मा लइ लेसु टोपे लू
छोरी छांणा ने बाने जोई लेसुर रे
बागा मा आवी उतरयु
साजनीकु छोरी छाने बाने
जोई लेसु रे ऽऽऽ ।
हाथा मा लई लेसु दाँतेड़ ,
छोरी सारा ना बाने
जोई लेसु रे ऽऽऽ
जोई लेसु रे ऽऽऽ मन मोई लेसु रे ऽऽऽ
बागा मा आवी उतरयू
साजनी कु छोरी . . . ।
मैं बागीचे में ठहरा हूँ सखी किस बहाने से मैं साजन से मिलूँ ? तू मुझे बता , देख लूँगी । छोरी हाथ में तू लकड़ी ले लेना और गाय चराने के बहाने से मिल लेना । सखी ठीक है । मैं मिल लूँगी और उसका मन मोह लूँगी । इस तरह दोनों मिलकर हम दिल की बातें कर लेंगे । मैं देख लूँगी । सखी बगल में टोपला रख लूँगी और कंडे बीनने के बहाने से मैं उससे मिल लूँगी । मैं देख लूँगी । मैं बगीचे उतरा हूँ । सखी मैं अपने हाथ में दाँतेड़ा ले लूँगी और चारा काटने के बहाने से मैं उससे मिल लूँगी और इस तरह मैं उसका मन मोह लूँगी । | bhili-bhb |
526
खेड़यां आखया केहड़ा घलीए जी जेहड़ा डिगे फकीर दी जा पैरीं
साडी करीं वाहर नाम रब्ब दे जी कोई फजल दा पलड़ा आ फेरी
सारा खोल के हाल अहवाल दसी नाल भिहरियां बरकतां विच डेरी
चलो वासते रब्ब दे नाल मेरे कदम घतयां फकर दे होन खेरी
दाम लायके हीर वयाह आंदी जंतर जोड़ के गए सा विच देरी
बैठ कोड़में1 गल पका छडी सैदा घलीए रलन ना ऐरी गैरी
जिवें जानसैं तिवें लया उसनूं करो मिन्नतां लावना हथ पैरी
वारस शाह मियां तेरा इलम होया मशहूर है जिसन इनस2 तैरी | panjabi-pan |
350
असां मेहनतां डाढियां कीतियां नी गुंडीए खचरिये लुचिये जटीए नी
करामात फकीर दी देखनी एं खैर रब्ब तों संग सुपतीए नी
कन्न पाटयां नाल ना जिद कीजे अन्ने खूह विच झात न घतीए नी
मसती नाल तकबरी रात दिने कदी होश दी अख परतीए नी
कोई दुख ते दर्द ना रहे भोरा भाड़ा मेहर दा जिनां नूं घतीए नी
पढ़ फूकिगे इक अजमत सैफी1 जिन्न ते भूत दी पटीए नी
तेरी भाबी दे दुखड़े दूर होवन असी मेहर दे चा पलटीए नी
वारस मिठड़ा बोल ते मोम हो जा त्रिखा बोल ना काहली जटीए नी | panjabi-pan |
अउरी झउरी करथिन दुलरइतिन सुगवे हे
अउरी झउरी1 करथिन दुलरइतिन सुगवे हे ।
हम लेबइ2 इलइची3 फुलवा हे ।
हम लेबइ जाफर फुलवा हे ॥ 1 ॥
कहाँ हम पयबो इलइची फुलवा हे ।
कहमा जाफर फुलवा हे ॥ 2 ॥
हमरा नइहरवा परभु इलइची फुलवा हे ।
अउरो जाफर फुलवा हे ॥ 3 ॥
पहुना4 बहाने परभु नइहरवा नइह5 हे ।
भौंरवा6 रूपे फूलवा लेइ अइह हे ॥ 4 ॥
बगिया में अयलन दुलरइता सरवा7 हे ।
लवँगिया डरवा8 सरवा बाँधी देलन हे ।
सोबरन सँटिया9 सरवा मारी10 देलन हे ॥ 5 ॥
रोइ रोइ चिठिया लिखथिन दुलरइता दुलहा हे ।
येहो चिठिया धनि हाथ हे ॥ 6 ॥
हँसि हँसि चिठिया लिखथिन दुलरइतिन सुघइ हे ।
येहो चिठिया भइया हाथ हे ॥ 7 ॥
लवँग डढ़िया11 भइया चोरवा12 खोली दिहऽ हे ।
सोबरन सँटिया भइया केरी13 लिहऽ हे ॥ 8 ॥ | magahi-mag |
बुरो संग
अकुलौ1 माँ माया2 करी , कैकी3बी नी पार तरी ।
बार4 बिथा सिर थरी5 , कू रोयेंद6 ।
जख तख मिसे7 लांद , झूटाफीटा8 सऊँ9 खंद ।
दियुं लेयुं तने10 जांद , अपजस पायेंद ।
आगो पाछो देखी जाणी , खरी खाणी चुप्प चाणी ।
किलै11 कद झुटि स्याणी12 , गांठी पैसा खोयेंद ।
मैंत बोदू भली बात , सोच कदु दिन रात ।
मुरखू का संग साथ , ज्यान जोख्यूं13 पायेंद ।
आँखु देखि सुणी जाणी , बटोरों मां माया लाणी ।
जगत की गालि खाणी , विचारिययुं चाहेंद ।
लगणु नी वैकी बाणी , जै की होन दुलि काणी ।
पाछ पड़द खैंचा ताणी , ज्यान जोख्यूं पायेंद । | garhwali-gbm |
आल्हा ऊदल
भोग चढ़ाइब अदमी के देबी अरजी मानव् हमार
एतनी बोली देबी सुन गैली देबी जरि के भैली अँगार
तब मुँह देबी बोलली बबुआ सुनीं रुदल महराज
बेर बेर बरजों बघ रुदल के लरिका कहल नव् मनलव् मोर
मरिया राजा नैना गढ़ के नैंनाँ पड़े इन्दरमन बीर
बावन गुरगुज के किल्ला है जिन्ह के तिरपन लाख बजार
बावन थाना नैना गढ़ में जिन्ह के रकबा सरग पताल
बावन दुलहा के सिर मौरी दहवौलक गुरैया घाट
मारल जैबव् बाबू रुदल नाहक जैहें प्रान तोहार
पिण्डा पानी के ना बचबव् हो जैबव् बन्स उजार
एतनी बोली रुदल सुन गैल तरवा से लहरल आग
पकड़ल झोंटा है देबी के धरतो पर देल गिराय
आँखि सनीचर है रुदल के बाबू देखत काल समान
दूचर थप्पर दूचर मुक्का देबी के देल लगाय
लै के दाबल ठेहुना तर देबी राम राम चिचियाय
रोए देबी फुलवारी मैं रुदल जियरा छोड़व् हमार
भेंट कराइब हम सोनवा सें
एतनी बोली रुदल सुन के रुदल बड़ मंगन होय जाय
प्रान छोड़ि देल जब देबी के देबी जीव ले चलल पराय
भागल भागल देबी चल गैल इन्द्रासन में पहुँचल जाय
पाँचों पण्डु इन्द्रासन में जहवाँ देबी गैल बनाय | bhojpuri-bho |
धवळो घोड़ो ने जीन कस्या
धवळो घोड़ो ने जीन कस्या
रामदेव भया असवार
फ्लाणा राम आड़ा फरीग्या
रामदेव जी रेवो आज नी रात
गेल्या हुवा रे भोळा मानवी
परजा जोवे हमारी बाट
पवन पंथी हमारा चालणा
जल मांय रैवां रात | malvi-mup |
मैं तोर गुन जानि गयूँ ए नान गुटकी
मैं तोर गुन जानि गयूँ ए नान गुटकी
दाल बनाईं भात बनाईं और बनाईं फुलकी ,
सारा जेवना जेई के भर्तार पति के आगे ठुनकी
मैं तोर गुन . . .
लौंग इलाइची बीरा खाईं आवै लागीं हिचकी ,
सीसा लै के मुंह निहारें गाल होई गे सुट्की
मै तोर गुन . . .
मारी गईं पीटी गईं कोने जाए सुसकी ,
तनिक नैना ओट भएँ बांधे लागी पुटकी
मैं तोर गुन . . .
सेज सुपेती दासन पाइन संझवय से खसकी ,
सारे पलंग पर अपना सोवैं पिया का काटें चुटकी
मैं तोर गुन . . . | awadhi-awa |
264
रांझे आखया मगर ना पौ मेरे कदी कैहर दी वाओ हटाईए जी
गुरु मत तेरी सानूं ना फबे गल घुट के चा लंघाईए जी
पहले चेलयां नूं चाए हीज1 करीए पिछों जोग दी रीत बताईए जी
इक वार जो सना दस छडो घड़ी मुड़ी ना गुरु अकाईए जी
करतूत जे एहो सी सभ तेरी मुंडे ठग के लीक ना लाईए जी
वारस शाह शागिरद ने चेलड़े नूं काई भली ही मत सिखाईए जी | panjabi-pan |
417
जे कोई जंमया मरेगा सभ कोई घड़या भजसी वाह सभ वहनगे वे
मीर पीर वली गौसा कुतब जासन एह सभ पसारड़े ढहनगे वे
जदों रब्ब अमाल1 दी खबर पुछे हथ पैर गवाहियां देनगे वे
जदों उमर दी आन मिआद पुगी अजराईल होरी आ वहनगे वे
भन्ने ठूठे तों एड वधा करना बुरा तुध नूं लोक सभ कहनगे वे
जेहा बुरा तूं बोलया रावला वे हड पैर सजाइयां लैनगे वे
कुल चीज फनाह हो खाख वैसी सावत वली अलाह दे रहनगे वे
ठूठा नाल तकदीर दे भज पया वारस शाह होरी सच कहनगे वे | panjabi-pan |
कियौ महारास प्रभु बन में
कियौ महारास प्रभु बन में , वृन्दावन गुल्म लतन में ॥
बन की शोभा अति प्यारी , जहाँ फूल रही फुलवारी ।
सोलह हजार ब्रजनारी , द्वै द्वै न बीच एक गिरिधारी ॥
झ़ड़ताथेताथेई नचत घूँघरू बजत झूम झन झनन ।
सारंगी सनन करत तमूना तनन ॥
सप्त सुरन सों बजत बाँसुरी , शोर भयौ त्रिभुवन में । वृ .
बंशी को घोर भयौ भारी , मोहे सुन मुनि तपधारी ।
जड़ पशु पक्षी नरनारी , शिवसमाधि खुल गई तारी ॥
झड़ सुन जमुना जल भयौ अचल , सिथिल भये सकल ।
जीव बनचारी , मनमोहन बीन बजाय मोहिनी डारी ॥
जहाँ के तहाँ थिर रहे परी धुन बंशी की श्रवनन में । वृ .
जब उठ धाये त्रिपुरारी , जमुना कहै रोक अगारी ।
गुरु दीक्षा लेओ हमारी , जब करौ रास की त्यारी ॥
झड़ नहीं पुरुषकौ अधिकार , सजाशृंगार नारि बनजाओ ।
तब महारास के दरशन परसन पाओ ।
जमुना के बचन सुने , शिव जान गये सब मन में ॥ वृ .
जब खाय भंग कौ गोला , जमुना में धोय लियौ चोला ।
गोपी बन गये बंभोला , यों नवल नार अनबोला ॥
झड़ जहाँ है रह्यौ रास विलास , पहुंच गये पास , भये अनुरागे
शिव शंकर सखियन संग नाचने लागे ।
भूल गये कैलाश वास , हर है रहे मगन लगन में । वृ .
गोपिन संग नृत्य कर्यो है , हिरदे आनन्द भर्यो है ।
जब शिव पहिचान पर्यौ है , गोपेश्वर नाम धरयौ है ॥
झड़सब गोपी भई प्रसन्न , धन्य प्रभु धन्य मधुर बीनाकी
कर महारास निशि कीनी छै महीना की ।
‘घासीराम’ कृपा सों छीतर बस रह्यौ गोवरधन में ॥ वृ . | braj-bra |
दूधी की धार मारूं माता नै
दूधी की धार मारूं माता नै कदे तू गुमानी भूल नहीं जा
याद दिलांऊ सूं अक आवैगी अब नई बहूरानी बेटा भूल नहीं जा
भाई का सुखी हो सरीर , जुग जुग जीवो मेरा बीर
याद दिलाऊं सूं अक मां जाई की या सै निसानी बीरा भूल नहीं जा | haryanvi-bgc |
लूँगी भावज मैं वही कँगना
लूँगी भावज1 मैं वही कँगना ।
मुझे कँगने को शौक मेरी भाभी ॥ 1 ॥
माँगो2 का टीका ले री ननदिया , ले री झलाही3 ।
एक नहीं दूँगी यही कँगना ॥ 2 ॥
लूँगी मैं भावज वही कँगना ।
मुझे कँगने की शौक मेरी भाभी , लूँगी मैं वही कँगना ॥ 3 ॥
नाको का बेसर ले री ननदिया , ले री झलाही ।
एक नहीं दूँगी , यही कँगना ॥ 4 ॥ | magahi-mag |
चीकन मटिया कोड़ि मँगाएल
‘‘आगि लागे परभु चुनरिया , वलकवा के हाँसुल हे ।
बजर पड़े चढ़न के घोड़वा , नइहर कइसे तेजब हे ॥ ’’
अँगना जे लिपली1 दहादही2 माड़ो3 छावली हे ।
ताहि चढ़ि भइया निरेखे4 बहिनी चलि आवल हे ॥ 1 ॥
मचिया बइठल मोरा धनिया5 त धनिया सुलच्छन6 हे ।
धनिया , आवऽ हथिन7 बाबा के दुलारी , गरब8 जनि बोलहु हे ॥ 2 ॥
आवहु हे बहिनी , आवहु , मोरा चधुराइन हे ।
बहिनी , बइठहु बाबा चउपरिया9 मंगल दस गावह , गाइके10 सुनावहु हे ॥ 3 ॥
गाएब11 हो भइया गाएब , गाइ के सुनाएब हे ।
भइया , हमरा के का देवऽ दान , लहसि12 धरवा जायेब हे ॥ 4 ॥
गावहु , ए ननद गावहु , गाइके सुनावहु हे ।
ननदो , जे तोरा हिरदो13 में समाए14 लेइके15 घरवा जाहुक16 हे ॥ 5 ॥
हमरा के दीहऽ चुनरिया , बलकवा के हाँसुल17 हे ।
भउजी , प्रभु के चढ़न के घोड़वा , लहसि घर जाएब हे ॥ 7 ॥
कहाँ पाएब लाली चुनरिया , बलकवा के हाँसुल हे ।
ननदो , कहवाँ पाएब चढ़न के घोड़वा , लउटि18 घरवा जाहु हे ॥ 7 ॥
रोइत जाइह19 ननदिया , बिलखइत जाहइ भगिनवाँ न हे ।
हँसइत जाहइ ननदोसिया , भले रे मान20 तोड़ल हे ॥ 8 ॥
चुप रहु चुप रहु , धनिया , मोर चधुराइन हे ।
हम जएबो राजा के नोकरिया , दरब21 लेइ22 आएब23 हे ॥ 9 ॥
तोहरा ला24 लएबो चुनरिया , बलकवा के हाँसुल हे ।
अपना ला चढ़न के घोड़वा , नइहर बिसरावहु25 हे ॥ 10 ॥
आगि लागे परभु चुनरिया , बलकवा के हाँसुल हे ।
बजर26 परे चढ़न के घोड़वा , नइहर कइसे27 तेजब28 हे ॥ 11 ॥ | magahi-mag |
रचिएक कोहबर लिखलूँ हम कोहबर
रचिएक1 कोहबर लिखलूँ हम कोहबर ।
लिखलूँ हम मनचित लाय , अनजान लिखुँ कोहबर हे ॥ 1 ॥
सेहि पइसो सुतलन दुलहा दुलरइता दुलहा ।
जवरे दुलहिनियाँ संघें साथ , लिखुँ कोहबर ॥ 2 ॥
रसे रसे डोलहइ चुनरी लगल बेनियाँ ।
होवे लगल2 दुलहा दुलहिन बात , अनजान लिखूँ कोहबर ॥ 3 ॥
हम त हिओ3 धनि तोहर परनमा ।
तू हका4 हमर परान , अनजान लिखुँ कोहबर ॥ 4 ॥ | magahi-mag |
नी कुटीचल मेरा नाँ
नी कुटीचल1 मेरा नाँ ।
मुलाँ मैनूँ सबक पढ़ाया ।
अलफों अग्गे कुझ ना आया ।
उस दीआँ जुत्तिआँ खाँदी सा ।
नी कुटीचल मेरा नाँ ।
किवें किवें दो अखिआँ लाइआँ ।
रल के सइआँ मारन आइआँ ।
नाले मारे बाबल माँ ।
नी कुटीचल मेरा नाँ ।
साहवरे सानूँ वड़न ना देंदे ।
नानक2 दादक3 घरों कढेंदे ।
मेरा पेके नहींओं थाँ ।
नी कुटीचल मेरा नाँ ।
पढ़न सेती सभ मारन आहीं ।
बिन पढ़िआँ हुण छडदा नाहीं ।
नी मैं मुड़ के कित्त वल्ल जाँ ।
नी कुटीचल मेरा नाँ ।
बुल्ला सहु की लाई मैनूँ ।
मत कुझ लग्गे ओह ही तैनूँ
तद करेंगा तूँ निआँ ।
नी कुटीचल मेरा नाँ । | panjabi-pan |
हमसें दूर तुमारी बखरी
हमसें दूर तुमारी बखरी ,
हमें रजऊजा अखरी ।
हो पावे बतकाव न पूरौ
घरी भरे खाँ छकरी ।
परत नहीं हैं द्वार सामनें ,
खोर सोऊ है सकरी
बेरा बखत नजर बरकाकें
कैसे लेवे तकरी
छिन आवें छिन जाय ईसुरी
भए जात हैं चकरी । | bundeli-bns |
कारल्याच बी पेर ग सुने, मग जा आपुल्या माहेरा
1 .
कारल्याच बी पेर ग सुने , मग जा आपुल्या माहेरा ,
कारल्याच बी पेरल सासूबाई आता तरी जाऊ का माहेरा । ।
कारल्याच वेल येऊ दे सुने मग जा आपुल्या माहेरा ,
कारल्याचा वेल आला सासूबाई आता तरी जाऊ का माहेरा । ।
कारल्याला कारल येऊ दे सुने मग जा आपुल्या माहेरा ,
कारल्याला कारल आल सासूबाई आता तरी जाऊ का माहेरा । ।
कारल्याची भाजी चीर ग सुने मग जा आपुल्या माहेरा ,
कारल्याची भाजी चिरली सासूबाई आता तरी जाऊ का माहेरा । ।
कारल्याची भाजी केली सासूबाई आता तरी जाऊ का माहेरा ,
कारल्याची भाजी खा ग सुने मग जा आपुल्या माहेरा । ।
कारल्याची भाजी खाल्ली सासूबाई आता तरी जाऊ का माहेरा ,
कारल्याच उष्ट काढ ग सुने मग जा आपुल्या माहेरा । ।
कारल्याची उष्ट काढल सासूबाई आता तरी जाऊ का माहेरा । ।
2 .
कारलीच बी पेर ग सूनबाई
मग जा आपल्या माहेरा माहेरा
कारल्याच बी पेरल हो सासूबाई
आता तरी धाडाना , धाडाना
कारल्याला पाणी घाल ग सूनबाई
मग जा आपल्या माहेरा , माहेरा
कारल्याला पाणी घातल हो सासूबाई
आता तरी धाडाना , धाडाना
कारल्याला बूड येऊ देग सूनबाई
मग जा आपल्या माहेरा , माहेरा
कारल्याला बूड आल हो सासूबाई
आता तरी धाडाना , धाडाना
कारल्याला मांडव घाल ग सूनबाई
मग जा आपल्या माहेरा , माहेरा
कारल्याला मांडव घातला हो सासूबाई
आता तरी धाडाना , धाडाना
कारल्याला फूल येऊ दे ग सूनबाई
मग जा आपल्या माहेरा , माहेरा
कारल्याला फूल आल हो सासूबाई
आता तरी धाडाना , धाडाना
कारल्याला कारल लागू दे ग सूनबाई
मग जा आपल्या माहेरा , माहेरा
कारल्याला कारल लागल हो सासूबाई
आता तरी धाडाना , धाडाना
कारल्याची भाजी कर ग सूनबाई
मग जा आपल्या माहेरा , माहेरा
कारल्याची भाजी केली हो सासूबाई
आता तरी धाडाना , धाडाना
कारल्याची भाजी खा ग सूनबाई
मग जा आपल्या माहेरा , माहेरा
कारल्याची भाजी खाल्ली हो सासूबाई
आता तरी धाडाना , धाडाना
भाजीचा गंज घास ग सूनबाई
मग जा आपल्या माहेरा , माहेरा
भाजीचा गंज घासला हो सासूबाई
आता तरी धाडाना , धाडाना
सासूबाई सासूबाई आता तरी धाडाना
मला काय पुसते पूस जा आपल्या सासर्याला
मांमाजी मांमाजी आता तरी धाडाना , धाडाना
मला काय पुसतेस पूस जा आपल्या दिराला
भाऊजी भाऊजी आता तरी धाडाना , धाडाना
मला काय पुसतेस पूस जा आपल्या जावेला
जाऊबाई जाऊबाई आता तरी धाडाना , धाडाना
मला काय पुसतेस पूस जा आपल्या नंणदेला
वन्स वन्स आता तरी धाडाना , धाडाना
मला काय पुसतेस पूस जा आपल्या पतीला
पतिराज पतिराज आता तरी धाडाना , धाडाना
घेतळी चोळी लावली पाठी जाऊन बसली नदीच्या काठी | marathi-mar |
178
हीरे कहर कीतो रल नाल भाइयां सभा खुलक1 तूं चा गवाइयां नी
जे तूं अंत एहो पिछा देवना सी एडिआं मेहनतां काहे कराइयां नी
एहा हद हीरे तेरे नाल साडी महल चाढ़ के पौड़ियां चाइयां नी
तैं तां वयाह दे हार शिंगार बधे अते खेड़यां घरीं वधाइयां नी
खाह कसम सौगंद तैं घोल पीती एह दसीं तूं पूरीयां पाइयां नी
बाहों पकड़ के टोर चा कढ देसों ओवें तोड़ नैनां जिवें लाइयां नी
यार यार थीं जुदा हुण दूर कीचै मेरे बाब तकदीर लिखाइयां नी
वारस शाह ठगिओ दगा दे के जेहियां कीतयां सो असां पाइयां नी | panjabi-pan |
542
जोगी चलया रूह दी कला हिली तितर बोलया शगन मनावने नूं
ऐतवार ना पुछया खेड़यां ने जोगी आंदा ने सीस मुनावने नूं
वेखो अकल शऊर जो मारया ने तामा1 बाज दे हथ फड़ावने नूं
भुखा खंड ते खीर दा होया राखा रंडा घलया साक कावने नूं
सप्प मकर दा परी दे पैर लड़या सुलेमान2 आया झाड़ा3 पावने नूं
राखा जवां दे ढेर दा गधा होया अन्हा घलया हरफ4 लिखावने नूं
नियत खास करके उहनां सद आंदा मियां आया है रन्न खसकावने नूं
उन्हां सप्प दा मांदरी5 सद आंदा सगों आया सप्प लड़ावने नूं
वसदे झुगड़े चैढ़ करावने नूं मुढों पट वूटा लैंदे जावने नूं
वारस बंदगी वासते घलया ए आ लगा ए पहनने खावने नूं | panjabi-pan |
पहल सारदा तोहे मनाऊं
पहल सारदा तोहे मनाऊं तेरी पोथी अधक सुनाऊं
मोरधज से राजा भारी लड़का लिया बला
सीस धर भरी करौती भगत ने हेला दे बलवाया
धर रे दीनानाथ पार तेरा ना किसी ने पाया
धानू बोया खेत बीज नै आप्पै चाब्बा
लोग करै गिल्लान ऊपरा तोता भया
अरे भगत ने बिना बीज निपजाया
धर रे दीनानाथ पार तेरा ना किसी ने पाया
दीना अवा लगा आंच अवा में डारी
मंझारी के बच्चे चण दिये चार कूंट का करै कुम्हारी
कुल कै लाग्या दाग आप उतरे गिरधारी
अरे भगत ने बच्चा का सो बरतन कच्चा पाया
धर रे दीनानाथ पार तेरा ना किसी ने पाया
ताता खंभ कर्या तेरा कित ग्या भाई
देख खंभ की राह खड्या तुरग बहराई
अरे खम्भ पै कोड़ी नाल दरसाया
धर रे दीनानाथ पार तेरा ना किसी ने पाया | haryanvi-bgc |
कोरी कोरी चांदी की कांगणी
कोरी कोरी चांदी की कांगणी घड़ाई ऊपर जड्या नगीणा ,
हो मन्नै तेरी सोंह ।
कोरी कोरी चांदी की कांगणी घड़ाई खद्दर की साड़ी बांधी ,
हो मन्नै तेरी सोंह ।
कोरी कोरी चांदी की कांगणी घड़ाई अमर रहे बापू गांधी ,
हो मन्नै तेरी सोंह । | haryanvi-bgc |
92
तेरे वीर सुलतान नूं खबर होवे फिकर करे उह तेरे मुकाबले दा
चूचक बाप दे राज नूं लीक लाई किहा फायदा लाड लडावने दा
नक वड के कोड़मा गालया किहा फायदा मापिआं तावने दा
राती चाक नूं चा जवाब देसां साडा शोक नहीं है महीं चरावने दा
आ मिठिए लाह लै सभ टूमां किहा फायदा गहनयां पावने दा
वारस शाह मियां एस छोहरी दा जी होया ए लिंग कुटावने दा | panjabi-pan |
सब के वरदिया कोसीमाय
सब के वरदिया कोसीमाय
पार उतरि गेलै ,
हमरो हे बरद कोसीमाय
उसरे में मझाई हे हमरो बदर ।
जब हम आगे बहिना पार देवी
उतारि गे तोहरो बरद
बहिना गे हमरा के की देवे इनाम ।
जब हम आहे मलहा बसबै ससुररिया ,
तब छोटकी ननदी देवौ इनाम रे मलहा
छोटकी ननदिया हे कोसीमाय देवौ इनाम ।
छोटकी ननदिया वहिना
हमरो हे वहिनिया हे
कैसे कोसीमाय लेबौ इनाम हे ।
कोसीमाय सांचले हे यौवन
हमरो यौवन हे कोसी माय
विष के अगोरल
मलहा छुबैत मरि जेबै रे । । | angika-anp |
काची अम्बली गदराई सामण मैं
काची अम्बली गदराई सामण मैं
बुड्ढी री लुगाई मस्ताई फागण मैं
कहियो री उस ससुर मेरे नै
बिन घाली लेजा फागण मैं
कहियो री उस बहुए म्हारी नै
चार बरस डट जा पीहर मैं
कहियो री उस जेठ मेरे नै
बिन घाली लेजा फागण मैं
कहियो री उस बहुए म्हारी नै
चार बरस डट जा पीहर मैं
कहियो री उस देवर मेरे नै
बिन घाली लेजा फागण मैं
कहियो री उस भावज म्हारी नै
चार बरस डट जा पीहर मैं | haryanvi-bgc |
अमीर गरीब में पड़ी जो खाई
अमीर गरीब में पड़ी जो खाई ।
गांधी बाब्बू नै कोन्या भाई । ।
गरीब मजूरां का हक दिलाया ।
अमीरां तै यूं उपदेस सुनाया । ।
धन नै सांझा समझो भाई ।
नहीं तो कहलाओगे कसाई । । | haryanvi-bgc |
तुम म्हारी नौका धीमी चलो
तुम म्हारी नौका धीमी चलो ,
आरे म्हारा दीन दयाला
१ जाई न राम थाड़ा रयाँ ,
जमना पयली हो पारा
नाव लावो रे तुम नावड़ा
आन बैगा पार उतारो . . . .
तुम म्हारी . . . . . . . .
२ उन्डी लगावजै आवली ,
उतरा ठोकर मार
सोना मड़ाऊ थारी आवली
रूपया न को रास . . . .
तुम म्हारी . . . . . . . .
३ निरबल्या मोहे बल नही ,
मोहे फेरा घड़ावो राम
म्हारा कुटूंम से हाऊ एकलो
म्हारो घणो परिवार . . . .
तुम म्हारी . . . . . . . .
४ बिना पंख को सोरटो ,
आरे पंछी चल्यो रे आकाश
रंग रूप वो को कुछ नही
लग भुख नी प्यास . . . .
तुम म्हारी . . . . . . . .
५ कहत कबीर धर्मराज से ,
आरे हाथ ब्रम्हा की झारी
जन्म . जन्म का हो दुखयारी
राखो लाज हमारी . . . .
तुम म्हारी . . . . . . . . | nimadi-noe |
ओजी म्हारी सहेल्यां जोवे बाटो
ओजी म्हारी सहेल्यां जोवे बाटो , भंवर म्हांने खेलण द्यों गणगौर
खेलण द्यो गणगौरगणगौर , भंवर म्हांने निरखण द्यो गणगौर
जी म्हांरी सहेल्यां . . .
के दिन की गणगौर , सुन्दर थांने कतरा दिन को चाव
सोळा दिन की गणगौर , भंवर म्हांने सोळा दिन को चाव
ओजी म्हांरी सहेल्यां . . .
सहेळ्यां ने ऊभी राखो , सुन्दर थांकी सहेळ्यां ने ऊभी राखो
जी थांकी सहेळ्यां ने दोवंण गोट , सुन्दर थाने खेळणं दां गणगौर
खेलण द्यो गणगौर . . . | rajasthani-raj |
काला शाह काला
काला शाह काला , मेरा काला ई सरदार
गोरेआं नु दफा करो , मैं आप तिल्ले दी तार
काला शाह काला . . .
सस्ड़ीए तेरे पंज पुत्तर , दो ऐबी दो शराबी
जेहड़ा मेरे हाण दा ओ खिड़आ फुल्ल गुलाबी
काला शाह काला . . .
सस्ड़ीए तेरे पंज पुत्तर , दो टीन दो कनस्तर
जेहड़ा मेरे हाण दा ओ चला गया ए दफ्तर
काला शाह काला . . . | panjabi-pan |
जूड बेटी माय सुसुनावा
जूड बेटी माय सुसुनावा
आवकजा मारग सूसून डोगे
मारगा सूसून चोजमा डोगे आयोम
आयोम काडो काली ग्वाली किटी टालान
कोन सूसून डोगे
कोन सूसन चोजमा डोगे आयोम
आयोम काडो ऊरग टालो कोन जाया सूसन डोगे
स्रोत व्यक्ति चारकाय बाई , ग्राम माथनी | korku-kfq |
मियानी मूटी केलाय बारी मूटी नी केलाय
मियानी मूटी केलाय बारी मूटी नी केलाय
मियानी मूटी केलाय बारी मूटी नी केलाय
केला भी को बुरा जा बेटा केलाय वन में झूरे
केला भी को बुरा जा बेटा केलाय वन में झूरे
माय टेन भी पुरी बाटेन भी पुरी
माय टेन भी पुरी बाटेन भी पुरी
पूरी भी का बुरा जा बेटा केलाय वन में झूरे
पूरी भी का बुरा जा बेटा केलाय वन में झूरे
स्रोत व्यक्ति सुनीता , ग्राम नानी मकड़ाई | korku-kfq |
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