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हैं घूंघर वाले बाल मेरे ललना के
हैं घूंघर वाले बाल मेरे ललना के ।
ताऊ भी रहसा बाबा भी रहसा ,
रहसा सब परिवार मेरे ललना का ,
हैं घूंघर वाले बाल मेरे ललना के ।
जीजा जी रहसा मामा भी रहसा ,
रहसा सब परिवार मेरे ललना का ,
हैं घूंघर वाले बाल मेरे ललना के ।
बूआ लाई उसका कुर्ता टोपी ,
फूफा लाया गलहार मेरे ललना का ,
हैं घूंघर वाले बाल मेरे ललना के ।
मामी तो लाई उसका घोड़ा डोला ,
मामा लाया जोड़े साथ मेरे ललना के ,
हैं घूंघर वाले बाल मेरे ललना के ।
नाना आये उस पै मोहरें बारीं ,
नानी ने भेजी मोती माल मेरे ललना की ,
हैं घूंघर वाले बाल मेरे ललना के । | haryanvi-bgc |
बसन्त कौ प्यार
क्वाँरी मनबगिया कोयलिया कूक रई ,
बिरछन नें कर लऔ सिंगार ,
झूमे नए फूलन के हार ।
दूर हरी खेतन में बगरी है भाँग ,
गंध झरत केवरे सें झूम रई डाँग ,
होंन लगे रागरंग आ गई बहार ,
नदिया की निरमल भई धार ।
अनहोंनी बात भई सोंने में बास ,
धरती पै होंन लगो महुअन कौ रास ।
नाँनीँ रसबुँदियन की बरसै फुआर ,
रूपेसौ हो गऔ सिंसार ।
पीपी कें बैर चली बहकी है चाल ,
महँक उठीं मेंड़ें सब हो गईं बेहाल ।
कलियाँ रस बगरा कें मस्ती रइँ ढार ,
पाँखन में मुन्सारे पार ।
सेंमर सज आऔ है टेसू के संग ,
बौराये आम देख इनके सब रंग ।
बनीठनी सकियँन सँग ठाँड़ी कचनार ,
पीर करै हिय में तकरार ।
सरसों में गोरी कौ कंचन भऔ आँग ,
भरी नई बालन नें मोंतिन सें माँग ।
सोभा लख आसमान धीरज ना धार
बगरौ है धरती के थार
राधा नें रूप सजौ सोरउ सिंगार ,
कुंजन में नन्दन बन हो रऔ बलहार ।
काए ना कान्हा फिर लेबें औतार ?
धरती में इतनों है प्यार ।
क्वाँरी मनबगिया में कोयलिया कू क रई ,
बिरछन नें कर लऔ सिंगार ,
झूमे नए फूलन के हार । | bundeli-bns |
मेनू हीरे हीरे आखे हाय
मेनू हीरे हीरे आखे हाय
नी मुंडा लम्बरा दा ,
मेनू वांग शुदैयाँ छनके
हाय नी मुंडा लम्बर दा ,
नी मुंडा लम्बर दा
सुबा सवारे उठ नदिया
मैं जानी आ
मल मल दही दियाँ फुटियां नहौनियां ,
नी उहदे पाणी च सुनींदे हासे ,
हाय नी मुंडा लम्बरा दा ,
मेनू वांग शुदैयाँ छणके
मुंडा लम्बर दा
हाय नी मुंडा लम्बरा दा ,
सुबा सवारे उठ खुही मे जानीआ
सुहा शुआ गहरा जद धके मै लौनी आ ,
मैनू लगा मेरी वखी संग जापे ,
हाय नी मुंडा लम्बरा दा ,
मेनू वांग शुदैयाँ छणके
मुंडा लम्बर दा
हाय नी मुंडा लम्बरा दा ,
सुबा सवेरे उठ बागे मैं जानीआ
बागे मैं जानीआ , नी बागे मैं जानीआ
चुन चुन मरुआ चमेली मैं लैउनीआ ,
उहदे साह दी सुगंध औंदी जापे ,
हाय नी मुंडा लम्बरा दा ,
मैंनू वांग शुदैयाँ छणके
मुंडा लम्बर दा
हाय नी मुंडा लम्बरा दा | panjabi-pan |
दूरि गमन से अयलन कवन दुलहा
दूरि गमन1 से अयलन कवन दुलहा , दुअराहिं भरि गेल साँझ2 हे ।
केने3 गेल , किआ भेल सुगइ कवन सुगइ , कोहबर के करू न विचार हे ॥ 1 ॥
एक हम राजा के बेटी , दूसरे पंडितवा के बहिनी , हम से न होतइ बिचार हे ।
अतना बचनियाँ जब सुनलन कवन दुलहा , घोड़े पीठे भेलन असवार हे ॥ 2 ॥
अतना बचनियाँ जब सुनलन कवन सुगइ ,
पटुक4 झारिए झुरिए5 उठलन कवन सुगइ ।
पकड़ले घोरा6 के लगाम हे ।
अपने तो जाहथि7 जी परभु , ओहे रे तिरहुत देसवा ,
हमरा के8 सौंपले जाएब जी ॥ 3 ॥
नइहर में हव9 धनि , माय बाप अउरो सहोदर भाई ,
ससुरा में हव छतरीराज10 हे ॥ 4 ॥
बिनु रे माय बाप , कइसन हे नइहर लोगवा , बिनु सामी नहीं ससुरार हे ।
किआ11 काम देथिन12 जी परभु , माय बाप अउरो सहोदर भाई ,
चाहे काम देथिन छतरीराज हे ? ॥ 5 ॥ | magahi-mag |
523
सद मांदरी खेड़यां लख आंदे फकर वैद ते नाल मदारियां दे
तिरयाक अकबर अफलातून वाला दारू वडे फरग पसारियां दे
जिनहां जात हजारे दे सप कीले घत आंदे ने विच पटारियां दे
गडे लख ताविज ते धूप हरमल सूत आंदे ने कंज कुआरियां दे
कोई अक चवा खवा गंडे नागदौण1 ते पान सुपारियां दे
तेल मिरच ते बूटियां दुध पैसे घिओ देंदे ने नाल खुआरियां दे
वारस शाह सपाधियां पिंड बधे खेड़यां जोर लाए जरां जारियां दे | panjabi-pan |
427
रांझा खायके मार फिर गरम होया मार मारया भूत फतूर दे ने
वेख परी दे नाल खम1 मारया ए उस फरिशते बैत मामूर2 दे ने
कमर बन्न के पीर नूं याद कीता लाई थापना मलक हजूर दे ने
डेरा बखशी दा मारके लुट लया फते पाई पठान कसूर दे ने
वारस शाह जां अंदरों गरम होया लाटां छटियां ताओ तनूर दे ने | panjabi-pan |
दादा जीए, दादी जीए, आउर सभ लोग
दादा1 जीए , दादी2 जीए , आउर3 सभ लोग ।
मोरे लाला के गोरेगोरे गाल ॥ 1 ॥
कुरता चूमूँ , टोपी चूमूँ , चूमूँ उनकर गाल ।
मोरे लाला के भुअरेभुअरे4 बाल ॥ 2 ॥ | magahi-mag |
जायगो हऊ जाणी रे मन तूक
जायगो हऊ जाणी रे मन तूक
१ पाँच तत्व को पींजरो बणायो ,
जामे बस एक प्राणी
लोभ लालूच की लपट चली है
जायगो बिन पाणी . . .
रे मन तू . . .
२ भुखीयाँ के कारण भोजन प्यारा ,
प्यासा के कारण पाणी
ठंड का कारण अग्नी हो प्यारी
नही मिल्यो गुरु ज्ञानी . . .
रे मन तू . . .
३ राज करन्ता राजा भी जायगा ,
रुप निखरती राणी
वेद पड़न्ता पंडित जायेगा
और सकल अभिमानी . . .
रे मन तू . . .
४ चन्दा भी जायगा सुरज भी जायगा ,
जाय पवन और पाणी
दास कबीर जी की भक्ति भी जायगा
जोत म जोत समाणी . . .
रे मन तू . . . | nimadi-noe |
कोई सात जणी पाणी जायं री
कोई सात जणी पाणी जायं री कोई कुएं रही मंडलाए
री मनै बदो महीनो फागण को
एरी एरी कोई अगली के कांटो लागियो
फिर सातों रही मंडराए री मनै बदो महीनो फागण को
एरी एरी कैं तैरो कांटो काढियो कैं तेरो पकड़ो पांय
री मनै बदो महीनो फागण को
एरी एरी कोई नाई का ने कांटो काढियो मेरा देवर पकड़ो पांय
री मनै बदो महीनो फागण को
एरी एरी कोई नाई का ने देसो परगनो कोई देवर बहण ब्याह
री मनै बदो महीनो फागण को | haryanvi-bgc |
जौ लों जग में राम जियावैं
जौ लों जग में राम जियावैं ।
जे बातें बरकावै ।
हात पाँव दृगदाँत बतीसउ
सदा एक से राबैं ।
ना रिन ग्रेही करै काऊ खाँ
ना घर बनौ मिटावै ।
आपुस की बनी नइँ बिगरै
कुलै दाग ना आवै ।
इतने में कुछ होय ईसुरी
बिना मौत मर जावै । | bundeli-bns |
विदाई गीत
बनी झाझा भाई ने भेले रमतेली वो ।
बनी पीपल छांया मा रमतेली वो ।
बनी झाझी वयण भेले रमतेली वो ।
बनी झाझी भोजाई ने भेले रमतेली वो ।
बनी झाझी फुई ने भेले रमतेली वो ।
वर पक्ष की ओर से दुल्हन को कहा जाता है कि यह पीपल का वृक्ष बहुत पुराना है । इस पीपल की ठंडी छाया में बहुत से भाई , भौजाई , बुआ , बहन के साथ खेलती थीं । | bhili-bhb |
लग रही आस करूँ ब्रजवास
लग रही आस करूँ
भजन करूँ और ध्यान धरूँ , छैया कदमन की मैं ॥
सदा करूँ सत्संग मण्डली सन्त जनन की मैं ॥ लग .
पलकन डगर बुहार रेणुका ब्रज गलियन की मैं ।
अभिलाषी प्यासी रहें अँखियां हरि दरसन की मैं ।
भूख लगै घरेघर तै भिक्षा करूं द्विजन की मैं ।
गंगाजल में धोय भेट धरूँ नन्दनन्दन की मैं ॥
शीतल प्रसादहि पाय करूँ शुद्धी निज मन की मैं ।
सेवा में मैं सदा रहूँ नित ब्रज भक्तन की मैं ॥
ब्रज तज इच्छा करूँ नहीं बैकुण्ठ भवन की मैं ।
‘घासीराम’ शरण पहुँचे गिरिराजधरन की मैं ॥ | braj-bra |
भाग हमारा जागीयाँ
तुम म्हारी नौका धीमी चलो ,
आरे म्हारा दीन दयाला
१ जाई न राम थाड़ा रयाँ ,
जमना पयली हो पारा
नाव लावो रे तुम नावड़ा
आन बैगा पार उतारो . . . .
तुम म्हारी . . . . . . . .
२ उन्डी लगावजै आवली ,
उतरा ठोकर मार
सोना मड़ाऊ थारी आवली
रूपया न को रास . . . .
तुम म्हारी . . . . . . . .
३ निरबल्या मोहे बल नही ,
मोहे फेरा घड़ावो राम
म्हारा कुटूंम से हाऊ एकलो
म्हारो घणो परिवार . . . .
तुम म्हारी . . . . . . . .
४ बिना पंख को सोरटो ,
आरे पंछी चल्यो रे आकाश
रंग रूप वो को कुछ नही
लग भुख नी प्यास . . . .
म्हारी . . . . . . . .
५ कहत कबीर धर्मराज से ,
आरे हाथ ब्रम्हा की झारी
जन्म . जन्म का हो दुखयारी
राखो लाज हमारी . . . .
तुम म्हारी . . . . . . . . | nimadi-noe |
तू परेम के रंग मैं रंग दे चोला आण रे बनवारी
तू परेम के रंग मैं रंग दे चोला आण रे बनवारी
तू रंग जोगिआ रंग दे सेवक जाण रे बनवारी
राम नाम की चाल जमी हो सिव संकर की बूटी हो
भू गुरवो की डोर पड़ी हो किलफां जिसकी छटी हो
ग्वाल बाल गोपाल हो संग में ग्वालन की दधि लूटी हो
देख कै चोला मोरा जोगिआ आसा तिरसना टूटी हो
फिर पहर कै चोला करूं तुम्हारा ध्यान रे बनवारी
तू परेम के रंग . . .
सूत सूत मैं राम रम्या हो मेरै चोलै प्यारै मैं
गोकल मैं गउंआं चरती हों जमना बहे किनारै मैं
सत का सिलमा लगा दिआ जो चमके एक इसारै मैं
बेला फूल बण्या बिसणू का जो राम रह्या हमारे मैं
तार तार तै आवै हरी की तान रै बनवारी
तू परेम के रंग . . .
ठपपै मैं ठाकर जी बैठे देखूं पल्लै चारूं मैं
नारायण नरसी की क्यारी बणी होई इन फुलवारां मैं
नो लख तार्यां की चमकीली मिलै जो बजार्या मैं
चांद सूरज बी बणे होए हों मेरै चोलै प्यारै मैं
तू सत्त धरम नै पक्का करदे आण रे बनवारी
तू परेम के रंग . . .
राम नाम तू रंग में रंग दे गंगा जल लहराता हो
इस चोलै ने ओ पहरेगा जिसका हर तै नाता हो
यो चोला तो उसने भावै जिस नै मोहन भाता हो
मैं बेचैन रहूं तेरै बिन मनगुण तेरे गाता हो
मैं राम पार हो जाऊं कर गुणगान रे बनवारी
तू परेम के रंग . . . | haryanvi-bgc |
हमाओ बीघन कौ परिवार
हमाओ बीघन कौ परिवार
चलाबैं कैसें हम करतार
दयानिध कर दो बेड़ा पार ।
तनकसौ घर भारी किल्लूर
डरन के मारैं रत हम दूर
एक जौ चटा चाट रओ चाट
एक जौ पड़ा पटक रओ खाट ।
एक जौ खड़ौ खुजा रऔ खाज
एक जो मुरा , मुरा रऔ प्याज
एक जौ सिड़ी सुड़क रऔ नाक
एक जौ चड़ौ टोर रओ छाज
एक जे लला बुआ रए लार
मताई कानों करै समार
हारकैं रोउन अँसुबा ढार
काए खौं पबरौ जौ परिवार ।
एक जौ खड़ी खाट पै खड़ौ
एक जौ फिरत स्थाई में भिड़ौ
कढ़ोरा अलमारी सें कड़ौ
लल्तुआ लालटेन पै चड़ौ ।
चतुरिया चूले ऊपर चड़ी
चाट रइ हँड़िया में की कड़ी
रमकुरा जात खुजाउत मुड़ी
सिमइयँन की वीनत है सुड़ी ।
एक जे लला लगा रए लेट
एक जे नंगधुरंगे सेट
कड़त आ रओ मटकासौ पेट
पेट पै रोटी धरें चपेट ।
एक कौ जौनों हम मौं धोउत
दूसरौ मौड़ा तीनों रोउत
रात भर इनखौं ढाँकत फिरत
बता दो फिर हम काँसें सोउत ?
घुरत रत तन ज्यों घुरतइ राँग
बढ़त जा रइ डाड़ी की डाँग
तौउ जे मौड़ीमौड़ा करत
गरम कपड़न की रोजइ माँग ।
रखा लए लम्बेलम्बे बार
निकरतइ घर सें पटियाँ पार
बुआ दो प्रभू तेल की धार
खुपड़ियाँ कर लेबें सिंगार ।
कुटुम में कैसें किऐ पढ़ायँ
फीस खौ पइसा काँसै ल्यायँ ?
जेब की खौंप न भरबा पाई
नओ कुरता काँसैं सिलवाये ?
कभउँ नइँ नोंन , कभउँ नइँ मिर्च
चलै कैसें जा घर कौ खर्च ?
लिड़इ के काल लिबउवा आए
और सँग में दो धुंगा ल्याए ,
न घर में नैकऊ बचो अचार ,
डरी डबला में सेरक बार ,
आजकल की दएँ दैत उधार ?
काए सें राम करें सत्कार ?
बढ़त गइ हर सालै सन्तान
न आओ दोउ जनन खौं ग्यान
आज देरी पै पटकत मूँड़
चटत जा घरीघरी पै जान
करा जनसंख्या कौ बिस्तार
बने हम हाय देस के भार ।
दयानिध कर दो बेड़ा पार । | bundeli-bns |
घोलो री नंणद मेंहदी के पात
घोलो री नंणद मेंहदी के पात रगड़ रचाओ मेंहदी जी राज
नणद रचाए हाथ और पां हम नै रचाई चिटली आंगली जी राज
झूठी सी रची हाथ और पां जुलम रची सै चिटली आंगली जी राज
नहा ले री धो ले कर ले सिंगार पट्टी झूला ले सच्चे मोतियां की राज
होली री भावज म्हारे री साथ आज मिला दूं बीरा आपणै ते जी राज
खोलो रे बीरा बजर किवाड़ सांकल खोलो लोहे सार की जी राज
नहीं खुले बजर किवाड़ सांकल खुले ना लोहे सार की जी राज
रिमझिम बरसै सै मींह बाहर भीजै तेरी गोरड़ी जी राज
खुल गए बजर किवाड़ सांकल खुल गई लोहे सार की जी राज
लई धण हेवड़े कै ला आंसू तो पूंजै पंच रंग चीर कै जी राज
जीवो जी नणदल थारे बीर सदा सुहागण म्हारी नणदली जी राज
द्यूँगी री नणदल बुगचे की तील छटे महीने सीधा कोथली जी राज | haryanvi-bgc |
आवे अचक मेरी बाखर में
आवे अचक मेरी बाखर में , होरी को खिलार ॥
डारत रंग करत रस बतियाँ ,
सहजहि सहज लगत आवे छतियाँ ।
ये दारी तेरौ लगवार ॥ होरी को . आवै .
जानत नाहिं चाल होरी की ,
समझत बहुत घात चोरी की ।
आखिर तो गैयन को ग्वार ॥ होरी को . आवै .
गारी देत अगाड़ी आवै ,
आपहु नाचै और मोहि नचावै ।
देखत ननदी खोले किवार ॥ होरी को . आवै .
सालिगराम बस्यों ब्रज जब से ,
ऐसो फाग मच्यो नहिं तब ते ।
इन बातन पै गुलचा खाय ॥ होरी को . आवै . | braj-bra |
कोई नी मिल्यो म्हारा देश को
कोई नी मिल्यो म्हारा देश को ,
आरे केक कहूँ म्हारा मन की
१ देश पति चल देश को ,
आरे उने धाम लखायाँ
चिन्ता डाँकन सर्पनी
काट हुंडी हो लाया . . .
कोई नी . . .
२ मन को हो चहु दिश छोड़ दे ,
आरे साहेब ढूँढी लावे
ढूँढे तो हरि ना मिले
आरे घट में लव हो लागे . . .
कोई नी . . .
३ लाल कहू लाली नही ,
आरे जरदा भी नाही
रुप रंग वाको कछु नही
आरे व्यापक घट माही . . .
कोई नी . . .
४ पाणी पवन सा पातला ,
आरे जैसे सुर्या को घाम
जैसे चंदा की हो चाँदणी
आरे साई हैं मेरो राम . . .
कोई नी . . .
५ पाव धरन को ठोर नही ,
आरे मानो मत मानो
मुक्ती सुधारो जीव की
आरे जीवन पयचाणो . . .
कोई नी . . . | nimadi-noe |
काये कटोरी में बटणां काये कटोरी में तेल
काये कटोरी में बटणां काये कटोरी में तेल
रूप कटोरी में बटणां , सूण कटोरी में तेल
हठ म्हारी लाडो बैठी बटणा
तेरी लाडो मां सुहागण पांय ना दे छीकै पांय ना दे
पांय ना दे सुहागण अणन्द बधावा हो
तेरी लाडो सास छिनलिया छीकै पाएं धरैगी
रिपट पड़ेगी टूटैं सोकण के हाड
काहे कटोरी में बटणां काहे कटोरी में तेल
ऐत लाडो बैठा बटणां
सूने कटोरी में बटणां रूप कटोरी में तेल
ऐत लाडो बैठा बटणां
आ मेरी दादी देख ले आ मेरी अम्मां देख ले
तुम देखियां सुख होय
ऐत लाडो बैठा बटणां
आ मेरी बुआ देख ले आ मेरी मामी देख ले
तमरे घणे मण चाय
ऐत लाडो बैठा बटणां | haryanvi-bgc |
नानी-सी मांजरी मालवऽ गई मालव सी लाई माटी
नानीसी मांजरी मालवऽ गई , मालव सी लाई माटी ,
माटी का बणाया हत्थी , हत्थी चलऽ आणा बाणा ,
माटी का माय टुलेक दाणा । | nimadi-noe |
ढोटका उटू बबा जोम
ढोटका उटू बबा जोम
ढोटका उटू बबा जोम
ढोटका उटू बबा जोम
ढोटका उटू बबा जोम
डे जुडी म बकी मडी
डे जुडी म बकी मडी
डे जुडी म बकी मडी
डे जुडी म बकी मडी
स्रोत व्यक्ति परसराम , ग्राम लखनपुर | korku-kfq |
होजी कचेरी रा पड़दा खोल दो
होजी कचेरी रा पड़दा खोल दो
देखण दो फलाणा राज रा भीम
होजी उन राया रो कई देखणो
वे तो नमी रया हो उनके चीरां रे भार
बधावोजी म्हें सुण्यो
होजी रसोई रा पड़दा खोल दो
म्हने देखण दो साजनिया री धीय
बधावोजी म्हें सुण्यो
होजी उन राणी रो कई देखणो
वे तो नमी रया उनका चुड़िला रा भार
नानी बऊ दबीरया केसरिया रे भार
बधावो जी म्हें सुण्यो । | malvi-mup |
पियवा जे चललन गोरखपुर, धनियाँ अरज करे हे
पियवा जे चललन गोरखपुर , धनियाँ अरज करे हे ।
परभुजी , हमरा लइहऽ1 कँगनमा , कँगनमा हम पहिरब हे ॥ 1 ॥
अँगना खेलइते2 तोहें ननदी त भउजी से बचन बोले हे ।
भउजी , तोहरा के होतो नंदलाल , हमरा तोंही3 का4 देबऽ हे ॥ 2 ॥
तू हमर लउरी5 ननदिया , आउर6 सिर साहेब हे ।
हम देबो गोरखपुर के कँगना , होरिला जमे7 होयत हे ॥ 3 ॥
गोड़ हाथ पड़त8 ननदिया , आदित9 मनायल10 हे ।
आदित , मोर भउजी बेटवा बिययतन11 बधइया हम कँगनमा लेबइ हे ॥ 4 ॥
आधी रात बितलइ , पहर रात , होरिला जलम लेल हे ।
बाजे लागल आनंद बधावा , महल उठे सोहर हे ॥ 5 ॥
मचिया बइठल तोंहे भउजो त सुनह बचन मोरा हे ।
कहलऽ तू हमरा कँगनमा , कँगनमा बधइया लेबो हे ॥ 6 ॥
नऽ देबो , हे ननदो , नऽ देबो , पीआ के अरजल12 हे ।
कँगना हइ पीया के कमइया , 13 कँगनमा हम कइसे देबो हे ॥ 7 ॥
सुनहऽ हो आदित , सुनहऽ , हम तोर गोड़ धरी हे ।
आदित , भउजी मोर बेटिया बिययतन बधइया न दे हथन14 हे ।
कोदो15 के भतवा के पंथ16 पड़े , जबे भोर होयत हे ॥ 8 ॥
बेटवा क सोहर हम सुनम , हम बधइया देम हे ।
पहिला अरजन17 के कँगनमा , से हो रे पहिरायम हे ॥ 9 ॥
भइया के दसो दरबजवा , दसो घर दीप जरे हे ।
आदित , भउजी के होवइन होरिलवा , बसमतिया18 के पंथ पड़े हे ॥ 10 ॥ | magahi-mag |
बाडीवाला बाडीखोल बाडी की किँवाडी खोल
दूब लाने का गीत
बाडीवाला बाडीखोल बाडी की किँवाडी खोल ,
छोरियाँ आई दूब लेणथे कुण्याजी री बेटी हो ,
कुण्याजी री भेँण हो ,
के थारो नाम है ,
म्हेँ बिरमादासजी री बेटी हाँ ,
ईसरदासजी री भेँण हाँ ,
रोवाँ म्हारो नाम है । | nimadi-noe |
बोया बोया री मां मेरी बणी
बोया बोया री मां मेरी बणी आला खेत खेत रूखाली मैं गई
राही राही री मां मेरी दो पंछी जायं एक गोरा एक सांवला जी
गोरा जी मां मेरी राही जा सांवल म्हारे खेत में री
‘के रे सांवल भूला सै राह के तेरी ब्याही बाप कै जी
‘ना मैं है सुन्दर भूला सूं राह न मेरी ब्याही बाप कै जी’
‘हम तै हे सुन्दर तेरे लगवाल बाप तेरे के साजना जी’
‘तेरे कैसे रे सांवल तीन सौ साठ बाप मेरे के मेहनती जी’
‘तेरी कैसी हे सुन्दर तीन सौ साठ बाप मेरे की झीमरी जी’ | haryanvi-bgc |
बनी ए थारे बाबा जी से कहियो
बनी ए धारे बाबा जी से कहियो रंगावै पंचरंगी चूंदड़ी
पोत सत संगत मंगवाइयो गोटा ग्यान गोरखरू लगाइयो
बूटी राम नाम गिरवाइयो ओढ़ो ओढ़ो ए सुहागण पति भरतारी चूंदड़ी
बनी ए थरे ताऊ जी से कहयो रंगावै पंचरंगी चूंदड़ी
पोत सत संगत मंगवाइयो गोटा ग्यान गोरखरू लगाइयो
बूटी राम नाम गिरवाइयो , ओढ़ो ओढ़ो ए सुहागण पति भरतारी चूंदड़ी
बनी ए थरे बाब्बू जी से कहयो रंगावै पंचरंगी चूंदड़ी
पोत सत संगत मंगवाइयो गोटा ग्यान गोरखरू लगाइयो
बूटी राम नाम गिरवाइयो , ओढ़ो ओढ़ो स सुहागण पति भरतारी चूंदड़ी | haryanvi-bgc |
पूजा गोवर्धन की करि लै
अरी तेरे सब संकट कटि जायें , पूजा गोवर्धन की करिलै ॥ टेक
अड्डे पै भीर बड़ी हो , मोटर नाँय एक खड़ी हो ।
अरी तू चल दै चालम चाल ,
पूजा गोवर्धन की करिलै ॥ अरी .
जा मानसी गंगा नहियो , गिर्राज कूँ माथ नवइयो ।
और फिर परिकम्मा कू जाय ,
पूजा गोवर्धन की करिलै ॥ अरी .
परिकम्मा में मिलें भिखारी , दीजो भिक्षा उनकूँ डारी ।
अरी तू पुन्य बड़ौ ही पाय ,
पूजा गोवर्धन की करिले ॥ अरी .
मन्दिर जो बीच पड़िंगे , पइसा एकएक चढ़िंगे ।
अरी तू दर्शन करती जाय ,
पूजा गोवर्धन की करिले । अरी .
जब आवै पूछरी को लौठा , बिन खाय जो पड़ौ सिलौठा ॥
अरी वाय चरनन सीस झुकाय ,
पूजा गोवर्धन की करिलै ॥ अरी .
जब राधाकुण्ड कूँ जाबें , वहाँ दोनों कुण्ड में नहावैं ।
अरी तेरे पाप सभी धुल जाँय ,
पूजा गोवर्धन की करिलै ॥ अरी .
तू लौट गोवर्धन आवै , श्रम तेरौ सब हर जावै ,
अरी जब मानसी गंगा नहाय ,
पूजा गोवरधन की करिलै ॥ अरी .
पूजा कौ थाल सजइयो , बर्फी को भोग लगइयो ।
मुकुट गिर्राज कू शीश नवाय ,
पूजा गोवरधन की करिलै ॥ अरी .
गिरिराज से ध्यान लगावे , मन वांछित फल तू पावे ॥
अरी चह ‘नन्दन’ कहत सुनाय ,
पूजा गोवरधन की करिलै ॥ अरी . | braj-bra |
संझा बोलत माई हे किनकर घरे जाग
संझा बोलत माई हे किनकर1 घरे जाग2 ॥ 1 ॥
कथि केर3 धियवा4 कथि केर बात5 ।
कथि केर दियवा6 जरइ7 सारी रात ॥ 2 ॥
सोने केर दियवा , कपासे केर बात ।
सोरही गइया8 के घियवा , जरइ सारी रात ॥ 3 ॥ | magahi-mag |
मैं तो पाडूं थी हरी हरी दूब
मैं तो पाडूं थी हरी हरी दूब बटेऊ राही राही जा था
तूं तो बहुत सरूपी नार गैल मेरी चालै ना
मैं तो एक कहूंगी बात बटेऊ तूं सुणता जा
तेरै मारूंगी जूत हजार बटेऊं तूं गिणता जा
मेरे बाबुल के घर का बाग मेवा तो रुत की सै
मेरे भाई भतीजे साठ कुआं म्हारा घर का सै | haryanvi-bgc |
114
सुलतान भाई आया हीर संदा आखे मां नूं घिऊ नूं ताड़ अम्मां
असां फेर जे बाहर एह डिठीसुटां एसनूं जान थीं मार अम्मां
तेरे आखयां सतर1 जे ना बैठी फेरां एसदी धौन तलवार अम्मां
चाक वड़े नाहीं साडे विच बेहड़े नहीं डकरे करांगे चार अम्मां
जेकर धी ना हुकम विच रखियाई सभ साड़ सुटां घर बाहर अम्मां
वारस शाह जेकर धी बुरी होवे रोहड़ दे समुंदरों पार अम्मां | panjabi-pan |
जशोदा तेरो लाल री वशी मे देवे गारी
जशोदा तेरो लाल री वंशी में देवे गारी ।
जब हम जावें नीर भरन खों , रोके गैल हमारी ।
जशोदा . . .
जब हम जावें दही बेंचन खों , मांगे दान मुरारी ।
जशोदा . . .
जब हम जावें जल भरने खों , फोरे गगर हमारी ।
जशोदा . . .
वाके गुण में कहा सुनाऊं , लाज लगत है भारी ।
जशोदा . . .
तुम बरजो अपने कान्हा खों , न तो तजिहैं पुरी तिहारी ।
जशोदा . . . | bundeli-bns |
खुदेड़ बेटी
बोड़ि1बोड़ी ऐगे ब्वै2 । देख । पूस मैना ।
गौंकि बेटो ब्वारि ब्वै । मेतु3 आइ गैना
मैतुड़ा4 बूलालि ब्वै । बोइ5 होलि जौंकी ।
मेरि जीकूड़ी6 म ब्वै । कूयड़ी7 सि लौंकी8 ।
मूल्वड़ी9 वासलि ब्वै । डाड्यूं10 चैत मासज ।
भौलि गैने डालि ब्वे । फूलिगे बुरांसज ।
माल की धूगति ब्वै । मैत आंदि होली ।
डाल्युं मां हिलांस ब्वै । गीत गांदि होली ।
ऊलरि मैनो कि ब्वै । ऋतु बोड़ि ऐगे ।
हैरि ह्वेने डांडि ब्वै । फूल फूलि गैने ।
घूगती घुरलि ब्वै । डाल्यूंडाल्यूं मांजअ ।
मैतुड़ा बुलालि ब्वै । बोह होलि जौंकी ।
मेरि जीकूड़ी म ब्वै । कूयड़ीसि लौंकी ॥
लाल बअणी होलि ब्वै । काफुलू11 कि डाली ।
लोग खान्दा होला ब्वै । लूण रालि राली ।
गौंकि दीदीभूलि ब्वै । जंगुल न जाली ।
कंडि मोरिमोरि12 ब्वै । हींसर13 बिराली ।
‘बाडुलि14 लागलि ब्वै । आग भभराली15’ ।
बोई बोदि होलि ब्वै । मैत आलिआली ।
याद ओंद मीत ब्वै । अपड़ा भुलौंकी ।
मेरि जोकूड़ी म ब्वै । कूयड़ीसि लौंकी ॥
ल्हालि कूरो16 गाडिब्वै । गौं कि बेटिब्वारी ।
हैरिभरीं होलि ब्वै । गेंउजो , कि सारी17 ।
यं बार मैनों कि ब्वै । बार ऋतु आली ।
जौंकि बोई होलि ब्वै । मैतुडा बुलाली ।
मैतु ऐगै होलि ब्वै । दीदिभूलि गौंकी ।
मेरि जीकूड़ी म ब्वै । कूयड़ीसि लौंकी ॥
स्वामिजी हमेशा ब्वै । परदेश रैने ।
साथ का दगड़या18 ब्वै । घअर आइ गैने ।
ऊंकु प्यारी ह्वेगि ब्वै । विदेशू को वासअ ।
बाठा देखीदेखी ब्वै । गैनि दिनमासअ ।
बाडुलि लागलि ब्वै । आग भभराली ।
या त घअर आला , ब्वै । या त चिट्ठिं आली ।
चिट्ठि भी नी आइ ब्वै । तब बटी तौंकी ।
मेरि जीकूड़ी म ब्वै । कूयड़ीसि लोंकी ॥
बाबजी भी मेरा ब्वै । निरमोही रैने ।
जौन पाथो19 भोरि ब्वै । मेरा रूप्या खैने ।
गालि देंद सासु ब्वै । मैंबाबु20 कि मारी ।
बासि खाणू देंद ब्वै । कोलि मारी मारी ।
बोद तेरो बाबु ब्वै । जो रूपया नि खांदो ।
मेरो लाड़ोप्यारी ब्वै । विदेशू नि रांदो ।
बाबा न बणये ब्वै । इनि गति मेरी ।
ज्वानि तअ उड़िगे ब्वै । वाठो हेरीहेरी ।
चिट्ठी भी नी आइ ब्वै । तब बटी तौंकी ।
मेरि जीकूड़ी21 म ब्वै । कूयड़ीसि लौंकी ॥ | garhwali-gbm |
298
हमी वडे फकीर सत पीढ़ीए हां रसम जग दा हमी जानने हां
कंद मूल उजाड़ विच खायके ते बनवास लै के मौज मानने हां
नगर विच ना आतमा परचदा ए उदयान1 बह के तम्बू तानने हां
वारस तीरथ जोग बैराग होवे रूप तिनां दा हमीं पछानने हां | panjabi-pan |
जसोदा तेरे लाला ने माटी खाई
जसोदा सुन माई , तेरे लाला ने माटी खाई ॥ टेक
अद्भुत खेल सखन संग खैल्यौ , इतनौ सौ माटी को डेल्यौ
तुरत श्याम ने मुख से मेल्यौ , जानै गटकगटक गटकाई ॥ 1 ॥
माखन कू कबहूँ ना नाटी , क्यों लाला तैनें खाई माटी
धमकावै जसुदा लै साँटी , जाय नेंक दया नहिं आई ॥ 2 ॥
ऐसौ स्वाद नांय माखन में , नाँय मिश्री मेवा दाखन में
जो रस ब्रजरजके चाखन में , जानें भुक्ति को मुक्ति कराई ॥ 3 ॥
मुख के माँहि आँगुरी मेली , निकर परी माँटी की डेली
भीर भई सखियन की भेली , जाय देखें लोग लुगाई ॥ 4 ॥
मोहन कौ म्हौड़ौ फरवायौ , तीन लोग वैभव दरसायौ
जब विश्वास जसोदाए आयौ , ये तो पूरन ब्रह्म कन्हाई ॥ 5 ॥
जा रजकू सुरनर मुनि तरसें , धन्यभाग्य जो नितप्रति परसैं ,
जिनकी लगन लगी होय हरसैं , कहें ‘घासीराम’ सुनाई ॥ 6 ॥ | braj-bra |
मात कहे बात भली सुन सुन्दरी
जब लडकी की विवाह के बाद बिदाई होती है तब सभी महिलाये उसे विदा करते हुए यह सीख देती है ।
मात कहे बात भली सुन सुन्दरी ,
लक्ष धरी वात न निभाव्जे हो
सयानी कुल न ल्जाव्जे ।
ससरा खअपना बाप सम जान्जे ,
सासु ख माय सम जान्जे
ओ सयानी . . .
जेठ का सामन हलू हलू चालजे ,
जेठानी का मान ख ब्धावजे
ओ सयानी . . .
देवर ख अपना भाई सम जान्जे ,
देरानी ख सई सहेली सम जाणिजे
ओ सयानी . . . .
नन्द ख अपनी बैन सम जान्जे ,
ननदोई जी आया मिज्वान
ओ सयानी . . . .
मात कहे बात भली सुन सुन्दरी ,
लक्ष धरी बात न निभाव्जे
वो सयानी कुल न ल्जाव्जे | nimadi-noe |
निवाड़ो तो निवाड़ो
निवाड़ो तो निवाड़ो
निवाड़ो तो निवाड़ो
निवाड़ो रे आबा दाई काली बऊके निवाड़ो
निवाड़ो रे आबा दाई काली बऊके निवाड़ो
हजार रुपया दहेज दिया काली बऊके निवाड़ो
हजार रुपया दहेज दिया काली बऊके निवाड़ो
निवाड़ो तो निवाड़ो
निवाड़ो तो निवाड़ो
निवाड़ो रे आवा दाई काली बऊके निवाड़ो
निवाड़ो रे आवा दाई काली बऊके निवाड़ो
स्रोत व्यक्ति चिरौंजीलाल , ग्राम कुकड़ापानी | korku-kfq |
कुटकी जोम सकप सकप
कुटकी जोम सकप सकप
कुटकी जोम सकप सकप
कुटकी जोम सकप सकप
साना बाम्बू लकप लकप
साना बाम्बू लकप लकप
साना बाम्बू लकप लकप
स्रोत व्यक्ति सुलोचना , ग्राम नानी मकड़ाई | korku-kfq |
देवी गीत- देबी दयाल भईं अंगन मोरे
होलिया में उड़त है गुलाल मईया का रंग सतरंगी
सेनुरा भीजै बिंदिया भीजै चेहरा है ललाम लाल
मईया का रंग सतरंगी
चुडिया भीजै कंगना भीजै हाथ है ललाम लाल
मईया का रंग सतरंगी
लहंगा भीजै चुनरी भीजै देहियाँ है ललाम लाल
मईया का रंग सतरंगी
पायल भीजै बिछुआ भीजै एड़िया है ललाम लाल
गुलाल मईया का रंग सतरंगी | awadhi-awa |
आले आले बँसवा कटावलूँ
आले आले1 बँसवा कटावलूँ , डढ़िया2 नबि नबि3 जाय ।
से जीरा छावल कोहबर ॥ 1 ॥
सेहे4 पइसि5 सूतल6 दुलहा दुलरइता दुलहा ।
जबरे7 सजनमा केर धिया , से जीरा छावल कोहबर ॥ 2 ॥
ओते8 सुतूँ9 ओते सुतूँ , दुलहिन , दुलरइतिन दुलहिन ।
पुरबी चदरिया10 मइला होय जयतो , से जीरा छावल कोहबर ॥ 3 ॥
एतना बचनियाँ जब सुनलन , दुलहिन सुहबे ।
खाट छोड़िए भुइयाँ11 लोटे हे , से जीरा छज्ञवल कोहबर ॥ 4 ॥
भनसा12 पइसल तोहे13 बड़की सरहोजिया14 ।
अपन ननदिया के बौंसावह15 से जीरा छज्ञवल कोहबर ॥ 5 ॥
उठूँ मइयाँ16 उठूँ मइयाँ , जाऊँ कोहबरवा ।
अपन सँम्हारू17 लामी केस , से जीरा छावल कोहबर ॥ 6 ॥
कइसे उठूँ , कइसे उठूँ भउजी हे ।
छिनारी पूता18 बोलहे19 कुबोल , से जीरा छावल कोहबर ॥ 7 ॥
कने20 गेल21 कीया22 भेलऽ23 छिनारी के भइया हे ।
हमर ननदिया रूसवल24 से जीरा छावल कोहबर ॥ 8 ॥ | magahi-mag |
मेरी मेहंदी के औड़े चौड़े पात
मेरी मेहंदी के औड़े चौड़े पात रे बीरा बारी बारी जां
मैं तो पीसूंगी चकले के पाट रे बीरा बारी बारी जां
मैं तो घोलूंगी हिरणी के दूध रे बीरा बारी बारी जां
मैं तो लाऊंगी देवेन्द्र भाई के हाथ रे बीरा बारी बारी जां | haryanvi-bgc |
141
चूचक आखया लंडयां जाह साथों तैनूं वल है झगड़यांझेड़यां दा
तूं सरदार हैं चोरां उचकयां दा सूहा बैठा एं महानूआं भेड़यां दा
तैनूं वैर है नाल अजानयां दे अते वैर है दब दरेड़यां दा
आप छेड़ के पिछड़ें दी फिरन रोंदे एह चज है माहणूआं1 फेड़यां दा
वारस शाह इबलीस2 दी शकल कैदी एह मूल हैसब बखेड़यां3 दा | panjabi-pan |
चवरी गीत
वधू पक्ष सोनानि पालकि मा बठि वो मारी बेनी ।
सोनानी पालकी वासे ।
कुकड़ डालगा मा बठोरे , डाहेला लाड़ा ,
कुकड़ डालगो कटके ।
वधू पक्ष सोनानि पालकि मा बठो रे बेना ,
सोनानी पालकी वासे ।
कुकड़ डालगा मा बठोरे , डाहेला लाड़ा ,
कुकड़ डालगो कटके ।
चावरी में दूल्हादुल्हन बैठे हैं , दोनों पक्ष की महिलाएँ गीत गाती हैं । वधू पक्ष की महिलाएँ कहती हैं दुल्हन सोने की पालकी में बैठी है , सोने की पालकी खुशबू दे रही है । बूढ़ा दूल्हा मुर्गेमुर्गी के डाले पिंजरा में बैठा है , पिंजरा कटकटा रहा है । वर पक्ष की ओर से कहा गया है दूल्हा सोने की पालकी में बैठा है , पालकी खुशबू दे रही है , बूढ़ी दुल्हन मुर्गेमुर्गी के डाले में बैठी है और डालगा पिंजरा कटकटा रहा है । | bhili-bhb |
इशक अव्वल दा
नी मैनूँ लगड़ा इशक अव्वल दा ।
अव्वल दा रोज़ अज़ल1 दा ।
विच्च कड़ाही तल तल जावे ,
तलेआँ नूँ चा तलदा ।
नी मैनूँ लगड़ा इशक अव्वल दा ।
मोएआँ नूँ एह वल वल मारे ,
दलिआँ नूँ चा दलदा ।
नी मैनूँ लगड़ा इशक अव्वल दा ।
क्या जाणा कोई चिणग पई है ,
नित्त सूल कलेजे सल्ल दा ।
नी मैनूँ लगड़ा इशक अव्वल दा ।
तीर इशक दा लग्गा जिगर विच्च ,
हिलाएआँ वी नहीं हलदा ।
नी मैनूँ लगड़ा इशक अव्वल दा ।
बुल्ला सहु दा नेहुँ अनोखा ,
रलाएआँ भी नहीं रलदा ।
नी मैनूँ लगड़ा इशक अव्वल दा । | panjabi-pan |
मीना जडी बिंदी लेता आवजो जी
मीना जडी बिंदी लेता आवजो जी , बना पैली पेसेंजर सी आवजो जी
आवजो आवजो आवजो जी बना पैली पेसेंजर सी आवजो जी
माथ सारु बीदी लाव्जो माथ सारु टीको ,
माथ सारु झूमर लेता आवजो जी बना पैली पेसेंजर सी आवजो जी
गल सारु हार लाव्जो गल सारु नेकलेस ,
गल सारु पेंडिल लेता आवजो जी , बना पैली पेसेंजेर सी आवजो जी
हाथ सारु चूड़ी लाव्जो हाथ सारू कंगन ,
हाथ सारु बाजूबंद लेता आवजो जी बना पैली पेसेंजेर सी आवजो जी
पांय सारु चम्पक लाव्जो , पांय सारु बिछिया ,
पांय सारु मेहँदी लेता आवजो जी बना पैली पेसेंजर सी आवजो जी
अंग सारु साडी लाव्जो , अंग सारु पैठनी ,
अंग सारु चुनार्ड लेता आवजो जी बना पैली पेसेंजर सी आवजो जी
आवजो आवजो जी बना पैली पेसेंजर सी आवजो जी | nimadi-noe |
तेरो रंग बदल्यूँ च है रे जमाना!
तेरो रंग बदल्यूँ च है रे जमाना
दुनिया का देख ढंग , चड्यूँ च कच्चो रंग ।
भेद भौ कुछ नी च , सब एक समाना
छै रुप्या को कोट सिलैले तब चलदो बाँगो ,
जेब मा वेका धेला नी च चुफ्लो वे को नाँगो
कली होक्का साँदी रख्या , बीड़ी पेन्दा ज्यादा ,
कोणा पर बीड़ी सुलगै , रजै फुंके आदा
नौना को भैंसो ब्यायूँ , बुड्या लग्यूँ च सास ,
ब्वारी करदी सैर फैर , सासू काटदी घास
सासू कर्दी कूटणी पीसणी ब्वारी ह्वैगे सयाणी ,
नौनों मू चा को गिलास , बुड्या मू पंज्वाणी ।
जोंखी मूंडी फुंडू धोली , चिफ्ली करी दाड़ी ,
घर की जनानीक धोती नी , रंडीक लौंदा साड़ी
हात पर बीड़ि लीले , गिच्चा पर पान ,
बुड्या बुड्योंन जोंखी मूंडी , हम भी होन्दा ज्वान | garhwali-gbm |
ईसुरी की फाग-24
बाँकी रजउ तुमारी आँखें
रव घूंगट में ढाँके ।
हमने अबै दूर से देखीं
कमल फूल सी पाँखें ।
जिदना चोट लगत नैंनन की
डरे हजारन कांखें ।
जैसी राखे रई ' ईसुरी '
ऐसईं रईयो राखें ।
भावार्थ
महाकवि ' ईसुरी ' अपनी प्रेयसी ' रजऊ ' की आँखों की प्रशंसा करते हुए कहते हैं — प्रिय रजऊ , तुम्हारी आँखें बेहद सुन्दर हैं इनको तुम घूँघट में ही छिपा लो । अभी तो मैंने दूर से देखी हैं लेकिन मानो वो कमल की पंखुड़ियों हैं । जिस दिन इन आँखों की चोट लगती है उस दिन हज़ारों लोग कराहते हैं । लेकिन मेरे प्रति जैसा प्रेम भाव अब रखे हो वैसा ही रखना । | bundeli-bns |
रातिए जे एलै रानू गउना करैले
रातिए जे एलै रानू गउना करैले
कोहबर घर में सूतल नीचीत ।
जकरो दुअरिया हे रानो कोसी बहे धार
से हो कैसे सुतै हे नीचीत ।
सीरमा बैसल हे रानो कोसिका जगावै
सूतल रानो उठल चेहाय ।
कांख लेल धोतिया हे रानो मुख दतमनि
माय तोरा हँटो हे रानो बाप तोरा बरजौ
जनु जाहु कोसी असनान ।
हँटलौ ने माने रानो दबलौ ने माने
चल गेलै कोसी असनान । । | angika-anp |
विवाह - गीत - बेरिया की बेरिया मै
बेरिया की बेरिया मै बरिज्यो बाबा जेठ जनि रचिहो बियाह
हठी से घोडा पियासन मरिहै गोरा बदन कुम्हलाय
कहो तो मोरी बेटी छ्त्रू छ्वाओं कहो तो नेतवा ओहार
कहो तो मोरी बेटी सुरजू अलोपों गोरा बदन रहि जाय
काहे को मोरे बाबा छ्त्रू छ्वायो काहे कैं नेतवा ओहार
काहे को मोरे बाबा सुरजू अलोपों गोरा बदन रहि जाय
आजू कै रोजे बाबा तोहरी मडैइया कालही सुघर बार के साथ
काचहि दुधवा पियायो मोरी बेटी दहिया खियायो सढीयार
एकहू गुनहिया न लाइयु मोरी बेटी चल्यु परदेसिया के साथ
काहे कै मोरे बाबा दुधवा पियायो दहिया खियायो सढीयार
जानत रह्यो बेटी पर घर जइहें गोरा बदन रहि जाय
इहै दुधवा बाबा भैया कैं पीऔत्यों जेनि तोहरे दल कै सिंगार | awadhi-awa |
ऐसा काला तूं बना रे
ऐसा काला तूं बना रे . . . . . . जैसी उड़द की दाल
दाल होय तो धोय लूं तेरा रंग न धोया जाय रे | haryanvi-bgc |
491
परमेह1 दा मैंनूं है असर होया रंग जरद होया एस वासते नी
छांपां खुभ गइयां गलां मेरिया ते दाग पै गया चुभ वरासते नी
कटे जांदे नूं भजके मिलिसां मैं तनिया ढिलोहां चोली दिया पालते नी
रूंनी अथरू डुलिया मुखडे ते खुल गए ततोलड़े2 पासते नी
सुरखी होंठां दी आप मैं चूस लई रंग उड गया एस वासते नी
कटा घुटया विच गलवकड़ी दे डूकां लाल होइयां आस पास ते नी
मेरे पढू नूं कट ने ढुड मारी लासां पै गइयां मेरे मास ते नी
वारस शाह मैं पुज गरीबनी हां क्यों आंखदे लोक मुहासते3 नी | panjabi-pan |
ए बेबे गोरे गोरे देवर जेठ
ए बेबे गोरे गोरे देवर जेठ
काले काले तेरे भातिआं जी
ए बेबे गिरदां आले देवर जेठ
ओछे ओछे तेरे भातिआं जी
ए बेबे पंठा आले देवर जेठ
गंजे गंजे तेरे भातिआं जी | haryanvi-bgc |
249
तुसीं जोग दा पंथ बताओ मैंनूं शौक जागया हरफ1 नगीनयां दे
एस जोग दे पंथ विच आ वड़या छपन ऐब सवाब कमीनयां दे
हिरस अग ते सबर दा पवे पानी जोग ठंड घते विच सीनयां दे
इक फकर ई रब्ब दे रहन साबत होर थिड़कदे अहल2 खजीनयां दे
तेरे दर ते आन मुथाज होए असीं नौकर हां बाझ महीनयां दे
वारस हो फकीर मैं नगर मंगां छडां वायदे एहनां रोजीनयां3 दे | panjabi-pan |
डोहा गीत
डोहो मांड्यो कि दयणी , दिवल्यो मांगे तेल ।
डोहो पान यातली , डोहो सुरभरयो रमसे ।
डोहो तेल पर खेले ने ।
डोहो घिंव पर खेले ।
डोहो केरेल्यो रे लोल ।
दीपावली के बाद डोहा खेलते हैं । एक मिट्टी के कलश या मटकी में कई छेद कर देते हैं । उसके अन्दर घी या तेल भरकर एक दीपक रखते हैं , उसे डोहा कहते हैं ।
एक लड़की डोहे को सिर पर रखती है साथ में लड़केलड़कियाँ रहते हैं , ढोल बजाकर नाचते हैं और गीत गाते हैं । डोहे वाली पार्टी गाँव में प्रत्येक घर जाकर गीत गाती है , घर के लोग उनको अनाज देते हैं । उसकी गोठ पार्टी करते हैं । एक गाँव के लोग दूसरे गाँव में भी डोहा खेलने जाते हैं । | bhili-bhb |
जी हो आज म्हारो देवमन्दिर लहलहे
जी हो आज म्हारो देवमन्दिर लहलहे ,
आया म्हारा गणपत राव ,
हरकत पगरण आरम्भियो ।
जी हो आज म्हारी पटसाळ लहलहे
आया म्हारा दशरथ बाप ,
हरकत पगरण आरम्भियो ।
जी हो आज म्हारो पाळणो लहलहे
आई म्हारी कौशल्या माय ,
हरकत पगरण आरम्भियो ।
जी हो आज म्हारो मण्डप लहलहे
आया म्हारा रामलछमण बीरा
हरकत पगरण आरम्भियो ।
जी हो आज म्हारी आरती लहलहे
आई म्हारी सुभद्रा बेण ।
हरकत पगरण आरम्भियो । | nimadi-noe |
बिराजे आज सरजू तीर
बिराजे आज सरजू तीर
चौकी चारु भनिन मय राजे ,
तापर सिया रघुबीर । । बिराजे . . .
जनक लली दमिनि अति सुन्दर ,
पिय धन श्याम शरीर ।
पीताम्बर पट उत छवि छाजत ,
इत नीलाम्बरचीर । । बिराजे . . .
सिय सिर सुभग चन्द्रिका झलकत ,
उत कलगी मंदीर । ।
पिय कर वाम सिया हैं सोहे ,
दाहिन कर धनु तीर । । बिराजे . . .
मृदु मुसकात बतात परस्पर ,
हरत हृदय की पीर । ।
कंचन कुंअरि निरखि यह शोभा ,
रहो न तनमन धीर । । बिराजे . . . | bundeli-bns |
मथुरा के लोगवा
आवत है नन्दलाल के हाथी , तूरत डार मीरोरत छाती ,
ए नन्दलाल धका जनि दीहऽ धुक्की जनि दीहऽ ।
मथुराजी के लोगवा बड़ा रगरी , फेरत है सिर के गगरी ,
भींजत है लहँगा चुनरी , बान्हत है टेढ़का पगरी । | bhojpuri-bho |
डोले तै तलै उतरिया हे बहुअड़
डोले तै तलै उतरिया हे बहुअड़ करके नीची नाड़
सासू जी के पांय लिये सै लिये चरण चुचकार
जीओ हे तेरे भाई भतीजे बणा रहो भरतार
मेरे बेट्टे की बेल बधाई जाम्मे हे राजकंवार | haryanvi-bgc |
293
मुठी मुठी ए गल ना करो अड़ीयो मैं तां सुनदयां ही मर गई जे नी
तुसां इक जदाकनी गल टोरी खली1 तली ही मैं रूढ़ गई जे नी
गये टुट सतरान2 ते अकल डुबी मेरे धूह कलेजड़े पई जे नी
कीकूं कन्न पड़ाय के जींवदा ए गलां सुनदयां ई जिंद गई जे नी
उहदा दुखड़ा रोवना जदों सुनयां मुठी मीट3 के मैं बह गई जे नी
मसू भिन्नड़ा4 जो लैंदियां ने जिंद सुनदयां ई निकल गई जे नी
किवें वेखीए ओस मसतानड़े नूं जैदा धुम त्रिंजणा पई जे नी
वेखां केहड़े देश दा एह जोगी उस तों कौन पयारी रूस गई जे नी
अक पोसत धतूरा ते भंग पी के मौत ओस ने क्यों मुल लई जे नी
जिसदा मां न बाप न भैण भाई कोई कौन करेगा ओसदी सही जे नी | panjabi-pan |
वत्त ना करसाँ माण
वत्त ना करसाँ माण रँझेटे यार दा वे अड़िआ ।
इशक अल्ला दी जात दा मेहणा ,
कैह वल्ल कराँ पुकार किसे नहीं रहणा ,
अग्गे दी गल्ल ओही जाणै ,
कौण कोई दम मारदा वे अड़ेआ ।
अज्ज अजोकी रात मेरे घर वस्स खाँ वे अड़िआ ,
दिल दीआँ घुंडिआँ खोल असाँ नाल हस्स वे अड़िआ ,
दिलबर यार करार कीत्तोई ,
की इतबार सोहणे यार दा वे अड़िआ ,
जान कराँ कुरबान भेत ना दसाईं अड़िआ ।
ढूँढ़ा तकीए दाएरे उठ्ठ उठ्ठ नस्सना ऐं ,
रत्न मिल सइआँ पुच्छदीआँ ,
होया वक्त भंडार वे अड़ेआ ।
हिक्क करदीआँ खुदी हंकार उन्हां थी तारना ऐं ,
हिक्क पिच्छे पिच्छे फिरन खुआर सड़िआँ नूँ साड़ना ऐं ,
मैंडे यार की इतबार तेरे प्यार दा वे अड़िआ ।
चिक्कड़ भरेआँ नाल तूँ झूमर घत्तना ऐं ,
लाया हार शिंगार मैथीं उठ्ठ नस्सना ऐं ,
बुल्ला सहु घर आओ ,
होय वक्त दीदार दा वे अड़िआ । | panjabi-pan |
मिली-जुली चलहु चुमावन, सुनहु सिवसंकर हे
मिलीजुली चलहु चुमावन , सुनहु सिवसंकर हे ।
आजु हुइ राम के बियाह , सुनहु सिवसंकर हे ॥ 1 ॥
दसपाँच सखिया बारिय भोरे1 अउरो बड़ सुन्नर हे ।
हाथ लेले सोने के थार2 सुनहु सिवसंकर हे ॥ 2 ॥
चुमवल मइया कोसिला मइया , अवरो तीनों मइया हे ।
आज अजोधेया में उछाह3 सुनहु सिवसंकर हे ॥ 3 ॥ | magahi-mag |
शबरी के खट्टे मीठे बेर बेर बड़े मीठे लगे
शबरी के खट्टे मीठे बेर , बेर बड़े मीठे लगे ।
एक दिन शबरी जंगल गई थी , जंगल गई थी ।
ले आई खट्टे मीठे बेर , बड़े मीठे लगे ।
एक मुट्ठी बेर शबरी रामजी को दीन्हीं
रामजी ने खाय लिये बेर , बेर बड़े मीठे लगे ।
एक मुट्ठी बेर शबरी लखन जी को दीन्हीं ।
फेंक दिये उनके बेर , बेर बड़े खट्टे लगे ।
वही बेर बनें थे , पर्वत पे बूटी ।
आये लखन के काम बेर . . . | bundeli-bns |
103
मलकी जाए के वेहड़े विच पुछदी ए वेहड़ा केहड़ा भाइयां सावयां1 दा
साडे माही दी खवर है किते अड़ियो किधर मारया गया पछोतावयां दा
जरा हीर कुड़ी उहनूं सददी ए रंग धोवंदी पलंघ देयां पावयां दा
रांझा बोलयां सथरो मन्न आकड़ एह जे पिआ सरदार नथावयां दा
सिर पटे सफा कर सोए रिहा जिबे बालका मुन्नया बावयां दा
वारस शाह जयों चोर नूं मिले वाहर2 उमे साह मरे मारया हावयां दा | panjabi-pan |
मंडवा ईटा सुबाये ऐकली जा राजा
मंडवा ईटा सुबाये ऐकली जा राजा
मंडवा ईटा सुबाये ऐकली जा राजा
हिटटु इयां किबला हेजेवा ऐनटेन कोरा बारेन
हिटटु इयां किबला हेजेवा ऐनटेन कोरा बारेन
डोयरा माजा राजा मारे
डोयरा माजा राजा मारे
आमा गलजा डाई बानेजा आम बारेन बोकजई बाने
आमा गलजा डाई बानेजा आम बारेन बोकजई बाने
बाकीमा झूरना इयां माडो रानी
बाकीमा झूरना इयां माडो रानी
जेमा हिमटो टोले माजा राजा जेमा हिमटो टोले बाजा राजा मारे
जेमा हिमटो टोले माजा राजा जेमा हिमटो टोले बाजा राजा मारे
बाकी मा झूरना इयां डो रानी
बाकी मा झूरना इयां डो रानी
गावां कुरकू जोड़ा टोले गावां कुरकू हिमटो टोले डो रानी मारे
गावां कुरकू जोड़ा टोले गावां कुरकू हिमटो टोले डो रानी मारे
स्रोत व्यक्ति पार्वती बाई , ग्राम टेमलावाड़ी | korku-kfq |
लूटन चलो श्याम की अमरैया
लूटन चलो श्याम की अमरैयां ।
कहना कन्हैया प्यारे जन्म लियो हैं
हां कहना बाजे बधैयां लूटन . . .
मथुरा कन्हैया प्यारे जन्म लिवो हैं
गोकुल बाजे बधैयां । लूटन . . .
कहां तो बाजे ढोलक मंजीरा
कहां बाजे शहनैयां । लूटन . . .
मथुरा बाजे ढोलक मंजीरा
गोकुल बाजे शहनैयां । लूटन . . . | bundeli-bns |
प्रभु तोरी महिमा परम अपारा
प्रभु तोरी महिमा परम अपारा
जाको मिले न कोऊ पारा । ।
सबरे जगत खों आप रचावें
सबके हो तुम पालन हारा ।
प्रभु तोरी महिमा . . . ।
कैसो सूरज गरम बनायो
कैसो शीतल चांद उजारा ।
प्रभु तोरी महिमा . . . ।
जुदाजुदा नभ के तो ऊपर
चमकत कैसे हैं धु्रवतारा ।
प्रभु तोरी महिमा . . . ।
उन प्रभु खों तुम भज लो प्यारे
कर लो अपनो बेड़ा पार ।
प्रभु तोरी महिमा . . . । | bundeli-bns |
अच्छा अच्छा गहना चढ़इये रे, जेठ भैंसुरा
अच्छा अच्छा गहना चढ़इये रे , जेठ भैंसुरा1 ।
बड़ा जतन के धियवा रे , जेठ भैंसुरा ।
टिकवा2 ले गुरहँथियेसन्दर्भ त्रुटि : टैग के लिए समाप्ति टैग नहीं मिला दुलहिन को वस्त्राभूषण देता है रे , जेठ भैंसुरा ॥ 1 ॥
अच्छा अच्छा गहना चढ़इये रे , जेठ भैंसुरा ।
बड़ा जतन के धियवा रे , जेठ भैंसुरा ।
नथिया3 ले गुरहँथिये रे , जेठ भैंसुरा ॥ 2 ॥
अच्छा अच्छा गहना चढ़इये रे , जेठ भैंसुरा ।
बड़ा जतन के धियवा रे , जेठ भैंसुरा ।
हँसुली4 ले गुरहँथिये रे , जेठ भैंसुरा ॥ 3 ॥
अच्छा अच्छा गहना चढ़इये रे , जेठ भैंसुरा ।
बड़ा जतन के धियवा रे , जेठ भैंसुरा ।
बजुआ5 ले गुरहँथिये रे , जेठ भैंसुरा ॥ 4 ॥
अच्छा अच्छा कपड़ा चढ़इये रे , जेठ भैंसुरा ।
बड़ा जतन के धियवा रे , जेठ भैंसुरा ।
सड़िया ले गुरहँथिये रे , जेठ भैंसुरा ॥ 5 ॥ | magahi-mag |
गरबा का गणपति
गरबा का गणपति
ऐजी सुमर गणपति को ध्यान
म्हारा गरबा में बेगा आवजोजी
सांते तम रिद्धिसिद्धि लावजोजी
म्हारा गरबा में बेगा आवजोजी
कंकूना पगल्या पधार जो
म्हारा गरबा में बेगा आवजो | malvi-mup |
ज़िकर ना इशक मज़ाजी लागे
ज़िकर ना इशक मज़ाजी लागे ।
सूई सेवे ना बिन धागे ।
इशक मज़ाजी दाता है ।
जिस पिच्छे मस्त हो जाता है ।
इशक जिन्हाँ दी हड्डीं पैंदा ।
सोई निरजीवत मर जांदा ।
इशक पिता ते माता ए ।
जिस पिच्छे मस्त हो जाता ए ।
आशक दा तन सुक्कदा जाए ।
मैं खड़ी चन्द पर के साए ।
वेख माशूकाँ खिड़ खिड़ हासे ।
इशक बेताल पढ़ाता है ।
जिस ते इशक एह आया है ।
ओह बेबस कर दिखलाया है ।
नशा रोम रोम में आया है ।
इस विच्च न रत्ती ओहला है ।
हर तरफ दिसेन्दा मौला है ।
बुल्ला आशक वी हुण तरदा है ।
जिस फिकर पीआ दे घर दा है ।
रब्ब मिलदा वेक्ख उचरदा है ।
मन अन्दर होया झाता है ।
जिस पिच्छे मस्त हो जाता है । | panjabi-pan |
आ मिल यार
आर मिल यार सार लै मेरी ,
मेरी जान दुःखाँ ने घेरी ।
अन्दर ख्वाब विछोड़ा होया ,
खबर ना पैंदी तेरी ।
आर मिल यार सार लै मेरी ।
सुं´े बन विच्च लुट्टी साइआँ ,
सूर पंगल1 ने घेरी ।
आर मिल यार सार लै मेरी ।
मुल्लाँ जज़ी सानूँ राह बतावण ,
देण भरम दे फेरी ।
एह ताँ ठग्ग जगत दे ,
जिह लावण जाल चुफेरी ।
आर मिल यार सार लै मेरी ।
करम शरा दे धरम बतावण ,
संगल पावण पैंरी ।
ज़ात मज़हब एह इशक ना पुच्छदा ,
इशक शरा दा वैरी ।
नदिओं पार मुल्क सज्जण दा ,
लहवो2 लअब3 ने घेरी ।
आर मिल यार सार लै मेरी ।
सतगुर बेड़ी फड़ी खलोती ,
तैं क्यों लाई आ देरी ?
बुल्ले शाह सहु तैनूँ मिलसी ,
दिल नूँ देह दलेरी ।
आ मिल यार सार लै मेरी ।
प्रीतम पास ते टोलणा किसनूँ ,
भुल्ल ग्यों सिखर दुपहरी ।
आ मिल यार सार लै मेरी ।
मेरी जान दुःखाँ ने घेरी । | panjabi-pan |
ईख नलाई के फल पाई
ईख नलाई के फल पाई
ईख नलाई मन्ने कंठी घड़ाई
ले गया चोर बहू के सिर लाई
सुसरा तै लडूंगी पीठ फेर कै लडूंगी
आजा हे सासड़ तन्ने डंडा तै घडूंगी
जेठ तै लडूंगी दिल खोल के लडूंगी
आजा हे जिठानी तेरा धान सा छउूंगी
देवर तै लडूं घूंघट खोल कै लडूंगी
आजा हे द्यौरानी तन्नै खूटिया धरूंगी
पड़ोसी तै लडूंगी दिल खोल के लडूंगी
आजा हे पड़ोसन तन्नै पाड़ के धरूंगी
बालम तै लडूंगी महलां बैठी हे लडूंगी
आजा हे सोकन तेरा डंडा बित्ती घडूंगी | haryanvi-bgc |
442
असां किसे दे नाल नहीं कुझ मतलब सिरो पा लै के खुशी हो रहे
लोकां मेहने मार बेपती कीती मारे शरम दे अदरी रो रहे
गुसे नाल एह वाल पैकान1 वांगू साडे जिसम दे तीर खलो रहे
वारस शाह ना संग नूं रंग आवे लख सूहे जे विच डबो रहे | panjabi-pan |
माता डूंगर खटकी म्हें सुण्यो
माता डूंगर खटकी म्हें सुण्यो
सुन्नो घड़े रो सुनार
मोरे कसूम्बो रगमग्यो
सोनी घड़जे ईश्वर राम को मंूदड़ो
म्हारी रणु बाई दो नौसरियो हार
सोनी हार की छोलण ऊतरे
म्हारा सुभद्रा बई हो तिलक लिलाट
गोरे कसुम्बो रगमग्यो | malvi-mup |
माता पिता ने धरम डिगा दिया
माता पिता ने धरम डिगा दिया महाराणा तैं डर कै
पति का परेम भुलावण लाग्यी क्यों धिंगताणा कर कै
अपनी मां के संग थी मीरा पूजा बीच निगाह थी
एक वर पूजण गया मंदिर में बारात सजी संग जा थी
मैं बोली कौण कित जा सै समझ लावण आली मां थी
न्यूं बोली बनड़ा बनड़ी ल्यावे जिसने पति की चाह थी
मैं बोली मेरा पति कौन झट हाथ लगाया गिरधर कै
पति का परेम . . .
नाम सुणा जब गिरधर जी का आनंद हो गई काया
बीरबानी ने पति बिना अच्छी लागै ना धन माया
उसका परेम ठीक हो जा सै जिस ने ज्यादा परेम बढ़ाया
खुद माता के कहने से मैंने गिरधर पति बनाया
करूं परीति सच्चे दिल तै परेम बीच में भर कै
पति का परेम . . . | haryanvi-bgc |
नदिया किनारे जी हरी हरी दुभिया
नदिया किनारे जी हरी हरी दुभिया ।
गइया चरावे हीरालाल जी ॥ 1 ॥
कारी गाय सुन्नर1 ऐसो लेरू2 ।
दुधवा पियत हीरालाल जी ॥ 2 ॥
सोने के सेहला3 गढ़ा दऽ मोरे बाबा ।
अउर जड़ा दऽ हीरालाल जी ॥ 3 ॥
सोने के सेहला बाबू मरमो4 न जानूँ ।
कइसे जड़इबे हीरालाल जी ॥ 4 ॥
तोहरो ससुर जी के साँकर गलिया ।
झरि जयतो सेहला के फूल जी ॥ 5 ॥
आगे आगे जइतन बाबा5 जी साहेब ।
सेकर6 पीछे मामा7 सोहागिन जी ।
जेकर8 पीछे जइतन छोटकी बहिनिया ।
चुनि लेतन सेहला के फूल जी ॥ 6 ॥ | magahi-mag |
हो गाड़ी वाला रे
हो गाड़ी वाला रे . .
पता दे जा रे , पता ले जा रे गाड़ी वाला
पता दे जा , ले जा गाड़ी वाला रे
तोर गांव के तोर काम के
तोर नाम के पता दे जा
पता ले जा रे
पता दे जा रे गाड़ी वाला
का तोर गांव के नाव दिवाना डाक खाना के पता का
नाम का थाना कछेरी के तोरे
पारा मोहल्ला पता का
को तोरे राज उत्ती बुड़ती रेलवाही पहार सड़किया
पता दे जा रे पता ले जा रे गाड़ी वाला
मया नई चिन्हे देसी बिदेसी मया के मोल न तोल
जात बिजाति न जाने रे मया , मया मयारु के बोल
कायामाया सब नाच नचावे मया के एक नजरिया
पता दे जा रे
पता ले जा रे गाड़ीवाला . .
जीयत जागत रहिबे रे बैरी
भेजबे कभुले चिठिया
बिन बोले भेद खोले रोवे , जाने अजाने पिरितिया
बिन बरसे उमड़े घुमड़े , जीव मया के बैरी बदरिया
पता दे जा रे
पता ले जारे गाड़ी वाला . . .
पता दे जा , ले जा गाड़ी वाला रे
तोर गांव के तोर काम के
तोर नाम के पता दे जा
हो गाड़ी वाला रे . . | chhattisgarhi-hne |
466
करे जिन्हां दी रब्ब हमायतां नी हक तिन्हां दा खूल मामूल1 कीता
जदों मुशरिकां2 आन सवाल कीता तदों चन्न दो खन्न3 रसूल कीता
कढ पधरो ऊठनी रब्ब सचे करामात पगम्बरी मूल कीता
वारस शाह जां कशफ4 वखा दिता तदों जटी ने फकर कबूल कीता | panjabi-pan |
उठ जाग रै मुसाफिर किस नींद सो रह्या है
उठ जाग रै मुसाफिर किस नींद सो रह्या है
जीवण अमूल पिआरे क्यूं बखत खो रह्या है
रहणा न इत बणैगा दुनिया सरा सी फानी
इस मैं फंस्या तैं पियारे क्यूं मस्त हो रह्या है
उठ जाग रे मुसाफिर
भाई पिता अर पुत्तर होगा न कोई साथी
क्यूं मोह का बोझा नाहक मैं ढो रह्या है
उठ जाग रे मुसाफिर
ले ले धरम का तीसा मत भूल रे दीवाने
नैकी की खेती कर ले क्यूं बखत खो रह्या है
उठ जाग रे मुसाफिर
किसती अमूल पा कै हिम्मत तै पार कर लै
इस जल असार जग मैं तैं क्यूं डबो रह्या है
उठ जाग रे मुसाफिर | haryanvi-bgc |
विवाह गीत
बेनो कुड़छी पर बठो कड़ा मांगे ।
बेनो कुड़छी पर बठो तागल्या मांगे ।
बेनो कुड़छी पर बठो हार मांगे ।
बेनो कुड़छी पर बठो मूंद्या मांगे ।
बेनो कुड़छी पर बठो हाटका मांगे ।
बेनो कुड़छी पर बठो बेड़ि मांगे ।
दुल्हन के समान दूल्हा भी गहने पहनता है , उनका वर्णन गीत में किया गया है
बना कुर्सी पर बैठा हुआ कड़े माँग रहा है । तागली , हार , बीटियाँ , हाटका , बेड़ी माँग रहा है । कड़े हाथ में पहनने का , तागली गले में पहनने का , हार गले में पहनने की , हार गले में पहनने की , बीटी अँगुली में पहनने का , हाटका बाँह पर पहनने का और बेड़ी पैर में पहनने का आभूषण है । | bhili-bhb |
झिम्मा
रुणझूण पाखरा जा माझ्या माहिरा । । हू हू । ।
तिथ घराचा दरवाजा । चंदनी लाकडाचा
पेशवाई थाटाचा । त्यावरी बैस जा । । हू हू । ।
माझ्या माहिरा अंगणी । बघ फुलली निंबोणी
गोडी दारात पुरवणी । त्यावरी बैस जा । । हू हू । ।
माझ्या माहिरीचा । त्यावरी बैस जा । । हू हू । ।
माझ्या माहिरीचा । झोपाळा आल्याड बांधियला
फुलांनी गुंफियला । त्यावरी बैस जा । । हू हू । ।
माझ्या माहिरी मायबाई । डोळे लावुनी वाट पाही
तिला खुशाली सांगाया जा । माझ्या माहिरी पाखरा जा । । हू हू । । | marathi-mar |
कैसे क दरसन पाऊँ
कैसे क दरसन पाऊँ
मैया तेरी सकड़ी दुवरिया
सकड़ी दुवरिया मैया , चंदन किवड़िया
धरम धजा फहराय
मैया तेरी सकड़ी दुवरिया
देवी के द्वारे एक निरथन पुकारे
देव माया घर जाऊँरी
मैया तेरी सकड़ी दुवरिया
देवी के द्वारे एक अंधा पुकारे
देव नयन घर जाऊँरी
देवी के द्वारे एक बाँझ पुकारे
देव पुत्र घर जाऊँरी
देवी के दारे एक कुष्ठा पुकारे
देव काया घर जाऊँरी
मैया तेरी सकड़ी दुवरिया | malvi-mup |
रंग रंगीली भोत रंग भीनी
रंग रंगीली भोत रंग भीनी
उस धनाबऊ रे हाथ राचन दो मेंदी
उस मोड़ादे रे हाथ राचन दो मेंदी
पेलो मास गोरी धन लाओ
आल भोले मनजाय
राचन दो मेंदी मोड़ादे रे हाथ | malvi-mup |
वेक्खो नी शाह अनायत साईं
वेक्खो नी शाह अनायत साईं
मैं नाल करदा किवें अदाईं ।
कदी आवे कदी आवे नाहीं ,
त्यौं त्यौं मैनूँ भड़कण भाहीं ।
नाल अल्लाह पैगाम सुणाईं ,
मुक्ख वेक्खण नूँ तरसाईं ।
वेक्खो नी शाह अनायत साईं ।
बुल्ला सहु केही लाई मैनूँ ,
रात हनेर उठ तुरदी नै नूँ ।
जिस औझड़ तों सभ कोई डरदा ,
सो मैं ढूँढा चाईं चाईं ।
वेक्खो नी शाह अनायत साईं ।
मैं नाल करदा किवें अदाईं । | panjabi-pan |
बाजरे की रोटी पोई रे हालिड़ा
बाजरे की रोटी पोई रे हालिड़ा , बथुए का रांध रै साग
आठ बलधां का रै हालिड़ा नीरणा चार हालिड़ा की छाक
बरसन लागी रे हालिड़ा बादली
सास नणद का रे हालिड़ा ओलणा इब कूण उठाये छाक
कसकै तै रे बांधो गोरीधन लाऊणा झटदे उठाल्यो छाक
ड्योलै तै ड्योला रे हालिड़ा मैं फिरी कितै ना पाया थारा खेत
ऊंच्चे चढ़कै गोरीधण देख ले म्हारे धोले बलध कै टाल
पाछा तैं फिर कै रे हालिड़ा देख ले , कोई बोझ मरै छकियार
किसाक जाम्या रे हालिड़ा बाजरा किसीक जाम्मी सै जुआर
लाम्बे तै सिरटे गोरीधण बाजरा , मुड़वां सिरटै जुआर
कै मण बीघे निपजै रे हालिड़ा बाजरा , कै मण बीघे जुआर
नौ मण बीघे निपजा गोरी बाजरा , दस मण बीघे जुआर
अपणै घड़ाले रे हालिड़ा गोखरू मेरी भंवर की नाथ | haryanvi-bgc |
परदा किस तों राखीदा
परदा किस तों राखीदा ?
क्यों ओहले बैह बैह झाकीदा ?
पहलों आपे साजन साजे दा ,
हुण दस्सना ऐं सबक निमाजे दा ,
हुण आया आप नज़ारे नूँ ,
विच्च लैला बण बण झाकीदा ।
परदा किस तों राखीदा ?
शाह शमस दी खल्ल लुहाएओ ,
मनसूर नूँ चा सूली दवाएओ ,
ज़करीए1 सिर कलवत्तर2 धराएओ ,
की लेक्खा रहेआ बाकी दा ?
परदा किस तों राखीदा ?
कुन्न3 केहा फअकुन4 कहाया ,
बेचूनी5 दा चून6 बणाया ,
खातर तेरी जगत बणाया ,
सिर पर छतर लौलाकी दा7 ।
परदा किस तों राखीदा ?
हुण साड्डे वल्ल धाया ए ,
ना रहिन्दा छुपा छुपाया ए ,
किते बुल्ला नाम धराया ए ,
विच्च ओहला रखया खाकी दा ।
परदा किस तों राखीदा ? | panjabi-pan |
मुबारिक सादी हो बनड़े ये घोड़ी नाचती आई
मुबारिक सादी हो बनड़े ये घोड़ी नाचती आई
तेरे बाबा हजारी नै बड़ी दूरों से मंगवाई
तेरे ताऊ हजारी ने बड़ी दूरों से मंगवाई
तेरे मन पसंद बनड़े ये घोड़ी क्यूं नहीं आई
मुबारिक सादी हो बनड़े ये घोड़ी नाचती आई
तेरे बाब्बू हजारी नै बड़ी दूरों से मंगवाई
तेरे चाचा हजारी नै बड़ी दूरों से मंगवाई
तेरे मन पसंद बनड़े ये घोड़ी क्यूं नहीं आई
मुबारिक सादी हो बनड़े ये घोड़ी नाचती आई
तेरे फूफा हजारी नै बड़ी दूरों से मंगवाई
तेरे मौसा हजारी ने बड़ी दूरों से मंगवाई
तेरे मन पसंद बनड़े ये घोड़ी क्यूं नहीं आई | haryanvi-bgc |
झाळ झपकऽ बिन्दी चमकऽ बोलऽ अमृत वाणी
झाळ झपकऽ , बिन्दी चमकऽ बोलऽ अमृत वाणी ,
धणियेर आंगणऽ कुआ खणाया , हरिया एतरो पाणी ,
जूड़ो छोड़ी न्हावण बठ्या , धणियेर घर की राणी ,
धणियेर घर की राणी रनुबाई , बोलऽ अमृत वाणी ।
आमुलड़ा री डाल म्हारी माता , सालुड़ो सुखाड़ऽ ,
सालुड़ा रा रम्मक झम्मक , नाचऽ ठम्मक ठम्मक ,
धणियेर घर की राणी रनुबाई , बोलऽ अमृत वाणी । | nimadi-noe |
अंगिका फेकड़ा
चलोॅ हे हिरनी माय फूल तोड़ै लेॅ
फूलोॅ के गाछ तर ऐल्हौं जमाय
बेटी केॅ लेल्हखौं डोली चढ़ाय
ज्यौंज्यौं डोलिया डुलकल जाय
त्यौंत्यौं बेटी हकरल जाय
बोॅर बैठलोॅ बरोॅ तर
कनियाँय बैठली पीपरोॅ तर
बरोॅ केॅ लागलै दाँती
कनियाँय धूनेॅ छाती ।
कनियाँय मनियाँय झिंगाझोर
कनयाँय माय केॅ लेॅ गेल चोर
दौड़ोॅ हो शहर के लोग ।
झरिया ऐलै बुनरिया ऐलै
करका मेघ लगैलेॅ ऐलै
डाला कुण्डा घोॅर करोॅ
बेटी केॅ विदा करोॅ ।
औठीपौठी लौका
बीच में गू खौका ।
पांड़े पड़ोकी चुटिया में तेल
पांड़े के धियापुता खेलेॅ गुलेल
पांडे़ ढबढबढब ।
यद्दू बेचेॅ कद्दू , बंगाली बेचेॅ पान
यद्दू के एक बेटा , सेहो गाड़ीमान
यद्दू दूर गेलेॅ हो ।
अथरोबथरो सीमा गेली सीम तोड़े
नीमा गेली नीन तोड़े , दा बूढ़ी भात
अभी गोबरे हाथ ।
ऊबु पान फूल पत्ता
गुलाबी रंग कच्चा
कटोरी में के आगिन
बुझाय देॅ मोरी भौजी ।
ओ ना मा सी धं
गुरूजी पढ़ंग
चटिया लंग
बाजे मृदंग ।
तार काटूँ , तनकुन काटूँ
काटूँ रे बनखज्जा
हाथी पर से घुंघर बोले
टन देॅ केॅ राजा
राजा के रजोली बेटी
भैया के दुपट्टा
हिच्च मारौं , घिच्च मारौं
चीचे हेनोॅ बच्चा । | angika-anp |
भादों की अँधेरी, झकझोर
भादों की अँधेरी , झकझोर1 ।
ना बास ना बास , पापी मोर ।
डुलदो2 तू क्यों , पापी प्राणी ।
स्वामी बिना मैक , बड़ी खडरी3 ।
विश्वासी मन जो , औंद भारी ।
भादों की बरसात जग रूझ4 ।
मन की मेरो ना , आग बुझ ।
स्वामी बिना झूठी , लाणीं खांणी5 ।
मनु की मनुमा , रई गांणी6 । | garhwali-gbm |
201
दुर्रे1 शरह दे मार उधेड देसां करां उमर खिताब दा नयां हीरे
घत कखां दे बिन मैं साड़ सुटां तैनूं वेखसी पिंड गरां हीरे
अखीं मीट के वकत लघा मोईए एह जोबना बदलां छां हीरे
खेड़े करीं कबूल जे खैर चाहवें छड चाक रंझेटे दा नां हीरे
वारस शाह हुण आसरा रब्ब दा ए जदों विटरे2 बाप ते मां हीरे | panjabi-pan |
अगे, अगे चेरी बेटी, तोँहु देखि आहु गे माइ
अगे , अगे चेरी बेटी , तोँहु1 देखि आहु2 गे माइ ।
कइसन3 समधी बाबू , महला उठावे गे माइ ।
इँटवा चुनिए चुनि4 महला उठावे गे माइ ।
चुनमे5 चुनेटल6 चारों घटिया बनावे गे माइ ॥ 1 ॥
अरे , अरे हजमा , तोंहुँ देखि आहु गे माइ ।
कइसन समधी भँड़ुआ , सजे बरियात गे माइ ।
धोइले7 धोइले कपड़ा , रँगल बतीसो दाँत गे माइ ।
छैले छैले गभरू8 सजल बरियात गे माइ ॥ 2 ॥
बइठल समधी बाबू जाजिम बिछाय गे माइ ।
जँघिया दुलरइतिन बेटी लट छिटकावे गे माइ ।
बीड़वा9 जे फेंकलन दुलहा , बीड़वो न लेथिन10 गे माइ ।
हँसथिन न बोलथिन , दुलहिन मुँहमो न खोलथिन गे माइ ॥ 3 ॥
किनकर11 गुमानी12 धनि , मुँहमो न बोले गे माइ ।
किनकर गुमानी बेटी , बीड़वो न लेइ13 गे माइ ।
परभु के गुमानी धनि , मुँहमो न बोले गे माइ ।
बाबा के दुलरइतिन बेटी , बीड़बो न लेइ गे माइ ॥ 4 ॥
बाबा तोर देखलूँ दुलहा , टट्टर14 घर खाड़ा गे माइ ।
भइया तोर देखलूँ लोकदिनियाँ15 सँघे साथे गे माइ ।
चाचा तोर देखलूँ तमोलिन के पास गे माइ ।
कइसे के करियो16 दुलहा तोहर बिसवास गे माइ ।
तुहूँ त हकहु17 दुलहा बड़ रँगरसिया18 गे माइ ॥ 5 ॥ | magahi-mag |
215
जो कुझ विच रजा दे लिख दितां मुंहों बस न आखिये भैड़ीए नी
सुन्ना सखना चाक नूं रखया ई मथे भौरीए चंदरीए चैड़ीए नी
जेकर मंतरकील दा ना आवे ऐवें सुतड़े नाग ना छेड़ीए नी
इके यार दे नाम तों फिदा होईए मौहरा दे के इके नबेड़ीए नी
दगा देवना होवे जिस आदमी नूं पहले रोज ही चा खटेड़ीए नी
जे ना उतरीए यार दे नाल पूरे ऐडे पिटने ना सहेड़ीए नी
वारस शाह तोड़ निभाहुनी दस सानूं नहीं दे जवाब चा टोरये नी | panjabi-pan |
शिवशंकर जा शिवशंकर आपिया रहना टोल्लेन शिवशंकर
शिवशंकर जा शिवशंकर आपिया रहना टोल्लेन शिवशंकर
शिवशंकर जा शिवशंकर आपिया रहना टोल्लेन शिवशंकर
देव देवकि डो देव देवकि आलिया रहना मथुरा डो गोकुल मारे
देव देवकि डो देव देवकि आलिया रहना मथुरा डो गोकुल मारे
देव देवकि देव देवकि आलिया टावटेन बाकी हाजे डो देव देवकि
देव देवकि देव देवकि आलिया टावटेन बाकी हाजे डो देव देवकि
देव देवकि डो देव देवकि आमा डाई नी बारा
देव देवकि डो देव देवकि आमा डाई नी बारा
गावा पेटेली डो आलिया टावटेन बाकी हाजे
गावा पेटेली डो आलिया टावटेन बाकी हाजे
स्रोत व्यक्ति प्यारी बाई , ग्राम मातापुर | korku-kfq |
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कंगन नाल जंजीरियां पंज मुणियां हार लौंगां दे नाल पुरायो ने
तुंगा1 नाल कपूरां2 दे जुट सुचे तोड़े पाउंदे गजरयां छायो ने
पहौंची जुगनियां नाल हमेल माला मोहर बिछुए नाल घड़ायो ने
सोहनियां अलियां नाल पंजेब फबे घुंगरालड़े घुंगरू लायो ने
वारस शाह गहना ठीक चाक आहा सोई खटड़े3 चा पवायो ने | panjabi-pan |
उरजौ ना स्याम कही मानों
उरजौ ना स्याम कही मानों ,
फट जै हैं , चुनरिया ना तानों ।
इत मथरा उत गोकल नगरी ,
बीच बसत है बरसानो ।
रजा कंस कौ राज बुरओ है ,
मथरा बीच रूपौ थानों ।
मैं बेटी वृषभान लला की ,
काऊकी ईसुर ना जानों । | bundeli-bns |
से वणजारे आए
से वणजारे आए नी माए ,
से वणजारे आए ।
लालाँ दा ओह वणज करेन्दे ,
होक्का आख सुणाए ।
लाल ने गहणे सोने सात्थी ,
माए नाल लै जावाँ ।
सुणिआ हौका मैं दिल गुज़री ,
मैं भी लाल ल्यावाँ ।
इक्क ना इक्क कन्नाँ विच्च पा के ,
लोक्काँ नूँ दिखलावाँ ।
लोक जानण एह लालाँ वाली ,
लइआँ मैं भरमाए ।
से वणजारे आए नी माए ,
से वणजारे आए ।
ओड़क जा खलोती ओहना ते ,
मैं भनों सद्धराइआँ ।
भाई वे लालाँ वालिओ मैं वी ,
लाल लेवण नूँ आइआँ ।
ओहनाँ भरे संदूक विखाले ,
मैनूँ रीझाँ आइआँ ।
वेक्खे लाल सुहाणे सारे ,
हक्क तो हक्क सवाए ।
से वणजारे1 आए नी माए ,
से वणजारे आए ।
भाई वे लालाँ वालिआ वीरा ,
एहना दा मुल्ल दसाईं ।
जे तूँ आई हैं लाल खरीदण ,
धड़ तों सीस लुहाईं ।
डम्ह2 कदी सुई दा ना सहिआ ,
सिर कित्थों दित्ता जाई ।
लाज़मी होके घर मुड़ आई ,
पुच्छण गवांढी आए ।
से वणजारे आए नी माए ,
से वणजारे आए ।
तूँ जु गई सैं लाल खरीदण ,
उच्ची अड्डी चाई नी ।
केहड़ा मुहरा ओत्थों रन्ने तूँ ,
लै के घर आई नी ।
लाल सी भारे मैं साँ हलकी ,
खाली कन्नी साईं नी ।
भारा लाला अणमुल्ला ओत्थों ,
मैत्थों चुक्किआ ना जाए ।
से वणजारे आए नी माए ,
से वणजारे आए ।
कच्ची कच्च विहाजण जाणा ,
लाब विहाजण चल्ली ।
पल्ले खरच ना साख ना काई ,
हत्थों हारन चल्ली ।
मैं मोटी मुशटंडी दिसाँ ,
लालाँ नूँ चारन चल्ली ।
जिस शाह ने मुल्ल लै के देणा ,
सो शाह मुँह ना लाए ।
से वणजारे आए नी माए ,
से वणजारे आए ।
गलिआँ दे विच्च फिराँ दिवानी ,
नी कुड़ीए मुटिआरे ।
लाल चुगेन्दी नाज़क होई ,
एह गल्ल कौण नितारे ।
जाँ मैं मुल्ल ओहना नूँ पुच्छिआ ,
मुल्ल करन ओह भारे ।
डम्ह सूई दा कदे ना खाधा ,
ओह आक्खण सिर वारे ।
जेहड़िआँ गइआँ लाल विहाजण ,
ओहनाँ सीस लुहाए ।
से वणजारे आए नी माए ,
से वणजारे आए । | panjabi-pan |
सुसरै जी से अरज करूं थी
सुसरै जी से अरज करूं थी
मन्नै हरी हरी दाख मंगाद्यो जी
बहू इस रुत मैं दाख नहीं सै
मेवा मिसरी खाल्यो जी
बालम जी से अरज करूं थी
मन्नै हरी हरी दाख मंगाद्यो जी
ओ गए पंसारी की दुकान पै
ल्याए हरी हरी दाख तुला कै
खा कै सोई पिलंग पै
बालम तै कर री बात बड़े प्यार तै
जो गोरी थम छोरी जणोगी
बुरी बात करो गी हम तै
जो गोरी थम पुत जणोगी
दाख मंगा द्यूं और कहीं तै | haryanvi-bgc |
रेशमा डोरा घोड़ा पलंगो
रेशमा डोरा घोड़ा पलंगो
अजे बीले आजे सुबाय
रेशमा डोरा घोड़ा पलंगो
अजे बीले आजे सुबाय
रेशमा डोरा घोड़ा पलंगो
अजे बीले आजे सुबाय
इयाँ पलंगो बाने जा बेटा
आमा रानी का पलंगो रे
आमा रानी का पलंगो रे
आमा रानी का पलंगो रे
स्रोत व्यक्ति जगनसिंह , ग्राम झापा | korku-kfq |
पेलो मास जो लागियो ये
पेलो मास जो लागियो ये
धनारायणी आल भोले मन जाय
अनोखा धनराणी , ऐके धनराणी
मजला मजला आप
पेले मजल थारे लापसी ऐके धनराणी
दूसरे मजल बूरा खांड
तीसरे मजल थारे खोपरो
चौथ दाड़िम दाख | malvi-mup |
532
सैदा आखदा रोंदड़ी पई डोली चुप करे नाहीं हतिआरड़ी1 ओए
वडी जवान बाला कोई परी सूरत तिन कपड़े वडी मुटिआरड़ी ओए
जे मैं हथ लावां सिरों लाह लैंदी चा घतदी चीख चिहारड़ी2 ओए
हथ लावण पलंग नूं मिले नाहीं खौफ खतरियो3 रहे निआरड़ी4 ओए
मैंनूं मारके आप नित रहे रोंदी एस डौल ही रहे कुआरड़ी5 ओए
नाल सस ननाण दे गल नाही पई मचदी नित खुआरड़ी6 ओए
असां ओसनूं मूलना हथ लाया कोई नागर7 लोथ है भारड़ी8 ओए
ऐवे गफलतां विच बरब्बाद कीती वारस शाह एह उमर पयारड़ी ओए | panjabi-pan |
180
रत्न हीर ते आइयां फेर सभे रांझे यार तेरे सानूं घलया ई
खूंडी वंझली कमली सुट धते छड देस परदेस नूं चलया ई
जे तैं अंत ओहनूं पिछा देवना सी ओहदा कालजा कासनूं सलया ई
असां एतनी गल मालूम कीती तेरा निकल ईमान हुण चलया ई | panjabi-pan |
Subsets and Splits
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